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रणनीतिक इतिहास अभ्यास: आपका दैनिक अग्निपरीक्षा

रणनीतिक इतिहास अभ्यास: आपका दैनिक अग्निपरीक्षा

इतिहास के गलियारों में आपका स्वागत है! आज हम समय की धाराओं में गोता लगाएंगे और आपके ज्ञान की धार को तेज करेंगे। यह सिर्फ एक क्विज नहीं, बल्कि आपकी तैयारी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। आइए, अपने ऐतिहासिक कौशल को परखें और आने वाली हर चुनौती के लिए खुद को तैयार करें!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: सैंधव सभ्यता के किस स्थल को ‘सिंधु घाटी का बाग’ या ‘मृतकों का टीला’ कहा जाता है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. कालीबंगन
  4. लोथल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था। इसकी विशालता, सुनियोजित शहर और सार्वजनिक स्नानागार इसे अन्य स्थलों से अलग करते थे। यहाँ से मिली विशाल ईंटों की संरचनाएं और विस्तृत जल निकासी व्यवस्था इसकी परिष्कृत शहरी योजना को दर्शाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो आधुनिक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है। यह हड़प्पा के साथ-साथ सिंधु घाटी सभ्यता के दो सबसे बड़े शहरों में से एक था। यहाँ से प्राप्त ‘महास्नानगर’ (Great Bath) अपने समय की इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा पहला खोजा गया स्थल था। कालीबंगन में हल से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं। लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा वेद केवल गद्य में लिखा गया है?

  1. ऋग्वेद
  2. यजुर्वेद
  3. सामवेद
  4. अथर्ववेद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: यजुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप का वह प्राचीनतम वेद है, जो मुख्य रूप से गद्य (Prose) में लिखा गया है। यह यज्ञों के अनुष्ठानों और मंत्रों का संग्रह है, जिन्हें यजु कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यजुर्वेद को दो मुख्य शाखाओं में विभाजित किया गया है – शुक्ल (शुद्ध) यजुर्वेद और कृष्ण (काला) यजुर्वेद। शुक्ल यजुर्वेद केवल गद्य में है, जबकि कृष्ण यजुर्वेद में गद्य और पद्य दोनों का मिश्रण है। यह वैदिक साहित्य का वह हिस्सा है जो धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • गलत विकल्प: ऋग्वेद मुख्य रूप से पद्य (Verse) में है। सामवेद, जो ‘साम’ गानों का संग्रह है, पद्य में है और ऋग्वेद के मंत्रों पर आधारित है। अथर्ववेद में मंत्र, ताबीज, जादू-टोना और औषधियों का वर्णन है और यह भी मुख्य रूप से पद्य में है।

प्रश्न 3: ‘अष्टाध्यायी’ के लेखक कौन हैं, जो प्राचीन भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्याकरणिक ग्रंथ है?

  1. कालिदास
  2. पाणिनि
  3. पतंजलि
  4. आर्यभट्ट

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ‘अष्टाध्यायी’ नामक प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरणिक ग्रंथ के लेखक महर्षि पाणिनि हैं। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा के नियमों को व्यवस्थित करने वाला एक अद्वितीय और मौलिक कार्य है।
  • संदर्भ और विस्तार: पाणिनि को भारतीय भाषा विज्ञान का जनक माना जाता है। ‘अष्टाध्यायी’ में लगभग 4000 सूत्र हैं, जो संस्कृत की वर्णमाला, शब्द-निर्माण, वाक्य-रचना और अर्थ-विज्ञान के जटिल नियमों का वर्णन करते हैं। इसे ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के आसपास लिखा गया माना जाता है।
  • गलत विकल्प: कालिदास एक महान कवि और नाटककार थे। पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ लिखा, जो पाणिनि के ‘अष्टाध्यायी’ पर एक टिप्पणी है। आर्यभट्ट एक प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा शासक ‘सर्वेक्षण’ (Survey) का जनक माना जाता है, जिसने अपनी राजधानी में एक विशाल सर्वेक्षण करवाया था?

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. सम्राट अशोक
  3. समुद्रगुप्त
  4. चंद्रगुप्त द्वितीय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: चंद्रगुप्त मौर्य को भारत में एक सुव्यवस्थित प्रशासन और साम्राज्य की नींव रखने वाला शासक माना जाता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में ऐसे कई संकेत मिलते हैं जिनसे पता चलता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने भूमि मापन और सर्वेक्षण पर विशेष ध्यान दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि ‘सर्वेक्षण का जनक’ उपाधि सीधे तौर पर किसी स्रोत में नहीं मिलती, पर चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में भूमि राजस्व व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया गया था, जिसके लिए एक प्रभावी सर्वेक्षण प्रणाली आवश्यक थी। उनके द्वारा स्थापित विशाल साम्राज्य और सुसंगठित प्रशासन के लिए भूमि का सटीक ज्ञान महत्वपूर्ण था।
  • गलत विकल्प: सम्राट अशोक ने धर्म के प्रसार पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। समुद्रगुप्त अपनी विजयों के लिए जाने जाते हैं, और चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) गुप्त काल के एक महान शासक थे, लेकिन भूमि सर्वेक्षण पर सीधा श्रेय चंद्रगुप्त मौर्य को अधिक दिया जाता है।

प्रश्न 5: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. कला, साहित्य और विज्ञान में अत्यधिक उन्नति
  2. विशाल साम्राज्य विस्तार
  3. लगातार युद्धों में विजय
  4. लोकप्रिय शासन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दौरान कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, और चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों का उदय हुआ, आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली और शून्य की अवधारणा को विकसित किया, और वराहमिहिर ने खगोल विज्ञान पर महत्वपूर्ण कार्य किए। अजंता की गुफाओं की उत्कृष्ट चित्रकला और साहित्य में संस्कृत का परिष्कृत प्रयोग इसी काल की देन है।
  • गलत विकल्प: हालांकि गुप्त शासकों ने साम्राज्य का विस्तार किया, लेकिन यह विस्तार उनकी सांस्कृतिक उपलब्धियों जितना महत्वपूर्ण नहीं था। विजयें महत्वपूर्ण थीं, लेकिन स्वर्ण युग का मुख्य आधार सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास था। शासन लोकप्रिय हो सकता है, पर यह स्वर्ण युग का प्राथमिक कारण नहीं था।

प्रश्न 6: चोल राजवंश के किस शासक ने जावा और सुमात्रा तक नौसैनिक अभियान चलाए थे?

  1. राजराज प्रथम
  2. राजेंद्र प्रथम
  3. कुलोत्तुंग प्रथम
  4. परांतक प्रथम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: राजेंद्र चोल प्रथम (शासनकाल 1014-1044 ईस्वी) ने अपनी शक्तिशाली नौसेना के माध्यम से न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में विस्तार किया, बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया में भी नौसैनिक अभियान भेजे।
  • संदर्भ और विस्तार: राजेंद्र चोल प्रथम के अभियान इतने दूर तक थे कि उन्होंने श्रीविजय (आधुनिक इंडोनेशिया का हिस्सा) के शैलेंद्र राजवंश को पराजित किया, जिसने मलाक्का जलडमरूमध्य पर नियंत्रण कर रखा था। यह अभियान चोल नौसेना की शक्ति और पहुंच का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है, जिसने व्यापारिक मार्गों पर नियंत्रण स्थापित करने में मदद की।
  • गलत विकल्प: राजराज प्रथम ने भी नौसेना का विकास किया और लंका पर आक्रमण किया, लेकिन राजेंद्र प्रथम के अभियान अधिक दूरगामी थे। कुलोत्तुंग प्रथम के समय कुछ आंतरिक विद्रोह हुए, और परांतक प्रथम के प्रारंभिक शासनकाल में उपलब्धियां थीं।

प्रश्न 7: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

  1. कृष्ण देवराय
  2. हरिहर और बुक्का
  3. राम राय
  4. देवराय द्वितीय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। वे पहले वारंगल के काकतीय राजाओं के सामंत थे।
  • संदर्भ और विस्तार: हरिहर और बुक्का ने तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर की स्थापना की। उन्होंने दिल्ली सल्तनत के विस्तार के विरुद्ध दक्षिण भारत में एक मजबूत हिंदू राज्य की नींव रखी। यह साम्राज्य अपनी कला, वास्तुकला, साहित्य और व्यापार के लिए प्रसिद्ध हुआ।
  • गलत विकल्प: कृष्ण देवराय विजयनगर के सबसे महान शासकों में से एक थे, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की स्थापना नहीं की थी। राम राय बाद के काल के थे, और देवराय द्वितीय भी एक महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन स्थापना हरिहर और बुक्का ने की थी।

प्रश्न 8: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-खैरात’ (दान विभाग) और ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दास विभाग) की स्थापना की?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. फिरोज शाह तुगलक

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: फिरोज शाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388 ईस्वी) ने अपने शासनकाल में कई जन कल्याणकारी विभागों की स्थापना की, जिनमें ‘दीवान-ए-खैरात’ (दान विभाग, जो गरीबों और ज़रूरतमंदों को सहायता प्रदान करता था) और ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दास विभाग, जो गुलामों की देखभाल और उन्हें प्रशिक्षित करने का कार्य करता था) प्रमुख थे।
  • संदर्भ और विस्तार: फिरोज शाह तुगलक अपने निर्माण कार्यों और इस्लामी नियमों के प्रति निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने गरीबों की मदद के लिए एक विशेष विभाग की स्थापना की और अपनी विशाल सेना के लिए गुलामों का एक बड़ा विभाग भी बनाया, जिन्हें प्रशिक्षित किया जाता था।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीस सरदारों’ के दल का गठन किया। बलबन ने ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली और स्थायी सेना पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 9: बहमनी सल्तनत का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था, जिसे ‘अकबर’ के नाम से भी जाना जाता है?

  1. अलाउद्दीन बहमन शाह
  2. मुहम्मद शाह प्रथम
  3. फिरोज शाह बहमनी
  4. ताजुद्दीन फिरोजशाह

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ताजुद्दीन फिरोजशाह (शासनकाल 1397-1422 ईस्वी) को बहमनी सल्तनत का सबसे महान शासक माना जाता है और अक्सर उनकी तुलना मुगल सम्राट अकबर से की जाती है क्योंकि उन्होंने कला, साहित्य और प्रशासन को बढ़ावा दिया और राज्य में शांति और समृद्धि स्थापित की।
  • संदर्भ और विस्तार: फिरोजशाह बहमनी एक विद्वान, खगोलशास्त्री और कवि थे। उन्होंने अपने राज्य में कई सुधार किए, जिनमें न्याय व्यवस्था को मजबूत करना, सिंचाई के लिए नहरें खुदवाना और अपनी राजधानी को गुलबर्ग से दौलताबाद स्थानांतरित करने का प्रयास शामिल है। उनके शासनकाल में साहित्य और संस्कृति का भी उत्कर्ष हुआ।
  • गलत विकल्प: अलाउद्दीन बहमन शाह (1347-1358) ने बहमनी सल्तनत की नींव रखी थी। मुहम्मद शाह प्रथम (1358-1375) ने भी कुछ सुधार किए थे।

प्रश्न 10: ‘सुरख-ए-अकबरी’ (लाल अकबर) के नाम से किस मुगल सम्राट को जाना जाता था?

  1. हुमायूँ
  2. अकबर
  3. जहांगीर
  4. शाहजहाँ

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: हुमायूँ, जो मुगल सम्राट अकबर के पिता थे, को उनके शारीरिक रूप या कभी-कभी उनके शासन के शुरुआती उतार-चढ़ावों के कारण ‘सुरख’ (लाल) या ‘सुरख-ए-अकबरी’ कहा जाता था। यह उपाधि उनके व्यक्तिगत रंग या स्वभाव से जुड़ी हो सकती है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: हुमायूँ का शासनकाल काफी उथल-पुथल भरा रहा, जिसमें उन्हें शेरशाह सूरी से हारकर भारत छोड़ना पड़ा और बाद में पुनः गद्दी प्राप्त की। उनके जीवन की घटनाओं और व्यक्तित्व के आधार पर कुछ उपाधियां दी गई होंगी।
  • गलत विकल्प: अकबर को ‘जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर’ के नाम से जाना जाता था और उन्हें ‘महान’ या ‘तीसरा सुल्तान’ कहा जाता है। जहांगीर को ‘शेख सलीम चिश्ती’ के नाम से जाना जाता था, और शाहजहाँ को ‘खुर्रम’ के नाम से।

प्रश्न 11: ‘मनसबदारी प्रथा’ को मुगल प्रशासन में किसने व्यवस्थित रूप दिया?

  1. बाबर
  2. अकबर
  3. जहांगीर
  4. औरंगजेब

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मुगल सम्राट अकबर ने मनसबदारी प्रथा को मुगल प्रशासन का एक अभिन्न अंग बनाया और इसे व्यवस्थित तथा मानकीकृत रूप दिया। यह एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें अधिकारियों को एक पद (मनसब) प्रदान किया जाता था, जिसके आधार पर उनकी रैंक, वेतन और सैन्य उत्तरदायित्व तय होते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: मनसबदारी व्यवस्था का मूल मंगोलियाई व्यवस्था से प्रेरित था, लेकिन अकबर ने इसे भारतीय संदर्भ में ढाला। मनसबदारों को जात (व्यक्तिगत दर्जा) और सवार (घुड़सवार सैनिकों की संख्या) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता था। इससे सेना का प्रबंधन और प्रशासन आसान हो गया।
  • गलत विकल्प: बाबर ने मुगल साम्राज्य की नींव रखी, लेकिन उसने इस व्यवस्था को व्यवस्थित नहीं किया। जहांगीर और औरंगजेब ने इसमें कुछ संशोधन किए, लेकिन इसका मूल ढांचा अकबर द्वारा ही स्थापित किया गया था।

प्रश्न 12: ‘दशवंत’ और ‘बसवन’ किस मुगल सम्राट के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार थे?

  1. हुमायूँ
  2. अकबर
  3. जहांगीर
  4. शाहजहाँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: दशवंत और बसवन, दोनों ही मुगल सम्राट अकबर (शासनकाल 1556-1605 ईस्वी) के दरबार के प्रमुख चित्रकार थे। वे यथार्थवादी चित्रकला और व्यक्ति-चित्रों के लिए जाने जाते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: अकबर के संरक्षण में मुगल चित्रकला ने एक नया आयाम छुआ। दशवंत ने ‘तारीख-ए-अल्फि’ और ‘हमजानामा’ जैसी महत्वपूर्ण पांडुलिपियों के चित्रण में योगदान दिया, जबकि बसवन ने अपनी दक्षता के लिए प्रशंसा प्राप्त की। इन दोनों चित्रकारों ने अन्य कलाकारों के साथ मिलकर अकबरनामा और अन्य ऐतिहासिक ग्रंथों के चित्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गलत विकल्प: हुमायूँ के समय चित्रकला की शुरुआत हुई थी, लेकिन वह शुरुआती दौर में थी। जहांगीर को चित्रकला का उत्कृष्ट संरक्षक माना जाता है, लेकिन उसके दरबार के चित्रकार अलग थे (जैसे मंसूर, बिशनदास)। शाहजहाँ के काल में भी चित्रकला जारी रही, लेकिन अकबर के काल की भांति विविध नहीं।

प्रश्न 13: मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किस वर्ष हुआ था?

  1. 1670
  2. 1674
  3. 1680
  4. 1659

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक 6 जून 1674 को रायगढ़ के किले में हुआ था। इस अवसर पर उन्हें ‘छत्रपति’ की उपाधि प्रदान की गई, जिसने उन्हें एक स्वतंत्र राजा के रूप में स्थापित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्याभिषेक का अर्थ था कि शिवाजी ने मुगल सम्राट की संप्रभुता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और खुद को एक स्वतंत्र मराठा राष्ट्र के शासक के रूप में घोषित किया। यह मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने भविष्य के विस्तार की नींव रखी।
  • गलत विकल्प: 1670 में शिवाजी ने सिंहगढ़ का किला जीता था। 1680 में शिवाजी का निधन हो गया था। 1659 वह वर्ष है जब उन्होंने अफजल खान को मारा था।

प्रश्न 14: ‘बंदा बहादुर’, जो सिखों के एक महान योद्धा थे, किस मुगल सम्राट के खिलाफ लड़े?

  1. अकबर
  2. जहांगीर
  3. औरंगजेब
  4. बहादुर शाह प्रथम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: बंदा सिंह बहादुर (जिन्हें बंदा बहादुर भी कहा जाता है) ने गुरु गोबिंद सिंह की प्रेरणा से मुगल सम्राट औरंगजेब के जुल्मी शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़ा था।
  • संदर्भ और विस्तार: गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु के बाद, बंदा बहादुर ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। उन्होंने पंजाब में खूनी संघर्ष किया और सरहिन्द के सूबेदार वजीर खान को हराया, जिसने गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों को शहीद किया था। औरंगजेब के बाद, बंदा बहादुर ने बहादुर शाह प्रथम को भी चुनौती दी, लेकिन अंततः उसे पकड़ा गया और 1716 में मार दिया गया।
  • गलत विकल्प: अकबर और जहांगीर के समय बंदा बहादुर सक्रिय नहीं थे। हालांकि बंदा बहादुर ने बहादुर शाह प्रथम को भी चुनौती दी, लेकिन उनका प्रमुख संघर्ष औरंगजेब के खिलाफ शुरू हुआ था।

प्रश्न 15: ‘नूरजहाँ’ का मूल नाम क्या था?

  1. आसिफ खान की पुत्री
  2. मेहरुन्निसा
  3. लैला-उन्निसा
  4. फातिमा बेगम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: नूरजहाँ, जो मुगल सम्राट जहांगीर की प्रिय पत्नी और सबसे प्रभावशाली बेगम थीं, का मूल नाम ‘मेहरुन्निसा’ था।
  • संदर्भ और विस्तार: मेहरुन्निसा का जन्म कंधार में हुआ था। उनकी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और राजनीतिक सूझबूझ से जहांगीर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 1611 में उनसे विवाह कर लिया और उन्हें ‘नूरजहाँ’ (दुनिया की रोशनी) की उपाधि दी। नूरजहाँ ने जहांगीर के शासनकाल में शाही दरबार में अत्यधिक शक्ति और प्रभाव का प्रयोग किया।
  • गलत विकल्प: आसिफ खान मेहरुन्निसा के पिता थे। लैला-उन्निसा और फातिमा बेगम उनके अन्य रिश्तेदार हो सकती हैं, लेकिन मेहरुन्निसा ही नूरजहाँ का मूल नाम था।

प्रश्न 16: बक्सर का युद्ध किस वर्ष हुआ था?

  1. 1757
  2. 1761
  3. 1764
  4. 1780

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: बक्सर का युद्ध 22-23 अक्टूबर 1764 को हुआ था। यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजा-उद-दौला और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना के बीच लड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की निर्णायक जीत हुई। इस जीत ने भारत में कंपनी के राजनीतिक प्रभुत्व को स्थापित कर दिया और प्लासी के युद्ध (1757) के बाद कंपनी को बंगाल पर नियंत्रण मजबूत करने का अवसर मिला। यह युद्ध ब्रिटिश शासन की स्थापना में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
  • गलत विकल्प: 1757 में प्लासी का युद्ध हुआ था। 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ था। 1780 में प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध हुआ था।

प्रश्न 17: ‘दीनबंधु’ की उपाधि से किस भारतीय समाज सुधारक को जाना जाता था?

  1. महात्मा गांधी
  2. गोपाल कृष्ण गोखले
  3. सी. एफ. एंड्रूज
  4. ज्योतिबा फुले

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: चार्ल्स फ्रेडरिक एंड्रयूज (C.F. Andrews) को महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर सहित कई प्रमुख भारतीयों ने ‘दीनबंधु’ (गरीबों का मित्र) की उपाधि दी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: एंड्रयूज एक ब्रिटिश ईसाई धर्मोपदेशक, शिक्षक और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थक थे। उन्होंने भारत में गरीब मजदूरों, किसानों और दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया। उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर काम किया और भारत-ब्रिटिश संबंधों को सुधारने का प्रयास किया।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी को ‘बापू’ कहा जाता है। गोपाल कृष्ण गोखले एक महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी नेता थे। ज्योतिबा फुले ने ‘महात्मा’ उपाधि प्राप्त की।

प्रश्न 18: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर में विद्रोहियों का नेतृत्व किसने किया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. तात्या टोपे
  3. नाना साहब
  4. कुंवर सिंह

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: 1857 के विद्रोह के दौरान कानपुर में विद्रोहियों का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: नाना साहब ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अपनी पेंशन रोके जाने के विरोध में विद्रोह किया। उन्होंने कानपुर पर कब्जा कर लिया और खुद को पेशवा घोषित कर दिया। उनके साथ उनके वफादार तात्या टोपे भी थे, जिन्होंने बाद में विद्रोह में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई झांसी से नेतृत्व कर रही थीं। तात्या टोपे नाना साहब के प्रमुख सहयोगी थे और उन्होंने बाद में स्वतंत्र रूप से भी नेतृत्व किया। कुंवर सिंह बिहार से विद्रोह का नेतृत्व कर रहे थे।

प्रश्न 19: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ था?

  1. लाहौर अधिवेशन (1929)
  2. त्रिपुरी अधिवेशन (1939)
  3. रामगढ़ अधिवेशन (1940)
  4. बम्बई अधिवेशन (1942)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को बम्बई (अब मुंबई) में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में पारित किया गया था। इस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू किया गया था। इस आंदोलन के तुरंत बाद, ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया, जिससे यह आंदोलन काफी हद तक स्वतःस्फूर्त हो गया।
  • गलत विकल्प: लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी। त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में जीत हुई थी। रामगढ़ अधिवेशन में व्यक्तिगत सत्याग्रह का प्रस्ताव पारित हुआ था।

प्रश्न 20: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?

  1. 1905, बर्लिन
  2. 1913, सैन फ्रांसिस्को
  3. 1907, पेरिस
  4. 1910, लंदन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी। इसे ‘हिन्दुस्तानी गदर पार्टी’ के नाम से भी जाना जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पार्टी मुख्य रूप से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी। इसके संस्थापक सदस्यों में लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और करतार सिंह सराभा जैसे लोग शामिल थे। पार्टी ने ‘गदर’ नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया, जिसने भारतीय क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।
  • गलत विकल्प: बर्लिन में भारतीय स्वतंत्रता समिति (1915) थी। पेरिस और लंदन में भी छोटे-छोटे क्रांतिकारी समूह सक्रिय थे, लेकिन गदर पार्टी का मुख्य केंद्र सैन फ्रांसिस्को था।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से किस वायसराय ने ‘स्थानीय स्वशासन’ (Local Self-Government) का जनक माना जाता है?

  1. लॉर्ड कर्जन
  2. लॉर्ड डफरिन
  3. लॉर्ड रिपन
  4. लॉर्ड लिटन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: लॉर्ड रिपन (शासनकाल 1880-1884) को भारत में ‘स्थानीय स्वशासन’ का जनक माना जाता है। उन्होंने 1882 में स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड रिपन ने जिला स्तर पर स्थानीय निकायों (जैसे जिला बोर्ड और नगरपालिकाएं) को अधिक अधिकार दिए और गैर-सरकारी सदस्यों को भी शामिल करने का प्रावधान किया। इसका उद्देश्य लोगों को स्थानीय प्रशासन में अधिक भागीदारी देना और स्व-शासन की भावना को बढ़ावा देना था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन ने प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे बंगाल का विभाजन। लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। लॉर्ड लिटन के कार्यकाल में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट जैसे विवादास्पद कानून लाए गए।

प्रश्न 22: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?

  1. 1928
  2. 1929
  3. 1930
  4. 1931

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच गोलमेज सम्मेलन के संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समझौते के तहत, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की, और बदले में, ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और कुछ स्वतंत्रताएं देने पर सहमति जताई। यह समझौता दूसरे गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करने के लिए हुआ था।
  • गलत विकल्प: 1928 में साइमन कमीशन भारत आया था। 1929 में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग हुई थी। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और पहला गोलमेज सम्मेलन हुआ था।

प्रश्न 23: प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक चला?

  1. 1905-1910
  2. 1914-1918
  3. 1939-1945
  4. 1918-1923

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ। यह यूरोपीय महाद्वीप पर शुरू हुआ और जल्द ही दुनिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में मित्र राष्ट्र (जैसे फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली, अमेरिका) और केंद्रीय शक्तियां (जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य) शामिल थीं। इस युद्ध के कारण राजनीतिक मानचित्र में भारी बदलाव आया और द्वितीय विश्व युद्ध के बीज भी बोए गए।
  • गलत विकल्प: 1905-1910 का काल शांति और गठबंधन का था। 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का काल है। 1918-1923 युद्ध के बाद का काल था।

प्रश्न 24: किस फ्रांसीसी यात्री ने भारत का विस्तृत यात्रा वृत्तांत लिखा और उसने ‘भारत का सबसे बड़ा नगर’ पाटलिपुत्र को बताया?

  1. मार्को पोलो
  2. इब्न बतूता
  3. मेगस्थनीज
  4. फाह्यान

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मेगस्थनीज, एक यूनानी राजदूत था जिसने मौर्य साम्राज्य के दौरान भारत की यात्रा की थी (लगभग 302 ईसा पूर्व)। उसने अपने यात्रा वृत्तांत ‘इंडिका’ में उस समय के भारत का विस्तृत विवरण दिया है, जिसमें पाटलिपुत्र का भी उल्लेख है।
  • संदर्भ और विस्तार: मेगस्थनीज सेल्यूकस प्रथम निकेटर के दूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। ‘इंडिका’ उस समय के भारतीय समाज, राजनीति, प्रशासन और भूगोल की जानकारी का एक अमूल्य स्रोत है, हालांकि मूल ग्रंथ अब उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके अंश अन्य लेखकों के ग्रंथों में मिलते हैं। उसने पाटलिपुत्र (जो उस समय मौर्यों की राजधानी थी) को गंगा और सोन नदियों के संगम पर स्थित एक विशाल और समृद्ध शहर के रूप में वर्णित किया है।
  • गलत विकल्प: मार्को पोलो (13वीं शताब्दी), इब्न बतूता (14वीं शताब्दी) और फाहियान (5वीं शताब्दी) भी भारत आए थे, लेकिन पाटलिपुत्र का सबसे पहले और विस्तृत वर्णन मेगस्थनीज ने किया था।

प्रश्न 25: ‘वेदांत’ के अनुसार, आत्मा (Atman) और ब्रह्म (Brahman) के बीच संबंध क्या है?

  1. आत्मा ब्रह्म से भिन्न है।
  2. आत्मा ब्रह्म का एक हिस्सा है।
  3. आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
  4. आत्मा ब्रह्म से छोटी है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: वेदांत दर्शन, विशेषकर अद्वैत वेदांत के अनुसार, आत्मा (जीवात्मा) और ब्रह्म (परमात्मा या परम सत्य) मौलिक रूप से एक ही हैं। आत्मा और ब्रह्म के बीच भिन्नता केवल अज्ञान (माया) के कारण उत्पन्न होने वाला भ्रम है।
  • संदर्भ और विस्तार: अद्वैत वेदांत के प्रमुख प्रतिपादक आदि शंकराचार्य ने इस सिद्धांत पर बल दिया कि ‘ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः’ (ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या है, और जीव (आत्मा) ब्रह्म से भिन्न नहीं है)। इसका अर्थ है कि व्यक्तिगत आत्मा का सार ही सार्वभौमिक आत्मा है, और मोक्ष (मुक्ति) इस ज्ञान के माध्यम से प्राप्त होता है।
  • गलत विकल्प: द्वैत वेदांत जैसे अन्य दर्शन आत्मा और ब्रह्म को भिन्न मानते हैं। विशिष्टाद्वैत भी आत्मा को ब्रह्म का अंश मानता है, न कि पूर्णतः एक।

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