संकल्पनाओं पर विजय: आज का समाजशास्त्र महा-अभ्यास!
प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं के जिज्ञासु विद्वानों, आज समाजशास्त्र की दुनिया में आपकी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने का दिन है! आइए, अपनी तैयारी को एक नई ऊँचाई दें और आज के 25 चुनिंदा प्रश्नों के साथ ज्ञान की एक गहन यात्रा पर निकलें।
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन की मुख्य इकाई माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम को ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा का जनक माना जाता है। उन्होंने इसे समाजशास्त्र की मुख्य अध्ययन इकाई के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में सामाजिक तथ्यों को ‘बाह्य, बाध्यकारी और सामान्य’ माना है। ये व्यक्तियों के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को आकार देते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ पर बल दिया, मैक्स वेबर ने ‘क्रिया’ और ‘समझ’ (Verstehen) पर, और जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘अभिमत’ (anomie) की अवधारणा से सर्वाधिक जुड़ा हुआ है, जिसका संबंध सामाजिक मानदंडों के ढीले पड़ने या अनुपस्थित होने से है?
- टेल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- एमिल दुर्खीम
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अभिमत’ (anomie) की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ व्यक्तिगत उद्देश्यों को नियंत्रित करने वाले कोई स्पष्ट सामाजिक मानदंड नहीं होते, जिससे व्यक्ति में दिशाहीनता की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में इसका उल्लेख किया। वे इसे अपराध और आत्महत्या दर में वृद्धि का कारण मानते हैं।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अभिमत’ को ‘संस्कृति’ और ‘संरचना’ के बीच विसंगति के रूप में विस्तारित किया। टेल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया। सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण से संबंधित हैं।
प्रश्न 3: मैकियावेली ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द प्रिंस’ में किस प्रकार की शक्ति और शासन का विश्लेषण किया?
- नैतिक और आदर्शवादी
- व्यावहारिक और अवसरवादी
- लोकतांत्रिक और सहभागी
- समाजवादी और समतावादी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैकियावेली ने ‘द प्रिंस’ में शासकों के लिए सत्ता हासिल करने और उसे बनाए रखने हेतु एक व्यावहारिक, यथार्थवादी और कभी-कभी अवसरवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने नैतिकता को राजनीति से अलग करने का प्रयास किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक राजनीतिक यथार्थवाद (political realism) का एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ शासक को राज्य की स्थिरता के लिए आवश्यकता पड़ने पर क्रूरता या धोखे का सहारा लेने की सलाह दी गई है।
- गलत विकल्प: यह पुस्तक किसी भी तरह से नैतिक, लोकतांत्रिक, सहभागी, समाजवादी या समतावादी आदर्शों पर आधारित नहीं है, बल्कि शक्ति-केंद्रित और यथार्थवादी राजनीति का चित्रण करती है।
प्रश्न 4: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (cultural lag) की अवधारणा किसने विकसित की, जो समाज में विभिन्न सांस्कृतिक तत्वों के भिन्न-भिन्न गति से परिवर्तित होने की ओर इशारा करती है?
- अल्बर्ट सांचेज़
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- चार्ल्स हॉटन कूले
- इरावती कर्वे
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलियम एफ. ओग्बर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा बताती है कि किसी समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, कानून, प्रथाएं) से अधिक तेज़ी से बदलती है। इस अंतर से समाज में तनाव और समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: अल्बर्ट सांचेज़ एक लेखक हैं, चार्ल्स हॉटन कूले ने ‘looking-glass self’ की अवधारणा दी, और इरावती कर्वे भारतीय समाजशास्त्री थीं जो नातेदारी व्यवस्था पर काम करती थीं।
प्रश्न 5: जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘सक्रिय अनुष्ठानिक वरिष्ठता’ (active ritualistic superiority) का सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया, जो किसी जाति की ऊँची स्थिति को उसकी अनुष्ठानिक शुद्धता और वर्चस्व के रूप में देखता है?
- ई. ई. ईवांस-प्रिचर्ड
- जी. एस. घुरिये
- एम. एन. श्रीनिवास
- इरफान हबीब
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में ‘सक्रिय अनुष्ठानिक वरिष्ठता’ (active ritualistic superiority) जैसी संकल्पनाओं का प्रयोग किया, जो न केवल जाति के पदानुक्रम को बल्कि उसके अनुष्ठानिक वर्चस्व को भी समझने में मदद करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने ‘Coorgs of South India’ जैसे अध्ययनों में जाति की गतिशीलता और अनुष्ठानों के महत्व पर प्रकाश डाला। यद्यपि यह सटीक शब्द उनके द्वारा गढ़ा गया नहीं हो सकता है, लेकिन यह उनके द्वारा किए गए जाति की अनुष्ठानिक और प्रभुत्वशाली प्रकृति के विश्लेषण को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: ई. ई. ईवांस-प्रिचर्ड नृविज्ञान में टोटेमिज़्म पर काम करते थे, जी. एस. घुरिये जाति पर महत्वपूर्ण काम किया लेकिन उनकी भाषा थोड़ी भिन्न थी, और इरफान हबीब एक इतिहासकार हैं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (symbolic interactionism) के विकास से प्रमुख रूप से जुड़ा है?
- हरबर्ट ब्लूमर
- इमाइल दुर्खीम
- ताल्कोट पार्सन्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरबर्ट ब्लूमर को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रस्तावक माना जाता है। उन्होंने इस सिद्धांत को एक सुसंगत ढाँचा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों को आगे बढ़ाया और प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के तीन मूल सिद्धांतों का प्रतिपादन किया: (1) मनुष्य अपने व्यवहार के लिए उन चीज़ों को संबोधित करते हैं जो चीज़ों के लिए उनके पास होते हैं, (2) इन चीज़ों का अर्थ उन अंतःक्रियाओं से उत्पन्न होता है जो हम दूसरों के साथ करते हैं, और (3) इन अर्थों को एक व्याख्यात्मक प्रक्रिया द्वारा उपयोग और संशोधित किया जाता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम, पार्सन्स और वेबर प्रमुख रूप से प्रकार्यवाद (functionalism) और व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) से जुड़े हैं, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से नहीं।
प्रश्न 7: ‘सामाजीकरण’ (socialization) की प्रक्रिया के संबंध में, ‘माध्यमिक सामाजीकरण’ (secondary socialization) का अर्थ क्या है?
- बचपन में परिवार द्वारा सिखाए गए मूल्य और व्यवहार।
- वयस्कता में नए समूहों या संस्थाओं (जैसे कार्यस्थल, स्कूल) में अनुकूलन।
- जन्म के समय अर्जित बुनियादी जैविक प्रवृत्ति।
- सहकर्मी समूह द्वारा सिखाए गए अनौपचारिक नियम।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: माध्यमिक सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के बाद के चरणों में, विशेष रूप से वयस्कता में, नए वातावरण, समूहों या संस्थाओं के अनुरूप ढलना सीखता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें स्कूल, कार्यस्थल, धार्मिक संस्थान, या सहकर्मी समूह जैसी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह प्राथमिक सामाजीकरण (जो परिवार द्वारा किया जाता है) का पूरक है।
- गलत विकल्प: (a) प्राथमिक सामाजीकरण है। (c) जैविक प्रवृत्ति है, सामाजीकरण नहीं। (d) सहकर्मी समूह माध्यमिक सामाजीकरण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूर्ण परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 8: भारत में, ___________ की अवधारणा को एम. एन. श्रीनिवास ने प्रस्तुत किया, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है ताकि सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त की जा सके।
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- संस्कृतीकरण (Sanskritization)
- शहरीकरण (Urbanization)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा को सर्वप्रथम अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें निम्न जातियों या समुदायों के लोग उच्च जातियों की जीवन शैली, पूजा पद्धति, खान-पान और सामाजिक व्यवहार को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण विदेशी (विशेषकर पश्चिमी) संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। शहरीकरण ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के स्थानांतरण को दर्शाता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रकारवाद’ (functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक थे, जिन्होंने समाज को एक जैविक जीव के समान देखा जहाँ विभिन्न अंग (संस्थाएं) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हरबर्ट स्पेंसर को अक्सर समाजशास्त्रीय प्रकारवाद के शुरुआती प्रस्तावक के रूप में उद्धृत किया जाता है। उन्होंने समाज की तुलना एक जैविक जीव से की।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर के अनुसार, जैसे एक जीव के विभिन्न अंग (हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क) विशिष्ट कार्य करते हैं और जीवित रहने के लिए आवश्यक हैं, उसी प्रकार समाज की विभिन्न संस्थाएं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) भी समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए विशिष्ट कार्य करती हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत से, मैक्स वेबर व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से, और दुर्खीम (हालांकि वे भी प्रकार्यवाद से जुड़े हैं) सामाजिक तथ्यों और अभिमत से अधिक जुड़े हैं। स्पेंसर को प्रारंभिक प्रकार्यवाद का प्रमुख व्यक्ति माना जाता है।
प्रश्न 10: ‘अभिजात वर्ग के परिभ्रमण’ (circulation of elites) का सिद्धांत किसने दिया, जिसके अनुसार समाज में शक्ति और प्रतिष्ठा का हस्तांतरण अभिजात वर्गों के बीच होता रहता है?
- विलफ्रेडो पैरेटो
- गैतानो मोस्का
- रॉबर्ट मिशेल्स
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलफ्रेडो पैरेटो ने ‘अभिजात वर्ग के परिभ्रमण’ (circulation of elites) का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
- संदर्भ और विस्तार: पैरेटो का मानना था कि समाज हमेशा ‘अभिजात’ (rulers) और ‘जनता’ (ruled) में विभाजित रहता है। अभिजात वर्ग के भीतर दो प्रकार के लोग होते हैं – ‘शेर’ (शेर की तरह साहसी और बलशाली) और ‘लोमड़ी’ (लोमड़ी की तरह चालाक और धूर्त)। जब एक प्रकार का अभिजात वर्ग हावी हो जाता है, तो दूसरा प्रकार का अभिजात वर्ग उसका स्थान ले लेता है, जिससे परिभ्रमण होता है।
- गलत विकल्प: गैतानो मोस्का ने ‘शासक वर्ग’ की बात की, रॉबर्ट मिशेल्स ने ‘लघुगणित का लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) दिया, और सी. राइट मिल्स ने ‘शक्ति अभिजन’ (Power Elite) की अवधारणा दी।
प्रश्न 11: भारत में, ___________ की व्यवस्था जन्म पर आधारित एक कठोर सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली है, जो पेशा, विवाह और सामाजिक अंतःक्रिया को नियंत्रित करती है।
- वर्ग (Class)
- जाति (Caste)
- संपत्ति (Estate)
- अभिजात वर्ग (Elite)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) जन्म पर आधारित एक जटिल और कठोर स्तरीकरण प्रणाली है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, व्यवसाय, विवाह के साथी के चयन और अन्य सामाजिक संबंधों को निर्धारित करती है। यह पूरी तरह से जन्म आधारित है और व्यावसायिक गतिशीलता तथा अंतर-विवाह को प्रतिबंधित करती है।
- गलत विकल्प: वर्ग (Class) मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित होता है और इसमें कुछ हद तक गतिशीलता संभव है। संपत्ति (Estate) सामंती समाजों में पाई जाती थी। अभिजात वर्ग (Elite) शक्ति या प्रभाव वाले छोटे समूह को संदर्भित करता है, न कि पूरी स्तरीकरण प्रणाली को।
प्रश्न 12: ‘अभिज्ञता’ (Alienation) की अवधारणा, जो व्यक्ति के अपने श्रम, उत्पाद, सहकर्मियों और स्वयं से अलगाव की स्थिति का वर्णन करती है, किस प्रमुख सिद्धांतकार से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- ए. एल. क्रोएबर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिकों की ‘अभिज्ञता’ (Alienation) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद से, स्वयं अपने श्रम की प्रक्रिया से, अपनी मानव प्रजाति (species-being) से और अपने साथी मनुष्यों से अलगाव (alienation) महसूस करते हैं, क्योंकि उनके श्रम पर उनका नियंत्रण नहीं होता और वे केवल उत्पादन के साधन बन जाते हैं।
- गलत विकल्प: वेबर नौकरशाही और तर्कसंगतता से, दुर्खीम सामाजिक एकता और अभिमत से, और क्रोएबर संस्कृति के अध्ययन से जुड़े हैं।
प्रश्न 13: समाज को एक ‘महान संतुलन’ (great equilibrium) की ओर अग्रसर होने वाली प्रणाली के रूप में देखने वाले समाजशास्त्री कौन थे, जो अक्सर सामाजिक व्यवस्था (social order) पर बल देते थे?
- राल्फ लिंटन
- अल्फ्रेड रेडक्लिफ-ब्राउन
- टेल्कोट पार्सन्स
- ए. आर. रैडक्लिफ-ब्राउन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टेल्कोट पार्सन्स, एक प्रमुख संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावादी (structural-functionalist) समाजशास्त्री, ने समाज को एक ऐसे तंत्र के रूप में देखा जो संतुलन (equilibrium) बनाए रखने की ओर अग्रसर होता है।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का ‘सामाजिक क्रिया का सिद्धांत’ (Theory of Social Action) और ‘AGIL मॉडल’ बताते हैं कि समाज को जीवित रहने के लिए चार कार्यात्मक आवश्यकताएं पूरी करनी होती हैं: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और अव्यवस्था को बनाए रखना (Latency of Pattern Maintenance)। ये प्रणालियाँ संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: राल्फ लिंटन ने ‘स्थिति’ और ‘भूमिका’ की अवधारणाएँ दीं। रेडक्लिफ-ब्राउन ने संरचनात्मक-प्रकार्यवाद में ‘सामाजिक संरचना’ और ‘कार्य’ पर बल दिया, लेकिन पार्सन्स का संतुलन मॉडल अधिक केंद्रीय था।
प्रश्न 14: ‘प्रतिष्ठा का पदानुक्रम’ (hierarchy of prestige) की अवधारणा, जो सामाजिक स्तरीकरण में आर्थिक स्थिति के अलावा अन्य कारकों (जैसे शिक्षा, व्यवसाय, जीवन शैली) के महत्व पर बल देती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- टी. एच. मार्शल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 15: ‘आत्महत्या’ (Suicide) पर अपने प्रसिद्ध कार्य में, दुर्खीम ने आत्महत्या के विभिन्न प्रकारों को सामाजिक एकता (social solidarity) के स्तरों से जोड़ा। इनमें से कौन सा प्रकार अत्यधिक सामाजिक विनियमन (regulation) के कारण होता है?
- अभिमत आत्महत्या (Anomic Suicide)
- अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide)
- पराश्रित आत्महत्या (Altruistic Suicide)
- नियतात्मक आत्महत्या (Fatalistic Suicide)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: नियतात्मक आत्महत्या (Fatalistic Suicide) अत्यधिक सामाजिक विनियमन (regulation) के कारण होती है, जहाँ व्यक्ति पर अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण होता है और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बिल्कुल नहीं होती।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने चार प्रकार की आत्महत्याएँ बताईं: अहंवादी (कम सामाजिक एकता), अभिमत (कम सामाजिक विनियमन), पराश्रित (अत्यधिक सामाजिक एकता), और नियतात्मक (अत्यधिक सामाजिक विनियमन)। नियतात्मक आत्महत्या दासता या अत्यधिक दमनकारी व्यवस्थाओं में देखी जा सकती है।
- गलत विकल्प: अभिमत आत्महत्या (anomic) अत्यधिक स्वतंत्रता या सामाजिक मानदंडों के अभाव में होती है। अहंवादी आत्महत्या (egoistic) व्यक्तिगत समाज से अलगाव के कारण होती है। पराश्रित आत्महत्या (altruistic) तब होती है जब व्यक्ति समाज के लिए अपना बलिदान देता है (जैसे सैनिक)।
प्रश्न 16: ‘संस्थात्मक पृथक्करण’ (institutionalized separation) की अवधारणा, जो जाति व्यवस्था में अंतर्विवाह (endogamy) के महत्व को रेखांकित करती है, किस समाजशास्त्री के कार्यों में प्रमुखता से मिलती है?
- एल. डुमॉन्ट
- जी. एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
- एम. एन. श्रीनिवास
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जी. एस. घुरिये ने जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में से एक के रूप में ‘संस्थागत पृथक्करण’ (institutionalized separation) का उल्लेख किया, जो मुख्य रूप से अंतर्विवाह (endogamy) के नियम द्वारा सुनिश्चित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: घुरिये के अनुसार, जाति व्यवस्था केवल स्तरीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रत्येक जाति एक अलग इकाई होती है जो अन्य जातियों से सामाजिक, अनुष्ठानिक और व्यावसायिक रूप से पृथक रहती है। अंतर्विवाह इस अलगाव को बनाए रखने का मुख्य तंत्र है।
- गलत विकल्प: डुमॉन्ट ने ‘हाइरार्की’ पर जोर दिया, कर्वे ने नातेदारी पर, और श्रीनिवास ने संस्कृतीकरण और प्रभुत्वशाली जाति पर काम किया। घुरिये का विश्लेषण संस्थागत अलगाव पर अधिक केंद्रित था।
प्रश्न 17: ‘समाज के संरक्षक’ (guardians of tradition) के रूप में पुरोहित वर्ग (Brahminical class) के महत्व पर किसने जोर दिया, जो सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?
- ई. ई. ईवांस-प्रिचर्ड
- लुई डुमॉन्ट
- फ्रेडरिक एंगेल्स
- रॉबर्ट रेडक्लिफ-ब्राउन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लुई डुमॉन्ट ने अपनी कृति ‘Homo Hierarchicus: The Caste System and Its Implications’ में भारतीय समाज को समझने के लिए ‘प्रतिष्ठा’ (prestige) और ‘पवित्रता/अशुद्धता’ (purity/impurity) के आधार पर एक पदानुक्रमित (hierarchical) दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें पुरोहित वर्ग को व्यवस्था का संरक्षक माना गया।
- संदर्भ और विस्तार: डुमॉन्ट के अनुसार, भारतीय समाज धर्म और अनुष्ठान पर आधारित है, जहाँ पुरोहित (ब्राह्मण) धार्मिक ज्ञान और अनुष्ठानों के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था को नियंत्रित और निर्देशित करते हैं। वे विशुद्धता के प्रतीक हैं।
- गलत विकल्प: ईवांस-प्रिचर्ड नृविज्ञान में टोटेमिज़्म पर काम करते थे, एंगेल्स मार्क्सवादी सिद्धांत से जुड़े थे, और रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से।
प्रश्न 18: ‘वर्ग चेतना’ (class consciousness) की अवधारणा, जो श्रमिकों की अपनी साझा नियति और शोषण के प्रति सामूहिक जागरूकता को दर्शाती है, किस सिद्धांतकार से सबसे अधिक जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- टॉल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग चेतना’ (class consciousness) की अवधारणा को पूंजीवाद के विश्लेषण के केंद्र में रखा।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, जब शोषित वर्ग (सर्वहारा) अपने शोषण और उत्पादन के साधनों पर पूंजीपति वर्ग के प्रभुत्व को पहचान लेता है, तो उसमें वर्ग चेतना जागृत होती है। यह चेतना क्रांति का आधार बनती है। मार्क्स ने ‘अपने में वर्ग’ (class-in-itself) और ‘अपने लिए वर्ग’ (class-for-itself) के बीच अंतर भी किया, जहाँ दूसरा वर्ग चेतना से युक्त होता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, स्थिति और शक्ति को तीन अलग-अलग आयामों के रूप में देखा। दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण पर काम किया।
प्रश्न 19: ‘धर्मनिरपेक्षता’ (secularization) की अवधारणा किस सामाजिक प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- सभी धार्मिक अनुष्ठानों का सार्वजनिक जीवन से पूर्ण बहिष्कार।
- समाज में धर्म की भूमिका और प्रभाव में कमी आना।
- राज्य द्वारा सभी धर्मों को समान दर्जा देना।
- धार्मिक सहिष्णुता का बढ़ना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: धर्मनिरपेक्षता (secularization) एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें धर्म का प्रभाव, महत्व और भूमिका धीरे-धीरे सार्वजनिक और निजी जीवन के अधिकांश क्षेत्रों से कम हो जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ यह नहीं है कि धर्म पूरी तरह समाप्त हो जाता है, बल्कि यह राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थाओं से अलग हो जाता है और व्यक्तिगत विश्वास का मामला बन जाता है।
- गलत विकल्प: (a) यह धर्मनिरपेक्षता का एक अतिवादी रूप हो सकता है, लेकिन यह सामान्य परिभाषा नहीं है। (c) यह धर्मनिरपेक्ष राज्य का लक्षण है, न कि स्वयं धर्मनिरपेक्षता की प्रक्रिया। (d) धार्मिक सहिष्णुता धर्मनिरपेक्षता का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया नहीं है।
प्रश्न 20: ‘जटिलता’ (complexity) और ‘ज्ञानोदय’ (enlightenment) की अवधारणाओं का उपयोग करके समाज के विकास को समझाने वाले समाजशास्त्री कौन थे, जिन्होंने सामाजिक विकास के चरणों (जैसे सरल, जटिल, अति-जटिल) का वर्णन किया?
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हर्बर्ट स्पेंसर ने विकास के अपने सिद्धांत में ‘जटिलता’ (complexity) को एक महत्वपूर्ण मानदंड माना। उन्होंने समाज के सरल अवस्था से जटिल और फिर अति-जटिल अवस्थाओं में विकसित होने का वर्णन किया।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर के अनुसार, समाज का विकास सामान्यीकरण (generalization) और विशेषीकरण (specialization) की ओर होता है, जिससे सामाजिक संस्थाओं और कार्यों में जटिलता बढ़ती है। उनका ‘ज्ञानोदय’ (enlightenment) का विचार अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रक्रिया के सकारात्मक पहलू को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर, कॉम्टे ने तीन अवस्थाओं (धार्मिक, तात्विक, प्रत्यक्ष) के सिद्धांत पर, और मार्क्स ने आर्थिक विकास और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 21: भारत में, ‘भू-स्वामी’ (landlord) और ‘कृषि दास’ (agricultural labourer) के बीच संबंध किस समाजशास्त्री ने ‘भू-स्वामी-कृषक संबंध’ (landlord-peasant relations) के अध्ययन के माध्यम से विश्लेषित किया?
- एम. एन. श्रीनिवास
- रैंक कैलिफ्ट
- डेनियल थोर्नर
- इरावती कर्वे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: डेनियल थोर्नर, एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री और इतिहासकार, ने भारत में ग्रामीण समाज, विशेषकर कृषि और भू-स्वामी-कृषक संबंधों पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
- संदर्भ और विस्तार: थोर्नर ने विशेष रूप से दक्षिण भारत में भूमि स्वामित्व, श्रम और सामाजिक शक्ति के वितरण का गहन अध्ययन किया, जिससे उन्होंने भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था की जटिलताओं को समझने में योगदान दिया।
- गलत विकल्प: श्रीनिवास और कर्वे भारतीय समाजशास्त्री हैं जिन्होंने अन्य विषयों पर काम किया। रैंक कैलिफ्ट एक अन्य समाजशास्त्री हैं, लेकिन थोर्नर का इस विषय पर विशिष्ट प्रभाव रहा है।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक पूंजी’ (social capital) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक नेटवर्क, संबंध और विश्वास जो सामूहिक कार्रवाई को संभव बनाते हैं, को विकसित करने का श्रेय किसे दिया जाता है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स एस. कोलमैन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास कई समाजशास्त्रियों द्वारा किया गया है, जिनमें पियरे बॉर्डियू, जेम्स एस. कोलमैन और रॉबर्ट पुटनम प्रमुख हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे ऐसे संसाधनों के रूप में देखा जो सामाजिक संबंधों से प्राप्त होते हैं। कोलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं से उत्पन्न होने वाली उपयोगिता के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामाजिक विश्वास के रूप में देखा।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 23: ‘औपचारिकता’ (formalization) और ‘अवैचारिकता’ (informalization) की प्रवृत्तियाँ आधुनिक समाजों में किस प्रकार की संरचनाओं से जुड़ी हैं?
- परिवार और नातेदारी
- लोकप्रिय संस्कृति और फैशन
- नौकरशाही (Bureaucracy) और निगम (Corporations)
- कला और साहित्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: औपचारिकता (नियमों, प्रक्रियाओं और पदानुक्रम पर आधारित संरचनाएं) और अवैचारिकता (अनौपचारिक नियम, व्यक्तिगत संबंध और लचीलापन) दोनों ही नौकरशाही और निगमों जैसी आधुनिक संगठनात्मक संरचनाओं की विशेषताएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: नौकरशाही अपने नियमों और प्रक्रियाओं के कारण औपचारिक होती है, लेकिन अक्सर अनौपचारिक नेटवर्कों और शक्ति संबंधों (अवैचारिकता) के माध्यम से भी कार्य करती है। बड़े निगमों में भी औपचारिक संरचनाओं के भीतर अनौपचारिक कार्यप्रणाली मौजूद रहती है।
- गलत विकल्प: परिवार और नातेदारी, लोकप्रिय संस्कृति, कला और साहित्य में भी औपचारिक/अनौपचारिक तत्व हो सकते हैं, लेकिन ये वे संरचनाएँ नहीं हैं जहाँ इन प्रवृत्तियों का अध्ययन समाजशास्त्रीय रूप से प्रमुखता से किया जाता है, जैसे कि संगठन और नौकरशाही में।
प्रश्न 24: ‘समूह का विभाजन’ (segmentation of the group) और ‘सामाजिक विभेदीकरण’ (social differentiation) की अवधारणाएँ समाजशास्त्री __________ के कार्यों में पाई जाती हैं, जो जातीयता और सामाजिक स्तरीकरण के अध्ययन से संबंधित हैं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जी. एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इरावती कर्वे, एक प्रमुख भारतीय मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री, ने भारतीय समाज, विशेष रूप से नातेदारी, जाति और वंश व्यवस्था के अध्ययन में ‘समूह का विभाजन’ (segmentation of the group) और ‘सामाजिक विभेदीकरण’ (social differentiation) जैसी अवधारणाओं का प्रयोग किया।
- संदर्भ और विस्तार: कर्वे ने भारतीय समाज को वंश (lineage) और विवाह (marriage) के आधार पर छोटे-छोटे समूहों में विभाजित देखा, जहाँ प्रत्येक समूह की अपनी विशिष्टताएँ और नियम थे, जिससे सामाजिक विभेदीकरण होता था।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर ने इन विशेष अवधारणाओं का प्रयोग नहीं किया, हालांकि उनके अपने स्तरीकरण और सामाजिक संरचना के सिद्धांत थे। घुरिये ने जाति के अलगाव पर काम किया, लेकिन कर्वे का दृष्टिकोण अधिक प्रत्यक्ष रूप से समूह विभाजन से जुड़ा था।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (social control) का अर्थ क्या है?
- राज्य द्वारा नागरिकों पर लगाया गया पूर्ण नियंत्रण।
- समाज द्वारा स्थापित वे नियम और प्रक्रियाएँ जो सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और अनियंत्रित व्यवहार को रोकने के लिए उपयोग की जाती हैं।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अनुचित प्रतिबंध।
- किसी भी प्रकार के सामाजिक नियमों का पालन न करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक नियंत्रण से तात्पर्य उन सभी साधनों, नियमों, संस्थाओं और प्रक्रियाओं से है जो समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने, सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और विचलित व्यवहार (deviant behavior) को रोकने के लिए उपयोग करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें औपचारिक नियंत्रण (कानून, पुलिस, अदालत) और अनौपचारिक नियंत्रण (सामाजिक दबाव, रीति-रिवाज, नैतिकता, परिवार की अपेक्षाएँ) दोनों शामिल हैं। इसका उद्देश्य समाज में स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखना है।
- गलत विकल्प: (a) यह सामाजिक नियंत्रण का एक आक्रामक या तानाशाही रूप हो सकता है, न कि सामान्य परिभाषा। (c) यह सामाजिक नियंत्रण के नकारात्मक परिणाम का वर्णन करता है। (d) यह सामाजिक नियंत्रण का अभाव है, न कि अर्थ।