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मौसम का ‘अस्त-व्यस्त’ खेल: दिल्ली के बदलते मिजाज को समझें – एक गहन विश्लेषण

मौसम का ‘अस्त-व्यस्त’ खेल: दिल्ली के बदलते मिजाज को समझें – एक गहन विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

दिल्ली का मौसम इन दिनों एक पहेली की तरह बन गया है। कभी झमाझम बारिश की फुहारें राहत देती हैं, तो कभी चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी लोगों का हाल बेहाल कर देती है। मौसम का यह अप्रत्याशित और पल-पल बदलता मिजाज न केवल नागरिकों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और समकालीन पर्यावरणीय चुनौतियों की ओर भी इशारा कर रहा है। UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, दिल्ली के इस मौसमी ‘अस्त-व्यस्त’ खेल को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रत्यक्ष रूप से भारतीय राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और पर्यावरण जैसे अनेक जीएस पेपर्स के लिए प्रासंगिक है।

यह ब्लॉग पोस्ट दिल्ली के वर्तमान मौसमी परिदृश्य का विश्लेषण करेगा, इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों की पड़ताल करेगा, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं के लिए इसकी प्रासंगिकता को उजागर करेगा। हम समझेंगे कि कैसे यह ‘कभी छांव, कभी धूप’ वाला मौसम हमारी जीवन शैली, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है, और भविष्य में इसके क्या निहितार्थ हो सकते हैं।

दिल्ली के मौसम की बदलती तस्वीर: एक अवलोकन

हाल के दिनों में दिल्ली का मौसम एक रोलर-कोस्टर राइड की तरह रहा है। मानसून की दस्तक के बावजूद, बारिश की तीव्रता और आवृत्ति में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। कुछ दिन पहले जहां शहर के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति बनी, वहीं अगले ही दिन तेज धूप और उमस ने गर्मी बढ़ा दी। इस अस्थिरता के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • अनिश्चित वर्षा पैटर्न: मानसून की शुरुआत तो हो गई है, लेकिन बारिश का वितरण असमान है। कुछ इलाकों में भारी वर्षा होती है, जबकि अन्य में औसत से कम।
  • बढ़ती उमस: तापमान भले ही चरम पर न हो, लेकिन आर्द्रता (humidity) का स्तर अधिक होने के कारण लोगों को अत्यधिक चिपचिपाहट और बेचैनी महसूस हो रही है।
  • दिन-रात के तापमान में अंतर: कुछ दिनों में दिन में तेज धूप और रात में राहत भरी ठंडक का अनुभव हो रहा है, जो मौसम में अचानक बदलाव का संकेत देता है।
  • वायु गुणवत्ता पर प्रभाव: मौसमी बदलावों का सीधा असर वायु गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है। बारिश कभी-कभी प्रदूषकों को नीचे बिठाती है, लेकिन उमस और तापमान का संयोजन अन्य प्रकार के वायुमंडलीय रसायन विज्ञान को प्रभावित कर सकता है।

मौसम के इस ‘अस्त-व्यस्त’ खेल के पीछे के वैज्ञानिक कारण

दिल्ली के मौसम का यह अप्रत्याशित व्यवहार किसी एक कारक का परिणाम नहीं है, बल्कि यह कई जटिल वैज्ञानिक और पर्यावरणीय प्रक्रियाओं का संगम है। UPSC के जीएस पेपर I (भूगोल), जीएस पेपर III (पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी) और जीएस पेपर II (शासन, सार्वजनिक नीतियां) के लिए इन कारणों को समझना आवश्यक है।

1. मानसून की प्रकृति और उसमें बदलाव:

भारतीय मानसून एक जटिल वायुमंडलीय घटना है जो मुख्य रूप से हिंद महासागर और तिब्बती पठार के बीच तापमान के अंतर से संचालित होती है। लेकिन हाल के वर्षों में, वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं।

  • मानसून का डिले या अर्ली अराइवल: कभी-कभी मानसून अपने सामान्य समय से देर से आता है या जल्दी आ जाता है।
  • इंटेंसिटी में वृद्धि: जब बारिश होती है, तो वह अक्सर अत्यधिक तीव्र (heavy bursts) होती है, जिससे अचानक बाढ़ और जलभराव होता है।
  • ब्रेक्स (Breaks) में वृद्धि: मानसून के मौसम के दौरान बारिश के लंबे अंतराल (breaks) बढ़ रहे हैं, जिससे शुष्क अवधि लंबी हो जाती है।

UPSC प्रासंगिकता: यह सीधे तौर पर ‘जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभाव’ विषय से जुड़ा है। मानसून के वितरण में बदलाव का कृषि, जल संसाधनों और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जो मुख्य परीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है।

2. शहरीकरण और ‘हीट आइलैंड’ प्रभाव:

दिल्ली एक mega-city है, जहां अनियंत्रित शहरीकरण ने मौसम को और अधिक चरम बना दिया है।

  • कंक्रीट का जंगल: इमारतों, सड़कों और अन्य कंक्रीट संरचनाओं द्वारा अवशोषित और पुनः उत्सर्जित गर्मी, शहरी क्षेत्रों को आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में गर्म बनाती है। इसे ‘शहरी ताप द्वीप’ (Urban Heat Island – UHI) प्रभाव कहा जाता है।
  • पेड़-पौधों और जल निकायों की कमी: शहरीकरण के कारण हरे भरे क्षेत्र और जल निकाय कम हो जाते हैं, जो प्राकृतिक शीतलन में मदद करते हैं।
  • ऊष्मा का फंसना: इमारतों की सघनता हवा के प्रवाह को बाधित करती है, जिससे गर्मी शहर के भीतर फंस जाती है।

UPSC प्रासंगिकता: शहरी नियोजन, सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन (जैसे शहरी बाढ़) जैसे विषयों के लिए UHI प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। जीएस पेपर III में ‘पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण’ और ‘शहरीकरण’ इसके प्रमुख पहलू हैं।

3. वायुमंडलीय अस्थिरता और ऊपरी वायुमंडलीय धाराएं:

मौसम की ‘पल-पल बदलती’ प्रकृति ऊपरी वायुमंडल में चल रही गतिविधियों से भी प्रभावित होती है।

  • वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) का प्रभाव: हालांकि WD मुख्य रूप से सर्दियों में आते हैं, लेकिन कभी-कभी इनका प्रभाव मानसून के मौसम में भी अप्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा सकता है, जिससे मौसम में अचानक बदलाव हो सकता है।
  • लो-प्रेशर सिस्टम का निर्माण: मानसून के दौरान बनने वाले निम्न दाब क्षेत्र (low-pressure systems) जब अधिक तीव्र होते हैं, तो वे अचानक भारी वर्षा ला सकते हैं।
  • तापमान और आर्द्रता का खेल: दिन में धूप से सतह गर्म होती है, जिससे हवा ऊपर उठती है। अगर हवा में पर्याप्त नमी है, तो यह बादल बनने और बारिश का कारण बन सकती है। शाम को तापमान गिरने पर उमस का अहसास बढ़ता है।

UPSC प्रासंगिकता: भौतिक भूगोल (Physical Geography) और वायुमंडलीय विज्ञान (Atmospheric Science) की बुनियादी समझ के लिए ये कारक महत्वपूर्ण हैं। यह जीएस पेपर I का हिस्सा है।

4. एल नीनो/ला नीना का प्रभाव:

बड़े पैमाने पर, प्रशांत महासागर में होने वाले एल नीनो और ला नीना जैसे जलवायु परिवर्तन भी भारतीय मानसून को प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि इनका प्रभाव अधिक दीर्घकालिक होता है। ये घटनाएँ वैश्विक मौसम पैटर्न में बड़ी भूमिका निभाती हैं, और इनके अप्रत्यक्ष प्रभाव दिल्ली जैसे क्षेत्रों में भी महसूस किए जा सकते हैं।

उमस (Humidity) का बढ़ता प्रभाव:

दिल्ली में ‘बेहाल’ करने वाली उमस का कारण न केवल उच्च तापमान है, बल्कि हवा में मौजूद जलवाष्प की मात्रा (आर्द्रता) भी है।

  • शरीर की शीतलन प्रणाली पर प्रभाव: जब हवा पहले से ही नमी से संतृप्त होती है, तो पसीना आसानी से वाष्पित नहीं हो पाता। पसीने का वाष्पीकरण ही हमारे शरीर को ठंडा रखने का मुख्य तरीका है। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो हमें अधिक गर्मी और बेचैनी महसूस होती है, भले ही थर्मामीटर पर तापमान बहुत अधिक न दिख रहा हो।
  • ‘महसूस होने वाला तापमान’ (Apparent Temperature): उमस के कारण ‘महसूस होने वाला तापमान’ (जिसे Heat Index भी कहते हैं) वास्तविक तापमान से कहीं अधिक हो जाता है।

“उमस केवल एक असहज अहसास नहीं है; यह मानव स्वास्थ्य और उत्पादकता पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है, खासकर कमजोर आबादी के लिए।”

UPSC प्रासंगिकता: सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health), मानव भूगोल (Human Geography), और आपदा प्रबंधन (Disaster Management) के दृष्टिकोण से उमस का प्रभाव महत्वपूर्ण है। हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और अन्य गर्मी से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जीएस पेपर I (मानव भूगोल) और जीएस पेपर II (स्वास्थ्य) इसके महत्वपूर्ण पहलू हैं।

दिल्ली के बदलते मौसम का जनजीवन पर प्रभाव:

दिल्ली का यह ‘अस्त-व्यस्त’ मौसम शहर के निवासियों के जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करता है।

1. स्वास्थ्य पर प्रभाव:

  • गर्मी से संबंधित बीमारियाँ: लू (Heatstroke), थकावट (Heat Exhaustion), डिहाइड्रेशन, त्वचा रोग और सनबर्न का खतरा बढ़ जाता है।
  • जलजनित और वेक्टर-जनित रोग: अनियमित बारिश और जलभराव के कारण मच्छर जनित बीमारियों (जैसे डेंगू, मलेरिया) और जलजनित बीमारियों (जैसे डायरिया, टाइफाइड) के पनपने की संभावना बढ़ जाती है।
  • श्वसन संबंधी समस्याएं: वायु गुणवत्ता में उतार-चढ़ाव, उमस और तापमान के मेल से अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं वाले व्यक्तियों की परेशानी बढ़ सकती है।

2. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

  • कृषि: दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों की कृषि मानसून की स्थिरता पर निर्भर करती है। अनियमित वर्षा से फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • निर्माण क्षेत्र: अत्यधिक गर्मी या भारी बारिश निर्माण गतिविधियों को बाधित कर सकती है, जिससे देरी और लागत में वृद्धि होती है।
  • पर्यटन: अप्रत्याशित मौसम पर्यटकों को हतोत्साहित कर सकता है।
  • ऊर्जा की खपत: उमस और गर्मी के कारण एयर कंडीशनिंग और पंखों का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे बिजली की मांग और ग्रिड पर दबाव बढ़ जाता है।

3. बुनियादी ढांचे पर प्रभाव:

  • जलभराव: भारी और अचानक बारिश से सड़कों और निचले इलाकों में जलभराव की समस्या पैदा होती है, जिससे यातायात बाधित होता है।
  • बिजली आपूर्ति: उच्च मांग या तूफान जैसी घटनाओं के कारण बिजली की आपूर्ति बाधित हो सकती है।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: एक विस्तृत विश्लेषण

दिल्ली के बदलते मौसम का यह परिदृश्य UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न घटकों के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रदान करता है।

जीएस पेपर I: भूगोल और सामाजिक मुद्दे

  • भौतिक भूगोल: मानसून की प्रक्रियाएं, वायुमंडलीय परिसंचरण, जलवायु परिवर्तन के सिद्धांत, शहरी ताप द्वीप प्रभाव।
  • भारतीय समाज: मौसमी परिवर्तनों का सामाजिक असमानता पर प्रभाव (गरीब और कमजोर वर्ग अधिक प्रभावित होते हैं), शहरी जीवन शैली और स्वास्थ्य।

जीएस पेपर II: शासन, प्रशासन और सामाजिक न्याय

  • सरकारी नीतियां: राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC), शहरी नियोजन नीतियां, आपदा प्रबंधन नीतियां, सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियां।
  • अंतर-सरकारी संबंध: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय (जैसे दिल्ली और आसपास के राज्यों के बीच प्रदूषण या जल प्रबंधन पर)।
  • समस्या-समाधान: शहरी बाढ़, गर्मी से निपटने की रणनीतियाँ, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ।

जीएस पेपर III: पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास

  • पर्यावरण: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, प्रदूषण (वायु, जल), शहरी पर्यावरण क्षरण, जैव विविधता पर प्रभाव।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: मौसम की भविष्यवाणी, जलवायु मॉडलिंग, जल प्रबंधन तकनीकें, नवीकरणीय ऊर्जा (गर्मी के लिए)।
  • आर्थिक विकास: कृषि पर प्रभाव, बुनियादी ढांचे का विकास, पर्यटन, ऊर्जा की खपत, हरित अवसंरचना।

जीएस पेपर IV: नैतिकता और सत्यनिष्ठा

  • नैतिक दुविधाएं: पर्यावरण संरक्षण बनाम आर्थिक विकास, शहरी नियोजन में सार्वजनिक हित बनाम निजी हित।
  • सहानुभूति और करुणा: गर्मी से प्रभावित कमजोर लोगों के प्रति सरकारी और व्यक्तिगत प्रतिक्रिया।
  • जिम्मेदारी: जलवायु परिवर्तन के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

दिल्ली के मौसम के इस ‘अस्त-व्यस्त’ खेल से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

1. जलवायु-अनुकूल शहरी नियोजन:

  • हरित अवसंरचना: अधिक से अधिक पेड़ लगाना, पार्कों का विकास, और शहरी क्षेत्रों में हरित छत (green roofs) को बढ़ावा देना।
  • जल-पारगम्य सतहें: कंक्रीट के बजाय पारगम्य सामग्री (permeable materials) का उपयोग करके जलभराव कम करना और भूजल पुनर्भरण को बढ़ाना।
  • सार्वजनिक परिवहन: निजी वाहनों के उपयोग को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना, जो शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव को भी कम करता है।

2. बेहतर जल प्रबंधन:

  • वर्षा जल संचयन: इमारतों और सार्वजनिक स्थानों पर वर्षा जल संचयन प्रणालियों को अनिवार्य करना।
  • नदियों और तालाबों का पुनरुद्धार: दिल्ली की जल प्रणालियों को पुनर्जीवित करना और उनका संरक्षण करना।

3. सार्वजनिक स्वास्थ्य और जागरूकता:

  • गर्मी चेतावनी प्रणाली: हीटवेव के दौरान लोगों को सचेत करने के लिए प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करना।
  • सामुदायिक जागरूकता: गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।
  • शीतलन केंद्र: आवश्यकता पड़ने पर सार्वजनिक शीतलन केंद्रों (cooling centers) की स्थापना।

4. नीतिगत और विनियामक उपाय:

  • भवन उपनियम: इमारतों को स्थानीय जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए भवन उपनियमों में सुधार।
  • अपशिष्ट प्रबंधन: बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन जो जलभराव और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों को कम करने में मदद करता है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति शमन और अनुकूलन: उत्सर्जन को कम करने (शमन) और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल ढलने (अनुकूलन) दोनों के लिए नीतियां बनाना।

“जलवायु परिवर्तन एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना करने के लिए हमें न केवल विज्ञान को समझना होगा, बल्कि अपनी जीवनशैली और नीतियों में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने होंगे।”

निष्कर्ष

दिल्ली का ‘कभी छांव, कभी धूप’ वाला मौसम केवल एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह एक बड़े वैश्विक जलवायु परिवर्तन का प्रतिबिंब है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भूगोल, पर्यावरण, शासन, अर्थशास्त्र और समाज जैसे विभिन्न विषयों के अंतर्संबंधों को दर्शाता है। दिल्ली के मौसम के इस ‘अस्त-व्यस्त’ खेल को समझना हमें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने और अधिक टिकाऊ और लचीला शहरी भविष्य बनाने की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करता है। यह केवल मौसम का बदलना नहीं है, यह हमारे ग्रह के बदलते मिजाज का संकेत है, जिसके लिए सामूहिक कार्रवाई और गहरी समझ की आवश्यकता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कारक दिल्ली में ‘शहरी ताप द्वीप’ (Urban Heat Island – UHI) प्रभाव को बढ़ाने में योगदान देता है?

    1. A. सघन वनस्पति आवरण
    2. B. शहरी क्षेत्रों में जल निकायों की बहुतायत
    3. C. कंक्रीट और डामर जैसी अपारगम्य सतहों का उपयोग
    4. D. शहरी क्षेत्रों में हवा का खुला प्रवाह

    उत्तर: C
    व्याख्या: शहरी ताप द्वीप प्रभाव का मुख्य कारण इमारतों, सड़कों और अन्य कंक्रीट संरचनाओं द्वारा गर्मी का अवशोषण और पुनः उत्सर्जन है, जबकि वनस्पति और जल निकाय शीतलन में मदद करते हैं।

  2. प्रश्न 2: दिल्ली जैसे शहरों में उमस (Humidity) बढ़ने का प्रत्यक्ष प्रभाव क्या है?

    1. A. शरीर का पसीना आसानी से वाष्पित हो जाता है, जिससे ठंडक महसूस होती है।
    2. B. पसीने का वाष्पीकरण धीमा हो जाता है, जिससे अधिक बेचैनी महसूस होती है।
    3. C. वायुमंडलीय तापमान कम हो जाता है।
    4. D. हवा शुष्क हो जाती है।

    उत्तर: B
    व्याख्या: उच्च आर्द्रता की स्थिति में, हवा पहले से ही जलवाष्प से संतृप्त होती है, जिससे पसीने का वाष्पीकरण बाधित होता है और शरीर को ठंडा होने में कठिनाई होती है, जिससे बेचैनी बढ़ती है।

  3. प्रश्न 3: भारतीय मानसून पैटर्न में हालिया बदलावों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. 1. मानसून की शुरुआत अक्सर देर से या जल्दी हो रही है।
    2. 2. बारिश की तीव्रता बढ़ रही है, जिससे अचानक बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं।
    3. 3. मानसून के ‘ब्रेक्स’ (सूखे अंतराल) की अवधि घट रही है।

    उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

    1. A. केवल 1 और 2
    2. B. केवल 2 और 3
    3. C. केवल 1 और 3
    4. D. 1, 2 और 3

    उत्तर: A
    व्याख्या: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून में अनियमितता आ रही है, जिसमें जल्दी या देर से आगमन, तीव्र वर्षा और लंबे सूखे अंतराल (ब्रेक्स) की अवधि में वृद्धि शामिल है। इसलिए, कथन 3 असत्य है।

  4. प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी बीमारी गर्मी से संबंधित नहीं है?

    1. A. हीट स्ट्रोक (Heatstroke)
    2. B. डिहाइड्रेशन (Dehydration)
    3. C. डेंगू (Dengue)
    4. D. हीट एग्जॉशन (Heat Exhaustion)

    उत्तर: C
    व्याख्या: डेंगू एक मच्छर जनित बीमारी है, जबकि हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और हीट एग्जॉशन सीधे तौर पर अत्यधिक गर्मी और उमस से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दे हैं।

  5. प्रश्न 5: दिल्ली के मौसम में ‘कभी छांव, कभी धूप’ की स्थिति के लिए निम्नलिखित में से कौन सा वायुमंडलीय कारक जिम्मेदार हो सकता है?

    1. A. केवल पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances)
    2. B. निम्न दबाव प्रणाली (Low-pressure systems) और ऊपरी वायुमंडलीय धाराएं
    3. C. एल नीनो (El Niño) का सीधा प्रभाव
    4. D. स्थलीय समीर (Land Breeze)

    उत्तर: B
    व्याख्या: मानसून के दौरान निम्न दबाव प्रणालियों का निर्माण और ऊपरी वायुमंडलीय धाराओं में बदलाव से मौसम में अचानक परिवर्तन हो सकता है। पश्चिमी विक्षोभ का भी अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है, लेकिन निम्न दाब प्रणाली अधिक प्रत्यक्ष कारण है। एल नीनो का प्रभाव अधिक दीर्घकालिक होता है।

  6. प्रश्न 6: राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (National Action Plan on Climate Change – NAPCC) के तहत निम्नलिखित मिशनों में से कौन सा सीधे तौर पर ‘ऊर्जा दक्षता’ (Energy Efficiency) से संबंधित है?

    1. A. राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission)
    2. B. राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission)
    3. C. राष्ट्रीय सतत आवास मिशन (National Mission on Sustainable Habitat)
    4. D. राष्ट्रीय उन्नत सामग्री मिशन (National Mission on Enhanced Energy Efficiency)

    उत्तर: D
    व्याख्या: राष्ट्रीय उन्नत सामग्री मिशन (NMEEE) का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए नीतियों और कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय सतत आवास मिशन शहरीकरण और ऊर्जा दक्षता से संबंधित है, लेकिन NMEEE ऊर्जा दक्षता पर अधिक केंद्रित है।

  7. प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन से कदम शहरी क्षेत्रों में जलभराव (Waterlogging) को कम करने में मदद कर सकते हैं?

    1. 1. वर्षा जल संचयन प्रणालियों को बढ़ावा देना।
    2. 2. जल-पारगम्य सतहों (Permeable surfaces) का उपयोग बढ़ाना।
    3. 3. कंक्रीट की सड़कों की संख्या कम करना।
    4. 4. सीवेज सिस्टम का आधुनिकीकरण।

    सही कूट का प्रयोग करें:

    1. A. 1, 2 और 3
    2. B. 2, 3 और 4
    3. C. 1, 3 और 4
    4. D. 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: D
    व्याख्या: जलभराव को कम करने के लिए उपरोक्त सभी उपाय प्रभावी हैं। वर्षा जल संचयन और पारगम्य सतहें पानी को जमीन में रिसने देती हैं, कंक्रीट की कमी सतही अपवाह को कम करती है, और बेहतर सीवेज सिस्टम पानी के निकास को सुनिश्चित करता है।

  8. प्रश्न 8: ‘मानसून का डिले’ (Delay in Monsoon) से क्या तात्पर्य है?

    1. A. मानसून का सामान्य समय से बहुत पहले आना।
    2. B. मानसून का अपने सामान्य समय से काफी देर से पहुंचना।
    3. C. मानसून के दौरान बारिश की तीव्रता का अचानक बढ़ जाना।
    4. D. मानसून के मौसम में लंबे शुष्क अंतराल का आना।

    उत्तर: B
    व्याख्या: ‘मानसून का डिले’ का अर्थ है कि मानसून अपने सामान्य आगमन की तारीख के मुकाबले देर से आता है, जिससे शुष्क अवधि बढ़ जाती है।

  9. प्रश्न 9: दिल्ली के मौसम के ‘अस्त-व्यस्त’ होने में निम्नलिखित में से किस भौगोलिक कारक का अप्रत्यक्ष योगदान हो सकता है?

    1. A. भूमध्यसागरीय जलवायु (Mediterranean Climate)
    2. B. एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) घटनाएँ
    3. C. कैरिबियन हरिकेन (Caribbean Hurricanes)
    4. D. आर्कटिक दोलन (Arctic Oscillation)

    उत्तर: B
    व्याख्या: एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) एक बड़े पैमाने की जलवायु घटना है जो वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है, जिसमें भारतीय मानसून भी शामिल है। इसके प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं।

  10. प्रश्न 10: “महसूस होने वाला तापमान” (Apparent Temperature) क्या है?

    1. A. वह तापमान जो किसी थर्मामीटर से मापा जाता है।
    2. B. वह तापमान जो वायुमंडलीय आर्द्रता के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मानव शरीर महसूस करता है।
    3. C. किसी क्षेत्र का औसत दैनिक तापमान।
    4. D. रात के समय दर्ज किया गया न्यूनतम तापमान।

    उत्तर: B
    व्याख्या: महसूस होने वाला तापमान (Heat Index) हवा के तापमान और आर्द्रता दोनों को मिलाकर बताता है कि मानव शरीर को कितना गर्म या ठंडा महसूस हो रहा है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: भारत में, विशेष रूप से दिल्ली जैसे महानगरीय शहरों में, बदलते मौसम के पैटर्न (जैसे अत्यधिक गर्मी, अप्रत्याशित वर्षा, और बढ़ती उमस) शहरी पारिस्थितिकी तंत्र, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक गतिविधियों पर क्या प्रभाव डालते हैं? इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एकीकृत शहरी नियोजन और नीतिगत दृष्टिकोण का विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: भारतीय मानसून की बदलती प्रकृति, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के प्रकाश में, देश की कृषि और जल सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करती है। दिल्ली के वर्तमान मौसमी परिदृश्य का उदाहरण लेते हुए, इस घटना के वैज्ञानिक कारणों और इसके व्यापक निहितार्थों पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द, 10 अंक)
  3. प्रश्न 3: ‘शहरी ताप द्वीप’ (Urban Heat Island – UHI) प्रभाव क्या है? दिल्ली के संदर्भ में इसके निर्माण के प्रमुख कारकों की पहचान करें और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए अनुशंसित रणनीतियों (जैसे हरित अवसंरचना, जल प्रबंधन) का विस्तार से वर्णन करें। (लगभग 200 शब्द, 12 अंक)
  4. प्रश्न 4: बदलते मौसम के कारण उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों (जैसे गर्मी से संबंधित बीमारियाँ, वेक्टर-जनित रोग) से निपटने के लिए भारत की वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना कितनी तैयार है? सुधारात्मक उपायों और प्रभावी जागरूकता अभियानों की आवश्यकता पर प्रकाश डालें। (लगभग 150 शब्द, 10 अंक)

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