राजनीतिक भर्तीकरण

राजनीतिक भर्तीकरण

 

भर्ती और राजनीतिक समाजीकरण एक ही प्रक्रिया के दो पहलू  हैं। राजनीतिक भर्ती का अध्ययन विभिन्न  अभिजन  समूहों  का  अध्ययन  है  जिसमें  उस  चयन  प्रक्रिया  का  अध्ययन  किया  जाता  है जिसके माध्यम से किसी राजनीतिक अभिजन के वर्ग की भर्ती आमजनों के मध्य से होती है।

राजनीतिक व्यवस्था के राजकीय स्वरूप से पूर्व राजनीतिक व्यवस्था के मूल्यों और लक्ष्यों मे शिक्षित  एवं  दीक्षित  होना  आवश्यक  है  अर्थात्  राजनीति  के  मूल्यों  एवं  लक्ष्यों  की  जानकारी  होनी चाहिए। इन मूल्यों एवं लक्ष्यों में प्रशिक्षित होने की प्रक्रिया को राजनैतिक सामाजीकरण कहा जाता है। जब व्यक्ति को शिक्षा-दीक्षा और योग्यता तथा प्रशिक्षण के अनुरूप विभिन्न राजनैतिक भूमिकाएं

सौपं ी जाती हैं तो उसे राजनीतिक भर्तीकरण कहा जाता है। संक्षेप में, राजनीतिक सामाजीकरण

राजनीतिक संस्कृति सीखने की प्रक्रिया है। जबकि राजनीतिक भर्ती सदस्यों का राजनीति में प्रवेश है।  राजनीतिक  सामाजीकरण  की  अवधारणा  पर  राजनीतिक  भर्तीकरण  का  प्रकार्य  अवस्थित  है। राजनीतिक भर्तीकरण में पदो,ं  प्रस्थितियों और भूमिकाओं के आधार पर सदस्यों को भर्ती करते हैं।

राजनीतिक व्यवस्था स्वतन्त्र रूप से क्रियाशील होती है लेकिन अत्याधिक मतभेद, पक्षपात,

दुराग्रह  एवं  समूह  के  हित  आदि  इस  के  निषेधात्मक  कारक  है।ं  ये  कारक  उनमें  तनाव  पैदा  कर

संकट की स्थिति उत्पन्न करते हैं। अतः राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व एवं निरन्तरता के लिए

यह आवश्यक है कि समुचित मात्रा में मतैक्य पाया जाए। अभिजनों का यह दायित्व होता है कि वे

एकमतता  बनाए  रखें।  राजनैतिक  अभिजनों  को  राजनीतिक  समाजीकरण  एवं  उनकी  क्षमता  के

अनुकूल आवश्यक भूमिकाएं सौंपी जाती है,ं  उसे ही राजनैतिक भर्तीकरण कहा जाता है। राजनीतिक

राजनीतिक समाजशास्त्री राजनीतिक भर्ती के विभिन्न कारकों का उल्लेख करते हैं जो कि इस प्रकार है –

 

 

    1. शक्ति
    2. प्रतिष्ठा
    3. ईमानदारी
    4. स्नेह
    5.  कल्याण
    6.   सम्पत्ति
    7.  क्षमता  .
    8.   प्रबोधन

 

 

 

राजनीतिक  व्यवस्था  में इन  कारकों  का  महत्वपूर्ण  योगदान  होता  है  किस  व्यक्ति  को  कब, कहाँ  क्या  और  कितना  प्राप्त  होता  है  यह  निर्भर  करता  है  कि  इन  कारकों  पर  किसका  कितना अधिकार है राजनीतिक भर्ती शक्ति के कारण होती है और शक्ति राजनीतिक भर्ती मे सहायक होती है। भारत में राजनीतिक भर्ती जाति, धर्म, व्यक्तिगत प्रभाव, पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक प्रभाव जैसे आधारों  पर  होती  है  जबकि  अमेरिकारूस  एवं  चीन  जैसे  राष्ट्रों  में  राजनीतिक  अभिजनों  मे  भर्ती व्यक्तियों की सैनिक, आर्थिक स्थिति, प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व, प्रशासकीय क्षमता एवं युद्ध समर्थता, अभिप्रेरणा एवं तत्परता आदि होती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

जन  सहभागिता

 

 

 

जन  सहभागिता  या  राजनीतिक  मे  लोगों  की  सहभागिता  राजनीतिक  व्यवस्था  का  एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण अंग है। प्रत्येक राजनीतिक समाज मे राजनीतिक सत्ता अभिजनों के हाथ मे रहती है और इन अभिजनों का यह प्रयास होता है  कि राजनीतिक व्यवस्था मे अधिकाधिक लोगों की सहभागिता हो। यह सर्वमान्य तथ्य है कि जितने अधिक नागरिकों की राजनीतिक व्यवस्था मे सहभागिता  होती  है  राजनीतिक  सत्ता  को  उतना  ही  अधिक  स्थायित्व  प्राप्त  होता  है।  सहभागिता राजनीतिक सत्ता को औचित्यता प्रदान करती है। जिस समाज में राजनीतिक सहभागिता की मात्रा कम होती है वहाँ अव्यवस्था या अराजकता की स्थिति पैदा होने की सम्भावना अधिक रहती है।

राजनीतिक सहभागिता का अर्थ है कि राजनीतिक सत्ता में अधिकाधिक लोगों का सहयोग एवं कार्य हो। प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में इसका महत्व और अधिक होता है क्योंकि प्रजातन्त्र में जनता सरकार को अपनी सहमति देती या दी गई सहमति वापस लेती है।

राजनीतिक सहभागिता  को  परिभाषित  किया  जा  सकता  है।

 

मैक  ब्लास्की ने  लिखा  है  कि

‘‘राजनीतिक सहभागिता को उन स्वैǔिछक क्रियाओं जिनके द्वारा समाज के सदस्य शासकों के चयन

एवं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जन नीतियों के निर्माण में भाग लेते हैं, के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।  इस  परिभाषा  में  क्लब  के  सदस्यों  की  राजनीतिक  वार्तालाप  जैसी  आकस्मिक  क्रिया  से  लेकर राजनीतिक दलों के सदस्यों की सक्रिय क्रियाएं तक इसमें सम्मिलित की जा सकती हैं।

 

जन सहभागिता एक जटिल अवधारणा है क्योंकि यह विभिन्न चरों से प्रभावित होती है। ये प्रमुख  चर  मनोवैज्ञानिकसामाजिक  तथा  राजनीतिक  हो  सकते  हैं  एवं  इन्हीं  चरों  के  कारण भिन्न-भिन्न देशों, समयों एवं लोगों के बीच राजनीतिक सहभागिता की मात्रा भिन्न होती है।

राजनीतिक समाजशास्त्रियों ने राजनीतिक सहभागिता की अनेक क्रियाओं का उल्लेख किया है।  इन  क्रियाओं  से  राजनीतिक  सहभागिता  की  प्रकृति  एवं  मात्रा  का  स्पष्ट  विश्लेषण  होता  है। मतदान, जानकारी देना, वाद-विवाद, धर्मांतरण, सभाओं में उपस्थिति, चन्दा देना, दल की सदस्यता ग्रहण करना, चुनाव में भाग लेना, भाषण देना, लिखना एवं राजनीतिक दलों के लिए चुनाव लड़ना आदि राजनीतिक सहभागिता की क्रियाएं हैं।

राजनीतिक सहभागिता के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे शिक्षा, व्यवसाय, आय, लिंग, आयु, आवास, गतिशीलता, धर्म, जाति, समूह, प्रभाव आदि। अनेक शोध अध्ययनों से यह प्रमाणित हुआ है कि  अधिक  सुशिक्षितǔच  आय  वालेपुरूष  वर्ग  एवं  शहर  में  रहने  वाले  लोगों  मे  राजनीतिक सहभागिता  का  स्तर  अधिक  ऊँचा  होता  है।  जबकि  निम्न  स्थिति  वाले  लोगों  में  राजनीतिक सहभागिता का स्तर कम होता है राजनीतिक पर्यावरण राजनैतिक सहभागिता की मात्रा बढ़ाता है।

यदि किसी राष्ट्र का आकार  बहुत  बड़ा हो एवं पर्याप्त साधन नहीं हो तो  राजनीतिक सहभागिता कम होगी।

2023 NEW SOCIOLOGY – नया समाजशास्त्र
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