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लोकतंत्र का सार, राजव्यवस्था का वार: अपनी समझ आजमाएं!

लोकतंत्र का सार, राजव्यवस्था का वार: अपनी समझ आजमाएं!

नमस्कार, भावी लोक सेवकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव, संविधान, और उसकी व्यवस्थाओं की गहरी समझ आपकी सफलता की कुंजी है। आज हम आपके ज्ञान की कसौटी पर एक गहन अभ्यास सत्र लेकर आए हैं। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और देखें कि आप राजव्यवस्था के कितने बड़े ज्ञाता हैं!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक ढांचे को और अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाना था। इसने भारतीय गणराज्य को एक समाजवादी और पंथनिरपेक्ष राज्य के रूप में परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन (1985) ने दल-बदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) को जोड़ा। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
  4. प्रेस की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वाक्य एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता भी शामिल है, अनुच्छेद 19 के तहत केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र निर्बाध भ्रमण की स्वतंत्रता, और कोई भी वृत्ति, उपजीविका, धंधा या कारबार करने की स्वतंत्रता शामिल है। यह अधिकार विदेशी नागरिकों को प्राप्त नहीं है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।

प्रश्न 3: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार सुनिश्चित करना
  2. सरकार को लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए मार्गदर्शन देना
  3. न्यायपालिका की स्वतंत्रता की गारंटी देना
  4. संसदीय विशेषाधिकारों को परिभाषित करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (भाग IV) का मुख्य उद्देश्य भारत को एक लोक कल्याणकारी राज्य बनाना है। ये सिद्धांत सरकार को शासन के मूलभूत सिद्धांतों के रूप में कार्य करते हैं, ताकि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना की जा सके।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत संविधान में विस्तृत हैं और सरकार को नीतियां बनाते समय इनका ध्यान रखने का निर्देश देते हैं। हालांकि ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, ये देश के शासन में मूलभूत हैं (अनुच्छेद 37)।
  • गलत विकल्प: मौलिक अधिकार (भाग III) नागरिकों के लिए हैं, न कि सरकार के मार्गदर्शन के लिए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संसदीय विशेषाधिकार अन्य संवैधानिक प्रावधानों से संबंधित हैं।

प्रश्न 4: भारत के राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया क्या है?

  1. महाभियोग, जो संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है।
  2. महाभियोग, जो केवल लोकसभा में लाया जा सकता है।
  3. अविश्वास प्रस्ताव, जिसे संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना चाहिए।
  4. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीधे हटाया जाना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को ‘महाभियोग’ (Impeachment) की प्रक्रिया द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जैसा कि अनुच्छेद 61 में वर्णित है। यह महाभियोग संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में शुरू किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: आरोप पत्र पर उस सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और 14 दिन का पूर्व नोटिस राष्ट्रपति को देना होगा। प्रस्ताव को उस सदन की कुल सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। फिर वह आरोप पत्र दूसरे सदन में भेजा जाता है, जहाँ इसकी जाँच की जाती है। यदि दूसरा सदन भी दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: महाभियोग की प्रक्रिया केवल अनुच्छेद 61 के तहत है और यह किसी भी सदन में शुरू हो सकती है। अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ लाया जाता है, राष्ट्रपति के खिलाफ नहीं। सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को सीधे नहीं हटा सकता।

प्रश्न 5: लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव की तारीख कौन तय करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के उपराष्ट्रपति
  3. प्रधानमंत्री
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव की तारीख भारत के राष्ट्रपति द्वारा तय की जाती है। यह लोकसभा की पहली बैठक से पहले किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 93 के अनुसार, लोकसभा अपने दो सदस्यों को, यथाशीघ्र, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी। राष्ट्रपति लोकसभा की पहली बैठक से पहले अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय करते हैं।
  • गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और उनका लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव से सीधा संबंध नहीं है। प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं, लेकिन चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार राष्ट्रपति का है। सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक पुनरीक्षण कर सकता है, लेकिन चुनाव की तारीख तय नहीं करता।

प्रश्न 6: कौन सा अनुच्छेद संसद को यह अधिकार देता है कि वह नागरिकों के कुछ वर्गों के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है?

  1. अनुच्छेद 15(2)
  2. अनुच्छेद 15(3)
  3. अनुच्छेद 15(4)
  4. अनुच्छेद 16(4)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15(4) संसद को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान 1951 में पहले संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। यह समानता के अधिकार (अनुच्छेद 15) का एक अपवाद है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कमजोर वर्गों को आगे बढ़ने के अवसर मिल सकें।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 15(2) सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 15(3) महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करने की शक्ति राज्य को देता है। अनुच्छेद 16(4) राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के लिए आरक्षित पदों के लिए प्रावधान करने की शक्ति देता है।

प्रश्न 7: ‘रिट ऑफ प्रोहिबिशन’ (Prohibition) का क्या अर्थ है?

  1. किसी व्यक्ति को अदालत के सामने पेश करना
  2. किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकना
  3. किसी सार्वजनिक अधिकारी को अपना सार्वजनिक कर्तव्य करने का आदेश देना
  4. किसी अधीनस्थ अदालत के निर्णय को रद्द करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘प्रोहिबिशन’ (प्रतिषेध) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘रोकना’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी किया गया आदेश है। यह अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत एक मौलिक अधिकार है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट न्यायक्षेत्र संबंधी त्रुटियों (jurisdictional errors) को रोकने के लिए जारी की जाती है। यह केवल न्यायिक या अर्ध-न्यायिक निकायों के विरुद्ध जारी की जा सकती है, न कि विधायी निकायों या निजी व्यक्तियों के विरुद्ध।
  • गलत विकल्प: ‘हेबीयस कॉर्पस’ (a) किसी व्यक्ति को अदालत के सामने पेश करने के लिए है। ‘मेंडमस’ (c) किसी सार्वजनिक अधिकारी को कर्तव्य पालन का आदेश देने के लिए है। ‘सर्टिओरारी’ (d) किसी निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने के लिए है, जो पहले से ही निर्णय दे चुकी है, जबकि प्रोहिबिशन निर्णय देने से पहले रोका जाता है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘बुनियादी ढांचा सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) का प्रतिपादन किया?

  1. शंकरी प्रसाद देव बनाम भारतीय संघ (1951)
  2. सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
  3. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
  4. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बुनियादी ढांचा सिद्धांत’ का प्रतिपादन केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक निर्णय में किया गया था। इस निर्णय ने संसद की संविधान संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित कर सकती है, लेकिन इसके ‘बुनियादी ढांचे’ को नहीं बदल सकती। संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता आदि को बुनियादी ढांचे का हिस्सा माना गया है।
  • गलत विकल्प: केशवानंद भारती मामले से पहले के मामलों (शंकरी प्रसाद, सज्जन सिंह) में न्यायालय ने संसद की संशोधन शक्ति को व्यापक माना था। गोलकनाथ मामले में न्यायालय ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती।

प्रश्न 9: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  4. गृह मंत्रालय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (Protection of Human Rights Act, 1993) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), गृह मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के उप-सभापति, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, और कभी-कभी भारत के मुख्य न्यायाधीश या अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय समिति का हिस्सा होते हैं, लेकिन अंतिम नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्य न्यायाधीश की भूमिका समिति के सदस्य के रूप में हो सकती है, न कि सीधे नियुक्तिकर्ता के रूप में।

प्रश्न 10: भारत में पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश किस समिति ने की थी?

  1. बलवंत राय मेहता समिति
  2. अशोक मेहता समिति
  3. एल.एम. सिंघवी समिति
  4. जी. वी. के. राव समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण सिफारिश बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने की थी, जिसने त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) का सुझाव दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को पहली बार पंचायती राज लागू किया गया था। बाद में, अन्य समितियों ने भी इसमें सुधार के सुझाव दिए।
  • गलत विकल्प: अशोक मेहता समिति (1977) ने दो-स्तरीय प्रणाली का सुझाव दिया था। एल.एम. सिंघवी समिति (1986) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की वकालत की थी। जी. वी. के. राव समिति (1985) ने पंचायती राज संस्थाओं को प्रभावी बनाने के लिए सुझाव दिए थे।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायतें और नगर पालिकाएं से संबंधित है?

  1. भाग VII
  2. भाग VIII
  3. भाग IX
  4. भाग IXA

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IXA (नौ-क) नगर पालिकाओं से संबंधित है, जिसे 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था। भाग IX पंचायतों से संबंधित है, जिसे 73वें संशोधन, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इन संशोधनों ने स्थानीय स्व-शासन संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया और उन्हें अधिक शक्ति और विश्वसनीयता प्रदान की। भाग IX पंचायतें (अनुच्छेद 243 से 243O) और भाग IXA नगर पालिकाएं (अनुच्छेद 243P से 243ZG) से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: भाग VII (जो अब निरस्त है), भाग VIII (संघ राज्य क्षेत्र) और भाग IX (पंचायतें) सही विकल्प नहीं हैं क्योंकि प्रश्न विशेष रूप से नगर पालिकाओं के बारे में पूछता है, जो भाग IXA में हैं।

प्रश्न 12: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) की घोषणा कौन कर सकता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. मंत्रिमंडल
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की उद्घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है, लेकिन यह उद्घोषणा केवल ‘लिखित’ सलाह पर ही की जा सकती है जो कि मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति को दी हो। 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद यह प्रावधान जोड़ा गया।
  • संदर्भ और विस्तार: इससे पहले, राष्ट्रपति केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर भी उद्घोषणा कर सकते थे। अब, यह स्पष्ट है कि उद्घोषणा मंत्रिमंडल की लिखित सलाह पर ही की जाएगी, जिससे राष्ट्रपति का विवेक सीमित हो जाता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल सलाह देते हैं, लेकिन अंतिम घोषणा राष्ट्रपति ही करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय आपातकाल की घोषणा की समीक्षा कर सकता है, लेकिन यह घोषणा नहीं कर सकता।

प्रश्न 13: राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित नहीं होते हैं। वे कौन से मौलिक अधिकार हैं जो किसी भी परिस्थिति में निलंबित नहीं किए जा सकते?

  1. अनुच्छेद 14, 19, 20
  2. अनुच्छेद 20, 21
  3. अनुच्छेद 19, 21
  4. अनुच्छेद 14, 21

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) को छोड़कर सभी मौलिक अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त छह स्वतंत्रताओं को भी केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर लगाए गए राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित किया जा सकता है, न कि सशस्त्र विद्रोह के आधार पर। राष्ट्रपति द्वारा ऐसी उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 को बाहरी आक्रमण के समय निलंबित किया जा सकता है, इसलिए यह हमेशा निलंबित नहीं होता। अनुच्छेद 14 भी राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित हो सकता है।

प्रश्न 14: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे सौंपता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. राष्ट्रपति
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. वित्त मंत्री

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी लेखा परीक्षा रिपोर्टें भारत के राष्ट्रपति को सौंपता है, जैसा कि अनुच्छेद 149 (CAG के कर्तव्य) और अनुच्छेद 151 (लेखा परीक्षा प्रतिवेदन) में प्रावधानित है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के समक्ष रखते हैं। इसके बाद, इन रिपोर्टों की जांच लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) द्वारा की जाती है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री सीधे CAG की रिपोर्ट प्राप्त नहीं करते हैं; यह प्रक्रिया राष्ट्रपति के माध्यम से होती है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक संस्था’ नहीं है?

  1. चुनाव आयोग
  2. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  3. नीति आयोग
  4. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) भारत सरकार का एक नीति थिंक-टैंक है, जिसे 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था। यह एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित किया गया था और इसका उल्लेख संविधान में नहीं है, इसलिए यह एक ‘संवैधानिक संस्था’ नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) सभी का उल्लेख भारतीय संविधान में है और वे संवैधानिक संस्थाएं हैं।
  • गलत विकल्प: चुनाव आयोग, UPSC, और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग संवैधानिक संस्थाएँ हैं क्योंकि उनके प्रावधान सीधे संविधान में निहित हैं।

प्रश्न 16: भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. यूनाइटेड किंगडम
  4. आयरलैंड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की संसदीय प्रणाली, जिसमें सरकार की कार्यकारी शाखा विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है, मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के संविधान से प्रेरित है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत ने ब्रिटिश वेस्टमिंस्टर मॉडल को अपनाया है, जहाँ प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल विधायिका (संसद) का सदस्य होते हैं और उसी के प्रति उत्तरदायी होते हैं। राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षीय प्रणाली है। कनाडा में भी संसदीय प्रणाली है, लेकिन कुछ भिन्नताएं हैं (जैसे कनाडा का संघीय स्वरूप)। आयरलैंड ने राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों और राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों जैसे तत्वों के लिए प्रेरणा प्रदान की है।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. भारत एक कल्याणकारी राज्य होगा।
  2. भारत में कोई राजा या निर्वाचित प्रमुख नहीं होगा, बल्कि राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किया जाएगा।
  3. भारत में सभी नागरिक समान होंगे।
  4. भारत एक संघ होगा।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का मुखिया (राष्ट्रपति) वंशानुगत नहीं होगा, बल्कि निश्चित अवधि के लिए जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाएगा। भारत में राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारत को राजशाही से अलग करता है, जहाँ राज्य का मुखिया वंशानुगत होता है। यह नागरिकों को राजनीतिक संप्रभुता प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: (a) कल्याणकारी राज्य का अर्थ DPSP से जुड़ा है। (c) सभी नागरिकों की समानता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह ‘गणराज्य’ की परिभाषा का पूर्ण अर्थ नहीं है। (d) ‘संघ’ भारत की शासन प्रणाली की एक विशेषता है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में सत्य नहीं है?

  1. यह संविधान का एक अंग है।
  2. यह संविधान का भाग है, लेकिन यह न तो कोई प्राधिकार उत्पन्न करता है और न ही कोई शक्ति देता है।
  3. इसमें न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय होने की क्षमता है।
  4. यह संविधान के निर्माताओं के विचारों को स्पष्ट करता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बेरुबारी यूनियन मामले (1960) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का अंग नहीं है। लेकिन केशवानंद भारती मामले (1973) में, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, लेकिन यह न तो कोई प्राधिकार उत्पन्न करती है और न ही कोई शक्ति प्रदान करती है। यह न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान की आत्मा और उद्देश्यों को दर्शाती है। यह व्याख्या के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, लेकिन इसके प्रावधानों को सीधे अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  • गलत विकल्प: (a) प्रस्तावना संविधान का अंग है (केशवानंद भारती)। (b) यह शक्ति प्रदान नहीं करती और न ही अधिकार उत्पन्न करती है। (d) यह निर्माताओं के विचारों को स्पष्ट करती है। (c) गलत है क्योंकि प्रस्तावना प्रवर्तनीय नहीं है।

प्रश्न 19: कौन सी रिट किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर बने रहने से रोकने के लिए जारी की जाती है, यदि वह पद अवैध रूप से धारण किया गया हो?

  1. मेंडमस (Mandamus)
  2. प्रोहिबिशन (Prohibition)
  3. सर्टिओरारी (Certiorari)
  4. क्यू वारंटो (Quo Warranto)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘क्यू वारंटो’ (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से बने रहने से रोकने के लिए जारी की जाती है। यह अनुच्छेद 32 और 226 के तहत उपलब्ध है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से सार्वजनिक कार्यालय पर कब्जा न कर सके। यह रिट केवल सार्वजनिक कार्यालयों पर लागू होती है, निजी पदों पर नहीं।
  • गलत विकल्प: मेंडमस किसी लोक सेवक को उसका कर्तव्य करने का आदेश देता है। प्रोहिबिशन निचली अदालतों को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकता है। सर्टिओरारी निचली अदालतों के निर्णय को रद्द करता है।

प्रश्न 20: राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General) निम्नलिखित में से किसके प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है?

  1. राष्ट्रपति
  2. राज्यपाल
  3. मुख्यमंत्री
  4. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 165 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक महाधिवक्ता होगा, जो उस राज्य के राज्यपाल के प्रसाद पर्यंत पद धारण करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: महाधिवक्ता राज्य सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं। वे उस राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए योग्य होने चाहिए। उनकी नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करती है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति केवल केंद्र सरकार के महाधिवक्ता (Attorney General) की नियुक्ति करते हैं। मुख्यमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं, लेकिन नियुक्ति राज्यपाल की होती है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का महाधिवक्ता की नियुक्ति से सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग नहीं है, लेकिन संसद उसे नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना हेतु विधि द्वारा शामिल कर सकती है?

  1. राज्य
  2. केंद्र शासित प्रदेश
  3. सिक्किम
  4. कोई भी नया क्षेत्र जिसे भारत संघ में मिलाया जाए

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 2 भारतीय संघ के नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना के लिए संसद को शक्ति प्रदान करता है। इसका अर्थ है कि ऐसे क्षेत्र जो वर्तमान में भारत का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें संसद विधि द्वारा भारतीय संघ में शामिल कर सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारत की क्षेत्रीय अखंडता के विस्तार की अनुमति देता है, जैसे कि सिक्किम को 1975 में 36वें संशोधन अधिनियम द्वारा पूर्ण राज्य का दर्जा देना, या पहले पुर्तगाली और फ्रांसीसी क्षेत्रों को शामिल करना।
  • गलत विकल्प: (a) राज्य भारतीय संघ का अभिन्न अंग हैं। (b) केंद्र शासित प्रदेश भी भारत के अभिन्न अंग हैं। (c) सिक्किम अब भारतीय संघ का अभिन्न अंग है। (d) यह एक सामान्यीकृत कथन है जो अनुच्छेद 2 के प्रावधान को दर्शाता है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी आपातकालीन प्रावधान भारत के संविधान में ‘लिखित’ नहीं है?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
  2. राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन, अनुच्छेद 356)
  3. वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
  4. संवैधानिक विफलता के आधार पर आपातकाल

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में तीन प्रकार के आपातकालों का प्रावधान है: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य आपातकाल या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)। ‘संवैधानिक विफलता के आधार पर आपातकाल’ कोई अलग से लिखित प्रावधान नहीं है; अनुच्छेद 356 वास्तव में राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 352 ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर) की बात करता है। अनुच्छेद 356 ‘राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ की स्थिति में लागू होता है, जिसे आमतौर पर ‘राष्ट्रपति शासन’ कहा जाता है। अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ की व्यवस्था करता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी लिखित और परिभाषित आपातकालीन प्रावधान हैं। (d) यह एक सामान्यीकृत कथन है जो वास्तव में अनुच्छेद 356 के तहत कवर होता है, न कि कोई स्वतंत्र लिखित प्रावधान।

प्रश्न 23: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. सर्वोच्च न्यायालय
  3. संबंधित सदन का अध्यक्ष
  4. चुनाव आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय संबंधित सदन का अध्यक्ष (लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा में राज्यसभा के सभापति) करता है, जैसा कि संविधान की 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) में प्रावधानित है।
  • संदर्भ और विस्तार: 10वीं अनुसूची 1985 में 52वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ी गई थी। हालांकि, अध्यक्ष के निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति अनुच्छेद 103 के तहत अन्य मामलों में निर्णय लेते हैं, लेकिन दल-बदल के मामले में नहीं। सर्वोच्च न्यायालय अध्यक्ष के निर्णयों की समीक्षा कर सकता है, लेकिन स्वयं निर्णय नहीं लेता। चुनाव आयोग की भूमिका दल-बदल से संबंधित मामलों में सलाह देने की हो सकती है, लेकिन अंतिम निर्णय अध्यक्ष का होता है।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा कथन **असत्य** है?

  1. संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत एक अंतर-राज्यीय परिषद की स्थापना की जा सकती है।
  2. अंतर-राज्यीय परिषद की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
  3. अंतर-राज्यीय परिषद का मुख्य कार्य संघ और राज्यों के बीच तथा राज्यों के आपस में समन्वय स्थापित करना है।
  4. अंतर-राज्यीय परिषद की स्थापना स्थायी है और यह पहले से ही मौजूद है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 263 राष्ट्रपति को एक अंतर-राज्यीय परिषद (Inter-State Council) की स्थापना करने का अधिकार देता है, यदि उसे ऐसा लगे कि ऐसी परिषद का गठन सार्वजनिक हित में होगा। राष्ट्रपति ने 1990 में सरकारीया आयोग की सिफारिशों के आधार पर ऐसी परिषद की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: अंतर-राज्यीय परिषद की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। इसका मुख्य कार्य संघ और राज्यों के बीच तथा राज्यों के परस्पर संबंधों के संबंध में जांच करना और सलाह देना है। यह परिषद स्थायी रूप से मौजूद है।
  • गलत विकल्प: (a) सत्य है। (b) सत्य है। (c) सत्य है। (d) असत्य है क्योंकि परिषद की स्थापना राष्ट्रपति द्वारा की गई थी, न कि यह स्वतः स्थापित है। यद्यपि यह स्थायी है, इसकी स्थापना राष्ट्रपति के आदेश से हुई, न कि संविधान में स्वतः प्रावधान से। (सही व्याख्या यह है कि अनुच्छेद 263 राष्ट्रपति को शक्ति देता है, और राष्ट्रपति ने इस शक्ति का प्रयोग किया है)।

प्रश्न 25: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) की अवधारणा का विकास मुख्य रूप से किससे हुआ?

  1. जनहित याचिका (PIL)
  2. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक निर्णय
  3. संवैधानिक संशोधन
  4. संसद के अधिनियम

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ की अवधारणा का विकास मुख्य रूप से जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) की स्वीकार्यता और विस्तार के माध्यम से हुआ है। यह अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालयों की रिट अधिकारिता) से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है।
  • संदर्भ और विस्तार: जनहित याचिकाओं के माध्यम से आम नागरिक, सामाजिक संगठन या स्वयं न्यायालय भी लोक महत्व के मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लेकर सरकार या अन्य निकायों को कार्रवाई करने का निर्देश दे सकते हैं। इसने न्यायपालिका को समाज में व्याप्त अन्याय और कुशासन को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया है।
  • गलत विकल्प: हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय (b) और संवैधानिक संशोधन (c) न्यायिक सक्रियता को आकार दे सकते हैं, लेकिन PIL वह मुख्य माध्यम है जिसने इसे क्रियान्वित किया है। संसद के अधिनियम (d) आम तौर पर नीति-निर्माण के दायरे में आते हैं, न कि सीधे न्यायिक सक्रियता के प्रवर्तक के रूप में।

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