राजव्यवस्था महारथी: अपनी पकड़ मजबूत करें – दैनिक प्रश्नोत्तरी
भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने को समझना परीक्षा की तैयारी का आधार है। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने और राजव्यवस्था की गहरी समझ को निखारने के लिए तैयार हो जाइए! आज की यह प्रश्नोत्तरी आपके ज्ञान की परीक्षा लेगी और आपको परीक्षा के लिए और भी सुदृढ़ बनाएगी। आइए, मिलकर भारतीय संविधान की जटिलताओं को सुलझाएं!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। प्रस्तावना संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था। ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों को समान सम्मान देगा।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया और कुछ अन्य प्रावधानों को सुरक्षित किया। 52वां संशोधन, 1985 दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन, 1989 ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
- अस्पृश्यता का अंत (अनुच्छेद 17)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद के प्रतिषेध की बात करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकारों को दो श्रेणियों में बांटा गया है: जो केवल नागरिकों को प्राप्त हैं (अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30) और जो सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं (अनुच्छेद 14, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28)। अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण), और अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत) सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 17 उन अधिकारों में शामिल हैं जो नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध हैं।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 57
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 62
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 61 में उल्लिखित है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का आधार ‘संविधान का अतिक्रमण’ है। यह एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जो संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा शुरू की जा सकती है। महाभियोग चलाने के लिए, आरोप लगाने वाले सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक लिखित सूचना, जिस पर कम से कम 14 दिन का पूर्व नोटिस दिया गया हो, राष्ट्रपति को दी जानी चाहिए। इसके बाद, उस सदन के दो-तिहाई बहुमत से संकल्प पारित होने पर, आरोप दूसरे सदन को भेजा जाता है, जो आरोपों की जांच करता है। यदि दूसरा सदन भी दो-तिहाई बहुमत से संकल्प पारित कर दे, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल की शर्तों का उल्लेख करता है, अनुच्छेद 57 पुनः निर्वाचन की पात्रता और अनुच्छेद 62 राष्ट्रपति के पद में रिक्ति भरने के लिए चुनाव कराने का उपबंध करता है।
प्रश्न 4: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 316(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC भारतीय संविधान द्वारा स्थापित एक अखिल भारतीय संस्था है जो केंद्र सरकार की सेवाओं के लिए भर्ती करती है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान UPSC सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में नहीं है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 226
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 136
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर किसी भी व्यक्ति या प्राधिकारी को, जिसमें सरकार भी शामिल है, मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए या ‘किसी अन्य उद्देश्य’ के लिए रिट (जैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति से व्यापक है, क्योंकि यह ‘किसी अन्य उद्देश्य’ के लिए भी रिट जारी कर सकते हैं, जो मौलिक अधिकार न हों। अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है, और अनुच्छेद 136 विशेष अनुमति याचिका (SLP) से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित है, न कि उच्च न्यायालयों से। अनुच्छेद 131 और 136 का संबंध रिट जारी करने से नहीं है।
प्रश्न 6: संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख किस रूप में किया गया है?
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
- केवल सामाजिक और आर्थिक
- केवल राजनीतिक और धार्मिक
- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का आश्वासन देती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का संकल्प व्यक्त करती है और अपने सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करती है: न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक), स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की), समानता (प्रतिष्ठा और अवसर की), और बंधुत्व (व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता)।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में धार्मिक न्याय का उल्लेख स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है, हालांकि पंथनिरपेक्षता अप्रत्यक्ष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 7: कौन सा संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसने अनुच्छेद 243 से 243O तक नए प्रावधान जोड़े।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को देश के विकेन्द्रीकृत शासन का तीसरा स्तर बनाया। इसने पंचायतों के लिए तीन-स्तरीय संरचना (ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर) का प्रावधान किया, सदस्यों का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष चुनाव, सीटों का आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए), और पंचायतों को हस्तांतरित किए जाने वाले 29 विषय शामिल किए।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) से संबंधित है। 86वां संशोधन, 2002 शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाता है। 97वां संशोधन, 2011 सहकारी समितियों से संबंधित है।
प्रश्न 8: किसी राज्य का राज्यपाल अपने कार्यों के संपादन और उत्तरदायित्वों के निर्वहन में किसकी सलाह लेता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- राज्य के मुख्यमंत्री
- राज्य की मंत्रिपरिषद
- राज्य विधानमंडल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 163(1) के अनुसार, राज्यपाल अपने पद के कर्तव्यों के निष्पादन में, उन कार्यों को छोड़कर जिनके लिए उसे विवेक का प्रयोग करने की शक्ति दी गई है, अपनी मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करेगा, जिसका मुखिया मुख्यमंत्री होता है।
- संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ मंत्रिपरिषद (मुख्यमंत्री के नेतृत्व में) के पास होती हैं। कुछ मामलों में, जैसे कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति, राष्ट्रपति शासन की सिफारिश, या राज्य विधानमंडल को विधेयक वापस भेजना, राज्यपाल अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है, लेकिन सामान्यतः वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कार्य करता है।
- गलत विकल्प: राज्यपाल सीधे राष्ट्रपति या राज्य विधानमंडल की सलाह नहीं लेता; उसकी सलाह का मुख्य स्रोत राज्य की मंत्रिपरिषद है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य नहीं है?
- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना और हिंसा से दूर रहना।
- सभी धर्मों का समान रूप से आदर करना।
- बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: मौलिक कर्तव्य संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत सूचीबद्ध हैं। विकल्प (d) ‘बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना’ एक मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21A) है, न कि मौलिक कर्तव्य।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था, जिसकी सिफारिश स्वर्ण सिंह समिति ने की थी। मौलिक कर्तव्य नागरिकों के नैतिक दायित्व हैं। विकल्प (a) और (b) अनुच्छेद 51A(a) और 51A(c) के तहत आते हैं। अनुच्छेद 51A(e) लिंग भेद के विरुद्ध राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने वाले बंधुत्व के बारे में बात करता है, जिसे सभी धर्मों के समान आदर के संदर्भ में समझा जा सकता है, हालांकि ‘सभी धर्मों का समान रूप से आदर करना’ एक मौलिक कर्तव्य के रूप में सीधे तौर पर सूचीबद्ध नहीं है, बल्कि यह पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत के अंतर्गत आता है। लेकिन स्पष्ट रूप से, शिक्षा के अवसर प्रदान करना मौलिक अधिकार है।
- गलत विकल्प: (a), (b) स्पष्ट रूप से मौलिक कर्तव्य हैं। (c) अप्रत्यक्ष रूप से मौलिक कर्तव्यों और मौलिक अधिकारों के अधीन है। (d) स्पष्ट रूप से एक मौलिक अधिकार है।
प्रश्न 10: संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे?
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- पंडित जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: संविधान सभा की प्रारूप समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अंबेडकर थे।
- संदर्भ और विस्तार: प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त, 1947 को हुआ था और इसका मुख्य कार्य भारत के नए संविधान का मसौदा तैयार करना था। इसमें कुल सात सदस्य थे, जिसमें डॉ. अंबेडकर के अलावा एन. गोपालस्वामी अयंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, के. एम. मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्ला, बी. एल. मित्रा और डी. पी. खेतान (बाद में टी. टी. कृष्णमाचारी द्वारा प्रतिस्थापित) शामिल थे। डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है।
- गलत विकल्प: डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू संघ संविधान समिति के अध्यक्ष थे। सरदार पटेल मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातीय क्षेत्रों की सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे।
प्रश्न 11: किस अनुच्छेद के तहत संसद को यह अधिकार है कि वह किसी विशेष वर्ग के नागरिकों के लिए कुछ विशेष प्रावधान कर सकती है?
- अनुच्छेद 15(1)
- अनुच्छेद 15(4)
- अनुच्छेद 16(1)
- अनुच्छेद 16(4)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 15(4) के तहत, संसद या राज्य विधानमंडल को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए वर्गों के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति है, भले ही यह अनुच्छेद 15(1) के सामान्य गैर-भेदभाव के सिद्धांत का उल्लंघन करता हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह उप-अनुच्छेद 1951 में कास्तूरी कामराज मद्रास मामले के बाद प्रथम संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए सकारात्मक कार्रवाई (affirmative action) को सक्षम करना है। अनुच्छेद 16(4) लोक नियोजन के मामलों में आरक्षण से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15(1) धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16(1) लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की गारंटी देता है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य भारत में सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था अपनाने वाला राज्य था?
- राजस्थान
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- आंध्र प्रदेश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राजस्थान भारत में पंचायती राज व्यवस्था अपनाने वाला पहला राज्य था, जिसने 2 अक्टूबर, 1959 को नागौर जिले के बगदरी गांव में बलवंत राय मेहता की सिफारिशों के आधार पर इसे लागू किया।
- संदर्भ और विस्तार: पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना था। इसे ‘सामुदायिक विकास कार्यक्रम’ के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था। राजस्थान के बाद, आंध्र प्रदेश ने दूसरा स्थान हासिल किया।
- गलत विकल्प: उत्तर प्रदेश और बिहार ने बाद में इस व्यवस्था को अपनाया।
प्रश्न 13: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- योजना आयोग का उपाध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) भारत में एक गैर-संवैधानिक निकाय है, जिसका गठन 6 अगस्त, 1952 को पंचवर्षीय योजनाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने और उन्हें मंजूरी देने हेतु किया गया था। इसके पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक/प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देता है और राष्ट्रीय नीतियों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, वित्त मंत्री या योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष, NDC के पदेन अध्यक्ष नहीं होते।
प्रश्न 14: भारत में निम्नलिखित में से कौन सी आपातकालीन व्यवस्था है जो केवल राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर लागू की जा सकती है?
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) (अनुच्छेद 356)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत ‘राज्य आपातकाल’ या ‘राष्ट्रपति शासन’ केवल किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल होने की स्थिति में लागू किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि किसी राज्य का राज्यपाल यह रिपोर्ट करता है कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि वहाँ की सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाई जा सकती, या यदि राज्यपाल को ऐसे रिपोर्ट के अभाव में भी, राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है, तो राष्ट्रपति उस राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकता है। यह घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू होता है। वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा होने पर लागू होता है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान का कौन सा भाग नागरिकता से संबंधित है?
- भाग I
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग II (अनुच्छेद 5 से 11) नागरिकता से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति के बारे में प्रारंभिक प्रावधान करता है, जैसे कि संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता। नागरिकता से संबंधित विस्तृत कानून बनाने का अधिकार संसद को अनुच्छेद 11 के तहत दिया गया है, जिसने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया।
- गलत विकल्प: भाग I संघ और उसके राज्य क्षेत्र से संबंधित है। भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है।
प्रश्न 16: संसद में शून्य काल (Zero Hour) की अवधि क्या है?
- प्रश्नकाल के ठीक बाद का समय, जब सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से किसी भी महत्वपूर्ण मामले को उठाते हैं।
- प्रश्नकाल से ठीक पहले का समय, जब सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से कोई भी महत्वपूर्ण मामला उठाते हैं।
- सत्र का अंतिम घंटा, जब महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा होती है।
- यह समय-सारणी में निश्चित है और 1 घंटे का होता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: शून्य काल (Zero Hour) भारतीय संसदीय प्रक्रिया का एक अनौपचारिक हिस्सा है, जो प्रश्नकाल के ठीक बाद (लगभग दोपहर 12 बजे से शुरू होकर) और एजेंडे के अन्य विधायी कार्यों से पहले का समय होता है। इस दौरान, सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामलों को उठाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: शून्य काल 1962 में शुरू हुआ था जब सदस्यों को प्रश्नकाल के तुरंत बाद तत्काल महत्व के मुद्दों को उठाने की अनुमति दी गई थी। इसमें कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक चलता है। यह भारतीय संसदीय नवाचार का एक उदाहरण है।
- गलत विकल्प: शून्य काल प्रश्नकाल के बाद शुरू होता है, पहले नहीं। यह एजेंडे के अनुसार निश्चित नहीं होता, बल्कि सदस्यों द्वारा महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 17: किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी भी समय लोक महत्व के मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ले सकता है?
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 141
- अनुच्छेद 144
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को लोक महत्व के किसी भी प्रश्न पर या किसी ऐसे प्रश्न पर जिस पर सामान्य या विशेष विधि के किसी नियम के लागू होने का प्रभाव हो, सर्वोच्च न्यायालय से सलाह मांगने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सलाह सर्वोच्च न्यायालय के लिए बाध्यकारी नहीं होती है। यह सलाह राष्ट्रपति को निर्णय लेने में सहायता करती है। सर्वोच्च न्यायालय उस मामले पर सुनवाई करता है और अपना मत देता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का प्रवर्तन, अनुच्छेद 141 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून को सभी अदालतों पर बाध्यकारी होना, और अनुच्छेद 144 नागरिक और न्यायिक प्राधिकारियों का सर्वोच्च न्यायालय की सहायता में कार्य करना से संबंधित हैं।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ और ‘बंधुत्व’ के आदर्श किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- ब्रिटेन
- फ्रांस
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) से बहुत अधिक प्रभावित हैं, और इन आदर्शों को फ्रांस के संविधान से प्रेरणा लेते हुए भारतीय संविधान में शामिल किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रांसीसी क्रांति का नारा ‘Liberté, égalité, fraternité’ (स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) आधुनिक लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभों में से है। ये आदर्श भारत के संविधान की प्रस्तावना में वर्णित हैं और भारतीय गणराज्य की आकांक्षाओं को दर्शाते हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार और न्यायिक पुनर्विलोकन, ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली और विधि का शासन, और कनाडा से संघात्मक व्यवस्था के तत्व लिए गए हैं।
प्रश्न 19: संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन भारत का ‘प्राथमिकता क्रम’ (Order of Precedence) में सबसे ऊपर है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत सरकार के ‘प्राथमिकता क्रम’ (Order of Precedence) के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च स्थान पर हैं। यह क्रम संविधान में सीधे तौर पर उल्लेखित नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा जारी किए गए एक प्रोटोकॉल का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह क्रम भारत के संवैधानिक और सार्वजनिक जीवन में विभिन्न पदाधिकारियों की वरिष्ठता को दर्शाता है। इस क्रम में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल (अपने राज्यों में), पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष का स्थान आता है।
- गलत विकल्प: हालांकि उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन प्राथमिकता क्रम में राष्ट्रपति सर्वोपरि हैं।
प्रश्न 20: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र’ (National Capital Territory) घोषित कर सकता है?
- अनुच्छेद 239AA
- अनुच्छेद 239AB
- अनुच्छेद 240
- अनुच्छेद 241
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: संविधान के 69वें संशोधन अधिनियम, 1991 द्वारा अनुच्छेद 239AA जोड़ा गया, जिसने दिल्ली को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र’ (NCT) का विशेष दर्जा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत, दिल्ली के लिए एक विधान सभा और मंत्रिपरिषद की व्यवस्था की गई है, जो कुछ मामलों को छोड़कर, राज्य सरकार की तरह कार्य कर सकती है। राष्ट्रपति दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित कर सकते हैं और उस क्षेत्र के लिए विधान सभा की व्यवस्था कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 239AB कुछ राज्यों के संबंध में विशेष प्रावधानों से संबंधित है। अनुच्छेद 240 कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 241 संघ राज्यक्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालयों से संबंधित है।
प्रश्न 21: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- विधि मंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। उन्हें उस व्यक्ति के रूप में नियुक्त किया जाता है जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य हो। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, विधि मंत्री या मुख्य न्यायाधीश महान्यायवादी की नियुक्ति नहीं करते।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान में ‘मूल अधिकारों’ (Fundamental Rights) का विचार किस देश के संविधान से लिया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- ब्रिटेन
- आयरलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘मूल अधिकारों’ (Fundamental Rights) का विचार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिका के संविधान में ‘बिल ऑफ राइट्स’ (Bill of Rights) के रूप में मौलिक अधिकारों का प्रावधान है। भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35) वर्णित हैं, जो नागरिकों को राज्य की शक्ति के विरुद्ध कुछ गारंटी प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: ब्रिटेन से संसदीय शासन प्रणाली, आयरलैंड से राज्य के नीति निदेशक तत्व, और ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची का प्रावधान लिया गया है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा कथन **असत्य** है?
- संविधान की प्रस्तावना न तो अधिकारों का स्रोत है और न ही शक्तियों का स्रोत।
- प्रस्तावना का उद्देश्य भारतीय संविधान के निर्माताओं के विचारों को स्पष्ट करता है।
- प्रस्तावना को न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है।
- प्रस्तावना संविधान के भाग नहीं है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का **भाग है**। इसलिए, विकल्प (d) असत्य है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के महत्वपूर्ण अंग के रूप में कार्य करती है, जो उसके उद्देश्यों, दर्शन और शक्तियों के स्रोतों को स्पष्ट करती है। यह न तो शक्तियों का स्रोत है और न ही अधिकारों का, लेकिन यह संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों की व्याख्या के लिए एक मार्गदर्शक है (विकल्प a सत्य है)। यह संविधान निर्माताओं के विचारों (mind of the makers) को भी स्पष्ट करती है (विकल्प b सत्य है)। प्रस्तावना के उपबंधों को सामान्यतः किसी भी भारतीय न्यायालय द्वारा सीधे लागू नहीं किया जा सकता है, जब तक कि वे किसी मौलिक अधिकार या अन्य लागू योग्य प्रावधान से संबंधित न हों (विकल्प c सत्य है)।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) असत्य है क्योंकि प्रस्तावना संविधान का भाग मानी जाती है।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन ‘लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण’ से संबंधित है?
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
- 77वां संशोधन अधिनियम, 1995
- 85वां संशोधन अधिनियम, 2001
- 95वां संशोधन अधिनियम, 2009
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: 95वां संशोधन अधिनियम, 2009, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को 10 वर्षों के लिए (अर्थात् 25 जनवरी, 2020 तक) बढ़ाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आरक्षण मूल रूप से संविधान के अनुच्छेद 334 में प्रदान किया गया था और समय-समय पर इसका नवीनीकरण किया गया है। 95वें संशोधन ने इसे 2010 से आगे 10 वर्षों के लिए विस्तारित किया। (बाद में, 104वें संशोधन, 2019 ने इस अवधि को 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ा दिया और आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए आरक्षण समाप्त कर दिया।)
- गलत विकल्प: 65वां संशोधन, 1990 SC/ST के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना से संबंधित था। 77वां संशोधन, 1995 पदोन्नति में आरक्षण (SC/ST) के प्रावधान से संबंधित था। 85वां संशोधन, 2001 पदोन्नति में आरक्षण को वरिष्ठता के आधार पर ‘ओवरराइडिंग इफेक्ट’ देने से संबंधित था।
प्रश्न 25: किस अनुच्छेद के तहत राज्य को नीति निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया गया है?
- अनुच्छेद 37
- अनुच्छेद 38
- अनुच्छेद 39
- अनुच्छेद 40
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 37 कहता है कि इस भाग में अंतर्विष्ट तत्व (राज्य के नीति निदेशक तत्व) देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इन तत्वों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 37 यह स्पष्ट करता है कि डी.पी.एस.पी. नागरिकों के प्रति राज्य के ‘कर्तव्यों’ को परिभाषित करते हैं, न कि उनके ‘अधिकारों’ को। वे गैर-न्यायसंगत (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि कोई भी नागरिक उनके उल्लंघन के लिए न्यायालय में नहीं जा सकता। हालाँकि, वे देश के शासन में मूलभूत हैं और राज्य को इन्हें लागू करने वाले कानून बनाने चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 38 राज्य द्वारा लोक कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास करने से संबंधित है। अनुच्छेद 39 कुछ विशिष्ट निर्देशक सिद्धांतों को सूचीबद्ध करता है (जैसे समान कार्य के लिए समान वेतन, धन का समान वितरण)। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के गठन से संबंधित है।