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लोकतंत्र की नींव: अपनी समझ परखें

लोकतंत्र की नींव: अपनी समझ परखें

सिविल सेवाओं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भारतीय राजव्यवस्था की गहरी समझ अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज हम आपके लिए भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के 25 महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक ऐसा सेट लेकर आए हैं, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेगा और ज्ञान के नए द्वार खोलेगा। तो चलिए, शुरू करते हैं अपनी दैनिक संविधान यात्रा!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारत के राष्ट्रपति को किसी राज्य के संबंध में एक विशेष प्रावधान बनाने की शक्ति देता है?

  1. अनुच्छेद 371
  2. अनुच्छेद 370
  3. अनुच्छेद 372
  4. अनुच्छेद 371A

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 371 भारतीय संविधान के भाग XXI के अंतर्गत आता है, जिसमें “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध” शामिल हैं। यह अनुच्छेद कुछ राज्यों (जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि) के लिए विशेष प्रावधानों की अनुमति देता है, ताकि उनके विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भों को समायोजित किया जा सके।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 371A विशेष रूप से नागालैंड से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर से संबंधित था (अब निरस्त)। अनुच्छेद 372 वर्तमान भारत में लागू कानूनों के निरंतरता से संबंधित है। इसलिए, “किसी राज्य के संबंध में एक विशेष प्रावधान” बनाने की सामान्य शक्ति अनुच्छेद 371 के तहत आती है, जिसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों के लिए उप-अनुच्छेद (जैसे 371A, 371B, आदि) दिए गए हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 370 अब प्रभावी नहीं है। अनुच्छेद 371A केवल नागालैंड के लिए है। अनुच्छेद 372 मौजूदा कानूनों की निरंतरता के बारे में है, न कि नए विशेष प्रावधान बनाने के बारे में।

प्रश्न 2: ‘संविधान की कुंजी’ (Key to the Constitution) के रूप में किसे जाना जाता है?

  1. मूल अधिकार
  2. राज्य के नीति निदेशक तत्व
  3. प्रस्तावना
  4. मौलिक कर्तव्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना (Preamble) को संविधान की ‘कुंजी’ माना जाता है क्योंकि यह संविधान के लक्ष्यों, उद्देश्यों, सिद्धांतों और दर्शन को संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत करती है। यह बताती है कि संविधान का स्रोत क्या है (जनता), संविधान के उद्देश्य क्या हैं (संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाना, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व), और संविधान को कब अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना को संविधान का अभिन्न अंग माना गया है (केशवानंद भारती मामले, 1973), लेकिन इसे न्यायिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता। यह संविधान की व्याख्या करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • गलत विकल्प: मूल अधिकार (Part III), राज्य के नीति निदेशक तत्व (Part IV), और मौलिक कर्तव्य (Part IV-A) संविधान के महत्वपूर्ण अंग हैं, लेकिन वे संविधान के समग्र दर्शन और उद्देश्यों को उसी तरह स्पष्ट नहीं करते जैसे प्रस्तावना करती है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के बारे में सत्य नहीं है?

  1. उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
  3. उन्हें संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन मत देने का अधिकार नहीं।
  4. वे सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी भारतीय न्यायालय में निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वे भारत सरकार के प्रमुख विधि अधिकारी होते हैं और उन्हें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में कार्यवाही में भाग लेने, बोलने और विधायी कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन मत देने का अधिकार नहीं (अनुच्छेद 88)।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं, लेकिन वे निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं जब तक कि वे सरकार के मामले से संबंधित न हों। हालांकि, वे सरकार के विरुद्ध कोई सलाह या बचाव नहीं कर सकते। प्रश्न में यह कथन कि वे “किसी भी भारतीय न्यायालय में निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं” पूरी तरह सही नहीं है, क्योंकि उन्हें कुछ प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, खासकर सरकार के विरुद्ध प्रैक्टिस करने पर। लेकिन, सबसे सटीक रूप से, वे पद पर रहते हुए सरकार के विरुद्ध प्रैक्टिस नहीं कर सकते, और सेवानिवृत्ति के बाद भी इस पर कुछ सीमाएं लागू हो सकती हैं। हालांकि, दिए गए विकल्पों में, यह सबसे गलत कथन है क्योंकि महान्यायवादी को केवल उन कर्तव्यों का पालन करना होता है जो सरकार को सौंपे जाते हैं, और वे किसी भी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए बाध्य होते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) अनुच्छेद 76 और 88 के अनुसार बिल्कुल सत्य हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि महान्यायवादी को सरकार की ओर से काम करना होता है और वे सरकार के विरुद्ध सलाह या प्रैक्टिस नहीं कर सकते। हालांकि, “सेवानिवृत्ति के बाद” शब्द के कारण यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है। लेकिन पद पर बने रहने तक वे ऐसा नहीं कर सकते।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से किस मूल अधिकार को ‘संविधान की आत्मा’ (Soul of the Constitution) भी कहा जाता है?

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  3. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार (Right to Constitutional Remedies), जो अनुच्छेद 32 के अंतर्गत आता है, को ‘संविधान की आत्मा और हृदय’ कहा था। यह अधिकार नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के हनन की स्थिति में सीधे सर्वोच्च न्यायालय (या उच्च न्यायालयों, अनुच्छेद 226 के तहत) जाने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए रिट (Habeas Corpus, Mandamus, Prohibition, Certiorari, Quo Warranto) जारी करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को देता है। यह अधिकार स्वयं में एक मौलिक अधिकार है और इसे निलंबित नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: अन्य मौलिक अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अनुच्छेद 32 ही वह अधिकार है जो अन्य सभी मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाता है। यदि अनुच्छेद 32 नहीं होता, तो अन्य मौलिक अधिकार केवल सैद्धांतिक रह जाते।

प्रश्न 5: भारतीय संविधान के किस संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX (पंचायतों) और 11वीं अनुसूची जोड़ी। इसने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और उन्हें स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ, अधिकार और उत्तरदायित्व दिए।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने अनुच्छेद 243 से 243O तक को शामिल किया, जिसमें पंचायतों की संरचना, कार्यकाल, आरक्षण, शक्तियाँ और वित्त से संबंधित प्रावधान हैं।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 64वां और 65वां संशोधन अधिनियम पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने के पहले के प्रयास थे, लेकिन वे पारित नहीं हो सके थे।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द किस वर्ष जोड़ा गया?

  1. 1951
  2. 1976
  3. 1989
  4. 2002

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय गणराज्य के इन मूलभूत आदर्शों को और सुदृढ़ करना था। 42वां संशोधन भारतीय संविधान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक है, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
  • गलत विकल्प: 1951 (पहला संशोधन), 1989 (60वां संशोधन) और 2002 (86वां संशोधन – शिक्षा का अधिकार) अन्य महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष हैं, लेकिन प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द 1976 में जोड़ा गया था।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी लोक पदाधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने का आदेश देती है?

  1. हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
  2. मेंडमस (Mandamus)
  3. प्रोहिबिशन (Prohibition)
  4. सर्टिओरारी (Certiorari)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: मेंडमस (Mandamus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह रिट किसी भी लोक पदाधिकारी, सरकारी निकाय या निचली अदालत को उसके सार्वजनिक या कानूनी कर्तव्य को करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत इस रिट को जारी कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट तब जारी की जाती है जब लोक प्राधिकारी अपने कर्तव्य का पालन करने से इनकार करता है या उससे चूक करता है। यह केवल सार्वजनिक कर्तव्यों पर लागू होती है, निजी कर्तव्यों पर नहीं।
  • गलत विकल्प: हैबियस कॉर्पस अवैध हिरासत से रिहाई के लिए है। प्रोहिबिशन निचली अदालतों या न्यायाधिकरणों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए है। सर्टिओरारी निचली अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए किसी आदेश को रद्द करने के लिए है।

प्रश्न 8: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव निम्नलिखित में से किसके द्वारा गठित निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है?

  1. संसद के दोनों सदनों के केवल निर्वाचित सदस्य
  2. संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
  3. लोकसभा के सभी सदस्य और राज्यसभा के केवल निर्वाचित सदस्य
  4. लोकसभा के केवल निर्वाचित सदस्य और राज्यसभा के सभी सदस्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। यह अनुच्छेद 66 (1) में प्रावधानित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति के चुनाव से भिन्न है, जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत पद्धति से होता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) गलत हैं क्योंकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के बारे में सत्य नहीं है?

  1. उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. वे भारत की समेकित निधि (Consolidated Fund of India) से व्यय की लेखापरीक्षा करते हैं।
  3. वे अपनी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को सौंपते हैं, जो उसे संसद के पटल पर रखवाते हैं।
  4. उन्हें केवल दुर्व्यवहार के आधार पर ही हटाया जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। वे भारत की समेकित निधि, लोक वित्त लेखाओं और सभी सरकारी विभागों के खर्चों की लेखापरीक्षा करते हैं (अनुच्छेद 149)। वे अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपते हैं, जो संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाती है (अनुच्छेद 151)। CAG को संसद के एक प्रस्ताव द्वारा, साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है, जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया के समान है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘दुर्व्यवहार’ (Misbehaviour) एक व्यापक शब्द है, लेकिन CAG को हटाने की प्रक्रिया में संसद की भूमिका आवश्यक है, न कि केवल राष्ट्रपति द्वारा सीधे हटाया जाना। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को जिस तरह हटाया जाता है, उसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सत्य हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि CAG को हटाने के लिए साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव की आवश्यकता होती है, न कि केवल दुर्व्यवहार के आधार पर सीधे राष्ट्रपति द्वारा।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 154
  2. अनुच्छेद 162
  3. अनुच्छेद 164
  4. अनुच्छेद 155

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 162 राज्य की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों तक होगा जिनके संबंध में राज्य विधानमंडल को विधि बनाने की शक्ति है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है कि राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर आधारित होती है, लेकिन इसमें अपवाद भी हैं जहाँ राज्यपाल अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 154 राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति को राज्य में निहित करता है। अनुच्छेद 155 राज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 164 मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, शपथ आदि से संबंधित है।

प्रश्न 11: भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की सिफारिश सर्वप्रथम किस समिति ने की थी?

  1. अशोक मेहता समिति
  2. एल. एम. सिंघवी समिति
  3. बलवंत राय मेहता समिति
  4. जी. वी. के. राव समिति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने पहली बार भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली (ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, खंड स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद) की सिफारिश की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया गया और राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर, 1959 को पहली पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।
  • गलत विकल्प: अशोक मेहता समिति (1977) ने दो-स्तरीय प्रणाली की सिफारिश की थी। एल. एम. सिंघवी समिति (1986) और जी. वी. के. राव समिति (1985) ने भी पंचायती राज के सुदृढ़ीकरण के लिए सिफारिशें कीं, लेकिन त्रि-स्तरीय प्रणाली की पहली सिफारिश बलवंत राय मेहता समिति की थी।

प्रश्न 12: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह एक कार्यकारी शक्ति है।
  2. यह एक न्यायिक शक्ति है।
  3. यह एक विधायी शक्ति है।
  4. यह एक संवैधानिक शक्ति है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति (अनुच्छेद 72) एक कार्यकारी शक्ति है। यह शक्ति उन्हें किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति के दंड को क्षमा करने, उसका प्रविलंबन (reprieve), विराम (respite) या परिहार (remission) करने या लघुकरण (commute) करने की अनुमति देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि यह शक्ति न्यायपालिका द्वारा दिए गए दंड से संबंधित है, लेकिन इसका प्रयोग राष्ट्रपति द्वारा अपनी मंत्रिपरिषद की सलाह पर किया जाता है, जो इसे एक कार्यकारी प्रकृति का बनाता है। राष्ट्रपति द्वारा दिए गए क्षमादान के आदेशों की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, लेकिन उनकी शक्ति को न्यायिक समीक्षा के दायरे से पूरी तरह बाहर नहीं रखा जा सकता।
  • गलत विकल्प: यह शक्ति न्यायिक प्रक्रिया का परिणाम हो सकती है, लेकिन इसका प्रयोग राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, इसलिए यह सीधे तौर पर ‘न्यायिक शक्ति’ नहीं है। यह विधायी शक्ति या केवल ‘संवैधानिक शक्ति’ से अधिक एक कार्यकारी शक्ति है।

प्रश्न 13: भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में ‘शून्यकाल’ (Zero Hour) का क्या अर्थ है?

  1. वह समय जब सदस्य प्रश्नकाल के बाद कोई भी मामला उठा सकते हैं।
  2. वह समय जब मंत्री किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।
  3. वह समय जब विधेयक पेश किए जाते हैं।
  4. वह समय जब सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी जाती है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: शून्यकाल, जिसे अनुच्छेद 0 के रूप में भी जाना जाता है (हालांकि यह संविधान में सीधे तौर पर उल्लिखित नहीं है, यह संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है), प्रश्नकाल के ठीक बाद का समय होता है (आमतौर पर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक)। इस दौरान, सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से बिना पूर्व सूचना के अत्यंत महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व के मामले उठा सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संसदीय नवाचार है और किसी भी सदस्य को तुरंत महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने का अवसर प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: मंत्री प्रश्नों का उत्तर प्रश्नकाल के दौरान देते हैं। विधेयक पेश किए जाने का एक अलग समय होता है। अनिश्चित काल के लिए स्थगन एक अलग प्रक्रिया है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन भारत का पहला लोकपाल था?

  1. जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष
  2. जस्टिस के. जी. बालकृष्णन
  3. जस्टिस एस. के. महाजन
  4. जस्टिस दीपक मिश्रा

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष (P.C. Ghosh) भारत के पहले लोकपाल थे, जिन्होंने 23 मार्च 2019 को पदभार ग्रहण किया। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के माध्यम से लोकपाल की स्थापना की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल संस्था है जिसे सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए स्थापित किया गया है।
  • गलत विकल्प: जस्टिस के. जी. बालकृष्णन भारत के पहले लोकपाल थे, लेकिन उन्हें बाद में लोकपाल बनाया गया था। वे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश भी रहे। जस्टिस एस. के. महाजन और जस्टिस दीपक मिश्रा अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश रहे हैं।

प्रश्न 15: भारत में दल-बदल (Defection) को किस अनुसूची के तहत विनियमित किया जाता है?

  1. नौवीं अनुसूची
  2. दसवीं अनुसूची
  3. ग्यारहवीं अनुसूची
  4. बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल को विनियमित करने के लिए दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) को 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा भारतीय संविधान में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची किसी भी सदन के सदस्य को दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित करने के प्रावधानों को निर्धारित करती है, यानी जब कोई सदस्य स्वेच्छा से उस दल की सदस्यता छोड़ देता है जिसके टिकट पर वह चुना गया था, या सदन में अपने दल के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है।
  • गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाती है। ग्यारहवीं अनुसूची पंचायती राज से संबंधित है। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन से कारक भारत में संघीय व्यवस्था से संबंधित हैं?

  1. लिखित संविधान
  2. शक्तियों का विभाजन
  3. संविधान की सर्वोच्चता
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की संघीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं हैं: लिखित संविधान (अनुच्छेद 246, सातवीं अनुसूची में शक्तियों का विभाजन), शक्तियों का विभाजन (केंद्र और राज्यों के बीच), संविधान की सर्वोच्चता (अनुच्छेद 13), स्वतंत्र न्यायपालिका, और द्विसदनीय विधायिका।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सभी तत्व सुनिश्चित करते हैं कि सत्ता का केंद्रीकरण न हो और केंद्र तथा राज्यों के बीच एक संतुलित संबंध बना रहे।
  • गलत विकल्प: सभी दिए गए विकल्प भारतीय संघीय व्यवस्था के आवश्यक तत्व हैं।

प्रश्न 17: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष कौन हो सकता है?

  1. भारत का सेवानिवृत्त राष्ट्रपति
  2. भारत का सेवानिवृत्त उपराष्ट्रपति
  3. भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India)
  4. कोई भी प्रख्यात व्यक्ति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) या सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होता है। यह मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत निर्धारित किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: आयोग में एक अध्यक्ष और चार पूर्णकालिक सदस्य होते हैं। सदस्यों और अध्यक्ष का चयन एक समिति द्वारा किया जाता है जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, और लोकसभा तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: सेवानिवृत्त राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति अध्यक्ष नहीं बन सकते। ‘कोई भी प्रख्यात व्यक्ति’ बहुत व्यापक है; इसके लिए विशेष योग्यताएं आवश्यक हैं, जैसे कि उच्चतम न्यायिक पृष्ठभूमि।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उल्लेख है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तत्व न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मौलिक माने जाते हैं और कानून बनाने में राज्य का कर्तव्य है कि वे इन सिद्धांतों को लागू करें। ये सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से, और भाग V संघ की कार्यपालिका से संबंधित है।

प्रश्न 19: संसद में ‘प्रश्नकाल’ (Question Hour) के दौरान, किस प्रकार के प्रश्नों के लिए कोई मौखिक उत्तर नहीं दिया जाता है?

  1. तारांकित प्रश्न (Starred Questions)
  2. अतारांकित प्रश्न (Unstarred Questions)
  3. अल्प सूचना प्रश्न (Short Notice Questions)
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रश्नकाल के दौरान, तारांकित प्रश्नों (Starred Questions) का उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है, और पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं। अतारांकित प्रश्नों (Unstarred Questions) का उत्तर लिखित रूप में दिया जाता है, और उन पर कोई पूरक प्रश्न नहीं पूछा जा सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: अल्प सूचना प्रश्न, जो कम से कम 10 दिन की पूर्व सूचना पर पूछे जाते हैं, का उत्तर भी मौखिक रूप से दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है। अतारांकित प्रश्न वे हैं जिनके लिए लिखित उत्तर अपेक्षित होता है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘आर्थिक नियोजन’ (Economic Planning) के बारे में निर्णय लेने के लिए उत्तरदायी था?

  1. भारतीय संसद
  2. वित्त मंत्रालय
  3. योजना आयोग (जो अब नीति आयोग है)
  4. भारतीय रिजर्व बैंक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में आर्थिक नियोजन की जिम्मेदारी योजना आयोग (Planning Commission) की थी, जिसकी स्थापना 1950 में की गई थी। योजना आयोग को एक कार्यकारी आदेश द्वारा बनाया गया था और इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। इसे 2015 में नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: योजना आयोग पंचवर्षीय योजनाओं का मसौदा तैयार करता था और केंद्रीय तथा राज्य सरकारों के लिए संसाधन आवंटन की सिफारिश करता था।
  • गलत विकल्प: संसद विधायी कार्य करती है, वित्त मंत्रालय नीतियों को लागू करता है, और आरबीआई मौद्रिक नीति का प्रबंधन करता है। आर्थिक नियोजन का प्रत्यक्ष कार्य योजना आयोग (अब नीति आयोग) का था।

प्रश्न 21: अनुच्छेद 21A (Right to Education) के तहत, राज्य ___________ वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा?

  1. 6 से 14 वर्ष
  2. 6 से 12 वर्ष
  3. 5 से 15 वर्ष
  4. 7 से 16 वर्ष

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21A, जिसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया, यह प्रावधान करता है कि राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाता है। इसके साथ ही, मौलिक कर्तव्य 51A(k) भी माता-पिता या अभिभावक का कर्तव्य बताता है कि वे अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करें।
  • गलत विकल्प: दिए गए अन्य आयु वर्ग गलत हैं; अनुच्छेद 21A विशेष रूप से 6 से 14 वर्ष के बच्चों को कवर करता है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. चुनाव आयोग (Election Commission)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  3. नीति आयोग (NITI Aayog)
  4. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for SCs)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनका प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के एक कार्यकारी प्रस्ताव (Executive Resolution) द्वारा की गई थी, जिसने योजना आयोग का स्थान लिया। इसलिए, यह एक सांविधिक (Statutory) या संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि एक थिंक-टैंक (Think-Tank) के रूप में कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: चुनाव आयोग, UPSC, और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग संवैधानिक निकाय नहीं है।

प्रश्न 23: भारत में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) संविधान के किस भाग में दिए गए हैं?

  1. भाग XV
  2. भाग XVI
  3. भाग XVIII
  4. भाग XVII

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XVIII (अनुच्छेद 352 से 360) आपातकालीन प्रावधानों से संबंधित है। इसमें तीन प्रकार के आपातकालों का उल्लेख है: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर आपातकाल (राष्ट्रपति शासन, अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।
  • संदर्भ और विस्तार: ये प्रावधान देश को युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह, या वित्तीय अस्थिरता जैसी गंभीर परिस्थितियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार को असाधारण शक्तियाँ प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: भाग XV चुनाव से, भाग XVI कुछ वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधानों से, और भाग XVII आधिकारिक भाषा से संबंधित है।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखने पर जारी की जाती है?

  1. मेंडमस (Mandamus)
  2. प्रोहिबिशन (Prohibition)
  3. सर्टिओरारी (Certiorari)
  4. हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus), जिसका लैटिन में अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, एक ऐसी रिट है जिसे किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखने के मामले में जारी किया जाता है। यह व्यक्ति को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश देती है ताकि हिरासत की वैधता की जांच की जा सके। सर्वोच्च न्यायालय इसे अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत जारी करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण रिटों में से एक है।
  • गलत विकल्प: मेंडमस कर्तव्य पालन का आदेश है। प्रोहिबिशन किसी निचली अदालत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकता है। सर्टिओरारी किसी निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 25: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. वित्त मंत्री
  4. नीति आयोग के उपाध्यक्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) एक गैर-संवैधानिक और गैर-सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना 1952 में हुई थी। इसके पदेन अध्यक्ष (Ex-officio Chairman) भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: NDC का मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देना, राष्ट्रीय नीतियों की समीक्षा करना और देश के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेना है। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं, लेकिन विकास संबंधी निर्णयों का नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं। वित्त मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन अध्यक्ष प्रधानमंत्री ही होते हैं।

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