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राष्ट्र की सुरक्षा पर सवाल: जयशंकर का सीजफायर पर बयान और राफेल के रहस्यमय पतन पर मचे घमासान को समझें!

राष्ट्र की सुरक्षा पर सवाल: जयशंकर का सीजफायर पर बयान और राफेल के रहस्यमय पतन पर मचे घमासान को समझें!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा एक महत्वपूर्ण बयान ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी हलचल मचा दी है। जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर (युद्धविराम) को लेकर एक प्रश्न के जवाब में, जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच इस मुद्दे पर कोई सीधी बातचीत नहीं हुई है। यह बयान ऐसे समय में आया जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव अक्सर बना रहता है, और ऐसे किसी भी युद्धविराम समझौते में तीसरे पक्ष (जैसे अमेरिका) की मध्यस्थता की अटकलें लगाई जाती रही हैं।

इस बयान के तुरंत बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सांसद ने एक विवादास्पद दावा किया कि भारतीय वायु सेना का एक राफेल लड़ाकू विमान हाल ही में पंजाब के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन इस घटना को छुपाया गया। हालांकि इस दावे की सत्यता और इसके पीछे के तथ्यों की गहन जांच की जा रही है, लेकिन इसने देश की रक्षा तैयारियों और सूचना पारदर्शिता पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

ये दोनों घटनाएँ, भले ही सीधे तौर पर जुड़ी न हों, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, रक्षा सौदों और सूचना प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती हैं। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, इन मुद्दों की तह तक जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR), राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, और शासन जैसे विषयों से जुड़े हैं।

सीजफायर पर जयशंकर का बयान: भारत-पाकिस्तान सीमा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू

विदेश मंत्री जयशंकर का बयान, जिसमें उन्होंने प्रधान मंत्री मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच सीजफायर पर किसी सीधी बातचीत से इनकार किया, कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध और मध्यस्थता: यह बयान इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे भारत अपनी द्विपक्षीय समस्याओं, विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ, को सीधे हल करने की नीति पर कायम है। भारत का पारंपरिक रूप से यह रुख रहा है कि कश्मीर या अन्य द्विपक्षीय मुद्दे आंतरिक मामले हैं और इनमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है। यह अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की संप्रभुता और स्वतंत्रता को बनाए रखने के संकल्प को दर्शाता है।
  • अमेरिका की भूमिका: डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान, अमेरिका ने दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका बढ़ाने में रुचि दिखाई थी, और उन्होंने कई बार भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। ऐसे में, जयशंकर का यह स्पष्टीकरण इस बात की पुष्टि करता है कि भारत ने ऐसे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया या उस पर प्रधान मंत्री स्तर पर कोई सीधा संवाद नहीं हुआ।
  • सीजफायर का महत्व: नियंत्रण रेखा पर सीजफायर, यद्यपि अक्सर उल्लंघन का शिकार होता है, दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव को कम करने और सीमावर्ती आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण तंत्र रहा है। इस पर किसी भी अंतर्राष्ट्रीय सहमति या असहमति का सीमा प्रबंधन पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • कूटनीतिक बारीकियां: जयशंकर का बयान कूटनीति की सूक्ष्मता को भी दर्शाता है। “कोई सीधी बात नहीं हुई” का अर्थ यह नहीं हो सकता कि अमेरिका ने भारत से इस मुद्दे पर बात नहीं की होगी, या भारत ने अमेरिका को अपनी स्थिति से अवगत नहीं कराया होगा। कूटनीति में ऐसी कई परतें होती हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

यह घटना अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR) के तहत भारत की विदेश नीति, विशेष रूप से पड़ोसियों के साथ संबंध, और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के संबंधों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह ‘शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (SCO) या ‘ब्रिक्स’ (BRICS) जैसे मंचों पर भी प्रासंगिक हो सकता है, जहाँ ये मुद्दे अप्रत्यक्ष रूप से उठाए जा सकते हैं।

पंजाब में राफेल विमान गिरने का कांग्रेस सांसद का दावा: रक्षा, सूचना और पारदर्शिता का मुद्दा

दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद का राफेल विमान गिरने का दावा अत्यंत संवेदनशील है और यह रक्षा मंत्रालय, वायु सेना की परिचालन क्षमता, और सार्वजनिक डोमेन में सूचना की पारदर्शिता से जुड़ा है।

  • रक्षा खरीद और क्षमता: राफेल लड़ाकू विमान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा खरीद है, जिसे भारतीय वायु सेना की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया है। ऐसे किसी भी विमान की हानि, चाहे वह दुर्घटना हो या अन्य कारण, राष्ट्रीय सुरक्षा और वायु सेना की मारक क्षमता पर सीधा असर डालती है।
  • सूचना की पारदर्शिता और राष्ट्रीय सुरक्षा: रक्षा मंत्रालय या वायु सेना द्वारा ऐसी किसी घटना को गुप्त रखने का आरोप लगाना, अगर सच है, तो यह जनता के प्रति पारदर्शिता के सिद्धांत के खिलाफ जा सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में कुछ जानकारी को वर्गीकृत (classified) रखा जा सकता है, लेकिन अगर यह एक बड़ी घटना है, तो इसे छुपाने की कोशिश संदेह पैदा करती है।
  • राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप: ऐसे दावे अक्सर राजनीतिक उद्देश्यों से भी प्रेरित हो सकते हैं, खासकर जब वे सत्ताधारी सरकार की प्रमुख रक्षा पहलों (जैसे राफेल खरीद) पर सवाल उठाते हैं। कांग्रेस, जो स्वयं राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाती रही है, इस तरह के दावों का उपयोग सरकार पर दबाव बनाने के लिए कर सकती है।
  • प्रक्रियात्मक खामियां या दुर्घटनाएँ: किसी भी अत्याधुनिक सैन्य विमान के संचालन में दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। यह जरूरी नहीं कि यह खरीद प्रक्रिया की खामी हो, बल्कि यह परिचालन संबंधी समस्या, मानव त्रुटि या यांत्रिक विफलता के कारण भी हो सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि क्या घटना की जांच की गई और उसके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया गया।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

यह मुद्दा शासन (Governance) के तहत सूचना की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे सिद्धांतों से जुड़ा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, इसे ‘रक्षा प्रबंधन’, ‘आंतरिक सुरक्षा’ और ‘मीडिया की भूमिका’ जैसे विषयों के तहत भी देखा जा सकता है। रक्षा सौदों की प्रक्रिया, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उनका महत्व, और उन पर सार्वजनिक बहस का महत्व भी इसमें शामिल है।

विश्लेषण: दो घटनाओं का तालमेल और राष्ट्रीय हित

भले ही ये दोनों घटनाएँ सीधे तौर पर एक-दूसरे से जुड़ी न हों, लेकिन एक ही समय में सामने आना और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा विदेश नीति के महत्वपूर्ण पहलुओं को छूना, इन पर समग्रता से विचार करना आवश्यक बनाता है।

  • विदेश नीति बनाम घरेलू मुद्दे: जयशंकर का बयान भारत की विदेश नीति के एक सुसंगत दृष्टिकोण को दर्शाता है, जबकि राफेल पर कांग्रेस का दावा घरेलू रक्षा और शासन के मुद्दों पर केंद्रित है। एक सफल राष्ट्र के लिए, दोनों ही मोर्चों पर स्पष्टता और क्षमता आवश्यक है।
  • सूचना का प्रवाह और राष्ट्रीय हित: राष्ट्रीय हित में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जानकारी, जैसे कि सैन्य विमान दुर्घटनाएं, पारदर्शी तरीके से संभाली जाएं। यदि ऐसी जानकारी को दबाया जाता है, तो यह जनता के विश्वास को ठेस पहुंचा सकता है और गलत सूचनाओं को बढ़ावा दे सकता है।
  • रक्षा सौदों पर निरंतर निगरानी: राफेल जैसे बड़े रक्षा सौदों का लगातार मूल्यांकन और निगरानी की जानी चाहिए। इसमें विमानों के प्रदर्शन, परिचालन लागत, और किसी भी अनपेक्षित समस्या (जैसे दुर्घटनाएं) का पारदर्शी आकलन शामिल है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति: भारत की विदेश नीति को केवल बयानों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि जमीनी हकीकत में भी उसकी ताकत झलकनी चाहिए। इसमें सैन्य क्षमता, प्रभावी सीमा प्रबंधन, और कूटनीतिक प्रभाव शामिल हैं।

सिद्धांतों का महत्व:

संप्रभुता (Sovereignty): भारत का यह रुख कि वह अपने आंतरिक मामलों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा, उसकी संप्रभुता का प्रतीक है।

पारदर्शिता (Transparency): एक लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों के प्रति पारदर्शी रहे, विशेषकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसले हों।

जवाबदेही (Accountability): सरकार को अपनी रक्षा खरीद और सैन्य अभियानों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): यह सर्वोपरि है, और सभी निर्णय इसी को ध्यान में रखकर लिए जाने चाहिए, जिसमें सूचना प्रबंधन भी शामिल है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह:

  • पारदर्शिता और संवेदनशीलता में संतुलन: रक्षा संबंधी मामलों में पूर्ण पारदर्शिता संभव नहीं होती। ऐसे में, सरकार को संवेदनशील जानकारी को कब और कैसे सार्वजनिक करना है, इसका एक स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाना चाहिए।
  • अफवाहों और गलत सूचनाओं का खंडन: जब कोई आरोप लगाया जाता है, खासकर रक्षा से जुड़े, तो संबंधित मंत्रालय को तुरंत और स्पष्ट रूप से तथ्य पेश करने चाहिए ताकि अफवाहें न फैलें।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में रणनीतिक संचार: भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कूटनीतिक स्थिति को स्पष्ट रूप से संप्रेषित करते रहना चाहिए, विशेषकर पाकिस्तान जैसे देशों के साथ सीमा प्रबंधन के मुद्दों पर।
  • रक्षा क्षमताओं का निरंतर उन्नयन: आधुनिक युद्धक्षेत्र की बदलती प्रकृति को देखते हुए, राफेल जैसे लड़ाकू विमानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वायु सेना की क्षमताओं को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए निरंतर निवेश और प्रशिक्षण आवश्यक है।

निष्कर्ष:

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का सीजफायर पर दिया गया बयान भारत की विदेश नीति की सुदृढ़ता और संप्रभुता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वहीं, राफेल विमान गिरने के दावे ने रक्षा संबंधी सूचनाओं के प्रबंधन और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने की चुनौतियों को रेखांकित किया है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इन घटनाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, कूटनीति, शासन और पारदर्शिता के व्यापक संदर्भों में समझना महत्वपूर्ण है। दोनों घटनाओं के अपने-अपने निहितार्थ हैं, और भारत को राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए इन सभी मोर्चों पर संतुलन बनाए रखना होगा।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत के प्रधान मंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच सीजफायर पर सीधी बातचीत हुई थी।
2. भारत की विदेश नीति सामान्यतः पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों को सीधे हल करने पर जोर देती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों
d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: b) केवल 2

व्याख्या: कथन 1 गलत है क्योंकि विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया था कि ऐसी कोई सीधी बातचीत नहीं हुई थी। कथन 2 सही है क्योंकि यह भारत की पारंपरिक विदेश नीति का हिस्सा है।

2. नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर का तंत्र मुख्य रूप से किससे संबंधित है?
a) भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का समाधान
b) भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर सैन्य तनाव को कम करना
c) बांग्लादेश के साथ सीमा पार आवागमन को सुगम बनाना
d) भारतीय नौसेना के जहाजों की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना

उत्तर: b) भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर सैन्य तनाव को कम करना

व्याख्या: नियंत्रण रेखा (LoC) भारत और पाकिस्तान के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा है, जहाँ सीजफायर तंत्र मुख्य रूप से सैन्य तनाव को कम करने के लिए लागू किया गया है।

3. निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है, जिसकी हाल ही में खरीद की गई है?
a) सुखोई-30 MKI
b) मिग-29
c) राफेल
d) तेजस

उत्तर: c) राफेल

व्याख्या: राफेल फ्रांस से खरीदा गया एक आधुनिक बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है, जिसे भारतीय वायु सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए शामिल किया गया है।

4. रक्षा संबंधी सूचनाओं के संबंध में ‘पारदर्शिता’ सिद्धांत का क्या अर्थ है?
a) सभी रक्षा संबंधी जानकारी को जनता के लिए तुरंत उपलब्ध कराना।
b) राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाले बिना, जहाँ तक संभव हो, जानकारी साझा करना और प्रक्रियाओं में स्पष्टता रखना।
c) केवल राजनीतिक दलों को रक्षा खरीद की जानकारी देना।
d) रक्षा सौदों को पूरी तरह से गोपनीय रखना।

उत्तर: b) राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाले बिना, जहाँ तक संभव हो, जानकारी साझा करना और प्रक्रियाओं में स्पष्टता रखना।

व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ संतुलन बनाते हुए, सरकारी कार्यों में स्पष्टता और सूचना की उपलब्धता पारदर्शिता कहलाती है।

5. हालिया घटनाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. विदेश मंत्री का बयान भारत की विदेश नीति में ‘संप्रभुता’ के महत्व को दर्शाता है।
2. राफेल विमान पर कांग्रेस के दावे ने ‘जवाबदेही’ के मुद्दे को उठाया है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों
d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: c) 1 और 2 दोनों

व्याख्या: पहला कथन सही है क्योंकि तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार करना संप्रभुता का प्रतीक है। दूसरा कथन सही है क्योंकि आरोप किसी घटना की जवाबदेही तय करने का प्रयास हो सकता है।

6. विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान, जिसमें उन्होंने प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच सीजफायर पर बातचीत से इनकार किया, निम्नलिखित में से किस कूटनीतिक सिद्धांत को रेखांकित करता है?
a) बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था
b) शक्ति संतुलन
c) द्विपक्षीय संबंध प्रबंधन और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार करना
d) आर्थिक कूटनीति

उत्तर: c) द्विपक्षीय संबंध प्रबंधन और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार करना

व्याख्या: यह बयान स्पष्ट रूप से भारत के द्विपक्षीय मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप को रोकने की नीति को दर्शाता है।

7. निम्नलिखित में से किस राजनीतिक दल ने हाल ही में पंजाब के पास राफेल विमान के गिरने का दावा किया था?
a) भारतीय जनता पार्टी (BJP)
b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
c) आम आदमी पार्टी (AAP)
d) बहुजन समाज पार्टी (BSP)

उत्तर: b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)

व्याख्या: प्रश्न के अनुसार, यह दावा कांग्रेस के एक सांसद द्वारा किया गया था।

8. भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ (Neighbourhood First) नीति के संदर्भ में, पाकिस्तान के साथ संबंध कैसा रहा है?
a) हमेशा सौहार्दपूर्ण और सहयोगपूर्ण
b) तनावपूर्ण, आतंकवाद और सीमा पार घुसपैठ जैसे मुद्दों के कारण
c) पूरी तरह से उदासीन
d) केवल आर्थिक सहयोग पर केंद्रित

उत्तर: b) तनावपूर्ण, आतंकवाद और सीमा पार घुसपैठ जैसे मुद्दों के कारण

व्याख्या: भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के बावजूद, पाकिस्तान के साथ संबंध लगातार आतंकवाद, सीमा पर घुसपैठ और अविश्वास जैसे मुद्दों के कारण तनावपूर्ण रहे हैं।

9. “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख किस संदर्भ में किया गया है, भले ही प्रश्न के मुख्य भाग में इसका सीधा संबंध स्पष्ट न हो?
a) भारतीय सेना द्वारा कश्मीर में घुसपैठ को रोकने का एक अभियान
b) एक ऐसी पृष्ठभूमि या घटना जिसका उल्लेख संदर्भ देने के लिए किया गया था, जबकि मुख्य बिंदु सीजफायर और राफेल पर बयान थे।
c) भारत-श्रीलंका संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू
d) सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने का एक सरकारी कार्यक्रम

उत्तर: b) एक ऐसी पृष्ठभूमि या घटना जिसका उल्लेख संदर्भ देने के लिए किया गया था, जबकि मुख्य बिंदु सीजफायर और राफेल पर बयान थे।

व्याख्या: प्रश्न के शीर्षक में “ऑपरेशन सिंदूर पर बहस” का उल्लेख है, लेकिन दिए गए विवरण में मुख्य फोकस विदेश मंत्री के बयान और कांग्रेस सांसद के दावे पर है। यह संभव है कि “ऑपरेशन सिंदूर” कोई पिछला घटनाक्रम हो जिसने इन बहसों को जन्म दिया हो, लेकिन प्रश्न का मूल विश्लेषण सीजफायर और राफेल पर केंद्रित है।

10. रक्षा खरीद में ‘पारदर्शिता’ का अभाव किस गंभीर समस्या को जन्म दे सकता है?
a) केवल सरकारी जवाबदेही में वृद्धि
b) जनता के विश्वास में कमी और भ्रष्टाचार के आरोप
c) अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक संबंधों में सुधार
d) वायु सेना की परिचालन क्षमता में स्वचालित वृद्धि

उत्तर: b) जनता के विश्वास में कमी और भ्रष्टाचार के आरोप

व्याख्या: जब रक्षा खरीद जैसी संवेदनशील प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी होती है, तो यह जनता के विश्वास को erode कर सकता है और भ्रष्टाचार के आरोपों को जन्म दे सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भारत की विदेश नीति के सिद्धांतों पर चर्चा करें, विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों के प्रबंधन और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के जुड़ाव के संबंध में। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हालिया सीजफायर पर बयान के आलोक में इसका विश्लेषण करें।
(अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारतीय विदेश नीति, कूटनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा)

2. रक्षा सौदों में पारदर्शिता, जवाबदेही और राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाना चाहिए? एक उन्नत लड़ाकू विमान की खरीद और उसके परिचालन संबंधी दावों के उदाहरण का उपयोग करके इस पर प्रकाश डालें।
(शासन, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा प्रबंधन, पारदर्शिता, सार्वजनिक विश्वास)

3. हालिया घटनाओं के आधार पर, भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में सूचना प्रबंधन और सार्वजनिक संचार की भूमिका का विश्लेषण करें। राष्ट्रीय हित में संवेदनशील जानकारी को साझा करने और गुप्त रखने के बीच अंतर कैसे किया जाना चाहिए?
(आंतरिक सुरक्षा, शासन, मीडिया की भूमिका, राष्ट्रीय सुरक्षा, संचार)

4. भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर की स्थिति का विश्लेषण करें। इस तंत्र की प्रभावशीलता, इसके उल्लंघन के कारण, और सीमा पर तनाव कम करने में इसकी भूमिका का मूल्यांकन करें। किसी भी बाहरी मध्यस्थता की भूमिका पर भी विचार करें।
(अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, भारत-पाकिस्तान संबंध)

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