संकल्प समाजशास्त्र: दैनिक प्रश्नों का वार, सफलता का आधार!
तैयारी के इस महायज्ञ में आपका स्वागत है! क्या आप समाजशास्त्र की अपनी समझ को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं? आज का ये विशेष अभ्यास सत्र आपकी अवधारणाओं को पैना करेगा और आपको परीक्षा की कसौटी पर खरा उतरने में मदद करेगा। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और सफलता की ओर एक और कदम बढ़ाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो यह बताती है कि समाज के विभिन्न अंग अलग-अलग गति से बदलते हैं, जिससे अक्सर असंतुलन पैदा होता है?
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- इमाइल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम एफ. ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। उन्होंने तर्क दिया कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, आविष्कार) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, कानून, नैतिकता) की तुलना में बहुत तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक अंतर या विलंब उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न के अनुसार, यह विलंब सामाजिक समस्याओं का एक प्रमुख कारण है। उदाहरण के लिए, परमाणु हथियारों का आविष्कार भौतिक संस्कृति का हिस्सा है, जबकि युद्ध को रोकने के लिए आवश्यक नैतिक और कानूनी संरचनाएं (अभौतिक संस्कृति) उतनी तेज़ी से विकसित नहीं होतीं।
- गलत विकल्प: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से जुड़े थे; इमाइल दुर्खीम ने समाजशास्त्र में सामाजिक तथ्यों और एकता के बारे में लिखा; ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद पर जोर दिया।
प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में अलगाव (Alienation) के कितने मुख्य रूप हैं?
- दो
- तीन
- चार
- पांच
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिकों के अलगाव के चार मुख्य रूपों की पहचान की: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, जब श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद को अपना नहीं मानते, उत्पादन प्रक्रिया पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता, वे अपनी रचनात्मक क्षमता से वंचित हो जाते हैं, और प्रतिस्पर्धा के कारण दूसरों से अलग-थलग पड़ जाते हैं, तो वे अलगाव का अनुभव करते हैं। यह अलगाव पूंजीवाद की एक अंतर्निहित विशेषता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने इन चार रूपों को विस्तार से समझाया है; दो, तीन या पांच रूपों का उल्लेख नहीं किया है।
प्रश्न 3: निम्न में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण की ‘प्रकार्यात्मक सिद्धांत’ (Functional Theory) की मुख्य प्रतिपादक हैं?
- कार्ल मार्क्स
- किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यात्मक सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक हैं। उन्होंने तर्क दिया कि स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक और कार्यात्मक है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनके अनुसार, समाज को यह सुनिश्चित करना होता है कि महत्वपूर्ण और कठिन पदों के लिए सबसे योग्य लोग आकर्षित हों। इसके लिए, इन पदों के साथ उच्च पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा, शक्ति) जुड़े होने चाहिए, जो एक स्तरीकृत प्रणाली को जन्म देता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और असमानता को पूंजीवाद की आलोचना के रूप में देखा; मैक्स वेबर ने शक्ति, प्रतिष्ठा और वर्ग के आयामों पर स्तरीकरण की व्याख्या की; रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और नगरीय समाजशास्त्र पर काम किया।
प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया “संसारिकरण” (Sanskritization) शब्द किससे संबंधित है?
- आधुनिक पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना
- उच्च जातियों की प्रथाओं और अनुष्ठानों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- जाति व्यवस्था का समाप्त होना
- ग्रामीण क्षेत्रों में शहरीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 5: किसने “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) को “लोगों पर बाहरी होने और उनके व्यवहार को नियंत्रित करने वाली शक्तियों” के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: इमाइल दुर्खीम, समाजशास्त्र के संस्थापक पिताओं में से एक, ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा को सबसे प्रमुखता से विकसित किया। उन्होंने इन्हें “बाहरी, बाध्यकारी” और “सामूहिक चेतना” के उत्पाद के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में, उन्होंने तर्क दिया कि समाजशास्त्र को सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए, जिन्हें वस्तुओं की तरह माना जाना चाहिए। ये सामाजिक तथ्य व्यक्तिगत चेतना से स्वतंत्र होते हैं और व्यक्तियों पर दबाव डालते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया; मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और उसके अर्थ पर ज़ोर दिया; हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक सादृश्य का उपयोग किया।
प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?
- समाज के बड़े पैमाने पर संरचनाएँ
- व्यक्तिगत स्तर पर होने वाली अंतःक्रियाएँ और अर्थ निर्माण
- शक्ति और प्रभुत्व के पैटर्न
- सामाजिक संस्थानों का प्रकार्यात्मक विश्लेषण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख प्रस्तावक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन हैं, इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति किस प्रकार अर्थ बनाने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) का उपयोग करके एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि समाज व्यक्तिपरक अर्थों और प्रतीकों से निर्मित होता है, और यह अर्थ सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से लगातार बनाए और संशोधित किए जाते हैं। हमारी स्वयं की छवि और सामाजिक वास्तविकता इसी अंतःक्रिया से उत्पन्न होती है।
- गलत विकल्प: (a) प्रकार्यात्मकता (Functionalism) और संरचनात्मक मार्क्सवाद (Structural Marxism) का विषय है; (c) मार्क्सवाद और शक्ति सिद्धांत से संबंधित है; (d) प्रकार्यात्मकता (Functionalism) का विषय है।
प्रश्न 7: जाति व्यवस्था में “विवाह” (Marriage) से संबंधित कौन सा नियम सर्वाधिक महत्वपूर्ण है?
- समजातीय विवाह (Endogamy)
- विजातीय विवाह (Exogamy)
- पोटलैट (Potlatch)
- समरक्त विवाह (Consanguineous Marriage)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था में “समजातीय विवाह” (Endogamy) का अर्थ है कि विवाह अपनी ही जाति के भीतर किया जाना चाहिए। यह जाति की सीमाओं को बनाए रखने का सबसे महत्वपूर्ण नियम है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए, विवाह का क्षेत्र सामान्यतः जाति के उप-समूहों (sub-castes) तक सीमित होता है। इसके विपरीत, विजातीय विवाह (Exogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने गोत्र (gotra) या कुल (lineage) के बाहर विवाह करना होता है, जो जाति के भीतर एक और नियम है, लेकिन समजातीय विवाह जाति की प्राथमिक सीमा तय करता है।
- गलत विकल्प: (b) विजातीय विवाह (Exogamy) जाति के भीतर होता है, जो गोत्र जैसी इकाइयों के बाहर विवाह का नियम है; (c) पोटलैट उत्तर-पश्चिमी प्रशांत तट के स्वदेशी लोगों की एक अनुष्ठानिक दावत और उपहार-विनिमय की प्रथा है; (d) समरक्त विवाह (Consanguineous Marriage) निकट संबंधी के साथ विवाह है।
प्रश्न 8: किस समाजशास्त्री ने “नॉर्म्स” (Norms) को उन सामाजिक नियमों के रूप में परिभाषित किया है जो व्यवहार के स्वीकृत पैटर्न का मार्गदर्शन करते हैं?
- डेविड ई. लिपसेट
- टैल्कॉट पार्सन्स
- एल्कुर्ट सी. ग्रिफिथ्स
- रॉबर्ट एम. मैकायवर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स, संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख व्यक्ति, ने “नॉर्म्स” को समाज के कामकाज के लिए आवश्यक माना। उनके अनुसार, नॉर्म्स व्यक्तियों के व्यवहार को निर्देशित करते हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सामाजिक मानदंडों (norms), मूल्यों (values) और भूमिकाओं (roles) के एकीकरण पर जोर दिया। नॉर्म्स बताते हैं कि एक विशेष स्थिति में व्यक्ति से क्या अपेक्षित है।
- गलत विकल्प: डेविड ई. लिपसेट ने सामाजिक गतिशीलता पर काम किया; एल्कुर्ट सी. ग्रिफिथ्स का संबंध ‘डिजाइन थिंकिंग’ से है; रॉबर्ट एम. मैकायवर ने समुदाय और समाज की अवधारणाओं पर विस्तार से लिखा।
प्रश्न 9: “आदिम समाज” (Primitive Society) के अध्ययन में किस पद्धति को अक्सर अपनाया जाता है?
- मात्रात्मक सर्वेक्षण
- सांख्यिकीय विश्लेषण
- नृवंशविज्ञान (Ethnography)
- मनोवैज्ञानिक प्रयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: नृवंशविज्ञान (Ethnography) वह गुणात्मक अनुसंधान पद्धति है जिसमें शोधकर्ता अध्ययन किए जा रहे समूह के साथ लंबे समय तक रहता है, उनकी संस्कृति, सामाजिक जीवन और व्यवहार का प्रत्यक्ष अवलोकन करता है। यह “आदिम” या गैर-पश्चिमी समाजों के अध्ययन के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
- संदर्भ और विस्तार: इस पद्धति के माध्यम से, मानवशास्त्री और समाजशास्त्री किसी संस्कृति की बारीकियों, विश्वासों और प्रथाओं को गहराई से समझ पाते हैं, जैसे कि मैलिनोवस्की का टरोब्रियंड द्वीपवासियों का अध्ययन।
- गलत विकल्प: मात्रात्मक सर्वेक्षण (Quantitative Survey) और सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis) बड़े पैमाने पर डेटा पर लागू होते हैं, जो अक्सर प्रत्यक्ष अवलोकन की गहराई प्रदान नहीं करते; मनोवैज्ञानिक प्रयोग (Psychological Experiments) व्यक्ति की मानसिकता पर केंद्रित होते हैं।
प्रश्न 10: ‘आत्म’ (Self) और ‘समाज’ (Society) के बीच संबंध को समझने के लिए जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने किस प्रमुख प्रक्रिया का वर्णन किया?
- सांस्कृतिक प्रसार
- सामाजिक नियंत्रण
- भूमिका ग्रहण (Role-Taking)
- पदानुक्रमिक संरचना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने “भूमिका ग्रहण” (Role-Taking) की प्रक्रिया को महत्वपूर्ण बताया, जिसके माध्यम से व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाना सीखते हैं और इस तरह अपने ‘आत्म’ (Self) का विकास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, बच्चा पहले ‘गेम स्टेज’ में अन्य विशिष्ट व्यक्तियों की भूमिकाएँ ग्रहण करना सीखता है, और फिर ‘प्ले स्टेज’ में “सामान्यीकृत अन्य” (Generalized Other) की भूमिकाएँ ग्रहण करना सीखता है, जो पूरे समाज के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रक्रिया से ही आत्म-चेतना और समाज की समझ विकसित होती है।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक प्रसार (Cultural Diffusion) संस्कृतियों के बीच विचारों और प्रथाओं के हस्तांतरण से संबंधित है; सामाजिक नियंत्रण (Social Control) समाज द्वारा नियमों को लागू करने की प्रक्रिया है; पदानुक्रमिक संरचना (Hierarchical Structure) शक्ति और स्थिति के वितरण से संबंधित है।
प्रश्न 11: किस समाजशास्त्री ने ‘अनुष्ठानिक विचलन’ (Ritualism) को ‘एकीकरण’ (Conformity) और ‘अभिनववाद’ (Innovation) के साथ एक अनुकूली पैटर्न के रूप में पहचाना?
- रॉबर्ट के. मर्टन
- ऑगस्ट कॉम्टे
- हरबर्ट ब्लूमर
- कार्ल मैनहाइम
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट के. मर्टन ने अपनी “अनोमी” (Anomie) की अवधारणा के विस्तार में, सामाजिक लक्ष्यों और संरचनात्मक साधनों के बीच विसंगतियों के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में पाँच अनुकूली पैटर्न (Modes of Adaptation) प्रस्तुत किए: अनुरूपता (Conformity), नयाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पतन (Retreatism) और विद्रोह (Rebellion)। ‘अनुष्ठानवाद’ वह स्थिति है जब व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्यों को छोड़ देता है लेकिन संस्थागत साधनों का पालन करता रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन के अनुसार, अनुष्ठानवादी लोग नियमों और विनियमों के पालन पर इतना अधिक ध्यान केंद्रित कर देते हैं कि वे मूल लक्ष्यों को भूल जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक नौकरशाह जो केवल नियमों का पालन करता है, भले ही वे किसी भी तरह से उपयोगी न हों।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद का सिद्धांत दिया; हरबर्ट ब्लूमर ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद को गढ़ा; कार्ल मैनहाइम ने ज्ञान समाजशास्त्र (Sociology of Knowledge) पर काम किया।
प्रश्न 12: “धर्म सामाजिक एकजुटता का एक एकीकृत तंत्र है” – यह किस समाजशास्त्री का विचार है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: इमाइल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “धर्म के प्राथमिक रूप” (The Elementary Forms of Religious Life) में तर्क दिया कि धर्म एक सामाजिक घटना है और समाज की एकता व सामूहिकता की भावना को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, धर्म सामूहिक अनुष्ठानों के माध्यम से समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों और प्रतीकों को सुदृढ़ करता है, जिससे उनमें एकता और अपनेपन की भावना आती है। यह सामाजिक सामंजस्य (Social Cohesion) को बढ़ाता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स धर्म को “जनता की अफीम” मानते थे, जो सामाजिक नियंत्रण का एक साधन है; मैक्स वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध का विश्लेषण किया; सी. राइट मिल्स ने शक्ति अभिजात वर्ग (Power Elite) की अवधारणा दी।
प्रश्न 13: भारत में ‘धार्मिक पुनरुत्थान’ (Religious Revivalism) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
- यह आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण की प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है।
- यह अक्सर सामाजिक और राजनीतिक पहचान को मजबूत करने का कार्य करता है।
- यह हमेशा पारंपरिक धर्मग्रंथों और प्रथाओं पर पूर्ण वापसी का अर्थ है।
- यह सामाजिक परिवर्तन की एक जटिल प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जबकि धार्मिक पुनरुत्थान अक्सर आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण की प्रतिक्रिया के रूप में उभरता है और सामाजिक-राजनीतिक पहचान को मजबूत करता है, यह आवश्यक नहीं है कि यह हमेशा पारंपरिक धर्मग्रंथों और प्रथाओं पर *पूर्ण* वापसी का अर्थ हो। यह अक्सर पारंपरिक और आधुनिक तत्वों का एक मिश्रण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: कई बार, पुनरुत्थानवादी आंदोलन अपनी व्याख्याओं में आधुनिकरण या राष्ट्रीयता को शामिल कर सकते हैं, जिससे यह विशुद्ध रूप से अतीत की ओर वापसी नहीं रह जाता। यह एक गतिशील प्रक्रिया है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) धार्मिक पुनरुत्थान के संदर्भ में सही कथन हैं।
प्रश्न 14: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा को मुख्य रूप से समाजशास्त्र के किस दृष्टिकोण में महत्व दिया जाता है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता (Structural Functionalism)
- नृवंशविज्ञान (Ethnography)
- जीवन वृत्तांत (Life History)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संरचना, जिसमें समाज के अपेक्षाकृत स्थिर पैटर्न, संस्थाएँ और समूहों के बीच संबंध शामिल हैं, संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता (Structural Functionalism) जैसे दृष्टिकोणों का केंद्रीय विषय है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स और मर्टन जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों ने समाज को विभिन्न परस्पर संबंधित भागों (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) से बनी एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा, जो एक संपूर्ण के रूप में कार्य करते हैं। ये संरचनाएँ समाज के कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं और अर्थों पर केंद्रित है; नृवंशविज्ञान और जीवन वृत्तांत व्यक्तिगत अनुभव और सांस्कृतिक विवरण पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
प्रश्न 15: भारत में, “डिजिटल इंडिया” जैसी पहलें किस प्रकार के सामाजिक परिवर्तन का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं?
- सांस्कृतिक विचलन
- प्रौद्योगिकी-प्रेरित परिवर्तन
- सामूहिकता का क्षरण
- पारंपरिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: “डिजिटल इंडिया” जैसी पहलें स्पष्ट रूप से प्रौद्योगिकी-प्रेरित सामाजिक परिवर्तन का उदाहरण हैं, जो संचार, शिक्षा, शासन और आर्थिक गतिविधियों के तरीकों को गहराई से प्रभावित कर रही हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी को अपनाकर नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने और सेवाओं को अधिक कुशल बनाने का प्रयास है। यह दर्शाता है कि कैसे तकनीकी नवाचार सामाजिक संरचनाओं और प्रथाओं को बदल सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक विचलन (Cultural Deviation) स्वीकृत मानदंडों से विचलन है; (c) सामूहिकता का क्षरण (Erosion of Collectivism) एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से यह परिवर्तन प्रौद्योगिकी से प्रेरित है; (d) पारंपरिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण (Strengthening of Traditional Institutions) आवश्यक रूप से इन पहलों का प्राथमिक उद्देश्य नहीं है, बल्कि परिवर्तन लाना है।
प्रश्न 16: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा का श्रेय किस समाजशास्त्री को दिया जाता है?
- पियरे बॉर्डियु
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का श्रेय पियरे बॉर्डियु, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पटनम तीनों को दिया जाता है, जिन्होंने इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से विकसित और लोकप्रिय बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियु ने इसे संसाधनों के एक समूह के रूप में देखा जो सामाजिक नेटवर्क से प्राप्त होते हैं; जेम्स कॉलमैन ने इसे “साझा लक्ष्यों, उद्देश्यों और आपसी समझ के लिए लोगों के बीच संबंध” के रूप में देखा, जो सामाजिक संरचनाओं से उत्पन्न होता है; रॉबर्ट पटनम ने इसे “सामाजिक नेटवर्क, उनके साथ आने वाली एकजुटता, विश्वास और सहयोग” के रूप में परिभाषित किया, जो नागरिक सहभागिता के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 17: ‘अनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जैसा कि दुर्खीम ने प्रयोग किया, का क्या अर्थ है?
- सामाजिक मानदंडों का कमजोर पड़ना या अनुपस्थिति
- अति-नियमन (Over-regulation)
- वर्ग संघर्ष की स्थिति
- व्यक्तिगत अलगाव
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: इमाइल दुर्खीम के अनुसार, ‘अनोमी’ (Anomie) एक ऐसी स्थिति है जिसमें समाज में स्पष्ट और स्वीकृत सामाजिक मानदंड या नियम नहीं होते, या वे कमजोर पड़ जाते हैं। इससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे विशेष रूप से उन समाजों में देखा जहाँ तीव्र सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हो रहे थे, जिससे पारंपरिक नियम अप्रचलित हो गए और नए नियम स्थापित नहीं हुए थे। यह आत्महत्या की दर को बढ़ाने वाले कारकों में से एक था। (रॉबर्ट मर्टन ने भी इस अवधारणा का उपयोग किया, लेकिन उनके संदर्भ में यह सांस्कृतिक लक्ष्यों और संरचनात्मक साधनों के बीच असंतुलन से जुड़ा था।)
- गलत विकल्प: (b) अति-नियमन (Over-regulation) ‘totalitarianism’ या ‘totalitarian’ समाजों की विशेषता हो सकती है; (c) वर्ग संघर्ष (Class Conflict) मार्क्स की अवधारणा है; (d) व्यक्तिगत अलगाव (Individual Alienation) मार्क्स की अवधारणा है, हालाँकि अनोमी भी अलगाव को जन्म दे सकती है।
प्रश्न 18: किस भारतीय समाजशास्त्री ने ‘भारतीय ग्राम’ (Indian Village) को एक ‘लघु-विश्व’ (Little World) के रूप में वर्णित किया, जिसमें विस्तृत सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक जटिलताएँ होती हैं?
- एम.एन. श्रीनिवास
- एस.सी. दुबे
- रामकृष्ण मुखर्जी
- इरावती कर्वे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 19: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- किसी व्यक्ति को समाज द्वारा निर्धारित भूमिकाओं का पालन करने में कठिनाई होती है।
- किसी व्यक्ति को एक ही समय में विभिन्न भूमिकाओं से जुड़ी परस्पर विरोधी अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है।
- किसी व्यक्ति को उसकी वर्तमान भूमिका से बाहर निकाल दिया जाता है।
- समाज में भूमिकाओं का वितरण असमान होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब होता है जब किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह एक ही समय में दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी भूमिकाएँ निभाए, या एक ही भूमिका के भीतर परस्पर विरोधी अपेक्षाओं को पूरा करे।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति एक ही समय में एक प्रबंधक, एक माता-पिता और एक बेटे की भूमिका निभा रहा हो, और इन भूमिकाओं से जुड़ी अपेक्षाएँ कभी-कभी टकराव में आ सकती हैं (जैसे, काम के दौरान बच्चे का बीमार होना)।
- गलत विकल्प: (a) भूमिका तनाव (Role Strain) का वर्णन करता है; (c) भूमिका बहिष्करण (Role Exclusion) या निष्कासन का वर्णन करता है; (d) भूमिका वितरण (Role Allocation) असमानता का वर्णन करता है।
प्रश्न 20: “संस्थाएं” (Institutions) समाज में मुख्य रूप से क्या कार्य करती हैं?
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना
- स्थिरता, पूर्वानुमान और सामाजिक व्यवस्था प्रदान करना
- नवीन विचारों को फैलाना
- समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) समाज के कामकाज के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे और नियम प्रदान करती हैं। वे व्यवहार के स्थापित पैटर्न, अपेक्षाएँ और मानदंड निर्धारित करती हैं, जिससे समाज में स्थिरता, पूर्वानुमान और व्यवस्था बनी रहती है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्थाएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि समाज के सदस्यों के पास एक साझा ढाँचा हो जिसके भीतर वे काम कर सकें, सामाजिक उद्देश्यों को पूरा कर सकें और अनिश्चितता को कम कर सकें।
- गलत विकल्प: (a) संस्थाएँ स्वतंत्रता को सीमित कर सकती हैं, लेकिन उनका प्राथमिक कार्य व्यवस्था बनाए रखना है; (c) नवीन विचारों को फैलाना संस्थानों का द्वितीयक कार्य हो सकता है, लेकिन प्राथमिक नहीं; (d) प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना कुछ संस्थानों का परिणाम हो सकता है, लेकिन यह उनका मुख्य कार्य नहीं है।
प्रश्न 21: “जाति आधारित उत्पीड़न” (Caste-based Oppression) के अध्ययन में, निम्नलिखित में से किस शब्द का प्रयोग दलित समुदायों द्वारा सामना किए जाने वाले सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव के लिए किया जाता है?
- संसारिकरण
- ब्राह्मणीकरण
- अस्पृश्यता
- जातीयता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: “अस्पृश्यता” (Untouchability) वह ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक प्रथा है जिसने दलित समुदायों को समाज से बहिष्कृत और अपमानित किया है, उन्हें सार्वजनिक स्थानों, जल स्रोतों और मंदिरों के उपयोग से वंचित रखा है, और उनसे छुआछूत का व्यवहार किया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय जाति व्यवस्था का एक अत्यंत दमनकारी पहलू रहा है, जिसने सदियों से दलितों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- गलत विकल्प: (a) संसारिकरण (Sanskritization) उच्च जातियों की प्रथाओं को अपनाने की प्रक्रिया है; (b) ब्राह्मणीकरण (Brahmanization) ब्राह्मणवादी मूल्यों को अपनाने की प्रक्रिया है; (d) जातीयता (Ethnicity) सांस्कृतिक समूह की पहचान से संबंधित है।
प्रश्न 22: हर्बर्ट स्पेंसर के सामाजिक विकास के सिद्धांत में, वे किस जैविक अवधारणा का उपयोग करते हैं?
- कृत्रिम चयन (Artificial Selection)
- प्राकृतिक चयन (Natural Selection)
- उत्तरजीविता (Survival)
- विकासवाद (Evolution)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: हर्बर्ट स्पेंसर, एक ब्रिटिश समाजशास्त्री, ने समाज के विकास को समझाने के लिए चार्ल्स डार्विन के “प्राकृतिक चयन” (Natural Selection) के सिद्धांत को सामाजिक क्षेत्र में लागू किया, जिसे ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर का मानना था कि समाज भी सरल, सजातीय अवस्थाओं से अधिक जटिल, विषम अवस्थाओं की ओर विकसित होता है, और इस प्रक्रिया में “सबसे योग्य का अस्तित्व” (Survival of the Fittest) का सिद्धांत लागू होता है। उन्होंने समाज को एक जीवित जीव के समान माना।
- गलत विकल्प: (a) कृत्रिम चयन (Artificial Selection) पालतू जानवरों या पौधों के प्रजनन में मनुष्यों द्वारा किया जाता है; (c) उत्तरजीविता (Survival) प्राकृतिक चयन का परिणाम है, लेकिन सिद्धांत का मूल नाम प्राकृतिक चयन है; (d) विकासवाद (Evolution) एक सामान्य शब्द है, लेकिन स्पेंसर ने विशेष रूप से प्राकृतिक चयन को आधार बनाया।
प्रश्न 23: “सामाजीकरण” (Socialization) की प्रक्रिया में, परिवार की भूमिका को किस रूप में समझा जाता है?
- अनौपचारिक सामाजीकरण के द्वितीयक अभिकर्ता के रूप में
- प्राथमिक अभिकर्ता के रूप में
- अनौपचारिक सामाजीकरण के प्राथमिक अभिकर्ता के रूप में
- औपचारिक सामाजीकरण के द्वितीयक अभिकर्ता के रूप में
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: परिवार को सामाजीकरण के “प्राथमिक अभिकर्ता” (Primary Agent) के रूप में जाना जाता है। यह वह पहला समूह है जिसके संपर्क में व्यक्ति आता है, जहाँ वह भाषा, बुनियादी मूल्य, विश्वास और सामाजिक व्यवहार के प्रारंभिक नियम सीखता है। यह अनौपचारिक होता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्कूल, मीडिया और साथियों के समूह को सामाजीकरण के “द्वितीयक अभिकर्ताओं” (Secondary Agents) के रूप में देखा जाता है, जो प्रारंभिक सीख को परिष्कृत और विस्तारित करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (d) गलत हैं क्योंकि परिवार प्राथमिक अभिकर्ता है और यह अनौपचारिक होता है; (b) गलत है क्योंकि यह ‘अनौपचारिक’ शब्द को छोड़ देता है, जो परिवार की सामाजीकरण भूमिका का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
प्रश्न 24: नगरीय समाजशास्त्र (Urban Sociology) के संदर्भ में, लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने शहरी जीवन की तीन मुख्य विशेषताओं का वर्णन किया है, जो निम्न में से कौन सी हैं?
- विशालता, घनत्व और सामाजिक विविधता (Heterogeneity)
- सामूहिकता, एकरूपता और कृषि अर्थव्यवस्था
- औद्योगीकरण, औपचारिकता और अलगाव
- विखंडन, असंतुलन और तकनीकी प्रगति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लुईस विर्थ ने अपने प्रसिद्ध निबंध “शहरीता एक जीवन शैली के रूप में” (Urbanism as a Way of Life) में शहर को तीन मुख्य भौतिक और जनसांख्यिकीय विशेषताओं के आधार पर परिभाषित किया: विशालता (Size), घनत्व (Density) और सामाजिक विविधता (Heterogeneity)।
- संदर्भ और विस्तार: विर्थ के अनुसार, ये विशेषताएँ शहरी जीवन की विशिष्ट मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संरचना को जन्म देती हैं, जैसे कि सतही संबंध, औपचारिकता, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ-साथ अलगाव की भावना।
- गलत विकल्प: (b) ग्रामीण जीवन की विशेषताओं का वर्णन करता है; (c) शहरी जीवन के कुछ परिणाम हो सकते हैं, लेकिन ये विर्थ द्वारा परिभाषित मूलभूत विशेषताएँ नहीं हैं; (d) शहरी जीवन के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन ये विर्थ के मूल तर्क का हिस्सा नहीं हैं।
प्रश्न 25: “राजनीतिक आधुनिकीकरण” (Political Modernization) की प्रक्रिया में, निम्नलिखित में से कौन सी एक प्रमुख विशेषता नहीं है?
- लोकप्रिय भागीदारी में वृद्धि
- कार्यकारी शक्ति का विस्तार
- उच्च स्तर का सामाजिक और आर्थिक एकीकरण
- राष्ट्र-राज्य का समेकन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में आम तौर पर लोकप्रिय भागीदारी में वृद्धि, सामाजिक-आर्थिक एकीकरण का उच्च स्तर और राष्ट्र-राज्य का समेकन शामिल होता है। जबकि कार्यकारी शक्ति (Executive Power) का विस्तार हो सकता है, यह प्रक्रिया की मुख्य *विशेषता* या परिभाषित तत्व के बजाय एक संभावित *परिणाम* हो सकता है, और कभी-कभी यह केंद्रीकरण से जुड़ा हो सकता है जो लोकतांत्रिक आधुनिकीकरण के विरुद्ध जा सकता है। मुख्य जोर अक्सर प्रतिनिधित्व और एकीकरण पर होता है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण को अक्सर पारंपरिक, सत्तावादी शासनों से आधुनिक, उत्तरदायी और सहभागी राजनीतिक व्यवस्थाओं की ओर एक परिवर्तन के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) राजनीतिक आधुनिकीकरण की स्थापित विशेषताएँ हैं। कार्यकारी शक्ति का विस्तार (b) आधुनिकीकरण के साथ हो भी सकता है और नहीं भी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आधुनिकीकरण कैसे होता है (उदाहरण के लिए, सत्तावादी आधुनिकीकरण में यह मुख्य हो सकता है, लेकिन लोकतांत्रिक आधुनिकीकरण में प्रतिनिधित्व पर अधिक ज़ोर होगा)। इसलिए, यह कम निश्चित विशेषता है।