लोकतंत्र का दैनिक ज्ञान-परीक्षण
भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को और मजबूत करने के लिए तैयार हो जाइए! आज का यह विशेष प्रश्नोत्तरी सत्र आपको भारतीय राजव्यवस्था और संविधान की गहरी समझ का परीक्षण करने का अवसर देगा। अपने संकल्प को परखें और ज्ञान की राह पर आगे बढ़ें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। ये शब्द संविधान की मूल भावना को और स्पष्ट करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इन संशोधनों का उद्देश्य भारतीय राज्य को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने वाली कल्याणकारी राज्य की ओर अग्रसर करना था। ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द भारत के सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता और किसी भी धर्म के प्रति राज्य के तटस्थ रवैये को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) को जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 के अंतर्गत आता है?
- विधि के समक्ष समानता
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
- अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 20 ‘अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण’ प्रदान करता है। इसके अंतर्गत तीन प्रकार के संरक्षण आते हैं: (1) कार्योत्तर विधि के संबंध में संरक्षण, (2) दोहरे दंड से संरक्षण, और (3) आत्म-अभिशंसन से संरक्षण।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी अपराध के लिए तब तक दंडित नहीं किया जाएगा जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करते समय, जो उस समय अपराध समझा जाता था, किसी कानून का उल्लंघन न किया हो; और किसी भी व्यक्ति को उसी अपराध के लिए एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जाएगा।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 ‘विधि के समक्ष समानता’ की बात करता है। अनुच्छेद 21 ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा’ प्रदान करता है। अनुच्छेद 25 ‘धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार’ देता है।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करना होता है?
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- लोकसभा अध्यक्ष
- भारत के उपराष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति, जो भारत का राष्ट्राध्यक्ष होता है, अपना त्यागपत्र भारत के उपराष्ट्रपति को संबोधित करता है, जैसा कि अनुच्छेद 56(1)(a) में प्रावधानित है।
- संदर्भ और विस्तार: जब राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को सौंपता है, तो उपराष्ट्रपति इसकी सूचना तुरंत लोकसभा अध्यक्ष को देता है। राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, लेकिन वह इस अवधि से पूर्व भी त्यागपत्र दे सकता है।
- गलत विकल्प: मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के न रहने पर कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन त्यागपत्र प्राप्तकर्ता नहीं होते। लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित सदन का प्रमुख होता है, न कि कार्यकारी पद का। प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, राष्ट्राध्यक्ष का नहीं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के संबंध में सही नहीं है?
- ये तत्व न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable) नहीं हैं।
- यह सरकार के लिए एक ‘कल्याणकारी राज्य’ की स्थापना का निर्देश देते हैं।
- यह नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्य निर्धारित करते हैं।
- यह भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 37 स्पष्ट करता है कि DPSP न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, भले ही वे देश के शासन में मूलभूत हों। संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक DPSP का वर्णन है। ये तत्व एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए सरकार को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP सकारात्मक निर्देश हैं जो राज्य को कुछ अधिकार देने या कुछ कदम उठाने के लिए कहते हैं। वे मौलिक अधिकारों के पूरक हैं, जो राज्य को कुछ करने से रोकते हैं।
- गलत विकल्प: नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्य संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत वर्णित हैं, न कि DPSP के भाग के रूप में। इसलिए, यह कथन सही नहीं है कि DPSP नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्य निर्धारित करते हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संसद के दो सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को संयुक्त बैठक में कौन आहूत (summon) करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- प्रधानमंत्री
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति, अनुच्छेद 108 के तहत, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को आहूत (summon) करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक आम तौर पर तब बुलाई जाती है जब किसी विधेयक पर गतिरोध उत्पन्न हो जाता है। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है। यदि लोकसभा अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष, और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्यसभा का सभापति (जो भारत का उपराष्ट्रपति होता है) या उसकी अनुपस्थिति में, राज्यसभा का उप-सभापति बैठक की अध्यक्षता करता है।
- गलत विकल्प: लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा का सभापति केवल बैठक की अध्यक्षता करते हैं, आहूत नहीं करते। प्रधानमंत्री इस प्रक्रिया में सलाह दे सकते हैं, लेकिन निर्णय राष्ट्रपति का होता है।
प्रश्न 6: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- वित्त मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। वह संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के खातों से संबंधित रिपोर्टें प्रस्तुत करता है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है, और वह केवल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान आधारों पर या उसी प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं, लेकिन CAG की नियुक्ति नहीं करते। लोकसभा अध्यक्ष सदन के कामकाज के प्रमुख होते हैं। वित्त मंत्री वित्तीय मामलों के प्रभारी होते हैं।
प्रश्न 7: ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति भारतीय संविधान में किस देश से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- आयरलैंड
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन, अर्थात संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित किसी भी कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने और उसकी समीक्षा करने की सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की शक्ति, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है। हालांकि, भारतीय संविधान में इसका कहीं भी स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है, लेकिन अनुच्छेद 13, 32, 226 और 246 में निहित प्रावधानों से यह शक्ति निकलती है।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हों। यदि कोई कानून संविधान के विपरीत पाया जाता है, तो उसे सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा रद्द घोषित किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: यूके में संसदीय संप्रभुता का सिद्धांत है, जहां संसद के कानून को न्यायालय द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती। कनाडा और आयरलैंड से अन्य प्रावधान लिए गए हैं (जैसे कनाडा से अवशिष्ट शक्तियां, आयरलैंड से DPSP)।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है?
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 213
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 111
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 123 प्रदान करता है। यह शक्ति तब प्रयोग की जाती है जब संसद का कोई एक सदन या दोनों सदन सत्र में न हों और ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए कि राष्ट्रपति के लिए तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक हो।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश का प्रभाव संसद के एक अधिनियम के समान होता है। हालाँकि, इसे संसद के अगले सत्र के प्रारंभ होने के छह सप्ताह के भीतर अनुमोदित होना चाहिए, अन्यथा यह समाप्त हो जाता है। राज्यपाल को भी अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 213 राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की विधायी शक्ति (विधेयकों पर स्वीकृति) से संबंधित है।
प्रश्न 9: ‘संपत्ति का अधिकार’ वर्तमान में भारतीय संविधान के तहत एक…
- मौलिक अधिकार है
- कानूनी अधिकार है
- संवैधानिक अधिकार है, लेकिन मौलिक अधिकार नहीं
- DPSP का हिस्सा है
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार मूल रूप से भाग III में एक मौलिक अधिकार था, लेकिन 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया। इसे संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (legal right) के रूप में स्थापित किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 300A कहता है कि “कोई भी व्यक्ति विधि के प्राधिकार के बिना संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।” यह इसे एक संवैधानिक अधिकार भी बनाता है क्योंकि यह संविधान के एक विशिष्ट अनुच्छेद में वर्णित है, लेकिन यह मौलिक अधिकारों की सुरक्षा (जैसे अनुच्छेद 32 के तहत सीधा उपचार) से मुक्त है।
- गलत विकल्प: यह अब मौलिक अधिकार नहीं है (a)। यह एक कानूनी और संवैधानिक अधिकार है, न कि केवल कानूनी अधिकार (b) के रूप में पूरी तरह से वर्गीकृत (हालांकि व्यवहार में यह कानूनी अधिकार ही है)। यह DPSP का हिस्सा भी नहीं है (d)।
प्रश्न 10: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसके परिणामस्वरूप संविधान में भाग IX और 11वीं अनुसूची जोड़ी गई, जिसमें पंचायतों के 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्तियाँ और स्वायत्तता प्रदान करके स्थानीय स्तर पर स्व-शासन को मजबूत करना था। यह बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाता है।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21A) से संबंधित है। 97वां संशोधन सहकारी समितियों से संबंधित है।
प्रश्न 11: अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को संसद द्वारा कितने समय के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए?
- एक माह
- दो माह
- छह माह
- बारह माह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा जारी होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि उद्घोषणा एक महीने के भीतर अनुमोदित हो जाती है, तो यह छह महीने तक लागू रहती है। यदि इसे दोनों सदनों द्वारा एक वर्ष के भीतर पुनः अनुमोदित किया जाता है, तो यह अधिकतम तीन साल तक लागू रह सकती है (कुछ शर्तों के अधीन)। यह व्यवस्था राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में की जाती है।
- गलत विकल्प: एक माह (a) बहुत कम अवधि है। छह माह (c) और बारह माह (d) प्रारंभिक अनुमोदन के लिए गलत समय-सीमा हैं; वे अवधि विस्तार से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन प्रारंभिक अनुमोदन के लिए नहीं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘अनुच्छेद 32’ के बारे में सत्य है?
- यह उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- यह राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति देता है।
- यह सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन हेतु रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- यह केंद्र-राज्य संबंधों को परिभाषित करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट (जैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा) जारी करने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। उच्च न्यायालयों को ऐसी ही शक्ति अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- गलत विकल्प: उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी करने की शक्ति है, न कि अनुच्छेद 32 के तहत (a)। अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है (b)। केंद्र-राज्य संबंध भाग XI और XII में वर्णित हैं (d)।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को कितनी बार संशोधित किया गया है?
- एक बार
- दो बार
- तीन बार
- कभी नहीं
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को केवल एक बार, 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संशोधित किया गया है, जिसमें ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए।
- संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा है और संसद इसे संशोधित कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे (basic structure) को नहीं बदल सकती।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना को दो (b), तीन (c) या कभी नहीं (d) संशोधित नहीं किया गया है, जैसा कि ऊपर बताया गया है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को उस पद को धारण करने से रोकती है जिसके लिए वह अयोग्य है?
- परमादेश (Mandamus)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- निषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) रिट तब जारी की जाती है जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे सार्वजनिक पद को धारण करता है, जिसे वह कानूनी रूप से धारण करने का हकदार नहीं है। यह न्यायालय को यह पूछताछ करने की अनुमति देता है कि वह किस अधिकार से पद पर है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि व्यक्ति पद के लिए अयोग्य पाया जाता है, तो उसे पद से हटने का आदेश दिया जा सकता है। यह रिट सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक पद केवल योग्य व्यक्तियों द्वारा ही धारण किए जाएं।
- गलत विकल्प: परमादेश (Mandamus) किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य करने का आदेश देता है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। निषेध (Prohibition) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ किस भाग में शामिल किए गए हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में भाग IV-A के तहत अनुच्छेद 51A के रूप में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों के प्रति देश के दायित्वों को दर्शाते हैं, जैसे संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना आदि। ये कर्तव्य भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है (a)। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है (b)। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है (d)।
प्रश्न 16: लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 93
- अनुच्छेद 94
- अनुच्छेद 95
- अनुच्छेद 97
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 93 प्रावधान करता है कि लोकसभा अपने दो सदस्यों को यथाशीघ्र अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन करता है, अनुशासन बनाए रखता है, और विधेयक की ‘धन विधेयक’ होने या न होने की घोषणा करता है। वह दल-बदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता पर भी निर्णय लेता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 94 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त होने, त्यागपत्र देने या हटाए जाने से संबंधित है। अनुच्छेद 95 अध्यक्ष की अनुपस्थिति में पीठासीन होने की शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 97 सभापति और उप-सभापति के भत्तों से संबंधित है।
प्रश्न 17: भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति किसमें निहित है?
- प्रधानमंत्री
- मंत्रिपरिषद
- राष्ट्रपति
- भारत का महान्यायवादी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 53(1) कहता है कि संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग या तो सीधे या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, व्यवहार में वह इसका प्रयोग प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है, जैसा कि अनुच्छेद 74 में प्रावधानित है। राष्ट्रपति देश का राष्ट्राध्यक्ष होता है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी अधिकार का प्रयोग करते हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति के अधीनस्थ होते हैं। महान्यायवादी सरकार का कानूनी सलाहकार होता है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- नीति आयोग
- वित्त आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संविधान में स्पष्ट रूप से स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनके गठन और शक्तियों का उल्लेख संविधान में है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकायों का गठन संविधान के तहत होता है और वे सीधे संविधान से अपनी शक्ति प्राप्त करते हैं।
- गलत विकल्प: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) एक कार्यकारी आदेश (resolution) द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक, गैर-वैधानिक निकाय है। यह सरकार की एक थिंक-टैंक के रूप में कार्य करता है।
प्रश्न 19: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति किस अनुच्छेद के अंतर्गत आती है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 161
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को क्षमा, लघुकरण, परिहार, विराम या दंडादेश के प्रविलंबन या दंडादेश के स्वरूप या मात्रा को संपरिवर्तित करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति कुछ निश्चित अपराधों, विशेषकर मृत्युदंड के मामलों में, मानवीय आधार पर प्रदान की जाती है। राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है। राज्यपाल को भी ऐसी ही शक्ति अनुच्छेद 161 के तहत प्राप्त है, लेकिन वह मृत्युदंड को क्षमा नहीं कर सकता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 अध्यादेश से संबंधित है (b)। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है (c)। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है (d)।
प्रश्न 20: भारत के संविधान में ‘संघवाद’ (Federalism) की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रभावित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संघवाद की संरचना ‘कनाडा’ के मॉडल से अधिक प्रभावित है, जो एक मजबूत केंद्र के साथ संघवाद (cooperative federalism) का रूप है। संयुक्त राज्य अमेरिका का संघवाद ‘dual federalism’ का एक रूप है जहाँ राज्यों की शक्तियां अधिक स्पष्ट होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कनाडा के मॉडल की तरह, भारत में भी अवशिष्ट शक्तियां (residual powers) केंद्र के पास हैं (अनुच्छेद 248)। राष्ट्रपति द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति भी कनाडा के मॉडल से प्रभावित है। हालांकि, भारत का संघवाद पूरी तरह से कनाडा का अनुकरण नहीं है, इसमें कुछ तत्व अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई संघवाद से भी लिए गए हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका (a) से संघीय ढाँचा लिया गया है, लेकिन इसकी प्रकृति भिन्न है। ऑस्ट्रेलिया (c) से समवर्ती सूची (concurrent list) की अवधारणा ली गई है। यूनाइटेड किंगडम (d) से एकात्मक व्यवस्था के तत्व लिए गए हैं।
प्रश्न 21: ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) का प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय ने किस ऐतिहासिक मामले में किया था?
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
- एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में यह ऐतिहासिक निर्णय दिया था कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से को, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, संशोधित कर सकती है, लेकिन संविधान की ‘मूल संरचना’ (basic structure) को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के बाद, संसद की संशोधन शक्ति पर एक महत्वपूर्ण अंकुश लगा। मूल संरचना में प्रस्तावना के तत्व, संसदीय प्रणाली, मौलिक अधिकार (कुछ हद तक), न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: गोलकनाथ मामला (a) ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती। मेनका गांधी मामला (c) ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या का विस्तार किया। एस. आर. बोम्मई मामला (d) ने राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के दुरुपयोग पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 में वर्णित मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं, विदेशियों को नहीं। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) और अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) को प्राप्त हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (a) सभी व्यक्तियों को प्राप्त है। अनुच्छेद 21 (b) सभी व्यक्तियों को प्राप्त है। अनुच्छेद 25 (c) धर्म की स्वतंत्रता सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।
प्रश्न 23: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय ‘संवैधानिक सलाहकार’ के रूप में कार्य कर सकता है?
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 147
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति प्रदान करता है। इस प्रकार, सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति के लिए एक ‘संवैधानिक सलाहकार’ के रूप में कार्य कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति किसी भी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर, या किसी विशेष विधि के अर्थ या प्रयोज्यता के संबंध में, सलाह के लिए सर्वोच्च न्यायालय को निर्देशित कर सकता है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 132 सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 147 संविधान के अर्थ से संबंधित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करता है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत संसद को यह शक्ति प्राप्त है कि वह किसी भी नागरिक को कुछ सेवाओं में रोजगार के लिए आवश्यक निवास की शर्त लगा सकती है?
- अनुच्छेद 15(4)
- अनुच्छेद 16(3)
- अनुच्छेद 19(1)(d)
- अनुच्छेद 20(2)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 16(3) संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी विशेष राज्य या क्षेत्र में उस राज्य या क्षेत्र के संबंध में सार्वजनिक रोजगार या कार्यालयों के लिए रोजगार की आवश्यकता शर्त के रूप में उस राज्य या क्षेत्र में निवास की आवश्यकता बना सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामान्य नियम, जो कहता है कि राज्य के अधीन नियोजन में अवसरों की समानता होगी (अनुच्छेद 16(1)), का एक महत्वपूर्ण अपवाद है। यह केवल संसद द्वारा ही किया जा सकता है, राज्य विधानमंडल द्वारा नहीं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15(4) सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधानों की बात करता है (a)। अनुच्छेद 19(1)(d) भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से आवागमन के अधिकार की बात करता है (c)। अनुच्छेद 20(2) दोहरे दंड से संरक्षण की बात करता है (d)।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची राज्य और संघ के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है?
- चौथी अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित है। इसमें तीन सूचियां शामिल हैं: संघ सूची (Union List), राज्य सूची (State List) और समवर्ती सूची (Concurrent List)।
- संदर्भ और विस्तार: संघ सूची में वे विषय शामिल हैं जिन पर केवल संसद कानून बना सकती है। राज्य सूची में वे विषय हैं जिन पर राज्य विधानमंडल कानून बना सकते हैं। समवर्ती सूची में वे विषय हैं जिन पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन किसी टकराव की स्थिति में संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होता है।
- गलत विकल्प: चौथी अनुसूची राज्यसभा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सीटों के आवंटन से संबंधित है (a)। आठवीं अनुसूची आधिकारिक भाषाओं से संबंधित है (c)। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से संबंधित है, जिन्हें न्यायिक समीक्षा से छूट प्राप्त है (d)।