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रोज़ाना संविधान को समझें: आपकी राजनीति की पकड़ मजबूत करें

रोज़ाना संविधान को समझें: आपकी राजनीति की पकड़ मजबूत करें

नमस्कार, भावी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना किसी भी प्रतिस्पर्धी परीक्षा में सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने संवैधानिक ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में उतरें और अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता को निखारें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान के ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ के तहत सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 32
  2. अनुच्छेद 226
  3. अनुच्छेद 123
  4. अनुच्छेद 131

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को समान शक्ति देता है, लेकिन उनकी शक्तियों का दायरा थोड़ा व्यापक हो सकता है। अनुच्छेद 123 अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है, और अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों के लिए है, अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित है, और अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है, न कि व्यक्तिगत मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन से।

प्रश्न 2: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘मिनी-संविधान’ भी कहा जाता है, इसने प्रस्तावना में ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य’ के स्थान पर ‘संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ तथा ‘राष्ट्र की एकता’ के स्थान पर ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ शब्द जोड़े।
  • संदर्भ और विस्तार: इन संशोधनों का उद्देश्य भारतीय राज्य के सामाजिक, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को और अधिक सुदृढ़ करना था। 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया। 73वें और 86वें संशोधन क्रमशः पंचायती राज और शिक्षा के अधिकार से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन ने मौलिक अधिकारों में कुछ बदलाव किए, 73वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित है, और 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार से। ये प्रस्तावना में इन विशिष्ट शब्दों को जोड़ने से संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के संबंध में गलत है?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) की घोषणा पूरे देश या उसके किसी हिस्से पर की जा सकती है।
  2. राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) अधिकतम तीन साल तक लगाया जा सकता है, जिसके बाद संशोधन की आवश्यकता होती है।
  3. वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) की घोषणा की जा सकती है, यदि भारत की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में हो।
  4. सभी आपातकालीन घोषणाओं को संसद के दोनों सदनों द्वारा अपनी स्वीकृति देनी होती है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: विकल्प (d) गलत है। राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) और राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356) की घोषणाओं को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए। हालांकि, वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) के लिए, यह अवधि दो महीने है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) को पहली बार में छह महीने के लिए लगाया जा सकता है, और प्रत्येक छह महीने के अनुमोदन के साथ अधिकतम तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। तीन साल के बाद, इसे जारी रखने के लिए संविधान में 44वें संशोधन के तहत एक विशेष प्रावधान की आवश्यकता होती है (जैसे कि पूरे भारत में राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो)।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल का प्रभाव संपूर्ण देश या उसके किसी विशिष्ट भाग पर पड़ सकता है। वित्तीय आपातकाल की अधिकतम अवधि संविधान में निर्धारित नहीं है, लेकिन संसद के प्रत्येक पुन: अनुमोदन के साथ इसे जारी रखा जा सकता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सही कथन हैं। राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शासन के लिए अनुमोदन की अवधि भिन्न होती है, और वित्तीय आपातकाल के लिए अधिक लंबी होती है, लेकिन सभी के लिए संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक पद पर बना रहता है।
  2. CAG संसद के प्रति उत्तरदायी होता है।
  3. CAG अपनी रिपोर्ट राज्य विधानमंडलों को प्रस्तुत करता है।
  4. CAG केवल केंद्र सरकार के खातों की जांच कर सकता है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। वे 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG एक स्वतंत्र प्राधिकरण है जो भारत के और राज्यों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है। CAG अपनी ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो इसे संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है। राज्यों के खातों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी जाती है, जो उन्हें राज्य विधानमंडल के समक्ष रखता है। CAG केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के खातों की जांच कर सकता है।
  • गलत विकल्प: CAG सीधे संसद के प्रति उत्तरदायी नहीं होता, बल्कि राष्ट्रपति को रिपोर्ट देता है जो उसे संसद में प्रस्तुत करता है। वह राज्य विधानमंडलों को सीधे रिपोर्ट नहीं करता, बल्कि राज्यपाल को। वह केवल केंद्र सरकार के ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों के खातों की भी जांच करता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय संविधान में सीधे तौर पर ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ के अधिकार (अनुच्छेद 21) के अधीन आता है?

  1. धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता
  2. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
  3. जीने का अधिकार, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार शामिल है
  4. समानता का अधिकार

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में इस अधिकार का विस्तार किया है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार, आश्रय का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, और प्रदूषण मुक्त पानी और हवा का अधिकार शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘जीने का अधिकार’ का अर्थ केवल जीवित रहना नहीं है, बल्कि एक मानवीय जीवन जीना है। इसलिए, गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार इसका एक अभिन्न अंग है। विकल्प (a) अनुच्छेद 25 से, (b) अनुच्छेद 29-30 से, और (d) अनुच्छेद 14 से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: धर्म की स्वतंत्रता, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार, और समानता का अधिकार अन्य अलग-अलग मौलिक अधिकार हैं, यद्यपि जीवन के अधिकार के साथ उनका संबंध हो सकता है, लेकिन सीधे तौर पर ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ के तहत नहीं आते।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान के किस भाग में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है?

  1. भाग IX
  2. भाग IX-A
  3. भाग IX-B
  4. भाग X

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जो पंचायतों से संबंधित है और इसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक के प्रावधान शामिल हैं। इसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: भाग IX-A नगर पालिकाओं से संबंधित है, और भाग IX-B सहकारी समितियों से। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है। 73वें संशोधन ने संविधान में 11वीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें 29 विषयों की सूची है जिन पर पंचायतें कार्य कर सकती हैं।
  • गलत विकल्प: भाग IX-A नगर पालिकाओं से, भाग IX-B सहकारी समितियों से, और भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।

प्रश्न 7: भारत में ‘विधायी अतिरेक’ (Legislative Overreach) का सबसे प्रभावी साधन क्या है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन न करें?

  1. न्यायिक पुनर्विलोकन
  2. संसदीय विशेषाधिकार
  3. राष्ट्रपति की वीटो शक्ति
  4. संसदीय समितियाँ

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) वह शक्ति है जिसके तहत न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 13) और उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226), विधायिका द्वारा पारित किसी भी कानून की संवैधानिकता का मूल्यांकन कर सकते हैं। यदि कोई कानून संविधान के मूल ढांचे या अन्य मौलिक प्रावधानों के विपरीत पाया जाता है, तो उसे शून्य घोषित किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत को स्थापित किया, जिसने विधायिका की शक्ति पर अंकुश लगाया। संसदीय विशेषाधिकार विधायिका के सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार देता है। राष्ट्रपति की वीटो शक्ति को सीमित कर दिया गया है। संसदीय समितियाँ कानूनों के निर्माण में सहायता करती हैं, लेकिन अंतिम जाँच न्यायिक पुनर्विलोकन द्वारा की जाती है।
  • गलत विकल्प: संसदीय विशेषाधिकार, राष्ट्रपति की वीटो शक्ति और संसदीय समितियाँ न्यायिक पुनर्विलोकन की तरह विधायी अतिरेक को रोकने के लिए अंतिम संवैधानिक जाँच प्रदान नहीं करते हैं।

प्रश्न 8: अनुच्छेद 161 के तहत, भारत के राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति के संबंध में कौन सा कथन सही है?

  1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को पूरी तरह समाप्त कर सकते हैं।
  2. राष्ट्रपति केवल केंद्र सरकार के अधीन अपराधों के लिए क्षमादान दे सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं, लेकिन उसे समाप्त नहीं कर सकते।
  4. राष्ट्रपति किसी भी अपराध के लिए किसी भी व्यक्ति को क्षमादान देने के लिए बाध्य हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 भारत के राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्रदान करता है, जिसमें मृत्युदंड को भी समाप्त करना या बदलना शामिल है। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है, जो राष्ट्रपति की शक्ति से थोड़ी भिन्न है (राज्यपाल मृत्युदंड को समाप्त या बदल नहीं सकता)। प्रश्न में स्पष्ट रूप से राष्ट्रपति की शक्ति पूछी गई है, जो अनुच्छेद 72 के तहत है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति में क्षमा (pardon), लघुकरण (commutation), परिहार (remission), प्रत्यहार (reprieve) और विराम (respite) शामिल हैं। राष्ट्रपति का निर्णय मंत्रिपरिषद की सलाह पर लिया जाता है, लेकिन यह हमेशा बाध्यकारी नहीं होता कि वे किस क्षमादान को स्वीकार करें, हालांकि वे ऐसे अनुरोधों पर विचार करने के लिए बाध्य हैं।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति मृत्युदंड को समाप्त कर सकते हैं। वे राज्य सरकार के अधीन अपराधों के लिए भी क्षमादान दे सकते हैं, न कि केवल केंद्र के। वे क्षमादान देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करते हैं।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. चुनाव आयोग
  2. लोक सेवा आयोग
  3. नीति आयोग
  4. वित्त आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक निकाय है, जिसे सरकार की थिंक-टैंक के रूप में कार्य करने के लिए बनाया गया है। चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकायों को संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है और उनके कार्य, संरचना और शक्तियाँ संविधान में परिभाषित हैं। नीति आयोग को 1 जनवरी 2015 को समाप्त किए गए योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया था।
  • गलत विकल्प: चुनाव आयोग, लोक सेवा आयोग और वित्त आयोग सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनका उल्लेख भारतीय संविधान में है।

प्रश्न 10: भारत में ‘अखिल भारतीय सेवाएँ’ (All India Services) बनाने की शक्ति किसे प्राप्त है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. राष्ट्रपति
  3. राज्यसभा
  4. लोकसभा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312 के अनुसार, यदि राज्यसभा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है कि राष्ट्रीय हित में ऐसा करना आवश्यक है, तो संसद एक या एक से अधिक अखिल भारतीय सेवाएँ बना सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, भारत में तीन अखिल भारतीय सेवाएँ हैं: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), और भारतीय वन सेवा (IFoS)। ये सेवाएँ केंद्र और राज्यों दोनों में काम करती हैं, लेकिन इनका कैडर प्रबंधन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या केवल लोकसभा के पास ऐसी सेवाएँ बनाने की शक्ति नहीं है; यह शक्ति विशेष रूप से राज्यसभा को दी गई है।

प्रश्न 11: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘राज्य’ की परिभाषा में भारत सरकार और संसद, राज्य सरकारों और विधानमंडलों, और सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारियों को शामिल करता है?

  1. अनुच्छेद 12
  2. अनुच्छेद 13
  3. अनुच्छेद 14
  4. अनुच्छेद 15

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12, मौलिक अधिकारों के संदर्भ में, ‘राज्य’ की परिभाषा देता है। इसमें भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्यापक व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न मामलों में की गई है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, सरकारी कंपनियाँ और अन्य संस्थाएँ शामिल हैं जो राज्य की ओर से कार्य करती हैं। यह परिभाषा सुनिश्चित करती है कि मौलिक अधिकार केवल सरकारी संस्थाओं के खिलाफ ही नहीं, बल्कि राज्य की शक्तियों का प्रयोग करने वाली किसी भी संस्था के खिलाफ लागू हों।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 विधियों की शून्य घोषणा से संबंधित है, अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता, और अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।

प्रश्न 12: किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure of the Constitution) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  4. एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय की 13-न्यायाधीशों की बेंच ने माना कि संसद को संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन यह शक्ति ‘संविधान के मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण अंकुश लगाया और भारतीय संविधान की सर्वोच्चता और लचीलेपन को बनाए रखा। गोलकनाथ मामले (1967) ने पहले कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। मेनका गांधी (1978) ने अनुच्छेद 21 का विस्तार किया। एस. आर. बोम्मई (1994) ने अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन के प्रयोग पर महत्वपूर्ण निर्णय दिए।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प विभिन्न महत्वपूर्ण संवैधानिक निर्णयों से संबंधित हैं, लेकिन ‘मूल ढांचे’ का सिद्धांत केशवानंद भारती मामले का है।

प्रश्न 13: भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है?

  1. केवल राज्यसभा के सदस्य
  2. केवल लोकसभा के सदस्य
  3. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
  4. संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति के चुनाव से भिन्न है, जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं और राज्य विधानमंडलों के सदस्य शामिल नहीं होते। उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
  • गलत विकल्प: केवल राज्यसभा या लोकसभा के सदस्य नहीं, बल्कि दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘विधि के समक्ष समानता’ (Equality before law) और ‘विधियों का समान संरक्षण’ (Equal protection of laws) का प्रावधान करता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 भारत के क्षेत्र में सभी व्यक्तियों को विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है। ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि कानून के सामने सभी समान हैं। ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार न केवल नागरिकों बल्कि सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है। यह मनमाने सरकारी कार्यों को रोकता है और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ शब्द किन-किन रूपों में निहित है?

  1. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  2. सामाजिक और आर्थिक
  3. केवल राजनीतिक
  4. सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना अपने नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है। यह संविधान के कई अन्य अनुच्छेदों में भी परिलक्षित होता है, जैसे कि मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्व।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं। आर्थिक न्याय का अर्थ है आय, धन और संपत्ति की असमानताओं को कम करना। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, जैसे वोट देने का अधिकार और सार्वजनिक कार्यालयों तक पहुँच।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘सांस्कृतिक’ न्याय का अलग से उल्लेख नहीं है, हालांकि यह सामाजिक न्याय के व्यापक दायरे में आ सकता है। केवल ‘सामाजिक और आर्थिक’ या ‘केवल राजनीतिक’ न्याय भी अपूर्ण है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य भारतीय संविधान में मूल रूप से शामिल था?

  1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञानार्जन और सुधार की भावना का विकास करना।
  2. 6 से 14 वर्ष की आयु के अपने बच्चों या प्रतिपाल्य को शिक्षा के अवसर प्रदान करना।
  3. सभी अल्पसंख्यकों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार।
  4. राष्ट्रगान का सम्मान करना।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV-A में उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। उस समय कुल 10 मौलिक कर्तव्य थे। ‘राष्ट्रगान का सम्मान करना’ मूल रूप से शामिल 10 कर्तव्यों में से एक था।
  • संदर्भ और विस्तार: 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा 11वां मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया, जो 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करने से संबंधित है। विकल्प (a) और (c) मौलिक अधिकारों से संबंधित हैं (क्रमशः अनुच्छेद 51A(h) और अनुच्छेद 30)।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) 11वें मौलिक कर्तव्य के बारे में भ्रमित करता है। विकल्प (b) 11वां मौलिक कर्तव्य है। विकल्प (c) मौलिक अधिकारों से संबंधित है।

  • प्रश्न 17: भारत में, ‘अस्थायी, विशेष या अतिरिक्त भत्ते’ के रूप में राष्ट्रपति को दिए जाने वाले वेतन और भत्ते किस पर भारित होते हैं?

    1. भारत की आकस्मिकता निधि
    2. भारत की समेकित निधि
    3. राज्य की समेकित निधि
    4. उपरोक्त में से कोई नहीं

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति का वेतन और भत्ते, जो संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, भारत की समेकित निधि (Consolidated Fund of India) पर भारित व्यय (charged expenditure) होते हैं। यह अनुच्छेद 112(3)(a) के तहत परिभाषित है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारित व्यय वे व्यय होते हैं जिनके लिए संसद के वोट की आवश्यकता नहीं होती है, हालांकि उन पर चर्चा की जा सकती है। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण कार्यालयों के लिए वित्तीय स्थिरता बनी रहे। आकस्मिकता निधि का उपयोग अप्रत्याशित व्ययों के लिए किया जाता है, और राज्य की समेकित निधि केवल राज्य के मामलों के लिए है।
  • गलत विकल्प: भारत की आकस्मिकता निधि अप्रत्याशित व्ययों के लिए है, न कि राष्ट्रपति के नियमित वेतन-भत्ते के लिए। राज्य की समेकित निधि भारत के राष्ट्रपति के वेतन-भत्ते से संबंधित नहीं है।

  • प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा सही सुमेलित नहीं है?

    1. अनुच्छेद 50: कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण।
    2. अनुच्छेद 76: भारत का महान्यायवादी।
    3. अनुच्छेद 110: धन विधेयकों की परिभाषा।
    4. अनुच्छेद 143: राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय से परामर्श।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 50 राज्य के नीति निदेशक तत्वों में कार्यपालिका से न्यायपालिका के पृथक्करण की बात करता है। अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) के पद की बात करता है। अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा देता है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है, न कि परामर्श देने की।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति का उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने का अधिकार (अनुच्छेद 143) परामर्श प्राप्त करने की शक्ति है, न कि वह स्वयं परामर्श देता है। वह उच्चतम न्यायालय से किसी भी प्रश्न पर सलाह मांग सकता है जो लोक महत्व का हो।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सही सुमेलित हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति द्वारा परामर्श मांगने से संबंधित है, न कि परामर्श देने से।

  • प्रश्न 19: भारतीय संविधान के अनुसार, संसद में ‘प्रश्नकाल’ (Question Hour) के दौरान मंत्रियों द्वारा दिए गए मौखिक उत्तरों के बाद, यदि कोई सदस्य अतिरिक्त जानकारी मांगता है, तो उसे किस नाम से जाना जाता है?

    1. तारांकित प्रश्न (Starred Question)
    2. अतारांकित प्रश्न (Unstarred Question)
    3. पूरक प्रश्न (Supplementary Question)
    4. अल्प सूचना प्रश्न (Short Notice Question)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय प्रक्रिया के नियमों के तहत, जब कोई सदस्य मंत्री से मौखिक उत्तर की अपेक्षा करता है, तो वह प्रश्न ‘तारांकित प्रश्न’ होता है। ऐसे प्रश्न के उत्तर के बाद, सदन का कोई भी सदस्य उस उत्तर पर स्पष्टीकरण या अतिरिक्त जानकारी के लिए ‘पूरक प्रश्न’ पूछ सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: तारांकित प्रश्नों को उत्तर के लिए एक तारांकन (*) से चिह्नित किया जाता है, और अतारांकित प्रश्नों को बिना तारांकन के। अतारांकित प्रश्नों का उत्तर लिखित में दिया जाता है और उस पर कोई अनुवर्ती प्रश्न नहीं पूछा जा सकता। अल्प सूचना प्रश्न कम समय की पूर्व सूचना पर पूछे जाते हैं।
  • गलत विकल्प: तारांकित प्रश्न वे होते हैं जिनके मौखिक उत्तर की अपेक्षा होती है। अतारांकित प्रश्न लिखित उत्तर वाले होते हैं। अल्प सूचना प्रश्न विशिष्ट होते हैं। पूरक प्रश्न ही वह प्रश्न है जो मूल मौखिक उत्तर के बाद पूछा जाता है।

  • प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privilege) का एक उदाहरण है?

    1. संसद की कार्यवाही का प्रकाशन करने का अधिकार।
    2. संसद के सत्र के दौरान आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट।
    3. सभी वित्तीय मामलों पर पूर्ण नियंत्रण।
    4. मंत्रियों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण है अनुच्छेद 105 के तहत सांसदों को संसदीय सत्र के दौरान (और सत्र के प्रारंभ और समाप्ति से पहले एक निश्चित अवधि के लिए) आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट। यह विशेषाधिकार सिविल मामलों में भी कुछ हद तक लागू होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विशेषाधिकार सांसदों को अपनी विधायी जिम्मेदारियों को स्वतंत्र रूप से पूरा करने में सक्षम बनाता है। संसद की कार्यवाही का प्रकाशन (विकल्प a) भी एक विशेषाधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी से छूट अधिक महत्वपूर्ण है। वित्तीय मामलों पर नियंत्रण (विकल्प c) सरकार के लिए एक जाँच है, विशेषाधिकार नहीं। अविश्वास प्रस्ताव (विकल्प d) विधायी प्रक्रिया का हिस्सा है, विशेषाधिकार नहीं।
  • गलत विकल्प: वित्तीय मामलों पर पूर्ण नियंत्रण एक कार्यपालिका जाँच है। अविश्वास प्रस्ताव विधायी प्रक्रिया का अंग है। संसद की कार्यवाही के प्रकाशन का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी से छूट अधिक प्रमुख विशेषाधिकार है।

  • प्रश्न 21: भारत में ‘अनुच्छेद 370’ के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त था। इसे भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा पूर्णतः समाप्त कर दिया गया?

    1. 101वां संशोधन अधिनियम, 2016
    2. 103वां संशोधन अधिनियम, 2019
    3. 104वां संशोधन अधिनियम, 2020
    4. 105वां संशोधन अधिनियम, 2021

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के आदेश (The Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019) द्वारा समाप्त कर दिया गया था। इस आदेश को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019’ के माध्यम से संवैधानिक मान्यता दी गई। यह अधिनियम 103वें संशोधन अधिनियम, 2019 के बाद आया। हालांकि, अनुच्छेद 370 को सीधे किसी संशोधन अधिनियम द्वारा नहीं, बल्कि राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से हटाया गया, जिसे संसद ने अधिनियमित किया। 103वां संशोधन आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का कार्य 2019 में हुआ था। (यहाँ प्रश्न में थोड़ा ग्रे एरिया है, यह 2019 के राष्ट्रपति आदेश और पुनर्गठन अधिनियम से संबंधित है, न कि सीधे किसी संशोधन संख्या से, लेकिन यह 2019 में हुआ था।)
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को अपना संविधान और एक अधिक स्वायत्त स्थिति प्रदान की थी। इसे समाप्त करने के बाद, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख – में पुनर्गठित किया गया।
  • गलत विकल्प: 101वां संशोधन जीएसटी से, 103वां ईडब्ल्यूएस आरक्षण से, 104वां अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण और आंग्ल-भारतीयों के नामांकन की समाप्ति से, और 105वां अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची बनाने की शक्ति से संबंधित है।

  • प्रश्न 22: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में ‘राज्य सूची’ (State List) के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन सा विषय आता है?

    1. रेलवे
    2. जन गणना
    3. बाजार और मेले
    4. डाकघर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची को परिभाषित करती है। ‘बाजार और मेले’ राज्य सूची की प्रविष्टि 28 के तहत आते हैं, जिसका अर्थ है कि इस पर कानून बनाने का विशेष अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है।
  • संदर्भ और विस्तार: रेलवे (प्रविष्टि 22), जन गणना (प्रविष्टि 69) और डाकघर (प्रविष्टि 32) संघ सूची (Union List) के विषय हैं, जिन पर केवल संसद कानून बना सकती है।
  • गलत विकल्प: रेलवे, जन गणना और डाकघर संघ सूची के विषय हैं, न कि राज्य सूची के।

  • प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक संशोधन विधेयक’ (Constitutional Amendment Bill) को संसद में पेश करने की प्रक्रिया के बारे में सही है?

    1. इसे केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
    2. इसे केवल राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।
    3. इसे किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, लेकिन दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित होना आवश्यक है।
    4. इसे राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जा सकता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 के अनुसार, किसी भी संवैधानिक संशोधन विधेयक को संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है। हालांकि, विधेयक को पारित करने के लिए, प्रत्येक सदन को कुल सदस्यता के बहुमत से और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से, यानी ‘विशेष बहुमत’ (special majority) से पारित करना होगा।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति कुछ विशिष्ट विधेयकों (जैसे धन विधेयक, या अनुच्छेद 3 के तहत नए राज्यों के गठन से संबंधित) के लिए आवश्यक है, लेकिन संवैधानिक संशोधन विधेयक के लिए नहीं। यदि दोनों सदनों में असहमति होती है, तो कोई संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।
  • गलत विकल्प: विधेयक किसी भी सदन में पेश हो सकता है। इसकी राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। संयुक्त बैठक का कोई प्रावधान नहीं है।

  • प्रश्न 24: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

    1. संयुक्त राज्य अमेरिका
    2. यूनाइटेड किंगडम
    3. आयरलैंड
    4. कनाडा

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है। यह भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP सरकार के लिए मार्गदर्शन के सिद्धांत हैं, जिनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मूलभूत माने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली और एकल नागरिकता, और कनाडा से संघीय व्यवस्था तथा अवशिष्ट शक्तियाँ ली गई हैं।

  • प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘किसी व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर बने रहने की वैधता को चुनौती देने के लिए’ जारी की जाती है?

    1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
    2. परमादेश (Mandamus)
    3. प्रतिषेध (Prohibition)
    4. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “किस अधिकार से”। यह रिट किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से बने रहने को चुनौती देने के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर है जिसके लिए वह योग्य नहीं है या उस पद पर रहने का वैध अधिकार नहीं रखता है, तो न्यायालय अधिकार पृच्छा जारी कर सकता है और उस व्यक्ति को पद खाली करने का आदेश दे सकता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है, परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य करने का आदेश देता है, और प्रतिषेध किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकता है।
  • गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। परमादेश का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। प्रतिषेध का अर्थ है ‘रोकना’। ये सभी अन्य महत्वपूर्ण रिट हैं, लेकिन ये विशेष रूप से सार्वजनिक पद की वैधता को चुनौती देने के लिए नहीं हैं।
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