राहुल गांधी का आंबेडकर से तुलना: एक राजनीतिक चाल या वास्तविक समानता?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, एक पूर्व सांसद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तुलना भारत के महानतम नेताओं में से एक, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से की है। यह तुलना, जिसमें यह दावा किया गया है कि राहुल गांधी भी डॉ. आंबेडकर की तरह देश के लिए कुछ बड़ा ‘साबित’ कर देंगे, भारतीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ गई है। यह बयान न केवल राहुल गांधी के नेतृत्व और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है, बल्कि डॉ. आंबेडकर के असाधारण योगदान और उनके विचारों की प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है। UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति, सामाजिक न्याय, नेतृत्व के विकास और ऐतिहासिक शख्सियतों की वर्तमान समय में प्रासंगिकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस तुलना के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण करेंगे: इस बयान के पीछे की राजनीतिक मंशा क्या हो सकती है, डॉ. आंबेडकर की विरासत क्या है, और राहुल गांधी के नेतृत्व में क्या समानताएं या भिन्नताएं देखी जा सकती हैं। हम यह भी जानेंगे कि इस तरह की तुलनाएं राजनीतिक विमर्श को कैसे प्रभावित करती हैं और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से यह विषय कितना महत्वपूर्ण है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर: एक युगप्रवर्तक नेता
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर, जिन्हें प्यार से बाबासाहेब कहा जाता है, सिर्फ एक राजनीतिक नेता नहीं थे, बल्कि वे एक समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, कानूनविद् और भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। उनका जीवन समाज में व्याप्त गहरी असमानताओं, विशेषकर जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक अथक संघर्ष का प्रतीक है।
- जन्म और प्रारंभिक जीवन: 14 अप्रैल 1891 को महू (अब डॉ. आंबेडकर नगर), मध्य प्रदेश में जन्मे, भीमराव अंबेडकर ने तत्कालीन समाज में व्याप्त अछूत माने जाने वाले महार समुदाय में जन्म लिया। उन्होंने बचपन से ही घोर जातिगत भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार का सामना किया।
- शिक्षा और बौद्धिक विकास: अपने असाधारण बौद्धिक कौशल और दृढ़ संकल्प के बल पर, उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय (न्यूयॉर्क) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान और कानून में डिग्री हासिल की।
- सामाजिक न्याय के योद्धा: बाबासाहेब ने अपना जीवन दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर आधारित एक नए समाज की कल्पना की।
- संविधान निर्माण: स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माण में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वे संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और गरिमा प्रदान करता है। विशेष रूप से, उन्होंने मौलिक अधिकारों, राज्य के नीति निदेशक तत्वों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- धम्म रूपांतरण: अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया, जो उन्हें सामाजिक समानता और आध्यात्मिक शांति का मार्ग लगा।
बाबासाहेब आंबेडकर की विरासत सिर्फ उनके द्वारा लिखे गए संविधान तक सीमित नहीं है, बल्कि वे आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो सामाजिक न्याय, समानता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
राहुल गांधी: एक समकालीन राजनीतिक हस्ती
राहुल गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता हैं, जो भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में से एक है। उनका राजनीतिक सफर और नेतृत्व पर लगातार चर्चा होती रहती है।
- पारिवारिक पृष्ठभूमि: राहुल गांधी एक ऐसे राजनीतिक परिवार से आते हैं जिसका भारत की स्वतंत्रता और उसके बाद की राजनीति पर गहरा प्रभाव रहा है। वे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के वंशज हैं।
- राजनीतिक करियर: उन्होंने 2004 में पहली बार संसद सदस्य के रूप में अमेठी, उत्तर प्रदेश से चुनाव जीता। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है और पार्टी की नीतियों और जनसंपर्क अभियानों का नेतृत्व किया है।
- मुख्य मुद्दे: राहुल गांधी अक्सर गरीबों, किसानों, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की बात करते हैं। उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई, सरकारी नीतियों की आलोचना और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर आवाज उठाई है।
- ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’: हाल के वर्षों में, उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ जैसी पहलों का नेतृत्व किया है, जिनका उद्देश्य जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ना और पार्टी के संदेश को फैलाना था।
राहुल गांधी का नेतृत्व, उनकी सार्वजनिक छवि और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे लगातार राजनीतिक विमर्श का केंद्र रहे हैं।
तुलना के मायने: राजनीतिक मंशा या वास्तविक समानता?
जब एक पूर्व सांसद राहुल गांधी की तुलना डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से करते हैं, तो इसके पीछे कई संभावित अर्थ और मंशाएं हो सकती हैं। UPSC के दृष्टिकोण से, हमें इस तुलना के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करना चाहिए:
1. राजनीतिक मंशा (Political Intentions):
अक्सर, ऐसी तुलनाएं सीधे तौर पर राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाती हैं।
- दलित वोट बैंक को आकर्षित करना: डॉ. आंबेडकर को दलितों और पिछड़े वर्गों के मसीहा के रूप में देखा जाता है। राहुल गांधी की तुलना बाबासाहेब से करके, यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से इन समुदायों को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने का एक प्रयास हो सकता है। कांग्रेस, जो हमेशा से सामाजिक न्याय और समावेशिता का नारा देती आई है, इस तुलना के माध्यम से अपनी जड़ों को मजबूत करने का प्रयास कर सकती है।
- आंबेडकरवादी एजेंडे को अपनाना: यह तुलना यह दर्शाने का भी प्रयास हो सकती है कि राहुल गांधी, डॉ. आंबेडकर के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यदि राहुल गांधी वास्तव में सामाजिक समानता, न्याय और हाशिए पर पड़े लोगों के सशक्तिकरण के लिए काम करते हैं, तो यह तुलना उनकी प्रतिबद्धता को बल दे सकती है।
- नेतृत्व स्थापित करना: एक ऐसे नेता से तुलना करना जिसे व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है, राहुल गांधी की अपनी नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने का एक तरीका हो सकता है। यह संदेश देने की कोशिश हो सकती है कि वह भी भविष्य में भारत के लिए एक महान नेता बन सकते हैं।
2. समानताएं और भिन्नताएं (Similarities and Differences):
क्या राहुल गांधी और डॉ. आंबेडकर के कार्यों, विचारों और सार्वजनिक जीवन में कोई वास्तविक समानताएं हैं? इस पर विचार करना महत्वपूर्ण है:
- सामाजिक न्याय का एजेंडा: दोनों नेताओं ने सामाजिक न्याय, समानता और गरीबों व उत्पीड़ितों के उत्थान पर जोर दिया है। राहुल गांधी लगातार बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और सामाजिक असमानताओं पर बोलते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से बाबासाहेब के विचारों से मेल खाता है।
- संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा: डॉ. आंबेडकर ने भारतीय संविधान के माध्यम से एक ऐसे भारत की नींव रखी जो सभी नागरिकों के लिए समान अवसर प्रदान करता है। राहुल गांधी भी अक्सर संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की बात करते हैं।
- नेतृत्व का पैमाना: यह वह जगह है जहाँ तुलनाएं अक्सर लड़खड़ा जाती हैं। डॉ. आंबेडकर का जीवन एक असाधारण संघर्ष, बौद्धिक प्रखरता और सामाजिक परिवर्तन की एक अनूठी यात्रा थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया और एक ऐसे समाज के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जो आज भी प्रासंगिक है। राहुल गांधी का राजनीतिक सफर एक अलग संदर्भ में है, जो मुख्यधारा की राजनीति और पार्टी नेतृत्व से जुड़ा है।
- परिणाम और प्रभाव: डॉ. आंबेडकर ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए, जैसे कि अस्पृश्यता का उन्मूलन, महिलाओं के अधिकारों की वकालत, और हिंदुओं के उत्तराधिकार अधिनियम जैसे कानूनों का निर्माण। राहुल गांधी की नीतियों और पहलों का प्रभाव अभी भी विकसित हो रहा है और उनके दीर्घकालिक सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव का आकलन समय के साथ ही किया जा सकता है।
3. ‘वो साबित कर देंगे’ का अर्थ (Meaning of ‘He will prove it’):
यह वाक्यांश इस बात का संकेत देता है कि राहुल गांधी भविष्य में कुछ महत्वपूर्ण या असाधारण हासिल करेंगे, जो उन्हें डॉ. आंबेडकर के स्तर पर स्थापित करेगा।
- भविष्य की क्षमता: यह बयान राहुल गांधी की भविष्य की राजनीतिक क्षमता और उनके नेतृत्व के संभावित विकास पर विश्वास व्यक्त करता है। यह इस बात पर जोर देता है कि वे न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान करेंगे, बल्कि भविष्य के लिए भी देश को एक नई दिशा देंगे।
- धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता: बाबासाहेब आंबेडकर को अपना मिशन पूरा करने में दशकों का संघर्ष और अथक परिश्रम लगा। इस तुलना का अर्थ यह भी हो सकता है कि राहुल गांधी को भी समान धैर्य, दृढ़ता और समर्पण दिखाना होगा ताकि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें और इस तुलना को सार्थक साबित कर सकें।
तुलना के लाभ और हानियाँ (Pros and Cons of the Comparison):
इस तरह की तुलनाएं राजनीतिक विमर्श को कई तरह से प्रभावित कर सकती हैं:
लाभ (Pros):
- प्रेरणा का स्रोत: यह राहुल गांधी के समर्थकों के लिए प्रेरणा का एक मजबूत स्रोत बन सकता है, जिससे उन्हें अपने नेता में डॉ. आंबेडकर जैसे महान आदर्शों की झलक दिख सकती है।
- सामाजिक न्याय पर जोर: यह तुलना भारत में सामाजिक न्याय, समानता और हाशिए पर पड़े लोगों के मुद्दों पर सार्वजनिक बहस को फिर से जीवित कर सकती है।
- राहुल गांधी की छवि निर्माण: यदि सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो यह राहुल गांधी की छवि को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित कर सकता है जो केवल सत्ता की राजनीति में नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन में भी विश्वास रखता है।
हानियाँ (Cons):
- अति-सरलीकरण का जोखिम: बाबासाहेब आंबेडकर का जीवन और कार्य अत्यंत जटिल और बहुआयामी थे। किसी भी समकालीन नेता के साथ उनकी तुलना, उनके योगदान का अति-सरलीकरण कर सकती है।
- विपक्ष का आलोचनात्मक दृष्टिकोण: विरोधी दल और आलोचक इसे कांग्रेस का एक राजनीतिक पैंतरा बता सकते हैं, जिसका उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति करना है। वे इस तुलना को हास्यास्पद या बेतुका भी बता सकते हैं।
- अवास्तविक अपेक्षाएं: यदि राहुल गांधी भविष्य में बाबासाहेब आंबेडकर के स्तर का प्रभाव पैदा नहीं कर पाते हैं, तो यह तुलना उनके खिलाफ भी जा सकती है और उन पर अवास्तविक अपेक्षाओं का बोझ डाल सकती है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam):
यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- इतिहास: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का जीवन, उनके सामाजिक सुधार आंदोलन, संविधान निर्माण में उनकी भूमिका, बौद्ध धर्म में उनका रूपांतरण।
- राजव्यवस्था: भारतीय संविधान के मूल सिद्धांत, मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निदेशक तत्व, आरक्षण, सामाजिक न्याय की अवधारणा।
- समसामयिक मामले: समकालीन भारतीय राजनीति, प्रमुख राजनीतिक दलों की विचारधाराएं, नेतृत्व का विकास, राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियाँ।
मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-I (भारतीय समाज): भारत में सामाजिक परिवर्तन, जाति व्यवस्था, सामाजिक असमानता, विभिन्न सामाजिक आंदोलनों और उनके नेताओं का प्रभाव।
- GS-I (इतिहास): स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत का निर्माण, संविधान का निर्माण और उसकी प्रासंगिकता।
- GS-II (राजव्यवस्था): भारतीय संविधान की संरचना और सिद्धांत, मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निदेशक तत्व, सरकार की नीतियां और विभिन्न समूहों पर उनका प्रभाव, गठबंधन की राजनीति और जनसमर्थन जुटाना।
- GS-IV (नीतिशास्त्र): सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, राजनीतिक नेताओं की भूमिका, आदर्शवाद बनाम यथार्थवाद, सामाजिक न्याय की अवधारणा और उसे प्राप्त करने के तरीके।
- निबंध (Essay): भारतीय राजनीति में नेतृत्व की बदलती प्रकृति, सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के बीच संतुलन, ऐतिहासिक शख्सियतों की वर्तमान प्रासंगिकता।
उदाहरण के लिए, GS-IV (नीतिशास्त्र) में एक प्रश्न हो सकता है: “सार्वजनिक जीवन में किसी नेता की तुलना एक महान ऐतिहासिक हस्ती से करना कितना नैतिक है? इसके क्या नीतिशास्त्रीय निहितार्थ हैं?”
GS-II (राजव्यवस्था) के लिए, प्रश्न हो सकता है: “डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण और समकालीन भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय की बहस के बीच प्रासंगिकता का विश्लेषण करें।”
निष्कर्ष (Conclusion):
राहुल गांधी की डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से तुलना एक जटिल और बहुआयामी घटना है। इसके पीछे राजनीतिक मंशाएं हो सकती हैं, लेकिन यह तुलना हमें भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में नेतृत्व, सामाजिक न्याय और ऐतिहासिक विरासत के महत्व पर पुनर्विचार करने के लिए भी प्रेरित करती है।
यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह तुलना ‘राजनीतिक चाल’ है या ‘वास्तविक समानता’, क्योंकि इसका मूल्यांकन राहुल गांधी के भविष्य के कार्यों और उनके नेतृत्व के दीर्घकालिक प्रभाव पर निर्भर करेगा। डॉ. आंबेडकर की विरासत असाधारण है, और किसी भी समकालीन नेता को उनके बराबर स्थापित करना एक अत्यंत कठिन कार्य है।
UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह एक अवसर है कि वे राजनीतिक विमर्श की बारीकियों को समझें, ऐतिहासिक हस्तियों के योगदान का सम्मान करें, और यह विश्लेषण करें कि कैसे अतीत के विचार वर्तमान राजनीति को प्रभावित करते हैं। अंततः, यह तय करना जनता और समय पर निर्भर करेगा कि क्या राहुल गांधी अपनी तुलना को ‘साबित’ कर पाते हैं और उस महान नेता के पदचिह्नों पर चल पाते हैं जिन्होंने भारत के सामाजिक ताने-बाने को बदलने का असंभव कार्य किया।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. उन्होंने भारत के संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
2. उन्होंने ‘जाति का उन्मूलन’ (Annihilation of Caste) नामक पुस्तक लिखी।
3. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में हिंदू धर्म अपनाया।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
a) 1 और 2
b) 1 और 3
c) 2 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: a) 1 और 2
व्याख्या: डॉ. आंबेडकर संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने ‘जाति का उन्मूलन’ लिखी। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म अपनाया, न कि हिंदू धर्म। - प्रश्न 2: भारतीय संविधान के निर्माण में डॉ. आंबेडकर के योगदान के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद उनके प्रमुख कार्यक्षेत्र से संबंधित है?
a) अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण)
b) अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता)
c) अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार)
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: अनुच्छेद 14, 21, और 32 जैसे मौलिक अधिकार, जिनका उद्देश्य समानता, स्वतंत्रता और संवैधानिक उपचार सुनिश्चित करना है, डॉ. आंबेडकर के संवैधानिक दर्शन के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। - प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा राजनीतिक दल डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से निकटता से जुड़ा रहा है?
a) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
b) भारतीय जनता पार्टी
c) रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI)
d) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
उत्तर: c) रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI)
व्याख्या: रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) की स्थापना डॉ. आंबेडकर के अनुयायियों द्वारा की गई थी और यह उनके विचारों और आंदोलनों की राजनीतिक अभिव्यक्ति मानी जाती है। - प्रश्न 4: ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का नेतृत्व मुख्य रूप से किस भारतीय राजनीतिक नेता ने किया?
a) नरेंद्र मोदी
b) राहुल गांधी
c) अमित शाह
d) सोनिया गांधी
उत्तर: b) राहुल गांधी
व्याख्या: ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करने और लोगों से सीधे जुड़ने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। - प्रश्न 5: डॉ. आंबेडकर के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सामाजिक समानता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन था?
a) शिक्षा
b) राजनीतिक अधिकार
c) धार्मिक सहिष्णुता
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: a) शिक्षा
व्याख्या: डॉ. आंबेडकर शिक्षा को सामाजिक उत्थान और समानता प्राप्त करने का सबसे शक्तिशाली माध्यम मानते थे। उन्होंने कहा था, “शिक्षा से वंचना, दलितों को अंधकार में धकेलने जैसा है।” - प्रश्न 6: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है, जिनका निर्माण डॉ. आंबेडकर के विचारों से काफी प्रभावित था?
1. ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
2. इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
3. इनमें से कुछ तत्व गांधीवादी सिद्धांत पर आधारित हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
a) 1 और 2
b) 2 और 3
c) 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: d) 1, 2 और 3
व्याख्या: DPSP न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होते, सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र का लक्ष्य रखते हैं, और कई गांधीवादी सिद्धांतों (जैसे ग्राम पंचायतों का संगठन, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा) को शामिल करते हैं। - प्रश्न 7: राहुल गांधी के ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का मुख्य उद्देश्य क्या था?
a) केवल पार्टी कैडर को जुटाना
b) देश भर में सरकारी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना
c) संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: c) संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना
व्याख्या: यात्रा का मुख्य जोर नफरत के खिलाफ मोहब्बत, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर लोगों को संवेदनशील बनाना था। - प्रश्न 8: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने निम्नलिखित में से किस अधिकार पर जोर दिया था, जो संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत आता है?
a) सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार
b) समानता का अधिकार
c) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
d) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
उत्तर: c) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
व्याख्या: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. आंबेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था, मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। - प्रश्न 9: भारतीय राजनीति में ‘वोट बैंक’ की राजनीति के संदर्भ में, राहुल गांधी की डॉ. आंबेडकर से तुलना का एक संभावित कारण क्या हो सकता है?
a) दलित समुदाय के वोटों को आकर्षित करना
b) ब्राह्मणवादी विचारधारा को बढ़ावा देना
c) अल्पसंख्यकों के हितों की उपेक्षा करना
d) केवल युवा मतदाताओं को लुभाना
उत्तर: a) दलित समुदाय के वोटों को आकर्षित करना
व्याख्या: डॉ. आंबेडकर दलितों के प्रमुख नेता माने जाते हैं, इसलिए उनकी तुलना करके दलित वोट बैंक को प्रभावित करने का प्रयास किया जा सकता है। - प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के बारे में सही है, जिसका उल्लेख राहुल गांधी अक्सर करते हैं?
1. सामाजिक न्याय
2. धर्मनिरपेक्षता
3. आर्थिक उदारवाद
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
a) 1 और 2
b) 2 और 3
c) 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: a) 1 और 2
व्याख्या: कांग्रेस पार्टी पारंपरिक रूप से सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता पर जोर देती आई है, हालांकि आर्थिक नीतियों में समय के साथ बदलाव हुए हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान में समाहित किए गए सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का विश्लेषण करें। समकालीन भारतीय समाज में इन सिद्धांतों की प्रासंगिकता और उन पर आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: “किसी राजनीतिक नेता की तुलना एक महान ऐतिहासिक हस्ती से करना, उस नेता की राजनीतिक छवि को मजबूत करने का एक प्रयास हो सकता है, लेकिन यह यथार्थवादी अपेक्षाओं को भी जन्म देता है।” इस कथन के आलोक में, राहुल गांधी की डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से की गई हालिया तुलना का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 3: भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय का एजेंडा कैसे विकसित हुआ है? डॉ. आंबेडकर के योगदान और समकालीन नेताओं द्वारा इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के प्रयासों के बीच तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 4: सार्वजनिक जीवन में नेतृत्व की गुणवत्ता क्या होनी चाहिए? डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन और कार्य को एक आदर्श नेतृत्व के रूप में देखते हुए, वर्तमान नेतृत्व के लिए प्रासंगिक सबक बताएं। (लगभग 150 शब्द)
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