लोकतंत्र के प्रहरी: आज के 25 सवालों से अपनी पकड़ मज़बूत करें
हमारे लोकतंत्र के आधार स्तंभों को गहराई से समझना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की सफलता के लिए अनिवार्य है। क्या आप अपने संवैधानिक ज्ञान के प्रति आश्वस्त हैं? आइए, आज के इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और भारतीय राजव्यवस्था की बारीकियों में महारत हासिल करें।
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का आदर्श किस स्रोत से प्रभावित है?
- ब्रिटिश संविधान
- अमेरिकी संविधान
- रूसी क्रांति
- फ्रांसीसी क्रांति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का आदर्श, 1917 की रूसी क्रांति (बोल्शेविक क्रांति) से प्रेरित है, जिसने समानता, बंधुत्व और न्याय के सिद्धांतों पर जोर दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना भारतीय संविधान का परिचय पत्र है और न्याय का यह आदर्श स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के साथ संविधान के मूल तत्वों में शामिल है। ये तीनों प्रकार के न्याय संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों (DPSP) में भी परिलक्षित होते हैं।
- गलत विकल्प: अमेरिकी संविधान मौलिक अधिकारों और शक्तियों के पृथक्करण से संबंधित है। ब्रिटिश संविधान एकल नागरिकता और संसदीय प्रणाली के लिए जाना जाता है। फ्रांसीसी क्रांति समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन न्याय का विशिष्ट रूप रूसी क्रांति से अधिक प्रेरित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘आर्टिकल 20’ के तहत अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण का हिस्सा नहीं है?
- कार्रवाई के समय लागू कानून के तहत अपराध होना
- एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दंडित न होना
- अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य न किया जाना
- पसंदीदा कानून के तहत कार्यवाही
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 20, अनुच्छेद 22 के विपरीत, केवल नागरिकों को ही नहीं, बल्कि सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को तीन प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है: (a) ex-post facto कानून (अनुच्छेद 20(1)), (b) double jeopardy (अनुच्छेद 20(2)), और (c) self-incrimination (अनुच्छेद 20(3))। ‘पसंदीदा कानून’ (Ex-post facto law) का अर्थ है कि किसी व्यक्ति को उस समय लागू कानून के उल्लंघन के लिए दंडित नहीं किया जा सकता, जब उसने वह कार्य किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 20(1) कहता है कि किसी व्यक्ति को किसी कार्य के किए जाने के समय प्रवृत्त किसी विधि के उल्लंघन में उस कार्य के लिए तब तक किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि वह उस समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन उस कार्य के लिए भागी न हो।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सीधे अनुच्छेद 20 के संरक्षण का हिस्सा हैं। विकल्प (d) ‘पसंदीदा कानून’ के विपरीत ‘पूर्व विधि’ (ex-post facto law) के तहत संरक्षण को संदर्भित करता है, जिसका अर्थ है कि कानून वही होना चाहिए जो अपराध के समय लागू था। ‘पसंदीदा कानून’ संरक्षण का हिस्सा नहीं है, बल्कि अनुच्छेद 20(1) का हिस्सा है, लेकिन इसका आशय ‘किसी भी कानून के तहत’ है, न कि ‘पसंदीदा’।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया के संबंध में कौन सा कथन सही नहीं है?
- यह महाभियोग (Impeachment) कहलाती है।
- इसे संसद के किसी भी सदन में शुरू किया जा सकता है।
- आरोप लगाने वाले सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
- आरोप को पारित करने के लिए विशेष बहुमत (two-thirds majority) की आवश्यकता होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया अनुच्छेद 61 में वर्णित है। यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया केवल ‘राजद्रोह’ (Treason) जैसे गंभीर आधारों पर शुरू की जा सकती है। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, प्रस्ताव संसद के किसी एक सदन, जैसे लोकसभा या राज्यसभा, में पेश किया जा सकता है। हालाँकि, प्रस्ताव को उस सदन की कुल सदस्यता के एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और महाभियोग चलाने के इरादे की कम से कम चौदह दिन की पूर्व सूचना राष्ट्रपति को दी जानी चाहिए। आरोप पत्र को उस सदन की कुल सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) सही हैं। विकल्प (b) गलत है क्योंकि महाभियोग का प्रस्ताव किसी भी सदन में शुरू किया जा सकता है, न कि केवल किसी एक विशेष सदन में।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के बारे में क्या सही है?
- यह शक्ति केवल मृत्युदंड पर लागू होती है।
- यह संघीय कानून के विरुद्ध किए गए अपराधों पर लागू नहीं होती।
- राष्ट्रपति को इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करना होता है।
- यह शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, दंड के निलंबन, लघुकरण या परिहार की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की यह शक्ति न केवल मृत्युदंड पर, बल्कि सभी प्रकार के अपराधों पर लागू होती है, जो संघ के कानून के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, या जो सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड से संबंधित हैं, या जो मृत्युदंड के संबंध में हैं। हालांकि, इस शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सलाह पर किया जाता है। दया याचिकाओं पर राष्ट्रपति का निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकता है, लेकिन यह विवेकाधीन शक्ति नहीं है; इसे सलाह के अनुसार प्रयोग करना होता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि यह केवल मृत्युदंड तक सीमित नहीं है। विकल्प (b) गलत है क्योंकि यह संघीय कानून के विरुद्ध अपराधों पर लागू होती है। विकल्प (d) आंशिक रूप से सही है लेकिन सबसे सटीक उत्तर (c) है, जो शक्ति के प्रयोग के तरीके को स्पष्ट करता है। राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति विवेकाधीन नहीं है, बल्कि वह मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा तत्व भारतीय संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) का हिस्सा है?
- संसदीय सर्वोच्चता
- संवैधानिक संशोधन की शक्ति
- स्वतंत्र न्यायपालिका
- लोकतंत्र का चुनावी स्वरूप
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘मूल संरचना’ का सिद्धांत केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था। यह सिद्धांत सीधे किसी अनुच्छेद में नहीं है, बल्कि न्यायपालिका की व्याख्या से उभरा है।
- संदर्भ और विस्तार: मूल संरचना में संविधान के वे मौलिक तत्व शामिल हैं जिन्हें संसद भी संविधान संशोधन अधिनियम (अनुच्छेद 368) द्वारा नहीं बदल सकती। इसमें लोकतंत्र, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, शक्तियों का पृथक्करण, स्वतंत्र न्यायपालिका, न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकारों के कुछ पहलू आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: संसदीय सर्वोच्चता (Parliamentary Supremacy) भारतीय संविधान में पूर्ण रूप से नहीं है; यह विधि के शासन (Rule of Law) और न्यायिक समीक्षा से संतुलित है। संवैधानिक संशोधन की शक्ति (अनुच्छेद 368) संसद के पास है, लेकिन यह शक्ति भी ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती। लोकतंत्र का चुनावी स्वरूप मूल संरचना का हिस्सा है, लेकिन ‘स्वतंत्र न्यायपालिका’ एक अधिक स्थापित और मौलिक तत्व है जिसका उल्लेख अक्सर मूल संरचना के संबंध में किया जाता है।
प्रश्न 6: राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का आधार क्या है?
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 249
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति को संघ के संबंध में अध्यादेश जारी करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 123 द्वारा प्रदान की गई है।
- संदर्भ और विस्तार: जब संसद का कोई एक सदन (या दोनों सदन) सत्र में न हो और ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाएँ कि राष्ट्रपति के लिए तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो जाए, तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। यह अध्यादेश संसद के पुनः सत्र में आने के छह सप्ताह के भीतर दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना आवश्यक है, अन्यथा यह स्वतः समाप्त हो जाता है। यह शक्ति मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही प्रयोग की जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की विटो शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, और अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन ‘अनुच्छेद 32’ के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी रिटों में से एक नहीं है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है, जो मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति देता है। सर्वोच्च न्यायालय पांच प्रकार के रिट जारी कर सकता है: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण (Certiorari)।
- संदर्भ और विस्तार: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) एक महत्वपूर्ण रिट है जो किसी व्यक्ति को उस सार्वजनिक पद को धारण करने से रोकती है, जिसके लिए वह अनधिकृत है।
- गलत विकल्प: सभी विकल्प (a), (b), (c), और (d) अनुच्छेद 32 के तहत जारी किए जा सकने वाले रिट हैं। प्रश्न में पूछा गया है कि कौन सा ‘नहीं’ है। यहां एक त्रुटि है। अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी की जाने वाली रिट है। क्षमा कीजियेगा, लेकिन प्रश्न में निर्दिष्ट विकल्पों में से कोई भी ऐसा नहीं है जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी न किया जाता हो। यदि प्रश्न में ‘उत्प्रेषण’ (Certiorari) के स्थान पर कोई अन्य विकल्प होता, तो वह सही उत्तर होता। इस प्रश्न के ढांचे में, सभी दिए गए रिट अनुच्छेद 32 के तहत जारी किए जाते हैं।
प्रश्न 8: भारत में ‘पंचवर्षीय योजनाओं’ को अंतिम मंजूरी देने वाली संस्था कौन सी है?
- राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC)
- योजना आयोग (Planning Commission)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- संसद (Parliament)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचवर्षीय योजनाओं का संबंध संविधान के किसी विशेष अनुच्छेद से सीधे तौर पर नहीं है, क्योंकि यह एक कार्यकारी निर्णय था। हालाँकि, राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की स्थापना 1952 में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: योजना आयोग, जो अब नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित हो चुका है, पंचवर्षीय योजनाओं का मसौदा तैयार करता था। इन योजनाओं को अंतिम मंजूरी राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) द्वारा दी जाती थी, जिसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते थे। NDC का उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था।
- गलत विकल्प: योजना आयोग मसौदा तैयार करता था, अंतिम मंजूरी नहीं देता था। वित्त आयोग वित्तीय मामलों पर सलाह देता है। संसद योजनाओं को पारित कर सकती है, लेकिन अंतिम मंजूरी का अधिकार NDC का था।
प्रश्न 9: ‘संसदीय प्रणाली’ में, मंत्रिपरिषद की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर
- प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को सलाह देकर
- राष्ट्रपति, स्वयं की विवेक से
- संसद के बहुमत से चयनित नेता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय प्रणाली में, मंत्रिपरिषद की नियुक्ति की प्रक्रिया अनुच्छेद 75 में वर्णित है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर, अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो सामान्यतः लोकसभा में बहुमत दल के नेता होते हैं। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री अपनी नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सलाह देते हैं, लेकिन मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति ही करते हैं, प्रधानमंत्री की सलाह पर। राष्ट्रपति अपनी विवेक से नियुक्ति नहीं करते, न ही संसद के बहुमत से सीधे चयनित नेता मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) के संबंध में गलत है?
- यह राज्य को किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं देता।
- यह नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने या न करने की स्वतंत्रता देता है।
- भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी मॉडल से भिन्न है।
- राज्य का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि यह सभी धर्मों का सम्मान करता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा प्रस्तावना का हिस्सा है और मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 25-28) में परिलक्षित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों को समान मानता है और किसी भी धर्म को विशेष संरक्षण या समर्थन नहीं देता। यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से भिन्न है, जहाँ राज्य पूरी तरह से धर्म से अलग रहता है (strict separation)। भारतीय मॉडल में, राज्य सभी धर्मों का सम्मान करता है और उन्हें समान अवसर प्रदान करता है, और यदि आवश्यक हो तो धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप भी कर सकता है (जैसे सामाजिक सुधारों के लिए)।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सही हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि भारतीय राज्य का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन यह ‘सभी धर्मों का सम्मान’ करता है, जो पश्चिम के ‘धर्म से अलगाव’ (separation of church and state) से अलग है। भारतीय धर्मनिरपेक्षता ‘सर्व-धर्म समभाव’ (equal respect for all religions) पर आधारित है, न कि धर्म से पूर्ण अलगाव पर।
प्रश्न 11: किस संवैधानिक संशोधन द्वारा ‘मूल कर्तव्यों’ (Fundamental Duties) को संविधान में जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मूल कर्तव्यों को संविधान के भाग IV-A में, अनुच्छेद 51A के तहत 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों को देश के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं। स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर इन्हें जोड़ा गया था। वर्तमान में 11 मूल कर्तव्य हैं।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘संसद’ को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, यदि वह राष्ट्रहित में हो?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 252
- अनुच्छेद 253
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय के संबंध में, यदि वह राष्ट्रीय हित में आवश्यक हो, तो कानून बनाने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके लिए राज्यसभा को यह संकल्प पारित करना होता है कि उक्त विषय राष्ट्रहित में है। यह संकल्प पारित होने के बाद, संसद उस विषय पर एक वर्ष के लिए कानून बना सकती है, जिसे एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों की सहमति से कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 253 अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor-General of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है और उनके गठन, शक्तियाँ आदि संविधान में वर्णित हैं। चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (अनुच्छेद 148) संवैधानिक निकाय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और CAG सभी संवैधानिक निकाय हैं। NHRC संवैधानिक निकाय नहीं है, इसलिए यह सही उत्तर है।
प्रश्न 14: ‘राज्यपाल’ को पद से हटाने का प्रावधान भारतीय संविधान में कहाँ वर्णित है?
- राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- राज्यपाल को राष्ट्रपति किसी भी समय हटा सकते हैं।
- राज्यपाल को विधानसभा के बहुमत से हटाया जा सकता है।
- राज्यपाल को हटाने के लिए महाभियोग प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्यपाल की नियुक्ति और कार्यकाल से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 155 और 156 में दिए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 156(1) के अनुसार, राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करेगा। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति राज्यपाल को कभी भी हटा सकते हैं, जिसके लिए कोई विशेष प्रक्रिया या कारण बताने की आवश्यकता नहीं है। यह राज्यपाल के पद की एक प्रमुख विशेषता है जो राष्ट्रपति से भिन्न है, जिन्हें महाभियोग द्वारा हटाया जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) सही है कि कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है, लेकिन यह राष्ट्रपति की संतुष्टि पर निर्भर करता है। विकल्प (c) और (d) गलत हैं, क्योंकि राज्यपाल को विधानसभा के बहुमत से या महाभियोग द्वारा नहीं हटाया जाता।
प्रश्न 15: ‘संसद के सत्र’ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- भारत के राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं।
- सत्र अवसान (Adjournment) सदन के कामकाज को एक निश्चित अवधि के लिए निलंबित करता है।
- सत्र अवसान (Prorogation) सदन को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर देता है।
- विघटन (Dissolution) किसी भी सदन को समाप्त कर देता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की संयुक्त बैठक बुलाने की शक्ति अनुच्छेद 108 में है। सत्र अवसान (Adjournment) और सत्रावसान (Prorogation) की प्रक्रियाएँ संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सत्र अवसान (Adjournment) सदन के संचालन को एक निश्चित अवधि (जैसे कुछ घंटे, दिन या सप्ताह) के लिए स्थगित करता है। सत्रावसान (Prorogation) राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और यह सत्र को समाप्त करता है (न कि सदन को), लेकिन सदन को अनिश्चित काल के लिए नहीं, बल्कि सत्र के अंत तक। ‘विघटन’ (Dissolution) लोकसभा को समाप्त करता है, और यह तभी संभव है जब चुनाव होने हों।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) सही है। विकल्प (b) भी सही है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि विघटन केवल लोकसभा को समाप्त करता है, राज्यसभा को नहीं। विकल्प (c) गलत है क्योंकि सत्रावसान (Prorogation) सदन को सत्र के अंत तक समाप्त करता है, न कि अनिश्चित काल के लिए। ‘अनिश्चित काल के लिए स्थगन’ (Adjournment sine die) वह है जो सदन के संचालन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करता है, और यह अध्यक्ष (Speaker) द्वारा किया जाता है, राष्ट्रपति द्वारा नहीं।
प्रश्न 16: ‘अनुच्छेद 356’ के तहत राष्ट्रपति शासन के बारे में कौन सा कथन गलत है?
- इसे किसी राज्य की विधानसभा में बहुमत खोने पर लगाया जा सकता है।
- इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
- यह एक बार में अधिकतम 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है।
- यह 3 वर्ष से अधिक केवल राष्ट्रीय आपातकाल के साथ ही जारी रह सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति शासन की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा उद्घोषणा की तारीख से दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए (अनुच्छेद 356(3))। एक बार अनुमोदित होने पर, यह 6 महीने की अवधि के लिए प्रभावी रहता है (अनुच्छेद 356(4))। इसे 6 महीने से अधिक समय तक जारी रखने के लिए, संसद के प्रत्येक सदन द्वारा उद्घोषणा की समाप्ति से पहले एक संकल्प पारित करना होगा, जो राज्य में चुनाव कराने की आवश्यकता के बाद 1 वर्ष से अधिक जारी नहीं रह सकता, जब तक कि राष्ट्रीय आपातकाल लागू न हो (अनुच्छेद 356(5))।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) सही है (राज्य में संवैधानिक विफलता)। विकल्प (b) सही है (संसद का अनुमोदन आवश्यक है)। विकल्प (c) सही है (अधिकतम 6 महीने)। विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति शासन 3 वर्ष से अधिक केवल तभी जारी रह सकता है जब राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो और चुनाव आयोग प्रमाणित करे कि उस अवधि के दौरान चुनाव कराना संभव नहीं है।
प्रश्न 17: ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- इसे संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत घोषित किया जाता है।
- इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा उद्घोषणा की तारीख से दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- इसके लागू होने पर, राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जा सकती है।
- यह एक बार में अधिकतम 1 वर्ष के लिए लागू रह सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्तीय आपातकाल का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 360 में है।
- संदर्भ और विस्तार: वित्तीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा उद्घोषणा की तारीख से दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए। एक बार अनुमोदित होने के बाद, यह अनिश्चित काल तक प्रभावी रह सकता है, जब तक कि इसे रद्द न कर दिया जाए। इसके लागू होने पर, राष्ट्रपति संघ और राज्यों के वित्तीय कथनों को स्वीकार्य बनाने के लिए आवश्यक उपाय कर सकते हैं, जिसमें राज्य कर्मचारियों के वेतन में कटौती भी शामिल है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सही हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि वित्तीय आपातकाल की अवधि पर कोई अधिकतम सीमा नहीं है, यह जब तक आवश्यक हो तब तक जारी रह सकता है, बशर्ते संसद का अनुमोदन बना रहे।
प्रश्न 18: ‘सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005’ के तहत, लोक प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन करने की समय-सीमा क्या है?
- 30 दिन
- 45 दिन
- 60 दिन
- कोई समय-सीमा नहीं है, बस आवेदन करना होगा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005, नागरिकों को सरकारी प्राधिकारों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अधिनियम की धारा 7(1) के अनुसार, सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा सूचना प्रदान करने या न देने का निर्णय आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर लिया जाना चाहिए। यदि मामले में तीसरे पक्ष की सूचना शामिल है, तो समय-सीमा 40 दिन है। जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित सूचना के मामले में, यह 48 घंटे है।
- गलत विकल्प: 45 दिन, 60 दिन, या कोई समय-सीमा न होना, ये सभी विकल्प गलत हैं। 30 दिन वह मानक समय-सीमा है।
प्रश्न 19: ‘ग्राम सभा’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- इसमें केवल पंच और सरपंच शामिल होते हैं।
- यह एक पंचायत का कार्यकारी अंग है।
- यह एक विधिक निकाय है जिसके सदस्य उस क्षेत्र के सभी पंजीकृत मतदाता होते हैं।
- यह पंचायत के बजट को मंजूरी देती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ग्राम सभा का उल्लेख पंचायती राज से संबंधित संविधान के भाग IX (अनुच्छेद 243(b)) में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा एक गाँव के लिए मतदाता सूची में पंजीकृत सभी वयस्क सदस्यों से बनी होती है। यह पंचायत का एक कार्यकारी अंग नहीं है, बल्कि एक स्थायी निकाय है। यह ग्राम पंचायत की गतिविधियों की निगरानी करती है, योजनाओं की समीक्षा करती है और कुछ मामलों में ग्राम पंचायत के बजट को मंजूरी दे सकती है (हालांकि मुख्य रूप से ग्राम पंचायत बजट बनाती है)।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि इसमें केवल पंच और सरपंच नहीं, बल्कि सभी पंजीकृत मतदाता शामिल होते हैं। विकल्प (b) गलत है क्योंकि यह पंचायत का कार्यकारी अंग नहीं, बल्कि ग्राम स्तर पर एक बुनियादी संस्था है। विकल्प (d) आंशिक रूप से सही हो सकता है, लेकिन (c) ग्राम सभा की परिभाषा का सबसे सटीक वर्णन करता है।
प्रश्न 20: ‘उच्चतम न्यायालय’ के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 124(1)
- अनुच्छेद 124(2)
- अनुच्छेद 124(3)
- अनुच्छेद 124(4)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 124 उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 124(1) के अनुसार, भारत का एक उच्चतम न्यायालय होगा। अनुच्छेद 124(2) के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलावा, राष्ट्रपति, अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति, और उच्चतम न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के साथ परामर्श के बाद, ऐसे अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं, जिन्हें वे आवश्यक समझें। यह ‘कॉलेजियम प्रणाली’ का आधार है, जिसे समय के साथ विकसित किया गया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 124(1) केवल उच्चतम न्यायालय के अस्तित्व की बात करता है। अनुच्छेद 124(3) न्यायाधीशों की योग्यता से संबंधित है। अनुच्छेद 124(4) न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया (महाभियोग) से संबंधित है।
प्रश्न 21: ‘धन विधेयक’ (Money Bill) की परिभाषा भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में दी गई है?
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: धन विधेयकों से संबंधित प्रक्रिया अनुच्छेद 109 में है, लेकिन धन विधेयक की परिभाषा अनुच्छेद 110 में दी गई है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 110(1) के अनुसार, एक विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किसी भी विषय से संबंधित उपबंध हैं: (a) किसी कर का अधिरोपण, उपांतन, छूट, परिवर्तन या विनियमन; (b) संघ द्वारा उधार लिए जाने वाले धन का विनियमन; (c) भारत की संचित निधि या भारत की आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, उन निधियों में धन जमा करना या उसमें से निकालना; (d) भारत की संचित निधि में से धन का विनियोग; (e) किसी व्यय को भारत की संचित निधि पर भारित होना घोषित करना या ऐसे किसी व्यय की राशि को बढ़ाना; (f) उपखंड (क) से (ङ) में उल्लिखित किसी विषय से संबंधित कोई अन्य मामला।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं से संबंधित है। अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 22: ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ (National Commission for Scheduled Tribes) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है?
- प्रधानमंत्री
- गृह मंत्री
- राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) का प्रावधान अनुच्छेद 338A में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 338A(4) के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। राष्ट्रपति आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा की शर्तें और पदावधि भी निर्धारित करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
प्रश्न 23: ‘संविधान का अनुच्छेद 370’ (अब निरस्त) क्या प्रावधान करता था?
- यह जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था।
- यह नागालैंड को विशेष दर्जा प्रदान करता था।
- यह सिक्किम को भारतीय संघ में पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करता था।
- यह पूर्वोत्तर परिषद के गठन का प्रावधान करता था।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 370, 5 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा प्रभावी रूप से निरस्त कर दिया गया था। यह जम्मू और कश्मीर राज्य को एक विशेष स्वायत्त दर्जा प्रदान करता था।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू और कश्मीर को अपना संविधान, अपना ध्वज और कानून बनाने की स्वतंत्रता थी (रक्षा, विदेश मामले और संचार को छोड़कर, जिनका अधिकार संघ के पास था)। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए अधिकांश भारतीय कानून जम्मू और कश्मीर पर लागू नहीं होते थे, जब तक कि राष्ट्रपति के आदेश से उन्हें वहां विस्तारित न किया जाए।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) अन्य संवैधानिक प्रावधानों या राज्यों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 370 विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर से संबंधित था।
प्रश्न 24: ‘भारत के महान्यायवादी’ (Attorney General of India) की नियुक्ति किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 77
- अनुच्छेद 78
- अनुच्छेद 79
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति और उनके पद से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 76 में दिए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति, भारत सरकार की सहायता के लिए एक महान्यायवादी की नियुक्ति करते हैं, जो उस व्यक्ति होना चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य हो। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उनके कर्तव्यों में वे सभी कार्य शामिल हैं जो राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सौंपे जाते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 77 भारत सरकार के कार्य के संचालन से संबंधित है। अनुच्छेद 78 राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है। अनुच्छेद 79 संसद के गठन से संबंधित है।
प्रश्न 25: ‘पंचायती राज’ को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में शामिल किया गया है?
- 9वीं अनुसूची
- 10वीं अनुसूची
- 11वीं अनुसूची
- 12वीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions – PRI) को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: 11वीं अनुसूची में 29 विषयों की सूची है जिन पर पंचायती राज संस्थाएं कानून बना सकती हैं और उन्हें लागू कर सकती हैं। यह संशोधन पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए किया गया था, जिससे यह ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
- गलत विकल्प: 9वीं अनुसूची में भूमि सुधारों से संबंधित अधिनियम शामिल हैं। 10वीं अनुसूची दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। 12वीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (Municipalities) से संबंधित है।