राजनाथ सिंह का विपक्ष पर पलटवार: राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक विमर्श का विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में विपक्ष पर यह कहते हुए तीखा प्रहार किया कि “उन्होंने कभी यह नहीं पूछा कि हमने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए।” यह बयान तब आया है जब राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा आधुनिकीकरण और सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर सार्वजनिक और राजनीतिक बहसें तेज हैं। रक्षा मंत्री का यह बयान उन निहितार्थों की ओर इशारा करता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक विमर्श और राजनीतिक दलों की भूमिका से जुड़े हैं। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटना न केवल समसामयिक घटनाक्रम का एक महत्वपूर्ण बिंदु है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा कूटनीति, राजनीतिक जवाबदेही और मीडिया की भूमिका जैसे व्यापक विषयों के अध्ययन के लिए भी एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
परिचय: राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति का प्रभाव
राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता और कल्याण का आधारस्तंभ होती है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ आम तौर पर देश के भीतर राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर एकता और सहमति की उम्मीद की जाती है। हालाँकि, जैसा कि रक्षा मंत्री के हालिया बयान से स्पष्ट होता है, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे भी अक्सर राजनीतिक बहसों का केंद्र बन जाते हैं। यह स्वाभाविक है कि विपक्ष सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाए, लेकिन जब ये सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उठाए जाते हैं, तो यह एक जटिल संतुलन का मामला बन जाता है। रक्षा मंत्री का बयान इस बात पर प्रकाश डालता है कि विपक्ष की ओर से की जाने वाली कुछ प्रकार की पूछताछ या आलोचना, सरकार के दृष्टिकोण से, राष्ट्रीय सुरक्षा के सिद्धांतों के साथ असंगत हो सकती है।
यह ब्लॉग पोस्ट रक्षा मंत्री के बयान के पीछे के कारणों, राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में इसके निहितार्थों, विपक्ष की भूमिका, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है। हम समझेंगे कि इस तरह की बयानबाजी क्यों होती है, इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं, और एक जिम्मेदार सार्वजनिक विमर्श कैसे बनाए रखा जा सकता है।
रक्षा मंत्री के बयान के पीछे का संदर्भ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान किसी विशिष्ट घटना के जवाब में आया है, संभवतः विपक्ष द्वारा रक्षा सौदों, सशस्त्र बलों की परिचालन दक्षता, या हालिया सीमा संघर्षों से निपटने के तरीके पर की गई आलोचनाओं के प्रतिक्रिया स्वरूप। यह बयान इस ओर इशारा करता है कि विपक्ष की ओर से की गई कुछ पूछताछ, खासकर जब वे दुश्मन के नुकसान जैसे विशिष्ट, संवेदनशील सैन्य विवरणों पर केंद्रित होती हैं, तो रक्षा प्रतिष्ठान के लिए चिंता का विषय बन सकती हैं।
रणनीतिक संवेदनशीलता (Strategic Sensitivity): दुश्मन के विमानों को मार गिराना या अन्य महत्वपूर्ण सैन्य सफलताएं, राष्ट्रीय सुरक्षा के अति-संवेदनशील पहलू होते हैं। इन विवरणों का खुलासा, भले ही वे विजय के संकेत हों, दुश्मन को हमारी क्षमताओं, तकनीकों और खुफिया जानकारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसलिए, सैन्य अभियानों के विवरण को गुप्त रखना एक स्थापित राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल है।
विपक्ष की भूमिका और जवाबदेही (Role of Opposition and Accountability): वहीं दूसरी ओर, विपक्ष का कर्तव्य है कि वह सरकार के कार्यों की निगरानी करे और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करे। इसमें रक्षा व्यय, नीतियों की प्रभावशीलता, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निर्णय शामिल हैं। विपक्ष यह सुनिश्चित करने के लिए प्रश्न पूछ सकता है कि संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है और राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा रहा है।
शक्तियों का संतुलन (Balancing Act): रक्षा मंत्री का बयान इसी संतुलन को दर्शाता है। वे विपक्ष की जवाबदेही की मांग को स्वीकार करते हुए, लेकिन साथ ही यह भी रेखांकित करते हैं कि किस प्रकार की पूछताछ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकती है। यह कहना कि “उन्होंने कभी यह नहीं पूछा कि हमने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए” शायद इस बात पर जोर देने के लिए है कि जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई, तब विपक्ष ने कथित तौर पर संवेदनशीलता दिखाई और उन विवरणों पर जोर नहीं दिया जिनका खुलासा करना राष्ट्र के हित में नहीं था।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर सार्वजनिक विमर्श: एक जटिल जाल
राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक स्वस्थ सार्वजनिक विमर्श के लिए निम्नलिखित तत्वों का संतुलन आवश्यक है:
- पारदर्शिता (Transparency): सरकार को अपनी नीतियों और रक्षा व्यय के बारे में एक उचित स्तर की पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए ताकि जनता को सूचित किया जा सके।
- जवाबदेही (Accountability): सरकार को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निर्णय भी शामिल हैं।
- संवेदनशीलता (Sensitivity): राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील पहलुओं, जैसे कि सैन्य अभियान, खुफिया जानकारी और दुश्मन की कमजोरियों के बारे में सार्वजनिक चर्चा को अत्यधिक सावधानी से किया जाना चाहिए।
- विवेक (Discretion): राजनेताओं और सार्वजनिक हस्तियों को इस बात का विवेक रखना चाहिए कि वे किस प्रकार की जानकारी का खुलासा करते हैं या उस पर टिप्पणी करते हैं, खासकर सार्वजनिक मंचों पर।
रक्षा मंत्री का बयान संभवतः उस “विवेक” की कमी की ओर इशारा करता है, जब विपक्ष द्वारा ऐसे सवाल उठाए जाते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता को नजरअंदाज करते हैं।
UPSC के लिए प्रासंगिक विषय और उनके विश्लेषण
यह घटना UPSC परीक्षा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़ी हुई है:
1. भारतीय रक्षा प्रणाली और सिद्धांत (Indian Defence System and Doctrine)
भारत की रक्षा प्रणाली, उसके सिद्धांत और दीर्घकालिक योजनाएं परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। रक्षा मंत्री का बयान इस बात का अप्रत्यक्ष संकेत है कि भारत की रक्षा तैयारी और शत्रु की निगरानी कैसे की जाती है।
- “Cold Start Doctrine” और “Integrated Battle Groups”: क्या विपक्ष ने इन रणनीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं? रक्षा मंत्री का बयान उन सवालों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकता है।
- रक्षा आधुनिकीकरण: लड़ाकू विमानों की खरीद, नौसेना के जहाजों का निर्माण, मिसाइल विकास – ये सभी रक्षा आधुनिकीकरण के पहलू हैं जिन पर विपक्ष सवाल उठा सकता है।
- सैन्य अभियानों की गोपनीयता: सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे अभियानों के बाद, दुश्मन के हताहतों के बारे में अटकलें और सवाल उठते हैं। इस संदर्भ में, रक्षा मंत्री का बयान सूचना के विवेकपूर्ण प्रकटीकरण के महत्व को रेखांकित करता है।
2. राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन (National Security Management)
राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रबंधन एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें सैन्य, कूटनीतिक, आर्थिक और सूचनात्मक आयाम शामिल हैं।
- “Who is Who” in Defence: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, रक्षा मंत्रालय, तीनों सेनाओं के प्रमुख, खुफिया एजेंसियां – इन सभी की भूमिकाएं और उनके बीच समन्वय महत्वपूर्ण है।
- सुरक्षा संबंधी निर्णय प्रक्रिया: प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) रक्षा संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लेती है। रक्षा मंत्री का बयान इस निर्णय प्रक्रिया पर होने वाली राजनीतिक बहस का हिस्सा है।
- सूचना का प्रसार और प्रबंधन: युद्ध के समय या सीमा पर तनाव के दौरान, सूचना का प्रसार कैसे किया जाता है, यह राष्ट्रीय मनोबल और अंतरराष्ट्रीय धारणा दोनों को प्रभावित करता है। रक्षा मंत्री का बयान इसी पर प्रकाश डालता है।
3. राजनीतिक जवाबदेही और विपक्ष की भूमिका (Political Accountability and Role of Opposition)
लोकतंत्र में, विपक्ष सरकार के कामकाज पर अंकुश रखने और जनता के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संसदीय समितियां (Parliamentary Committees): रक्षा पर स्थायी समिति (Standing Committee on Defence) जैसी समितियां रक्षा मंत्रालय के कामकाज की जांच करती हैं। विपक्ष इन समितियों में सक्रिय भूमिका निभाता है।
- संसदीय बहसें: बजट सत्रों, अविश्वास प्रस्तावों या महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर संसद में होने वाली बहसें विपक्ष के सवालों को उठाने के लिए मंच प्रदान करती हैं।
- “Shadow Cabinet” की अवधारणा: विकसित देशों में, विपक्ष कभी-कभी “शैडो कैबिनेट” के रूप में कार्य करता है, जिसमें वे सत्ताधारी दल के निर्णयों पर समानांतर “देखभाल” करते हैं। भारत में भी, विपक्ष की भूमिका इसी तरह की होती है।
4. मीडिया की भूमिका और सार्वजनिक राय (Role of Media and Public Opinion)
मीडिया राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर जानकारी फैलाने और सार्वजनिक राय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- “CNN Effect”: मीडिया कवरेज, विशेष रूप से संघर्षों के दौरान, नीतिगत निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।
- “Information Warfare”: दुष्प्रचार (disinformation) और गलत सूचना (misinformation) का प्रसार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। रक्षा मंत्री का बयान इस संबंध में चिंता व्यक्त कर सकता है कि कुछ प्रश्न अनजाने में या जानबूझकर दुश्मन के दुष्प्रचार को बढ़ावा दे सकते हैं।
- जिम्मेदार पत्रकारिता: मीडिया पर यह जिम्मेदारी होती है कि वह तथ्यों की पुष्टि करे और राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता को ध्यान में रखे।
5. कूटनीति और रक्षा कूटनीति (Diplomacy and Defence Diplomacy)
रक्षा कूटनीति, जिसमें सैन्य अभ्यास, रक्षा सहयोग, और रक्षा संबंधी संवाद शामिल हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- “Two-front War” Scenario: भारत की रक्षा नीतियां अक्सर चीन और पाकिस्तान के साथ संभावित दो-मोर्चे वाले युद्ध की पृष्ठभूमि में तैयार की जाती हैं। विपक्ष इन तैयारियों पर सवाल उठा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय रक्षा समझौते: फ्रांस, रूस, अमेरिका जैसे देशों के साथ रक्षा समझौते भारत की सुरक्षा को मजबूत करते हैं। इन समझौतों पर भी राजनीतिक बहस हो सकती है।
विपक्ष के प्रश्न पूछने के पीछे संभावित कारण
विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर प्रश्न क्यों पूछता है? इसके कई कारण हो सकते हैं:
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: सरकार रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती है। विपक्ष यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जनता के पैसे का प्रभावी ढंग से उपयोग हो रहा है।
- सरकार की नीतियों को चुनौती देना: विपक्ष सरकार की रक्षा नीतियों, रणनीतियों और निर्णयों को अपनी वैकल्पिक दृष्टि से चुनौती दे सकता है।
- जनता का ध्यान आकर्षित करना: राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे अक्सर जनता की रुचि का विषय होते हैं। इन पर सवाल उठाकर विपक्ष अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ा सकता है।
- विशिष्ट मुद्दों पर चिंता: यह संभव है कि विपक्ष किसी विशेष रक्षा सौदे, सैन्य अभियान, या सीमा प्रबंधन के तरीके से वास्तव में चिंतित हो और उस पर स्पष्टीकरण मांग रहा हो।
रक्षा मंत्री के बयान के निहितार्थ (Implications of the Defence Minister’s Statement)
रक्षा मंत्री का यह बयान कई स्तरों पर निहितार्थ रखता है:
- राष्ट्रीय सुरक्षा के एजेंडे का निर्धारण: यह बयान इस बात का संकेत है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा को किस दिशा में ले जाना चाहती है।
- विपक्ष के लिए एक चेतावनी: यह एक प्रकार की चेतावनी हो सकती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर की जाने वाली कुछ पूछताछ अनुत्पादक या हानिकारक हो सकती है।
- सार्वजनिक विमर्श का ध्रुवीकरण: ऐसे बयान कभी-कभी राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाना कठिन हो जाता है।
- रणनीतिक संचार (Strategic Communication): यह बयान एक रणनीतिक संचार का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य जनता को यह बताना है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति गंभीर है और विपक्ष की कुछ आलोचनाएं अनुचित हैं।
“They never asked how many enemy aircraft we shot down”: इस कथन का गहरा अर्थ
यह वाक्यांश केवल एक बयान नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई स्तरों की व्याख्या है:
“यह बयान संभवतः उन अवधियों या घटनाओं की ओर इशारा करता है जब राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सामूहिक भावना अधिक मजबूत थी। जब देश किसी गंभीर संकट या संघर्ष का सामना कर रहा था, तो राजनीतिक दल, चाहे वे सत्ता में हों या विपक्ष में, राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते थे। ऐसे समय में, ऐसे प्रश्न पूछना जो सैन्य विवरणों को उजागर करते हों या जो राष्ट्रीय मनोबल को कमजोर कर सकते हों, वर्जित माने जाते थे। यह “हम एक राष्ट्र हैं” की भावना का प्रतीक है, जहां बाहरी खतरों का सामना करने के लिए आंतरिक विभाजन को भुला दिया जाता था।”
यह कथन हमें भारतीय इतिहास के उन क्षणों की याद दिलाता है जब राष्ट्रीय गौरव और सुरक्षा किसी भी राजनीतिक लाभ से ऊपर थी। यह उस समय की ओर भी इशारा कर सकता है जब मीडिया और सार्वजनिक विमर्श अधिक जिम्मेदार था, या जब संचार माध्यम आज की तरह खुले नहीं थे, जिससे संवेदनशील जानकारी का अनियंत्रित प्रवाह रोकना आसान था।
क्या यह अतीत की “अच्छी” या “बुरी” याद है?
यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। क्या यह बयान राष्ट्र के पिछले “गर्व” के क्षणों को याद कर रहा है, या यह वर्तमान समय में एक “जिम्मेदार” विमर्श की कमी का संकेत है?
* **सकारात्मक व्याख्या:** यह तर्क दिया जा सकता है कि यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक उच्च स्तर की परिपक्वता और एकता का आह्वान है, जो वर्तमान समय में आवश्यक है।
* **आलोचनात्मक व्याख्या:** दूसरी ओर, यह तर्क दिया जा सकता है कि यह कथन वर्तमान विपक्ष की सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने की उसकी भूमिका को कम करने का एक प्रयास है, जो लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
### राष्ट्र निर्माण और सुरक्षा में विपक्ष की भूमिका
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में, विपक्ष सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भी, विपक्ष सरकार की नीतियों की समीक्षा कर सकता है, रणनीतिक खामियों को उजागर कर सकता है, और यह सुनिश्चित कर सकता है कि देश की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं।
उदाहरण:
कल्पना कीजिए कि देश युद्ध की कगार पर है। यदि विपक्ष यह सवाल नहीं पूछता कि सरकार सैनिकों के लिए पर्याप्त संख्या में राइफलें खरीद रही है या नहीं, या क्या सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत है, तो यह उसकी निष्क्रियता होगी। हालांकि, यह सवाल पूछना कि “हमने दुश्मन के कितने सैनिक मारे” या “हमारे कितने विमान सुरक्षित हैं” – ऐसे प्रश्न जिनकी जानकारी सार्वजनिक करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है – यहीं पर रक्षा मंत्री का तर्क लागू होता है।
अंतर यह है कि किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा रहे हैं। यदि प्रश्न “नीतिगत” हैं, “प्रक्रियात्मक” हैं, या “तैयारी” से संबंधित हैं, तो वे महत्वपूर्ण हैं। यदि वे “संवेदनशील सैन्य विवरणों” पर केंद्रित हैं, तो वे समस्याग्रस्त हो सकते हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
रक्षा मंत्री के बयान से उत्पन्न होने वाली मुख्य चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:
- संतुलन बनाए रखना: पारदर्शिता, जवाबदेही और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच सही संतुलन खोजना।
- राजनीतिकरण को रोकना: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल होने से बचाना।
- गलत सूचना का मुकाबला: दुष्प्रचार और गलत सूचना के प्रसार को रोकना, खासकर ऑनलाइन माध्यमों से।
- विपक्ष की भूमिका का सम्मान: विपक्ष को रचनात्मक आलोचना करने की स्वतंत्रता देना, लेकिन राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना।
आगे की राह:
- संवेदनशील सूचनाओं पर सर्वसम्मति: सभी राजनीतिक दलों के बीच इस बात पर आम सहमति होनी चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कौन सी जानकारी सार्वजनिक करना हानिकारक हो सकता है।
- संसदीय समितियों का सशक्तिकरण: रक्षा पर स्थायी समिति जैसी संसदीय समितियों को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, जहाँ गोपनीय जानकारी पर भी चर्चा हो सके, लेकिन यह मंच सार्वजनिक न हो।
- रणनीतिक संचार में स्पष्टता: रक्षा मंत्रालय को महत्वपूर्ण निर्णयों और अभियानों के बारे में जनता को स्पष्ट और तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करनी चाहिए, लेकिन अत्यधिक विवरणों से बचना चाहिए।
- “विश्वास का निर्माण” (Confidence Building): सरकार और विपक्ष के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर “विश्वास का निर्माण” महत्वपूर्ण है, ताकि वे एक-दूसरे के इरादों पर संदेह न करें।
निष्कर्ष
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राजनीतिक विमर्श की जटिलताओं को उजागर करता है। यह एक संतुलनकारी कार्य है जहाँ विपक्ष को सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होती है, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता का भी ध्यान रखना होता है। “उन्होंने कभी यह नहीं पूछा कि हमने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए” यह कथन इस विचार को पुष्ट करता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति एक साझा जिम्मेदारी है, और कुछ प्रकार की पूछताछ राष्ट्र हित में नहीं होती। UPSC उम्मीदवारों को इस घटना को केवल एक राजनीतिक बयान के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय रक्षा प्रणाली, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन, राजनीतिक जवाबदेही और मीडिया की भूमिका जैसे व्यापक विषयों के संदर्भ में समझना चाहिए। एक सूचित और जिम्मेदार नागरिक के रूप में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा को कैसे संतुलित किया जाए ताकि देश मजबूत बना रहे।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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रक्षा मंत्री के हालिया बयान के संदर्भ में, राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील पहलुओं से संबंधित कौन सी जानकारी का खुलासा आमतौर पर गुप्त रखा जाता है?
(a) रक्षा बजट का कुल आवंटन
(b) सशस्त्र बलों की आधुनिकीकरण योजनाएं
(c) दुश्मन के सैन्य नुकसान का सटीक विवरण
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक दलों का रुख
उत्तर: (c) दुश्मन के सैन्य नुकसान का सटीक विवरण
व्याख्या: दुश्मन के सैन्य नुकसान का सटीक विवरण, जैसे कि कितने विमान मार गिराए गए, संवेदनशील परिचालन जानकारी होती है जिसे प्रकट करने से दुश्मन को हमारी क्षमताओं का पता चल सकता है। अन्य विकल्प (a, b, d) सार्वजनिक विमर्श या संसदीय जांच के दायरे में आते हैं।
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भारतीय रक्षा प्रणाली में, राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था कौन सी है?
(a) रक्षा मंत्रालय
(b) राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC)
(c) कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS)
(d) तीनों सेनाओं के प्रमुखों का संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ
उत्तर: (c) कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS)
व्याख्या: कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS), जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सभी प्रमुख नीतिगत निर्णय लेती है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) एक सलाहकार निकाय है।
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लोकतंत्र में विपक्ष की एक महत्वपूर्ण भूमिका क्या है?
(a) केवल सरकार का समर्थन करना
(b) सरकार की नीतियों की निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना
(c) राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कोई सवाल न पूछना
(d) केवल विदेशी नीति पर चर्चा करना
उत्तर: (b) सरकार की नीतियों की निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना
व्याख्या: लोकतंत्र में विपक्ष का प्राथमिक कर्तव्य सरकार के कार्यों की निगरानी करना, उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करना और वैकल्पिक नीतिगत दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है।
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भारत की रक्षा तैयारियों के संदर्भ में “टू-फ्रंट वॉर” परिदृश्य का क्या अर्थ है?
(a) केवल एक पड़ोसी देश के साथ युद्ध की तैयारी
(b) दो अलग-अलग महाद्वीपों पर युद्ध की तैयारी
(c) चीन और पाकिस्तान जैसे एक साथ दो विरोधी देशों से संभावित संघर्ष की तैयारी
(d) केवल नौसैनिक युद्ध की तैयारी
उत्तर: (c) चीन और पाकिस्तान जैसे एक साथ दो विरोधी देशों से संभावित संघर्ष की तैयारी
व्याख्या: “टू-फ्रंट वॉर” परिदृश्य का अर्थ है कि भारत को एक ही समय में अपनी पश्चिमी (पाकिस्तान) और पूर्वी (चीन) सीमाओं पर संभावित सैन्य खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहना पड़ता है।
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संसदीय प्रणाली में, रक्षा मंत्रालय के कामकाज की जांच के लिए कौन सी स्थायी समिति जिम्मेदार है?
(a) लोक लेखा समिति (PAC)
(b) सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति (COPU)
(c) रक्षा पर स्थायी समिति (Standing Committee on Defence)
(d) वित्त पर स्थायी समिति
उत्तर: (c) रक्षा पर स्थायी समिति (Standing Committee on Defence)
व्याख्या: संसद की स्थायी समितियाँ, जिनमें रक्षा पर स्थायी समिति भी शामिल है, विशिष्ट मंत्रालयों के कामकाज की विस्तृत जांच करती हैं।
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रक्षा मंत्री के बयान में “सूचना का विवेकपूर्ण प्रकटीकरण” का क्या महत्व है?
(a) सभी जानकारी जनता को तुरंत उपलब्ध कराना
(b) राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाले बिना आवश्यक जानकारी साझा करना
(c) केवल विजयी अभियानों का प्रचार करना
(d) जानकारी को पूरी तरह से गोपनीय रखना
उत्तर: (b) राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाले बिना आवश्यक जानकारी साझा करना
व्याख्या: “सूचना का विवेकपूर्ण प्रकटीकरण” का अर्थ है कि संवेदनशील जानकारी को राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, सावधानीपूर्वक और केवल आवश्यक होने पर ही साझा किया जाना चाहिए।
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मीडिया की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में एक प्रमुख चुनौती है, विशेष रूप से:
(a) दुष्प्रचार (Disinformation) और गलत सूचना (Misinformation) का प्रसार
(b) केवल सरकार की नीतियों का समर्थन करना
(c) राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहन अकादमिक विश्लेषण प्रदान करना
(d) सैन्य रहस्यों का खुलासा करना
उत्तर: (a) दुष्प्रचार (Disinformation) और गलत सूचना (Misinformation) का प्रसार
व्याख्या: मीडिया, विशेष रूप से डिजिटल युग में, दुष्प्रचार और गलत सूचना के प्रसार का एक माध्यम बन सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में “कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स” (CBMs) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) शत्रुता बढ़ाना
(b) दोनों पक्षों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना
(c) सैन्य अभ्यास को गुप्त रखना
(d) सैन्य रहस्यों का आदान-प्रदान करना
उत्तर: (b) दोनों पक्षों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना
व्याख्या: कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स (CBMs) का उद्देश्य देशों के बीच अविश्वास को कम करना, पारदर्शी संचार को बढ़ावा देना और संभावित संघर्षों को रोकना है।
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रक्षा मंत्री के बयान में “राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना” का क्या अर्थ है?
(a) व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ को प्राथमिकता देना
(b) देश की सुरक्षा और संप्रभुता को किसी भी राजनीतिक मतभेद से ऊपर रखना
(c) केवल अपने दल के एजेंडे को आगे बढ़ाना
(d) अंतरराष्ट्रीय दबावों के आगे झुक जाना
उत्तर: (b) देश की सुरक्षा और संप्रभुता को किसी भी राजनीतिक मतभेद से ऊपर रखना
व्याख्या: राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने का अर्थ है कि देश की सुरक्षा, संप्रभुता और कल्याण को किसी भी अन्य विचार, विशेषकर राजनीतिक लाभ या व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखना।
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यदि कोई विपक्ष का सदस्य रक्षा सौदों में पारदर्शिता की मांग करता है, तो वह निम्नलिखित में से किस आधार पर ऐसा कर सकता है?
(a) रक्षा सौदों का कोई सार्वजनिक मूल्यांकन नहीं होना चाहिए
(b) रक्षा व्यय जनता के पैसे का उपयोग करता है और इसलिए जवाबदेही आवश्यक है
(c) रक्षा सौदे पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में होने चाहिए और उन पर कोई सवाल नहीं उठना चाहिए
(d) विपक्षी दल को केवल विदेशी शक्तियों के निर्देशों का पालन करना चाहिए
उत्तर: (b) रक्षा व्यय जनता के पैसे का उपयोग करता है और इसलिए जवाबदेही आवश्यक है
व्याख्या: रक्षा व्यय जनता के करों से आता है, इसलिए विपक्ष को पारदर्शिता और जवाबदेही के आधार पर रक्षा सौदों की जांच करने का अधिकार है, जब तक कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील विवरणों को प्रकट न करें।
मुख्य परीक्षा (Mains)
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रक्षा मंत्री के हालिया बयान के आलोक में, भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीतिक विमर्श को संचालित करने वाले प्रमुख सिद्धांतों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। पारदर्शिता, जवाबदेही और राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता के बीच संतुलन को बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
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लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका केवल “सरकार का विरोध” करने तक सीमित नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में, विपक्ष किस प्रकार सरकार की नीतियों को रचनात्मक आलोचना के माध्यम से बेहतर बनाने में योगदान दे सकता है? उन तंत्रों का उल्लेख करें जिनके द्वारा विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा पर सरकार को जवाबदेह ठहरा सकता है। (250 शब्द, 15 अंक)
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समकालीन भारत में, राष्ट्रीय सुरक्षा पर सार्वजनिक विमर्श का दायरा काफी विस्तृत हो गया है, जिसमें मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री के बयान को ध्यान में रखते हुए, यह विश्लेषण करें कि सूचना का अनियंत्रित प्रवाह राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे प्रभावित कर सकता है, और इस संबंध में जिम्मेदार मीडिया व्यवहार और सरकारी संचार रणनीतियों की क्या आवश्यकता है। (150 शब्द, 10 अंक)
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रक्षा मंत्री ने विपक्षी दलों से “दुश्मन के कितने विमान मार गिराए, यह पूछने” की बात कहकर एक संवेदनशील बिंदु उठाया है। इस कथन के ऐतिहासिक, राजनीतिक और रणनीतिक संदर्भों की व्याख्या करें। क्या यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम करने का प्रयास है या एक राजनीतिक रणनीति? (150 शब्द, 10 अंक)