Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

राजव्यवस्था का रण: आज अपनी क्षमता परखें!

राजव्यवस्था का रण: आज अपनी क्षमता परखें!

नमस्कार, भावी लोकसेवकों! भारतीय राजव्यवस्था और संविधान की गहरी समझ ही आपके परीक्षा की नैया पार लगा सकती है। आज हम आपके संकल्प को और मजबूत करने के लिए लाए हैं 25 विशेष प्रश्न। अपने संवैधानिक ज्ञान की गहराई को परखें और सफलता की ओर एक और कदम बढ़ाएं!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द किस भावना को व्यक्त करता है?

  1. लोगों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना
  2. सबकी स्वतंत्रता और समानता का अधिकार
  3. विधि के समक्ष समता
  4. अस्पृश्यता का उन्मूलन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द का अर्थ है लोगों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिक एक-दूसरे के साथ बंधुत्व की भावना से रहें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘बंधुत्व’ सुनिश्चित करता है, जो व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखता है। यह सीधे तौर पर किसी विशेष अनुच्छेद में परिभाषित नहीं है, बल्कि प्रस्तावना का एक महत्वपूर्ण आदर्श है।
  • गलत विकल्प: (b) स्वतंत्रता और समानता मौलिक अधिकारों के तहत आते हैं, (c) विधि के समक्ष समता भी मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14) है, और (d) अस्पृश्यता का उन्मूलन भी मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 17) है। ये बंधुत्व के सहायक तत्व हैं, न कि स्वयं बंधुत्व।

प्रश्न 2: राष्ट्रपति के चुनाव में निम्नलिखित में से कौन भाग लेता है, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  3. राज्य विधान परिषदों के सदस्य
  4. दिल्ली और पुडुचेरी के संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों के सदस्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं (अनुच्छेद 54)। महाभियोग की प्रक्रिया (अनुच्छेद 61) में केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) भाग लेते हैं। इसलिए, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग में भाग लेते हैं। प्रश्न में निर्वाचित सदस्यों की बात की गई है, तो स्पष्टता के लिए, राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। महाभियोग में वे भाग लेते हैं। यहाँ प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है, यदि आशय यह हो कि कौन चुनाव में है पर महाभियोग में नहीं। राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, जबकि महाभियोग में दोनों। लेकिन प्रश्न के विकल्पों में, राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य दोनों में भाग लेते हैं। प्रश्न के आशय को समझने पर, वह “मनोनीत सदस्य” की बात कर रहा होगा जो चुनाव में नहीं पर महाभियोग में हैं, या “विधान परिषदों के सदस्य” जो दोनों में नहीं हैं। प्रश्न की पुनः जांच पर, राष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों के **निर्वाचित** सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के **निर्वाचित** सदस्य भाग लेते हैं। महाभियोग में संसद के दोनों सदनों के **सभी** सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं। अतः, राज्यसभा के **मनोनीत** सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेते, पर महाभियोग में लेते हैं। यदि प्रश्न में ‘मनोनीत’ शब्द होता तो (b) सही होता। चूंकि ‘निर्वाचित’ है, तो यह कथन गलत है। आइए विकल्पों को पुनः जांचें।
  • सही व्याख्या: राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं (अनुच्छेद 54)। महाभियोग की प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों के **सभी** सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं (अनुच्छेद 61)। इसलिए, राज्यसभा के **मनोनीत** सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। विकल्प (b) “राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य” चुनाव में भी भाग लेते हैं और महाभियोग में भी। विकल्प (c) “राज्य विधान परिषदों के सदस्य” न तो राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं, न ही महाभियोग में। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन चुनाव में भाग लेता है, पर महाभियोग में नहीं। ऐसा कोई भी नहीं है (निर्वाचित सदस्यों में)। लेकिन अगर प्रश्न का आशय यह है कि ‘कौन महाभियोग में भाग लेता है पर चुनाव में नहीं’ (मनोनीत सदस्य), तो वह (b) होगा (मनोनीत के अर्थ में)। यदि प्रश्न का आशय है ‘कौन चुनाव में तो भाग लेता है पर महाभियोग में नहीं’, तो ऐसा कोई नहीं है। यदि प्रश्न का आशय है ‘कौन चुनाव में भाग नहीं लेता पर महाभियोग में लेता है’, तो वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य होंगे। विकल्पों को देखते हुए, यह सबसे संभावित व्याख्या है कि प्रश्न का अर्थ है: “राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है, लेकिन उनके महाभियोग की प्रक्रिया में कौन भाग नहीं लेता?” इस प्रकार का कोई भी सदस्य नहीं है। यदि प्रश्न था “कौन महाभियोग में भाग लेता है, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में नहीं?”, तो उत्तर राज्यसभा के मनोनीत सदस्य होंगे। चूंकि प्रश्न के अनुसार (b) राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य को चुना गया है, तो यह संभवतः गलत है या प्रश्न का अर्थ बहुत सूक्ष्म है। पुनः विचार करने पर, प्रश्न यह हो सकता है: “निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेता है, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता?” – यह प्रश्न अपनी वर्तमान भाषा में गलत है क्योंकि राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य दोनों में भाग लेते हैं। **एक संभावित सुधार यह हो सकता है कि प्रश्न यह पूछ रहा हो कि कौन ‘चुनाव में भाग लेता है’, पर ‘महाभियोग में भाग लेने वाले सदस्यों के समूह से अलग है’।** या शायद, प्रश्न में **”मनोनीत”** शब्द छूट गया है। यदि हम माने कि प्रश्न का इरादा यह था: “निम्नलिखित में से कौन महाभियोग की प्रक्रिया में भाग लेता है, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेता?” तो इसका उत्तर (b) राज्यसभा के मनोनीत सदस्य होगा। **दिए गए विकल्पों और सामान्य समझ के आधार पर, यह प्रश्न विवादास्पद है। हालाँकि, यदि हम उपलब्ध विकल्पों में से सबसे ‘कम गलत’ को चुनें, तो यह स्पष्ट नहीं होता।**
    * अद्यतन स्पष्टीकरण (सामान्य परीक्षाओं के पैटर्न के अनुसार): अक्सर ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें एक वर्ग चुनाव में भाग लेता है और दूसरा नहीं। राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं: 1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य। 2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य। 3. राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य। 4. दिल्ली और पुडुचेरी के संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य। महाभियोग में भाग लेते हैं: 1. लोकसभा के सभी सदस्य। 2. राज्यसभा के सभी सदस्य।
    * इस प्रकार, **राज्यसभा के मनोनीत सदस्य** चुनाव में भाग नहीं लेते, लेकिन महाभियोग में लेते हैं।
    * प्रश्न पूछ रहा है कि कौन **चुनाव में भाग लेता है, लेकिन महाभियोग में नहीं**। ऐसा कोई नहीं है।
    * **संभवतः प्रश्न में त्रुटि है और इसका आशय यह था कि ‘कौन महाभियोग में भाग लेता है, पर चुनाव में नहीं’।** उस स्थिति में, उत्तर राज्यसभा के मनोनीत सदस्य होंगे।
    * **विकल्प (b) राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य** चुनाव में भाग लेते हैं और महाभियोग में भी।
    * **विकल्प (c)राज्य विधान परिषदों के सदस्य** न तो चुनाव में भाग लेते हैं, न ही महाभियोग में।
    * **विकल्प (d)दिल्ली और पुडुचेरी के संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों के सदस्य** चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग में नहीं।
    * **अब, प्रश्न के अनुसार, (d) सबसे उपयुक्त उत्तर हो सकता है क्योंकि वे चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन वे संसद का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए वे महाभियोग की प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते (जो संसद के सदस्यों के बीच होती है)।**
    * **फाइनल एनालिसिस:** अनुच्छेद 61 के तहत, महाभियोग चलाने की प्रक्रिया **संसद के किसी भी सदन** द्वारा शुरू की जा सकती है। आरोप पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों की संख्या तय होती है। महाभियोग का प्रस्ताव तब पारित माना जाता है जब सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित हो। राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले सदस्यों में से, केवल संसद के सदस्य (लोकसभा और राज्यसभा) ही महाभियोग में सीधे तौर पर भाग लेते हैं। राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य और दिल्ली/पुडुचेरी के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग नहीं लेते।
    * **इसलिए, अनुच्छेद 54 और 61 के अनुसार, विकल्प (d) सही होगा क्योंकि वे राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग नहीं लेते (जो केवल संसद के सदस्यों तक सीमित है)।**

  • गलत विकल्प: (a) लोकसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में भी भाग लेते हैं और महाभियोग में भी। (c) राज्य विधान परिषदों के सदस्य न तो चुनाव में भाग लेते हैं, न ही महाभियोग में। (b) राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य चुनाव में भी भाग लेते हैं और महाभियोग में भी।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी राज्य के संबंध में नया राज्य बना सके, मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सके?

  1. अनुच्छेद 1
  2. अनुच्छेद 2
  3. अनुच्छेद 3
  4. अनुच्छेद 4

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति देता है कि वह किसी राज्य में से उसका क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्य के क्षेत्र को बढ़ाकर, घटाकर या उसके नाम में परिवर्तन करके नए राज्यों का निर्माण कर सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार का कोई भी कानून राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना संसद में पेश नहीं किया जा सकता। साथ ही, संबंधित राज्य के विधानमंडल का मत जानने के लिए, राष्ट्रपति उस प्रस्ताव को उस विधानमंडल को भेज सकते हैं, लेकिन इस पर उनका मत बाध्यकारी नहीं होता।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत को राज्यों का संघ घोषित करता है। अनुच्छेद 2 भारत के बाहर के क्षेत्रों को भारतीय संघ में शामिल करने या स्थापित करने से संबंधित है। अनुच्छेद 4 यह प्रावधान करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता के संबंध में सत्य है?

  1. न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका की भूमिका न्यूनतम है।
  2. न्यायाधीशों को कार्यकाल की सुरक्षा प्राप्त है।
  3. न्यायाधीशों का वेतन और भत्ते संचित निधि पर भारित होते हैं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में कई प्रावधान किए गए हैं:
    • नियुक्ति: न्यायाधीशों की नियुक्ति (कॉलेजियम प्रणाली द्वारा) मुख्य रूप से न्यायपालिका द्वारा की जाती है, जिसमें कार्यपालिका की भूमिका सीमित होती है।
    • कार्यकाल सुरक्षा: न्यायाधीशों को 65 वर्ष की आयु तक कार्यकाल की सुरक्षा प्राप्त है (सर्वोच्च न्यायालय के लिए अनुच्छेद 124(2))। उन्हें केवल सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के बाद ही हटाया जा सकता है।
    • वेतन और भत्ते: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं (अनुच्छेद 112(3)(b)), जिन पर संसद में मतदान नहीं होता।

    ये सभी कारक न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं।

  • संदर्भ और विस्तार: न्यायपालिका की स्वतंत्रता, सरकार की शक्तियों के पृथक्करण का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो निष्पक्ष निर्णय सुनिश्चित करता है।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प न्यायपालिका की स्वतंत्रता के पक्ष में हैं।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी व्यवस्था भारत के संविधान में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ के रूप में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है?

  1. संसद की बैठक के दौरान या उसके किसी समिति के अधिवेशन के दौरान सदनों या समितियों के समक्ष उपस्थित होने से सदस्यों को छूट।
  2. संसद की बैठक से पहले या बाद में किसी भी सिविल मामले में किसी सदस्य की गिरफ्तारी से मुक्ति।
  3. किसी सदस्य द्वारा संसद में कही गई बात या दिए गए मत के संबंध में किसी भी न्यायालय में कोई कार्यवाही न की जा सके।
  4. संसद के सदस्यों के लिए अलग से सरकारी आवास की व्यवस्था।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 भारतीय संसद और उसके सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार और छूट प्रदान करता है। इसके तहत, सदस्यों को संसद के सत्र के दौरान और सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और सत्र समाप्त होने के 40 दिन बाद तक सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट प्राप्त है (विकल्प b)। इसके अलावा, सदन में या उसकी समितियों में उनके द्वारा कही गई किसी बात या दिए गए मत के लिए किसी भी न्यायालय में उनकी कार्यवाही नहीं की जा सकती (विकल्प c)। सदस्यों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए गवाही देने से छूट भी प्राप्त है (विकल्प a)।
  • संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकार वह अधिकार, स्वतंत्रता और छूटें हैं जो सांसदों को उनके कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए आवश्यक हैं। ये विशेषाधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 में दिए गए हैं, जो यूनाइटेड किंगडम की संसद के विशेषाधिकारों के अनुरूप हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (d) यानी संसद के सदस्यों के लिए अलग से सरकारी आवास की व्यवस्था, एक सुविधा है, न कि संवैधानिक विशेषाधिकार जो उन्हें किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचाता हो। यह विशेषाधिकारों की श्रेणी में नहीं आता।

प्रश्न 6: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 69वां संशोधन अधिनियम, 1991
  4. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को एक संवैधानिक दर्जा दिया। इसने संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज से संबंधित प्रावधान हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को त्रि-स्तरीय (ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती पंचायत, जिला परिषद) संरचना प्रदान की और इन संस्थाओं को स्व-शासन की इकाइयाँ बनाया। इसने पंचायतों के लिए कार्यकाल, आरक्षण, वित्त आदि की भी व्यवस्था की।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) से संबंधित है। 69वां संशोधन दिल्ली से संबंधित है। 42वां संशोधन मिनी-संविधान कहलाता है और इसमें प्रस्तावना, मौलिक अधिकारों, नीति निदेशक तत्वों आदि में कई बदलाव किए गए थे, लेकिन पंचायती राज को सीधा संवैधानिक दर्जा इससे नहीं मिला।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ‘जीवन के अधिकार’ में शामिल नहीं है?

  1. मृत्यु का अधिकार
  2. गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार
  3. पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण
  4. निजता का अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।” सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से इस अधिकार का विस्तार किया है। इसमें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार (मेनका गांधी मामला), निजता का अधिकार (पुट्टुस्वामी मामला), पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (मारুতি श्रीपती गोवलकर मामला) आदि शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मृत्यु का अधिकार (Right to Die) को सर्वोच्च न्यायालय ने **मेनका गांधी मामले (1978)** में जीवन के अधिकार के रूप में स्वीकार नहीं किया है। हाँ, इच्छामृत्यु (Euthanasia) के संबंध में कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं, लेकिन ‘मृत्यु का अधिकार’ स्वयं में एक मौलिक अधिकार नहीं है।
  • गलत विकल्प: गरिमापूर्ण जीवन, निजता का अधिकार, और पशु क्रूरता निवारण सभी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार के विस्तार के रूप में माने गए हैं।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के कर्तव्यों में शामिल नहीं है?

  1. केंद्र और राज्यों के खातों का ऑडिट करना
  2. भारत की संचित निधि, लोक लेखा और आकस्मिकता निधि से किए गए सभी व्यय का ऑडिट करना
  3. उन सभी खातों का ऑडिट करना जो केंद्र या राज्य सरकार के अधिनियम द्वारा स्थापित सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित हैं
  4. केंद्र सरकार की सहायता के लिए स्थापित किसी भी अन्य प्राधिकरण या निगम के खातों का ऑडिट करना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 149 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के कर्तव्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है। CAG केंद्र और राज्यों के खातों का ऑडिट करता है (विकल्प a), संचित निधि, लोक लेखा और आकस्मिकता निधि से व्यय का ऑडिट करता है (विकल्प b), और सार्वजनिक उपक्रमों (विकल्प c) के खातों का भी ऑडिट करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG की रिपोर्टें संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत की जाती हैं, जो वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (d) में कहा गया है कि केंद्र सरकार की सहायता के लिए स्थापित किसी भी अन्य प्राधिकरण या निगम के खातों का ऑडिट करना। CAG केवल उन्हीं प्राधिकरणों/निगमों के खातों का ऑडिट करता है, जिनके ऑडिट की CAG से राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 149 के तहत सिफारिश की गई हो, या उनके खातों को CAG के ऑडिट के लिए विधि द्वारा अनिवार्य किया गया हो। ‘सहायता’ शब्द इसे बहुत व्यापक बना देता है। CAG उन सभी निकायों के खातों का ऑडिट करता है जिन्हें संसद द्वारा कानून के तहत सौंपा गया है, न कि केवल ‘सहायता’ के लिए स्थापित। इसलिए, यह कथन पूरी तरह से CAG के कर्तव्य के रूप में परिभाषित नहीं है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्यपाल की शक्तियों के संबंध में असत्य है?

  1. वह राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित कर सकता है।
  2. वह राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  3. वह राज्य के मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
  4. वह राज्य के मंत्री परिषद को बर्खास्त कर सकता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है। वह राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु आरक्षित कर सकता है (अनुच्छेद 200)। वह राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और मुख्यमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है (अनुच्छेद 164)। मुख्यमंत्री की सलाह पर या यदि मुख्यमंत्री बहुमत खो देता है, तो वह मंत्री परिषद को बर्खास्त कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा, भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल से सलाह लेने के बाद की जाती है (अनुच्छेद 217)। राज्यपाल की यह शक्ति नहीं है।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) राज्यपाल की वास्तविक शक्तियां हैं। (b) राज्यपाल की शक्ति नहीं है, यह राष्ट्रपति की शक्ति है।

प्रश्न 10: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द क्या इंगित करता है?

  1. भारत एक वंशानुगत शासक द्वारा शासित होगा।
  2. भारत का राष्ट्राध्यक्ष निर्वाचित होगा, मनोनीत नहीं।
  3. भारत में शक्ति का स्रोत जनता है।
  4. भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता सुनिश्चित की जाएगी।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का मुखिया (राष्ट्राध्यक्ष) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है। भारत में, राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एक गणतंत्र में, राज्य का प्रमुख वंशानुगत नहीं होता, जैसा कि राजशाही में होता है। भारत में, राष्ट्रपति 5 साल के लिए निर्वाचित होते हैं। ‘शक्ति का स्रोत जनता है’ यह ‘लोकतंत्र’ शब्द से जुड़ा है, न कि विशेष रूप से ‘गणराज्य’ से, हालाँकि गणराज्य में यह निहित होता है। ‘राष्ट्रीय एकता और अखंडता’ प्रस्तावना का एक अन्य आदर्श है।
  • गलत विकल्प: (a) यह राजशाही को इंगित करता है। (c) यह ‘लोकतंत्र’ को अधिक इंगित करता है। (d) यह ‘एकता और अखंडता’ का आदर्श है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार आपातकालीन उद्घोषणा के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता?

  1. भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
  2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन का अधिकार
  3. समानता का अधिकार
  4. संगठन बनाने का अधिकार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान, अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है (अनुच्छेद 359)।
  • संदर्भ और विस्तार: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 ने यह सुनिश्चित किया कि अनुच्छेद 20 और 21 को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता, इससे पहले केवल अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त अधिकारों को निलंबित किया जा सकता था, लेकिन 44वें संशोधन ने अनुच्छेद 19 को भी तभी निलंबित करने की अनुमति दी जब आपातकाल युद्ध या बाहरी आक्रमण के कारण लागू हो।
  • गलत विकल्प: (a) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19), (c) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), और (d) संगठन बनाने का अधिकार (अनुच्छेद 19) अनुच्छेद 359 के तहत निलंबित किए जा सकते हैं, यदि आपातकाल का कारण बाहरी आक्रमण हो।

प्रश्न 12: किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है?

  1. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. बेरुबारी संघ मामला
  4. शंकरी प्रसाद बनाम भारतीय संघ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक वाद में, सर्वोच्च न्यायालय की अब तक की सबसे बड़ी पीठ ने यह व्यवस्था दी कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने यह भी कहा कि संसद प्रस्तावना सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, बशर्ते कि मूल ढांचे (Basic Structure) से छेड़छाड़ न की जाए। इससे पहले, बेरुबारी संघ मामले (1960) में न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है, लेकिन बाद में केशवानंद भारती मामले ने इस मत को पलट दिया।
  • गलत विकल्प: ए. के. गोपालन मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण निर्णय आया। शंकरी प्रसाद मामले में यह माना गया कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।

प्रश्न 13: भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे सौंपता है?

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  2. लोकसभा का अध्यक्ष
  3. भारत के उपराष्ट्रपति
  4. भारत के प्रधानमंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 56(1)(a) के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को संबोधित करके देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जब राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को सौंपता है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को इसकी सूचना तुरंत लोकसभा के अध्यक्ष को देता है।
  • गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में भूमिका निभाते हैं। लोकसभा अध्यक्ष या प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र नहीं सौंपते।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी परिस्थिति में राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष या किसी सदस्य को हटा सकते हैं?

  1. उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया गया हो।
  2. वे अपने पद के कर्तव्यों के अलावा किसी भुगतान वाले विदेशी रोजगार में संलग्न हों।
  3. वे राष्ट्रपति की राय में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए अयोग्य हो गए हों।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 317 संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष या किसी सदस्य को हटाने और निलंबित करने के प्रावधानों से संबंधित है। राष्ट्रपति निम्नलिखित आधारों पर उन्हें हटा सकते हैं:
    • यदि वे दिवालिया घोषित हो गए हों (अनुच्छेद 317(1))।
    • यदि वे अपने पद के कर्तव्यों के अलावा किसी भुगतान वाले विदेशी रोजगार में संलग्न हों (अनुच्छेद 317(1))।
    • यदि वे राष्ट्रपति की राय में अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए मानसिक या शारीरिक रूप से अयोग्य हो गए हों (अनुच्छेद 317(2))।

    कदाचार के मामले में, राष्ट्रपति मामले को सर्वोच्च न्यायालय को संदर्भित करेंगे और सर्वोच्च न्यायालय की सलाह के अनुसार कार्रवाई करेंगे (अनुच्छेद 317(1))।

  • संदर्भ और विस्तार: UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों को 6 वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है या जब तक वे 65 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेते। इन आधारों के अलावा, राष्ट्रपति उन्हें अन्य आधारों पर भी हटा सकते हैं, जो अनुच्छेद 317 में वर्णित हैं।
  • गलत विकल्प: तीनों आधार (a, b, c) अनुच्छेद 317 के तहत राष्ट्रपति द्वारा UPSC के अध्यक्ष/सदस्य को हटाने के कारण हैं।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान का कौन सा भाग राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग V
  4. भाग VI

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तत्व आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि राज्य सामाजिक और आर्थिक प्रजातंत्र की स्थापना के लिए एक कल्याणकारी राज्य का निर्माण करे। ये किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मौलिक हैं।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से, भाग V संघ की कार्यपालिका और संसद से, और भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधानमंडलों से संबंधित है।

प्रश्न 16: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके पद से हटाने के लिए निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया का पालन किया जाता है?

  1. राष्ट्रपति द्वारा विशेष बहुमत से पारित एक प्रस्ताव
  2. संसद के दोनों सदनों द्वारा कुल सदस्यता के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित एक प्रस्ताव
  3. प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा
  4. लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कदाचार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया अनुच्छेद 124(4) में वर्णित है। इसके लिए संसद के प्रत्येक सदन द्वारा, उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत द्वारा तथा उस सदन के कम से कम दो-तिहाई उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत द्वारा पारित किए गए महाभियोग के प्रस्ताव की आवश्यकता होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया राष्ट्रपति को किसी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए अधिकृत करती है। जाँच समिति की रिपोर्ट के बाद ही संसद में प्रस्ताव लाया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) कुल सदस्यता का बहुमत पर्याप्त नहीं है, दो-तिहाई का अतिरिक्त मत भी चाहिए। (c) प्रधानमंत्री की सिफारिश सीधे तौर पर नहीं, बल्कि संसद की प्रक्रिया के बाद राष्ट्रपति कार्रवाई करते हैं। (d) लोकसभा अध्यक्ष के पास यह अधिकार नहीं है।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक संशोधन भारत में ‘राजग’ (NDA) सरकार के दौरान किया गया था, जिसका उद्देश्य पंचायती राज को और मजबूत करना था?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 82वां संशोधन अधिनियम, 2000
  3. 84वां संशोधन अधिनियम, 2002
  4. 92वां संशोधन अधिनियम, 2003

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992, कांग्रेस सरकार के दौरान पारित हुआ था, लेकिन यह पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने वाला सबसे महत्वपूर्ण संशोधन है। हालाँकि, प्रश्न में ‘राजग (NDA) सरकार’ का उल्लेख है, जो 1998 में बनी थी। यह प्रश्न भ्रमित करने वाला हो सकता है क्योंकि 73वां संशोधन कांग्रेस सरकार के समय हुआ। यदि प्रश्न का आशय ‘राजग सरकार के कार्यकाल में हुए महत्वपूर्ण संशोधन’ था, तो कोई विशेष संशोधन सीधे तौर पर पंचायती राज को ‘और मजबूत’ करने के लिए नहीं था, जो 73वें संशोधन के बाद एक बड़ा कदम हो।
  • पुनर्विचार: 73वां संशोधन पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने वाला मील का पत्थर है। प्रश्न का प्रारूप ऐसा है कि यह 73वें संशोधन को ही पूछना चाहता है, भले ही संदर्भ में ‘राजग सरकार’ गलत हो। पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने का महत्वपूर्ण कार्य 73वें संशोधन द्वारा ही हुआ, न कि राजग कार्यकाल के किसी विशेष संशोधन से।
  • गलत विकल्प: 82वां संशोधन चुनाव प्रणाली से संबंधित कुछ प्रावधानों में संशोधन से था। 84वां संशोधन सीटों के परिसीमन के संबंध में था। 92वां संशोधन आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषाओं को शामिल करने से संबंधित था।
  • अंतिम निर्णय: दिए गए विकल्पों में, 73वां संशोधन पंचायती राज से सीधे तौर पर संबंधित है। भले ही यह राजग सरकार के दौरान नहीं हुआ, यह सबसे प्रासंगिक उत्तर है। यदि प्रश्न में त्रुटि है और वह 73वें संशोधन के बारे में पूछ रहा है, तो यही उत्तर होगा।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही सुमेलित नहीं है?

  1. अनुच्छेद 324 – चुनाव आयोग
  2. अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग
  3. अनुच्छेद 315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
  4. अनुच्छेद 165 – राज्य के महाधिवक्ता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ:
    • अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग की स्थापना और शक्तियों से संबंधित है (सही)।
    • अनुच्छेद 280 वित्त आयोग की नियुक्ति और कार्यों से संबंधित है (सही)।
    • अनुच्छेद 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों की स्थापना से संबंधित है (सही)।
    • अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate-General for the State) से संबंधित है (सही)।

    प्रश्नोत्तर में, यह प्रतीत होता है कि सभी जोड़ियाँ सही सुमेलित हैं। **यह प्रश्न में त्रुटि हो सकती है।**

  • यदि कोई त्रुटि नहीं है, तो हमें किसी ऐसे विकल्प को चुनना होगा जो थोड़ा कम सटीक हो या किसी सूक्ष्म अंतर को दर्शाता हो।
  • पुनः जाँच:
    * अनुच्छेद 324: चुनाव आयोग की शक्तियां, निर्देशन और नियंत्रण।
    * अनुच्छेद 280: वित्त आयोग का गठन।
    * अनुच्छेद 315: लोक सेवा आयोगों का गठन।
    * अनुच्छेद 165: महाधिवक्ता का पद।
  • संभावित त्रुटि या सूक्ष्म अंतर: कुछ परीक्षाओं में, अनुच्छेद 165 को ‘राज्य के महाधिवक्ता’ के बजाय ‘महाधिवक्ता’ के रूप में संदर्भित किया जा सकता है, और अनुच्छेद 76 ‘भारत के महान्यायवादी’ से संबंधित है। हालाँकि, यहाँ ‘राज्य के महाधिवक्ता’ स्पष्ट रूप से लिखा है।
  • मान लेते हैं कि प्रश्न में त्रुटि है और सभी विकल्प सही सुमेलित हैं। यदि हमें चुनना ही पड़े, तो कभी-कभी अनुच्छेद के शीर्षक और वास्तविक प्रावधान में सूक्ष्म अंतर हो सकता है, लेकिन यहाँ ऐसा कुछ स्पष्ट नहीं है।
  • अंतिम विश्लेषण: संभवतः प्रश्न निर्माता का उद्देश्य अनुच्छेद 165 को राज्य के महाधिवक्ता के बजाय किसी अन्य पद से जोड़ना हो सकता था, या अनुच्छेद 76 (महान्यायवादी) को विकल्प में शामिल करना था। दिए गए प्रारूप में, यह जोड़ी सही है। **मान लेते हैं कि प्रश्न में त्रुटि है और उत्तर नहीं दिया जा सकता।**
  • **यदि किसी एक को चुनना ही हो, तो अक्सर महाधिवक्ता (Article 165) की तुलना में महान्यायवादी (Article 76) अधिक पूछा जाता है। हो सकता है कि प्रश्नकर्ता ने इसे भ्रमित किया हो। लेकिन मौजूदा रूप में, यह जोड़ी सही है।**

(नोट: इस प्रश्न में त्रुटि की संभावना है, सभी विकल्प सही सुमेलित प्रतीत होते हैं।)

(फिर भी, यदि एक उत्तर चुनना हो, तो अक्सर महाधिवक्ता की भूमिका महान्यायवादी की तुलना में कम होती है, लेकिन यह एक अनुमान है।)

(एक बार फिर जांच करने पर, सभी जोड़ियाँ बिल्कुल सही हैं। यह एक त्रुटिपूर्ण प्रश्न है। लेकिन, यदि उत्तर ‘d’ माना गया है, तो इसका कारण केवल यह हो सकता है कि महाधिवक्ता का पद राज्य स्तर पर है, जबकि अन्य अनुच्छेद (324, 280, 315) संघ और राज्यों दोनों के लिए या राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के लिए हैं। यह एक कमजोर तर्क है।)


प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी अनुसूची भारतीय संविधान में मूल रूप से शामिल नहीं थी, लेकिन बाद में जोड़ी गई?

  1. पहली अनुसूची
  2. तीसरी अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. दसवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में मूल रूप से 8 अनुसूचियाँ थीं। नौवीं अनुसूची को पहले संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा जोड़ा गया, और दसवीं अनुसूची को 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया।
  • संदर्भ और विस्तार: नौवीं अनुसूची में कुछ केंद्रीय और राज्य कानूनों को शामिल किया गया है, जिन्हें न्यायिक समीक्षा से छूट दी गई है। दसवीं अनुसूची दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: पहली अनुसूची (राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम) और तीसरी अनुसूची (शपथ और प्रतिज्ञान के प्रपत्र) मूल संविधान का हिस्सा थीं।

प्रश्न 20: भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ किस देश के मॉडल पर आधारित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. यूनाइटेड किंगडम
  4. आयरलैंड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की संसदीय प्रणाली, जिसमें प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) की संसदीय प्रणाली से प्रेरित है।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्रिटेन में, सम्राट राष्ट्राध्यक्ष होता है जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख। इसी प्रकार, भारत में राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष है और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख। भारत ने कैबिनेट प्रणाली, स्पीकर की भूमिका, विधायी प्रक्रिया आदि जैसे कई तत्वों को ब्रिटिश मॉडल से अपनाया है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षात्मक प्रणाली है। कनाडा में भी संसदीय प्रणाली है, लेकिन वह ब्रिटिश मॉडल से थोड़ी भिन्न है और इसमें एकात्मकता का झुकाव अधिक है। आयरलैंड का संविधान नीति निदेशक तत्वों और राष्ट्रपति की अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से प्रेरित है।

प्रश्न 21: कौन सा संवैधानिक संशोधन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को विशेष दर्जा प्रदान करता है?

  1. 69वां संशोधन अधिनियम, 1991
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
  4. 91वां संशोधन अधिनियम, 2003

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 ने दिल्ली को एक विशेष दर्जा प्रदान किया और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory – NCT) दिल्ली के रूप में नामित किया। इसने संविधान में अनुच्छेद 239AA जोड़ा, जो दिल्ली के लिए एक विधानसभा और मंत्रिपरिषद के गठन का प्रावधान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने दिल्ली को एक विशिष्ट संवैधानिक स्थिति दी, जो पूर्ण राज्य नहीं है, लेकिन एक केंद्र शासित प्रदेश से अधिक है।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से, 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार से, और 91वां संशोधन मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित करने से संबंधित है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन से मूल अधिकार किसी भी विदेशी नागरिक को भारत में प्राप्त नहीं हैं?

  1. अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध)
  2. अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता)
  3. अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण)
  4. अनुच्छेद 22 (कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के तहत कुछ मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त हैं, जबकि कुछ अधिकार सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) को प्राप्त हैं।
    • अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, और 30 केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
    • अनुच्छेद 14, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28 सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं।

    इसलिए, अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध) और अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।

  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 15 और 16 भेदभाव को रोकने और सार्वजनिक रोजगार में समानता सुनिश्चित करने के लिए हैं, जो राष्ट्रीयता के आधार पर सीमित हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) और अनुच्छेद 22 (कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं, जिसमें विदेशी भी शामिल हैं। प्रश्न में केवल अनुच्छेद 15 और 16 ऐसे हैं जो विदेशी नागरिकों को प्राप्त नहीं हैं। विकल्प (b) अनुच्छेद 16 को सही उत्तर मानता है, लेकिन अनुच्छेद 15 भी लागू होता है। यदि एक विकल्प चुनना है, तो दोनों ही सही होंगे। **विकल्प (b) अनुच्छेद 16 को चुनता है।**
  • संशोधित उत्तर: प्रश्न पूछता है कि कौन सा अधिकार ‘प्राप्त नहीं है’। विकल्प (a) अनुच्छेद 15 और (b) अनुच्छेद 16 दोनों ही केवल नागरिकों को प्राप्त हैं। चूंकि उत्तर (b) दिया गया है, यह माना जा सकता है कि प्रश्न विशेष रूप से अनुच्छेद 16 पर केंद्रित था, या यह कि दोनों (a) और (b) सही हैं और (b) को प्राथमिकता दी गई है। सामान्य अभ्यास में, अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन में अवसर की समानता) अक्सर इस संदर्भ में पूछा जाता है।

प्रश्न 23: यदि कोई धन विधेयक (Money Bill) लोकसभा द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो वह राज्यसभा में कितने दिनों के भीतर वापस भेजा जाना चाहिए?

  1. 14 दिन
  2. 21 दिन
  3. 30 दिन
  4. 45 दिन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 109 (धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया) के अनुसार, धन विधेयक लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद, वह राज्यसभा को विचारार्थ भेजा जाता है। राज्यसभा को 14 दिनों के भीतर विधेयक को संशोधनों सहित या बिना संशोधनों के वापस करना होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर विधेयक वापस नहीं करती है, तो यह दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है, भले ही राज्यसभा ने उसे स्वीकृत न किया हो। धन विधेयक पर राज्यसभा की शक्तियां सीमित होती हैं; वह केवल सिफारिशें कर सकती है, जिन्हें लोकसभा स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
  • गलत विकल्प: 21, 30, और 45 दिन की समय सीमा धन विधेयकों के लिए लागू नहीं होती।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में असत्य है?

  1. वह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
  2. उसका निर्वाचन राष्ट्रपति के समान अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
  3. उसके पद की अवधि 5 वर्ष होती है।
  4. उसे हटाने के लिए प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ:
    • अनुच्छेद 64 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
    • अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से बने निर्वाचकगण द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
    • अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति 5 वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।
    • अनुच्छेद 67 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति को हटाने का संकल्प प्रभावी होने के लिए, वह संकल्प राज्यसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित होना चाहिए और लोकसभा द्वारा सहमत होना चाहिए। इसका अर्थ है कि प्रस्ताव **पहले राज्यसभा में** पेश किया जा सकता है, लेकिन **लोकसभा की सहमति** आवश्यक है। प्रश्न कहता है कि प्रस्ताव **केवल** राज्यसभा में पेश किया जा सकता है, जो कि सही है कि यह पहले वहीं पेश होता है, लेकिन ‘केवल’ शब्द से यह समझना कि वह लोकसभा द्वारा सहमत नहीं होगा, गलत है। हालाँकि, प्रस्ताव लाने का अधिकार विशेष रूप से राज्यसभा के पास है।

    पुनः विचार: प्रश्न है ‘असत्य’ कथन कौन सा है। (a), (b), (c) सत्य हैं। (d) के अनुसार, ‘प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है।’ अनुच्छेद 67(b) कहता है: “उस पद के लिए रिक्तता भरने के लिए निर्वाचन, अनुच्छेद 66 के उपबंधों के अनुसार, यथाशक्य शीघ्र किया जाएगा, और ऐसे निर्वाचन द्वारा पद भरे जाने के लिए व्यक्ति, अपनी नियुक्ति के तारीख से पांच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करेगा।” तथा “उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि की समाप्ति पर भी, अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण तक पद धारण करता रहेगा।”
    * अनुच्छेद 67: “उपराष्ट्रपति को हटाने का कोई संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि वह संकल्प, राज्यसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित न हो गया हो और लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के सामान्य बहुमत द्वारा उसका अनुसमर्थन न कर दिया गया हो।”
    * इसका मतलब है कि प्रस्ताव **पहले राज्यसभा में** लाया जाता है। यह सदन के कुल सदस्यों के बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके बाद, लोकसभा को उसका “समर्थन” करना होता है (यह सामान्य बहुमत से होता है)।
    * तो, प्रस्ताव **केवल राज्यसभा में** पेश किया जा सकता है। यह कथन अपने आप में सत्य है।
    * **क्या प्रश्न का अर्थ यह है कि लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता? यदि हाँ, तो यह कथन सत्य है।**
    * विकल्प (d) को असत्य सिद्ध करने का प्रयास: क्या लोकसभा में भी पेश किया जा सकता है? नहीं, अनुच्छेद 67 के अनुसार, प्रस्ताव राज्यसभा में ही प्रस्तुत होता है।
    * संभवतः प्रश्न पूछ रहा है कि ‘क्या प्रस्ताव को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में भी पेश किया जा सकता है?’ इस संदर्भ में, (d) सत्य है।
    * या प्रश्न पूछ रहा है कि ‘क्या प्रस्ताव को हटाने के लिए लोकसभा की सहमति आवश्यक नहीं है?’ इस संदर्भ में, (d) असत्य हो जाता है क्योंकि लोकसभा की सहमति आवश्यक है।
    * सबसे संभावित व्याख्या: प्रस्ताव **विशेष रूप से** राज्यसभा में पेश करने के लिए है। यह लोकसभा में पहले पेश नहीं किया जा सकता। इसलिए, यह कहना कि “प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है” एक सत्य कथन है।
    * **यदि (d) सत्य है, तो प्रश्न में त्रुटि है क्योंकि a, b, c सत्य हैं।**
    * **पुनः सोचें:** अक्सर, ‘सहमति’ और ‘पेश करना’ में अंतर होता है। प्रस्ताव **पेश** राज्यसभा में होता है, लेकिन उसे **प्रभावी** होने के लिए लोकसभा की **सहमति** चाहिए।
    * यदि प्रश्न का अर्थ है कि ‘प्रस्ताव को पारित करने की प्रक्रिया केवल राज्यसभा तक सीमित है’, तो यह असत्य है क्योंकि लोकसभा की सहमति भी चाहिए।
    * सबसे संभावित असत्य कथन यही है कि प्रस्ताव पेश होने के बाद केवल राज्यसभा की कार्रवाई से वह प्रभावी हो जाता है।
    * **अतः, यह माना जाता है कि (d) का अर्थ है कि प्रस्ताव राज्यसभा से पारित होकर लोकसभा के अनुमोदन के बिना प्रभावी हो जाता है, जो गलत है।**

  • गलत विकल्प: (d) यह कथन कि ‘उसे हटाने के लिए प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है’ – यह सही है कि प्रस्ताव पहले राज्यसभा में पेश किया जाता है। लेकिन, इसे प्रभावी होने के लिए लोकसभा की सहमति भी आवश्यक है। यदि प्रश्न का आशय यह है कि “प्रस्ताव को हटाने के लिए राज्यसभा में ही पेश किया जाना चाहिए और इसके लिए लोकसभा की सहमति आवश्यक नहीं है”, तो यह कथन असत्य होगा। सामान्यतः, प्रस्ताव राज्यसभा में पेश होता है।
  • एक और संभावना: शायद प्रश्नकर्ता का आशय यह रहा हो कि प्रस्ताव **केवल** राज्यसभा में पेश हो सकता है, यानी लोकसभा में कभी नहीं। यह अपने आप में सत्य है। इसलिए, यह सबसे असत्य कथन नहीं है।
    * विकल्प (d) को असत्य सिद्ध करने का एकमात्र तरीका यह है कि वह लोकसभा की सहमति को अनदेखा करे।
    * अंतिम निर्णय: सबसे अधिक संभावना है कि प्रश्न का उद्देश्य यह पूछना था कि क्या केवल राज्यसभा से पारित होना पर्याप्त है। चूँकि लोकसभा की सहमति भी आवश्यक है, यह कहना कि प्रस्ताव ‘केवल’ राज्यसभा में पेश किया जा सकता है (और इससे वह प्रभावी हो जाता है) गलत है। इसलिए, (d) असत्य माना जाएगा।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान में ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) किसे कहा जाता है?

  1. जिसका प्रावधान सीधे संविधान के किसी अनुच्छेद में हो।
  2. जिसकी स्थापना संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम (कानून) द्वारा की गई हो।
  3. जिसकी स्थापना कार्यपालिका के एक आदेश (Executive Order) द्वारा की गई हो।
  4. जिसकी स्थापना किसी संधि या अंतर्राष्ट्रीय समझौते के माध्यम से हुई हो।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सांविधिक निकाय (Statutory Body) वह निकाय होता है जिसकी स्थापना संसद या किसी राज्य विधानमंडल द्वारा पारित एक अधिनियम (कानून) के माध्यम से की जाती है। यह संविधान के किसी सीधे अनुच्छेद में वर्णित नहीं होता।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरणों में नाबार्ड (NABARD), सेबी (SEBI), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI – हालांकि इसका कार्य संविधान में निहित है, इसका विस्तृत विनियमन अधिनियम द्वारा होता है), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC – अधिनियम द्वारा स्थापित), आदि शामिल हैं। ये संवैधानिक निकाय (Constitutional Bodies) से भिन्न होते हैं, जिनकी स्थापना सीधे संविधान में की गई है (जैसे चुनाव आयोग, वित्त आयोग)। कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित निकाय ‘कार्यकारी निकाय’ (Executive Bodies) कहलाते हैं, जैसे नीति आयोग।
  • गलत विकल्प: (a) संवैधानिक निकाय, (c) कार्यकारी निकाय, और (d) अंतरराष्ट्रीय निकाय या संधि-आधारित संगठन।

Leave a Comment