संघर्ष, आत्महत्या और समझौता: सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य की अग्निपरीक्षा

संघर्ष, आत्महत्या और समझौता: सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य की अग्निपरीक्षा

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में एक अत्यंत दुखद घटना ने देश के सुरक्षा बलों के भीतर व्याप्त गंभीर तनाव और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान ने कथित तौर पर एक तर्क के बाद अपने सहायक उप-निरीक्षक (ASI) साथी की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद उसने आत्महत्या का प्रयास किया, जिसमें विफल रहने पर उसने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि हमारे देश के सुरक्षा स्तंभों को अंदर से खोखला कर रहे एक अदृश्य दुश्मन – मानसिक स्वास्थ्य संकट – का भयावह प्रकटीकरण है। यह हमें वर्दी के भीतर पल रहे मनोवैज्ञानिक दबावों पर गहन चिंतन करने के लिए मजबूर करती है।

वर्दी के भीतर का अदृश्य युद्ध: सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य संकट

हमारे सुरक्षा बल, चाहे वे सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) या राज्य पुलिस बल हों, देश की सीमाओं की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे तैनात रहते हैं। वे दुर्गम इलाकों, खतरनाक परिस्थितियों और लगातार तनाव भरे माहौल में काम करते हैं। हालाँकि, उनकी शारीरिक बहादुरी और सहनशीलता पर अक्सर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

एक सैनिक या पुलिसकर्मी का जीवन केवल कर्तव्य और अनुशासन तक सीमित नहीं होता। यह निरंतर उच्च दबाव, जीवन-मृत्यु की स्थितियों का सामना करने, परिवार से अलगाव और सामान्य सामाजिक जीवन से कटे रहने का जीवन है। ये सभी कारक धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिससे तनाव, चिंता, अवसाद, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जब इन समस्याओं का समय पर समाधान नहीं किया जाता, तो वे कभी-कभी आत्मघाती प्रवृत्तियों या यहां तक कि ‘फ्रैट्रिसाइड’ (साथियों की हत्या) जैसी हिंसक घटनाओं में परिणत हो सकती हैं, जैसा कि हाल की CRPF घटना में देखा गया है।

“एक सैनिक अपने देश के लिए अपनी जान जोखिम में डालता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अपनी मानसिक शांति को भी दांव पर लगाता है।”

तनाव के कारक: क्यों जलते हैं ये दीप?

सुरक्षा बलों में तनाव के कई जटिल और अंतर्संबंधित कारक होते हैं। इन्हें मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1. परिचालन तनाव (Operational Stress):

  • लंबे और अनियमित ड्यूटी घंटे: 12-18 घंटे की लगातार ड्यूटी, विशेषकर संवेदनशील क्षेत्रों या वीआईपी ड्यूटी के दौरान।
  • खतरनाक और शत्रुतापूर्ण वातावरण: आतंकवाद विरोधी अभियानों, नक्सल विरोधी अभियानों या सीमा पर लगातार खतरे का सामना।
  • लगातार अलर्ट की स्थिति: आराम के समय भी मानसिक रूप से हमेशा सतर्क रहने की आवश्यकता।
  • नींद की कमी: अपर्याप्त आराम और नींद का चक्र बाधित होना।
  • हिंसा और मृत्यु का निरंतर संपर्क: सहकर्मियों की मृत्यु देखना, गंभीर चोटें और आम नागरिकों पर हिंसा का प्रभाव।

2. संगठनात्मक तनाव (Organizational Stress):

  • पदानुक्रम और कठोर अनुशासन: कठोर आदेशों का पालन करना और व्यक्तिगत पहल की कमी।
  • पदोन्नति में ठहराव: लंबे समय तक एक ही रैंक पर रहना, जिससे निराशा और प्रेरणा की कमी होती है।
  • शिकायत निवारण तंत्र की कमी या अप्रभावीता: व्यक्तिगत या व्यावसायिक मुद्दों को संबोधित करने में कठिनाई।
  • स्थानांतरण नीतियां: बार-बार और अप्रत्याशित स्थानांतरण, जिससे परिवार के साथ रहने में कठिनाई होती है।
  • छुट्टियों का अभाव: पर्याप्त और समय पर छुट्टी न मिलना, जिससे परिवार से अलगाव बढ़ता है।

3. व्यक्तिगत और पारिवारिक तनाव (Personal & Family Stress):

  • परिवार से अलगाव: लंबी अवधि के लिए परिवार से दूर रहना, बच्चों की शिक्षा या माता-पिता की देखभाल में असमर्थता।
  • पारिवारिक समस्याएं: वित्तीय चिंताएं, वैवाहिक कलह, बच्चों की परवरिश संबंधी मुद्दे, जो दूर से सुलझाना कठिन होते हैं।
  • सामाजिक समर्थन की कमी: नागरिकों से दूरी और अपनी समस्याओं को साझा करने के लिए सीमित सर्कल।
  • आर्थिक दबाव: वेतन और भत्तों का अपर्याप्त होना, विशेषकर बड़े शहरों में रहने की लागत के मुकाबले।

4. संसाधन और अवसंरचनात्मक तनाव (Resource & Infrastructural Stress):

  • खराब रहने की स्थिति: भीड़-भाड़ वाले बैरक, अपर्याप्त स्वच्छता और सुविधाओं की कमी।
  • गुणवत्तापूर्ण भोजन और पोषण की कमी: कभी-कभी दुर्गम इलाकों में पौष्टिक भोजन का अभाव।
  • मनोरंजन सुविधाओं का अभाव: तनाव कम करने के लिए खेल, मनोरंजन या सांस्कृतिक गतिविधियों की कमी।

5. हथियार तक आसान पहुंच (Easy Access to Weapons):

  • तनावग्रस्त स्थिति में हथियार की उपलब्धता, हिंसक प्रतिक्रियाओं की संभावना को बढ़ा देती है, जैसा कि हाल की घटना में देखा गया।

परिणाम: जब तनाव बन जाता है विनाशकारी

तनाव के ये कारक जब लंबे समय तक बने रहते हैं और उनका समाधान नहीं होता, तो वे गंभीर मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परिणामों को जन्म दे सकते हैं:

  • आत्महत्या (Suicides): सुरक्षा बलों में आत्महत्या की दर चिंताजनक रूप से अधिक है। यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सबसे दुखद और अंतिम परिणाम है।
  • फ्रैट्रिसाइड (Fratricide/अंदरूनी हिंसा): जैसा कि हाल की घटना में देखा गया, उच्च तनाव और खराब पारस्परिक संबंधों के कारण सहकर्मियों के बीच हिंसक झड़पें हो सकती हैं, जो घातक साबित होती हैं।
  • शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग (Substance Abuse): तनाव से निपटने के लिए एक गलत तंत्र के रूप में शराब या नशीली दवाओं का सहारा लेना, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं और अनुशासनहीनता बढ़ती है।
  • घरेलू हिंसा (Domestic Violence): कार्यस्थल पर अनुभव किया गया तनाव घर में हिंसक व्यवहार के रूप में प्रकट हो सकता है, जिससे पारिवारिक संबंध बिगड़ते हैं।
  • अवसाद और चिंता (Depression & Anxiety): ये सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जो प्रदर्शन और जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
  • ऑपरेशनल दक्षता में कमी (Reduced Operational Efficiency): मानसिक रूप से अस्वस्थ जवान अपनी ड्यूटी पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, जिससे अभियानों की सफलता प्रभावित होती है।
  • सामूहिक असंतोष (Collective Discontent): व्यापक तनाव और निराशा से बल के भीतर मनोबल गिर सकता है और सामूहिक असंतोष पैदा हो सकता है।

सरकार और सुरक्षा बलों की पहल: एक प्रयास

इन गंभीर चुनौतियों को पहचानते हुए, सरकार और विभिन्न सुरक्षा बलों ने जवानों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई पहल की हैं। हालांकि, इन पहलों की प्रभावशीलता और उनका कवरेज एक चुनौती बनी हुई है:

  • मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र (Psychological Counselling Centres): कई बटालियनों और प्रशिक्षण अकादमियों में परामर्शदाताओं और मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति की गई है।
  • योग और ध्यान कार्यक्रम (Yoga and Meditation Programs): तनाव प्रबंधन के लिए नियमित योग और ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं।
  • तनाव प्रबंधन कार्यशालाएं (Stress Management Workshops): जवानों को तनाव से निपटने के तरीके सिखाने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।
  • ‘बडी सिस्टम’ (Buddy System): जवानों को एक-दूसरे की देखभाल करने और शुरुआती लक्षणों को पहचानने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
  • छुट्टी नीतियों में सुधार (Improved Leave Policies): छुट्टी की उपलब्धता बढ़ाने और इसे अधिक लचीला बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
  • शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanisms): ऑनलाइन पोर्टल और शिकायत बॉक्स के माध्यम से जवानों को अपनी चिंताओं को उठाने का अवसर दिया जाता है।
  • आवास और कल्याण सुविधाएं (Accommodation and Welfare Facilities): जवानों के लिए बेहतर रहने की स्थिति और पारिवारिक आवास प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है।
  • स्मार्ट बैरक (Smart Barracks): कुछ बलों ने आधुनिक सुविधाओं से लैस बैरक बनाए हैं, जिनमें मनोरंजन और विश्राम के लिए स्थान शामिल हैं।
  • टेली-परामर्श (Tele-counselling): दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिए टेलीफोन या वीडियो कॉल के माध्यम से परामर्श की सुविधा।
  • मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन (Mental Health Helplines): कुछ बलों ने विशेष हेल्पलाइन स्थापित की हैं जहां जवान गुमनाम रूप से मदद मांग सकते हैं।

चुनौतियाँ: राह में कांटे

इन पहलों के बावजूद, सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य संकट से निपटने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ मौजूद हैं:

  • कलंक (Stigma): मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कमजोरी के रूप में देखा जाता है, जिससे जवान मदद मांगने से कतराते हैं। इससे ‘छुपाने और सहने’ की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
  • प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी (Lack of Trained Professionals): उपलब्ध मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं की संख्या विशाल बल की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
  • बुनियादी ढांचे का अभाव (Lack of Infrastructure): दूरदराज के इलाकों में या फील्ड पोस्टिंग पर पर्याप्त सुविधाओं और परामर्श केंद्रों की कमी।
  • परिचालन की मांगें (Operational Demands): अभियानों की उच्च मांगें अक्सर जवानों को मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भाग लेने या छुट्टी लेने की अनुमति नहीं देतीं।
  • नेतृत्व की संवेदनशीलता का अभाव (Lack of Leadership Sensitivity): कुछ वरिष्ठ अधिकारियों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता की कमी हो सकती है।
  • परिवारों का अलगाव (Family Separation): परिवारों के समर्थन की कमी, विशेषकर जब वे दूर रहते हैं, चुनौतियों को बढ़ाती है।
  • गोपनीयता की चिंता (Confidentiality Concerns): जवान अपनी गोपनीयता भंग होने और करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका से अपनी समस्याओं को साझा करने में झिझकते हैं।

आगे की राह: एक समग्र दृष्टिकोण

सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए एक बहुआयामी और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें नीतिगत सुधार, प्रशिक्षण, कल्याण और प्रौद्योगिकी का समावेश हो।

1. नीतिगत सुधार (Policy Reforms):

  • व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीति: सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य पुलिस बलों के लिए एक एकीकृत, व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीति विकसित की जाए।
  • नियमित मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन: भर्ती के समय और नियमित अंतराल पर सभी जवानों का अनिवार्य मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाए। शुरुआती लक्षणों की पहचान के लिए।
  • छुट्टी नीति में क्रांतिकारी परिवर्तन: जवानों को समय पर और पर्याप्त छुट्टी सुनिश्चित की जाए। ‘होम पोस्टिंग’ के लिए उचित तंत्र विकसित किए जाएं।
  • शिकायत निवारण को सुदृढ़ करना: एक मजबूत, स्वतंत्र और पारदर्शी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जाए, जो त्वरित और प्रभावी ढंग से समस्याओं का समाधान करे।

2. प्रशिक्षण और संवेदीकरण (Training & Sensitization):

  • मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा: बुनियादी प्रशिक्षण के साथ-साथ सेवाकालीन प्रशिक्षण में मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और भावनात्मक बुद्धिमत्ता को एक अनिवार्य घटक के रूप में शामिल किया जाए।
  • नेतृत्व का संवेदीकरण: वरिष्ठ अधिकारियों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाया जाए, ताकि वे अपने अधीन जवानों के लक्षणों को पहचान सकें और उन्हें सहायता प्रदान कर सकें।
  • सहकर्मी सहायता प्रशिक्षण: ‘बडी सिस्टम’ को मजबूत किया जाए और जवानों को अपने साथियों में संकट के संकेतों को पहचानने और सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।

3. कल्याण और सहायता (Welfare & Support):

  • परामर्शदाताओं की संख्या बढ़ाना: प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिकों, परामर्शदाताओं और मनोरोग विशेषज्ञों की भर्ती की जाए और उन्हें बटालियन स्तर तक तैनात किया जाए।
  • टेली-परामर्श और मोबाइल वैन: दूरदराज के इलाकों में तैनात जवानों के लिए टेली-परामर्श सेवाओं को मजबूत किया जाए और मोबाइल मानसिक स्वास्थ्य इकाइयों को तैनात किया जाए।
  • पारिवारिक कल्याण कार्यक्रम: जवानों के परिवारों के लिए परामर्श और सहायता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, ताकि वे जवानों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकें।
  • स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा: खेलकूद, मनोरंजन गतिविधियों, योग और ध्यान के लिए पर्याप्त सुविधाएं और समय प्रदान किया जाए।
  • जीवन की गुणवत्ता में सुधार: बेहतर आवास, पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित किया जाए।

4. नवाचार और प्रौद्योगिकी (Innovation & Technology):

  • मोबाइल एप्लिकेशन: मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों, स्वयं-सहायता उपकरणों और परामर्श सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने वाले मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किए जाएं।
  • डेटा-संचालित विश्लेषण: मानसिक स्वास्थ्य डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने के लिए तकनीक का उपयोग किया जाए, ताकि हॉटस्पॉट और जोखिम वाले समूहों की पहचान की जा सके।
  • बायोमेट्रिक निगरानी (Ethical Considerations Apply): भविष्य में, गोपनीयता का ध्यान रखते हुए, ऐसे उपकरण विकसित किए जा सकते हैं जो तनाव के शारीरिक संकेतों की निगरानी करें और प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करें।

5. सामाजिक सहयोग और कलंक उन्मूलन (Societal Support & Destigmatization):

  • जन जागरूकता अभियान: मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज और सुरक्षा बलों के भीतर व्याप्त कलंक को दूर करने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
  • साहित्य और मीडिया का उपयोग: जवानों के जीवन की चुनौतियों और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को दर्शाने वाली सकारात्मक कहानियों को बढ़ावा दिया जाए।

निष्कर्ष

CRPF जवान द्वारा अपने साथी की हत्या और फिर आत्महत्या का प्रयास एक चेतावनी है, जो हमें याद दिलाती है कि हमारे सुरक्षा बल न केवल बाहरी खतरों से जूझ रहे हैं, बल्कि अंदरूनी मानसिक युद्ध से भी लड़ रहे हैं। यह सिर्फ एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि एक व्यवस्थागत चुनौती है जिसे तत्काल और व्यापक रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है। हमारे जवानों का मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ उनका व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे बलों के समग्र मनोबल का एक अभिन्न अंग है।

हमें यह समझना होगा कि वर्दी के पीछे भी एक इंसान होता है, जिसकी अपनी भावनाएं, भय और कमजोरियां होती हैं। इन अदृश्य घावों को भरने के लिए सरकार, बल के नेतृत्व, परिवारों और समाज को मिलकर काम करना होगा। जब तक हम वर्दी के भीतर के अदृश्य युद्ध को नहीं पहचानेंगे और उससे नहीं लड़ेंगे, तब तक ऐसी दुखद घटनाएं होती रहेंगी। हमारे जवानों को सिर्फ शारीरिक रूप से मजबूत नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी resilient बनाने की आवश्यकता है, ताकि वे न केवल देश की रक्षा कर सकें, बल्कि अपने स्वयं के जीवन को भी सम्मान और शांति के साथ जी सकें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
    2. CRPF का प्राथमिक कार्य आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखना है।
    3. CRPF के जवान संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी योगदान देते हैं।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल I और II
    (b) केवल II और III
    (c) केवल I और III
    (d) I, II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: कथन I गलत है। CRPF गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs – MHA) के अधीन कार्य करता है, न कि रक्षा मंत्रालय के। कथन II और III सही हैं, CRPF आंतरिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी भाग लेता है।

  2. प्रश्न 2: भारत में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन-सा बल CAPF का हिस्सा नहीं है?

    (a) सीमा सुरक्षा बल (BSF)
    (b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
    (c) असम राइफल्स (AR)
    (d) राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: NDRF एक विशेष बल है जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित किया गया है और यह CAPFs से प्रतिनियुक्त कर्मियों से बना है, लेकिन स्वयं एक CAPF नहीं है। BSF, AR और NSG CAPFs के उदाहरण हैं।

  3. प्रश्न 3: मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह अधिनियम प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है।
    2. यह आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है।
    3. यह मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को गरिमा के साथ जीने का अधिकार सुनिश्चित करता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल I
    (b) केवल I और II
    (c) केवल II और III
    (d) I, II और III

    उत्तर: (d)

    व्याख्या: मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 एक प्रगतिशील कानून है जो मानसिक बीमारी से जूझ रहे व्यक्तियों के अधिकारों को सशक्त बनाता है। यह प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच का अधिकार देता है, आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है (जब तक कि यह अन्य कारणों से न हो), और मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को गरिमा और गैर-भेदभाव के साथ जीने का अधिकार सुनिश्चित करता है।

  4. प्रश्न 4: ‘पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर’ (PTSD) शब्द निम्नलिखित में से किससे सबसे अच्छी तरह संबंधित है?

    (a) बचपन के आघात के कारण होने वाली एक विकासात्मक विकलांगता।
    (b) एक चिंता विकार जो एक दर्दनाक घटना को देखने या अनुभव करने के बाद विकसित हो सकता है।
    (c) अत्यधिक तनाव के कारण होने वाला एक शारीरिक रोग।
    (d) बुढ़ापे में स्मृति हानि से जुड़ा एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: PTSD एक चिंता विकार है जो एक बहुत ही दर्दनाक, भयावह या संकटपूर्ण घटना को देखने या अनुभव करने के बाद विकसित हो सकता है। यह अक्सर सैनिकों, आपदा राहत कर्मियों और हिंसा के शिकार लोगों में देखा जाता है।

  5. प्रश्न 5: भारत में पुलिस सुधारों पर बनी विभिन्न समितियों/आयोगों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सी समिति/आयोग मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के मुद्दों को भी संबोधित कर सकती है?

    1. गोरे समिति
    2. धर्मवीर आयोग
    3. पद्मनाभैया समिति

    नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:

    (a) केवल I और II
    (b) केवल II और III
    (c) केवल I और III
    (d) I, II और III

    उत्तर: (d)

    व्याख्या: ये सभी समितियां/आयोग (गोरे समिति – 1971, धर्मवीर आयोग – राष्ट्रीय पुलिस आयोग 1977-81, पद्मनाभैया समिति – 2000) पुलिस सुधारों से संबंधित थीं। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर ‘मानसिक स्वास्थ्य’ शब्द का उपयोग नहीं किया हो, लेकिन उन्होंने पुलिस कर्मियों के काम के घंटे, रहने की स्थिति, तनाव और कल्याण के मुद्दों पर सिफारिशें की थीं, जो परोक्ष रूप से उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इसलिए, सभी विकल्प प्रासंगिक हो सकते हैं।

  6. प्रश्न 6: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में तनाव के संभावित कारणों में निम्नलिखित में से कौन-सा शामिल नहीं है?

    (a) लंबे और अनियमित ड्यूटी घंटे
    (b) परिवार से अलगाव
    (c) पदोन्नति में तीव्र गति
    (d) खतरनाक परिचालन वातावरण

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: पदोन्नति में ‘तीव्र गति’ आमतौर पर तनाव का कारण नहीं बनती, बल्कि ‘पदोन्नति में ठहराव’ या ‘धीमी गति’ जवानों में निराशा और तनाव पैदा कर सकती है। अन्य सभी विकल्प CAPFs में तनाव के प्रमुख कारण हैं।

  7. प्रश्न 7: भारत में ‘फ्रैट्रिसाइड’ (Fratricide) की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी पहल की जा सकती है/की जा रही है?

    1. नियमित मनोवैज्ञानिक परामर्श सत्र
    2. ‘बडी सिस्टम’ का सुदृढ़ीकरण
    3. हथियारों तक पहुंच को पूरी तरह समाप्त करना

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल I
    (b) केवल I और II
    (c) केवल II और III
    (d) I, II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: नियमित मनोवैज्ञानिक परामर्श और ‘बडी सिस्टम’ दोनों ही जवानों के तनाव को कम करने और आपसी समझ को बढ़ावा देने में सहायक हैं, जिससे फ्रैट्रिसाइड की घटनाओं को कम किया जा सकता है। कथन III गलत है क्योंकि सुरक्षा बलों के लिए हथियारों तक पहुंच को पूरी तरह समाप्त करना उनकी परिचालन क्षमता को गंभीर रूप से बाधित करेगा। यह संभव नहीं है, बल्कि हथियारों के उपयोग पर सख्त नियम और मानसिक स्वास्थ्य जांच के बाद ही अनुमति जैसे उपाय किए जा सकते हैं।

  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के मनोबल और कल्याण से संबंधित है/हैं?

    1. पर्याप्त छुट्टी का प्रावधान।
    2. उच्च गुणवत्ता वाले आवास और सुविधाएं।
    3. उचित शिकायत निवारण तंत्र।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल I
    (b) केवल I और II
    (c) केवल II और III
    (d) I, II और III

    उत्तर: (d)

    व्याख्या: ये सभी कारक – पर्याप्त छुट्टी, बेहतर आवास और सुविधाएं, तथा एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र – सीधे तौर पर जवानों के मनोबल और कल्याण को प्रभावित करते हैं और उनके मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होते हैं।

  9. प्रश्न 9: ‘टेली-परामर्श’ सेवाएँ सुरक्षा बलों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो सकती हैं?

    1. यह दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात कर्मियों तक पहुँच सुनिश्चित करती है।
    2. यह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर चर्चा करते समय गोपनीयता की भावना प्रदान करती है।
    3. यह प्रशिक्षित पेशेवरों की आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त कर देती है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल I
    (b) केवल I और II
    (c) केवल II और III
    (d) I, II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: कथन I और II सही हैं। टेली-परामर्श दूरस्थ पहुँच और गोपनीयता सुनिश्चित करता है, जो जवानों को मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। हालांकि, कथन III गलत है। टेली-परामर्श प्रशिक्षित पेशेवरों की आवश्यकता को समाप्त नहीं करता है, बल्कि उन्हें दूरस्थ रूप से सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

  10. प्रश्न 10: भारत में आंतरिक सुरक्षा बलों द्वारा सामना की जाने वाली ‘तनाव’ संबंधी चुनौतियों के संदर्भ में, ‘आंतरिक अलगाव’ (Internal Alienation) शब्द का क्या अर्थ हो सकता है?

    (a) बल के भीतर विभिन्न रैंकों के बीच भौगोलिक दूरी।
    (b) अत्यधिक दबाव और अलगाव के कारण व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों से कटना।
    (c) एक जवान का अपने गृह राज्य से दूर तैनात होना।
    (d) सैन्य और पुलिस बलों के बीच अंतर-सेवा प्रतिस्पर्धा।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘आंतरिक अलगाव’ यहां उस मनोवैज्ञानिक स्थिति को संदर्भित करता है जहां अत्यधिक तनाव, लंबे समय तक परिवार से दूरी, और कार्य की प्रकृति के कारण एक जवान भावनात्मक रूप से अपने सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों से कट जाता है, जिससे अकेलापन और निराशा बढ़ती है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में बढ़ती फ्रैट्रिसाइड और आत्महत्या की घटनाओं के मूल कारणों का विश्लेषण करें। इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार और बल के नेतृत्व द्वारा अपनाए जा सकने वाले एक बहुआयामी दृष्टिकोण की विस्तार से चर्चा करें।
  2. “वर्दी में मानसिक स्वास्थ्य कलंक (stigma) को दूर करना, वर्दी वाले पेशेवरों के कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में पहला कदम है।” इस कथन के आलोक में, सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सहायता-मांगने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? उदाहरणों सहित समझाइए।
  3. भारत में सुरक्षा बलों के कर्मियों के लिए एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार करने में किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? इन चुनौतियों का समाधान करने और बल के भीतर एक स्थायी मनोवैज्ञानिक सहायता प्रणाली बनाने के लिए अभिनव समाधानों का सुझाव दें।
  4. एक पुलिसकर्मी या सैन्यकर्मी के जीवन में पारिवारिक सहयोग की भूमिका का मूल्यांकन करें। उन तरीकों पर प्रकाश डालें जिनसे बल और सरकार जवानों के परिवारों को सशक्त बना सकते हैं और उनके कल्याण में योगदान कर सकते हैं, जिससे अंततः जवानों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सके।

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