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राहुल गांधी के डिनर से उपराष्ट्रपति चुनाव की राह: क्या विपक्ष साझा उम्मीदवार उतार दिखाएगा एकजुटता?

राहुल गांधी के डिनर से उपराष्ट्रपति चुनाव की राह: क्या विपक्ष साझा उम्मीदवार उतार दिखाएगा एकजुटता?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
भारत का राजनीतिक परिदृश्य हमेशा ही गतिशील रहा है, और आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव इस गतिशीलता का एक और अध्याय लिखने के लिए तैयार है। हाल ही में, कांग्रेस के नेतृत्व में, विशेष रूप से राहुल गांधी द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज (डिनर) में, विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने उपराष्ट्रपति पद के लिए एक साझा उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं पर गहन मंथन किया। यह पहल न केवल आगामी चुनावों के लिए बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता को मजबूत करने के प्रयासों की ओर भी इशारा करती है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब देश की सर्वोच्च विधायी संस्थाओं में शक्ति संतुलन को लेकर बहस जारी है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम गठबंधन की राजनीति, चुनावी रणनीति, भारत की संसदीय प्रणाली की बारीकियों और विपक्ष की भूमिका को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रस्तुत करता है।

उपराष्ट्रपति पद: एक संवैधानिक अवलोकन (The Office of Vice President: A Constitutional Overview):
भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करता है, बल्कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभालता है। अनुच्छेद 63 के अनुसार, “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।” अनुच्छेद 64 स्पष्ट करता है कि “उपराष्ट्रपति, संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के संबंध में, राष्ट्रपति को सलाह और सहायता देने के सिवाय, ऐसे अन्य कार्यों को भी करेगा जो इस निमित्त राष्ट्रपति को सौंपे जाएँ।” इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 64 यह भी कहता है कि “उपराष्ट्रपति, पदेन (ex-officio) राज्यसभा का सभापति होगा और किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं रहेगा।”

चुनाव प्रक्रिया: कैसे चुना जाता है उपराष्ट्रपति? (The Election Process: How is the Vice President Chosen?)
उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, यानी जनता सीधे तौर पर वोट नहीं करती। इनका चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:

  • संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य: इसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के निर्वाचित (elected) और मनोनीत (nominated) सदस्य शामिल होते हैं।
  • ध्यान देने योग्य बात: राष्ट्रपति के चुनाव के विपरीत, जहाँ केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, उपराष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भी मतदान कर सकते हैं।

यह चुनाव भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India) द्वारा संचालित किया जाता है। चुनाव गुप्त मतदान (secret ballot) द्वारा एकल संक्रमणीय मत (single transferable vote) प्रणाली के अनुसार होता है, जैसा कि अनुच्छेद 55 में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए भी प्रावधानित है, हालांकि यहाँ अनुपात थोड़ा भिन्न होता है।

“संसदीय प्रणाली में, विपक्ष केवल सरकार की आलोचना करने वाली संस्था मात्र नहीं है, बल्कि यह सरकार के समानांतर एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने वाली और जनता को सूचित करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था है। उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर विपक्ष की एकजुटता, उसकी परिपक्वता और उसकी राजनीतिक प्रासंगिकता का एक स्पष्ट संकेत होती है।”

विपक्षी एकता की कवायद: डिनर का महत्व (The Exercise of Opposition Unity: The Significance of the Dinner)
राहुल गांधी द्वारा आयोजित रात्रिभोज, जिसमें कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), आप, टीएमसी, सपा, जद (यू), माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (एम), आरएलडी, फॉरवर्ड ब्लॉक और एमडीएमके जैसे कई प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया, एक रणनीतिक पहल थी। इसका मुख्य उद्देश्य था:

  • साझा उम्मीदवार पर सहमति: आगामी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में एक सर्वसम्मत उम्मीदवार खड़ा करने पर विचार-विमर्श करना।
  • एकजुटता का प्रदर्शन: विभिन्न राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, राष्ट्रीय स्तर पर एक संयुक्त मोर्चे के रूप में शक्ति का प्रदर्शन करना।
  • संवैधानिक पदों के लिए आम सहमति: यह दिखाना कि विपक्ष संवैधानिक पदों की गरिमा और महत्व को समझता है और सामूहिक रूप से निर्णय ले सकता है।
  • रणनीतिक मंथन: सत्ताधारी दल (भाजपा) के उम्मीदवार का मुकाबला करने के लिए एक प्रभावी रणनीति तैयार करना।

यह कवायद विपक्षी दलों के बीच विश्वास बनाने और समन्वय स्थापित करने का एक प्रयास है। यह दर्शाता है कि भले ही व्यक्तिगत दल अलग-अलग विचारधाराओं और एजेंडा का प्रतिनिधित्व करते हों, लेकिन राष्ट्रीय हित में वे एकजुट हो सकते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का हिस्सा बनते हैं?
    1. लोकसभा के केवल निर्वाचित सदस्य
    2. राज्यसभा के केवल निर्वाचित सदस्य
    3. संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)
    4. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं। यह राष्ट्रपति चुनाव से भिन्न है जहाँ केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।

  2. प्रश्न 2: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद उपराष्ट्रपति को राज्यसभा का पदेन सभापति घोषित करता है?
    1. अनुच्छेद 63
    2. अनुच्छेद 64
    3. अनुच्छेद 66
    4. अनुच्छेद 70

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: अनुच्छेद 64 स्पष्ट रूप से कहता है कि उपराष्ट्रपति, पदेन (ex-officio) राज्यसभा का सभापति होगा।

  3. प्रश्न 3: उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. उनका चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।
    2. उनके चुनाव में राज्य विधानसभाओं के सदस्य भी भाग लेते हैं।
    3. यह एक गुप्त मतदान प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।
    उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

    1. 1 और 2
    2. 2 और 3
    3. 1 और 3
    4. 1, 2 और 3

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: उपराष्ट्रपति का चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा गुप्त मतदान से होता है। राज्य विधानसभाओं के सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं, वे केवल राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं।

  4. प्रश्न 4: “एकल संक्रमणीय मत प्रणाली” का क्या अर्थ है?
    1. मतदाता केवल एक उम्मीदवार को वोट देता है।
    2. मतदाता अपनी वरीयता के क्रम में कई उम्मीदवारों को वोट दे सकता है।
    3. वह उम्मीदवार जीतता है जिसे सबसे अधिक मत प्राप्त हों।
    4. सभी मतों का मूल्य समान होता है।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में, मतदाता अपनी पसंद के अनुसार एक से अधिक उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में वोट देता है। यदि कोई उम्मीदवार आवश्यक कोटा प्राप्त नहीं करता है, तो उसके मतों को उसकी अगली वरीयता के आधार पर अन्य उम्मीदवारों में बाँट दिया जाता है।

  5. प्रश्न 5: विपक्षी एकता की हालिया बैठक का मुख्य उद्देश्य क्या था, जैसा कि खबर में बताया गया है?
    1. केवल राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करना।
    2. केवल उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करना।
    3. राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करना और एकजुटता प्रदर्शित करना।
    4. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों चुनावों के लिए एक साझा उम्मीदवार पर विचार-विमर्श करना।

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: समाचार के अनुसार, बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों चुनावों के लिए एक साझा उम्मीदवार पर विचार-विमर्श करना था, ताकि विपक्षी एकता का प्रदर्शन किया जा सके।

  6. प्रश्न 6: उपराष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित में से कौन सी अर्हता आवश्यक नहीं है?
    1. वह भारत का नागरिक हो।
    2. उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
    3. वह किसी भी लाभ के पद पर आसीन न हो।
    4. वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य हो।

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: उपराष्ट्रपति के लिए लाभ के पद पर न होना आवश्यक है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि वह संसद के किसी सदन का सदस्य हो। यदि वह सदस्य है भी, तो चुनाव जीतने पर उसे उस सदन की सदस्यता छोड़नी होगी।

  7. प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा दल विपक्षी बैठक में शामिल नहीं हुआ था (खबर के अनुसार)?
    1. द्रमुक
    2. आप
    3. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)
    4. बीजद

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: बीजद (BJD) जैसी पार्टियाँ, जो राज्य स्तर पर मजबूत हैं, अक्सर राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे विपक्षी गठबंधनों से दूरी बनाए रखती हैं, जैसा कि इस बैठक के संदर्भ में देखा गया। (यह प्रश्न उपरोक्त लेख में उल्लिखित दलों पर आधारित है, वास्तविक स्थिति भिन्न हो सकती है)।

  8. प्रश्न 8: उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में, निम्नलिखित में से किस स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकते हैं?
    1. केवल राष्ट्रपति की मृत्यु होने पर।
    2. केवल राष्ट्रपति के त्यागपत्र देने पर।
    3. राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, पदच्युति या अन्य किसी कारण से पद रिक्त होने पर।
    4. केवल तब जब राष्ट्रपति किसी बीमारी के कारण असमर्थ हों।

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: अनुच्छेद 65 के अनुसार, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के पद की रिक्ति की दशा में, या जब राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों के निर्वहन में असमर्थ हो, तब उस पद के कर्तव्यों का निर्वहन करेगा।

  9. प्रश्न 9: विपक्षी एकता की कवायद को UPSC के दृष्टिकोण से किस रूप में देखा जा सकता है?
    1. एक असंवैधानिक प्रयास।
    2. गठबंधन की राजनीति और चुनावी रणनीतियों के अध्ययन के रूप में।
    3. केवल एक सामाजिक मिलन के रूप में।
    4. सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के रूप में।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: UPSC के लिए, यह घटनाक्रम गठबंधन की राजनीति, विभिन्न दलों के बीच तालमेल, चुनावी रणनीति, और संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका को समझने का एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है।

  10. प्रश्न 10: उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में “पदेन” (ex-officio) शब्द का क्या अर्थ है?
    1. वह व्यक्ति जिसे विशेष रूप से चुना गया हो।
    2. वह व्यक्ति जो किसी अन्य पद पर होने के कारण स्वतः ही यह पद ग्रहण कर लेता है।
    3. वह व्यक्ति जो मतदान द्वारा चुना गया हो।
    4. वह व्यक्ति जिसका कार्यकाल निश्चित हो।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: “पदेन” का अर्थ है किसी पद पर रहने के कारण स्वतः ही दूसरे पद का धारक बन जाना। उपराष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर रहते हुए, स्वतः ही राज्यसभा के सभापति बन जाते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में विपक्षी एकता के महत्व पर प्रकाश डालिए। उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे अवसर पर विपक्षी दलों द्वारा साझा उम्मीदवार उतारने का प्रयास किस प्रकार राष्ट्र निर्माण और संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक हो सकता है? (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: उपराष्ट्रपति पद के संवैधानिक कार्यों और शक्तियों का वर्णन करें। राष्ट्रपति के पद खाली होने या उनकी अनुपस्थिति में, उपराष्ट्रपति की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो जाती है? (लगभग 200 शब्द)
  3. प्रश्न 3: उपराष्ट्रपति चुनाव की मतदान प्रक्रिया (एकल संक्रमणीय मत प्रणाली) की व्याख्या करें और यह राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में कैसे भिन्न है (यदि कोई हो)? इसके पीछे के संवैधानिक तर्क पर चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
  4. प्रश्न 4: वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, विपक्षी एकता की राह में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? क्या राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई बैठकें इन चुनौतियों को पार करने में सफल हो सकती हैं? अपने उत्तर का समर्थन में तर्क दें। (लगभग 250 शब्द)

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