संकल्प से सिद्धि: समाजशास्त्र की परीक्षा तैयारी का ब्रह्मास्त्र!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज एक बार फिर हम आपके लिए लेकर आए हैं समाजशास्त्र की अवधारणाओं और सिद्धांतों की गहराई में उतरने का एक अनूठा अवसर। अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता और विषय की समझ को परखने के लिए तैयार हो जाइए। ये 25 प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी को नई दिशा देंगे। आइए, आज के अभ्यास सत्र का आरंभ करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘मैक्रोसोशियोलॉजी’ (Macro-sociology) शब्द का प्रयोग किसने किया और यह किस प्रकार के सामाजिक विश्लेषण पर बल देता है?
- इमाइल दुर्खीम; सामाजिक संरचनाओं और बड़े पैमाने की सामाजिक प्रणालियों का अध्ययन
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड; व्यक्ति और उसके अंतःक्रियाओं का अध्ययन
- कार्ल मार्क्स; वर्ग संघर्ष और आर्थिक व्यवस्था का अध्ययन
- मैक्स वेबर; सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थों का अध्ययन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इमाइल दुर्खीम को अक्सर मैक्रोसोशियोलॉजी के प्रमुख प्रवर्तकों में से एक माना जाता है। उन्होंने समाज को एक अलग इकाई के रूप में देखा, जिसमें व्यक्तिगत चेतना से ऊपर “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) होते हैं। उनका विश्लेषण समाज की बड़ी संरचनाओं, जैसे कि सामाजिक एकता (Social Solidarity), धर्म और श्रम विभाजन पर केंद्रित था।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक “समाज में श्रम विभाजन” (The Division of Labour in Society) में इसका स्पष्ट उल्लेख है। वे सामाजिक तथ्यों को “बाह्य और बाध्यकारी” मानते थे, जो व्यक्ति पर प्रभाव डालते हैं, चाहे व्यक्ति उन्हें पसंद करे या न करे। यह दृष्टिकोण समष्टिगत (macro) है।
- अincorrect विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड माइक्रोसोशियोलॉजी के समर्थक थे, जो व्यक्ति-से-व्यक्ति अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। कार्ल मार्क्स का विश्लेषण भी मैक्रो स्तर पर है, लेकिन वह मुख्य रूप से आर्थिक संरचना और वर्ग संघर्ष पर केंद्रित है, जबकि दुर्खीम सामाजिक संरचनाओं की व्यापकता पर बल देते हैं। मैक्स वेबर की ‘Verstehen’ (समझ) की विधि सूक्ष्म (micro) विश्लेषण पर अधिक केंद्रित है।
प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट किंग मर्टन द्वारा प्रस्तुत की गई है, जो समाज की व्यवस्था बनाए रखने में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के योगदान को दर्शाती है?
- संसाधन जुटाना (Resource Mobilization)
- अनुकूलीकरण (Adaptation)
- मध्यवर्ती सिद्धांत (Theory of Middle Range)
- प्रकट और अप्रकट प्रकार्य (Manifest and Latent Functions)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘प्रकट प्रकार्य’ (Manifest Functions) और ‘अप्रकट प्रकार्य’ (Latent Functions) की अवधारणा प्रस्तुत की। प्रकट प्रकार्य किसी सामाजिक व्यवस्था या संस्था के वे अभीष्ट और पहचाने गए परिणाम होते हैं, जबकि अप्रकट प्रकार्य वे अनभिज्ञ या अनपेक्षित परिणाम होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक “सामाजिक संरचना और अनामी” (Social Structure and Anomie) में इन विचारों को विकसित किया। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी सामाजिक क्रिया या संस्था के ‘प्रकार्यात्मक’ (functional) या ‘प्रकार्यात्मक-विरोधी’ (dysfunctional) परिणाम हो सकते हैं।
- अincorrect विकल्प: ‘संसाधन जुटाना’ सामाजिक आंदोलन सिद्धांत से संबंधित है। ‘अनुकूलीकरण’ अक्सर जैविक या सामाजिक विकास के संदर्भ में प्रयोग होता है। ‘मध्यवर्ती सिद्धांत’ मर्टन का ही एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो बहुत व्यापक (macro) या बहुत संकीर्ण (micro) सिद्धांतों के बजाय, अनुभवजन्य शोध से जुड़े मध्यवर्ती स्तर के सिद्धांतों पर बल देता है, लेकिन यह सीधे तौर पर प्रकार्यों की बात नहीं करता।
प्रश्न 3: निम्नांकित में से कौन सा कथन ‘पैटर्न वेरिएबल्स’ (Pattern Variables) के बारे में सही है, जैसा कि टैल्कोट पार्सन्स ने प्रस्तुत किया है?
- ये ऐसे विकल्प हैं जिनका सामना व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिका निभाते समय करता है।
- ये सामाजिक व्यवस्था के मूलभूत तत्व हैं जो इसे परिभाषित करते हैं।
- ये सामाजिक परिवर्तन के मुख्य चालक हैं।
- ये सामाजिक स्तरीकरण के प्रकारों को दर्शाते हैं।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: टैल्कोट पार्सन्स ने ‘पैटर्न वेरिएबल्स’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जो किसी भी सामाजिक क्रिया या भूमिका में पाए जाने वाले दिशा-निर्देशों या विकल्पों के एक सेट को संदर्भित करता है। ये पांच द्वंद्वों (dichotomies) के रूप में हैं (जैसे, अभिस्वीकृति बनाम सार्वभौमिकता, प्रसार बनाम विशिष्टता) जिनका सामना कर्ता अपनी भूमिकाओं में करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स ने अपने ‘स्ट्रक्चरल-फंक्शनलिज्म’ (Structural-Functionalism) के ढांचे में इन पैटर्न वेरिएबल्स का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि विभिन्न समाजों में सामाजिक क्रियाएँ कैसे संरचित होती हैं। ये सामाजिक व्यवस्था को समझने में मदद करते हैं, लेकिन वे स्वयं व्यवस्था के मूलभूत तत्व नहीं हैं, बल्कि क्रिया के पैटर्न हैं।
- अincorrect विकल्प: पैटर्न वेरिएबल्स स्वयं सामाजिक व्यवस्था के मूलभूत तत्व नहीं हैं, बल्कि वे क्रिया के पैटर्न हैं। ये सीधे तौर पर सामाजिक परिवर्तन के चालक नहीं हैं, बल्कि ये समझाते हैं कि सामाजिक क्रिया कैसे होती है। यह सामाजिक स्तरीकरण के प्रकारों को सीधे तौर पर नहीं दर्शाते।
प्रश्न 4: निम्नांकित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण की अवधारणा ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से सर्वाधिक घनिष्ठ रूप से संबंधित है?
- समानता (Equality)
- विशेषाधिकार (Privilege)
- सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction)
- सामाजिक उपार्जन (Social Achievement)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक उपार्जन (Social Achievement) का अर्थ है व्यक्ति की अपनी योग्यता, प्रयास या कर्मों के आधार पर समाज में उच्च स्थान प्राप्त करना। यह “खुले” स्तरीकरण व्यवस्थाओं की विशेषता है, जहाँ सामाजिक गतिशीलता संभव होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य व्यक्ति या समूह की समाज के एक स्तर से दूसरे स्तर तक जाने की प्रक्रिया से है। खुले समाजों में, उपार्जन (achievement) के आधार पर गतिशीलता अधिक होती है, जबकि बंद समाजों में, प्रदत्त (ascribed) स्थिति (जैसे जन्म) प्रमुख होती है।
- अincorrect विकल्प: समानता (Equality) एक आदर्श है, जबकि स्तरीकरण इसका विपरीत है। विशेषाधिकार (Privilege) उच्च स्तरीकृत समूहों द्वारा प्राप्त लाभ हैं, जो गतिशीलता का परिणाम हो सकते हैं, लेकिन स्वयं गतिशीलता नहीं हैं। सामाजिक अंतःक्रिया (Social Interaction) सामाजिक जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन यह सीधे तौर पर स्तरीकरण या गतिशीलता की प्रक्रिया को परिभाषित नहीं करती।
प्रश्न 5: एमएन श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किस प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- निम्न जातियाँ अपने खान-पान, रहन-सहन और पूजा-पाठ के तरीकों को उच्च जातियों के अनुसार बदलती हैं।
- समाज का पश्चिमीकरण (Westernization) होना।
- आधुनिक तकनीकी विकास को अपनाना।
- शहरीकरण के कारण पारंपरिक जीवनशैली का बदलना।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संस्कृतीकरण, एमएन श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई एक अवधारणा है, जो बताती है कि निम्न या मध्य जातियों द्वारा उच्च (आमतौर पर द्विजा) जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में जाति व्यवस्था के भीतर सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण मार्ग रही है। श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में विकसित की थी।
- अincorrect विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने की प्रक्रिया है। तकनीकी विकास और शहरीकरण, जबकि ये सामाजिक परिवर्तन के रूप हैं, ये संस्कृतीकरण का सीधा अर्थ नहीं देते।
प्रश्न 6: दुर्खीम के अनुसार, ‘एनामी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
- जब समाज में अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण होता है।
- जब सामाजिक आदर्श और नियमों का अभाव या शिथिलता होती है।
- जब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने में सफल होते हैं।
- जब समाज में अत्यधिक सहयोग होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: दुर्खीम के अनुसार, एनामी (Anomie) एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ व्यक्ति के लिए कोई स्पष्ट नियम, मानदंड या दिशा-निर्देश नहीं रह जाते। यह तब होता है जब समाज की नैतिक संरचना कमजोर पड़ जाती है या जब सामाजिक परिवर्तन बहुत तेजी से होता है, जिससे स्थापित नियम अप्रचलित हो जाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों जैसे “आत्महत्या” (Suicide) और “समाज में श्रम विभाजन” (The Division of Labour in Society) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। यह व्यक्ति में दिशाहीनता, भ्रम और सामाजिक अलगाव की भावना पैदा करती है।
- अincorrect विकल्प: अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण ‘अति-नियमन’ (Over-regulation) की स्थिति ला सकता है, एनामी नहीं। अपनी इच्छाओं को पूर्ण करना या अत्यधिक सहयोग समाज को स्थिर कर सकता है, लेकिन एनामी का कारण नहीं बनता।
प्रश्न 7: निम्नांकित में से कौन सी पुस्तक कार्ल मार्क्स द्वारा नहीं लिखी गई है?
- दास कैपिटल (Das Kapital)
- कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (The Communist Manifesto)
- द मेथोडोलॉजी ऑफ सोशल साइंस (The Methodology of Social Science)
- द पॉवर्टी ऑफ फिलॉसफी (The Poverty of Philosophy)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘द मेथोडोलॉजी ऑफ सोशल साइंस’ (The Methodology of Social Science) कार्ल मार्क्स द्वारा नहीं लिखी गई है। यह पुस्तक मैक्स वेबर के विचारों से संबंधित हो सकती है, या किसी अन्य समाजशास्त्री द्वारा लिखी गई हो सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कार्ल मार्क्स की प्रमुख कृतियों में ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital), ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto – फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ सह-लिखित) और ‘द पॉवर्टी ऑफ फिलॉसफी’ (The Poverty of Philosophy) शामिल हैं। ये कृतियाँ मार्क्सवादी सिद्धांत और आलोचनात्मक समाजशास्त्र के आधार स्तंभ हैं।
- अincorrect विकल्प: ‘दास कैपिटल’, ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ और ‘द पॉवर्टी ऑफ फिलॉसफी’ सभी कार्ल मार्क्स (और एंगेल्स) की महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं, जो पूंजीवाद, वर्ग संघर्ष और साम्यवाद के विश्लेषण से संबंधित हैं।
प्रश्न 8: जॉन हावर्ड ग्रिफिथ्स (John Howard Griffiths) के अनुसार, ‘भारतीय समाज में हरित क्रांति’ (Green Revolution in Indian Society) का एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिणाम क्या था?
- किसानों के बीच आय असमानता में कमी।
- कृषि में महिलाओं की भूमिका में वृद्धि।
- भूमिहीन मजदूरों के बीच रोजगार के अवसरों में कमी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक जातिगत भेदभाव का अंत।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉन हावर्ड ग्रिफिथ्स जैसे विद्वानों ने हरित क्रांति के सामाजिक प्रभावों का विश्लेषण किया है। उनके अनुसार, हरित क्रांति ने जहाँ कृषि उत्पादन बढ़ाया, वहीं इसने भूमिहीन मजदूरों के लिए रोजगार के अवसरों को कम किया, क्योंकि नई तकनीकें (जैसे मशीनरी) अक्सर अधिक श्रम-गहन पारंपरिक तरीकों की जगह ले लेती थीं।
- संदर्भ एवं विस्तार: हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य खाद्य उत्पादन बढ़ाना था, लेकिन इसके सामाजिक परिणाम जटिल थे। इसने कुछ किसानों को अमीर बनाया, लेकिन भूमिहीन श्रमिकों को और हाशिए पर धकेल दिया, जिससे ग्रामीण असमानता बढ़ी।
- अincorrect विकल्प: आय असमानता में वृद्धि हुई, कमी नहीं। महिलाओं की भूमिका में वृद्धि के बजाय, कुछ मामलों में कमी आई क्योंकि मशीनीकरण ने उनकी श्रम-शक्ति की आवश्यकता को कम किया। पारंपरिक जातिगत भेदभाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ, हालांकि इसके कुछ पहलू प्रभावित हुए।
प्रश्न 9: निम्नांकित में से कौन सा सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सामाजिक संस्थाओं के प्रकार्यात्मक योगदान पर बल देता है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- फेमिनिस्ट सिद्धांत (Feminist Theory)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसके विभिन्न अंग (जैसे संस्थाएँ) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं और समाज की स्थिरता व व्यवस्था बनाए रखते हैं। प्रत्येक अंग (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) का एक विशिष्ट कार्य (function) होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और मर्टन इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक हैं। वे मानते हैं कि समाज में असंतुलन या समस्याएँ होती हैं, लेकिन उनका विश्लेषण मुख्य रूप से समाज के स्थिर और समन्वित पहलुओं पर केंद्रित होता है।
- अincorrect विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) सामाजिक व्यवस्था को शक्ति, प्रभुत्व और संघर्ष के परिणाम के रूप में देखता है, न कि प्रकार्यात्मक संतुलन के। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है, न कि संस्थागत प्रकार्यों पर। फेमिनिस्ट सिद्धांत (Feminist Theory) लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक संरचनाओं के विश्लेषण पर केंद्रित है।
प्रश्न 10: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध मुख्य रूप से किससे है?
- व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति।
- किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत संबंध और सामाजिक नेटवर्क।
- समाज में व्यक्ति की शिक्षा का स्तर।
- राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सामाजिक सुरक्षा।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी (Social Capital) का अर्थ है व्यक्ति या समूह के सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, भरोसे और पारस्परिक सहयोग से प्राप्त होने वाले लाभ। यह किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और पहुँच को प्रभावित करती है। पियरे बॉर्दियू (Pierre Bourdieu) और जेम्स कॉलमैन (James Coleman) इस अवधारणा के प्रमुख प्रतिपादक हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक पूंजी व्यक्तियों को सूचना, समर्थन और अवसरों तक पहुँच प्रदान करती है, जो आर्थिक या सांस्कृतिक पूंजी से भिन्न है। यह सामाजिक व्यवस्था और सामूहिक क्रियाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- अincorrect विकल्प: वित्तीय संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ है। शिक्षा का स्तर ‘मानव पूंजी’ से संबंधित है। सामाजिक सुरक्षा राज्य की नीति है, सामाजिक पूंजी व्यक्ति या समूह के नेटवर्क का गुण है।
प्रश्न 11: निम्नांकित में से कौन सा कारक ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में देखे जाने वाले सामाजिक परिवर्तनों में से एक नहीं है?
- शहरीकरण में वृद्धि।
- पारिवारिक संरचना में परिवर्तन (संयुक्त से एकाकी परिवार की ओर)।
- जातिगत संबंधों का सुदृढ़ीकरण।
- धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) की प्रवृत्ति।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: औद्योगीकरण के कारण भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के स्वरूप में परिवर्तन आया है, लेकिन ‘जातिगत संबंधों का सुदृढ़ीकरण’ (strengthening of caste relations) एक प्रमुख परिणाम नहीं रहा है। इसके विपरीत, औद्योगीकरण और शहरीकरण ने अक्सर जाति की पकड़ को कमजोर किया है, हालांकि इसने नए रूप भी धारण किए हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: औद्योगीकरण से बड़े पैमाने पर शहरीकरण हुआ, जिससे ग्रामीण समुदाय और पारंपरिक जीवनशैली टूटी। इसने परिवार की संरचना को भी बदला, जहाँ संयुक्त परिवार प्रणाली कमजोर पड़ी और एकाकी परिवार बढ़े। धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization) की प्रवृत्ति भी बढ़ी, जहाँ धर्म का प्रभाव सार्वजनिक जीवन से कम हुआ।
- अincorrect विकल्प: शहरीकरण, एकाकी परिवारों का बढ़ना और धर्मनिरपेक्षीकरण औद्योगीकरण के महत्वपूर्ण सामाजिक परिणाम हैं। जातिगत संबंधों का सुदृढ़ीकरण औद्योगीकरण के विपरीत परिणाम दर्शाता है।
प्रश्न 12: ‘सामूहिकीकरण’ (Collectivization) की प्रक्रिया, विशेषकर रूस और चीन जैसे साम्यवादी देशों में, किस सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन से जुड़ी थी?
- निजी कृषि का विस्तार।
- कृषि योग्य भूमि का सरकारी नियंत्रण में एकत्रीकरण और संयुक्त खेती।
- बाजार अर्थव्यवस्था का विकास।
- श्रमिक संघों का विघटन।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: साम्यवादी समाजों में ‘सामूहिकीकरण’ (Collectivization) का अर्थ था निजी स्वामित्व वाली कृषि भूमि को राज्य के नियंत्रण में लाना और किसानों को बड़े, संयुक्त या सामूहिक खेतों (collective farms) में काम करने के लिए संगठित करना।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसका उद्देश्य उत्पादन को बढ़ाना, दक्षता में सुधार करना और कृषि पर राज्य का नियंत्रण स्थापित करना था। यह अक्सर विरोध और कठिनाइयों के साथ हुआ।
- अincorrect विकल्प: निजी कृषि का विस्तार या बाजार अर्थव्यवस्था का विकास सामूहिकीकरण के विपरीत है। श्रमिक संघों का विघटन साम्यवाद के लक्ष्यों में नहीं था; बल्कि, वे अक्सर राज्य के नियंत्रण में होते थे।
प्रश्न 13: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) को “धन, प्रतिष्ठा और शक्ति” के तीन आयामों के आधार पर वर्गीकृत करता है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- टॉल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण को केवल आर्थिक वर्ग (धन) तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने ‘प्रतिष्ठा’ (status) और ‘शक्ति’ (power/party) को भी महत्वपूर्ण आयाम माना। वे मानते थे कि इन तीनों आयामों के आधार पर समाज में विभिन्न समूह बनते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने ‘वर्ग’ (Class) को आर्थिक आधार पर, ‘समूह’ (Status Group) को प्रतिष्ठा और जीवन शैली के आधार पर, और ‘दल’ (Party) को शक्ति और प्रभाव के आधार पर परिभाषित किया। यह मार्क्स के एकल-आयामी (economic class) दृष्टिकोण से भिन्न था।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से आर्थिक आधार पर वर्ग को परिभाषित किया (उत्पादन के साधनों का स्वामित्व)। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। पार्सन्स ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद पर बल दिया।
प्रश्न 14: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की और यह किस संदर्भ में प्रयुक्त होती है?
- विलियम ग्राहम समनर; सामाजिक मानदंडों के परिवर्तन की गति।
- विलियम फ्रेडरिक ओगबर्न; भौतिक संस्कृति के परिवर्तन की गति, अभौतिक संस्कृति से तेज होना।
- रॉबर्ट पार्क; शहरीकरण की प्रक्रिया।
- हरबर्ट स्पेंसर; सामाजिक विकास के नियम।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विलियम फ्रेडरिक ओगबर्न (William Frederick Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी। उन्होंने बताया कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, गैजेट्स) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, कानून, मूल्य, नैतिकता) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है। इस गति के अंतर से समाज में तनाव और समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: ओगबर्न ने यह विचार अपनी प्रसिद्ध कृति “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिए, ऑटोमोबाइल के आविष्कार (भौतिक संस्कृति) के बाद, उसके उपयोग से संबंधित यातायात नियम, नैतिक मानदंड और सामाजिक व्यवहार (अभौतिक संस्कृति) को बदलने में समय लगा।
- अincorrect विकल्प: समनर ने ‘सामाजिक मानदंड’ पर काम किया, लेकिन यह विशिष्ट अवधारणा ओगबर्न की है। पार्क शहरीकरण पर केंद्रित थे, और स्पेंसर विकासवादी सिद्धांत पर।
प्रश्न 15: निम्नांकित में से कौन सा भारतीय समाजशास्त्रिक ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का अध्ययन करते हुए ‘पॉजिटिविटी’ (Positivity) और ‘डिफेंसिवाइजेशन’ (Defensivisation) जैसे शब्दों का प्रयोग करता है?
- योगेन्द्र सिंह
- एम.एन. श्रीनिवास
- टी.के. उवैन (T.K. Oommen)
- इरावती कर्वे
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारतीय समाजशास्त्रिक योगेन्द्र सिंह ने भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का अध्ययन करते हुए ‘पॉजिटिविटी’ (Positivity) और ‘डिफेंसिवाइजेशन’ (Defensivisation) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएँ प्रस्तुत कीं। पॉजिटिविटी का अर्थ है पारंपरिक से आधुनिक की ओर उन्मुख होना, जबकि डिफेंसिवाइजेशन का अर्थ है बाहरी या आधुनिक प्रभावों के प्रति रक्षात्मक प्रतिक्रिया दिखाना।
- संदर्भ एवं विस्तार: योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज पर पश्चिमी और आधुनिक प्रभावों के अंतर्संबंधों का विश्लेषण किया और बताया कि कैसे भारतीय समाज इन प्रभावों को अपने पारंपरिक ढांचे में समाहित या उनके विरुद्ध प्रतिक्रिया करते हुए रूपांतरित होता है।
- अincorrect विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण और संस्कृतीकरण की बात की। टी.के. उवैन ने सामाजिक आंदोलनों और पहचान पर काम किया। इरावती कर्वे ने नातेदारी और मानवशास्त्र पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
प्रश्न 16: ‘स्व’ (Self) के विकास में ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणा का प्रतिपादन किसने किया?
- सिगमंड फ्रायड
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- चार्ल्स कूले
- अल्फ्रेड शुट्ज़
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के ढांचे में ‘स्व’ (Self) के विकास को समझाया, जिसमें ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की भूमिका महत्वपूर्ण है। ‘मैं’ प्रतिक्रियाशील, अनियोजित और तात्कालिक पक्ष है, जबकि ‘मुझे’ सामाजिककृत, वस्तुनिष्ठ और दूसरों की अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड के अनुसार, व्यक्ति समाज के साथ अंतःक्रिया करते हुए, दूसरों के दृष्टिकोण को अपने अंदर समाहित करके ‘स्व’ का निर्माण करता है। ‘मुझे’ वह है जिसके प्रति ‘मैं’ प्रतिक्रिया करता है। यह प्रक्रिया ‘अन्य’ (Others) और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के माध्यम से होती है।
- अincorrect विकल्प: फ्रायड ने ‘इद’, ‘ईगो’ और ‘सुपरईगो’ की बात की। कूले ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा दी। शुट्ज़ ने घटना-विज्ञान (Phenomenology) पर काम किया।
प्रश्न 17: निम्नांकित में से कौन सी समाजिक संस्था ‘समाज के सदस्यों के समाजीकरण’ (Socialization of Members) का प्राथमिक कार्य करती है?
- अर्थव्यवस्था
- राजनीति
- परिवार
- न्यायपालिका
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: परिवार को समाज में समाजीकरण की प्राथमिक संस्था माना जाता है। यह वह पहली इकाई है जहाँ एक बच्चा भाषा, मूल्य, विश्वास, व्यवहार के मानदंड और सामाजिक भूमिकाएँ सीखता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: परिवार न केवल जैविक पुनरुत्पादन करता है, बल्कि सांस्कृतिक हस्तांतरण का भी प्राथमिक माध्यम है। यद्यपि शिक्षा, धर्म और जनसंचार माध्यम भी समाजीकरण में भूमिका निभाते हैं, परिवार को अक्सर प्रारंभिक और सबसे प्रभावशाली संस्था के रूप में देखा जाता है।
- अincorrect विकल्प: अर्थव्यवस्था, राजनीति और न्यायपालिका का मुख्य कार्य समाज का संचालन और संसाधन प्रबंधन है, न कि प्रारंभिक समाजीकरण। ये संस्थाएँ बाद में जीवन में व्यक्ति के समाजीकरण में योगदान करती हैं।
प्रश्न 18: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया का एक प्रमुख सामाजिक परिणाम निम्नांकित में से क्या है?
- पारंपरिक समुदाय की मजबूत भावना का विकास।
- व्यक्तिगत अलगाव (Alienation) और गुमनामी (Anonymity) में वृद्धि।
- पारिवारिक बंधनों का सुदृढ़ीकरण।
- जातिगत भेदभाव का पूर्ण उन्मूलन।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 19: निम्नांकित में से कौन सा कथन ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संदर्भ में ‘पवित्रता और अपवित्रता’ (Purity and Pollution) की अवधारणा को स्पष्ट करता है?
- यह उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों पर किया जाने वाला आर्थिक शोषण है।
- यह एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ कुछ जातियों को शुद्ध और दूसरों को अपवित्र माना जाता है, जिससे खान-पान, विवाह और सामाजिक संबंधों पर प्रतिबंध लगते हैं।
- यह समाज में श्रमिकों का उनकी उत्पादकता के आधार पर वर्गीकरण है।
- यह विभिन्न जातियों के बीच व्यावसायिक भिन्नताओं को दर्शाता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 20: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की अवधारणा का संबंध समाज में किससे स्थापित करने से है?
- अराजकता और अव्यवस्था।
- व्यवस्था, नियम और अनुपालन।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकतम विस्तार।
- आर्थिक विकास की गति।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 21: निम्नांकित में से कौन सी पुस्तक ‘गुलामगिरी’ (Slavery) पर आधारित है और इसमें दास प्रथा के उन्मूलन के लिए आवाज उठाई गई है?
- जोसेफ फिच (Joseph Fitch)
- हैरियट बीचर स्टोव (Harriet Beecher Stowe)
- लेस्ली फिडलर (Leslie Fiedler)
- अर्नेस्ट हेकल (Ernst Haeckel)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 22: ‘संस्थागत विचलन’ (Institutionalized Deviance) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत से है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 23: निम्नांकित में से कौन सी संस्था ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) को सबसे अधिक प्रभावित करती है?
- धर्म
- परिवार
- लोकतंत्र
- मीडिया
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 24: ‘नियतिवाद’ (Determinism) का सिद्धांत, जो किसी घटना के परिणाम को पूर्व-निर्धारित मानता है, निम्नलिखित में से किस वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विपरीत है?
- भौतिकवाद (Materialism)
- अस्तित्ववाद (Existentialism)
- संभावनावाद (Probabilism)
- नियंत्रणवाद (Controlism)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 25: ‘सामुदायिक जीवन’ (Community Life) के अध्ययन में ‘गेमाइनशाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ किसने प्रस्तुत कीं?
- फर्डिनेंड टोनीज़ (Ferdinand Tönnies)
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हेनरिक रिर्ट (Heinrich Rütte)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या: