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राजव्यवस्था की धार: 25 प्रश्न आपकी तैयारी का पैमाना

राजव्यवस्था की धार: 25 प्रश्न आपकी तैयारी का पैमाना

नमस्कार, भावी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझना सफलता की कुंजी है। आज हम संविधान के विभिन्न पहलुओं पर आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए 25 चुनिंदा प्रश्न लेकर आए हैं। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और जानें कि आप इस महत्वपूर्ण विषय में कहां खड़े हैं!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान के प्रस्तावना का भाग होने के बावजूद, न्यायोचित नहीं है? (Although part of the Preamble of the Indian Constitution, which of the following articles is not justiciable?)

  1. समानता का अधिकार (Right to Equality)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Liberty)
  3. सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय (Social, Political, and Economic Justice)
  4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (Protection of life and personal liberty)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में उल्लिखित ‘सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय’ संविधान के भाग हैं, जो प्रस्तावना का हिस्सा होने के बावजूद सीधे तौर पर न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं। प्रस्तावना में उल्लिखित आदर्श, मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान की व्याख्या में सहायक होती है, लेकिन यह स्वयं अदालतों द्वारा लागू करने योग्य (enforceable) नहीं है। प्रस्तावना में न्याय (justice), स्वतंत्रता (liberty), समता (equality) और बंधुत्व (fraternity) जैसे लक्ष्यों का उल्लेख है। अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) मौलिक अधिकार हैं और न्यायोचित हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) मौलिक अधिकार हैं, जो संविधान के भाग III में निहित हैं और अनुच्छेद 32 के तहत न्यायोचित हैं। प्रस्तावना के आदर्शों को साकार करने के लिए ये मौलिक अधिकार बनाए गए हैं।

प्रश्न 2: किस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना भारतीय संविधान की मूल संरचना (basic structure) का हिस्सा है? (In which case, the Supreme Court held that the Preamble is a part of the basic structure of the Indian Constitution?)

  1. शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ (Shankari Prasad v. Union of India)
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (Kesavananda Bharati v. State of Kerala)
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ (Maneka Gandhi v. Union of India)
  4. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (Golkhanath v. State of Punjab)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की अब तक की सबसे बड़ी पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया था कि संसद संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें प्रस्तावना भी शामिल है, संशोधित कर सकती है, लेकिन ‘मूल संरचना’ में परिवर्तन नहीं कर सकती। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावना भी मूल संरचना का एक अभिन्न अंग है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संविधान के संशोधन की शक्ति की सीमा तय की। प्रस्तावना को संविधान की आत्मा और महत्व की कुंजी माना जाता है।
  • अशुद्ध विकल्प: शंकरी प्रसाद (1951) और गोलकनाथ (1967) मामलों में न्यायालय ने संशोधन की शक्ति को अधिक व्यापक माना था। मेनका गांधी (1978) मामले ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया, लेकिन मूल संरचना सिद्धांत का प्रतिपादन केशवानंद भारती मामले में ही हुआ था।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (Consider the following statements regarding the pardoning power of the President of India:)

  1. राष्ट्रपति किसी भी न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा को क्षमा कर सकता है। (The President can pardon any sentence passed by any court.)
  2. राष्ट्रपति केवल मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है। (The President can only commute a death sentence.)
  3. राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति, केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह से बाध्य है। (The President’s pardoning power is bound by the advice of the Union Cabinet.)
  4. राष्ट्रपति युद्ध न्यायालय द्वारा दी गई सजा को क्षमा नहीं कर सकता। (The President cannot pardon a sentence awarded by a court-martial.)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों के संबंध में क्षमा, प्रविलंबन, विराम या परिहार करने अथवा दंडादेश के निलंबन या लघुकरण की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह के अधीन होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें मृत्युदंड को क्षमा करना, सैनिक न्यायालयों द्वारा दी गई सजाओं को क्षमा करना, और ऐसे सभी अपराधों के लिए क्षमा करना शामिल है जो संघ की विधियों के विरुद्ध हों। राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का प्रयोग मंत्री परिषद की सलाह पर किया जाता है, जैसा कि अनुच्छेद 74(1) में निहित है।
  • अशुद्ध विकल्प: राष्ट्रपति किसी भी न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा को क्षमा कर सकता है, जिसमें मृत्युदंड भी शामिल है। विकल्प (b) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा करने के अलावा उसका लघुकरण या प्रविलंबन भी कर सकता है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति युद्ध न्यायालय द्वारा दी गई सजा को भी क्षमा कर सकता है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) के बारे में सत्य नहीं है? (Which of the following is not true about the Attorney General for India?)

  1. वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। (He is the chief legal advisor to the Government of India.)
  2. उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है। (He has the right to audience in all courts in India.)
  3. उसे भारत के महान्यायवादी के पद पर नियुक्त होने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता रखनी चाहिए। (He must possess the qualifications to be appointed a judge of the Supreme Court to be appointed as Attorney General.)
  4. उसका कार्यकाल निश्चित होता है। (He has a fixed tenure.)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी के पद का प्रावधान करता है। वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है (अनुच्छेद 88)। उसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए आवश्यक योग्यताएँ रखनी चाहिए (अनुच्छेद 124(3))।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी का कार्यकाल संविधान द्वारा निश्चित नहीं किया गया है। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत (pleasure of the President) पद धारण करता है, जिसका अर्थ है कि वह किसी भी समय अपना पद छोड़ सकता है, या राष्ट्रपति उसे कभी भी हटा सकते हैं। यद्यपि व्यवहार में, वह सरकार के साथ ही पद त्यागता है।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सही कथन हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि महान्यायवादी का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता है।

प्रश्न 5: संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (Consider the following statements regarding the Public Accounts Committee of Parliament:)

  1. यह समिति सरकारी व्यय की जांच करती है। (This committee examines the government expenditure.)
  2. इसके सदस्यों का चुनाव प्रतिवर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। (Its members are elected annually by the system of proportional representation by means of the single transferable vote.)
  3. यह समिति भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जांच करती है। (This committee examines the reports of the Comptroller and Auditor General of India (CAG).)
  4. इसका अध्यक्ष आमतौर पर सत्ताधारी दल से होता है। (Its chairman is usually from the ruling party.)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) एक महत्वपूर्ण वित्तीय समिति है जो भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जांच करती है, जिसमें सार्वजनिक उपक्रमों की रिपोर्टें भी शामिल हैं। यह सरकारी व्यय के औचित्य और प्रभावशीलता पर भी प्रकाश डालती है। इसके सदस्य लोकसभा और राज्यसभा से चुने जाते हैं, जिनका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा एकल संक्रमणीय मत से होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: परंपरागत रूप से, लोक लेखा समिति का अध्यक्ष विपक्ष के किसी वरिष्ठ सदस्य को बनाया जाता है, ताकि समिति की निष्पक्षता बनी रहे। यह CAG की रिपोर्टों की जांच करके वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सत्य हैं। विकल्प (d) असत्य है क्योंकि समिति का अध्यक्ष प्रायः मुख्य विपक्षी दल का होता है, न कि सत्ताधारी दल का।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा प्रावधान भारतीय संविधान में ‘स्पष्ट विधि’ (due process of law) के सिद्धांत को अपनाता है? (Which of the following provisions adopts the principle of ‘due process of law’ in the Indian Constitution?)

  1. अनुच्छेद 14 (Article 14)
  2. अनुच्छेद 20 (Article 20)
  3. अनुच्छेद 21 (Article 21)
  4. अनुच्छेद 22 (Article 22)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी व्यक्ति को उसके प्राण या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।” हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने मेनका गांधी मामले (1978) में ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ (procedure established by law) की व्याख्या करते हुए ‘स्पष्ट विधि’ (due process of law) के सिद्धांत को भी अपनाया, जिसका अर्थ है कि कानून निष्पक्ष, न्यायसंगत और तर्कसंगत होना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ’ अमेरिकी संविधान से लिया गया है, जबकि ‘प्रोसेस एस्टेब्लिश्ड बाय लॉ’ (विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया) ब्रिटिश संविधान से। भारतीय संविधान ने मूल रूप से ब्रिटिश मॉडल अपनाया था, लेकिन न्यायिक व्याख्याओं ने इसे अमेरिकी मॉडल के करीब ला दिया है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 20 कुछ अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण देता है। अनुच्छेद 22 निवारक निरोध से संबंधित है। ये सभी कानून के शासन से जुड़े हैं, लेकिन ‘ड्यू प्रोसेस’ का सिद्धांत मुख्य रूप से अनुच्छेद 21 की न्यायिक व्याख्या से जुड़ा है।

प्रश्न 7: संविधान का कौन सा संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है? (Which amendment to the Constitution provides constitutional status to Panchayati Raj Institutions?)

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 (73rd Amendment Act, 1992)
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 (74th Amendment Act, 1992)
  3. 69वां संशोधन अधिनियम, 1991 (69th Amendment Act, 1991)
  4. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002 (86th Amendment Act, 2002)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिए प्रावधान शामिल हैं। इसने पंचायती राज को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक संस्था के रूप में मजबूत करना था, जिसमें ग्राम सभा, पंचायतों की संरचना, आरक्षण, कार्यकाल और शक्तियाँ आदि का प्रावधान किया गया।
  • अशुद्ध विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 69वां संशोधन दिल्ली से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional body) नहीं है? (Which of the following is not a ‘Constitutional body’?)

  1. चुनाव आयोग (Election Commission)
  2. लोक सेवा आयोग (Public Service Commission)
  3. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
  4. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) भारतीय संविधान में विशेष अनुच्छेदों द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके गठन, शक्तियाँ और कार्य संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक वैधानिक निकाय (statutory body) है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था, न कि सीधे संविधान द्वारा।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं। विकल्प (c) एक वैधानिक निकाय है।

प्रश्न 9: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (Consider the following statements regarding Financial Emergency:)

  1. इसका प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में है। (Its provision is in Article 360 of the Indian Constitution.)
  2. इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति के एक उद्घोषणा की आवश्यकता होती है। (It requires a proclamation by the President to be enforced.)
  3. यह उद्घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए। (This proclamation must be approved by both Houses of Parliament within two months.)
  4. वित्तीय आपातकाल की स्थिति में, राज्य के सभी कर्मचारियों के वेतन भत्ते कम किए जा सकते हैं। (In a state of financial emergency, the salaries and allowances of all employees of the state can be reduced.)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। इस अनुच्छेद के अनुसार, यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा है, तो वे एक उद्घोषणा जारी कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने की अवधि के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए। यदि यह अनुमोदित हो जाती है, तो यह अनिश्चित काल तक जारी रह सकती है जब तक कि इसे वापस न ले लिया जाए। वित्तीय आपातकाल की स्थिति में, राष्ट्रपति संघ और राज्यों के बीच धन के वितरण को प्रभावित करने वाले कार्यकारी कार्रवाई के आदेश दे सकते हैं और राज्यों के सभी या किसी भी वर्ग के कर्मचारियों के वेतन और भत्ते कम करने के लिए निर्देश दे सकते हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a) और (b) सत्य हैं। विकल्प (d) भी सत्य है, क्योंकि यह राष्ट्रपति के निर्देशों का एक संभावित परिणाम है। विकल्प (c) गलत है; वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा को दो महीने के भीतर अनुमोदित करने की आवश्यकता होती है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के लिए एक महीने की अवधि होती है।

प्रश्न 10: भारत में ‘आर्थिक और सामाजिक योजना’ (Economic and Social Planning) किस सूची का विषय है? (In India, ‘Economic and Social Planning’ is a subject of which List?)

  1. संघ सूची (Union List)
  2. राज्य सूची (State List)
  3. समवर्ती सूची (Concurrent List)
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं (None of the above)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में शक्तियों का वितरण संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है। ‘आर्थिक और सामाजिक योजना’ समवर्ती सूची की प्रविष्टि 20 के तहत आती है।
  • संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची के विषयों पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं। यदि किसी विषय पर दोनों द्वारा बनाए गए कानूनों में कोई टकराव होता है, तो संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होता है। योजना आयोग (अब नीति आयोग) जैसे निकायों का गठन इसी सूची के विषयों के कार्यान्वयन में मदद के लिए किया गया है।
  • अशुद्ध विकल्प: संघ सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है, जैसे रक्षा। राज्य सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केवल राज्य सरकार कानून बना सकती है, जैसे पुलिस। आर्थिक और सामाजिक योजना एक ऐसा विषय है जिसके लिए केंद्र और राज्य दोनों के सहयोग की आवश्यकता होती है, इसलिए यह समवर्ती सूची में है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी संसदीय समिति ‘प्रकृति में तदर्थ’ (ad hoc in nature) होती है? (Which of the following parliamentary committees is ‘ad hoc in nature’?)

  1. लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)
  2. प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
  3. संयुक्त संसदीय समितियाँ (Joint Parliamentary Committees)
  4. नियम समिति (Rules Committee)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय समितियों को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है: स्थायी समितियाँ (standing committees) और तदर्थ समितियाँ (ad hoc committees)। लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, नियम समिति, विशेषाधिकार समिति आदि स्थायी समितियाँ हैं। संयुक्त संसदीय समितियाँ (Joint Parliamentary Committees – JPCs) तदर्थ समितियों का एक उदाहरण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: तदर्थ समितियाँ किसी विशेष उद्देश्य के लिए गठित की जाती हैं और उस उद्देश्य की पूर्ति के बाद वे स्वतः भंग हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, बोफोर्स तोप सौदा या 2G स्पेक्ट्रम घोटाले जैसे विशिष्ट मुद्दों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समितियाँ गठित की जाती रही हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) स्थायी समितियाँ हैं, जो निरंतर कार्य करती हैं। केवल विकल्प (c) तदर्थ प्रकृति का है।

प्रश्न 12: भारत के संविधान के किस भाग में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) शामिल हैं? (In which part of the Constitution of India are the ‘Directive Principles of State Policy’ included?)

  1. भाग III (Part III)
  2. भाग IV (Part IV)
  3. भाग IV-A (Part IV-A)
  4. भाग V (Part V)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक में वर्णित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत सरकार को कानून बनाते समय और नीतियाँ बनाते समय मार्गदर्शन करने के लिए हैं। ये अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन राष्ट्र के शासन में मौलिक माने जाते हैं (अनुच्छेद 37)। इनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
  • अशुद्ध विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मूल कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।

प्रश्न 13: भारत के महानियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति कितने वर्षों के लिए होती है? (For how many years is the Comptroller and Auditor General (CAG) of India appointed?)

  1. 5 वर्ष (5 years)
  2. 6 वर्ष (6 years)
  3. 65 वर्ष की आयु तक (Up to the age of 65 years)
  4. 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो (6 years or up to the age of 65 years, whichever is earlier)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 के अनुसार, भारत का महानियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, इनमें से जो भी पहले हो।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और वह संसद के प्रति जवाबदेह होता है। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग नियमों के अनुसार और कुशलता से हो रहा है।
  • अशुद्ध विकल्प: 5 वर्ष का कार्यकाल सामान्यतः राज्यपालों या अन्य पदों के लिए होता है। 6 वर्ष का कार्यकाल राज्यसभा सदस्यों या न्यायाधीशों के लिए भी है, लेकिन CAG का कार्यकाल आयु सीमा के साथ जुड़ा है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद राज्य के मुख्यमंत्री के बारे में है? (Which of the following articles pertains to the Chief Minister of a State?)

  1. अनुच्छेद 153 (Article 153)
  2. अनुच्छेद 163 (Article 163)
  3. अनुच्छेद 164 (Article 164)
  4. अनुच्छेद 165 (Article 165)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 164 मुख्यमंत्री की नियुक्ति, शपथ और अन्य बातों से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 163 राज्यपाल को सलाह और सहायता देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन का प्रावधान करता है, जिसके मुखिया मुख्यमंत्री होते हैं। अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) के पद से संबंधित है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 153 राज्यों के राज्यपालों के पद का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 163 राज्यपाल को सलाह देने वाली मंत्रिपरिषद के बारे में है। अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता के बारे में है। अनुच्छेद 164 सीधे तौर पर मुख्यमंत्री और उनकी नियुक्ति से जुड़ा है।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान के निर्माता किस वाद-विवाद में इस बात पर विभाजित थे कि संविधान सभा को कितने सदस्य होने चाहिए? (The framers of the Indian Constitution were divided on how many members should be in the Constituent Assembly in which debate?)

  1. उद्देश्य संकल्प (Objectives Resolution)
  2. शरणार्थी समस्या पर बहस (Debate on Refugee Problem)
  3. अल्पसंख्यकों पर उप-समिति की रिपोर्ट (Report of the Sub-Committee on Minorities)
  4. संविधान के प्रारूप पर अंतिम मतदान (Final voting on the draft Constitution)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान सभा में सदस्यों की संख्या पर महत्वपूर्ण वाद-विवाद अल्पसंख्यकों पर उप-समिति की रिपोर्ट पर हुआ था। यह तय करना था कि अल्पसंख्यकों और देसी राज्यों का प्रतिनिधित्व कैसे हो और कुल सदस्य संख्या कितनी हो।
  • संदर्भ और विस्तार: कैबिनेट मिशन योजना के तहत, संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 तय की गई थी। इसमें ब्रिटिश भारत के 292 प्रतिनिधि, देसी रियासतों के 93 प्रतिनिधि और मुख्य आयुक्तों के प्रांतों के 4 प्रतिनिधि शामिल थे। हालांकि, अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व को लेकर काफी चर्चा हुई, जिससे सदस्यों की संख्या और उनके आवंटन पर कुछ मतभेद थे।
  • अशुद्ध विकल्प: उद्देश्य संकल्प (Objectives Resolution) ने संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों को निर्धारित किया था। शरणार्थी समस्या और प्रारूप पर अंतिम मतदान अन्य महत्वपूर्ण चरण थे, लेकिन सदस्य संख्या पर प्रत्यक्ष विभाजन का मुख्य बिंदु अल्पसंख्यकों पर उप-समिति की रिपोर्ट से जुड़ा था।

प्रश्न 16: भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करता है? (To whom does the President of India address his resignation?)

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India)
  2. लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker of the Lok Sabha)
  3. भारत के उपराष्ट्रपति (Vice-President of India)
  4. भारत के प्रधानमंत्री (Prime Minister of India)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 56(1)(a) के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा, परंतु अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, वह अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक पद पर बना रहेगा। राष्ट्रपति, अनुच्छेद 56(1)(a) के तहत, किसी भी समय, अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा, भारत के उपराष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जब राष्ट्रपति इस्तीफा देता है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करता है, और इसकी सूचना तुरंत लोकसभा के अध्यक्ष को दी जाती है।
  • अशुद्ध विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश का राष्ट्रपति के इस्तीफे से कोई सीधा संबंध नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष या प्रधानमंत्री के बजाय, राष्ट्रपति सीधे उपराष्ट्रपति को संबोधित करता है।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी राजनीतिक शक्ति ‘राज्य’ (State) की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती है, जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 में परिभाषित किया गया है? (Which of the following political entities does not fall under the definition of ‘State’ as defined in Article 12 of the Indian Constitution?)

  1. संसद (Parliament)
  2. राज्य विधानमंडल (State Legislature)
  3. नगर निगम (Municipal Corporation)
  4. किसी निजी कंपनी का बोर्ड (Board of Directors of a private company)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 मौलिक अधिकारों के प्रयोजनों के लिए ‘राज्य’ की परिभाषा प्रदान करता है। इसमें भारत सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या विभिन्न न्यायालयों द्वारा की गई है, जिसमें वे निकाय शामिल हो सकते हैं जो सार्वजनिक कार्य करते हैं या सरकार द्वारा नियंत्रित होते हैं। हालांकि, एक विशुद्ध रूप से निजी कंपनी, जब तक कि वह राज्य की एजेंसी के रूप में कार्य न कर रही हो या सार्वजनिक कार्यों में संलग्न न हो, सामान्य तौर पर ‘राज्य’ की परिभाषा में नहीं आती है। नगर निगमों को ‘स्थानीय प्राधिकारी’ के रूप में शामिल किया गया है।
  • अशुद्ध विकल्प: संसद (a), राज्य विधानमंडल (b), और नगर निगम (c) स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 12 के दायरे में आते हैं। एक सामान्य निजी कंपनी राज्य की परिभाषा से बाहर है, जब तक कि वह विशेष परिस्थितियों में राज्य के एजेंट के रूप में कार्य न करे।

प्रश्न 18: ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ (Right to Constitutional Remedies) किस अनुच्छेद में वर्णित है? (‘Right to Constitutional Remedies’ is described in which article?)

  1. अनुच्छेद 19 (Article 19)
  2. अनुच्छेद 32 (Article 32)
  3. अनुच्छेद 21 (Article 21)
  4. अनुच्छेद 14 (Article 14)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है। यह मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है, जिसे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट (जैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा, और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को भी ऐसी ही शक्ति प्रदान करता है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि से संबंधित है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता से संबंधित है। ये सभी मौलिक अधिकार हैं, लेकिन इन्हें लागू कराने का अधिकार अनुच्छेद 32 के तहत आता है।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति लोकसभा अध्यक्ष के पास नहीं है? (Which of the following powers is not vested with the Speaker of the Lok Sabha?)

  1. धन विधेयक की घोषणा करना (Declaring a bill as a Money Bill)
  2. सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना (Adjourning the House for an indefinite period)
  3. संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करना (Presiding over a joint sitting)
  4. सदस्यों को अनुशासनहीनता के लिए दण्डित करना (Punishing members for indiscipline)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष के पास धन विधेयक की घोषणा करने (अनुच्छेद 110), संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करने (अनुच्छेद 108), और सदन की कार्यवाही को स्थगित करने की शक्तियाँ हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सदस्यों को अनुशासनहीनता के लिए दण्डित करने की शक्ति अध्यक्ष के पास नहीं होती है। यह कार्य सदन के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत होता है, और गंभीर मामलों में, सदन खुद सदस्यों के निलंबन या निष्कासन का निर्णय ले सकता है। अध्यक्ष का मुख्य कार्य सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाना, नियमों का पालन करवाना और सदन की प्रतिष्ठा बनाए रखना है।
  • अशुद्ध विकल्प: (a), (b), और (c) अध्यक्ष की प्रमुख शक्तियाँ हैं। सदस्यों को दंडित करने का कार्य अध्यक्ष का प्रत्यक्ष अधिकार क्षेत्र नहीं है, यह सदन की सामूहिक कार्रवाई का परिणाम हो सकता है।

प्रश्न 20: भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (Consider the following statements regarding ‘Secularism’ in India:)

  1. यह भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित एक प्रमुख सिद्धांत है। (It is a key principle mentioned in the Preamble of the Indian Constitution.)
  2. इसका अर्थ है राज्य का सभी धर्मों से पूर्ण अलगाव। (It means the complete separation of the state from all religions.)
  3. भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से भिन्न है, क्योंकि यह सभी धर्मों को समान सम्मान देती है। (Indian secularism differs from Western secularism as it grants equal respect to all religions.)
  4. धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा, यह अनुच्छेद 15 में कहा गया है। (No discrimination shall be made on the basis of religion, as stated in Article 15.)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन (1976) द्वारा ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द जोड़ा गया था। अनुच्छेद 15 धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है, जो धर्मनिरपेक्षता का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ राज्य का सभी धर्मों से पूर्ण अलगाव (absolute separation) नहीं है, जैसा कि पश्चिमी मॉडल में देखा जाता है। भारतीय मॉडल ‘सर्वधर्म समभाव’ (equal respect for all religions) पर आधारित है, जहाँ राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देता है और समान दूरी बनाए रखता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर वे सभी धर्मों के कल्याण के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।
  • अशुद्ध विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) भारतीय धर्मनिरपेक्षता के सही पहलू बताते हैं। विकल्प (b) गलत है क्योंकि यह ‘पूर्ण अलगाव’ की बात करता है, जबकि भारतीय धर्मनिरपेक्षता ‘समान सम्मान’ और ‘सक्रिय तटस्थता’ पर आधारित है।

प्रश्न 21: अनुच्छेद 370, जो जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था, कब निरस्त किया गया? (Article 370, which provided special status to the state of Jammu and Kashmir, was abrogated in which year?)

  1. 2018
  2. 2019
  3. 2020
  4. 2017

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्राप्त थी। 5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को प्रभावी ढंग से निरस्त कर दिया, जिससे राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हो गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख में पुनर्गठित किया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसने भारतीय संविधान के संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया। यह निर्णय संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019 द्वारा लागू किया गया था।
  • अशुद्ध विकल्प: अन्य विकल्प गलत वर्ष हैं।

प्रश्न 22: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा किया गया है? (By which Constitutional Amendment Act, the provision for reservation of seats for women in Panchayati Raj Institutions has been made?)

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 (73rd Amendment Act, 1992)
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 (74th Amendment Act, 1992)
  3. 81वां संशोधन अधिनियम, 1999 (81st Amendment Act, 1999)
  4. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002 (86th Amendment Act, 2002)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान के भाग IX में अनुच्छेद 243D (4) को जोड़ा, जो पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। महिलाओं के लिए कम से कम एक-तिहाई (1/3) सीटों का आरक्षण अनिवार्य किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रावधान का उद्देश्य ग्रामीण स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व को बढ़ाना था।
  • अशुद्ध विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 81वां संशोधन आरक्षित रिक्तियों को भरने के लिए पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा संघवाद (Federalism) का एक आवश्यक लक्षण नहीं है? (Which of the following is not an essential characteristic of Federalism?)

  1. लिखित संविधान (Written Constitution)
  2. शक्ति का विभाजन (Division of powers)
  3. एकल नागरिकता (Single Citizenship)
  4. न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independence of Judiciary)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संघवाद के मुख्य लक्षण हैं: एक लिखित संविधान (जो शक्तियों के वितरण को स्पष्ट करता है), शक्तियों का विभाजन (केंद्र और राज्यों के बीच), द्वैध सरकार (दो स्तर की सरकारें – केंद्रीय और राज्य), और न्यायपालिका की स्वतंत्रता (जो संविधान की व्याख्या करती है और केंद्र-राज्यों के विवादों को सुलझाती है)।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में, जहाँ एक मजबूत केंद्रीय झुकाव वाला संघवाद है, वहाँ एकल नागरिकता (Single Citizenship) भी है। हालाँकि, एकल नागरिकता एक संघात्मक व्यवस्था का अनिवार्य लक्षण नहीं है। कई संघीय देशों, जैसे अमेरिका, में दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) है (संघ की और राज्य की)। इसलिए, भारत की एकल नागरिकता की विशेषता इसे अन्य संघवादों से अलग करती है, लेकिन यह संघवाद का एक आवश्यक लक्षण नहीं है।
  • अशुद्ध विकल्प: (a), (b), और (d) सभी संघवाद के प्रमुख लक्षण हैं। एकल नागरिकता (c) भारत की एक विशेषता है, लेकिन यह अन्य संघीय देशों में नहीं पाई जाती है, इसलिए यह संघवाद का एक सार्वभौमिक या आवश्यक लक्षण नहीं है।

प्रश्न 24: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है? (Under which article of the Indian Constitution can the President declare a National Emergency?)

  1. अनुच्छेद 350 (Article 350)
  2. अनुच्छेद 352 (Article 352)
  3. अनुच्छेद 356 (Article 356)
  4. अनुच्छेद 360 (Article 360)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति देता है। यह आपातकाल तब लागू होता है जब युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण देश या उसके किसी हिस्से की सुरक्षा को खतरा हो।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए, अन्यथा यह स्वतः समाप्त हो जाती है। यह आपातकाल मूल अधिकारों (जैसे अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) के निलंबन का कारण बन सकता है।
  • अशुद्ध विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 350 अल्पसंख्यकों की भाषाओं से संबंधित है।

प्रश्न 25: ‘विधि के शासन’ (Rule of Law) का सिद्धांत भारतीय संविधान में कहाँ से लिया गया है? (From where has the principle of ‘Rule of Law’ been adopted in the Indian Constitution?)

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America)
  2. ब्रिटेन (Britain)
  3. कनाडा (Canada)
  4. ऑस्ट्रेलिया (Australia)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) का सिद्धांत, जिसका अर्थ है कि कानून सर्वोच्च है और सभी व्यक्ति, सरकार सहित, कानून के अधीन हैं, यह ब्रिटिश संवैधानिक परंपरा से प्रेरित है। यह सिद्धांत भारतीय संविधान के कई अनुच्छेदों में निहित है, विशेष रूप से अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण) में।
  • संदर्भ और विस्तार: विधि का शासन यह सुनिश्चित करता है कि सरकार मनमानी शक्ति का प्रयोग न करे, और सभी के साथ निष्पक्ष और समान व्यवहार हो। यह कानून के समक्ष समानता और कानून की समान सुरक्षा के विचार को पुष्ट करता है।
  • अशुद्ध विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ (due process of law) का सिद्धांत लिया गया है (हालांकि यह अनुच्छेद 21 की व्याख्या में भी शामिल है)। कनाडा से संघात्मक शासन प्रणाली और अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया गया है।

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