राहुल गांधी का अर्थव्यवस्था पर तीखा प्रहार: क्या सच में ‘सबको पता है’ कि अर्थव्यवस्था बीमार है?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता, राहुल गांधी, ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक तीखा बयान दिया है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक पुराने बयान का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था “मर चुकी है”। राहुल गांधी ने आगे कहा कि इस स्थिति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं, और यह बात प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर “सबको पता है”। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर व्यापक बहस को जन्म दिया है। यह बयान न केवल आर्थिक नीतियों पर एक राजनीतिक आलोचना है, बल्कि देश की आर्थिक सेहत पर आम जनता की धारणा को भी दर्शाता है, या कम से कम ऐसा दावा करता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह विषय भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं, सरकारी नीतियों, उनके प्रभाव, और समसामयिक राजनीतिक विमर्श को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
पृष्ठभूमि: अर्थव्यवस्था की स्थिति और राजनीतिक विमर्श (Background: The State of the Economy and Political Discourse):
किसी भी बयान का विश्लेषण करने से पहले, उस संदर्भ को समझना महत्वपूर्ण है जिसमें वह दिया गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में कई उतार-चढ़ावों से गुजरी है। जीडीपी वृद्धि दर में मंदी, बढ़ते बेरोजगारी दर, मुद्रास्फीति के दबाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं जैसे कई कारक चिंता का विषय रहे हैं। इन आर्थिक चुनौतियों के बीच, विपक्ष सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता रहा है, जबकि सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाती रही है और भविष्य के प्रति आशावाद व्यक्त करती रही है।
राहुल गांधी का बयान, जिसमें उन्होंने ट्रम्प के पुराने बयान का उल्लेख किया है, दर्शाता है कि वे एक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ का उपयोग करके भारतीय अर्थव्यवस्था की आंतरिक समस्याओं को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं। “मर चुकी है” जैसे कठोर शब्दों का प्रयोग समस्या की गंभीरता को इंगित करने के लिए किया गया है, और “सबको पता है” वाला हिस्सा यह दर्शाता है कि यह समस्या इतनी स्पष्ट है कि सरकार के शीर्ष नेतृत्व को छोड़कर हर कोई इसे देख रहा है। यह राजनीतिक संदेश है कि सरकार सच्चाई को स्वीकार नहीं कर रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था: एक वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन (The Indian Economy: An Objective Assessment)
राहुल गांधी के बयान का राजनीतिकरण हो सकता है, लेकिन एक गंभीर नागरिक और भविष्य के प्रशासक के तौर पर, हमें तथ्यों और डेटा के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए। क्या अर्थव्यवस्था वास्तव में ‘मर चुकी है’? यह एक अतिशयोक्तिपूर्ण बयान हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। आइए कुछ प्रमुख संकेतकों पर नज़र डालें:
1. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर (Gross Domestic Product (GDP) Growth Rate):
- क्या है GDP? GDP किसी देश की सीमाओं के भीतर एक विशिष्ट अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य है। यह किसी देश की आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख पैमाना है।
- हालिया रुझान: पिछले कुछ वर्षों में, भारत की GDP वृद्धि दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। जहाँ एक समय भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक था, वहीं विकास दर धीमी होकर 5% से नीचे भी आ गई थी (कोविड-19 महामारी से पहले के वर्षों में)। हालाँकि, बाद में इसमें सुधार के संकेत मिले, लेकिन यह अभी भी अपनी क्षमता से काफी नीचे रही है।
- विश्लेषण: धीमी GDP वृद्धि दर का मतलब है कि अर्थव्यवस्था उतनी तेजी से नए रोजगार पैदा नहीं कर पा रही है जितनी कि उसे चाहिए। यह निवेश को भी प्रभावित करता है।
2. बेरोजगारी दर (Unemployment Rate):
- क्या है बेरोजगारी दर? यह श्रम बल का वह प्रतिशत है जो सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश में है लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल पा रही है।
- हालिया रुझान: भारत में बेरोजगारी दर, विशेष रूप से युवा बेरोजगारी, एक गंभीर चिंता का विषय रही है। विभिन्न रिपोर्टों ने अलग-अलग आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि लाखों युवा हर साल श्रम बल में प्रवेश करते हैं, और सबके लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करना एक बड़ी चुनौती है।
- विश्लेषण: उच्च बेरोजगारी न केवल आर्थिक उत्पादकता को कम करती है, बल्कि सामाजिक असंतोष का कारण भी बन सकती है।
3. मुद्रास्फीति (Inflation):
- क्या है मुद्रास्फीति? यह वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में सामान्य वृद्धि है, जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी आती है।
- हालिया रुझान: भारत ने समय-समय पर विभिन्न वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि का अनुभव किया है। हालाँकि RBI मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीतियों का उपयोग करता है, लेकिन आपूर्ति-पक्ष के मुद्दे (जैसे खराब मौसम, परिवहन लागत) और वैश्विक कारक भी इस पर प्रभाव डालते हैं।
- विश्लेषण: उच्च मुद्रास्फीति, विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं पर, आम आदमी की क्रय शक्ति को कम करती है और जीवन स्तर को प्रभावित करती है।
4. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit):
- क्या है राजकोषीय घाटा? यह सरकार के कुल व्यय और उसके कुल राजस्व (ऋण को छोड़कर) के बीच का अंतर है।
- हालिया रुझान: सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को एक निश्चित स्तर पर रखना होता है, लेकिन आर्थिक मंदी या अप्रत्याशित खर्चों (जैसे राहत पैकेज) के कारण यह लक्ष्य भटक सकता है।
- विश्लेषण: उच्च राजकोषीय घाटे से सरकारी कर्ज बढ़ता है, जो भविष्य में ब्याज भुगतान पर अधिक खर्च करने का कारण बनता है और विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों को कम कर सकता है।
5. औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production):
- क्या है औद्योगिक उत्पादन? यह विनिर्माण, खनन और बिजली उत्पादन जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादन के स्तर को मापता है।
- हालिया रुझान: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जो मांग में कमजोरी और उत्पादन बाधाओं की ओर इशारा करता है।
- विश्लेषण: औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन रोजगार सृजन और समग्र आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
राहुल गांधी के आरोपों का विश्लेषण: ‘मोदी ने मारा’ और ‘सबको पता है’ (Analyzing Rahul Gandhi’s Allegations: ‘Modi Has Killed It’ and ‘Everyone Knows It’)
राहुल गांधी के बयान के दो मुख्य हिस्से हैं जिन पर गहराई से विचार करना आवश्यक है:
1. ‘इसे मोदी ने मारा’ (Modi Has Killed It):
यह सीधा आरोप है कि वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों और उनके कार्यान्वयन के कारण अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति बिगड़ी है। इसके पीछे निम्नलिखित तर्क हो सकते हैं:
- नीतियों का प्रभाव: विपक्ष अक्सर सरकार की प्रमुख नीतियों, जैसे कि नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन, और हालिया कॉर्पोरेट कर कटौती, की आलोचना करता रहा है। उनका तर्क है कि इन नीतियों ने अनौपचारिक क्षेत्र को नुकसान पहुँचाया, छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बाधित किया, और आर्थिक गतिविधियों को धीमा कर दिया।
- ‘विकास रोधी’ नीतियां: कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार के कुछ फैसले, जैसे कि कुछ क्षेत्रों में विनिवेश की धीमी गति या संरक्षणवादी प्रवृत्तियाँ, समग्र विकास को बाधित कर सकती हैं।
- वैश्विक तुलना: ट्रम्प के बयान का संदर्भ लेते हुए, यह तर्क दिया जा सकता है कि जब अन्य देश, विशेष रूप से विकासशील देश, अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, तब भारत की वृद्धि दर पिछड़ गई।
“भारतीय अर्थव्यवस्था किसी एक व्यक्ति या पार्टी की समस्या नहीं है, बल्कि यह कई वर्षों की नीतियों, वैश्विक घटनाओं और संरचनात्मक मुद्दों का परिणाम है। यह कहना कि ‘मोदी ने मारा’ अतिसरलीकरण हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से दर्शाता है कि विपक्ष वर्तमान सरकार की आर्थिक प्रबंधन को गंभीर रूप से दोषपूर्ण मानता है।”
2. ‘यह बात PM और वित्त मंत्री को छोड़कर सबको पता है’ (Everyone Knows It Except the PM and Finance Minister):
यह हिस्सा सरकार पर सच्चाई को स्वीकार न करने या जनता से छुपाने का आरोप लगाता है। यह एक राजनीतिक दांव-पेच है जिसका उद्देश्य सरकार को हठी और जनता की दुर्दशा से बेखबर दिखाना है।
- जन धारणा (Public Perception): इस कथन का अर्थ यह है कि आम जनता, छोटे व्यवसाय के मालिक, किसान, और यहाँ तक कि कर्मचारी भी अर्थव्यवस्था की समस्याओं को सीधे तौर पर अनुभव कर रहे हैं और जानते हैं कि स्थिति गंभीर है। वे शायद सरकार के आशावादी बयानों पर विश्वास नहीं करते।
- राजनीतिक संदेश: यह सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। यह दिखाने का प्रयास है कि सरकार वास्तविकता से कटी हुई है और केवल अपनी छवि बचाने के लिए आँकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है।
- डेटा और वास्तविकता का अंतर: कभी-कभी, सरकारी आँकड़े और जमीनी हकीकत के बीच अंतर हो सकता है। यदि आर्थिक संकेतक कमजोर हैं, लेकिन सरकारी बयान बहुत सकारात्मक हैं, तो जनता के मन में संदेह उत्पन्न हो सकता है।
सरकार का पक्ष और बचाव (Government’s Stand and Defense):
राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में, सरकार और सत्ताधारी दल आमतौर पर निम्नलिखित तर्क देते हैं:
- संरचनात्मक सुधार: सरकार अक्सर यह तर्क देती है कि उसने अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक विकास के लिए तैयार करने के लिए कई कठिन संरचनात्मक सुधार किए हैं, जैसे कि GST, दिवालियापन और शोधन अक्षमता संहिता (IBC), और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)। इन सुधारों का तत्काल प्रभाव हो सकता है, लेकिन भविष्य के लिए ये फायदेमंद होंगे।
- वैश्विक कारक: भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था से अछूता नहीं है। वैश्विक मंदी, व्यापार युद्ध, भू-राजनीतिक तनाव, और हाल ही में (जब यह लिखा जा रहा है, तब तक) महामारी का प्रभाव, सभी भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। सरकार अक्सर इन बाहरी कारकों को अपनी आर्थिक नीतियों के प्रभाव से अलग करने का प्रयास करती है।
- स्थिरता और सुधार: सरकार यह भी बता सकती है कि उसने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने, मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के प्रयास किए हैं। वे अक्सर इस बात पर जोर देते हैं कि पिछले कुछ वर्षों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था आज अधिक स्थिर और मजबूत है।
- ‘सबको पता है’ का खंडन: सरकार शायद यह तर्क दे कि यह कहना कि ‘सबको पता है’ और केवल वे ही अनभिज्ञ हैं, एक अपमानजनक और निराधार राजनीतिक आरोप है। वे दावा कर सकते हैं कि वे जनता की चिंताओं से अवगत हैं और उन पर काम कर रहे हैं।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Challenges and the Way Forward):
राहुल गांधी के बयान को एक राजनीतिक बयान के तौर पर खारिज करने के बजाय, हमें इससे उत्पन्न होने वाली आर्थिक चुनौतियों को समझना चाहिए:
1. रोजगार सृजन (Job Creation):
यह सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकार को न केवल औपचारिक क्षेत्र में, बल्कि असंगठित क्षेत्र और MSMEs में भी रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके लिए कौशल विकास, उद्यमिता को बढ़ावा देना और श्रम कानूनों में सुधार की आवश्यकता है।
2. निवेश को बढ़ावा देना (Boosting Investment):
घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेश को आकर्षित करने के लिए एक अनुकूल कारोबारी माहौल (Ease of Doing Business) बनाना महत्वपूर्ण है। इसमें नीतियों में स्थिरता, लालफीताशाही को कम करना और बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल है।
3. मांग प्रबंधन (Demand Management):
यदि अर्थव्यवस्था ‘मर रही’ है, तो इसका एक कारण मांग में कमी हो सकती है। सरकार को उपभोग और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों का उपयोग करना चाहिए।
4. संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms):
GST जैसे कर सुधारों के कार्यान्वयन को सुचारू बनाना, भूमि सुधारों को आगे बढ़ाना, और श्रम बाजारों को अधिक लचीला बनाना महत्वपूर्ण है।
5. वित्तीय क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण (Strengthening the Financial Sector):
बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्जों (NPAs) को संबोधित करना, NBFCs को स्थिर करना, और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना भी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
6. कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Agriculture and Rural Economy):
भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कृषि पर निर्भर है। किसानों की आय बढ़ाना, कृषि को आधुनिक बनाना, और ग्रामीण मांग को मजबूत करना आवश्यक है।
निष्कर्ष: एक संतुलित दृष्टिकोण (Conclusion: A Balanced Perspective):
राहुल गांधी का बयान, चाहे वह कितना भी राजनीतिक रूप से प्रेरित क्यों न हो, भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक चुनौतियों को सामने लाता है। यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन ‘मर चुकी है’ जैसा बयान, जो संभवतः अतिशयोक्तिपूर्ण है, समस्याओं की जटिलता को कम कर सकता है।
एक UPSC उम्मीदवार के रूप में, आपका काम तथ्यों का विश्लेषण करना, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझना, और नीतियों के संभावित प्रभावों का मूल्यांकन करना है। आपको किसी भी राजनीतिक बयान को सीधे तौर पर स्वीकार करने के बजाय, उसे आर्थिक डेटा, ऐतिहासिक प्रवृत्तियों और नीतिगत ढांचे के संदर्भ में रखना चाहिए।
सरकार के सामने चुनौती यह है कि वह न केवल आर्थिक विकास को गति दे, बल्कि जनता के विश्वास को भी पुनः प्राप्त करे। इसका अर्थ है पारदर्शी संचार, प्रभावी नीति कार्यान्वयन, और यह सुनिश्चित करना कि विकास के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचें। ‘सबको पता है’ वाले दावे का सबसे अच्छा खंडन ठोस आर्थिक परिणामों और जनता के जीवन में सुधार के माध्यम से ही किया जा सकता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. **प्रश्न:** सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना में निम्नलिखित में से किसे शामिल किया जाता है?
(a) केवल वस्तुओं का मूल्य
(b) केवल सेवाओं का मूल्य
(c) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य
(d) मध्यवर्ती वस्तुओं (intermediate goods) सहित सभी वस्तुओं का मूल्य
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** GDP किसी देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर एक विशिष्ट अवधि में उत्पादित सभी ‘अंतिम’ वस्तुओं और सेवाओं का कुल बाजार मूल्य है।
2. **प्रश्न:** मुद्रास्फीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. मुद्रास्फीति मुद्रा की क्रय शक्ति में वृद्धि को दर्शाती है।
2. उच्च मुद्रास्फीति आम तौर पर आम आदमी के लिए फायदेमंद होती है।
3. RBI मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो दर का उपयोग कर सकता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) 1 और 2
(d) 2 और 3
**उत्तर:** (b)
**व्याख्या:** मुद्रास्फीति कीमतों में सामान्य वृद्धि है, जिससे क्रय शक्ति कम होती है (कथन 1 गलत)। उच्च मुद्रास्फीति आम आदमी के लिए नुकसानदायक होती है (कथन 2 गलत)। RBI मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो दर जैसे मौद्रिक नीति साधनों का उपयोग करता है (कथन 3 सही)।
3. **प्रश्न:** ‘राजकोषीय घाटा’ (Fiscal Deficit) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह सरकार के कुल व्यय और उसके कुल राजस्व (ऋण को छोड़कर) के बीच का अंतर है।
2. राजकोषीय घाटा सरकार के उधार लेने की आवश्यकता को इंगित करता है।
3. कम राजकोषीय घाटा हमेशा एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था का संकेत होता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
**उत्तर:** (b)
**व्याख्या:** कथन 1 और 2 सही हैं। कथन 3 हमेशा सही नहीं होता क्योंकि कभी-कभी विकास को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय घाटे को जानबूझकर बढ़ाया जा सकता है।
4. **प्रश्न:** निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में बेरोजगारी के आँकड़ों को मुख्य रूप से जारी करती है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
(c) राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)
(d) नीति आयोग (NITI Aayog)
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), पहले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के रूप में जाना जाता था, भारत में बेरोजगारी और रोजगार से संबंधित आँकड़े जुटाता है।
5. **प्रश्न:** ‘औद्योगिक उत्पादन सूचकांक’ (Index of Industrial Production – IIP) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र के उत्पादन को मापता है?
(a) केवल सेवा क्षेत्र
(b) कृषि और संबद्ध क्षेत्र
(c) विनिर्माण, खनन और बिजली
(d) केवल लघु और मध्यम उद्योग
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** IIP भारत में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर को मापता है और इसमें तीन मुख्य घटक शामिल हैं: विनिर्माण, खनन और बिजली।
6. **प्रश्न:** GST (वस्तु एवं सेवा कर) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तु और सेवा की आपूर्ति पर लगता है।
2. इसका उद्देश्य ‘कर पर कर’ (cascading effect) को समाप्त करना है।
3. यह एकल राष्ट्र, एकल कर का ढाँचा प्रदान करता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** GST एक अप्रत्यक्ष कर है जो देश भर में माल और सेवाओं की आपूर्ति पर लगता है। इसका मुख्य उद्देश्य करों के दोहरे कराधान (cascading effect) को समाप्त करना और एक एकीकृत कर प्रणाली बनाना है।
7. **प्रश्न:** ‘MSMEs’ (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) के संबंध में, ‘सूक्ष्म’ उद्यम की परिभाषा क्या है?
(a) वे उद्यम जिनमें निवेश ₹1 करोड़ से अधिक और ₹5 करोड़ से कम है।
(b) वे उद्यम जिनमें निवेश ₹10 करोड़ से अधिक है।
(c) वे उद्यम जिनमें ₹1 करोड़ तक का निवेश है और वार्षिक कारोबार ₹5 करोड़ तक है।
(d) वे उद्यम जिनमें ₹50 लाख तक का निवेश है और वार्षिक कारोबार ₹2.5 करोड़ तक है।
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** MSME (संशोधित परिभाषा के अनुसार) के लिए, एक सूक्ष्म उद्यम वह है जहाँ निवेश ₹1 करोड़ तक और वार्षिक कारोबार ₹5 करोड़ तक हो।
8. **प्रश्न:** ‘विनिर्माण क्षेत्र’ (Manufacturing Sector) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी चुनौती भारत में आम है?
(a) अत्यधिक कुशल श्रम की उपलब्धता
(b) उत्पादन के लिए कम लागत
(c) आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं और लॉजिस्टिक लागत
(d) उन्नत प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** भारत में विनिर्माण क्षेत्र को अक्सर आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं, उच्च लॉजिस्टिक लागत, और कभी-कभी कुशल श्रम की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, न कि अत्यधिक कुशल श्रम या कम लागत का।
9. **प्रश्न:** किस आर्थिक सिद्धांत के अनुसार, सरकार का न्यूनतम हस्तक्षेप अर्थव्यवस्था के लिए सबसे अच्छा है?
(a) कीनेसियन अर्थशास्त्र (Keynesian Economics)
(b) समाजवाद (Socialism)
(c) मुक्त बाजार अर्थशास्त्र/क्लासिक अर्थशास्त्र (Free Market Economics/Classical Economics)
(d) मार्क्सवाद (Marxism)
**उत्तर:** (c)
**व्याख्या:** मुक्त बाजार अर्थशास्त्र (जैसे एडम स्मिथ के विचार) या क्लासिक अर्थशास्त्र मानते हैं कि अर्थव्यवस्था को ‘अदृश्य हाथ’ (invisible hand) द्वारा सबसे अच्छी तरह से संचालित किया जाता है, जिसमें सरकारी हस्तक्षेप न्यूनतम होना चाहिए।
10. **प्रश्न:** ‘आर्थिक संवृद्धि’ (Economic Growth) और ‘आर्थिक विकास’ (Economic Development) के बीच मुख्य अंतर क्या है?
(a) संवृद्धि केवल मात्रात्मक है, जबकि विकास गुणात्मक भी है।
(b) विकास केवल मात्रात्मक है, जबकि संवृद्धि गुणात्मक भी है।
(c) दोनों समान हैं और एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किए जा सकते हैं।
(d) संवृद्धि का संबंध केवल प्रति व्यक्ति आय से है।
**उत्तर:** (a)
**व्याख्या:** आर्थिक संवृद्धि मुख्य रूप से GDP या प्रति व्यक्ति आय जैसी मात्रात्मक वृद्धि से संबंधित है। आर्थिक विकास एक व्यापक शब्द है जिसमें न केवल आर्थिक संवृद्धि शामिल है, बल्कि जीवन स्तर में सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे गुणात्मक पहलू भी शामिल हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. **प्रश्न:** राहुल गांधी के बयान “भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है, इसे मोदी ने मारा” का विश्लेषण करें। अर्थव्यवस्था के प्रमुख संकेतकों (GDP वृद्धि, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति) के संदर्भ में इस कथन की सत्यता का मूल्यांकन करें। सरकार की नीतियों और वैश्विक कारकों के संभावित प्रभावों पर भी प्रकाश डालें। (250 शब्द)
2. **प्रश्न:** “प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर सबको पता है” – इस कथन के निहितार्थों पर चर्चा करें। यह सार्वजनिक धारणा, सरकार की विश्वसनीयता और आर्थिक संचार के महत्व के बारे में क्या बताता है? (150 शब्द)
3. **प्रश्न:** भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में जिन प्रमुख संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रही है, उनकी पहचान करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा की गई प्रमुख नीतियों और भविष्य में आवश्यक सुधारों पर एक विस्तृत चर्चा करें। (250 शब्द)
4. **प्रश्न:** आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए सरकार को किन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए? MSME क्षेत्र, कौशल विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दें। (150 शब्द)