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वैश्विक कूटनीति का एक नया अध्याय: क्या ट्रंप का सीज़फ़ायर “ऐतिहासिक” था, प्रियंका गांधी का तीखा प्रहार!

वैश्विक कूटनीति का एक नया अध्याय: क्या ट्रंप का सीज़फ़ायर “ऐतिहासिक” था, प्रियंका गांधी का तीखा प्रहार!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सीज़फ़ायर (युद्धविराम) की घोषणा की, जिसे उन्होंने “इतिहास में पहली बार” बताया। इस बयान पर भारत में राजनीतिक गलियारों से तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं, जिनमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का यह आरोप भी शामिल था कि यह घोषणा प्रधानमंत्री पर अमेरिकी हस्तक्षेप को बढ़ावा देने का प्रयास है। यह घटनाक्रम, वैश्विक कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, और भारत की विदेश नीति के जटिल जाल को उजागर करता है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न पहलुओं को गहराई से खंगालने का प्रयास करेगा। हम समझेंगे कि यह सीज़फ़ायर क्या था, इसके पीछे की वैश्विक भू-राजनीति क्या है, और प्रियंका गांधी के आरोप के निहितार्थ क्या हैं। इसके साथ ही, हम UPSC के दृष्टिकोण से इस मुद्दे के महत्वपूर्ण तत्वों पर प्रकाश डालेंगे, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संगठन, युद्धविराम के तंत्र, भू-राजनीतिक रणनीतियाँ और भारत की विदेश नीति की भूमिका शामिल है।

1. सीज़फ़ायर क्या है? वैश्विक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण

सीज़फ़ायर, जिसे सरल शब्दों में ‘युद्धविराम’ कहा जाता है, दो या दो से अधिक विरोधी पक्षों के बीच एक अस्थायी या स्थायी समझौता होता है, जिसके तहत वे सैन्य कार्रवाई को रोक देते हैं। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो विभिन्न उद्देश्यों को पूरा कर सकती है:

  • मानवीय सहायता पहुँचाना: युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे नागरिकों तक भोजन, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक सामग्री पहुँचाने के लिए सीज़फ़ायर महत्वपूर्ण होता है।
  • शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त करना: यह दोनों पक्षों को सैन्य दबाव से मुक्त होकर बातचीत की मेज पर आने का अवसर प्रदान करता है।
  • संघर्ष को कम करना: अप्रत्याशित वृद्धि को रोकने और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए यह एक आवश्यक कदम हो सकता है।
  • राजनीतिक लाभ: कुछ देश अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी मध्यस्थता की भूमिका को मजबूत करने के लिए सीज़फ़ायर की घोषणा का उपयोग कर सकते हैं।

उपमा: कल्पना कीजिए कि दो बच्चे किसी खिलौने को लेकर लड़ रहे हैं। सीज़फ़ायर एक तरह से उनके माता-पिता का हस्तक्षेप है, जो उन्हें थोड़ी देर के लिए खेलने से रोक देता है ताकि वे शांत होकर बात कर सकें कि खिलौना किसे मिलेगा या वे बारी-बारी से खेलेंगे।

2. डोनाल्ड ट्रंप और “ऐतिहासिक” सीज़फ़ायर की घोषणा: संदर्भ और निहितार्थ

डोनाल्ड ट्रंप, अपने कार्यकाल के दौरान, अक्सर अप्रत्याशित कूटनीतिक चालों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कई वैश्विक मुद्दों पर पारंपरिक कूटनीतिक मार्गों से हटकर अपनी एक अलग शैली अपनाई, जिसमें “डील मेकर” के रूप में अपनी भूमिका पर जोर देना शामिल था।

जब ट्रंप ने किसी सीज़फ़ायर की घोषणा की, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि वे किस संदर्भ में बात कर रहे थे:

  • संभावित मध्यस्थता: वे किसी विशेष संघर्ष में अपनी मध्यस्थता की भूमिका को रेखांकित कर रहे होंगे, जिससे दोनों पक्षों को एक आम सहमति पर लाने का प्रयास किया जा सके।
  • “अमेरिका फर्स्ट” की नीति: उनकी विदेश नीति का मूल सिद्धांत “अमेरिका फर्स्ट” था। इसके तहत, वे उन सौदों या समझौतों की तलाश में थे जो अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को सीधे तौर पर बढ़ावा दें, भले ही इसके लिए पारंपरिक कूटनीतिक तौर-तरीके इस्तेमाल न किए जाएँ।
  • “ऐतिहासिक” दावा: “इतिहास में पहली बार” जैसे दावे अक्सर ट्रंप की शैली रहे हैं, जो अपने कार्यों को असाधारण और अभूतपूर्व बताने का प्रयास करते थे। यह दावा, कूटनीतिक रूप से, अन्य देशों को यह संकेत देने के लिए हो सकता है कि अमेरिका एक नई दिशा में नेतृत्व कर रहा है।

केस स्टडी: 2020 में, ट्रंप ने इजराइल और यूएई के बीच हुए “अब्राहम एकॉर्ड्स” (Abraham Accords) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह एक ऐतिहासिक शांति समझौता था जिसने दशकों से चले आ रहे अरब-इजरायल संबंधों को बदला। इस तरह के समझौतों की पृष्ठभूमि में, ट्रंप सीज़फ़ायर की घोषणा को उसी तरह की “डील” के रूप में पेश कर सकते थे, जहाँ अमेरिका ने एक बड़ी शांति पहल की हो।

3. प्रियंका गांधी का तीखा प्रहार: “प्रधानमंत्री पर अमेरिकी हस्तक्षेप को बढ़ावा”

प्रियंका गांधी वाड्रा का यह आरोप एक गंभीर राजनीतिक बयान है, जिसके कई संभावित अर्थ हो सकते हैं:

  • राष्ट्रीय संप्रभुता का सवाल: उनका मुख्य आरोप यह हो सकता है कि किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा, भारत के किसी आंतरिक या बाहरी मामले में, सीज़फ़ायर जैसी घोषणा भारत की संप्रभुता पर एक हस्तक्षेप है। विशेष रूप से यदि यह घोषणा भारत के प्रधानमंत्री की जानकारी या सहमति के बिना की गई हो।
  • “डील” की राजनीति: यह आरोप इस ओर इशारा कर सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ट्रंप के साथ किसी “डील” में शामिल हो सकते हैं, जहाँ अमेरिका को कूटनीतिक हस्तक्षेप का मौका मिल रहा हो, शायद बदले में किसी अन्य लाभ की अपेक्षा हो।
  • कमजोर विदेश नीति का संकेत: यह आरोप भारत की विदेश नीति की स्वायत्तता पर सवाल उठाता है। यदि भारत अपनी विदेश नीति के फैसले स्वयं नहीं ले पा रहा है और विदेशी शक्तियों पर निर्भर हो रहा है, तो यह चिंता का विषय है।
  • घरेलू राजनीति का आयाम: किसी भी अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम को अक्सर घरेलू राजनीतिक लाभ-हानि के चश्मे से देखा जाता है। कांग्रेस पार्टी, सरकार की विदेश नीति की आलोचना करके, जनता के बीच एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास कर सकती है।

उदाहरण: मान लीजिए भारत का किसी पड़ोसी देश से सीमा पर तनाव चल रहा है। यदि कोई तीसरा देश, जैसे अमेरिका, बिना भारत की सहमति के उस तनाव को कम करने के लिए “सीज़फ़ायर” की घोषणा कर देता है, तो भारत सरकार के लिए यह एक असहज स्थिति होगी। यह सवाल उठाता है कि क्या भारत अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं नहीं कर सकता?

4. UPSC के लिए प्रासंगिक मुद्दे: एक गहन विश्लेषण

यह घटनाक्रम UPSC परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे निम्नलिखित दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है:

4.1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations)

  • द्विपक्षीय संबंध: भारत और अमेरिका के बीच संबंध, विभिन्न कूटनीतिक आदान-प्रदान और समझौतों का महत्व।
  • बहुपक्षीय मंच: संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका, सीज़फ़ायर प्रस्तावों को लागू करने में उनकी प्रभावशीलता।
  • भू-राजनीतिक समीकरण: वैश्विक शक्ति संतुलन, प्रमुख देशों की विदेश नीतियाँ (जैसे अमेरिका, रूस, चीन) और उनके रणनीतिक हित।
  • कूटनीतिक अभ्यास: “शांत कूटनीति” (Quiet Diplomacy) बनाम “सार्वजनिक कूटनीति” (Public Diplomacy), “डील मेकिंग” की कूटनीतिक शैलियाँ।
  • राष्ट्रीय हित: विदेश नीति में राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना और संप्रभुता की रक्षा।

4.2. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security)

  • सीमा प्रबंधन: पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद और उन्हें सुलझाने के तरीके।
  • संघर्ष समाधान: युद्ध और संघर्षों को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियाँ।
  • अप्रसार: परमाणु अप्रसार संधियाँ और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा।

4.3. भारतीय विदेश नीति (Indian Foreign Policy)

  • गुटनिरपेक्षता की विरासत: भारत की ऐतिहासिक गुटनिरपेक्षता की नीति और वर्तमान समय में इसका महत्व।
  • रणनीतिक स्वायत्तता: स्वतंत्र निर्णय लेने की भारत की क्षमता और किसी एक शक्ति पर अत्यधिक निर्भरता से बचना।
  • “लुक ईस्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीतियां: भारत की क्षेत्रीय कूटनीति और पड़ोसियों के साथ संबंध।
  • कूटनीतिक संतुलन: विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना।

4.4. शासन (Governance)

  • निर्णय निर्माण प्रक्रिया: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: विदेश नीति के फैसलों में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही।

5. सीज़फ़ायर के तंत्र और चुनौतियाँ

सीज़फ़ायर को केवल घोषित कर देना ही पर्याप्त नहीं होता। इसे प्रभावी बनाने के लिए कई तंत्रों की आवश्यकता होती है, और इसमें कई चुनौतियाँ भी आती हैं:

5.1. तंत्र (Mechanisms):

  • निगरानी और सत्यापन: यह सुनिश्चित करना कि दोनों पक्ष सहमतियों का पालन कर रहे हैं, इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों या संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की आवश्यकता हो सकती है।
  • निर्बाध मानवीय पहुँच: मानवीय सहायता संगठनों को प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित रूप से पहुँचने की अनुमति देना।
  • निर्धारित क्षेत्र: सीज़फ़ायर किन भौगोलिक क्षेत्रों पर लागू होगा, यह स्पष्ट होना चाहिए।
  • सीमाएँ और उल्लंघन: सीज़फ़ायर के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई होगी, यह भी स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए।

5.2. चुनौतियाँ (Challenges):

  • विश्वास की कमी: विरोधी पक्षों के बीच अविश्वास सीज़फ़ायर को भंग करने का एक बड़ा कारण हो सकता है।
  • अस्पष्ट परिभाषाएँ: “सैन्य कार्रवाई” की परिभाषा पर मतभेद हो सकते हैं। क्या गुप्त अभियान या जासूसी को उल्लंघन माना जाएगा?
  • स्थायी शांति का अभाव: सीज़फ़ायर अक्सर अल्पकालिक होते हैं और तब तक टिकते हैं जब तक कि स्थायी शांति समझौते पर हस्ताक्षर न हो जाएँ।
  • बाहरी हस्तक्षेप: अन्य देशों का पक्ष लेना या संघर्ष में अनौपचारिक रूप से शामिल होना सीज़फ़ायर को कमजोर कर सकता है।
  • प्रभावी प्रवर्तन: यदि सीज़फ़ायर का उल्लंघन होता है, तो उस पर कार्रवाई करने के लिए एक मजबूत प्रवर्तन तंत्र का अभाव एक बड़ी चुनौती है।

“सीज़फ़ायर केवल एक विराम है, युद्ध की समाप्ति नहीं। असली चुनौती इस विराम का उपयोग करके विश्वास का निर्माण करना और शांतिपूर्ण समाधान खोजना है।”

6. भारत के लिए सबक और भविष्य की राह

इस पूरी घटना से भारत के लिए कुछ महत्वपूर्ण सबक सीखे जा सकते हैं:

  • रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करना: भारत को अपनी विदेश नीति में पूरी तरह से स्वतंत्र रहना चाहिए और किसी भी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
  • कूटनीतिक क्षमता का विस्तार: भारत को वैश्विक मंच पर अपनी मध्यस्थता की भूमिका को और मजबूत करने और प्रभावी समाधान प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
  • पारदर्शिता: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समझौतों या घोषणाओं के संबंध में देश के भीतर अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए।
  • मीडिया और जनमत का प्रबंधन: विदेशी बयानों और उनकी व्याख्याओं के संबंध में मीडिया और जनता को सही जानकारी प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
  • मजबूत रक्षा और विदेश मंत्रालय: भारत के रक्षा और विदेश मंत्रालय को किसी भी उभरती हुई कूटनीतिक स्थिति का प्रभावी ढंग से विश्लेषण और प्रतिक्रिया करने के लिए सुसज्जित होना चाहिए।

UPSC के दृष्टिकोण से: उम्मीदवारों को ऐसे मुद्दों का विश्लेषण करते समय केवल राजनीतिक बयानों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, भू-राजनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति के व्यापक संदर्भ को समझना चाहिए। सीज़फ़ायर जैसे मुद्दों की जड़ें अक्सर जटिल वैश्विक शक्ति संघर्षों और राष्ट्रीय हितों में छिपी होती हैं।

यह आवश्यक है कि उम्मीदवार इन मुद्दों के विभिन्न पहलुओं को संतुलित तरीके से देखें, जैसे कि एक कूटनीतिक मध्यस्थता के सकारात्मक पहलू (जैसे मानवीय सहायता) और इसके संभावित नकारात्मक पहलू (जैसे संप्रभुता पर प्रश्न)।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा एक सीज़फ़ायर (युद्धविराम) का प्राथमिक उद्देश्य नहीं है?
(a) मानवीय सहायता पहुँचाना
(b) शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त करना
(c) विरोधी सेनाओं के मनोबल को कम करना
(d) संघर्ष की वृद्धि को रोकना
उत्तर: (c)
व्याख्या: सीज़फ़ायर का उद्देश्य सैन्य कार्रवाई को अस्थायी रूप से रोकना है, न कि सीधे तौर पर विरोधी सेनाओं के मनोबल को कम करना, हालांकि यह अप्रत्यक्ष रूप से हो सकता है।

2. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” (America First) विदेश नीति का मुख्य समर्थक कौन था?
(a) बराक ओबामा
(b) जो बाइडेन
(c) डोनाल्ड ट्रंप
(d) हिलेरी क्लिंटन
उत्तर: (c)
व्याख्या: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर जोर दिया था, जिसमें अमेरिकी हितों को प्राथमिकता दी जाती थी।

3. प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र (UN) की कौन सी संस्थाएँ शांति स्थापना (Peacekeeping) और युद्धविराम की निगरानी से जुड़ी हैं?
(a) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)
(b) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council)
(c) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
(d) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
उत्तर: (b)
व्याख्या: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी है, जिसमें शांति सेना भेजना और युद्धविराम लागू करवाना शामिल है।

4. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी संधि भारत के परमाणु अप्रसार (Nuclear Non-Proliferation) के प्रति दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, भले ही भारत इसका हस्ताक्षरकर्ता न हो?
(a) सीटीबीटी (CTBT)
(b) एनपीटी (NPT)
(c) एमटीसीआर (MTCR)
(d) वैसेनार अरेंजमेंट (Wassenaar Arrangement)
उत्तर: (b)
व्याख्या: परमाणु अप्रसार संधि (NPT) वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था की रीढ़ है, और भारत का इस पर हस्ताक्षर न करने के बावजूद, यह भारत की विदेश और सुरक्षा नीति को प्रभावित करती है।

5. प्रश्न: “अबाह्रिम एकॉर्ड्स” (Abraham Accords) किन देशों के बीच सामान्यीकरण (Normalization) के संबंध में एक ऐतिहासिक समझौता था?
(a) इजराइल और जॉर्डन
(b) इजराइल और मिस्र
(c) इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
(d) इजराइल और सऊदी अरब
उत्तर: (c)
व्याख्या: अब्राहम एकॉर्ड्स, 2020 में, इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच हुए थे, और बाद में बहरीन, सूडान और मोरक्को भी इसमें शामिल हुए।

6. प्रश्न: किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा किसी देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप का कौन सा पहलू राष्ट्रीय संप्रभुता (National Sovereignty) से जुड़ा है?
(a) आर्थिक सहयोग
(b) सांस्कृतिक आदान-प्रदान
(c) सैन्य हस्तक्षेप या अनुचित दबाव
(d) पर्यटन को बढ़ावा देना
उत्तर: (c)
व्याख्या: किसी देश के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप, विशेष रूप से सैन्य या राजनीतिक दबाव के माध्यम से, उसकी संप्रभुता पर सीधा हमला माना जाता है।

7. प्रश्न: भारत की विदेश नीति का कौन सा सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि वह किसी भी प्रमुख शक्ति के गुट के साथ पूरी तरह से न जुड़ा हो?
(a) सामरिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)
(b) लोकलुभावनवाद (Populism)
(c) संरक्षणवाद (Protectionism)
(d) राष्ट्रीयतावाद (Nationalism)
उत्तर: (a)
व्याख्या: सामरिक स्वायत्तता का अर्थ है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकता है और किसी एक देश या गुट के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध नहीं है।

8. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युद्धों को समाप्त करने और शांति बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र (UN) के निम्नलिखित में से कौन से अंग सक्रिय भूमिका निभाते हैं?
1. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly)
2. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council)
3. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)
व्याख्या: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शांति और सुरक्षा बनाए रखने में प्राथमिक भूमिका निभाती है, जबकि महासभा भी शांति प्रस्ताव पारित कर सकती है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय कानूनी विवादों का समाधान करता है, न कि प्रत्यक्ष शांति स्थापना का।

9. प्रश्न: “कूटनीति” (Diplomacy) का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?
(a) युद्ध की घोषणा करना
(b) देशों के बीच बातचीत और संवाद के माध्यम से संबंधों का प्रबंधन
(c) विदेशी आक्रमण की तैयारी करना
(d) आर्थिक प्रतिबंध लगाना
उत्तर: (b)
व्याख्या: कूटनीति देशों के बीच विवादों को सुलझाने, सहयोग को बढ़ावा देने और सामान्य हितों को आगे बढ़ाने के लिए बातचीत और संवाद की कला है।

10. प्रश्न: यदि कोई देश अपनी विदेश नीति के संबंध में किसी बाहरी शक्ति पर बहुत अधिक निर्भर हो जाता है, तो वह किस खतरे का सामना कर सकता है?
(a) बढ़ती आर्थिक शक्ति
(b) राष्ट्रीय संप्रभुता का क्षरण
(c) बेहतर अंतर्राष्ट्रीय संबंध
(d) तीव्र आर्थिक विकास
उत्तर: (b)
व्याख्या: अपनी विदेश नीति में बाहरी शक्ति पर अत्यधिक निर्भरता देश की निर्णय लेने की क्षमता और स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता को कम कर सकती है, जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता का क्षरण हो सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: “सीज़फ़ायर” (Ceasefire) क्या है और इसके प्रभावी होने के लिए किन तंत्रों की आवश्यकता होती है? अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में इसके महत्व और चुनौतियों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)

2. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” जैसी विदेश नीतियों का वैश्विक शक्ति संतुलन और द्विपक्षीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण सहित समझाइए। (250 शब्द, 15 अंक)

3. प्रश्न: किसी देश की विदेश नीति में “सामरिक स्वायत्तता” (Strategic Autonomy) का क्या महत्व है? भारत के संदर्भ में इस अवधारणा की प्रासंगिकता पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)

4. प्रश्न: “प्रियंका गांधी के आरोपों के प्रकाश में, क्या एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा किसी संघर्ष में सीज़फ़ायर की घोषणा को भारत की संप्रभुता पर हस्तक्षेप माना जा सकता है? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करें।” (250 शब्द, 15 अंक)

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