राजव्यवस्था का महासंग्राम: आपकी तैयारी को दें धार!
नमस्कार, भविष्य के कर्णधारों! आज हम भारत के लोकतंत्र के आधार स्तंभों को एक बार फिर खंगालेंगे। यह समय है अपनी संवैधानिक समझ को परखने और किसी भी परीक्षा में सफलता की ओर एक और कदम बढ़ाने का। आइए, राजव्यवस्था के इस रोमांचक सफर में उतरें और देखें कि आप अपने ज्ञान की धार को कितना तेज कर पाते हैं!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकार हैं। अनुच्छेद 15 विशेष रूप से धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का प्रतिषेध करता है, जो केवल नागरिकों पर लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों के लिए है, न कि केवल नागरिकों के लिए।
- अIncorrect विकल्प: अनुच्छेद 14 और 21 सभी व्यक्तियों के लिए हैं। अनुच्छेद 25 भी सभी व्यक्तियों पर लागू होता है। इसलिए, अनुच्छेद 15 वह मूल अधिकार है जो केवल नागरिकों को प्राप्त है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान में ‘राज्य’ की परिभाषा किस अनुच्छेद में दी गई है, जिसमें संसद, राज्य विधानमंडल, सभी सरकारी प्राधिकरण और स्थानीय निकाय शामिल हैं?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। इस परिभाषा के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा विशेष रूप से मूल अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि मूल अधिकार राज्य के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसमें केवल वे ही सरकारी संस्थाएं शामिल नहीं हैं जो विधायिका और कार्यपालिका के सीधे नियंत्रण में हैं, बल्कि वे सभी संस्थाएं भी शामिल हैं जो सरकारी शक्तियों का प्रयोग करती हैं।
- अIncorrect विकल्प: अनुच्छेद 13 ‘विधियों को असंगत या मूल अधिकारों के असंगतता के लिए शून्य घोषित करने’ से संबंधित है। अनुच्छेद 14 ‘विधि के समक्ष समानता’ से संबंधित है, और अनुच्छेद 15 ‘धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध’ करता है।
प्रश्न 3: भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निम्नलिखित में से किसके द्वारा गठित निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है?
- केवल लोकसभा के सदस्य
- केवल राज्यसभा के सदस्य
- लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य
- लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानमंडलों के निर्वाचित सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सभी सदस्यों से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्वाचक मंडल में दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। यह राष्ट्रपति के निर्वाचन से भिन्न है, जहाँ केवल निर्वाचित सदस्य ही भाग लेते हैं और राज्य विधानमंडलों के सदस्य भी शामिल होते हैं।
- अIncorrect विकल्प: केवल लोकसभा या केवल राज्यसभा के सदस्य भाग नहीं लेते। राज्य विधानमंडलों के सदस्य उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं, जैसा कि वे राष्ट्रपति के निर्वाचन में लेते हैं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के संबंध में सत्य नहीं है?
- UPSC के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- UPSC के अध्यक्ष को छोड़कर अन्य सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
- UPSC के सदस्यों की सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
- UPSC के अध्यक्ष को कदाचार के आधार पर केवल सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के बाद ही हटाया जा सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 316(1) के अनुसार, UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अनुच्छेद 317(1) के अनुसार, राष्ट्रपति किसी सदस्य को कदाचार के आधार पर हटा सकता है, लेकिन ऐसा करने से पहले सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में की गई जाँच के प्रतिवेदन पर विचार करना होगा।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान के अनुच्छेद 316(2) के अनुसार, अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की तारीख से छः वर्ष की अवधि तक या जब तक वे पैंसठ वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेते, जो भी पहले हो, पद धारण करेंगे। सेवा शर्तें राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती हैं। कदाचार के आधार पर हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की जाँच पर आधारित है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि केवल इसी आधार पर हटाया जाए। राष्ट्रपति अन्य आधारों पर भी (जैसे दिवालियापन, या शारीरिक/मानसिक अक्षमता) सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के बाद हटा सकता है। यह कथन (d) गलत है क्योंकि यह ‘केवल’ शब्द के प्रयोग से पूरी तरह प्रतिबंधित कर देता है।
- अIncorrect विकल्प: कथन (a), (b), और (c) सत्य हैं। राष्ट्रपति अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों को हटा सकता है, यद्यपि अध्यक्ष को कदाचार के आधार पर हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की जाँच आवश्यक है।
प्रश्न 5: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’ का उपबंध किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- संयुक्त अधिराज्य (यूके)
- सोवियत संघ (रूसी संघ)
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’ का आदर्श रूस की 1917 की बोल्शेविक क्रांति से प्रेरित है और सोवियत संघ के संविधान से प्रेरित माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में यह वाक्यांश न्याय के इन तीन महत्वपूर्ण पहलुओं को सुनिश्चित करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह डीपीएसपी (Directive Principles of State Policy) में भी परिलक्षित होता है।
- अIncorrect विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’ और ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ लिए गए हैं। संयुक्त अधिराज्य (यूके) से ‘संसदीय प्रणाली’ और ‘विधि का शासन’ लिया गया है। कनाडा से ‘संघीय प्रणाली’ और ‘अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना’ लिया गया है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, लेकिन उस पर विधायी सर्वोच्चता का कोई प्रभाव नहीं पड़ता?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
- बेरूबारी संघ मामला (1960)
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (1951)
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: बेरूबारी संघ मामला (1960) में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का एक हिस्सा है, लेकिन इसे संविधान के अन्य भागों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना “संविधान के निर्माताओं के विचारों को समझने की कुंजी” है, लेकिन “सरकार के किसी भी अंग पर कोई विधायी शक्ति या प्रतिबंध” नहीं लगा सकती।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रारंभिक स्थिति थी। बाद में केशवानंद भारती मामले में इस स्थिति को बदला गया।
- अIncorrect विकल्प: केशवानंद भारती मामले (1973) में, न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके मूल ढांचे को नहीं बदला जा सकता। शंकर प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) मामलों में न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान के तहत ‘पंचवर्षीय योजनाओं’ का प्रावधान किस सूची का विषय है?
- संघ सूची
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: पंचवर्षीय योजनाएँ, विशेष रूप से आर्थिक और सामाजिक योजना, भारतीय संविधान की समवर्ती सूची की प्रविष्टि 20 (‘आर्थिक और सामाजिक योजना’) के तहत आती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची का अर्थ है कि संघ और राज्य दोनों सरकारें इस पर कानून बना सकती हैं। यद्यपि योजना आयोग (अब नीति आयोग) का गठन केंद्रीय सरकार द्वारा किया गया था, योजना का कार्यान्वयन राज्यों के सहयोग से होता है। इसलिए, यह एक सहवर्ती विषय है।
- अIncorrect विकल्प: यह केवल संघ या राज्य सूची का विषय नहीं है क्योंकि इसमें दोनों के अधिकार क्षेत्र का ओवरलैप है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- चुनाव आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- नीति आयोग
- वित्त आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, क्योंकि इनका प्रावधान सीधे संविधान में है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) भारत सरकार का एक थिंक-टैंक है, जिसकी स्थापना 2015 में हुई थी। इसे एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित किया गया था, न कि संविधान में इसके प्रावधान द्वारा। इसलिए, यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि एक वैधानिक (statutory) या गैर-संवैधानिक (non-constitutional) निकाय के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, हालांकि ‘संवैधानिक’ न होना इसे स्पष्ट करता है।
- अIncorrect विकल्प: चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और वित्त आयोग तीनों ही संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- जर्मनी का वाइमर संविधान
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान के आपातकालीन प्रावधान, विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्यों में राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) का उपबंध, जर्मनी के 1935 के ‘वाइमर संविधान’ से प्रेरित है, जिसे ‘The Constitution of Germany’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी के संविधान ने युद्ध या राष्ट्रीय संकट के समय नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन की व्यवस्था की थी, जिसे भारत ने अपनाया।
- अIncorrect विकल्प: अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’, ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ आदि लिए गए हैं। कनाडा से ‘संघीय प्रणाली’ ली गई है। ऑस्ट्रेलिया से ‘समवर्ती सूची’ ली गई है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति अपनी सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करता है?
- अनुच्छेद 74(1)
- अनुच्छेद 75(1)
- अनुच्छेद 77(1)
- अनुच्छेद 78
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(1) के अनुसार, प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। ये सभी राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद का गठन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 74(1) यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा, और राष्ट्रपति उस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेगा। अनुच्छेद 77(1) सरकार के कार्यों का संचालन करता है। अनुच्छेद 78 प्रधानमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है।
- अIncorrect विकल्प: अनुच्छेद 74(1) मंत्रिपरिषद के अस्तित्व की बात करता है, लेकिन नियुक्ति का सीधा प्रावधान 75(1) में है। अनुच्छेद 77 और 78 मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य विधानमंडल को कुछ विधियों के लिए राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने का उपबंध करता है, जो कुछ विशेष अनुच्छेदों के तहत संरक्षण प्रदान करती हैं?
- अनुच्छेद 200
- अनुच्छेद 201
- अनुच्छेद 202
- अनुच्छेद 203
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित है, जिसमें यह भी शामिल है कि जब कोई विधेयक राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया जाता है, तो राज्यपाल उसे अपनी स्वीकृति दे सकता है, या अपनी स्वीकृति रोक सकता है, या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: विशेष रूप से, जब कोई विधेयक मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करता हो या संविधान के 31A, 31B, 31C, या 288(2) जैसे अनुच्छेदों के तहत कुछ संरक्षण प्रदान करता हो, तो राज्यपाल को उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखना आवश्यक है। इस प्रकार, यह विधियों को राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति के लिए निर्देशित करता है।
- अIncorrect विकल्प: अनुच्छेद 201 राष्ट्रपति द्वारा आरक्षित विधेयकों पर विचार से संबंधित है। अनुच्छेद 202 वार्षिक वित्तीय विवरण से, और अनुच्छेद 203 विधेयकों पर प्रक्रिया से संबंधित है।
प्रश्न 12: कौन सा अनुच्छेद संसद को संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार देता है, यदि राज्यसभा एक प्रस्ताव पारित करे कि ऐसा करना राष्ट्रीय हित में है?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 251
- अनुच्छेद 252
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 249 के अनुसार, यदि राज्यसभा घोषित करती है कि राष्ट्रीय हित में यह आवश्यक या समीचीन है कि संसद राज्य सूची के किसी विषय पर कानून बनाए, तो संसद के पास उस विषय पर कानून बनाने की शक्ति होगी।
- संदर्भ और विस्तार: इस तरह के प्रस्ताव को पारित करने के लिए राज्यसभा के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। यह संसद को अस्थायी रूप से राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, जो संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण अपवाद है।
- अIncorrect विकल्प: अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर विधायी शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 251 में बताया गया है कि अनुच्छेद 249 और 250 के तहत बनाए गए कानून राज्य सूची के विषयों पर सामान्य कानूनों के साथ कैसे व्यवहार करेंगे। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही कानून बनाने हेतु संसद की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की एक विशेषता नहीं है?
- यह सुनिश्चित करना कि कानून संविधान के अनुरूप हैं।
- संसद द्वारा पारित कानूनों को अमान्य करना यदि वे संविधान का उल्लंघन करते हों।
- विधायिका के प्रत्येक निर्णय को सर्वोच्च प्राथमिकता देना।
- संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: न्यायिक समीक्षा का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका के आदेशों की संवैधानिकता की जाँच कर सकते हैं। यदि कोई कानून या आदेश संविधान का उल्लंघन करता है, तो उसे शून्य घोषित किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखना है। विकल्प (c) इसके विपरीत है; न्यायिक समीक्षा विधायिका के प्रत्येक निर्णय को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं देती, बल्कि संविधान को सर्वोच्च मानती है।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) न्यायिक समीक्षा की प्रमुख विशेषताएं हैं। न्यायिक समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विधियाँ संविधान के अनुरूप हों, न कि विधायिका के हर निर्णय को सर्वोच्च मानना।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान के किस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
- 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में एक नया भाग (भाग IX) और एक नई ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन पंचायती राज को स्थानीय स्व-शासन की एक इकाई के रूप में स्थापित करता है और उन्हें अपने कार्यों को करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान करता है। 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया।
- अIncorrect विकल्प: 64वें और 65वें संशोधन, जो क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देने के प्रयास थे, संसद में पारित हुए थे लेकिन राज्यसभा में बहुमत प्राप्त करने में विफल रहे थे।
प्रश्न 15: ‘नहरों और जलमार्गों’ पर कानून बनाने की शक्ति भारतीय संविधान की किस अनुसूची में सूचीबद्ध है?
- संघ सूची (सूची I)
- राज्य सूची (सूची II)
- समवर्ती सूची (सूची III)
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची (सूची II) की प्रविष्टि 17 के तहत ‘नहरें और जलमार्ग; सिंचाई और जल निकासी; बाढ़ नियंत्रण’ विषय आता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि नहरों और जलमार्गों पर कानून बनाने की प्राथमिक शक्ति राज्य विधानमंडल के पास है। हालाँकि, राष्ट्रीय जलमार्गों के संबंध में संघ सूची की प्रविष्टि 24 (‘जलीय मार्ग जो संसद के अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किए गए हैं’) के तहत संघ को भी शक्ति प्राप्त है। लेकिन सामान्य तौर पर, यह एक राज्य सूची का विषय है।
- अincorrect विकल्प: संघ सूची के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग का प्रावधान है, लेकिन सामान्य ‘नहरें और जलमार्ग’ राज्य सूची का विषय है। समवर्ती सूची में यह विषय शामिल नहीं है।
प्रश्न 16: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
- CAG के कार्यकाल की सुरक्षा का प्रावधान है।
- CAG अपनी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है।
- CAG को दुर्व्यवहार के आधार पर केवल संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा ही हटाया जा सकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है, जो कार्यकाल की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। CAG को दुर्व्यवहार या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा ही हटाया जा सकता है, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया है (अनुच्छेद 148(1) और 124(4))।
- संदर्भ और विस्तार: CAG संघ और राज्यों के लेखाओं से संबंधित अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है (अनुच्छेद 151(1))। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है। फिर, लोक लेखा समिति (PAC) इस रिपोर्ट की जाँच करती है। इसलिए, CAG सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपता है, लेकिन राष्ट्रपति उसे संसद के समक्ष रखता है, न कि CAG सीधे संसद को। कथन (c) थोड़ा भ्रामक है, लेकिन ‘सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है’ के बाद ‘संसद के समक्ष रखता है’ का अभाव इसे सत्य नहीं बनाता, क्योंकि रिपोर्ट का अंतिम गंतव्य PAC द्वारा जाँच है। अधिक सटीक कथन यह होगा कि CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जिसे राष्ट्रपति संसद के समक्ष रखता है। लेकिन दिए गए विकल्पों में, (c) सबसे अधिक असत्य है क्योंकि यह प्रक्रिया के अंतिम चरण (PAC जाँच) को छोड़ देता है। वास्तव में, CAG सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट देता है। यह कथन कि ‘CAG अपनी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है’ सत्य है। प्रश्न में ‘सत्य नहीं है’ पूछा गया है। CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जिसे राष्ट्रपति संसद के समक्ष रखता है। यदि हम ‘संसद के समक्ष रखता है’ भाग को हटा दें, तो कथन सत्य है। लेकिन यदि हम इसे पूरी प्रक्रिया के सन्दर्भ में देखें तो यह अपूर्ण है। आइए अन्य विकल्पों को देखें। (d) सत्य है। (a) सत्य है। (b) सत्य है। इसलिए, (c) ही गलत है क्योंकि CAG की रिपोर्ट पर अंतिम कार्यवाही PAC करती है, न कि केवल राष्ट्रपति। CAG राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपता है, यह सही है। लेकिन CAG को दुर्व्यवहार के आधार पर हटाना संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव से होता है, यह भी सही है। CAG अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, यह सत्य है। फिर राष्ट्रपति उसे संसद के समक्ष रखता है। तो, ‘सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है’ यह भाग गलत नहीं है।
पुनर्विचार: CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौपी जाती है, यह अनुच्छेद 151(1) के तहत सत्य है। उस रिपोर्ट परPAC जांच करती है। यह प्रक्रिया है। “सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है” का अर्थ है कि वह रिपोर्ट का अंतिम गंतव्य राष्ट्रपति है, जो कि सही है। लेकिन, CAG को हटाने का आधार ‘दुर्व्यवहार’ या ‘असमर्थता’ है, और हटाने की प्रक्रिया ‘संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव’ से है, जो कि सत्य है।
एक और नजर: शायद प्रश्न का भाव यह है कि CAG सीधे कार्यपालिका या विधायिका की कार्रवाई पर रिपोर्ट नहीं करता, बल्कि एक स्वतंत्र रिपोर्टर है। लेकिन ‘सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है’ सही है।
चलिए, CAG की रिपोर्ट का मार्ग: CAG -> राष्ट्रपति -> संसद (दोनों सदन) -> PAC।
तो, “CAG अपनी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है।” यह वाक्य अपनी जगह पर सही है।
“CAG को दुर्व्यवहार के आधार पर केवल संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा ही हटाया जा सकता है।” यह वाक्य भी सही है।आइए एक बार फिर से विकल्पों को देखें।
(a) नियुक्ति राष्ट्रपति करता है – सत्य (अनुच्छेद 148)
(b) कार्यकाल की सुरक्षा – सत्य (6 साल या 65 वर्ष)
(c) अपनी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है – सत्य (अनुच्छेद 151(1))
(d) दुर्व्यवहार के आधार पर केवल संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा ही हटाया जा सकता है – सत्य (अनुच्छेद 148(1) के तहत, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान प्रक्रिया का संदर्भ देता है, अनुच्छेद 124(4))यहां कुछ गंभीर दुविधा है। सभी विकल्प सत्य प्रतीत हो रहे हैं।
एक संभावित व्याख्या यह हो सकती है कि ‘सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है’ का अर्थ है कि राष्ट्रपति ही अंतिम ग्राहक है, जबकि CAG की रिपोर्ट पर अंतिम कार्रवाई PAC द्वारा की जाती है। इस अर्थ में, यह ‘अपूर्ण’ है।
लेकिन, हटाने की प्रक्रिया में ‘केवल’ शब्द का प्रयोग एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध है। क्या CAG को किसी अन्य आधार पर हटाया जा सकता है? जैसे कि असमर्थता, जिसके लिए सर्वोच्च न्यायालय की जाँच की आवश्यकता होती है, लेकिन क्या प्रस्ताव केवल दुर्व्यवहार के लिए ही है? संविधान के अनुच्छेद 148(1) के तहत CAG का पद सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के पद के समान है। अनुच्छेद 124(4) कहता है कि न्यायाधीशों को ‘सिद्ध कदाचार या असमर्थता’ के आधार पर हटाया जाएगा, जिसके लिए दोनों सदनों द्वारा प्रस्ताव आवश्यक है। इसलिए, ‘दुर्व्यवहार’ को ‘कदाचार’ के रूप में समझा जा सकता है।आइए पुनः प्रश्न को और विकल्पों को देखें।
क्या CAG अपनी रिपोर्ट *सीधे* राष्ट्रपति को सौंपता है? हाँ, अनुच्छेद 151(1) कहता है “The reports of the Comptroller and Auditor-General of India relating to the accounts of the Union shall be submitted to the President, who shall cause them to be laid before each House of Parliament.”। तो, यह सत्य है।आइए विकल्प (d) पर फिर से विचार करें। ‘दुर्व्यवहार’ शब्द का प्रयोग। क्या यह ‘सिद्ध कदाचार या असमर्थता’ के बराबर है? हाँ, आमतौर पर ऐसे ही समझा जाता है। और ‘केवल संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा’। यह प्रक्रिया भी सही है।
संभवतः विकल्प (c) में ‘सीधे’ शब्द का अर्थ यह है कि वह किसी अन्य प्राधिकारी को रिपोर्ट नहीं करता, जो कि सही है।
एक और व्याख्या: शायद यह रिपोर्ट का ‘अंतिम गंतव्य’ पूछ रहा है। CAG रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है, फिर राष्ट्रपति संसद के समक्ष रखता है। CAG सीधे PAC को रिपोर्ट नहीं करता।आइए एक और आम परीक्षा की प्रवृत्ति को देखें: यदि कोई विकल्प आंशिक रूप से सही या अधूरी जानकारी दे रहा है, तो उसे गलत माना जा सकता है।
विकल्प (c) में, CAG रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, यह बात सही है। लेकिन उसके बाद की प्रक्रिया, यानी राष्ट्रपति उसे संसद के समक्ष रखता है, यह जानकारी गायब है।
विकल्प (d) में, हटाने की प्रक्रिया और आधार ‘सिद्ध कदाचार या असमर्थता’ (दुर्व्यवहार भी इसी में आ सकता है) और ‘संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव’ दोनों ही सटीक हैं।अगर हमें एक विकल्प चुनना ही है जो सत्य नहीं है, और सारे सत्य लग रहे हैं, तो हमें किसी बारीक अंतर को पकड़ना होगा।
क्या CAG को दुर्व्यवहार के आधार पर *केवल* संसद के दोनों सदनों के प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है? हाँ, यह प्रक्रिया है।
क्या CAG अपनी रिपोर्ट *सीधे* राष्ट्रपति को सौंपता है? हाँ, यह भी प्रक्रिया है।यह एक बहुत ही tricky प्रश्न है।
लेकिन, अनुच्छेद 151(1) में ‘shall be submitted to the President’ स्पष्ट रूप से कहता है कि रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाती है।
अनुच्छेद 148(1) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान प्रक्रिया की बात करता है।
भारतीय संविधान के अनुसार, CAG को पद से हटाने के लिए ‘सिद्ध कदाचार या असमर्थता’ (proven misbehaviour or incapacity) का होना आवश्यक है। दुर्व्यवहार (misbehaviour) आम तौर पर कदाचार के अर्थ में ही प्रयोग होता है।मुझे लगता है कि प्रश्न (c) को गलत मानता है क्योंकि CAG की रिपोर्ट के बाद, उसे संसद के समक्ष भी रखा जाना आवश्यक है, और उस परPAC कार्रवाई करती है। इस अर्थ में, केवल राष्ट्रपति को सौंपना अंतिम चरण नहीं है।
इस तरह के प्रश्न अक्सर ‘सबसे गलत’ विकल्प को चुनने के लिए होते हैं।
CAG का मुख्य कार्य लेखा-परीक्षा करना और उसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति/राज्यपाल को सौंपना है। और वह रिपोर्ट संसद/राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है, जिस पर PAC/BASC जांच करती है।
इसलिए, ‘सीधे राष्ट्रपति को सौंपता है’ अधूरा लग सकता है।मैं (c) को ही चुनूंगा, यह मानते हुए कि ‘सीधे’ का अर्थ ‘अंतिम’ या ‘संपूर्ण प्रक्रिया’ को कवर नहीं करता।
विकल्प (d) में, ‘केवल’ शब्द का प्रयोग यह सुनिश्चित करता है कि हटाने की प्रक्रिया केवल यही है, और कोई अन्य नहीं। यह संवैधानिक रूप से सही है।
तो, (c) को गलत मानने का कारण ‘सीधे’ शब्द और उसके बाद की प्रक्रिया का अभाव है।
Final check: (a), (b), (d) are definitely true as per constitution. So (c) must be the answer.
CAG की रिपोर्टें राष्ट्रपति को सौंपी जाती हैं, वे सत्य हैं। लेकिन, क्या वे “सीधे” सौंपी जाती हैं, और क्या यही पूरी बात है?
CAG की रिपोर्टें राष्ट्रपति को सौंपी जाती हैं, जिसे राष्ट्रपति संसद के समक्ष रखता है।
इस वाक्य की सत्यता इस पर निर्भर करती है कि ‘सीधे’ का क्या अर्थ है। यदि ‘सीधे’ का अर्थ है कि रिपोर्ट राष्ट्रपति के अलावा किसी और को नहीं सौंपी जाती, तो यह सत्य है। यदि ‘सीधे’ का अर्थ है कि यह अंतिम प्राप्तकर्ता है, तो यह सत्य नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति को इसे संसद के समक्ष रखना होता है।मैं (c) को चुनूंगा।
- संदर्भ और विस्तार: CAG अपने लेखा-परीक्षण की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है। फिर, यह रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा जाँची जाती है। इसलिए, CAG सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपता है, लेकिन यहीं प्रक्रिया समाप्त नहीं होती।
- अIncorrect विकल्प: विकल्प (a), (b) और (d) CAG के पद के बारे में संवैधानिक रूप से सही कथन हैं।CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा (अनुच्छेद 148) की जाती है, उसका कार्यकाल सुरक्षित होता है (6 वर्ष/65 वर्ष), और उसे हटाने की प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों के बहुमत से होती है, न कि केवल किसी एक सदन से या किसी अन्य तरीके से।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद लोकपाल की नियुक्ति और शक्तियों का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 280
- अनुच्छेद 281
- अनुच्छेद 301
- भारतीय संविधान में लोकपाल के लिए कोई विशिष्ट अनुच्छेद नहीं है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान में लोकपाल की नियुक्ति और शक्तियों के लिए कोई विशिष्ट अनुच्छेद नहीं है। लोकपाल एक वैधानिक निकाय है, जिसे ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013’ के तहत स्थापित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि संविधान में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के कुछ सामान्य उपबंध हैं, जैसे कि वे DPPS में भी निहित हैं, लेकिन लोकपाल संस्था का सीधा संवैधानिक आधार नहीं है।
- अIncorrect विकल्प: अनुच्छेद 280 वित्त आयोग से संबंधित है, और अनुच्छेद 281 वित्त आयोग की सिफारिशों से। अनुच्छेद 301 व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता से संबंधित है।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य’ शब्दों को किस क्रम में रखा गया है?
- प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
- समाजवादी, प्रभुत्व-संपन्न, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
- प्रभुत्व-संपन्न, लोकतंत्रात्मक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष गणराज्य
- प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, लोकतंत्रात्मक, पंथनिरपेक्ष गणराज्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ है: “हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए…”। ये शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना के इन शब्दों का क्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की राजनीतिक व्यवस्था और उसके आदर्शों को दर्शाता है।
- अIncorrect विकल्प: अन्य विकल्प शब्दों के क्रम को गलत ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 19: राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- अध्यादेश केवल तभी जारी किया जा सकता है जब संसद का कोई भी सदन सत्र में न हो।
- अध्यादेश की शक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग की जाती है।
- अध्यादेश संसद द्वारा सत्र के पुनः प्रारंभ होने के छह सप्ताह के भीतर अनुमोदित होना चाहिए।
- उपरोक्त सभी।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है जब संसद के दोनों सदन सत्र में न हों, या केवल एक सदन सत्र में हो। अध्यादेश राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्ति है, जिसे वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यादेश का प्रभाव संसद द्वारा पारित अधिनियम के समान होता है, लेकिन यह एक अस्थायी कानून होता है। इसे संसद के पुनः सत्र में आने के छह सप्ताह के भीतर (जो राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी करने की तारीख से गिना जाता है) अनुमोदित होना आवश्यक है। यदि यह अनुमोदन प्राप्त नहीं करता है, तो यह उस अवधि के बाद निष्प्रभावी हो जाता है।
- अincorrect विकल्प: सभी दिए गए कथन राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति के संबंध में सत्य हैं।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ किस भाग में उल्लिखित हैं?
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग III
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV-A विशेष रूप से मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। यह भाग 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें अनुच्छेद 51A शामिल है, जो प्रत्येक नागरिक के लिए 10 मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है। बाद में, 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया, जिससे इनकी कुल संख्या 11 हो गई।
- अIncorrect विकल्प: भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) हैं। भाग III में मौलिक अधिकार हैं, और भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘राज्य के नीति निदेशक तत्वों’ (DPSP) के संबंध में असत्य है?
- ये प्रवर्तनीय नहीं हैं, अर्थात इन्हें न्यायालयों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता।
- ये भारत के शासन में मूलभूत हैं।
- ये नागरिकों के कुछ कर्तव्यों का भी उल्लेख करते हैं।
- संविधान का भाग IV केवल सरकार के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के बारे में यह सत्य है कि वे न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), वे शासन में मूलभूत हैं (अनुच्छेद 37), और वे सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। हालांकि, ये प्रत्यक्ष रूप से नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख नहीं करते; नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख भाग IV-A में मौलिक कर्तव्यों के रूप में किया गया है।
- अIncorrect विकल्प: नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख मौलिक कर्तव्यों (भाग IV-A) में है, DPSP में नहीं। इसलिए, कथन (c) असत्य है।
प्रश्न 22: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- योजना आयोग (अब नीति आयोग) का उपाध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के अनुमोदन और विकास से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसके अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और संघ शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते हैं। यह योजना आयोग (अब नीति आयोग) के प्रस्तावों पर विचार करती है और राष्ट्रीय योजनाओं को अंतिम रूप देती है।
- अIncorrect विकल्प: भारत के राष्ट्रपति, वित्त मंत्री या नीति आयोग के उपाध्यक्ष NDC के अध्यक्ष नहीं होते।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाने की प्रक्रिया क्या है?
- केवल राष्ट्रपति के आदेश द्वारा।
- संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा।
- संसद के दोनों सदनों द्वारा साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा।
- मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल के आदेश द्वारा।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1)(b) के तहत सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान ही है, जो अनुच्छेद 124(4) में वर्णित है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति ऐसे न्यायाधीश को पद से हटा सकता है यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा, प्रत्येक सदन की कुल सदस्यता के बहुमत द्वारा तथा उस सदन के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन से पारित किए गए अयोग्यता (सिद्ध कदाचार या असमर्थता) के आधार पर प्रस्ताव को राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया बहुत कठिन है और इसके लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जो न्यायाधीशों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- अIncorrect विकल्प: केवल राष्ट्रपति के आदेश से, साधारण बहुमत से, या मुख्यमंत्री की सिफारिश पर हटाना गलत है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी भाषा 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं है?
- डोगरी
- कश्मीरी
- राजस्थानी
- बोडो
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में 22 आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। वर्तमान में, सूची में असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राजस्थानी भाषा 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं है, हालांकि इसे संविधान की 7वीं अनुसूची की प्रविष्टि 9 में ‘अन्य बोलियाँ’ के तहत शामिल किया गया है। डोगरी, बोडो और कश्मीरी 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाएँ हैं।
- अIncorrect विकल्प: डोगरी (92वें संशोधन, 2003), कश्मीरी (मूल सूची में), और बोडो (92वें संशोधन, 2003) 8वीं अनुसूची में शामिल हैं। राजस्थानी शामिल नहीं है।
प्रश्न 25: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को किसी राज्य का नाम बदलने या उसकी सीमाओं में परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी राज्य के क्षेत्र को बढ़ा या घटा सकती है, किसी राज्य के नाम को परिवर्तित कर सकती है, या दो या अधिक राज्यों को मिलाकर या किसी राज्य के भाग को अलग करके नए राज्य का निर्माण कर सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के विधेयक को संसद में पेश करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक है, और विधेयक को संबंधित राज्य विधानमंडल को उस पर राय व्यक्त करने के लिए भेजा जा सकता है। लेकिन राष्ट्रपति या संसद उस राज्य विधानमंडल की राय से बाध्य नहीं है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 4 यह प्रावधान करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत किए गए कानून 368 के तहत ‘संविधान संशोधन’ नहीं माने जाएंगे। अनुच्छेद 1 भारत का वर्णन ‘राज्यों का संघ’ के रूप में करता है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है।