Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

लोकतंत्र का संकट? राहुल के चुनावी धांधली के आरोपों का सच: वोटर लिस्ट का खेल और भविष्य की राह

लोकतंत्र का संकट? राहुल के आरोपों का सच: वोटर लिस्ट का खेल और भविष्य की राह

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप भारतीय चुनावी प्रणाली में हलचल मचा रहे हैं। ये आरोप बताते हैं कि चुनाव प्रक्रिया में, विशेष रूप से वोटर लिस्ट की शुचिता को लेकर, गंभीर धांधली हुई है। महाराष्ट्र में 40 लाख से अधिक संदिग्ध नामों और कर्नाटक में भी फर्जीवाड़े के दावों ने चुनावी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे यह मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का बन गया है। यह ब्लॉग पोस्ट इन आरोपों की पड़ताल करेगा, चुनावी अखंडता के महत्व को रेखांकित करेगा, और UPSC उम्मीदवारों के लिए इस संवेदनशील विषय के विभिन्न पहलुओं पर एक विस्तृत विश्लेषण प्रदान करेगा।

चुनाव, लोकतंत्र और वोटर लिस्ट: एक अटूट संबंध

लोकतंत्र का मूल सिद्धांत ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ है। यह सिद्धांत तभी फलीभूत हो सकता है जब चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और त्रुटिहीन हो। इस प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण आधार एक सटीक और अद्यतन वोटर लिस्ट है। वोटर लिस्ट, चुनावों के लिए मतदाताओं का वह आधिकारिक रजिस्टर है, जो यह सुनिश्चित करता है कि केवल पात्र नागरिक ही मतदान कर सकें और प्रत्येक पात्र नागरिक को मतदान करने का अवसर मिले।

वोटर लिस्ट का महत्व:

  • पात्रता सुनिश्चित करना: यह सुनिश्चित करती है कि केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिक ही वोट दे सकें।
  • दोहरे मतदान को रोकना: एक ही व्यक्ति द्वारा एक से अधिक बार मतदान करने की संभावना को समाप्त करती है।
  • मतदाताओं की पहचान: मतदान के दिन पहचान सुनिश्चित करने का एक प्राथमिक साधन है।
  • प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना: यह सुनिश्चित करती है कि देश के सभी पात्र नागरिक अपने प्रतिनिधियों को चुनने में भाग ले सकें।
  • चुनावी परिणामों की वैधता: एक सटीक वोटर लिस्ट चुनावी परिणामों की निष्पक्षता और वैधता की नींव रखती है।

कल्पना कीजिए कि एक रेस में, कुछ धावक जिनके पास अतिरिक्त पैर हों, या कुछ ऐसे धावक हों जो शुरुआत से ही आगे हों, तो क्या वह दौड़ निष्पक्ष कही जा सकती है? वोटर लिस्ट का मामला भी कुछ ऐसा ही है। यदि इसमें गलत या ‘भूत’ (Ghost) मतदाता शामिल हैं, तो यह पूरी चुनावी दौड़ की निष्पक्षता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

आरोपों की पड़ताल: महाराष्ट्र और कर्नाटक के दावे

हालिया आरोपों के केंद्र में दो राज्य हैं: महाराष्ट्र और कर्नाटक। आरोपकर्ता के अनुसार, ये दावे स्क्रीन पर दिखाई गई वोटर लिस्ट के विश्लेषण पर आधारित हैं।

महाराष्ट्र: 40 लाख संदिग्ध नाम

यह दावा कि महाराष्ट्र में 40 लाख से अधिक नाम संदिग्ध हैं, एक गंभीर चिंता का विषय है। “संदिग्ध” नामों की श्रेणी में क्या शामिल हो सकता है, इसके कई कारण हो सकते हैं:

  • मृत मतदाता: ऐसे मतदाता जो वास्तव में मर चुके हैं, लेकिन अभी भी वोटर लिस्ट में शामिल हैं।
  • स्थान परिवर्तन: ऐसे मतदाता जिन्होंने अपना निवास स्थान बदल लिया है, लेकिन उनकी पुरानी सूची में बने हुए हैं।
  • डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ: एक ही व्यक्ति के नाम पर कई बार दर्ज होने की संभावना।
  • अपर्याप्त डेटा: ऐसे नाम जिनके पते, आयु या अन्य विवरण अधूरे या असंगत हैं।
  • ‘भूत’ मतदाता: ये वे काल्पनिक या गैर-मौजूद मतदाता होते हैं जिन्हें चुनावी धांधली के लिए बनाया जाता है।

यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो इसका मतलब है कि चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर की भारी गुंजाइश थी। सोचिए, यदि 40 लाख ऐसे नाम सूची में हों जो वास्तव में वोट नहीं डाल सकते, लेकिन उनका उपयोग किसी और तरीके से किया जा सके (जैसे कि पहचान की चोरी या वोट के वितरण में हेरफेर)।

कर्नाटक: फर्जीवाड़े का आरोप

कर्नाटक में भी फर्जीवाड़े का आरोप लगाया गया है, जो महाराष्ट्र के दावों के समानांतर चिंताएं खड़ी करता है। यह दर्शाता है कि समस्या संभवतः एक विशिष्ट राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा हो सकती है। कर्नाटक के मामले में, ये दावे वोटर लिस्ट में हेरफेर या अनधिकृत प्रविष्टियों से संबंधित हो सकते हैं, जिसका उद्देश्य वोटों को प्रभावित करना हो सकता है।

उदाहरण: मान लीजिए कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 1000 वोट की आवश्यकता है। यदि 500 ‘भूत’ या संदिग्ध नाम सूची में हैं, और इन नामों का उपयोग करके किसी विशेष उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाले जाते हैं, तो यह पूरी तरह से चुनाव के परिणाम को बदल सकता है।

चुनाव आयोग की भूमिका और वर्तमान तंत्र

भारत में चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) एक संवैधानिक निकाय है जो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है। ECI ने वर्षों से वोटर लिस्ट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  • नियमित अद्यतन: हर साल, ECI राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण और प्रमाणीकरण कार्यक्रम (National Electoral Roll Purification and Authentication Programme) जैसे अभियान चलाता है।
  • ऑनलाइन पंजीकरण: नागरिक अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से नए मतदाता के रूप में पंजीकरण कर सकते हैं और अपनी प्रविष्टियों को सत्यापित कर सकते हैं।
  • आधार लिंकिंग: ईसीआई मतदाताओं के आधार नंबर को वोटर आईडी से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है (वैकल्पिक रूप से), जिसका उद्देश्य डुप्लीकेट पंजीकरण को समाप्त करना है।
  • पॉवर ऑफ अटॉर्नी: ईसीआई के पास वोटर लिस्ट से नामों को हटाने या जोड़ने के लिए विस्तृत प्रक्रियाएं हैं, जिसमें सार्वजनिक सूचना और आपत्तियां आमंत्रित करना शामिल है।

ECI का उत्तर: इन आरोपों के जवाब में, चुनाव आयोग ने आमतौर पर यह स्पष्ट किया है कि वे इन शिकायतों की जांच कर रहे हैं। आयोग ने अक्सर कहा है कि वोटर लिस्ट की शुचिता एक सतत प्रक्रिया है और वे किसी भी विसंगति को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आयोग ने यह भी बताया है कि यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

“लोकतंत्र की ताकत उसके नागरिकों में निहित है, और उन नागरिकों की पहचान की शुचिता चुनाव प्रक्रिया की नींव है।”

आरोपों के निहितार्थ: लोकतंत्र पर प्रभाव

यदि ये आरोप सत्य साबित होते हैं, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं:

  • जनता का विश्वास कम होना: चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास सबसे महत्वपूर्ण होता है। यदि लोगों को लगता है कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हैं, तो वे मतदान करने से कतरा सकते हैं, जिससे लोकतंत्र कमजोर होता है।
  • अवैध सत्ता का उदय: यदि धांधली के माध्यम से किसी दल को अनुचित लाभ मिलता है, तो यह उन प्रतिनिधियों को सत्ता में ला सकता है जो वास्तव में जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
  • अस्थिरता: चुनावी परिणामों पर संदेह राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दे सकता है, जिससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित हो सकता है।
  • कानूनी चुनौतियाँ: ऐसे आरोप अदालतों में कानूनी चुनौतियों का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया में और अधिक देरी और अनिश्चितता पैदा हो सकती है।

यह उस स्थिति की तरह है जहाँ आप एक परीक्षा दे रहे हैं, और आपको पता चलता है कि कुछ परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र पहले ही मिल गए थे, या उन्हें उत्तर लिखने के लिए अतिरिक्त समय मिला था। इससे आपकी मेहनत और निष्पक्षता पर सवाल उठता है।

वोटर लिस्ट को मजबूत करने की चुनौतियाँ

वोटर लिस्ट को पूरी तरह से त्रुटिहीन बनाना एक अत्यंत जटिल कार्य है, और इसमें कई चुनौतियाँ शामिल हैं:

  • जनसंख्या की गतिशीलता: भारत की विशाल और गतिशील जनसंख्या में हर साल लाखों लोग वयस्क होते हैं, निवास स्थान बदलते हैं, या दुर्भाग्यवश मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इन सभी परिवर्तनों को वास्तविक समय में ट्रैक करना मुश्किल है।
  • आधारभूत संरचना की कमी: विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, डेटा संग्रह और अद्यतन के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी हो सकती है।
  • मानवीय त्रुटि: डेटा प्रविष्टि और प्रबंधन में मानवीय त्रुटि एक स्वाभाविक समस्या है, भले ही उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाए।
  • जानबूझकर की गई हेराफेरी: कुछ तत्व जानबूझकर वोटर लिस्ट में हेरफेर करने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे चुनाव परिणामों को प्रभावित किया जा सके।
  • डेटा सुरक्षा: मतदाता सूची में व्यक्तिगत डेटा होता है, और इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।

आगे की राह: चुनावी अखंडता को कैसे मजबूत करें?

इन चुनौतियों का सामना करने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. तकनीकी उन्नयन:
    • ब्लॉकचेन तकनीक: वोटर लिस्ट को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जो डेटा को अपरिवर्तनीय बनाती है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): AI का उपयोग करके संदिग्ध प्रविष्टियों, डुप्लीकेट नामों और संभावित ‘भूत’ मतदाताओं की पहचान अधिक सटीकता से की जा सकती है।
    • बायोमेट्रिक एकीकरण: भविष्य में, मतदाता पहचान के लिए बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट या चेहरे की पहचान) को आधार और वोटर आईडी से जोड़ने से दोहरे मतदान को रोका जा सकता है।
  2. नागरिक जुड़ाव और जागरूकता:
    • वोटर अवेयरनेस कैम्पेन: नागरिकों को अपनी वोटर लिस्ट की प्रविष्टियों की नियमित रूप से जांच करने और किसी भी विसंगति की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना।
    • स्वतंत्र निगरानी: नागरिक समाज संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों को वोटर लिस्ट की शुद्धिकरण प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रोत्साहित करना।
  3. कानूनी और प्रशासनिक सुधार:
    • कठोर दंड: मतदाता सूची में हेरफेर करने या फर्जी मतदान करने के दोषियों के लिए कठोर दंड का प्रावधान, जिससे निवारक प्रभाव पैदा हो।
    • डेटा अद्यतन का तंत्र: मृत्यु प्रमाण पत्र, निवास परिवर्तन रिपोर्ट जैसे डेटा को सीधे ECI के डेटाबेस से जोड़ने के लिए सरकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय।
    • स्वतंत्र ऑडिट: वोटर लिस्ट की नियमित स्वतंत्र ऑडिटिंग कराना, ताकि इसकी सटीकता और शुचिता सुनिश्चित हो सके।
  4. पारदर्शिता और जवाबदेही:
    • सार्वजनिक डेटा तक पहुंच: ECI को, गोपनीयता कानूनों का पालन करते हुए, वोटर लिस्ट डेटा (गुमनामी के साथ) का एक पारदर्शी संस्करण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि नागरिक स्वयं इसकी जाँच कर सकें।
    • जवाबदेही तंत्र: वोटर लिस्ट के रखरखाव के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के लिए स्पष्ट जवाबदेही तंत्र स्थापित करना।

निष्कर्ष

राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप, भले ही आरोप हों, भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण वेक-अप कॉल हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि चुनावी अखंडता केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक जीवित, सांस लेने वाली लोकाचार है जिसे लगातार पोषित और संरक्षित करने की आवश्यकता है। वोटर लिस्ट, इस पूरी प्रक्रिया की रीढ़ है। यदि रीढ़ की हड्डी कमजोर होती है, तो पूरा ढाँचा लड़खड़ा सकता है।

चुनाव आयोग, सरकार और नागरिकों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक वोट की गिनती हो और प्रत्येक पात्र मतदाता को वोट देने का अधिकार मिले। तकनीकी प्रगति, मजबूत कानूनी ढाँचे और बढ़ी हुई नागरिक जागरूकता के संयोजन से, हम एक ऐसी चुनावी प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं जो वास्तव में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत को प्रतिबिंबित करती हो। अंततः, एक निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र में जनता के विश्वास की कसौटी है, और इस विश्वास को बनाए रखना सर्वोपरि है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: भारत में चुनाव आयोग (ECI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. ECI एक संवैधानिक निकाय है।
    2. ECI लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों का संचालन करता है।
    3. ECI के पास वोटर लिस्ट की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए तंत्र स्थापित करने का अधिकार है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 1 और 3
    (c) केवल 2 और 3
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (d) 1, 2 और 3

    व्याख्या: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत ECI एक संवैधानिक निकाय है और यह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। वोटर लिस्ट की शुचिता सुनिश्चित करना इसके महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है।

  2. प्रश्न 2: वोटर लिस्ट की शुचिता बनाए रखने के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी प्रणाली सबसे अधिक प्रभावी हो सकती है?

    (a) केवल मैन्युअल डेटा प्रविष्टि
    (b) केवल आधार लिंकिंग
    (c) डेटा को अपरिवर्तनीय बनाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग
    (d) केवल नागरिक शिकायत निवारण

    उत्तर: (c) डेटा को अपरिवर्तनीय बनाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग

    व्याख्या: ब्लॉकचेन तकनीक डेटा की सुरक्षा और अपरिवर्तनीयता सुनिश्चित करती है, जिससे हेरफेर की संभावना कम हो जाती है। जबकि अन्य विकल्प सहायक हैं, ब्लॉकचेन अधिक मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. प्रश्न 3: ‘भूत’ मतदाता (Ghost Voters) से आप क्या समझते हैं?

    (a) ऐसे मतदाता जो मतदान के दिन अनुपस्थित रहते हैं।
    (b) ऐसे मतदाता जो मृत घोषित हो चुके हैं लेकिन सूची में बने हुए हैं।
    (c) ऐसे काल्पनिक या गैर-मौजूद मतदाता जिन्हें चुनावी धांधली के लिए शामिल किया जाता है।
    (d) ऐसे मतदाता जिन्होंने अपना पता बदल लिया है।

    उत्तर: (c) ऐसे काल्पनिक या गैर-मौजूद मतदाता जिन्हें चुनावी धांधली के लिए शामिल किया जाता है।

    व्याख्या: ‘भूत’ मतदाता वे होते हैं जिनका अस्तित्व नहीं होता, लेकिन उन्हें चुनावी प्रक्रिया में धांधली के लिए सूची में डाला जाता है।
  4. प्रश्न 4: भारत में वोटर लिस्ट के नियमित अद्यतन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी संस्था जिम्मेदार है?

    (a) गृह मंत्रालय
    (b) भारत का चुनाव आयोग
    (c) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
    (d) सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय

    उत्तर: (b) भारत का चुनाव आयोग

    व्याख्या: भारत का चुनाव आयोग (ECI) देश भर में मतदाता सूचियों को तैयार करने, संशोधित करने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।
  5. प्रश्न 5: चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित में से क्या आवश्यक है?

    (a) केवल राजनीतिक दलों की पारदर्शिता
    (b) केवल चुनाव आयोग की स्वतंत्रता
    (c) निष्पक्ष, पारदर्शी और त्रुटिहीन चुनावी प्रक्रिया
    (d) केवल मीडिया की भूमिका

    उत्तर: (c) निष्पक्ष, पारदर्शी और त्रुटिहीन चुनावी प्रक्रिया

    व्याख्या: जनता का विश्वास सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता, पारदर्शिता और त्रुटिहीनता पर निर्भर करता है।
  6. प्रश्न 6: चुनाव प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का संभावित उपयोग क्या है?

    (a) केवल मतदाताओं को व्यक्तिगत संदेश भेजना
    (b) संदिग्ध मतदाता प्रविष्टियों की पहचान करना
    (c) मतदान केंद्रों का स्थान तय करना
    (d) चुनाव प्रचार का प्रबंधन करना

    उत्तर: (b) संदिग्ध मतदाता प्रविष्टियों की पहचान करना

    व्याख्या: AI बड़े डेटा सेट का विश्लेषण करके विसंगतियों, डुप्लीकेट या संदिग्ध प्रविष्टियों को खोजने में मदद कर सकता है।
  7. प्रश्न 7: ईसीआई द्वारा मतदाताओं के आधार नंबर को वोटर आईडी से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    (a) सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना
    (b) डुप्लीकेट मतदाता पंजीकरण को समाप्त करना
    (c) मतदाता सूची को ऑनलाइन उपलब्ध कराना
    (d) मतदाता व्यवहार का विश्लेषण करना

    उत्तर: (b) डुप्लीकेट मतदाता पंजीकरण को समाप्त करना

    व्याख्या: आधार लिंकिंग का प्राथमिक लक्ष्य मतदाता सूची से डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाना और चुनावी धांधली को रोकना है।
  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कारक भारत में वोटर लिस्ट को अद्यतन रखने में एक महत्वपूर्ण चुनौती है?

    (a) घटती मतदाता साक्षरता
    (b) विशाल और गतिशील जनसंख्या
    (c) चुनाव आयोग की सीमित शक्तियाँ
    (d) राजनीतिक दलों की अनिच्छा

    उत्तर: (b) विशाल और गतिशील जनसंख्या

    व्याख्या: भारत की बड़ी आबादी में हर साल होने वाले परिवर्तनों (जन्म, मृत्यु, स्थानांतरण) को ट्रैक करना एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती है।
  9. प्रश्न 9: ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत का क्या अर्थ है?

    (a) प्रत्येक नागरिक को एक से अधिक वोट देने का अधिकार है।
    (b) प्रत्येक पात्र नागरिक को केवल एक वोट देने का अधिकार है।
    (c) वोट का मूल्य नागरिक की सामाजिक स्थिति पर निर्भर करता है।
    (d) वोटों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से गिना जाना चाहिए।

    उत्तर: (b) प्रत्येक पात्र नागरिक को केवल एक वोट देने का अधिकार है।

    व्याख्या: यह सिद्धांत समानता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है, जहाँ प्रत्येक पात्र नागरिक का वोट समान मूल्य रखता है।
  10. प्रश्न 10: नागरिक समाज संगठनों (CSOs) को चुनावी प्रक्रिया में किस प्रकार की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है?

    (a) सीधे चुनाव कराना
    (b) राजनीतिक दलों का गठन करना
    (c) वोटर लिस्ट की शुचिता की निगरानी करना
    (d) चुनाव प्रचार में भाग लेना

    उत्तर: (c) वोटर लिस्ट की शुचिता की निगरानी करना

    व्याख्या: CSOs मतदाता जागरूकता बढ़ाने, वोटर लिस्ट की जाँच करने और चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: “वोटर लिस्ट की शुचिता चुनावी अखंडता की रीढ़ है।” हालिया राजनीतिक आरोपों के संदर्भ में इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। वोटर लिस्ट को त्रुटिहीन बनाने में आने वाली चुनौतियों और इसके समाधान हेतु उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर विस्तार से चर्चा करें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: भारत में चुनाव आयोग (ECI) की शक्तियों और कार्यों पर चर्चा करें, विशेष रूप से वोटर लिस्ट के निर्माण, संशोधन और प्रबंधन के संबंध में। वोटर लिस्ट में संदिग्ध नामों और फर्जीवाड़े के आरोपों से निपटने के लिए ECI द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों का विश्लेषण करें। (150 शब्द)
  3. प्रश्न 3: चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी नवाचार (जैसे AI और ब्लॉकचेन) के उपयोग की संभावनाओं का परीक्षण करें। इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने में क्या बाधाएँ आ सकती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? (150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: “चुनावों में धांधली” के आरोप, यदि सत्य साबित होते हैं, तो भारतीय लोकतंत्र के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। इन आरोपों के संभावित निहितार्थों का विश्लेषण करें और नागरिक समाज, सरकार और चुनाव आयोग की संयुक्त जिम्मेदारी पर प्रकाश डालें ताकि जनता का विश्वास बहाल किया जा सके। (250 शब्द)

Leave a Comment