संकल्पनाओं पर अधिकार: समाजशास्त्र के 25 मर्मस्पर्शी प्रश्न
तैयारी के मैदान में उतरे मेरे साथियों, क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय समझ को तीक्ष्ण करने के लिए तैयार हैं? हर दिन एक नई चुनौती, आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने का एक और अवसर। आइए, आज समाजशास्त्र की दुनिया में गहराई से उतरें और इन 25 प्रश्नों के माध्यम से अपनी पकड़ को और मज़बूत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Conscience) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों, मूल्यों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने ‘सामूहिक चेतना’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह समाज के सदस्यों के साझा नैतिक विचारों, विश्वासों और भावनाओं का कुल योग है, जो समाज को एकीकृत रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) और ‘समाजशास्त्रीय विधि के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया है। उनका मानना था कि सामूहिक चेतना व्यक्तियों पर सामाजिक दबाव डालती है और सामाजिक एकता का आधार बनती है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स सामाजिक वर्गों और उनके संघर्ष पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और सत्ता के प्रकारों पर बल दिया।
प्रश्न 2: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) की उत्पत्ति और प्रकृति की व्याख्या करने वाले प्रसिद्ध समाजशास्त्री कौन हैं, जिन्होंने जाति को एक ‘बंद स्तरीकरण’ (Closed Stratification) के रूप में वर्णित किया?
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- जी.एस. घुरिये
- आंद्रे बेतेइ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जी.एस. घुरिये (G.S. Ghurye) को भारतीय जाति व्यवस्था के एक प्रमुख अध्ययनकर्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने जाति को एक ‘बंद स्तरीकरण’ प्रणाली के रूप में परिभाषित किया, जिसमें सामाजिक गतिशीलता अत्यंत सीमित होती है और व्यक्ति का पेशा, विवाह और सामाजिक संबंध जन्म से ही निर्धारित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: घुरिये ने अपनी पुस्तक ‘Caste and Race in India’ में जाति व्यवस्था की विस्तृत व्याख्या की है, जिसमें इसके ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक पहलुओं का विश्लेषण किया गया है।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा दी। इरावती कर्वे ने भारतीय समाज में नातेदारी व्यवस्था का अध्ययन किया। आंद्रे बेतेइ ने भारतीय समाज पर मार्क्सवादी दृष्टिकोण से लिखा।
प्रश्न 3: कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) के सिद्धांत के लिए जाना जाता है, जिसमें उन्होंने क्रिया के चार प्रकार बताए: लक्ष्य-तर्कसंगत, मूल्य-तर्कसंगत, भावात्मक और परंपरागत?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- मैक्स वेबर
- अल्फ्रेड शुट्ज़
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर (Max Weber) ने ‘सामाजिक क्रिया’ के सिद्धांत को विकसित किया। उन्होंने समाजशास्त्र को ‘अर्थपूर्ण सामाजिक क्रिया’ (Meaningful Social Action) का अध्ययन माना और क्रिया के चार मुख्य प्रकारों की पहचान की: लक्ष्य-तर्कसंगत (zweckrational), मूल्य-तर्कसंगत (wertrational), भावात्मक (affectual) और परंपरागत (traditional)।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना है, जिससे क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों को उजागर किया जा सके। यह ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ के उनके दृष्टिकोण का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और ऐक्शन थ्योरी (Action Theory) को विकसित किया, जो वेबर से प्रभावित थी। अल्फ्रेड शुट्ज़ ने फेनोमेनोलॉजी (Phenomenology) को समाजशास्त्र से जोड़ा। रॉबर्ट मर्टन ने ‘विभेदित साहचर्य’ (Differential Association) और ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) जैसे योगदान दिए।
प्रश्न 4: ‘अनामिका’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों की शिथिलता और व्यक्तिगत अलगाव की स्थिति को दर्शाती है, किस प्रमुख समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?
- ऑगस्ट कॉम्प्टे
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने ‘अनामिका’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग समाज में तब होने वाली सामाजिक अव्यवस्था और नियमों की कमी की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया, जब व्यक्ति के सामाजिक बंध कमजोर पड़ जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तकों ‘समाज में श्रम विभाजन’ और ‘आत्महत्या’ (Suicide) में इस अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने दिखाया कि कैसे सामाजिक परिवर्तन, विशेष रूप से तीव्र आर्थिक परिवर्तन, अनामिका की स्थिति को जन्म दे सकते हैं, जिससे आत्महत्या दर बढ़ सकती है।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्प्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘सामाजिक स्थैतिकी’ (Social Statics) और ‘सामाजिक गतिकी’ (Social Dynamics) पर काम किया। हरबर्ट स्पेंसर ने जैविक विकासवाद (Organic Evolution) के सिद्धांत को समाज पर लागू किया। कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 5: रॉबर्ट मर्टन के ‘मध्यम-सीमा सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) के संदर्भ में, ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) क्या हैं?
- किसी सामाजिक संस्था के अनपेक्षित और अचेतन परिणाम।
- किसी सामाजिक संस्था के इच्छित और पहचाने जाने योग्य परिणाम।
- किसी सामाजिक संस्था के नकारात्मक और विनाशकारी परिणाम।
- सामाजिक व्यवस्था में विचलन को बढ़ावा देने वाले परिणाम।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) वे परिणाम हैं जो किसी सामाजिक या सांस्कृतिक प्रथा के प्रतिभागी या प्रेक्षक द्वारा पहचाने जाते हैं और इच्छित होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘गुप्त कार्य’ (Latent Functions) को भी परिभाषित किया, जो अनपेक्षित और अनजाने परिणाम होते हैं। उन्होंने मध्यम-सीमा सिद्धांत को बड़े, व्यापक सिद्धांतों (जैसे पार्सन्स का सामान्य क्रिया सिद्धांत) और विशिष्ट, अनुभवजन्य अध्ययनों के बीच एक मध्यवर्ती स्तर के रूप में प्रस्तावित किया।
- गलत विकल्प: (a) अनपेक्षित परिणाम ‘गुप्त कार्य’ कहलाते हैं। (c) नकारात्मक परिणाम ‘कुकार्य’ (Dysfunctions) कहलाते हैं। (d) विचलन को बढ़ावा देना कुकार्य का उदाहरण हो सकता है, लेकिन यह प्रकट या गुप्त कार्य की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के अनुष्ठानों, प्रथाओं और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया है, किसने प्रस्तुत की?
- एम.एन. श्रीनिवास
- ई.वी. रामासामी नायकर
- आंद्रे बेतेइ
- इरावती कर्वे
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जातियां या समुदाय उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों, देवताओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा विशेष रूप से दक्षिण भारत के अध्ययन के दौरान विकसित की, जैसा कि उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में देखा गया है। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: ई.वी. रामासामी नायकर द्रविड़ आंदोलन के नेता थे और उन्होंने जाति-विरोधी आंदोलनों का नेतृत्व किया। आंद्रे बेतेइ एक फ्रेंच समाजशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय समाज पर काम किया। इरावती कर्वे ने नातेदारी व्यवस्था पर काम किया।
प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रणेता कौन है, जिसने ‘स्व’ (Self) के विकास में अंतःक्रिया की भूमिका पर बल दिया?
- जी.एच. मीड
- चार्ल्स कूले
- हरबर्ट ब्लूमर
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘स्व’ (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है, विशेष रूप से भाषा और प्रतीकों के उपयोग से।
- संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘स्व’ के विकास को ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के रूप में विभाजित किया। ‘मैं’ प्रतिक्रियाशील और रचनात्मक पक्ष है, जबकि ‘मुझे’ सामाजिक अपेक्षाओं का एक समुच्चय है जो व्यक्ति को समाज के नियमों के अनुसार कार्य करने के लिए निर्देशित करता है। उनके विचारों को उनकी मृत्यु के बाद उनके छात्रों द्वारा ‘Mind, Self, and Society’ नामक पुस्तक में संकलित किया गया।
- गलत विकल्प: चार्ल्स कूले ने ‘दर्पण-स्व’ (Looking-glass self) की अवधारणा दी, जो मीड के विचारों से मिलती-जुलती है लेकिन मीड को मुख्य प्रणेता माना जाता है। हरबर्ट ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा और मीड के विचारों को व्यवस्थित किया। मैक्स वेबर सामाजिक क्रिया के सिद्धांतकार थे।
प्रश्न 8: समाजशास्त्र में ‘द्वंद्ववाद’ (Dialectics) की पद्धति का प्रयोग करने वाले प्रसिद्ध विचारक कौन हैं, जिन्होंने इतिहास को वर्ग संघर्ष के रूप में देखा?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ऑगस्ट कॉम्प्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स (Karl Marx) ने द्वंद्ववाद (Dialectics) को अपनी ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) की पद्धति के केंद्र में रखा। उन्होंने यह तर्क दिया कि इतिहास सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से आगे बढ़ता है, जो विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष से प्रेरित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने हीगेल के द्वंद्ववाद से प्रेरणा ली, लेकिन उसे भौतिकवाद की ओर मोड़ा। उनके अनुसार, समाज एक वर्ग-संघर्ष की प्रक्रिया से गुजरता है, जहाँ उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) वर्ग के बीच संघर्ष होता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने समाज को एक जैविक प्रणाली के रूप में देखा और सामाजिक एकता पर बल दिया। वेबर ने सामाजिक क्रिया और शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्प्टे ने समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने की कोशिश की।
प्रश्न 9: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की व्याख्या करने वाले प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण (Functionalist Perspective) के प्रमुख समर्थक कौन थे, जिन्होंने तर्क दिया कि स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है?
- किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) और विल्बर्ट मूर (Wilbert Moore) ने सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यात्मक सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उनके अनुसार, समाज को यह सुनिश्चित करने के लिए स्तरीकृत होना पड़ता है कि सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरा जाए, और इसके लिए उन्हें अधिक पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) मिलते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उनके प्रसिद्ध लेख “Some Principles of Stratification” (1945) में, उन्होंने तर्क दिया कि स्तरीकरण सार्वभौमिक है क्योंकि यह समाज के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने स्तरीकरण को शोषण का परिणाम माना। मैक्स वेबर ने वर्ग, प्रतिष्ठा (Status) और शक्ति (Party) के आधार पर स्तरीकरण की बहुआयामी व्याख्या की। दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया, न कि सीधे स्तरीकरण के प्रकार्यात्मक महत्व पर।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का अध्ययन करते हुए, किसने यह तर्क दिया कि यह केवल पश्चिमीकरण का अनुकरण नहीं है, बल्कि इसमें आंतरिक परिवर्तन भी निहित हैं?
- टी.के. ओमन
- एम.एन. श्रीनिवास
- ई.वी. रामासामी नायकर
- सुरजीत सिन्हा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टी.के. ओमन (T.K. Oommen) भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के एक प्रमुख अध्येता हैं। उन्होंने यह तर्क दिया कि आधुनिकीकरण केवल बाहरी तत्वों को अपनाने (जैसे पश्चिमीकरण) तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भारतीय समाज के भीतर संरचनात्मक और सांस्कृतिक परिवर्तन भी शामिल हैं, जो विभिन्न संस्थाओं और सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से प्रकट होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ओमन ने आधुनिकीकरण को एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया के रूप में देखा, जिसके विभिन्न भारतीय संदर्भों में अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण पर काम किया। ई.वी. रामासामी नायकर द्रविड़ आंदोलन से जुड़े थे। सुरजीत सिन्हा ने जनजातीय अध्ययन और भारतीय समाज में सांस्कृतिक परिवर्तनों पर काम किया।
प्रश्न 11: ‘वर्ग, दर्जा और दल’ (Class, Status, and Party) की अवधारणाएँ सामाजिक स्तरीकरण को समझने के लिए किसने प्रस्तुत कीं, जिससे स्तरीकरण के बहुआयामी दृष्टिकोण को बल मिला?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर (Max Weber) ने सामाजिक स्तरीकरण को केवल आर्थिक आधार (वर्ग) तक सीमित न रखकर, उसमें ‘दर्जा’ (Status) और ‘दल’ (Party) को भी शामिल किया। वर्ग आर्थिक असमानता पर आधारित है, दर्जा सामाजिक सम्मान और प्रतिष्ठा पर, और दल शक्ति तथा राजनीतिक प्रभाव पर।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का यह बहुआयामी दृष्टिकोण मार्क्स के एक-आयामी (आर्थिक) दृष्टिकोण से भिन्न है और आधुनिक समाजशास्त्रीय विश्लेषण में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ये अवधारणाएँ उनकी पुस्तक ‘Economy and Society’ में विस्तृत हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर बल दिया। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और प्रकार्यवाद पर काम किया।
प्रश्न 12: ‘परिवार’ (Family) को समाज की ‘प्राथमिक अभिकरण’ (Primary Agency) मानने वाले समाजशास्त्री कौन थे, जिन्होंने बालकों के समाजीकरण में इसके महत्वपूर्ण योगदान पर बल दिया?
- अगस्ट कॉम्प्टे
- एमिल दुर्खीम
- टैल्कॉट पार्सन्स
- जी.एच. मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) एक प्रमुख प्रकार्यावादी समाजशास्त्री थे जिन्होंने आधुनिक समाजों में परिवार की भूमिका का अध्ययन किया। उनका मानना था कि परिवार, विशेष रूप से आधुनिक समाजों में, बच्चों के समाजीकरण के लिए एक प्राथमिक अभिकरण के रूप में कार्य करता है, जिससे वे समाज के मूल्यों और मानदंडों को सीखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने परिवार के ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक’ (Structural-Functional) विश्लेषण पर जोर दिया और इसे समाज की स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक माना। उन्होंने ‘आधुनिक परिवार’ की भूमिका को ‘द्वितीयक समाजीकरण’ (Secondary Socialization) के लिए विद्यालय और साथियों के समूह से अलग करके देखा।
- गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्प्टे ने समाज की व्यवस्था और प्रगति पर काम किया। दुर्खीम ने समाज को एक ‘दैवीय इकाई’ (Organic God) माना और सामाजिक एकता पर बल दिया। मीड ने समाजीकरण में प्रतीकों और अंतःक्रिया पर बल दिया, लेकिन परिवार को प्राथमिक अभिकरण के रूप में पार्सन्स जितना प्रमुखता से नहीं उठाया।
प्रश्न 13: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का एक प्रमुख उपकरण कौन सा है, जो प्रतिभागियों के दृष्टिकोण से सामाजिक घटनाओं को समझने पर केंद्रित है?
- सांख्यिकीय विश्लेषण
- सर्वेक्षण (Survey)
- प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)
- प्रायोगिक विधि (Experimental Method)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘प्रतिभागी अवलोकन’ (Participant Observation) गुणात्मक अनुसंधान का एक प्रमुख तरीका है। इसमें शोधकर्ता किसी समूह या समुदाय के भीतर रहकर, उनकी गतिविधियों में भाग लेते हुए, उनके जीवन शैली, रीति-रिवाजों और व्यवहारों का प्रत्यक्ष अनुभव करता है और उन्हें समझने का प्रयास करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस विधि का उपयोग करके, शोधकर्ता सामाजिक घटनाओं के गहरे, व्यक्तिपरक अर्थों को प्राप्त कर सकते हैं। यह विशेष रूप से मानवशास्त्रीय और सामाजिक अध्ययन में प्रचलित है।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण और सर्वेक्षण मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) के उदाहरण हैं, जो संख्यात्मक डेटा पर आधारित होते हैं। प्रायोगिक विधि भी मुख्य रूप से मात्रात्मक होती है, जहाँ चरों (variables) के बीच कारण-कार्य संबंध स्थापित करने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न 14: ‘सामूहिकता’ (Collectivism) बनाम ‘व्यक्तिवाद’ (Individualism) की बहस में, कौन सा समाजशास्त्री आधुनिक समाजों को ‘सावयवी एकता’ (Organic Solidarity) की ओर बढ़ते हुए देखता है, जहाँ विभिन्न अंग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (Émile Durkheim) ने सामाजिक एकता (Social Solidarity) के दो प्रकार बताए: ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) जो पूर्व-आधुनिक समाजों में पाई जाती है, जहाँ समानता के कारण एकता होती है; और ‘सावयवी एकता’ (Organic Solidarity) जो आधुनिक, जटिल समाजों में पाई जाती है, जहाँ श्रम विभाजन के कारण व्यक्ति एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, आधुनिक समाज में व्यक्तिवाद बढ़ता है, लेकिन यह अलगाव के बजाय सावयवी एकता को जन्म देता है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति समाज के लिए एक विशिष्ट कार्य करता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत बढ़ते अलगाव और शोषण पर बल दिया। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता के बढ़ते प्रभाव का विश्लेषण किया। स्पेंसर ने सामाजिक विकासवाद पर काम किया, लेकिन एकता के प्रकारों को दुर्खीम की तरह स्पष्ट नहीं किया।
प्रश्न 15: भारतीय समाज में ‘उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण’ (LPG Reforms) के बाद हुए सामाजिक परिवर्तनों में, किस अवधारणा का संबंध परिवारों के बदलते स्वरूप से है?
- पितृसत्ता का सुदृढ़ीकरण
- नातेदारी व्यवस्था का क्षरण
- कुटुंबवाद का प्रसार
- एकल परिवार (Nuclear Family) का प्रभुत्व और नए पारिवारिक रूपों का उदय
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एलपीजी सुधारों के बाद, आर्थिक उदारीकरण और गतिशीलता ने शहरीकरण, नौकरी के अवसरों के लिए प्रवास और जीवन शैली में बदलाव को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप एकल परिवारों का प्रभुत्व बढ़ा और साथ ही एकल-माता-पिता परिवार, सह-आवास (cohabitation) जैसे नए पारिवारिक रूप भी उभरे।
- संदर्भ और विस्तार: आर्थिक परिवर्तन सीधे तौर पर पारिवारिक संरचना और संबंधों को प्रभावित करते हैं। वैश्वीकरण के प्रभाव से पारंपरिक संयुक्त परिवारों पर दबाव बढ़ा है।
- गलत विकल्प: जबकि पितृसत्ताक संरचनाएं बनी रह सकती हैं, उदारीकरण के कुछ पहलुओं ने महिलाओं को सशक्तिकरण के नए अवसर भी दिए हैं। नातेदारी व्यवस्था का पूरी तरह क्षरण नहीं हुआ है, बल्कि यह बदल रही है। कुटुंबवाद (Nepotism) एक अलग सामाजिक-आर्थिक समस्या है।
प्रश्न 16: ‘धर्म’ (Religion) को ‘जनता के लिए अफीम’ (Opium of the People) कहने वाला समाजशास्त्री कौन था, जिसने इसे सामाजिक नियंत्रण और यथास्थिति बनाए रखने के एक उपकरण के रूप में देखा?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्प्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स (Karl Marx) ने धर्म की आलोचना की और इसे ‘जनता के लिए अफीम’ कहा। उनका मानना था कि धर्म शोषित वर्गों को उनके वर्तमान कष्टों से राहत दिलाने का झूठा वादा करता है, जिससे वे अपनी दयनीय स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं और क्रांति की ओर नहीं बढ़ते।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के लिए, धर्म अलगाव (Alienation) का एक उत्पाद था जो वर्ग-आधारित समाजों में उत्पन्न होता है। उन्होंने धर्म को उत्पादन के आधार (Base) के बजाय अधिरचना (Superstructure) का हिस्सा माना, जो आर्थिक संरचना से प्रभावित होता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने धर्म को सामाजिक एकता और पवित्र (Sacred) बनाम अपवित्र (Profane) के भेद के आधार पर अध्ययन किया। वेबर ने ‘प्रोटेस्टेंट नीति और पूंजीवाद की आत्मा’ (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) में धर्म के आर्थिक विकास पर प्रभाव का विश्लेषण किया। कॉम्प्टे ने धर्म को सामाजिक विकास के एक चरण के रूप में देखा।
प्रश्न 17: ‘नगरीयता’ (Urbanism) को एक ‘जीवन शैली’ (Way of Life) के रूप में परिभाषित करने वाले समाजशास्त्री कौन हैं, जिन्होंने महानगरों में व्यक्तिगत संबंधों की प्रकृति का विश्लेषण किया?
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) ने ‘महानगर और मानसिक जीवन’ (The Metropolis and Mental Life) जैसे अपने लेखों में नगरीयता का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि महानगरों की तीव्र गति, उत्तेजनाओं की अधिकता और अजनबियों से सामना व्यक्तियों के मनोविज्ञान और सामाजिक संबंधों को गहराई से प्रभावित करता है, जिससे एक विशेष ‘नगरीय जीवन शैली’ विकसित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने मेट्रोपॉलिटन जीवन में ‘ब्लैस फ़ेयर’ (Blase Face) या उदासीनता की अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत संबंधों की एक विशिष्ट विशेषता के रूप में पहचाना।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने समाज की एकता पर काम किया। मैक्स वेबर ने नौकरशाही और शहर के समाजशास्त्रीय अध्ययन में योगदान दिया। रॉबर्ट पार्क शिकागो स्कूल के एक प्रमुख सदस्य थे जिन्होंने नगरीय समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण काम किया, लेकिन सिमेल ने जीवन शैली के मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर अधिक गहराई से प्रकाश डाला।
प्रश्न 18: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के समाजीकरण के संदर्भ में, ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने सबसे प्रमुखता से विकसित किया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स (Karl Marx) ने पूंजीवादी औद्योगीकरण के संदर्भ में ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को अपने विश्लेषण के केंद्र में रखा। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव बताए: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिकों को उनकी मेहनत के फल से, उनके काम की प्रकृति से, उनके मानवीय सार से और अन्य लोगों से अलगाव का अनुभव होता है, क्योंकि उत्पादन के साधन पूंजीपतियों के स्वामित्व में होते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘अनामिका’ (Anomie) की बात की। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता के कारण होने वाले ‘लौह पिंजरे’ (Iron Cage) की बात की, जो अलगाव का एक रूप है, लेकिन मार्क्स ने इसे औद्योगिक व्यवस्था की मूल समस्या के रूप में पेश किया। मर्टन ने विचलन और सामाजिक संरचना से जुड़े अलगाव के पहलुओं पर काम किया।
प्रश्न 19: ‘विभेदित साहचर्य’ (Differential Association) का सिद्धांत, जो बताता है कि व्यक्ति अपराध करना सीखते हैं, किस समाजशास्त्री ने प्रतिपादित किया?
- एमिल दुर्खीम
- एडविन सदरलैंड
- ट्रैविक हिल्स
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland) ने ‘विभेदित साहचर्य’ का सिद्धांत विकसित किया। इस सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से आपराधिक व्यवहार और अपराध के प्रति अनुकूल व्यवहार सीखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सदरलैंड का मानना था कि अपराध व्यवहार सीखा जाता है, जैसे कोई अन्य व्यवहार सीखा जाता है। यह सिद्धांत अपराध के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण के प्रभाव पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने अपराध को सामाजिक एकता के उल्लंघन और ‘सामूहिक चेतना’ के कमजोर पड़ने से जोड़ा। हिल्स (Trappist Hills) एक सामान्य नाम है। मर्टन ने ‘अनुरूपता सिद्धांत’ (Strain Theory) के माध्यम से अपराध की व्याख्या की, जिसमें सामाजिक लक्ष्यों और साधनों के बीच असंतुलन को कारण माना गया।
प्रश्न 20: भारत में ‘दलित’ (Dalit) शब्दावली का प्रयोग और दलित पैंथर आंदोलन में उनकी भूमिका पर किसने विशेष रूप से काम किया?
- जी.एस. घुरिये
- एम.एन. श्रीनिवास
- सूरज बंडि ओलाफ
- रामकृष्ण मुखर्जी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सूरज बंडि ओलाफ (Suraj Bandyopadhyay/Olaf) एक समकालीन समाजशास्त्री हैं जिन्होंने दलित पैंथर आंदोलन और दलितों की राजनीतिक चेतना के उदय का गहन अध्ययन किया है। उन्होंने दलितों द्वारा ‘दलित’ शब्द को अपनाने और अपनी पहचान बनाने की प्रक्रिया का विश्लेषण किया है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘दलित’ शब्द का अर्थ ‘दबाया हुआ’ या ‘कुचला हुआ’ है और यह जातिगत उत्पीड़न के शिकार लोगों द्वारा अपनी पहचान को पुनर्जीवित करने और उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होने के लिए अपनाया गया है।
- गलत विकल्प: घुरिये और श्रीनिवास जाति व्यवस्था के पारंपरिक अध्येता हैं। रामकृष्ण मुखर्जी मार्क्सवादी दृष्टिकोण से भारतीय समाज के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 21: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज को एक ‘जीवित जीव’ (Living Organism) के समान माना जाता है, जिसके विभिन्न अंग (संरचनाएँ) विशिष्ट कार्य (Functions) करते हैं। इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रणेता कौन हैं?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) को संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रारंभिक और प्रमुख प्रणेताओं में गिना जाता है। उन्होंने समाज की तुलना एक जैविक जीव से की, जहाँ प्रत्येक अंग (जैसे परिवार, सरकार, अर्थव्यवस्था) का अपना विशिष्ट कार्य होता है जो पूरे समाज के अस्तित्व और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर ने ‘सामाजिक विकासवाद’ (Social Darwinism) के विचारों को समाज पर लागू किया, यह तर्क देते हुए कि समाज सरल से जटिल रूपों में विकसित होता है और ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ (Survival of the Fittest) के सिद्धांत को मानता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के प्रणेता हैं। दुर्खीम ने भी प्रकार्यवाद में योगदान दिया, लेकिन स्पेंसर का जैविक सादृश्यता पर जोर अधिक था। वेबर ने सामाजिक क्रिया पर ध्यान केंद्रित किया। (हालांकि पार्सन्स और मर्टन संरचनात्मक प्रकार्यवाद के बाद के महत्वपूर्ण विचारक थे, स्पेंसर प्रारंभिक थे)।
प्रश्न 22: कौन सा समाजशास्त्री ‘आधुनिकता’ (Modernity) और ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) के बीच अंतर को स्पष्ट करने की कोशिश करता है, यह बताते हुए कि भारतीय समाज का आधुनिकीकरण एक अनूठी प्रक्रिया है?
- एम.एन. श्रीनिवास
- टी.के. ओमन
- सुरजीत सिन्हा
- योगेन्द्र सिंह
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: योगेन्द्र सिंह (Yogendra Singh) ने भारतीय समाज के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का विस्तार से अध्ययन किया है। उन्होंने यह तर्क दिया है कि भारत का आधुनिकीकरण पश्चिमीकरण से भिन्न है क्योंकि यह सांस्कृतिक आत्मसात (cultural assimilation) और संश्लेषण (synthesis) के माध्यम से हुआ है, जहाँ पारंपरिक और आधुनिक मूल्य साथ-साथ सह-अस्तित्व में हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सिंह ने ‘भारतीय समाज में संरचनात्मक परिवर्तन’ (Social Change in India) जैसे अपने कार्यों में इस पर प्रकाश डाला है। उन्होंने आधुनिकीकरण को एक गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखा जो भारतीय संस्कृति और समाज की विशिष्टताओं के साथ अंतःक्रिया करती है।
- गलत विकल्प: श्रीनिवास और सिन्हा ने भी आधुनिकीकरण और सांस्कृतिक परिवर्तन पर काम किया है, लेकिन सिंह ने पश्चिमीकरण से भिन्नता को विशेष रूप से स्पष्ट किया। ओमन ने आधुनिकीकरण को एक बहुआयामी प्रक्रिया के रूप में देखा।
प्रश्न 23: ‘विज्ञान की समाजशास्त्रीय समझ’ (Sociology of Scientific Knowledge – SSK) के क्षेत्र में, किसने यह तर्क दिया कि वैज्ञानिक तथ्य ‘सामाजिक रूप से निर्मित’ (Socially Constructed) होते हैं?
- रॉबर्ट किंग मर्टन
- कार्ल पॉपर
- ब्रूनो लातुर (Bruno Latour)
- थॉमस कुह्न (Thomas Kuhn)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- Correctness: ब्रूनो लातुर (Bruno Latour) और स्टीव वूलगर (Steve Woolgar) ने अपने कार्य ‘Laboratory Life: The Construction of Scientific Facts’ में यह तर्क दिया कि वैज्ञानिक ज्ञान, विशेष रूप से प्रयोगशाला में, सामाजिक प्रक्रियाओं, सहयोग, प्रतिस्पर्धा और शक्ति संबंधों द्वारा आकार लेता है। इसे ‘अभिनेता-नेटवर्क सिद्धांत’ (Actor-Network Theory) के रूप में भी जाना जाता है।
- Context & Elaboration: उनका काम ‘मजबूत कार्यक्रम’ (Strong Programme) से प्रभावित है, जो मानता है कि वैज्ञानिक विश्वासों की सत्यता या असत्यता, उनकी उपयोगिता या अनुपयोगिता, उनके कारण को समझाने के लिए सामाजिक कारकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
- Incorrect Options: रॉबर्ट किंग मर्टन ने विज्ञान के सामाजिक पहलुओं (जैसे प्रतिमान) पर काम किया, लेकिन उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों के निर्माण को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा। कार्ल पॉपर ने ‘फल्सीफिकेशन’ (Falsification) के सिद्धांत पर जोर दिया। थॉमस कुह्न ने ‘वैज्ञानिक क्रांति’ (Scientific Revolutions) और ‘प्रतिमान बदलाव’ (Paradigm Shifts) की बात की, जो सामाजिक तत्वों से प्रभावित हैं, लेकिन लातुर का जोर प्रत्यक्ष सामाजिक निर्माण पर अधिक है।
प्रश्न 24: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) में ‘परेशानी’ (Untouchability) और ‘पवित्रता-अशुद्धता’ (Purity-Pollution) की अवधारणाओं का समाजशास्त्रीय विश्लेषण किसने प्रस्तुत किया?
- जी.एस. घुरिये
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- ल. कोल्हन (L. Kōlhaen)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास (M.N. Srinivas) ने भारतीय जाति व्यवस्था में ‘पवित्रता-अशुद्धता’ (Purity-Pollution) के सिद्धांत को विकसित किया, जिसे उन्होंने ‘पवित्रता की पदानुक्रम’ (Hierarchy of Purity) के रूप में प्रस्तुत किया। यह सिद्धांत यह समझाने में मदद करता है कि कैसे जातियों को उनके अनुष्ठानिक शुद्धता या अशुद्धता के स्तर के आधार पर पदानुक्रम में रखा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में यह अवधारणा प्रमुखता से मिलती है। उन्होंने यह भी दिखाया कि कैसे ‘अछूत’ (Untouchables) माने जाने वाले समूहों को शुद्धता-अशुद्धता की श्रेणीबद्ध व्यवस्था से बाहर रखा जाता था, जिससे उन्हें सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव का सामना करना पड़ता था।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने जाति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से लिखा, लेकिन श्रीनिवास का पवित्रता-अशुद्धता मॉडल विशेष रूप से प्रभावशाली रहा। इरावती कर्वे ने नातेदारी पर काम किया। ल. कोल्हन (L. Kōlhaen) एक कम ज्ञात नाम है।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के अध्ययन में, ‘आविष्कार’ (Invention), ‘खोज’ (Discovery) और ‘प्रसार’ (Diffusion) को महत्वपूर्ण कारक मानने वाले समाजशास्त्री कौन थे?
- विलियम ग्राहम समनर
- एल्बर्ट संबर्टी
- विलियम ओगबर्न
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ओगबर्न (William F. Ogburn) ने सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अपनी अवधारणा के साथ-साथ आविष्कार, खोज और प्रसार जैसे कारकों पर जोर दिया। उनका मानना था कि समाज में परिवर्तन मुख्य रूप से भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन से प्रेरित होता है, जबकि अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, संस्थाएं) अक्सर पिछड़ जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, आविष्कार नए विचारों या वस्तुओं का सृजन है, खोज मौजूदा वास्तविकता की पहचान है, और प्रसार एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में सांस्कृतिक तत्वों का हस्तांतरण है। इन तीनों प्रक्रियाओं के माध्यम से समाज में परिवर्तन आता है।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘फोल्कवेज’ (Folkways) और ‘मोरवेज’ (Mores) जैसी अवधारणाएं दीं। एल्बर्ट संबर्टी (Albert Sambarti) एक कम ज्ञात नाम है। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और अनामिका पर ध्यान केंद्रित किया।
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