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संकल्पनाओं को करें स्पष्ट: समाजशास्त्र का दैनिक बूस्टर

संकल्पनाओं को करें स्पष्ट: समाजशास्त्र का दैनिक बूस्टर

तैयारी के इस सफ़र में, अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान को निरंतर धार देना बेहद ज़रूरी है! हर दिन एक नई चुनौती के साथ अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आइए, आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी सत्र में गोता लगाएँ और अपनी परीक्षा की तैयारी को एक नया आयाम दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाज में प्रौद्योगिकी और गैर-भौतिक संस्कृति के बीच तालमेल की कमी को दर्शाती है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. ऑगस्ट कॉम्टे
  4. अगस्त ब्लूमर

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोकवेज़’ (Folkways, 1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक या तकनीकी पहलुओं में बदलाव, गैर-भौतिक पहलुओं (जैसे मूल्य, मानदंड, विश्वास) में बदलाव की तुलना में तेज़ी से होता है, जिससे सामाजिक तनाव उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर ने ‘मोरवेज़’ (Moreways – अनिवार्य सामाजिक नियम) और ‘फोकेवेज़’ (Folkways – सामान्य प्रथाएं) के बीच अंतर किया। सांस्कृतिक विलंब का विचार सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में महत्वपूर्ण है, जहाँ यह दर्शाता है कि कैसे नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने से पुराने सामाजिक नियमों और मूल्यों के साथ संघर्ष हो सकता है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) की बात की, ऑगस्ट कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक पिता माने जाते हैं, और अगस्त ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) से जुड़े हैं।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का सबसे प्राथमिक कारण क्या है?

  1. पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली
  2. व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की कमी
  3. सामाजिक असमानता
  4. पारंपरिक मूल्यों का क्षरण

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अपने श्रम, उत्पादन के साधनों, अपने ‘सार-सत्ता’ (species-being) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है। यह अलगाव उत्पादन की प्रक्रिया पर श्रमिक के नियंत्रण के अभाव से उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में अलगाव के चार मुख्य रूपों का वर्णन किया: उत्पादन के उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की सार-सत्ता से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की कमी, सामाजिक असमानता (हालांकि यह अलगाव को बढ़ा सकती है), और पारंपरिक मूल्यों का क्षरण (जो ‘एनोमी’ से अधिक जुड़ा है) मार्क्स के अलगाव सिद्धांत के प्राथमिक कारण नहीं हैं, बल्कि उत्पादन प्रणाली ही मूल कारण है।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम ने समाज को एक ‘नैतिक समुदाय’ के रूप में परिभाषित किया, जिसका आधार है?

  1. सांझा चेतना (Collective Consciousness)
  2. सत्तावादी नेतृत्व
  3. व्यक्तिगत हित
  4. आर्थिक विनिमय

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज सामूहिकता (collectivity) पर आधारित है, जिसे वे ‘सांझा चेतना’ कहते हैं। यह साझा विश्वासों, मूल्यों, मनोवृत्तियों और ज्ञान का योग है जो एक समाज के सदस्यों के बीच एकजुटता पैदा करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में ‘यांत्रिक एकजुटता’ (mechanical solidarity) को सांझा चेतना से जोड़ा, जो सरल समाजों में पाई जाती है। जटिल समाजों में, ‘जैविक एकजुटता’ (organic solidarity) विशेषज्ञता और परस्पर निर्भरता पर आधारित होती है।
  • गलत विकल्प: सत्तावादी नेतृत्व, व्यक्तिगत हित, और आर्थिक विनिमय समाज को नैतिक समुदाय के रूप में परिभाषित करने के दुर्खीम के विचार के केंद्रीय बिंदु नहीं हैं।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों में कौन सा शामिल नहीं है?

  1. परंपरागत सत्ता
  2. करिश्माई सत्ता
  3. कानूनी-तर्कसंगत सत्ता
  4. उत्तराधिकार-आधारित सत्ता

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: 1.परंपरागत सत्ता (Traditional Authority), जो परंपराओं और रीति-रिवाजों पर आधारित होती है (जैसे राजशाही)। 2.करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority), जो किसी नेता के असाधारण गुणों और अनुयायियों के विश्वास पर आधारित होती है। 3.कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority), जो नियमों, कानूनों और औपचारिक पदों पर आधारित होती है (जैसे आधुनिक नौकरशाही)। ‘उत्तराधिकार-आधारित सत्ता’ इन तीन प्रकारों में से कोई विशिष्ट श्रेणी नहीं है, हालांकि यह परंपरागत सत्ता का एक पहलू हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का यह वर्गीकरण शक्ति (Power) और सत्ता (Authority) के बीच अंतर करने के लिए महत्वपूर्ण है। सत्ता वह शक्ति है जिसे वैध माना जाता है।
  • गलत विकल्प: परंपरागत, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता वेबर द्वारा स्पष्ट रूप से वर्णित तीन प्रकार हैं।

प्रश्न 5: आर. के. मर्टन के ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांतों’ (Theories of the Middle Range) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. समग्र सामाजिक सिद्धांत का निर्माण
  2. विशेष सामाजिक घटनाओं का अनुभवजन्य विश्लेषण
  3. अमूर्त दार्शनिक अवधारणाओं का विकास
  4. ऐतिहासिक समाजशास्त्रीय विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आर. के. मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांतों’ पर जोर दिया, जिनका लक्ष्य बड़े, समग्र (grand) सिद्धांतों के बजाय विशिष्ट, अनुभवजन्य रूप से परीक्षण योग्य सामाजिक घटनाओं (जैसे विचलन, संदर्भ समूह, सामाजिक स्तरीकरण के विशिष्ट पहलू) की व्याख्या करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपने ‘सामाजिक सिद्धांत और सामाजिक संरचना’ (Social Theory and Social Structure) जैसे कार्यों में यह विचार प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को एक साथ बहुत व्यापक (सार्वभौमिक सिद्धांत) और बहुत संकीर्ण (केवल अनुभवजन्य अवलोकन) होने के बजाय मध्यम स्तर पर काम करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: समग्र सामाजिक सिद्धांत (जैसे पार्सन्स का), अमूर्त दार्शनिक अवधारणाएं, या केवल ऐतिहासिक विश्लेषण मर्टन के ‘मध्यम-श्रेणी’ दृष्टिकोण के प्राथमिक लक्ष्य नहीं थे।

प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘संवर्णीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. ई. पी. थॉम्पसन
  2. एम. एन. श्रीनिवास
  3. इरावती कर्वे
  4. गांधीजी

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास, एक प्रसिद्ध भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘संवर्णीकरण’ की अवधारणा विकसित की। यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली या मध्य-जातियों के समूह किसी उच्च, प्रभावी जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘दक्षिण भारत के कूर्गों के मध्य धर्म और समाज’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में इस अवधारणा को सबसे पहले प्रस्तुत किया। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिशीलता है।
  • गलत विकल्प: ई. पी. थॉम्पसन इतिहासकार थे, इरावती कर्वे मानवशास्त्री थीं जिन्होंने भारतीय समाज पर काम किया, और गांधीजी सामाजिक सुधारक थे, लेकिन संवर्णीकरण की अवधारणा विशेष रूप से एम. एन. श्रीनिवास से जुड़ी है।

प्रश्न 7: ‘टोटलिज्म’ (Totalism) की अवधारणा, जो समाज को एक एकल, एकीकृत, पूर्ण इकाई के रूप में देखती है, किसके सैद्धांतिक दृष्टिकोण से निकटता से जुड़ी है?

  1. टैल्कॉट पार्सन्स
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स का संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक (structural-functional) दृष्टिकोण अक्सर ‘टोटलिज्म’ के रूप में आलोचना का विषय रहा है। उनका सिद्धांत समाज को परस्पर संबंधित भागों (संस्थाओं, प्रणालियों) के एक एकीकृत पूरे के रूप में देखता है, जो संतुलन और व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने समाज को चार प्रमुख प्रकार्यिक आवश्यकताओं (AGIL – Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) को पूरा करने वाली एक प्रणाली के रूप में देखा। यह प्रणाली अक्सर पूर्ण और स्वयं-संतुलित मानी जाती थी, जिससे परिवर्तन को समझाने में कुछ कठिनाई होती थी।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष और परिवर्तन पर केंद्रित थे, मैक्स वेबर व्यक्तिपरक अर्थों और शक्ति के विश्लेषण पर, और जॉर्ज सिमेल सामाजिक अंतःक्रियाओं और रूप (form) पर।

प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का वह कौन सा रूप है जो जन्म पर आधारित होता है और जिसमें सामाजिक गतिशीलता लगभग नगण्य होती है?

  1. वर्ग (Class)
  2. प्रस्थिति समूह (Status Group)
  3. जाति (Caste)
  4. संवर्णीकरण (Sanskritization)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जाति व्यवस्था (Caste System) सामाजिक स्तरीकरण का एक ऐसा रूप है जो जन्म पर आधारित होता है। इसमें व्यक्ति की स्थिति, व्यवसाय, सामाजिक संपर्क और यहाँ तक कि जीवन शैली भी जन्म से तय होती है, और क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर गतिशीलता अत्यंत सीमित या नगण्य होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय जाति व्यवस्था इसका प्रमुख उदाहरण है, जहाँ सदस्यता समूह (group membership) जन्म से निर्धारित होती है और अंतर्विवाह (endogamy) एक महत्वपूर्ण मानदंड है।
  • गलत विकल्प: वर्ग (Class) जन्म पर आधारित हो सकता है लेकिन इसमें अधिक गतिशीलता (mobility) की संभावना होती है। प्रस्थिति समूह (Status Group) वेबर द्वारा प्रस्तुत एक अवधारणा है जो सम्मान और जीवन शैली पर आधारित है। संवर्णीकरण एक प्रक्रिया है, स्तरीकरण का रूप नहीं।

प्रश्न 9: ‘संदर्भ समूह’ (Reference Group) की अवधारणा का श्रेय किस समाजशास्त्री को दिया जाता है?

  1. चार्ल्स हॉर्टन कूली
  2. हरबर्ट ब्लूमर
  3. रॉबर्ट के. मर्टन
  4. जी. एच. मीड
  5. उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘संदर्भ समूह’ की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। संदर्भ समूह वे समूह होते हैं जिनके साथ व्यक्ति अपनी पहचान, मूल्य और व्यवहार की तुलना करता है, भले ही वह उन समूहों का सदस्य हो या न हो।
    • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक सिद्धांत और सामाजिक संरचना’ में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने ‘सकारात्मक संदर्भ समूह’ (जिनकी सदस्यता की आकांक्षा की जाती है) और ‘नकारात्मक संदर्भ समूह’ (जिनसे व्यक्ति स्वयं को अलग करना चाहता है) के बीच अंतर किया।
    • गलत विकल्प: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (primary group) की अवधारणा दी, हर्बर्ट ब्लूमर ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ से जुड़े हैं, और जी. एच. मीड ने ‘स्व’ (self) और ‘सामाजिक अंतःक्रिया’ के सिद्धांत विकसित किए।

    प्रश्न 10: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रवर्तक कौन हैं?

    1. मैक्स वेबर
    2. एमिल दुर्खीम
    3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
    4. अगस्त कॉम्टे

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रणेता माना जाता है। यद्यपि उन्होंने स्वयं इस शब्द का प्रयोग नहीं किया, उनके विचारों ने इस सिद्धांत की नींव रखी, जो समाज को व्यक्तियों के बीच अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होने के रूप में देखता है।
    • संदर्भ और विस्तार: मीड के कार्यों, विशेषकर मरणोपरांत प्रकाशित ‘मन, स्व और समाज’ (Mind, Self, and Society) में, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा) के माध्यम से दूसरों के साथ अंतःक्रिया करते हैं, जिससे वे स्वयं के बारे में और दुनिया के बारे में सीखते हैं। हर्बर्ट ब्लूमर ने बाद में इस शब्दावली को गढ़ा और विकसित किया।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से, एमिल दुर्खीम प्रकार्यवाद से, और ऑगस्ट कॉम्टे प्रत्यक्षवाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन एमिल दुर्खीम द्वारा वर्णित समाज में सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने का सबसे महत्वपूर्ण कारक है?

    1. व्यक्तिगत स्वतंत्र इच्छा
    2. साझा नैतिक मूल्य और मानदंड
    3. शक्ति का केंद्रीयकरण
    4. बाजार अर्थव्यवस्था

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में सामाजिक व्यवस्था (social order) बनाए रखने के लिए ‘साझा नैतिक मूल्य और मानदंड’ (shared moral values and norms) आवश्यक हैं। ये सामूहिक चेतना का हिस्सा बनते हैं और व्यक्तियों के व्यवहार को निर्देशित करते हैं, जिससे एकजुटता और स्थिरता बनी रहती है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (anomie) की स्थिति का वर्णन किया, जो तब उत्पन्न होती है जब समाज में साझा नैतिक मूल्यों का क्षरण हो जाता है, जिससे सामाजिक विघटन और अव्यवस्था फैलती है।
    • गलत विकल्प: व्यक्तिगत स्वतंत्र इच्छा (जो अनियंत्रित हो तो अराजकता ला सकती है), शक्ति का केंद्रीयकरण (जो तानाशाही को जन्म दे सकता है), और बाजार अर्थव्यवस्था (जो व्यक्तिगत लाभ पर केंद्रित है) दुर्खीम के अनुसार सामाजिक व्यवस्था के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं जितने कि साझा नैतिकता।

    प्रश्न 12: ‘द सेकेंड सेक्स’ (The Second Sex) पुस्तक किसने लिखी, जिसने नारीवादी सिद्धांत को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया?

    1. बेट्टी फ्रीडन
    2. सिमोन डी ब्यूवॉयर
    3. केत मिशेल
    4. जूलिया क्रिस्टेवा

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सिमोन डी ब्यूवॉयर (Simone de Beauvoir) ने 1949 में ‘द सेकेंड सेक्स’ प्रकाशित की। इस पुस्तक में उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे महिलाओं को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से ‘अन्य’ (the Other) के रूप में परिभाषित किया गया है, और यह नारीवादी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ बनी।
    • संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक नारीवादी विमर्श में एक मील का पत्थर साबित हुई, जिसने ‘स्त्री पैदा नहीं होती, बनाई जाती है’ (One is not born, but rather becomes, a woman) जैसे विचार प्रस्तुत किए।
    • गलत विकल्प: बेट्टी फ्रीडन ने ‘द फेमिनिन मिस्टिक’ लिखी, केत मिशेल भी नारीवादी सिद्धांतकार हैं, और जूलिया क्रिस्टेवा उत्तर-संरचनावादी नारीवादी हैं।

    प्रश्न 13: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) क्या दर्शाती है?

    1. आधुनिक औद्योगिक संबंध
    2. पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक संबंध
    3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
    4. राजनीतिक गठबंधन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: जजमानी प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाज में पाई जाने वाली एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक संबंध प्रणाली है। इसमें विभिन्न जातियों के बीच सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है, जिसमें एक जाति (जजमान) दूसरी जाति (कारीगर/सेवा प्रदाता) को सेवाओं के बदले में आय या वस्तुएं प्रदान करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती है और पारस्परिक दायित्वों पर आधारित होती है, जो अक्सर वंशानुगत होती है। यह सामंती व्यवस्था का एक भारतीय रूप माना जा सकता है।
    • गलत विकल्प: यह आधुनिक औद्योगिक, अंतर्राष्ट्रीय या राजनीतिक संबंधों से संबंधित नहीं है।

    प्रश्न 14: ‘सुपर-ईगो’ (Super-ego) की अवधारणा, जो व्यक्ति के नैतिक विवेक और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करती है, किस मनोवैज्ञानिक/समाजशास्त्रीय सिद्धांत का हिस्सा है?

    1. कार्ल जुंग का विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान
    2. सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषण
    3. अल्फ्रेड एडलर का व्यक्तिगत मनोविज्ञान
    4. बी. एफ. स्किनर का व्यवहारवाद

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

  6. सही उत्तर: ‘सुपर-ईगो’ (Super-ego), ‘ईगो’ (Ego) और ‘इड’ (Id) के साथ, सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत का एक प्रमुख घटक है। फ्रायड के अनुसार, सुपर-ईगो व्यक्ति के मन का वह हिस्सा है जो समाज के मानदंडों और माता-पिता की शिक्षाओं को आत्मसात करता है, और व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करने और आदर्शों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
  7. संदर्भ और विस्तार: फ्रायड का यह मॉडल व्यक्तित्व की संरचना को समझने के लिए उपयोग किया जाता है। यद्यपि यह सीधे तौर पर समाजशास्त्र नहीं है, सामाजिक नियंत्रण और समाजीकरण के अध्ययन में इसके अंतर्निहित सिद्धांत प्रासंगिक हैं।
  8. गलत विकल्प: कार्ल जुंग, अल्फ्रेड एडलर और बी. एफ. स्किनर के सिद्धांत अलग-अलग मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं पर आधारित हैं।

  9. प्रश्न 15: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा ‘प्रभुत्वशाली जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा का उपयोग किस संदर्भ में किया गया?

    1. भारतीय ग्रामीण राजनीतिक व्यवस्था
    2. आर्थिक विकास के निर्धारक
    3. शहरी नियोजन
    4. अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘प्रभुत्वशाली जाति’ की अवधारणा का प्रयोग भारतीय ग्रामीण राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में किया। प्रभुत्वशाली जाति वह जाति होती है जो गाँव में संख्यात्मक रूप से बड़ी होती है, आर्थिक और शैक्षिक रूप से मजबूत होती है, और स्थानीय सत्ता संरचनाओं पर नियंत्रण रखती है।
    • संदर्भ और विस्तार: प्रभुत्वशाली जाति गाँव के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। यह अवधारणा विशेष रूप से ग्रामीण भारत में शक्ति की गतिशीलता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: यह अवधारणा आर्थिक विकास, शहरी नियोजन या अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रत्यक्ष विश्लेषण के बजाय ग्रामीण राजनीतिक संरचनाओं पर केंद्रित है।

    प्रश्न 16: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षरण और व्यक्तियों में दिशाहीनता की भावना से संबंधित है, मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. एमिल दुर्खीम
    4. टैल्कॉट पार्सन्स

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण में केंद्रीय स्थान दिया। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ सामाजिक नियम या तो अनुपस्थित होते हैं या प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर रहे होते हैं, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता, हताशा और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने आत्महत्या पर अपने प्रसिद्ध अध्ययन में ‘एनोमिक आत्महत्या’ का वर्णन किया, जहाँ व्यक्ति की अपनी इच्छाओं और समाज की अपेक्षाओं के बीच संतुलन टूटने से यह स्थिति उत्पन्न होती है।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ‘संघर्ष’ और ‘अलगाव’ पर, मैक्स वेबर ‘सत्ता’ और ‘तर्कसंगतीकरण’ पर, और टैल्कॉट पार्सन्स ‘सामाजिक व्यवस्था’ और ‘प्रकार्यवाद’ पर अधिक केंद्रित थे।

    प्रश्न 17: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंधों के माध्यम से प्राप्त लाभों को संदर्भित करती है, का प्रमुख विकासकर्ता कौन माना जाता है?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. जेम्स कोलमेन
    3. रॉबर्ट पुटनम
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास कई समाजशास्त्रियों ने किया है। पियरे बॉर्डियू ने इसे व्यक्तिगत संसाधनों के रूप में देखा जो नेटवर्क से प्राप्त होते हैं, जेम्स कोलमेन ने इसे सामाजिक संरचनाओं में निहित एक संसाधन माना जो व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है, और रॉबर्ट पुटनम ने नागरिक समाज और लोकतंत्र में इसके महत्व पर जोर दिया। इसलिए, उपरोक्त सभी इसके प्रमुख विकासकर्ता हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे शिक्षा और वर्ग व्यवस्था के विश्लेषण में, कोलमेन ने इसे सामाजिक व्यवस्था और व्यक्तिगत कार्रवाई के अध्ययन में, और पुटनम ने अमेरिकी लोकतंत्र पर इसके प्रभाव को समझाने के लिए प्रयोग किया।
    • गलत विकल्प: केवल एक विकल्प को चुनना इस बहुआयामी अवधारणा के विकास की जटिलता को कम कर देगा।

    प्रश्न 18: मैक्स वेबर ने ‘अनुष्ठानिक शुद्धता’ (Ritual Purity) और ‘अपवित्रता’ (Pollution) के विचारों को किस सामाजिक व्यवस्था के विश्लेषण में महत्वपूर्ण पाया?

    1. पश्चिमी बुर्जुआ समाज
    2. भारतीय जाति व्यवस्था
    3. आधुनिक नौकरशाही
    4. औद्योगिक श्रमिक वर्ग

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने भारतीय जाति व्यवस्था के विश्लेषण में ‘अनुष्ठानिक शुद्धता’ और ‘अपवित्रता’ के विचारों को केंद्रीय पाया। उन्होंने तर्क दिया कि जाति व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक रूप है जो विशुद्धता और प्रदूषण के विचारों पर आधारित है, और यह व्यवसाय, अंतर्विवाह और सामाजिक संपर्क को नियंत्रित करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक ‘द प्रॉटेस्टैंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ के अलावा ‘हिंदू समाज’ पर भी गहन अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने जाति को एक प्रमुख विश्लेषण इकाई माना।
    • गलत विकल्प: पश्चिमी समाज, आधुनिक नौकरशाही या औद्योगिक श्रमिक वर्ग के विश्लेषण में ये विशेष अवधारणाएँ उतनी केंद्रीय नहीं हैं जितनी कि भारतीय जाति व्यवस्था में।

    प्रश्न 19: ‘अनुकूली निष्क्रियता’ (Adaptive Inactivity) की अवधारणा, जो व्यक्तियों के लिए किसी विशेष सामाजिक या संस्थागत व्यवस्था में निष्क्रिय रहने को कभी-कभी एक प्रकार की अनुकूलन रणनीति के रूप में देखती है, का श्रेय किसे दिया जा सकता है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. ई. सी. ह्यूमन्स
    3. ऑगस्ट ब्लूमर
    4. अल्बर्ट बंडूरा

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: यद्यपि ‘अनुकूली निष्क्रियता’ एक अत्यंत विशिष्ट शब्द है और यह किसी एक समाजशास्त्री के नाम से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है, लेकिन इस विचार को अक्सर ई. सी. ह्यूमन्स (E.C. Hughes) जैसे समाजशास्त्रियों के काम में पाया जाता है, जिन्होंने सामाजिक भूमिकाओं, व्यवसायों और किसी समूह के भीतर ‘आला’ (niche) को भरने के तरीके पर जोर दिया। कुछ सामाजिक मनोवैज्ञानिक (जैसे अल्बर्ट बंडूरा) भी व्यवहारिक अनुकूलन के तरीकों पर बात करते हैं, लेकिन ह्यूमन्स का कार्य अधिक प्रासंगिक लगता है। * (नोट: यह प्रश्न थोड़ा विशिष्ट है और ह्यूमन्स के काम के समाजीकरण और भूमिका सिद्धांत से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है)।
    • संदर्भ और विस्तार: ह्यूमन्स ने उन तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जिनसे व्यक्ति सामाजिक व्यवस्थाओं में भाग लेते हैं, और कभी-कभी किसी व्यवस्था में न्यूनतम भागीदारी या निष्क्रियता भी एक प्रकार की सुरक्षित या अनुकूलनीय रणनीति हो सकती है, खासकर जब सक्रिय भागीदारी हानिकारक हो।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ‘एनोमी’ पर, ब्लूमर ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ पर, और बंडूरा ‘सामाजिक संज्ञानात्मक सिद्धांत’ पर प्रमुख रूप से जाने जाते हैं।

    प्रश्न 20: ‘नगरीयता’ (Urbanism) की अवधारणा, जो शहरी जीवन की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विशेषताओं का वर्णन करती है, किस समाजशास्त्री ने प्रस्तुत की?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. कार्ल मार्क्स
    3. जॉर्ज सिमेल
    4. अल्बर्ट वायन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • जॉर्ज सिमेल ने 1903 के अपने निबंध ‘मेट्रोपॉलिस और मानसिक जीवन’ (The Metropolis and Mental Life) में ‘नगरीयता’ की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कैसे बड़े शहरों की भीड़, तीव्र गति, और विविधता व्यक्ति के मानसिक जीवन और सामाजिक अंतःक्रियाओं को प्रभावित करती है, जिससे व्यक्ति अधिकblasé (उदासीन) हो जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने शहरी जीवन के मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि उत्तेजना की अधिकता, व्यक्तिगतता का विकास, और मौद्रिक संबंधों का प्रभुत्व।
    • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने ग्रामीण-शहरी अंतर को ‘यांत्रिक’ और ‘जैविक’ एकजुटता के संदर्भ में देखा, कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी शहरीकरण के प्रभाव पर बात की, और अल्बर्ट वायन ने भी शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया, लेकिन नगरीयता की विशिष्ट अवधारणा सिमेल से जुड़ी है।

    प्रश्न 21: सामाजिक अनुसंधान की ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

    1. मात्रात्मक डेटा का संग्रह
    2. जनसंख्या के बड़े नमूनों का सांख्यिकीय विश्लेषण
    3. घटनाओं के अर्थ, संदर्भ और अनुभव को समझना
    4. कारण-कार्य संबंधों को सिद्ध करना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य किसी घटना के पीछे के गहरे अर्थों, सामाजिक संदर्भों, और उसमें शामिल व्यक्तियों के अनुभवों को समझना है। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे सवालों पर केंद्रित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: गुणात्मक विधियों में साक्षात्कार (interviews), अवलोकन (observation), केस स्टडी (case studies) और फोकस ग्रुप (focus groups) शामिल हैं। यह गहराई से समझने पर बल देता है, न कि मापनीयता पर।
    • गलत विकल्प: मात्रात्मक डेटा संग्रह, सांख्यिकीय विश्लेषण, और कारण-कार्य संबंध स्थापित करना मुख्य रूप से ‘मात्रात्मक विधि’ (Quantitative Method) के उद्देश्य हैं।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. किसी समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर स्थानांतरण
    2. समाज में विभिन्न वर्गों के बीच अंतर
    3. सामाजिक स्तरीकरण के सिद्धांतों का अध्ययन
    4. सामाजिक विकास की प्रक्रिया

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य किसी समाज के भीतर व्यक्तियों या समूहों के सामाजिक स्थिति (जैसे आय, शिक्षा, व्यवसाय, या जाति) में समय के साथ होने वाले परिवर्तन से है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसे ‘ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ (vertical mobility), ‘क्षैतिज गतिशीलता’ (horizontal mobility), ‘अंतः-पीढ़ी गतिशीलता’ (intergenerational mobility), और ‘अंतः-पीढ़ी गतिशीलता’ (intragenerational mobility) जैसे विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
    • गलत विकल्प: शेष विकल्प सामाजिक गतिशीलता की प्रत्यक्ष परिभाषा नहीं देते हैं।

    प्रश्न 23: परिवार की उत्पत्ति और विकास के संबंध में ‘एकल-पत्नीवाद’ (Monogamy) को मानव समाज का मूल रूप किसने माना?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. लुईस मॉर्गन
    3. एडवर्ड टाइलर
    4. एफ. एंगल्स

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: लुईस हेनरी मॉर्गन (Lewis Henry Morgan) ने अपनी पुस्तक ‘प्राचीन समाज’ (Ancient Society, 1877) में विकासवादी सिद्धांत के अनुसार परिवार के विभिन्न चरणों का वर्णन किया। उन्होंने माना कि मानव समाज ने ‘अश्लील परिवार’ (promiscuous intercourse) से शुरू होकर, क्रम में ‘पितृसत्तात्मक परिवार’, ‘युग्म विवाह’ (pair marriage) और अंततः ‘एकल-पत्नीवाद’ (monogamy) की ओर प्रगति की।
    • संदर्भ और विस्तार: फ्रेडरिक एंगल्स ने मॉर्गन के विचारों को आगे बढ़ाते हुए ‘परिवार, निजी संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति’ (The Origin of the Family, Private Property and the State) में मार्क्सवादी दृष्टिकोण से इसका विश्लेषण किया। हालांकि, परिवार के विकास के इस रैखिक विकासवादी मॉडल को आज विवादास्पद माना जाता है।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे, और एडवर्ड टाइलर मानवशास्त्रीय विकासवाद के प्रमुख प्रस्तावक थे लेकिन मॉर्गन की तरह परिवार के चरणों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत नहीं किया।

    प्रश्न 24: ‘सामूहिकीकरण’ (Collectivization) का विचार, जिसमें निजी संपत्ति को समाप्त कर सामूहिक स्वामित्व स्थापित करने का प्रयास किया जाता है, किस विचारधारा से सबसे अधिक जुड़ा है?

    1. उदारवाद (Liberalism)
    2. मार्क्सवाद-लेनिनवाद (Marxism-Leninism)
    3. अराजकतावाद (Anarchism)
    4. संस्थावाद (Institutionalism)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामूहिकीकरण का विचार, विशेष रूप से कृषि और उत्पादन के साधनों के संबंध में, मार्क्सवाद-लेनिनवाद की प्रमुख नीतियों में से एक रही है। इसका उद्देश्य निजी स्वामित्व को समाप्त कर समाजवादी या साम्यवादी उत्पादन प्रणाली स्थापित करना था।
    • संदर्भ और विस्तार: सोवियत संघ में स्टालिन के शासनकाल में जबरन सामूहिकीकरण लागू किया गया था, जिसने छोटे खेतों को बड़े सामूहिक खेतों (Kolkhozes) में बदल दिया। चीन और अन्य साम्यवादी देशों में भी इसी तरह के प्रयोग हुए।
    • गलत विकल्प: उदारवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजी संपत्ति पर जोर देता है। अराजकतावाद संपत्ति के सामूहिक स्वामित्व का समर्थन कर सकता है लेकिन इसका तरीका और व्यवस्था भिन्न हो सकती है, जबकि संस्थावाद सामाजिक संस्थाओं के अध्ययन पर केंद्रित है।

    प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक अनुसंधान की एक प्रमुख नैतिक चिंता है?

    1. अनुसंधान की निष्पक्षता बनाए रखना
    2. प्रतिभागियों की गोपनीयता और सूचित सहमति सुनिश्चित करना
    3. आंकड़ों का अति-सरलीकरण
    4. सिद्धांत-निर्माण पर अधिक जोर देना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक अनुसंधान में प्रतिभागियों की गोपनीयता (confidentiality) और सूचित सहमति (informed consent) सुनिश्चित करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण नैतिक चिंता है। इसका अर्थ है कि शोधकर्ताओं को प्रतिभागियों की पहचान गुप्त रखनी चाहिए और उन्हें अनुसंधान के उद्देश्य, प्रक्रिया और संभावित जोखिमों के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए, जिसके बाद ही उनकी भागीदारी की सहमति लेनी चाहिए।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि अनुसंधान प्रक्रिया नैतिक सिद्धांतों का पालन करे और व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करे।
    • गलत विकल्प: अनुसंधान की निष्पक्षता (a) एक पद्धतिगत चिंता है, जबकि आंकड़े का अति-सरलीकरण (c) या सिद्धांत पर अधिक जोर देना (d) अनुसंधान की गुणवत्ता या व्याख्या से संबंधित मुद्दे हैं, न कि सीधे तौर पर नैतिक चिंताएं।

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