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राजव्यवस्था की महापरीक्षा: अपनी पकड़ मज़बूत करें

राजव्यवस्था की महापरीक्षा: अपनी पकड़ मज़बूत करें

नमस्कार, भविष्य के निर्माताओं! भारतीय राजव्यवस्था के महासागर में आज फिर गोता लगाने का समय आ गया है। हर दिन, संविधान के इन गहन सिद्धांतों पर अपनी समझ को परखना, आपकी सफलता की राह को और भी प्रशस्त करेगा। क्या आप अपने ज्ञान की धार को तेज़ करने और अपने सपनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत करने के लिए तैयार हैं? आइए, आज की इस विस्तृत प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी यात्रा को जारी रखें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इस संशोधन को ‘मिनी-संविधान’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था और इसने प्रस्तावना के मूल स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इसका उद्देश्य भारतीय राज्य को अधिक कल्याणकारी और सामाजिक न्याय पर केंद्रित राज्य के रूप में परिभाषित करना था।
  • अशुद्ध विकल्प: 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया था। 52वां संशोधन, 1985 दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है (दसवीं अनुसूची)। 61वां संशोधन, 1989 ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की थी।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. किसी भी अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
  3. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के विभेद का प्रतिषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह मौलिक अधिकार सुनिश्चित करता है कि राज्य किसी भी नागरिक के साथ इन आधारों पर भेदभाव नहीं करेगा। यह भारतीय नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) भारत में विधि के समक्ष सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं।

प्रश्न 3: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है।
  3. CAG को केवल दुर्व्यवहार या असमर्थता के आधार पर ही पद से हटाया जा सकता है।
  4. CAG अपनी रिपोर्ट सीधे संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्टें राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाता है (अनुच्छेद 148)। इसलिए, यह कहना कि वह सीधे संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है, असत्य है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारतीय वित्त का संरक्षक होता है और यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का व्यय निर्धारित नियमों और उपबंधों के अनुसार हो। इसकी नियुक्ति, कार्यकाल और पदमुक्ति संबंधी प्रावधान अनुच्छेद 148, 149, 150 और 151 में हैं। CAG को केवल संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया के समान ही हटाया जा सकता है, जो कि दुर्व्यवहार या असमर्थता पर आधारित है।
  • अशुद्ध विकल्प: (a) सत्य है, नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। (b) सत्य है, कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष है। (c) सत्य है, पदमुक्ति की प्रक्रिया कठिन है। (d) असत्य है क्योंकि रिपोर्ट राष्ट्रपति को दी जाती है।

प्रश्न 4: भारतीय संसद के संयुक्त सत्र की अध्यक्षता कौन करता है?

  1. भारत का राष्ट्रपति
  2. भारत का उपराष्ट्रपति
  3. लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker)
  4. राज्यसभा का सभापति (Chairman)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 108 के अनुसार, किसी विधेयक पर गतिरोध की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा बुलाए गए संसद के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker) करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यदि लोकसभा का अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्यसभा का सभापति संयुक्त सत्र की अध्यक्षता करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उपराष्ट्रपति, जो कि राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, संयुक्त सत्र की अध्यक्षता नहीं करता है।
  • अशुद्ध विकल्प: राष्ट्रपति संयुक्त सत्र आहूत (summon) करता है, अध्यक्षता नहीं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है, लेकिन संयुक्त सत्र की अध्यक्षता तब ही करेगा जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों अनुपस्थित हों।

प्रश्न 5: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. यह शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को प्राप्त है।
  2. यह शक्ति किसी न्यायालय द्वारा दिए गए मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकती है।
  3. यह शक्ति केवल संघ सूची के विषयों से संबंधित अपराधों तक सीमित है।
  4. राष्ट्रपति अपनी क्षमादान की शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की शक्ति प्राप्त है, जिसमें मृत्युदंड को भी क्षमा करना, दंड को लघुकरण (commute) करना, परिनिर्बंधन (reprieve) या प्रविलंबन (respite) करना, या अपराध के दंडादेश या दंड के स्वरूप को प्रतिसंहरित (remit) करना शामिल है। यह शक्ति केवल संघ सूची के विषयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसी ऐसे अपराध के लिए भी है जो ऐसे विषयों से संबंधित है जिनके संबंध में विधि बनाने की शक्ति संसद को है, और उन सभी मामलों में भी है जिनमें दंडादेश या दंड सेना न्यायालयों द्वारा दिया गया हो, अथवा ऐसे सभी मामलों में जहाँ दंडादेश या दंड, विधि के अनुसार किया गया हो, जिसमें मृत्यु का दंड शामिल है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का प्रयोग न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकता है, जैसा कि ‘शत्रुघ्न सिंह बनाम बिहार राज्य’ (1981) और ‘मराठवाड़ा विश्वविद्यालय बनाम कामताकर’ (1989) जैसे मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने स्थापित किया है। राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग सामान्यतः मंत्रिपरिषद की सलाह से करता है, लेकिन यह सलाहकारी प्रकृति की होती है और राष्ट्रपति चाहें तो पुनर्विचार के लिए भेज सकते हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: (a) सत्य है। (b) सत्य है, मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकते हैं। (c) असत्य है। (d) सामान्यतः सत्य है, हालांकि सलाहकारी प्रकृति की है।

प्रश्न 6: पंचायती राज संस्थाओं के संबंध में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी गई?

  1. दसवीं अनुसूची
  2. ग्यारहवीं अनुसूची
  3. बारहवीं अनुसूची
  4. नौवीं अनुसूची

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन पर वे कानून बना सकती हैं और उन्हें लागू कर सकती हैं। इस अधिनियम ने संविधान में भाग IX (पंचायतों) भी जोड़ा।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन भारतीय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की संरचना को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है, जिससे वे अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनती हैं। यह बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के अनुरूप है जिसने त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली का सुझाव दिया था।
  • अशुद्ध विकल्प: दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी प्रावधानों (52वां संशोधन), बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (74वां संशोधन), और नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित है (पहला संशोधन)।

प्रश्न 7: राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the State) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. राज्य के मुख्यमंत्री
  3. राज्य के राज्यपाल
  4. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 165 में प्रावधानित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: महाधिवक्ता राज्य सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और राज्य के विधानमंडल के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार रखता है, लेकिन मत देने का अधिकार नहीं। वह वही योग्यताएँ रखता है जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए आवश्यक होती हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: राष्ट्रपति केंद्र सरकार के महाधिवक्ता (Attorney General) की नियुक्ति करते हैं (अनुच्छेद 76)। मुख्यमंत्री या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की शक्ति महाधिवक्ता की नियुक्ति के संबंध में नहीं है।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. कनाडा
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ की शक्ति, अर्थात संसद द्वारा पारित किसी भी कानून की संवैधानिकता की समीक्षा करने और उसे रद्द करने की शक्ति, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है। हालाँकि, भारत में न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था अमेरिका की तुलना में अधिक सीमित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार अनुच्छेद 13 (जो घोषित करता है कि मौलिक अधिकारों से असंगत विधियाँ शून्य होंगी) और अनुच्छेद 32 व 226 (जो रिट जारी करने की शक्ति देते हैं) हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) मामले में न्यायिक पुनर्विलोकन को संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) का हिस्सा माना है।
  • अशुद्ध विकल्प: यूके से हमने संसदीय प्रणाली ली है। कनाडा से संघात्मक व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियाँ। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त सत्र का प्रावधान।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को लोक पद पर बने रहने की वैधता की जाँच करने के लिए जारी की जाती है?

  1. हबीएस कॉर्पस (Habeas Corpus)
  2. मेंडमस (Mandamus)
  3. प्रोहिबिशन (Prohibition)
  4. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘अधिकार पृच्छा’ (Quo Warranto) की रिट का अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से कब्जा करने पर उसे हटाने के लिए जारी की जाती है। यह उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत जारी की जाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस रिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति गैर-कानूनी तरीके से सार्वजनिक कार्यालय पर काबिज न रहे। यह केवल सार्वजनिक पद के लिए ही जारी की जा सकती है, न कि निजी पद के लिए।
  • अशुद्ध विकल्प: ‘हबीएस कॉर्पस’ किसी बंदी व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु जारी होती है। ‘मेंडमस’ किसी लोक अधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश देने हेतु जारी होती है। ‘प्रोहिबिशन’ किसी अधीनस्थ न्यायालय या अधिकरण को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने हेतु जारी होती है।

प्रश्न 10: दल-बदल के आधार पर किसी सदन के सदस्य की अयोग्यता से संबंधित उपबंध किस अनुसूची में हैं?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. आठवीं अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. दसवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल के आधार पर किसी सदन के सदस्य की अयोग्यता से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दिए गए हैं। इस अनुसूची को 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दसवीं अनुसूची का मुख्य उद्देश्य सांसदों और विधायकों को दल-बदल करने से रोकना था, जो कि राजनीतिक अस्थिरता का एक प्रमुख कारण बन गया था। यह उन आधारों को परिभाषित करती है जिन पर एक सदस्य को दल-बदल के कारण अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
  • अशुद्ध विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों से संबंधित है। आठवीं अनुसूची मान्यता प्राप्त भाषाओं से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण करती है।

प्रश्न 11: राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति किस अनुच्छेद में वर्णित है?

  1. अनुच्छेद 111
  2. अनुच्छेद 123
  3. अनुच्छेद 143
  4. अनुच्छेद 213

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत प्राप्त है। जब संसद का कोई भी सदन सत्र में न हो और ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाएं कि राष्ट्रपति के लिए तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक हो, तो वह अध्यादेश जारी कर सकते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अध्यादेश का वही प्रभाव और बल होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है, लेकिन यह संसद के पुनःसत्र में आने के छह सप्ताह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना अनिवार्य है, अन्यथा यह तब से अप्रभावी हो जाता है। यह शक्ति अनुच्छेद 123 में राष्ट्रपति के लिए तथा अनुच्छेद 213 में राज्यपाल के लिए दी गई है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 111 राष्ट्रपति की वीटो शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 213 राज्यपाल की अध्यादेश शक्ति से है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार भारतीय संविधान में केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  2. गिरफ्तारी और निरोध के विरुद्ध संरक्षण (अनुच्छेद 22)
  3. शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21A)
  4. कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: शिक्षा का अधिकार, जो अनुच्छेद 21A के तहत एक मौलिक अधिकार है, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। यह अधिकार 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अधिकार 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। यह सुनिश्चित करता है कि देश के सभी युवा नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिले।
  • अशुद्ध विकल्प: धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28), गिरफ्तारी और निरोध के विरुद्ध संरक्षण (अनुच्छेद 22), और कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को उपलब्ध हैं।

प्रश्न 13: भारत में लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया निम्नलिखित में से किस अधिनियम के तहत निर्धारित की गई है?

  1. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
  2. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
  3. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
  4. नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत में लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013’ के तहत निर्धारित की गई है। यह अधिनियम भारत में भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र निकाय (लोकपाल) स्थापित करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस अधिनियम ने प्रधानमंत्री, मंत्रियों, सांसदों और उच्च सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की स्थापना का प्रावधान किया। यह अधिनियम लंबे समय से चल रहे जन आंदोलनों का परिणाम था।
  • अशुद्ध विकल्प: सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधों को परिभाषित करता है। नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम अस्पृश्यता (untouchability) को समाप्त करता है।

प्रश्न 14: ‘नीति निर्देशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) संविधान के किस भाग में वर्णित हैं?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IVA
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: नीति निर्देशक तत्व भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक में वर्णित हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये तत्व राज्य को निर्देशित करते हैं कि वह शासन के संचालन में इन सिद्धांतों को आधार बनाए। इनका उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं। आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ के बारे में है।

प्रश्न 15: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या अर्थ है?

  1. केवल राजनीतिक न्याय
  2. केवल आर्थिक न्याय
  3. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  4. सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक न्याय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ शब्द का अर्थ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय से है। ये तीनों प्रकार के न्याय सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है कि किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो। आर्थिक न्याय का अर्थ है कि आय, संपत्ति और आर्थिक स्थिति के आधार पर कोई असमानता न हो। राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों, जैसे कि मतदान का अधिकार और सार्वजनिक पदों तक पहुँच।
  • अशुद्ध विकल्प: प्रस्तावना में धार्मिक न्याय का सीधा उल्लेख नहीं है, हालाँकि ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द से धर्म की स्वतंत्रता का भाव निहित है, लेकिन न्याय के दायरे में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है।

प्रश्न 16: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) किस मौलिक अधिकार से संबंधित है?

  1. समानता का अधिकार
  2. स्वतंत्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19(1)(a) ‘भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ (Freedom of Speech and Expression) के अधिकार से संबंधित है, जो स्वतंत्रता के अधिकार (Part III) का हिस्सा है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अधिकार भारतीय नागरिकों को शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने, संगठन या संघ बनाने, भारत में कहीं भी आने-जाने, भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने, तथा कोई भी पेशा, आजीविका, व्यापार या व्यवसाय करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है (अनुच्छेद 19(1)(b) से (g) तक)। हालांकि, इन स्वतंत्रताओं पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: समानता का अधिकार अनुच्छेद 14-18 में है। शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 23-24 में है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25-28 में है।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेता है?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. लोकसभा के मनोनीत सदस्य
  3. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  4. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) और राज्यसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं। इसलिए, लोकसभा के मनोनीत सदस्य (option b) निश्चित रूप से भाग नहीं लेते। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए अनुच्छेद 66 को देखना चाहिए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। यह मंडल आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।
  • अशुद्ध विकल्प: (a) भाग लेते हैं। (c) भाग लेते हैं। (d) भाग लेते हैं। केवल (b) भाग नहीं लेते क्योंकि लोकसभा में मनोनीत सदस्य (आंग्ल-भारतीय समुदाय के, जो अब समाप्त हो गया है) राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते थे और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान में ‘संघवाद’ (Federalism) की अवधारणा किस देश के संविधान से ली गई है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. यूनाइटेड किंगडम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत में संघवाद की अवधारणा, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन है, कनाडा के संविधान से ली गई है। कनाडा का संघवाद ‘मजबूत केंद्र’ की प्रकृति का है, जो भारतीय संघवाद के समान है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संविधान अनुच्छेद 1 में भारत को ‘राज्यों का एक संघ’ घोषित करता है। शक्तियों का विभाजन सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के रूप में किया गया है। अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना (अनुच्छेद 248) भी कनाडा के मॉडल से प्रेरित है।
  • अशुद्ध विकल्प: अमेरिका से न्यायिक पुनर्विलोकन, मौलिक अधिकार, राष्ट्रपति का पद लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान। यूके से संसदीय शासन प्रणाली, विधि का शासन।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता की गारंटी देता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में सभी नागरिकों को ‘अवसर की समानता’ की गारंटी देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि राज्य के अधीन किसी भी पद के लिए नियुक्ति या नियोजन से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर हों। यह केवल नियोजन के प्रारंभिक अवसर पर लागू होता है, न कि पदोन्नति या पदस्थापन पर। इस अनुच्छेद में भी अपवाद हैं, जैसे कि कुछ राज्यों में निवास की शर्त या आरक्षण।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा एक गैर-संवैधानिक निकाय है?

  1. चुनाव आयोग
  2. संघ लोक सेवा आयोग
  3. राष्ट्रीय महिला आयोग
  4. वित्त आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय महिला आयोग एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है, जिसका गठन राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत किया गया था। यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है क्योंकि इसका उल्लेख संविधान में सीधे तौर पर नहीं है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकायों का उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में होता है और वे संविधान के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं। सांविधिक निकायों का गठन संसद के एक अधिनियम द्वारा किया जाता है, जबकि कार्यकारी निकायों का गठन सरकार के एक प्रस्ताव या कार्यकारी आदेश द्वारा किया जाता है।
  • अशुद्ध विकल्प: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।

प्रश्न 21: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियों’ (Residuary Powers) का प्रावधान किस देश के संविधान से लिया गया है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. जर्मनी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अवशिष्ट शक्तियों का प्रावधान, यानी वे शक्तियाँ जो संघ, राज्य या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं, का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 248 में किया गया है और यह शक्ति भारत में संसद (केंद्र सरकार) में निहित है। यह प्रावधान कनाडा के संविधान से प्रेरित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: कनाडा का संघवाद ‘मजबूत केंद्र’ का मॉडल प्रस्तुत करता है, जिसमें अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास होती हैं। भारतीय व्यवस्था में भी, संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शामिल न की गई किसी भी विषय पर कानून बनाने की शक्ति संसद के पास है।
  • अशुद्ध विकल्प: अमेरिका में अवशिष्ट शक्तियाँ राज्यों के पास हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा ही विभाजन है। जर्मनी से आपातकालीन प्रावधान लिए गए हैं।

प्रश्न 22: अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के किस भाग में है?

  1. भाग XX
  2. भाग XXI
  3. भाग XXII
  4. भाग XIX

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के संशोधन से संबंधित उपबंध भारतीय संविधान के भाग XX में अनुच्छेद 368 के तहत वर्णित हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 368 भारतीय संसद को भारतीय संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है, हालाँकि यह शक्ति असीमित नहीं है और केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार संसद मूल ढांचे में संशोधन नहीं कर सकती।
  • अशुद्ध विकल्प: भाग XXI में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध हैं। भाग XXII में संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन हैं। भाग XIX में प्रकीर्ण (Miscellaneous) उपबंध हैं।

प्रश्न 23: भारत में वित्तीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्तीय आपातकाल की घोषणा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत की जा सकती है। यह आपातकाल तब घोषित किया जाता है जब भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में हो।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वित्तीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। अभी तक भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है। अनुच्छेद 365 केंद्र के निर्देशों का पालन करने में विफलता से संबंधित है, जो अक्सर राष्ट्रपति शासन के आधार के रूप में प्रयोग होता है।

प्रश्न 24: अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कौन सा एक संभावित ‘उचित प्रतिबंध’ (Reasonable Restriction) नहीं है?

  1. भारत की संप्रभुता और अखंडता
  2. राज्य की सुरक्षा
  3. सार्वजनिक व्यवस्था
  4. जातिगत घृणा फैलाना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19(2) के तहत, वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, न्यायालय की अवमानना, मानहानि, या अपराध के लिए उकसाना जैसे ‘उचित प्रतिबंध’ लगाए जा सकते हैं। जातिगत घृणा फैलाना, जो कि एक प्रकार से अपमानजनक है, संभवतः मानहानि या सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन के तहत आ सकता है, लेकिन यह सीधे तौर पर सूची में नहीं है और अक्सर न्यायालयों द्वारा इसकी व्याख्या की जाती है। हालांकि, ‘जातिगत घृणा फैलाना’ स्वयं एक अपराध हो सकता है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) के तहत सीधे तौर पर सूचीबद्ध प्रतिबंधों में नहीं है, बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन के व्यापक दायरे में आ सकता है। लेकिन अन्य विकल्प सीधे तौर पर प्रतिबंध के रूप में सूचीबद्ध हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह समझना महत्वपूर्ण है कि ‘उचित प्रतिबंध’ का अर्थ मनमाना या अत्यधिक नहीं होता, बल्कि यह कानून द्वारा परिभाषित और निष्पक्ष होना चाहिए। ‘जातिगत घृणा फैलाना’ संविधान की भावना के विरुद्ध है और इसे भाषण की स्वतंत्रता के तहत संरक्षित नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे अपराध माना जाता है। लेकिन अनुच्छेद 19(2) की सूची में यह प्रत्यक्ष रूप से सूचीबद्ध नहीं है।
  • अशुद्ध विकल्प: (a), (b), और (c) सीधे तौर पर अनुच्छेद 19(2) में सूचीबद्ध उचित प्रतिबंधों के आधार हैं। (d) यद्यपि यह प्रतिबंधित है, लेकिन सीधे तौर पर उस सूची का हिस्सा नहीं है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक व्यवस्था या मानहानि के तहत आ सकता है। यह प्रश्न की बारीकी को पकड़ता है कि कौन सा ‘संभावित उचित प्रतिबंध’ है जो प्रत्यक्ष सूची में है।

प्रश्न 25: संविधान के मसौदा समिति के अध्यक्ष कौन थे?

  1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
  2. पंडित जवाहरलाल नेहरू
  3. सरदार वल्लभभाई पटेल
  4. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के मसौदा समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेडकर थे। यह समिति भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तरदायी थी।
  • संदर्भ एवं विस्तार: डॉ. अम्बेडकर को भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है। मसौदा समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था और इसमें सात सदस्य थे। उन्होंने संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • अशुद्ध विकल्प: डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू संघ संविधान समिति के अध्यक्ष और उद्देश्य प्रस्ताव पेश करने वाले थे। सरदार वल्लभभाई पटेल परामर्श समिति और प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष थे।

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