लॉर्ड्स का ‘बूम-बूम’ विवाद: खेल भावना की मर्यादा या जीत की सनक? UPSC के लिए एक गहन विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए टेस्ट मैच के दौरान भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और इंग्लिश बल्लेबाज जेम्स एंडरसन के बीच हुई कहासुनी ने क्रिकेट जगत में खेल भावना और प्रतिस्पर्धा की सीमाओं पर नई बहस छेड़ दी है। मैच के बाद बुमराह से ‘घबराए’ अंग्रेज खिलाड़ियों द्वारा समय बर्बाद करने का आरोप और भारतीय टीम की प्रतिक्रिया, फिर एंडरसन का नजरें चुराकर पवेलियन लौटना – इन सभी घटनाओं ने न केवल क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान खींचा, बल्कि UPSC उम्मीदवारों के लिए भी नैतिक मूल्यों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, खेल प्रशासन और मीडिया की भूमिका जैसे कई महत्वपूर्ण आयामों पर विचार करने का अवसर प्रदान किया है। यह घटना सिर्फ एक खेल विवाद नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक और नैतिक मुद्दों का एक सूक्ष्म रूप है, जिसका विश्लेषण हमारी परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
क्रिकेट: एक ‘सभ्य खेल’ से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा तक की यात्रा
क्रिकेट को हमेशा से ‘जेंटलमैन का खेल’ (Gentleman’s Game) कहा गया है, जहाँ प्रतिस्पर्धी भावना के साथ-साथ ईमानदारी, सम्मान और खेल भावना (Spirit of Cricket) को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। लेकिन जैसे-जैसे खेल का व्यवसायीकरण बढ़ा है, जीत की भूख और प्रतिस्पर्धा का दबाव भी बढ़ा है। यह दबाव कभी-कभी खेल के मूल सिद्धांतों पर भारी पड़ने लगता है, जैसा कि लॉर्ड्स में हुई घटना में देखने को मिला।
खेल भावना (Spirit of Cricket) का क्या अर्थ है?
मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC), जो क्रिकेट के कानूनों का संरक्षक है, अपने नियमों की प्रस्तावना में ‘खेल भावना’ को परिभाषित करता है। यह केवल नियमों का पालन करना नहीं है, बल्कि ‘निष्पक्ष खेल’ (Fair Play) के सिद्धांतों को बनाए रखना भी है। इसमें शामिल हैं:
- विरोधी टीम का सम्मान।
- अंपायर के निर्णयों का सम्मान।
- धोखेबाजी और अनुचित तरीकों से दूर रहना।
- जीत के लिए किसी भी हद तक जाने की बजाय खेल के आनंद और सम्मान पर जोर देना।
“क्रिकेट का खेल, किसी भी अन्य खेल की तरह, बहुत कुछ उस तरीके पर निर्भर करता है जिस तरह से इसे खेला जाता है। यह सिर्फ नियमों का पालन करने की बात नहीं है, बल्कि ‘खेल भावना’ को बनाए रखने की भी बात है जो खेल को एक जीवित, गतिशील और सम्मानजनक अनुभव बनाती है।” – MCC Laws of Cricket, Preamble to the Laws.
लॉर्ड्स विवाद: क्या हुआ और क्यों?
घटना का विस्तृत विवरण
इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान पर दूसरे टेस्ट मैच के दौरान, भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने इंग्लिश अनुभवी तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन को लगातार बाउंसर फेंके। एंडरसन, जो आमतौर पर निचले क्रम के बल्लेबाजों के रूप में बाउंसर खेलने के आदी नहीं होते, असहज दिखे और लगातार कई गेंदों से चूक गए। इस दौरान, बुमराह ने 10 गेंदों का एक ओवर भी फेंका, जिसमें 4 नो-बॉल शामिल थीं। एंडरसन इस स्पेल से काफी नाखुश दिखे और पवेलियन लौटते समय उन्होंने बुमराह से कुछ कहा, जिस पर बुमराह ने भी पलटवार किया। यह सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रहा। इंग्लैंड की टीम ने आरोप लगाया कि भारत ने एंडरसन के खिलाफ ‘समय बर्बाद’ करने की रणनीति अपनाई, जो कि खेल भावना के विरुद्ध था। भारतीय टीम ने इसका खंडन किया और उलटा अंग्रेजों पर ही समय बर्बाद करने का आरोप लगाया, खासकर एंडरसन के पवेलियन लौटते समय धीमे चलने और बहस करने को लेकर।
विवाद की जड़: ‘जेन्टल्मेन’ बनाम ‘आक्रामक’ क्रिकेट
यह विवाद केवल व्यक्तिगत टकराव नहीं था, बल्कि क्रिकेट की दो अलग-अलग विचारधाराओं का टकराव था: एक ओर पारंपरिक ‘भद्रजन’ वाला दृष्टिकोण, जो ‘खेल भावना’ और प्रतिद्वंद्वी के सम्मान पर जोर देता है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक, आक्रामक दृष्टिकोण जो हर कीमत पर जीत हासिल करने पर केंद्रित है।
- अंग्रेजों का आरोप: बुमराह ने एंडरसन को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया और खेल को धीमा करने की कोशिश की, जो खेल भावना के खिलाफ था।
- भारत का बचाव: बुमराह की रणनीति पूरी तरह से वैध थी। बाउंसर टेस्ट क्रिकेट का हिस्सा हैं। एंडरसन का धीमा चलना और बहस करना ही असली समय की बर्बादी थी।
यह घटना दिखाती है कि कैसे मैदान पर एक छोटी सी घटना राष्ट्रीय गौरव और पहचान का मुद्दा बन जाती है।
UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण: बहुआयामी परिप्रेक्ष्य
1. नैतिक और नैतिक दुविधाएँ (Ethical and Moral Dilemmas)
यह घटना सिविल सेवा परीक्षा के GS-4 (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि) के पेपर के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी है।
- खेल भावना बनाम जीत की आकांक्षा: क्या जीत हासिल करने के लिए सभी वैध रणनीतियों का उपयोग करना नैतिक है, भले ही वे खेल भावना की सीमाओं को धक्का देती हों?
- ‘स्लेजिंग’ और आक्रामकता: क्या मौखिक टकराव (स्लेजिंग) खेल का हिस्सा है या यह नैतिक आचरण का उल्लंघन है? ICC का आचार संहिता (Code of Conduct) स्लेजिंग को किस हद तक अनुमति देता है?
- निर्णय लेने में नैतिक विचार: खिलाड़ी, कप्तान और कोच मैदान पर दबाव में कैसे नैतिक निर्णय लेते हैं?
- उदाहरण:
- खेल भावना का उत्कृष्ट उदाहरण: एडम गिलक्रिस्ट का 2003 विश्व कप सेमीफाइनल में वॉक आउट करना, जब उन्हें लगा कि उन्होंने गेंद को छुआ है, जबकि अंपायर ने आउट नहीं दिया था।
- सीमाओं को धकेला जाना: 2018 का ‘सैंडपेपर गेट’ (Sandpaper-gate) विवाद, जहाँ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने गेंद से छेड़छाड़ की, जो नियमों के साथ-साथ खेल भावना का भी घोर उल्लंघन था।
2. खेल प्रशासन और विनियमन (Sports Governance and Regulation)
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और MCC की भूमिका:
- नियमों का प्रवर्तन: ICC की आचार संहिता खिलाड़ियों के व्यवहार को नियंत्रित करती है। इसमें अनुचित आचरण, मौखिक दुर्व्यवहार और नियमों के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान है।
- अंपायरों और मैच रेफरी की भूमिका: वे मैदान पर नियमों और खेल भावना के संरक्षक होते हैं। उनकी चुनौतियां क्या हैं?
- अंतर्राष्ट्रीय मानक: ICC दुनिया भर में क्रिकेट के लिए मानक निर्धारित करता है, लेकिन क्या वे इतने स्पष्ट हैं कि विवादों को पूरी तरह से रोक सकें?
3. सॉफ्ट पावर और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Soft Power and International Relations)
खेल, विशेषकर क्रिकेट, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ‘सॉफ्ट पावर’ उपकरण है।
- राष्ट्रीय पहचान: क्रिकेट भारत में सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान का एक अभिन्न अंग है। भारतीय टीम का प्रदर्शन देश के गौरव और आत्मविश्वास को दर्शाता है।
- खेल कूटनीति (Sports Diplomacy): खेल सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि, ऐसे विवाद कभी-कभी द्विपक्षीय संबंधों में तनाव भी पैदा कर सकते हैं (जैसे भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंध)।
- प्रतियोगिता का प्रभाव: भारतीय खिलाड़ियों के आक्रामक रवैये को अक्सर नए भारत के आत्मविश्वास और मुखरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो विश्व मंच पर अपनी जगह बनाने के लिए तैयार है।
4. मीडिया की भूमिका और सार्वजनिक धारणा (Role of Media and Public Perception)
आज के डिजिटल युग में, मीडिया (पारंपरिक और सोशल मीडिया) किसी भी घटना की सार्वजनिक धारणा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कथा का निर्माण: मीडिया आउटलेट अक्सर घटनाओं को एक निश्चित कथा के साथ प्रस्तुत करते हैं, जो दर्शकों की राय को प्रभावित करता है। इस मामले में, कुछ ने इसे खेल भावना का उल्लंघन बताया, जबकि अन्य ने इसे भारतीय टीम की ‘निर्भीक’ मानसिकता का प्रतीक माना।
- ध्रुवीकरण: सोशल मीडिया पर प्रशंसक अक्सर राष्ट्रीयता के आधार पर विभाजित हो जाते हैं, जिससे विवाद और गहरा जाता है।
- जिम्मेदारी: मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह तथ्यों को निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत करे, बजाय सनसनीखेज बनाने के।
5. खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology)
खेल मनोविज्ञान इस बात का अध्ययन करता है कि मनोवैज्ञानिक कारक प्रदर्शन और भागीदारी को कैसे प्रभावित करते हैं।
- दबाव में प्रदर्शन: उच्च दांव वाले मैचों में खिलाड़ी अत्यधिक दबाव में होते हैं, जिससे उनके व्यवहार पर असर पड़ सकता है।
- भावनात्मक नियंत्रण: बुमराह-एंडरसन विवाद खिलाड़ियों के लिए भावनात्मक नियंत्रण के महत्व को दर्शाता है। एक छोटे से टकराव का परिणाम पूरे मैच के नतीजे पर पड़ सकता है।
- रणनीतिक मन: आक्रामक रणनीति (जैसे लगातार बाउंसर) प्रतिद्वंद्वी को मानसिक रूप से तोड़ने के लिए डिज़ाइन की जाती है। यह मनोविज्ञान का हिस्सा है, लेकिन इसकी सीमाएं क्या हैं?
चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward)
लॉर्ड्स विवाद जैसी घटनाएँ खेल जगत के सामने कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करती हैं:
- खेल भावना की व्याख्या: ‘खेल भावना’ की परिभाषा और उसकी सीमाओं पर स्पष्टता का अभाव। क्या इसे हर टीम और खिलाड़ी के लिए समान रूप से लागू किया जा सकता है?
- प्रौद्योगिकी और नियम: क्या आधुनिक खेल में नियमों को प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाना चाहिए? जैसे, ‘समय बर्बाद’ करने जैसे कृत्यों को कैसे बेहतर तरीके से संभाला जाए?
- खिलाड़ियों की शिक्षा: युवा खिलाड़ियों को केवल नियमों का पालन करना ही नहीं, बल्कि ‘खेल भावना’ के महत्व को भी समझाना।
- मैच अधिकारियों का सशक्तिकरण: अंपायरों और मैच रेफरी को मैदान पर अनुचित व्यवहार से निपटने के लिए अधिक अधिकार और समर्थन देना।
- मीडिया की नैतिकता: मीडिया को सनसनीखेज रिपोर्टिंग से बचना चाहिए और खेल के सकारात्मक पहलुओं को बढ़ावा देना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: ICC और सदस्य देशों को मिलकर एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना चाहिए जहाँ प्रतिस्पर्धा और खेल भावना सह-अस्तित्व में रहें।
भविष्य में, क्रिकेट को अपनी ‘सभ्य खेल’ की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए इन चुनौतियों का सामना करना होगा। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जीत की तीव्र इच्छा खेल के मूल मूल्यों को नष्ट न करे। खिलाड़ियों को रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है, और उनके व्यवहार का युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, उन्हें न केवल मैदान पर, बल्कि मैदान के बाहर भी उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखना चाहिए।
निष्कर्ष
लॉर्ड्स में बुमराह-एंडरसन विवाद क्रिकेट के बदलते परिदृश्य का एक दर्पण है, जहाँ परंपरा और आधुनिकता, खेल भावना और जीत की सनक के बीच तनाव स्पष्ट है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना केवल एक खेल समाचार से कहीं अधिक है। यह नैतिकता, शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सामाजिक मनोविज्ञान जैसे विभिन्न GS पेपरों से संबंधित विषयों का एक अनूठा समागम प्रस्तुत करती है। इस तरह की घटनाओं का गहन विश्लेषण हमें न केवल वर्तमान मामलों की समझ विकसित करने में मदद करता है, बल्कि जटिल मुद्दों के बहुआयामी दृष्टिकोण को समझने और उनके समाधान पर विचार करने की क्षमता भी प्रदान करता है। अंततः, यह हमें याद दिलाता है कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि समाज का एक सूक्ष्म रूप भी है, जो इसके मूल्यों, संघर्षों और आकांक्षाओं को दर्शाता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(कृपया सही उत्तर के लिए विकल्पों का सावधानीपूर्वक चयन करें)
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‘खेल भावना’ (Spirit of Cricket) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह औपचारिक रूप से मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के क्रिकेट कानूनों की प्रस्तावना में निहित है।
- इसका तात्पर्य केवल नियमों का कड़ाई से पालन करना है, न कि नैतिक आचरण को।
- इसके अंतर्गत अंपायर के निर्णयों का सम्मान करना और निष्पक्ष खेल को बढ़ावा देना शामिल है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a और b
(B) केवल b और c
(C) केवल a और c
(D) a, b और cउत्तर: (C)
व्याख्या: ‘खेल भावना’ MCC के कानूनों में निहित है और इसमें नियमों का पालन करने के साथ-साथ नैतिक आचरण, जैसे अंपायर का सम्मान और निष्पक्ष खेल, भी शामिल है। यह केवल नियमों के यांत्रिक पालन से कहीं अधिक है।
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अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह दुनिया भर में क्रिकेट का वैश्विक शासी निकाय है।
- ICC की आचार संहिता खिलाड़ियों और सहायक कर्मचारियों के व्यवहार को नियंत्रित करती है।
- केवल टेस्ट खेलने वाले देश ही ICC के सदस्य हो सकते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a
(B) केवल b और c
(C) केवल a और b
(D) a, b और cउत्तर: (C)
व्याख्या: ICC क्रिकेट का वैश्विक शासी निकाय है और इसकी आचार संहिता व्यवहार को नियंत्रित करती है। हालांकि, ICC में टेस्ट खेलने वाले देशों के अलावा एसोसिएट और एफिलिएट सदस्य भी होते हैं, इसलिए कथन 3 गलत है।
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‘सॉफ्ट पावर’ (Soft Power) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सर्वोत्तम रूप से वर्णन करता है कि खेल कूटनीति कैसे सॉफ्ट पावर का एक उदाहरण है?
(A) एक देश दूसरे देश पर सैन्य बल का प्रयोग करता है।
(B) एक देश दूसरे देश को आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
(C) एक देश अपनी संस्कृति, मूल्यों और नीतियों को आकर्षक बनाकर दूसरों को प्रभावित करता है।
(D) एक देश दूसरे देश पर प्रतिबंध लगाता है।उत्तर: (C)
व्याख्या: सॉफ्ट पावर किसी देश की दूसरों को आकर्षक बनाकर या सह-विकल्प द्वारा प्रभावित करने की क्षमता है, न कि बल या धन के माध्यम से। खेल कूटनीति के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सद्भावना को बढ़ावा देना इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
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ICC की आचार संहिता के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा कृत्य ‘खिलाड़ियों और खिलाड़ी सहायक कर्मचारियों’ के लिए अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?
- मैच के दौरान अंपायर के निर्णय के प्रति असहमति व्यक्त करना।
- विरोधी टीम के खिलाड़ी को अपशब्द कहना (स्लेजिंग)।
- मैच रेफरी के निर्णयों की सार्वजनिक रूप से आलोचना करना।
सही विकल्प चुनें:
(A) केवल a और b
(B) केवल b और c
(C) केवल a और c
(D) a, b और cउत्तर: (D)
व्याख्या: ICC की आचार संहिता में ये सभी कृत्य (अंपायर के निर्णय पर असहमति, स्लेजिंग, और मैच अधिकारियों की सार्वजनिक आलोचना) दंडनीय अपराधों की सूची में शामिल हैं, क्योंकि ये खेल भावना और सम्मान के खिलाफ हैं।
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क्रिकेट के संदर्भ में, ‘समय बर्बाद करना’ (Time Wasting) क्या दर्शाता है?
(A) जानबूझकर मैच की गति को धीमा करना।
(B) खराब मौसम के कारण खेल का रुक जाना।
(C) अंपायर द्वारा ड्रिंक्स ब्रेक का आह्वान करना।
(D) बल्लेबाज का चोटिल होना।उत्तर: (A)
व्याख्या: ‘समय बर्बाद करना’ क्रिकेट में एक अनैतिक रणनीति है, जहाँ कोई टीम या खिलाड़ी जानबूझकर खेल की गति को धीमा करता है ताकि समय का लाभ उठा सके या प्रतिद्वंद्वी को परेशान कर सके।
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निम्नलिखित में से कौन-सा कथन खेल मनोविज्ञान के महत्व को सर्वोत्तम रूप से समझाता है?
(A) यह खिलाड़ियों के शारीरिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है।
(B) यह खिलाड़ियों को केवल जीत के लिए प्रेरित करता है।
(C) यह मनोवैज्ञानिक कारकों के माध्यम से खिलाड़ियों के प्रदर्शन, प्रेरणा और भावनात्मक नियंत्रण को समझने और बेहतर बनाने में मदद करता है।
(D) यह खेल आयोजनों के विपणन की रणनीति बनाता है।उत्तर: (C)
व्याख्या: खेल मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों के मानसिक पहलुओं को समझना और उनमें सुधार करना है, जैसे कि दबाव में प्रदर्शन, भावनात्मक नियंत्रण और प्रेरणा।
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लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- इसे ‘क्रिकेट का घर’ माना जाता है।
- यह मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) का मुख्यालय है।
- यह इंग्लैंड क्रिकेट टीम का एकमात्र घरेलू मैदान है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a
(B) केवल b और c
(C) केवल a और b
(D) a, b और cउत्तर: (C)
व्याख्या: लॉर्ड्स को ‘क्रिकेट का घर’ कहा जाता है और यह MCC का मुख्यालय है। हालाँकि, यह इंग्लैंड का एकमात्र घरेलू मैदान नहीं है; उनके पास एजबेस्टन, ओल्ड ट्रैफर्ड आदि जैसे कई अन्य टेस्ट मैदान भी हैं।
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‘सैंडपेपर गेट’ विवाद, जिसका उल्लेख लेख में एक उदाहरण के रूप में किया गया है, किस खेल से संबंधित है?
(A) फुटबॉल
(B) बास्केटबॉल
(C) क्रिकेट
(D) हॉकीउत्तर: (C)
व्याख्या: ‘सैंडपेपर गेट’ विवाद 2018 में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक क्रिकेट टेस्ट मैच के दौरान हुआ था, जहाँ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को गेंद से छेड़छाड़ करते हुए पकड़ा गया था।
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मैच के दौरान ‘स्लेजिंग’ (Sledging) का क्या अर्थ है?
(A) खिलाड़ियों के बीच खेल के नियमों पर चर्चा।
(B) विरोधी खिलाड़ी को मौखिक रूप से परेशान या उत्तेजित करने का प्रयास।
(C) अंपायर द्वारा किसी खिलाड़ी को चेतावनी देना।
(D) एक टीम द्वारा दूसरे पर कानूनी चुनौती देना।उत्तर: (B)
व्याख्या: ‘स्लेजिंग’ क्रिकेट में एक शब्द है जिसका उपयोग विरोधी खिलाड़ी को परेशान करने या उत्तेजित करने के लिए किए गए मौखिक दुर्व्यवहार या अपमानजनक टिप्पणियों के लिए किया जाता है।
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UPSC के GS-4 (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि) पेपर के संदर्भ में, लॉर्ड्स विवाद को एक केस स्टडी के रूप में क्यों देखा जा सकता है?
- यह खेल में नैतिक दुविधाओं को उजागर करता है।
- यह नेतृत्व और निर्णय लेने में नैतिक विचारों पर प्रकाश डालता है।
- यह व्यक्तिगत नैतिकता और व्यावसायिक दबावों के बीच संघर्ष को दर्शाता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a
(B) केवल b और c
(C) केवल a और c
(D) a, b और cउत्तर: (D)
व्याख्या: लॉर्ड्स विवाद नैतिकता, नेतृत्व में नैतिक निर्णय और व्यावसायिक दबावों के तहत व्यक्तिगत नैतिकता जैसे कई नैतिक आयामों को छूता है, जो GS-4 पेपर के लिए इसे एक उत्कृष्ट केस स्टडी बनाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- “खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि समाज के मूल्यों, संघर्षों और आकांक्षाओं का एक सूक्ष्म रूप भी है।” लॉर्ड्स में बुमराह-एंडरसन विवाद के संदर्भ में इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण करें। (150 शब्द)
- खेल प्रशासन में ‘खेल भावना’ को बनाए रखने में अंतर्राष्ट्रीय शासी निकायों (जैसे ICC) और मीडिया की भूमिका का विश्लेषण करें। हालिया लॉर्ड्स विवाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए आप क्या सुधार सुझाएंगे? (250 शब्द)
- ‘सॉफ्ट पावर’ के एक उपकरण के रूप में खेल कूटनीति के महत्व पर चर्चा करें। क्या खेल विवाद (जैसे लॉर्ड्स में देखा गया) किसी देश की सॉफ्ट पावर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में उदाहरण दें। (250 शब्द)
- “नैतिकता की कसौटी पर खेल: मैदान पर जीत की सनक और निष्पक्ष खेल की मर्यादा के बीच संतुलन साधना एक जटिल चुनौती है।” इस कथन का मूल्यांकन वर्तमान खेल परिदृश्य और खिलाड़ियों के आचरण पर इसके निहितार्थों के संदर्भ में करें। (250 शब्द)