राजनीतिक दांवपेंच: भाजपा और प्रशांत किशोर की FIR, क्या यह सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप है?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की खबर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। भाजपा का आरोप है कि प्रशांत किशोर ने पार्टी की छवि धूमिल करने का प्रयास किया है। यह घटनाक्रम राजनीतिक रणनीति, आरोप-प्रत्यारोप और जनमत को प्रभावित करने के प्रयासों के बीच की बारीक लकीरों पर प्रकाश डालता है। यह केवल एक व्यक्तिगत लड़ाई नहीं, बल्कि समकालीन भारतीय राजनीति में ऐसे मामलों के व्यापक प्रभाव को समझने का एक अवसर है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण करेगा, जिसमें भाजपा का पक्ष, प्रशांत किशोर पर लगे आरोप, इस मामले के संभावित निहितार्थ और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसका महत्व शामिल है। हम इस पूरे परिदृश्य को एक निष्पक्ष, विश्लेषणात्मक लेंस से देखेंगे।
राजनीतिक रणनीतिकार: एक उभरता हुआ कारक
आज की राजनीति में, राजनीतिक रणनीतिकार (Political Strategist) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये वो व्यक्ति होते हैं जो किसी भी दल की चुनावी रणनीति, जनसंपर्क, संदेशों को तैयार करने और मतदाताओं को प्रभावित करने के तरीकों को आकार देते हैं। प्रशांत किशोर ऐसे ही एक जाने-माने व्यक्ति हैं, जिन्होंने कई प्रमुख दलों के लिए काम किया है और उनकी रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू किया है।
एक रणनीतिकार का काम सिर्फ वोट हासिल करना नहीं है, बल्कि मतदाताओं के मन में एक खास छवि बनाना, प्रतिद्वंद्वियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना और सकारात्मक नैरेटिव को स्थापित करना भी है। इसमें डेटा विश्लेषण, जनभावनाओं को समझना, सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग और प्रत्यक्ष संपर्क अभियान शामिल हो सकते हैं।
भाजपा बनाम प्रशांत किशोर:FIR का संदर्भ
यह पहली बार नहीं है जब प्रशांत किशोर राजनीतिक दलों के साथ विवादों में आए हैं। हालांकि, भाजपा द्वारा उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना एक उल्लेखनीय घटना है। इस मामले में, भाजपा का प्राथमिक आरोप यह है कि प्रशांत किशोर ने पार्टी की छवि को जानबूझकर नुकसान पहुँचाया है।
भाजपा का संभावित पक्ष (BJP’s Potential Stand):**
- छवि धूमिल करने का प्रयास (Attempt to Tarnish Image):** भाजपा का आरोप है कि प्रशांत किशोर ने अपनी सेवाओं या बयानों के माध्यम से भाजपा की छवि को नकारात्मक रूप से पेश करने का प्रयास किया है। यह संभवतः उनकी चुनावी रणनीतियों का हिस्सा रहा होगा, जिसका उद्देश्य मतदाताओं के बीच भाजपा के प्रति अविश्वास पैदा करना था।
- गलत सूचना का प्रसार (Spread of Misinformation):** आरोप यह भी हो सकता है कि प्रशांत किशोर ने भाजपा के बारे में गलत या भ्रामक जानकारी फैलाई है, जो चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों या जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत आपत्तिजनक हो सकती है।
- कानूनी कार्रवाई का अधिकार (Right to Legal Recourse):** किसी भी संस्था को यह अधिकार है कि यदि उसे लगता है कि उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया जा रहा है, तो वह कानूनी रास्ता अपनाए। भाजपा ने इसी अधिकार का प्रयोग किया है।
- जनता को सच्चाई बताना (Informing the Public):** प्राथमिकी दर्ज कराना भाजपा के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करने और जनता को यह बताने का एक तरीका भी हो सकता है कि उनके अनुसार कौन सी गतिविधियाँ अनुचित हैं।
प्रशांत किशोर पर लगे आरोप (Allegations Against Prashant Kishore):**
- चुनावों में अनुचित हस्तक्षेप (Unfair Interference in Elections):** प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने या अनुचित लाभ लेने के प्रयास के आरोप लग सकते हैं।
- साइबर अपराध से जुड़े आरोप (Charges related to Cybercrime):** यदि उनके द्वारा किए गए कार्यों में डेटा हेरफेर, हैकिंग, या सोशल मीडिया पर अनैतिक प्रचार शामिल है, तो ये आरोप लग सकते हैं।
- मानहानि (Defamation):** यदि उनके द्वारा कही गई बातें या किए गए कार्य भाजपा या उसके नेताओं की मानहानि करते हैं, तो यह एक कानूनी आधार बन सकता है।
“यह मामला केवल दो पक्षों के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक अभियानों में नैतिकता और कानूनी सीमाओं की पड़ताल करता है।”
FIR: एक कानूनी और राजनीतिक उपकरण
First Information Report (FIR) भारतीय आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह पुलिस को किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की सूचना मिलने पर जांच शुरू करने का अधिकार देता है।
FIR का महत्व (Significance of FIR):**
- जांच का प्रारंभिक बिंदु (Starting Point of Investigation):** FIR पुलिस को अपराध की प्रकृति और उसमें शामिल लोगों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
- साक्ष्य का संग्रह (Collection of Evidence):** FIR दर्ज होने के बाद, पुलिस साक्ष्य एकत्र करना शुरू करती है।
- कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत (Initiation of Legal Process):** यह किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का पहला कदम हो सकता है।
राजनीति में FIR का प्रयोग (Use of FIR in Politics):**
यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन भारतीय राजनीति में FIR का प्रयोग अक्सर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने या उन्हें असहज करने के लिए एक हथियार के रूप में किया जाता रहा है। इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी की छवि को धूमिल करना, उन्हें कानूनी झंझटों में फंसाना और उनके राजनीतिक एजेंडे को बाधित करना हो सकता है।
यह घटना भाजपा और प्रशांत किशोर के मामले में कैसे लागू होती है?**
संभव है कि भाजपा इस FIR के माध्यम से प्रशांत किशोर पर दबाव बनाना चाहती हो, ताकि वे भविष्य में पार्टी के खिलाफ काम न करें, या जनता के बीच उनकी विश्वसनीयता कम हो। वहीं, प्रशांत किशोर के समर्थक इसे भाजपा द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख सकते हैं।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: शासन, राजनीति और कानून
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए कई मायनों में प्रासंगिक है, विशेष रूप से सामान्य अध्ययन पेपर II (शासन, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध) और सामान्य अध्ययन पेपर IV (नैतिकता, सत्यनिष्ठा और योग्यता) के लिए।
1. भारतीय राजनीति (Indian Polity):**
- चुनावी प्रक्रिया (Electoral Process):** यह चुनावी अभियानों में रणनीतिकारों की भूमिका और उनके तरीकों पर सवाल उठाता है। क्या उनके काम को राजनीतिक अभियानों के सामान्य दायरे में रखा जाना चाहिए या कुछ सीमाएं होनी चाहिए?
- राजनीतिक दलों की जवाबदेही (Accountability of Political Parties):** दलों को अपने अभियानों में निष्पक्षता बनाए रखने और गलत सूचना फैलाने से बचने की कितनी जिम्मेदारी है?
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act):** क्या प्रशांत किशोर की गतिविधियाँ इस अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करती हैं? यह समझना महत्वपूर्ण है।
2. शासन (Governance):**
- कानून का शासन (Rule of Law):** जब राजनीतिक विवादों में FIR जैसे कानूनी उपकरणों का प्रयोग होता है, तो यह ‘कानून का शासन’ की अवधारणा पर बहस को प्रेरित करता है। क्या कानून का प्रयोग निष्पक्ष है या राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित?
- जवाबदेही और पारदर्शिता (Accountability and Transparency):** राजनीतिक अभियानों में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जाए? राजनीतिक रणनीतिकारों की भूमिका को कैसे विनियमित किया जाए?
3. नैतिकता (Ethics):**
- नैतिक अभियान (Ethical Campaigning):** क्या राजनीतिक अभियानों में ‘जीतना ही सब कुछ है’ का सिद्धांत अपनाना नैतिक है, या कुछ नैतिक सिद्धांत और सीमाएं होनी चाहिए?
- प्रतिष्ठा की सुरक्षा (Protection of Reputation):** किसी व्यक्ति या संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के नैतिक निहितार्थ क्या हैं?
- जनमत को प्रभावित करना (Influencing Public Opinion):** जनमत को प्रभावित करने के लिए किस तरह के तरीके नैतिक रूप से स्वीकार्य हैं?
4. विधि (Law):**
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure):** FIR दर्ज करने की प्रक्रिया और उसके बाद की जांच के चरण।
- मानहानि कानून (Defamation Laws):** IPC की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि को समझना।
- साइबर कानून (Cyber Laws):** यदि आरोप डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत सूचना फैलाने से संबंधित हैं।
पक्ष, विपक्ष और निष्पक्ष विश्लेषण
किसी भी राजनीतिक घटना को समझने के लिए, उसके विभिन्न पहलुओं को देखना आवश्यक है:
पक्ष (Pros – यदि कोई हों):**
- कानूनी प्रणाली की मजबूती:** यदि FIR सही आरोपों पर आधारित है, तो यह दिखाता है कि कानूनी प्रणाली किसी को भी जवाबदेह ठहरा सकती है, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।
- अनैतिक व्यवहार पर अंकुश:** ऐसे कदम राजनीतिक अभियानों में अनैतिक या अवैध प्रथाओं को हतोत्साहित कर सकते हैं।
विपक्ष (Cons):**
- राजनीतिक दुरुपयोग:** जैसा कि ऊपर बताया गया है, FIR का राजनीतिक दुरुपयोग एक आम समस्या है, जिससे यह आम जनता के विश्वास को कम कर सकता है।
- ‘वंचित’ रणनीति (Victimhood Strategy):** ऐसे मामले प्रशांत किशोर या भाजपा को ‘पीड़ित’ के रूप में पेश करने का मौका दे सकते हैं, जिससे जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटक सकता है।
- असहमति की आवाज दबाना:** यदि FIR सिर्फ इसलिए की गई है ताकि कोई व्यक्ति या दल सरकार की आलोचना करना बंद कर दे, तो यह असहमति की आवाज को दबाने का प्रयास है।
निष्पक्ष विश्लेषण (Objective Analysis):**
बिना पुख्ता सबूतों के किसी भी पक्ष का समर्थन करना या विरोध करना जल्दबाजी होगी। इस मामले को निष्पक्ष रूप से देखने के लिए, हमें निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- FIR की प्रकृति:** FIR में वास्तव में किन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं?
- प्रशांत किशोर का पक्ष:** प्रशांत किशोर की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है और वे आरोपों का खंडन कैसे करते हैं?
- सबूत:** दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले सबूत क्या हैं?
- न्यायिक प्रक्रिया:** मामले की न्यायिक प्रक्रिया क्या है और अदालतें क्या निर्णय लेती हैं?
“यह मामला हमें सिखाता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की आड़ में, कानूनी और नैतिक सीमाओं का सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है।”
प्रशांत किशोर की रणनीति: एक नजर
प्रशांत किशोर को उनकी अनूठी और अक्सर सफल चुनावी रणनीतियों के लिए जाना जाता है। उनकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ:
- ग्राउंड-लेवल डेटा पर जोर (Emphasis on Ground-Level Data):** वे जमीनी स्तर पर मतदाताओं के मूड को समझने के लिए व्यापक डेटा संग्रह और विश्लेषण पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।
- संदेश का सरलीकरण (Simplification of Message):** वे जटिल मुद्दों को सरल, यादगार नारों और संदेशों में बदलते हैं जो आम जनता तक आसानी से पहुँच सकें।
- सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग (Effective Use of Social Media):** वे लक्षित दर्शकों तक पहुँचने और उन्हें जोड़ने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का चतुराई से उपयोग करते हैं।
- स्थानीय नेताओं को सशक्त बनाना (Empowering Local Leaders):** वे अक्सर पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को अभियान का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
उनकी यह क्षमता, जो उन्हें सफल बनाती है, उन्हें विरोधियों के लिए एक लक्ष्य भी बना सकती है, खासकर यदि वे इस बात से असुरक्षित महसूस करते हैं कि उनके अभियानों को कैसे विफल किया जा सकता है।
आगे की राह: क्या उम्मीद की जाए?
इस मामले का परिणाम कई कारकों पर निर्भर करेगा:
- जांच का परिणाम:** पुलिस द्वारा की गई जांच और एकत्र किए गए सबूत।
- न्यायिक निर्णय:** अदालतें इस मामले को कैसे देखती हैं और क्या वे FIR को बरकरार रखती हैं या रद्द करती हैं।
- राजनीतिक प्रतिक्रिया:** दोनों पक्षों की आगे की राजनीतिक चालें और जनता की प्रतिक्रिया।
UPSC उम्मीदवार के लिए निष्कर्ष (Conclusion for UPSC Candidate):**
इस घटना से सीखते हुए, उम्मीदवारों को भारतीय राजनीति में सत्ता की गतिशीलता, राजनीतिक अभियानों की जटिलताओं, कानून के शासन के अनुप्रयोग और नैतिक विचारों के महत्व को समझना चाहिए। यह एक अनुस्मारक है कि कैसे सार्वजनिक जीवन में विभिन्न हित टकराते हैं और उनका प्रबंधन किया जाता है।
यह मामला समकालीन भारतीय राजनीतिक परिदृश्य का एक सूक्ष्म अध्ययन प्रदान करता है, जहाँ रणनीतिकार, राजनीतिक दल और कानूनी तंत्र एक साथ मिलकर एक जटिल ताना-बाना बुनते हैं। एक UPSC उम्मीदवार के रूप में, यह आपका काम है कि आप इस ताने-बाने को निष्पक्ष रूप से समझें और इसके विभिन्न आयामों का विश्लेषण करें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1:** भारतीय आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत, FIR दर्ज करने का क्या अर्थ है?
(a) किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने का अंतिम निर्णय
(b) पुलिस द्वारा जांच शुरू करने का पहला कदम
(c) अदालत में मुकदमे की शुरुआत
(d) साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया का अंत
उत्तर: (b)**
व्याख्या: FIR (First Information Report) संज्ञेय अपराध की सूचना पर पुलिस द्वारा की जाने वाली प्रारंभिक कार्रवाई है, जिसके आधार पर जांच शुरू होती है। यह दोषी ठहराने या मुकदमे की शुरुआत नहीं है। - प्रश्न 2:** निम्नलिखित में से कौन सी धारा भारतीय दंड संहिता (IPC) मानहानि (Defamation) से संबंधित है?
(a) धारा 299
(b) धारा 302
(c) धारा 499
(d) धारा 511
उत्तर: (c)**
व्याख्या: IPC की धारा 499 मानहानि को परिभाषित करती है और धारा 500 इसका दंड बताती है। - प्रश्न 3:** राजनीतिक अभियानों में ‘जनमत को प्रभावित करने’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. डेटा विश्लेषण और लक्षित संदेश इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग जनमत को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है।
3. चुनावी आयोग ऐसे अनैतिक प्रचारों को रोकने के लिए कदम उठा सकता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)**
व्याख्या: तीनों कथन जनमत को प्रभावित करने के आधुनिक तरीकों और चुनावी आयोग की भूमिका को सही ढंग से दर्शाते हैं। - प्रश्न 4:** ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951’ मुख्य रूप से किससे संबंधित है?
(a) भारतीय संविधान का संशोधन
(b) संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनाव की प्रक्रिया
(c) पंचायती राज संस्थाओं का गठन
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कानून
उत्तर: (b)**
व्याख्या: यह अधिनियम चुनावों के संचालन, चुनाव चिन्ह, चुनाव लड़ने की योग्यता/अयोग्यता आदि से संबंधित है। - प्रश्न 5:** चुनावी रणनीतिकार (Political Strategist) की भूमिका के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वे मतदाताओं के मूड को समझने के लिए डेटा विश्लेषण का उपयोग करते हैं।
2. उनका मुख्य कार्य केवल नारों का निर्माण करना होता है।
3. वे डिजिटल प्रचार अभियानों की योजना बनाते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)**
व्याख्या: चुनावी रणनीतिकार का कार्य केवल नारों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें डेटा विश्लेषण, डिजिटल प्रचार और समग्र अभियान प्रबंधन शामिल है। - प्रश्न 6:** “कानून का शासन” (Rule of Law) की अवधारणा के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से सत्य है/हैं?
1. सभी व्यक्ति कानून के समक्ष समान हैं।
2. सरकार की शक्तियाँ कानून द्वारा सीमित होती हैं।
3. कानून का प्रयोग कभी भी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)**
व्याख्या: हालांकि कानून का शासन आदर्श रूप से बताता है कि कानून का प्रयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं होना चाहिए, व्यवहार में यह एक चुनौती हो सकती है। इसलिए कथन 3 हमेशा सत्य नहीं होता। - प्रश्न 7:** निम्नलिखित में से कौन सा ‘संज्ञेय अपराध’ (Cognizable Offence) की श्रेणी में आता है?
(a) एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को अपमानित करना
(b) किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाना
(c) चोरी या डकैती
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (c)**
व्याख्या: संज्ञेय अपराध वे होते हैं जिनमें पुलिस वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकती है और बिना अदालत की अनुमति के जांच शुरू कर सकती है। चोरी, डकैती जैसे गंभीर अपराध इस श्रेणी में आते हैं। अपमान या मानहानि आमतौर पर गैर-संज्ञेय अपराध होते हैं। - प्रश्न 8:** किसी राजनीतिक दल की ‘छवि धूमिल करने’ के आरोप को निम्नलिखित में से किस कानूनी अवधारणा के तहत देखा जा सकता है?
(a) मानहानि
(b) मानहानि (Slander) – मौखिक रूप से
(c) मानहानि (Libel) – लिखित रूप से
(d) उपरोक्त सभी, यदि तथ्यात्मक रूप से आरोप साबित हो जाएं
उत्तर: (d)**
व्याख्या: यदि कोई गलत सूचना फैलाई जाती है जिससे किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है, तो यह मानहानि (Libel – लिखित या प्रकाशित) या Slander (मौखिक) के दायरे में आ सकता है, जो अंततः मानहानि के तहत ही आता है। - प्रश्न 9:** राजनीतिक अभियानों में ‘नैतिकता’ (Ethics) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा विचार सबसे प्रासंगिक है?
(a) केवल जीतना ही अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
(b) चुनाव जीतने के लिए हर तरीका जायज है।
(c) अभियानों में निष्पक्षता, सत्यनिष्ठा और सम्मानजनक व्यवहार महत्वपूर्ण हैं।
(d) राजनीतिक दल किसी भी प्रकार के नियमों से बंधे नहीं होते।
उत्तर: (c)**
व्याख्या: नैतिकता का तात्पर्य सही और गलत के बीच अंतर करना है, और राजनीतिक अभियानों में भी इन सिद्धांतों का पालन अपेक्षित है। - प्रश्न 10:** यदि कोई व्यक्ति या संस्था यह आरोप लगाती है कि उसके खिलाफ FIR राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है, तो यह किस अवधारणा को दर्शाता है?
(a) कानून का शासन
(b) राजनीतिक दुरुपयोग
(c) चुनावी कदाचार
(d) नागरिक अधिकार
उत्तर: (b)**
व्याख्या: कानून का प्रयोग यदि व्यक्तिगत या राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है, तो इसे ‘राजनीतिक दुरुपयोग’ कहा जाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1:** समकालीन भारतीय राजनीति में राजनीतिक रणनीतिकारों की बढ़ती भूमिका का विश्लेषण करें। उनके कार्यों के नैतिक आयामों और उन्हें विनियमित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2:** भाजपा द्वारा प्रशांत किशोर के खिलाफ FIR दर्ज कराने की घटना को भारतीय राजनीति में कानून के दुरुपयोग की व्यापक प्रवृत्ति के संदर्भ में देखें। इसके कारणों और निहितार्थों का विवेचन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 3:** एक प्रभावी और नैतिक राजनीतिक अभियान के मुख्य तत्व क्या होने चाहिए? जनमत को प्रभावित करने के आधुनिक साधनों के उपयोग से जुड़े नैतिक दुविधाओं का उल्लेख करें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4:** “भारतीय चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों और उनके द्वारा नियोजित रणनीतिकारों पर किस प्रकार की नियामक निगरानी होनी चाहिए?” विस्तृत चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)