लॉर्ड्स ‘टाइम-वेस्ट’ विवाद: बुमराह-इंग्लैंड भिड़ंत और UPSC के लिए खेल कूटनीति, एथिक्स का गहरा विश्लेषण

लॉर्ड्स ‘टाइम-वेस्ट’ विवाद: बुमराह-इंग्लैंड भिड़ंत और UPSC के लिए खेल कूटनीति, एथिक्स का गहरा विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच एक क्रिकेट मैच के दौरान जसप्रीत बुमराह की गेंदबाजी और इंग्लैंड के कथित ‘समय बर्बाद’ करने के विवाद ने खेल जगत में हलचल मचा दी। भारतीय टीम ने इंग्लैंड पर जानबूझकर समय बर्बाद करने का आरोप लगाया, जिसके परिणामस्वरूप मैदान पर तीखी बहस हुई और मैच के बाद भी इसकी गूँज सुनाई देती रही। यह घटना केवल एक खेल विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि ‘खेल भावना’ (Spirit of Cricket), खेल नियमों, अंतरराष्ट्रीय खेल कूटनीति और नैतिक आचरण जैसे गहरे मुद्दों को सामने लाती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए बहुआयामी विश्लेषण का एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रस्तुत करती है।

लॉर्ड्स में घटनाक्रम (The Incident at Lord’s)

यह घटना लॉर्ड्स में एक रोमांचक टेस्ट मैच के दौरान घटी, जब भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह एक आक्रामक स्पेल डाल रहे थे। इंग्लैंड के बल्लेबाज बुमराह की धारदार गेंदबाजी का सामना कर रहे थे और भारतीय टीम दबाव बनाने की कोशिश कर रही थी। इसी दौरान, इंग्लिश बल्लेबाज कथित तौर पर ओवर बदलने और अपनी बारी आने में सामान्य से अधिक समय लेने लगे, जिससे खेल की गति धीमी हो गई। भारतीय खिलाड़ियों ने इसे ‘टाइम-वेस्टिंग’ रणनीति के रूप में देखा, जिसका उद्देश्य बुमराह की लय को तोड़ना और खेल की गति को धीमा करके अपने पक्ष में करना था।

मैदान पर भारतीय कप्तान और खिलाड़ियों ने इस देरी पर आपत्ति जताई। यह बहस अंपायरों तक भी पहुँची, लेकिन कथित तौर पर स्थिति पर तुरंत नियंत्रण नहीं पाया जा सका। मैच के बाद भी दोनों टीमों के बीच इस घटना को लेकर तनाव साफ देखा गया, जिसने खेल के तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ नैतिक और रणनीतिक आयामों पर भी सवाल खड़े किए।

खेल भावना का मर्म (The Essence of the Spirit of Cricket)

क्रिकेट को अक्सर ‘जेंटलमैन का खेल’ कहा जाता है, और इसका आधार ‘खेल भावना’ (Spirit of Cricket) है। यह केवल नियमों का पालन करने से कहीं अधिक है; यह ईमानदारी, सम्मान, निष्पक्षता और खेल के मूल्यों को बनाए रखने के बारे में है।

खेल भावना क्या है? (What is the Spirit of Cricket?)

  • परिभाषा: मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC), जो क्रिकेट के नियमों (Laws of Cricket) का संरक्षक है, ‘खेल भावना’ को ऐसे आचरण के रूप में परिभाषित करता है जो न केवल नियमों के ‘पत्र’ (letter) का पालन करता है, बल्कि उनकी ‘भावना’ (spirit) का भी सम्मान करता है। इसमें प्रतिद्वंद्वी, अंपायरों और खेल के प्रति सम्मान शामिल है।
  • WG Grace का उद्धरण: “वे खेलने के लिए आए थे, जीतने के लिए नहीं।” (Though often misattributed or paraphrased, it captures the essence.)
  • MCC का मुखबंध (Preamble): MCC के क्रिकेट नियमों के मुखबंध में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि क्रिकेट अपनी अपील बहुत हद तक इसलिए रखता है क्योंकि इसे ‘निष्पक्ष और सम्मानजनक तरीके से’ खेला जाता है। यह खेल भावना खेल के सार के लिए केंद्रीय है।

लॉर्ड्स घटना और खेल भावना:

लॉर्ड्स की घटना में, ‘टाइम-वेस्टिंग’ का आरोप सीधे तौर पर खेल भावना पर सवाल खड़ा करता है। यद्यपि नियमों में धीमी ओवर गति के लिए दंड का प्रावधान है, लेकिन जानबूझकर समय बर्बाद करना अक्सर एक ऐसी ‘धूसर क्षेत्र’ (grey area) में आता है जहाँ नियमों का उल्लंघन स्पष्ट रूप से नहीं होता, लेकिन खेल की भावना का अनादर जरूर होता है। यह एक नैतिक दुविधा प्रस्तुत करता है: क्या जीत के लिए किसी भी रणनीति का उपयोग वैध है, भले ही वह खेल के मूल सिद्धांतों के विपरीत हो?

उपमा: कल्पना कीजिए कि आप सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं। यातायात नियम (Laws of Cricket) गति सीमा, लेन अनुशासन आदि निर्धारित करते हैं। लेकिन ‘यातायात शिष्टाचार’ (Spirit of Cricket) यह सुनिश्चित करता है कि आप दूसरों के प्रति सम्मान दिखाएं, बेवजह हॉर्न न बजाएं, और अनावश्यक रूप से लेन न बदलें। ‘टाइम-वेस्टिंग’ का आरोप इस शिष्टाचार के उल्लंघन के समान है, जहाँ नियमों को तोड़ा नहीं गया, लेकिन व्यवहार उचित नहीं था।

क्रिकेट के नियम और ‘टाइम-वेस्टिंग’ (Cricket Rules and Time-Wasting)

क्रिकेट के नियम, विशेष रूप से ICC (अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) की आचार संहिता (Code of Conduct) और MCC के नियम, खेल को सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाए गए हैं।

धीमी ओवर गति (Slow Over Rates):

  • ICC नियम टीमों को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर एक निश्चित संख्या में ओवर पूरे करने के लिए बाध्य करते हैं। इसका उल्लंघन करने पर कप्तान और टीम पर जुर्माना लगाया जाता है।
  • ‘टाइम-वेस्टिंग’ अक्सर धीमी ओवर गति का एक कारण बनती है, लेकिन यह केवल इसका एक परिणाम है।

अनुचित खेल (Unfair Play – MCC Law 41):

  • MCC के नियम 41 ‘अनुचित खेल’ से संबंधित हैं। यह उन कार्यों को संबोधित करता है जो खेल की भावना के विपरीत हैं, जैसे कि जानबूझकर समय बर्बाद करना, बल्लेबाज का अनुचित तरीके से परेशान करना, या पिच को नुकसान पहुँचाना।
  • नियम 41.12 विशेष रूप से ‘समय बर्बाद करने’ की बात करता है: “अंपायर किसी भी टीम को जानबूझकर समय बर्बाद करने से रोकने के लिए जिम्मेदार हैं।” यदि अंपायरों को लगता है कि कोई खिलाड़ी समय बर्बाद कर रहा है, तो वे पहले चेतावनी दे सकते हैं, और फिर दंड लगा सकते हैं (जैसे कि विरोधी टीम को 5 पेनल्टी रन देना)।

प्रवर्तन की चुनौतियाँ:

नियमों का प्रवर्तन अक्सर व्यक्तिपरक हो सकता है। ‘जानबूझकर’ समय बर्बाद करने और सामान्य खेल रणनीति के बीच की रेखा बहुत महीन होती है। अंपायरों को दबाव में तुरंत निर्णय लेना होता है कि क्या वास्तव में कोई अनुचित खेल हो रहा है या यह सिर्फ मैच की सामान्य गति का हिस्सा है। लॉर्ड्स की घटना में, यह अंपायरों के निर्णय लेने की क्षमता और तात्कालिकता पर भी सवाल उठाती है।

मनोवैज्ञानिक युद्ध और रणनीति (Psychological Warfare and Strategy)

पेशेवर खेल, विशेषकर उच्च-दाँव वाले मैच, केवल शारीरिक कौशल का प्रदर्शन नहीं होते; वे अक्सर मनोवैज्ञानिक युद्ध का मैदान भी होते हैं। टीमें और खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाने, उनकी एकाग्रता भंग करने और अपनी रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विभिन्न सामरिक हथकंडों का उपयोग करते हैं।

  • वैध रणनीति: इसमें फील्ड प्लेसमेंट में बदलाव, गेंदबाजी में विविधता, या बल्लेबाजी क्रम में फेरबदल शामिल है।
  • सीमा रेखा पर रणनीति: ‘स्लेजिंग’ (विरोधी पर मौखिक टिप्पणी), ‘टाइम-वेस्टिंग’ (खेल की गति को धीमा करना), या अत्यधिक अपील करना ऐसी रणनीतियाँ हैं जो नियमों के कगार पर होती हैं। इनका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी को विचलित करना होता है।

लॉर्ड्स में ‘टाइम-वेस्टिंग’ का आरोप इंग्लैंड द्वारा एक जानबूझकर की गई रणनीति हो सकता है ताकि बुमराह जैसे खतरनाक गेंदबाज की लय को बाधित किया जा सके या भारतीय टीम को हताश किया जा सके। यह दिखाता है कि कैसे खेल में एक तकनीकी पहलू (समय बर्बाद करना) मनोवैज्ञानिक लाभ हासिल करने का एक उपकरण बन सकता है। भारतीय टीम की त्वरित प्रतिक्रिया मनोवैज्ञानिक दबाव को उलटने का एक प्रयास थी, यह दर्शाता है कि वे इस रणनीति से वाकिफ थे और इसे अपने खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देना चाहते थे।

खेल कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Sports Diplomacy and International Relations)

खेल, विशेष रूप से क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल, अक्सर देशों के बीच ‘सॉफ्ट पावर’ (Soft Power) और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण माध्यम होते हैं। ‘खेल कूटनीति’ एक देश के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने या तनाव कम करने के लिए खेल का उपयोग करने को संदर्भित करती है।

  • ऐतिहासिक उदाहरण:
    • पिंग-पोंग कूटनीति (Ping-Pong Diplomacy): 1970 के दशक में चीन और अमेरिका के बीच संबंधों को सुधारने में टेबल टेनिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • क्रिकेट कूटनीति: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, क्रिकेट मैच अक्सर दोनों देशों के लोगों को एक साथ लाने और संबंधों में सुधार का अवसर प्रदान करते हैं।

लॉर्ड्स जैसी घटनाएँ, जहाँ दो प्रमुख क्रिकेट खेलने वाले देशों के बीच मैदान पर तनाव पैदा होता है, अस्थायी रूप से खेल संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं। हालाँकि, बड़े कूटनीतिक संबंधों पर इसका शायद ही कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन यह राष्ट्रीय गौरव और मीडिया की प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है। भारत और इंग्लैंड दोनों क्रिकेट की दुनिया में मजबूत राष्ट्र हैं, और ऐसे विवादों को सावधानी से संभाला जाना चाहिए ताकि वे आगे चलकर संबंधों में खटास न डालें। यह घटना बताती है कि कैसे मैदान पर एक छोटी सी घटना भी राष्ट्रीय भावनाओं और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों का विषय बन सकती है।

खिलाड़ियों का आचार संहिता और अधिकारियों की भूमिका (Players’ Code of Conduct and the Role of Officials)

ICC की आचार संहिता खिलाड़ियों, सपोर्ट स्टाफ और मैच अधिकारियों के लिए पेशेवर आचरण के मानकों को निर्धारित करती है। इसका उद्देश्य खेल की अखंडता को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना है कि खेल सम्मानजनक तरीके से खेला जाए।

  • खिलाड़ियों की जिम्मेदारी: खिलाड़ियों से अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल नियमों का पालन करें, बल्कि खेल भावना का भी सम्मान करें। इसमें अंपायरों के प्रति सम्मान, प्रतिद्वंद्वी के प्रति सम्मान और अनुचित साधनों का उपयोग न करना शामिल है।
  • कप्तान की भूमिका: कप्तान टीम के व्यवहार के लिए जिम्मेदार होता है। लॉर्ड्स की घटना में, भारतीय कप्तान का हस्तक्षेप टीम के अनुशासन और खेल भावना को बनाए रखने की जिम्मेदारी को दर्शाता है।
  • अंपायरों और मैच रेफरी की भूमिका: ये मैच के दौरान मैदान पर ‘नियम के संरक्षक’ होते हैं। उन्हें निष्पक्ष रूप से निर्णय लेना होता है, नियमों को लागू करना होता है और खेल भावना के उल्लंघन को रोकना होता है। लॉर्ड्स में अंपायरों की प्रतिक्रिया पर सवाल उठे, जिससे भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए उनकी भूमिका की समीक्षा हो सकती है। मैच रेफरी, मैच के बाद आचार संहिता के उल्लंघन की समीक्षा कर सकते हैं और दंड लगा सकते हैं।

नैतिक दुविधाएँ और निर्णय लेना (Ethical Dilemmas and Decision Making)

लॉर्ड्स घटना कई नैतिक दुविधाओं को उजागर करती है, जो केवल खिलाड़ियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि खेल संगठनों और प्रशंसकों के लिए भी प्रासंगिक हैं।

  1. जीत बनाम खेल भावना: क्या खेल में जीत किसी भी कीमत पर हासिल की जानी चाहिए, या खेल भावना और निष्पक्षता के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए?
  2. व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा बनाम टीम नैतिकता: एक खिलाड़ी या टीम अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कितनी दूर जा सकती है, और यह उसके नैतिक मूल्यों को कैसे प्रभावित करता है?
  3. अधिकारियों का दबाव: अंपायर और मैच रेफरी को तत्काल निर्णय लेने पड़ते हैं, अक्सर भारी दबाव में। उन्हें खेल की गति को बनाए रखने और नियमों को लागू करने के बीच संतुलन बनाना होता है।
  4. प्रशंसकों की अपेक्षाएँ: प्रशंसक अक्सर अपनी टीम से हर हाल में जीतने की उम्मीद करते हैं, जिससे खिलाड़ियों पर नैतिक समझौता करने का अप्रत्यक्ष दबाव पड़ सकता है।

केस स्टडी: 2008 में सिडनी टेस्ट में भारत-ऑस्ट्रेलिया विवाद एक अन्य उदाहरण है जहाँ अंपायरिंग और खेल भावना पर गंभीर सवाल उठे थे, जिससे दोनों देशों के क्रिकेट संबंधों में तनाव आ गया था। यह दर्शाता है कि कैसे एक घटना नैतिकता, अखंडता और निर्णयों के इर्द-गिर्द घूमती है।

सोशल मीडिया का प्रभाव (Impact of Social Media)

आज के डिजिटल युग में, खेल विवादों को सोशल मीडिया पर तुरंत लाखों लोगों तक पहुँचा दिया जाता है। लॉर्ड्स की घटना भी तुरंत वायरल हो गई, जिससे दुनिया भर के प्रशंसकों, पूर्व खिलाड़ियों और टिप्पणीकारों ने अपनी राय व्यक्त की।

  • सूचना का त्वरित प्रसार: सोशल मीडिया घटना की जानकारी तेजी से फैलाता है, जिससे सार्वजनिक बहस शुरू हो जाती है।
  • सार्वजनिक राय का निर्माण: प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएँ अक्सर ध्रुवीकृत होती हैं, जिससे खिलाड़ी, अंपायर और संबंधित बोर्डों पर सार्वजनिक दबाव पड़ता है।
  • खिलाड़ियों पर दबाव: सोशल मीडिया पर लगातार बहस और आलोचना खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव डालती है, जो उनके प्रदर्शन और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
  • “पब्लिक ट्रायल”: कई बार, खेल अधिकारियों के निर्णय से पहले ही “पब्लिक ट्रायल” हो जाता है, जिससे आधिकारिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।

आगे की राह (Way Forward)

लॉर्ड्स जैसी घटनाओं से बचने और खेल की अखंडता को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. नियमों का स्पष्टीकरण और सख्त प्रवर्तन: ‘टाइम-वेस्टिंग’ जैसे ‘धूसर क्षेत्रों’ में नियमों को और अधिक स्पष्ट किया जाना चाहिए, और अंपायरों को इन नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए सशक्त किया जाना चाहिए।
  2. खिलाड़ियों की शिक्षा: खेल भावना और आचार संहिता पर खिलाड़ियों के लिए नियमित कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए, विशेष रूप से युवा स्तर पर।
  3. अंपायरों का प्रशिक्षण और समर्थन: अंपायरों को दबाव में सही निर्णय लेने के लिए बेहतर प्रशिक्षण और आवश्यक उपकरण (जैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग) प्रदान किए जाने चाहिए।
  4. ICC की भूमिका: ICC को खेल भावना के उल्लंघन के मामलों में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि एक मिसाल कायम हो सके।
  5. खुला संवाद: टीमों और कप्तानों के बीच मैदान पर और बाहर भी खुला संवाद महत्वपूर्ण है ताकि गलतफहमियों को दूर किया जा सके।
  6. फैन-एंगेजमेंट में जिम्मेदारी: खेल निकायों और मीडिया को प्रशंसकों को खेल के नैतिक आयामों के बारे में शिक्षित करने और उन्हें संतुलित दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में भूमिका निभानी चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह घटना केवल क्रिकेट के बारे में नहीं है, बल्कि यह कई UPSC GS (सामान्य अध्ययन) के पेपरों से संबंधित अवधारणाओं को समझने के लिए एक उत्कृष्ट आधार प्रदान करती है:

  • GS-I (भारतीय समाज): सामाजिक मूल्यों, नैतिकता, खेल का समाज पर प्रभाव।
  • GS-II (शासन, संविधान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध):
    • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: खेल कूटनीति, सॉफ्ट पावर, देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध।
    • शासन: खेल संगठनों (ICC, BCCI) की भूमिका, नियमों का प्रवर्तन, पारदर्शिता और जवाबदेही।
  • GS-IV (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि – Ethics, Integrity, and Aptitude):
    • नैतिकता: खेल भावना, निष्पक्षता, ईमानदारी, व्यक्तिगत और पेशेवर नैतिकता के बीच संघर्ष।
    • सत्यनिष्ठा: नियमों का पालन, नैतिक मानकों को बनाए रखना।
    • अभिरुचि: दबाव में निर्णय लेना, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, नेतृत्व गुण।
    • केस स्टडी: यह घटना एक बेहतरीन केस स्टडी प्रदान करती है जहाँ विभिन्न हितधारकों (खिलाड़ी, अंपायर, टीम, प्रशंसक) के नैतिक दुविधाओं का विश्लेषण किया जा सकता है।

संक्षेप में, लॉर्ड्स में हुई यह घटना हमें खेल के मैदान से परे जाकर, मानव व्यवहार, संगठनात्मक शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और व्यक्तिगत व सामूहिक नैतिकता के जटिल अंतर्संबंधों को समझने का अवसर प्रदान करती है। UPSC उम्मीदवारों को ऐसी घटनाओं का उपयोग अपनी वैचारिक समझ को गहरा करने और विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करने के लिए करना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: MCC (मेरिलबोन क्रिकेट क्लब) के ‘खेल भावना’ (Spirit of Cricket) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह केवल क्रिकेट के नियमों का अक्षरशः पालन करने पर केंद्रित है।
    2. यह खेल में ईमानदारी, सम्मान और निष्पक्षता जैसे मूल्यों को बनाए रखने पर जोर देता है।
    3. यह खेल के दौरान खिलाड़ियों द्वारा उपयोग की जाने वाली हर रणनीति को उचित ठहराता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a
    2. केवल b
    3. a और c दोनों
    4. b और c दोनों

    उत्तर: b
    व्याख्या: ‘खेल भावना’ नियमों के अक्षरशः पालन के साथ-साथ उनके निहित मूल्यों (ईमानदारी, सम्मान, निष्पक्षता) पर भी जोर देती है, न कि हर रणनीति को उचित ठहराती है।

  2. प्रश्न 2: ICC की आचार संहिता (Code of Conduct) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
    1. खिलाड़ियों के वेतन को विनियमित करना।
    2. प्रशंसकों के व्यवहार को नियंत्रित करना।
    3. खेल की अखंडता को बनाए रखना और पेशेवर आचरण के मानक निर्धारित करना।
    4. मैचों के लिए टिकट की कीमतों को निर्धारित करना।

    उत्तर: c
    व्याख्या: ICC की आचार संहिता मुख्य रूप से खेल की अखंडता सुनिश्चित करने और खिलाड़ियों व स्टाफ के पेशेवर आचरण को विनियमित करने के लिए है।

  3. प्रश्न 3: क्रिकेट में ‘टाइम-वेस्टिंग’ के संदर्भ में, MCC के किस नियम में ‘अनुचित खेल’ (Unfair Play) का उल्लेख है?
    1. नियम 1
    2. नियम 17
    3. नियम 41
    4. नियम 20

    उत्तर: c
    व्याख्या: MCC का नियम 41 ‘अनुचित खेल’ से संबंधित है और इसमें जानबूझकर समय बर्बाद करने जैसे कृत्यों का उल्लेख है।

  4. प्रश्न 4: ‘खेल कूटनीति’ (Sports Diplomacy) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह केवल युद्ध के समय सेनाओं को तैनात करने के लिए खेल का उपयोग करने को संदर्भित करता है।
    2. यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने या तनाव कम करने के लिए खेल का उपयोग करने को संदर्भित करता है।
    3. ‘पिंग-पोंग कूटनीति’ इसका एक ऐतिहासिक उदाहरण है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a
    2. केवल b और c
    3. केवल a और c
    4. a, b और c

    उत्तर: b
    व्याख्या: खेल कूटनीति सॉफ्ट पावर का हिस्सा है और इसका उद्देश्य देशों के बीच संबंधों को सुधारना है, न कि केवल सैन्य तैनाती से संबंधित। पिंग-पोंग कूटनीति इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण है।

  5. प्रश्न 5: ‘सॉफ्ट पावर’ (Soft Power) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा उदाहरण ‘खेल कूटनीति’ के दायरे में आ सकता है?
    1. एक देश द्वारा दूसरे देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना।
    2. एक देश द्वारा दूसरे देश को सैन्य सहायता प्रदान करना।
    3. सांस्कृतिक आदान-प्रदान और खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देना।
    4. एक देश द्वारा दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना।

    उत्तर: c
    व्याख्या: सॉफ्ट पावर में सांस्कृतिक प्रभाव, मूल्य और संस्थान शामिल होते हैं जो आकर्षक होते हैं। खेल कूटनीति इसका एक हिस्सा है, जहाँ खेल के माध्यम से सकारात्मक संबंध बनाए जाते हैं।

  6. प्रश्न 6: धीमी ओवर गति (Slow Over Rates) के लिए ICC नियमों के तहत, दंड किसे लगाया जाता है?
    1. केवल बल्लेबाज को।
    2. केवल गेंदबाजी टीम के कप्तान को।
    3. गेंदबाजी टीम के कप्तान और पूरी टीम पर (मैच फीस के प्रतिशत के रूप में)।
    4. केवल अंपायरों को।

    उत्तर: c
    व्याख्या: धीमी ओवर गति के लिए आमतौर पर कप्तान और टीम के खिलाड़ियों पर मैच फीस के रूप में जुर्माना लगाया जाता है।

  7. प्रश्न 7: लॉर्ड्स की घटना के विश्लेषण में कौन-सा UPSC सामान्य अध्ययन पेपर सबसे अधिक प्रासंगिक है?
    1. GS-I (कला और संस्कृति)
    2. GS-II (शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
    3. GS-III (अर्थव्यवस्था और पर्यावरण)
    4. GS-IV (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि)

    उत्तर: b और d (हालांकि प्रश्न में एक ही विकल्प चुनना हो सकता है, दोनों ही अत्यधिक प्रासंगिक हैं। यदि एक चुनना पड़े तो, GS-IV अधिक गहराई से नैतिक दुविधाओं को कवर करता है, जबकि GS-II खेल कूटनीति और शासन को।)
    व्याख्या: यह घटना खेल कूटनीति (GS-II) और खेल संगठनों के शासन (GS-II) के साथ-साथ खेल भावना, नैतिक दुविधाओं और निर्णय लेने (GS-IV) जैसे महत्वपूर्ण विषयों को छूती है।

  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन खेल में ‘नैतिक दुविधा’ का उदाहरण हो सकता है?
    1. एक खिलाड़ी का अपनी टीम के लिए जीतने के लिए जानबूझकर समय बर्बाद करना, भले ही यह खेल भावना के विपरीत हो।
    2. एक टीम का मौसम की स्थिति के अनुसार अपनी रणनीति बदलना।
    3. एक कप्तान का टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला करना।
    4. एक बल्लेबाज का शतक पूरा करने के लिए धीमी गति से खेलना।

    उत्तर: a
    व्याख्या: जानबूझकर समय बर्बाद करना, खासकर जब यह खेल भावना के विपरीत हो, जीत और निष्पक्ष खेल के नैतिक मूल्यों के बीच एक दुविधा पैदा करता है। अन्य विकल्प सामान्य खेल रणनीतियाँ हैं।

  9. प्रश्न 9: क्रिकेट में अंपायरों की मुख्य भूमिका क्या है?
    1. खिलाड़ियों को कोचिंग देना।
    2. मैच का सीधा प्रसारण करना।
    3. नियमों को लागू करना और मैदान पर निष्पक्ष खेल सुनिश्चित करना।
    4. खिलाड़ियों के सोशल मीडिया अकाउंट का प्रबंधन करना।

    उत्तर: c
    व्याख्या: अंपायर खेल के नियमों को लागू करने और मैच के दौरान निष्पक्षता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

  10. प्रश्न 10: हाल की लॉर्ड्स घटना के संदर्भ में, ‘सामाजिक मीडिया’ का क्या प्रभाव देखा गया?
    1. इसने विवाद को तेजी से फैलाया और सार्वजनिक बहस को बढ़ावा दिया।
    2. इसने क्रिकेट बोर्डों के लिए विवाद पर कोई टिप्पणी न करने का कारण प्रदान किया।
    3. इसने खिलाड़ियों पर किसी भी सार्वजनिक दबाव को कम कर दिया।
    4. इसने अंपायरों को बिना किसी हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में मदद की।

    उत्तर: a
    व्याख्या: सोशल मीडिया ने विवाद को तेजी से प्रसारित किया, जिससे व्यापक सार्वजनिक बहस और खिलाड़ियों व अधिकारियों पर दबाव बढ़ा।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. “खेल केवल नियमों का पालन करने का मामला नहीं है, बल्कि ‘खेल भावना’ को बनाए रखने का भी है।” लॉर्ड्स में हाल की ‘टाइम-वेस्टिंग’ घटना के संदर्भ में इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। खेल में नैतिक आचरण और जीत की भूख के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (GS-IV)
  2. ‘खेल कूटनीति’ से आप क्या समझते हैं? अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देने में खेल की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। लॉर्ड्स की घटना जैसी स्थितियाँ अंतर्राष्ट्रीय खेल संबंधों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं? (GS-II)
  3. पेशेवर खेलों में मनोवैज्ञानिक युद्ध और रणनीतिक ‘धूसर क्षेत्र’ की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। ICC आचार संहिता और MCC के नियमों के आलोक में, ‘टाइम-वेस्टिंग’ जैसी विवादास्पद रणनीतियों को विनियमित करने में अंपायरों और खेल निकायों के सामने आने वाली चुनौतियों की विवेचना कीजिए। (GS-II, GS-IV)
  4. खेलों में नैतिक मानकों को बनाए रखने में खिलाड़ियों, अंपायरों, खेल निकायों और प्रशंसकों की सामूहिक जिम्मेदारी का विश्लेषण कीजिए। आधुनिक युग में सोशल मीडिया खेल विवादों को कैसे प्रभावित करता है, इस पर भी प्रकाश डालिए। (GS-I, GS-IV)

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