मोदी की दोहरी कूटनीति: ब्रिटेन में रणनीतिक वार्ता, मालदीव में उत्सव – भारत के वैश्विक संबंधों का भविष्य
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जुलाई 23-24 को प्रस्तावित ब्रिटेन दौरा और उसके बाद मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में उनकी भागीदारी, भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने वाला है। यह यात्रा न केवल दो प्रमुख द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका और आकांक्षाओं को भी प्रदर्शित करेगी। एक ओर ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता, रक्षा सहयोग और जलवायु परिवर्तन पर संवाद एजेंडे में है, वहीं दूसरी ओर मालदीव में उपस्थिति भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति (Neighbourhood First Policy) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में उसकी समुद्री सुरक्षा संबंधी रणनीतिक हितों पर प्रकाश डालेगी। यह दौरा कूटनीति के शतरंज पर भारत की अगली चाल का संकेत है, जहाँ वह अपनी ऐतिहासिक साझेदारियों को पुनर्जीवित करते हुए नई भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के अनुरूप ढाल रहा है।
पृष्ठभूमि: संबंधों की परतें
किसी भी देश की यात्रा को समझने के लिए उसके ऐतिहासिक और समसामयिक संबंधों की गहन जानकारी आवश्यक है। प्रधानमंत्री के इस दौरे के दो मुख्य पड़ाव हैं – ब्रिटेन और मालदीव, जो अपने आप में भारत के लिए अलग-अलग रणनीतिक महत्व रखते हैं।
भारत-ब्रिटेन संबंध: इतिहास से भविष्य तक
भारत और ब्रिटेन के संबंध उपनिवेशवाद के गहरे इतिहास से बंधे हैं, लेकिन आज वे एक आधुनिक, बहुआयामी साझेदारी में विकसित हुए हैं।
- ऐतिहासिक संबंध: 20वीं शताब्दी के मध्य तक भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा। स्वतंत्रता के बाद भी, दोनों देशों ने कॉमनवेल्थ (Commonwealth) के माध्यम से संबंधों को बनाए रखा। यह संबंध केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक रूप से भी गहरा है। भारतीय प्रवासी ब्रिटेन में सबसे बड़े जातीय समूहों में से एक हैं, जो दोनों देशों के बीच एक जीवंत सेतु का काम करते हैं।
- ब्रेक्जिट के बाद की स्थिति: यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने (ब्रेक्जिट) के बाद, ब्रिटेन ने वैश्विक स्तर पर नए व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारों की तलाश तेज कर दी है। भारत, दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक तेजी से उभरती हुई शक्ति के रूप में, ब्रिटेन के लिए एक स्वाभाविक पसंद है। ब्रेक्जिट ने दोनों देशों को एक दूसरे के करीब आने का एक नया अवसर प्रदान किया है।
- रणनीतिक साझेदारी: पिछले कुछ वर्षों में, भारत और ब्रिटेन ने रक्षा, सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है। दोनों देश आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग कर रहे हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए समान दृष्टिकोण साझा करते हैं।
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA): भारत-ब्रिटेन FTA वार्ता दोनों देशों के संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गई है। इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है। भारत को उम्मीद है कि यह समझौता ब्रिटिश बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा, विशेष रूप से कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों के लिए। वहीं, ब्रिटेन भारतीय सेवा क्षेत्र में अवसरों की तलाश में है।
भारत-मालदीव संबंध: ‘पड़ोसी पहले’ की कसौटी
मालदीव, हिंद महासागर में भारत का एक महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी है। भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के केंद्र में मालदीव का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- भू-रणनीतिक महत्व: मालदीव हिंद महासागर में प्रमुख शिपिंग लेन के पास स्थित है, जो इसे भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। यह चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि चीन इस क्षेत्र में अपनी ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति के तहत अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।
- ‘पड़ोसी पहले’ नीति: भारत ने हमेशा मालदीव को आपदा राहत, आर्थिक सहायता और विकास परियोजनाओं में प्राथमिकता दी है। भारत ने मालदीव को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में सहायता प्रदान की है। उदाहरण के लिए, मालदीव में ग्रेट मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) भारत द्वारा वित्त पोषित एक महत्वपूर्ण परियोजना है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग काफी मजबूत है, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, तटीय निगरानी और क्षमता निर्माण शामिल हैं। भारत ने मालदीव को गश्ती नौकाएँ और विमान उपलब्ध कराए हैं ताकि उसकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।
- चुनौतियाँ: ‘इंडिया आउट’ अभियान: हाल के वर्षों में, मालदीव में ‘इंडिया आउट’ (India Out) अभियान ने दोनों देशों के संबंधों में कुछ तनाव पैदा किया है। यह अभियान भारत की सैन्य उपस्थिति और विकास परियोजनाओं पर सवाल उठाता है, जो मालदीव के आंतरिक राजनीतिक गतिरोध और चीन के बढ़ते प्रभाव से जुड़ा हुआ है। मालदीव में नई सरकार का रुख भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, हालाँकि हालिया संकेतों से लगता है कि मालदीव के नए राष्ट्रपति ने भारत के साथ सहयोग की इच्छा व्यक्त की है।
- आजादी महोत्सव में भागीदारी: मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री की उपस्थिति भारत के गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के प्रति सम्मान दर्शाती है और ‘पड़ोसी पहले’ नीति की दृढ़ता को रेखांकित करती है। यह मालदीव के लोगों को यह आश्वस्त करने का एक अवसर है कि भारत उनके सबसे भरोसेमंद साझेदारों में से एक है।
यात्रा का एजेंडा और संभावित परिणाम: एक कूटनीतिक संतुलन
प्रधानमंत्री की यह दोहरी यात्रा भारत की ‘बहु-संरेखण’ (multi-alignment) नीति का एक आदर्श उदाहरण है, जहाँ वह अपनी राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए विभिन्न देशों के साथ अलग-अलग स्तरों पर जुड़ता है।
ब्रिटेन यात्रा: रणनीतिक संवाद का नया अध्याय
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री मोदी की वार्ताएं कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित होंगी:
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA): यह यात्रा FTA वार्ताओं को गति देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। हालाँकि, कुछ विवादास्पद मुद्दे, जैसे कि कृषि उत्पादों तक पहुंच और भारतीय श्रमिकों के लिए वीजा नियमों में ढील, अभी भी अनसुलझे हैं। इस यात्रा से इन मुद्दों पर कुछ प्रगति की उम्मीद है। एक सफल FTA दोनों देशों के लिए अरबों डॉलर के अतिरिक्त व्यापार का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास, साइबर सुरक्षा में सहयोग और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने पर चर्चा होने की संभावना है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, यह सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा: भारत और ब्रिटेन दोनों ही जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस यात्रा में अक्षय ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी और जलवायु वित्तपोषण पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है। ब्रिटेन भारत के राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission) और हाइड्रोजन ऊर्जा पहल में एक प्रमुख भागीदार हो सकता है।
- शिक्षा और प्रवासन: भारत बड़ी संख्या में छात्रों को ब्रिटेन भेजता है, और शैक्षणिक सहयोग दोनों देशों के बीच एक मजबूत बंधन है। प्रवासन एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, लेकिन दोनों देश एक ‘मोबिलिटी पार्टनरशिप’ समझौते पर काम कर रहे हैं जो छात्रों, पेशेवरों और पर्यटकों के लिए आवाजाही को आसान बना सकता है।
- कॉमनवेल्थ की भूमिका: भारत कॉमनवेल्थ का सबसे बड़ा सदस्य है। यह यात्रा कॉमनवेल्थ के भीतर भारत की भूमिका को मजबूत करने और इसे एक अधिक गतिशील और समकालीन संगठन बनाने के लिए सहयोग पर चर्चा का अवसर भी प्रदान कर सकती है।
ब्रिटेन के साथ संबंध केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भू-रणनीतिक भी हैं। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन की ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ (Global Britain) की महत्वाकांक्षा भारत की ‘वैश्विक शक्ति’ की आकांक्षाओं के साथ मेल खाती है। दोनों देश बहुपक्षीय मंचों पर भी सहयोग कर सकते हैं, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मुद्दों पर।
मालदीव यात्रा: ‘पड़ोसी पहले’ नीति की पुनर्पुष्टि
मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री की भागीदारी प्रतीकात्मक और रणनीतिक, दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण है:
- ‘पड़ोसी पहले’ की पुष्टि: यह यात्रा भारत की उस प्रतिबद्धता को दोहराएगी कि वह अपने पड़ोसियों के साथ मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखेगा, भले ही कुछ चुनौतियाँ क्यों न हों। यह ‘इंडिया आउट’ अभियान के बावजूद भारत के लगातार समर्थन का संकेत है।
- सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: मालदीव के साथ भारत के संबंध सदियों पुराने हैं, जो व्यापार, संस्कृति और लोगों के आदान-प्रदान से जुड़े हैं। स्वतंत्रता समारोह में भाग लेना इन गहरे संबंधों का सम्मान करता है।
- समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत: मालदीव हिंद महासागर में भारत की ‘सागर’ (SAGAR – Security and Growth for All in the Region) पहल का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इस यात्रा से समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA), आपदा प्रबंधन और समुद्री डकैती विरोधी प्रयासों में सहयोग को और बढ़ावा मिल सकता है। भारत मालदीव को अपने तटों की रक्षा करने और अपनी विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की निगरानी करने में मदद करता रहा है।
- विकास सहायता: इस अवसर पर भारत द्वारा मालदीव के लिए नई विकास परियोजनाओं या मौजूदा परियोजनाओं में प्रगति की घोषणा की जा सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच विकास साझेदारी और मजबूत होगी।
- विश्वास बहाली: ‘इंडिया आउट’ अभियान से पैदा हुई गलतफहमियों को दूर करने और मालदीव के लोगों में भारत के प्रति विश्वास बहाल करने का यह एक सुनहरा अवसर होगा। यह दिखाता है कि भारत मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करता है और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता।
भारत के रणनीतिक हित: एक व्यापक दृष्टिकोण
इन दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों की यात्राएं भारत के व्यापक रणनीतिक हितों की सेवा करती हैं:
- वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका: ब्रिटेन और मालदीव दोनों के साथ संबंध मजबूत करना भारत को एक जिम्मेदार वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। जी-20 की अध्यक्षता और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर सक्रिय भूमिका के साथ, भारत अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार कर रहा है।
- हिंद-प्रशांत रणनीति का सुदृढ़ीकरण: भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित है। ब्रिटेन एक यूरोपीय देश होने के बावजूद, हिंद-प्रशांत में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, जिससे भारत के साथ सहयोग के अवसर पैदा होते हैं। मालदीव तो इस क्षेत्र के केंद्र में ही है, इसलिए उसकी स्थिरता और सुरक्षा भारत के लिए सर्वोपरि है।
- आर्थिक लाभ: ब्रिटेन के साथ एक सफल FTA भारत के निर्यात को बढ़ावा देगा और निवेश आकर्षित करेगा। मालदीव के साथ संबंध पर्यटन, मत्स्य पालन और बुनियादी ढांचा विकास में अवसर प्रदान करते हैं।
- सुरक्षा आयाम: आतंकवाद, समुद्री डकैती और अवैध तस्करी जैसी साझा सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के साथ सहयोग महत्वपूर्ण है।
- प्रवासी भारतीयों का महत्व: ब्रिटेन में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं। यह यात्रा प्रवासी भारतीयों से जुड़ने और उन्हें भारत के विकास पथ में शामिल करने का अवसर प्रदान करेगी।
कूटनीति एक जटिल नृत्य की तरह है, जहाँ हर कदम का एक उद्देश्य होता है। प्रधानमंत्री की यह दोहरी यात्रा भारत की “वसुधैव कुटुंबकम्” (दुनिया एक परिवार है) की भावना को मजबूत करते हुए, वैश्विक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
कोई भी द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संबंध चुनौतियों से मुक्त नहीं होता। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के बाद भी कुछ मुद्दे बने रह सकते हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
ब्रिटेन के साथ चुनौतियाँ:
- FTA के अवरोध: वीजा और प्रवासन के मुद्दे, साथ ही भारतीय कृषि उत्पादों और ब्रिटिश व्हिस्की पर टैरिफ जैसे मुद्दों पर आम सहमति बनाना मुश्किल हो सकता है। खालिस्तान समर्थक समूहों की ब्रिटेन में बढ़ती गतिविधियां भी भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं।
- अर्थव्यवस्था: ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन की आर्थिक चुनौतियाँ भी भारत के साथ उसके व्यापार संबंधों पर असर डाल सकती हैं।
मालदीव के साथ चुनौतियाँ:
- चीन का प्रभाव: मालदीव में चीन का बढ़ता आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव भारत के लिए एक दीर्घकालिक चुनौती है। चीन की ‘डेट-ट्रैप डिप्लोमेसी’ (Debt-Trap Diplomacy) और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें भारत के हितों के खिलाफ जा सकती हैं।
- आंतरिक राजनीति: मालदीव की आंतरिक राजनीति अस्थिर रही है, और भारत विरोधी भावनाएं कभी-कभी उभरती रहती हैं। भारत को मालदीव के लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करते हुए सावधानी से चलना होगा।
- ‘इंडिया आउट’ अभियान का मुकाबला: इस अभियान का मुकाबला केवल कूटनीति से नहीं, बल्कि लोगों से लोगों के जुड़ाव, विकास परियोजनाओं में पारदर्शिता और भारत के सकारात्मक योगदानों को उजागर करके करना होगा।
आगे की राह:
प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत के लिए एक अवसर है कि वह:
- रणनीतिक संवाद को गहरा करे: ब्रिटेन के साथ रक्षा, सुरक्षा और नई तकनीकों में सहयोग को और बढ़ाए।
- आर्थिक संबंधों को मजबूत करे: FTA को जल्द से जल्द अंतिम रूप दे और व्यापार व निवेश के नए रास्ते तलाशे।
- विश्वास का पुनर्निर्माण करे: मालदीव के साथ संबंधों में पारदर्शिता और आपसी सम्मान पर जोर दे, और “इंडिया आउट” अभियान से उत्पन्न गलतफहमियों को सक्रिय रूप से दूर करे।
- क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा दे: हिंद-प्रशांत में एक सुरक्षित और स्थिर समुद्री वातावरण सुनिश्चित करने के लिए मालदीव जैसे प्रमुख भागीदारों के साथ सहयोग जारी रखे।
- बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाए: जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र सुधारों जैसे वैश्विक मुद्दों पर ब्रिटेन और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करे।
निष्कर्ष: भारत का वैश्विक उदय
प्रधानमंत्री की ब्रिटेन और मालदीव की यात्राएँ केवल द्विपक्षीय बैठकें नहीं हैं, बल्कि ये भारत की विदेश नीति के बहुआयामी दृष्टिकोण का प्रतिबिंब हैं। एक तरफ, यह पश्चिम में एक प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्था के साथ अपने संबंधों को गहरा करता है, जो उसके आर्थिक और तकनीकी विकास के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, यह हिंद महासागर में अपने सबसे महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसियों में से एक के साथ अपनी ‘पड़ोसी पहले’ नीति की दृढ़ता को दर्शाता है, जो उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए आवश्यक है।
यह दौरा इस बात पर जोर देता है कि भारत एक ऐसे विश्व में एक शक्तिशाली और जिम्मेदार खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है जो लगातार बदल रहा है। यह अपनी ऐतिहासिक विरासत को संजोते हुए, समकालीन चुनौतियों का सामना करने और भविष्य के अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार है। यह यात्रा भारत के वैश्विक पदचिह्न को मजबूत करेगी और उसे एक ‘विश्व गुरु’ के रूप में अपनी भूमिका निभाने के करीब ले जाएगी, जहाँ वह केवल अपने हितों को ही नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि में भी योगदान देगा।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विकल्प के रूप में दिए गए हैं। सही विकल्प का चुनाव करें और उसकी व्याख्या पढ़ें।)
प्रश्न 1: ‘पड़ोसी पहले’ नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह भारत की विदेश नीति का एक सिद्धांत है जिसका उद्देश्य अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध और सहयोग बढ़ाना है।
- यह नीति केवल आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है और इसमें सुरक्षा पहलू शामिल नहीं हैं।
- मालदीव इस नीति के तहत भारत के लिए एक महत्वपूर्ण देश है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘पड़ोसी पहले’ नीति भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, आर्थिक सहयोग और सुरक्षा साझेदारी पर जोर देता है। इसमें आर्थिक सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और लोगों से लोगों के संपर्क जैसे कई पहलू शामिल हैं। मालदीव अपनी भू-रणनीतिक स्थिति के कारण इस नीति के तहत भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2: ग्रेट मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) का संबंध निम्नलिखित में से किस देश के साथ है?
(a) श्रीलंका
(b) मालदीव
(c) म्यांमार
(d) बांग्लादेश
उत्तर: (b)
व्याख्या: ग्रेट मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) मालदीव में भारत द्वारा वित्त पोषित एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह परियोजना मालदीव के विभिन्न द्वीपों को पुल और कॉजवे के माध्यम से जोड़ने का लक्ष्य रखती है, जिससे आर्थिक और सामाजिक संपर्क में सुधार होगा।
प्रश्न 3: ‘SAGAR’ (Security and Growth for All in the Region) पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती का मुकाबला करना।
(b) हिंद महासागर क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देना।
(c) भारत के तटीय क्षेत्रों में केवल मछली पकड़ने की प्रथाओं को विनियमित करना।
(d) सार्क देशों के बीच भूमि व्यापार को बढ़ावा देना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘SAGAR’ पहल हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत का एक रणनीतिक दृष्टिकोण है। इसमें समुद्री अर्थव्यवस्था, समुद्री सुरक्षा, क्षेत्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण जैसे आयाम शामिल हैं, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के सभी देशों के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करना है।
प्रश्न 4: हाल ही में चर्चा में रहा ‘इंडिया आउट’ अभियान निम्नलिखित में से किस देश से संबंधित है?
(a) नेपाल
(b) भूटान
(c) मालदीव
(d) बांग्लादेश
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘इंडिया आउट’ अभियान मालदीव में एक राजनीतिक आंदोलन है जो भारत की सैन्य उपस्थिति और कुछ विकास परियोजनाओं पर सवाल उठाता है। यह अभियान भारत-मालदीव संबंधों में हालिया तनाव का एक कारण रहा है, हालांकि नई मालदीव सरकार भारत के साथ सहयोग की इच्छा व्यक्त कर रही है।
प्रश्न 5: ब्रेक्जिट के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह यूरोपीय संघ से यूनाइटेड किंगडम के बाहर निकलने को संदर्भित करता है।
- ब्रेक्जिट के बाद, ब्रिटेन ने भारत जैसे गैर-यूरोपीय संघ देशों के साथ व्यापार समझौते करने में अधिक रुचि दिखाई है।
- ब्रिटेन और भारत के बीच वर्तमान में कोई मुक्त व्यापार समझौता (FTA) मौजूद नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
व्याख्या: ब्रेक्जिट यूनाइटेड किंगडम के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने की प्रक्रिया थी। इसके बाद, ब्रिटेन ने अपनी ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ नीति के तहत भारत जैसे प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ नए व्यापार समझौतों की तलाश तेज कर दी है। वर्तमान में, ब्रिटेन और भारत के बीच एक FTA पर बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है।
प्रश्न 6: कॉमनवेल्थ (Commonwealth) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) कॉमनवेल्थ के सभी सदस्य देश अनिवार्य रूप से पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश रहे हैं।
(b) भारत कॉमनवेल्थ का सबसे बड़ा सदस्य देश है।
(c) कॉमनवेल्थ का मुख्यालय लंदन में है।
(d) कॉमनवेल्थ में शामिल होने के लिए गणतंत्र होना अनिवार्य है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: कॉमनवेल्थ मुख्य रूप से पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों का एक स्वैच्छिक संघ है, लेकिन इसमें गैर-उपनिवेशी देश (जैसे रवांडा और गैबॉन) भी शामिल हैं, इसलिए विकल्प (a) गलत है। भारत जनसंख्या के हिसाब से कॉमनवेल्थ का सबसे बड़ा सदस्य है। कॉमनवेल्थ का मुख्यालय लंदन, यूके में है। कॉमनवेल्थ में गणतंत्र और राजशाही दोनों प्रकार के सदस्य देश शामिल हैं, इसलिए विकल्प (d) गलत है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा कारक भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) वार्ताओं में एक प्रमुख चुनौती रहा है?
(a) भारत का रक्षा उपकरणों पर प्रतिबंध
(b) ब्रिटेन की बौद्धिक संपदा अधिकारों पर सख्त नीतियाँ
(c) भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा और प्रवासन के मुद्दे
(d) ब्रिटेन द्वारा भारतीय कृषि उत्पादों का विरोध
उत्तर: (c)
व्याख्या: भारत-ब्रिटेन FTA वार्ताओं में भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा और प्रवासन के मुद्दे एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील चुनौती रहे हैं, जिसमें भारत बेहतर पहुंच की मांग कर रहा है। अन्य कारक भी बातचीत को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन वीजा और प्रवासन सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है।
प्रश्न 8: ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की अवधारणा का सर्वोत्तम वर्णन करता है:
(a) केवल भारत के पड़ोसियों के साथ सहयोग करना।
(b) विश्व को एक परिवार के रूप में देखना और सार्वभौमिक सद्भाव पर जोर देना।
(c) केवल आर्थिक संबंधों के माध्यम से वैश्विक शांति प्राप्त करना।
(d) किसी विशेष संस्कृति की श्रेष्ठता पर जोर देना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ एक प्राचीन भारतीय अवधारणा है जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है”। यह सार्वभौमिक सद्भाव, सह-अस्तित्व और वैश्विक सहयोग के दर्शन पर जोर देती है, जो भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांतों में से एक है।
प्रश्न 9: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत की रणनीति में निम्नलिखित में से कौन-सा एक महत्वपूर्ण तत्व है?
(a) केवल सैन्य गठबंधन बनाना।
(b) हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ विकास और सुरक्षा साझेदारी बढ़ाना।
(c) अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना।
(d) केवल अपनी आर्थिक शक्ति पर निर्भर रहना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत की रणनीति में क्षेत्र के देशों के साथ विकास परियोजनाओं, क्षमता निर्माण, समुद्री सुरक्षा सहयोग और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से साझेदारी बढ़ाना शामिल है। यह एक समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था पर जोर देता है, न कि केवल सैन्य गठबंधन या आंतरिक हस्तक्षेप पर।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत के ‘ग्रेट मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ में प्रत्यक्ष रूप से शामिल है?
(a) श्रीलंका
(b) बांग्लादेश
(c) मालदीव
(d) म्यांमार
उत्तर: (c)
व्याख्या: ग्रेट मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) सीधे तौर पर मालदीव से संबंधित है। यह भारत द्वारा वित्त पोषित सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है जो मालदीव की राजधानी माले को उसके पड़ोसी द्वीपों विलिंगिली, गुल्हिफल्हू और थिलाफूशी से जोड़ती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
प्रश्न 1: प्रधानमंत्री के ब्रिटेन दौरे के संदर्भ में, ब्रेक्जिट के बाद भारत-ब्रिटेन संबंधों में उभरे नए अवसर और चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों के लिए इस साझेदारी का क्या महत्व है?
प्रश्न 2: ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत मालदीव के साथ भारत के संबंध भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं? हाल ही में ‘इंडिया आउट’ अभियान जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत इन संबंधों को कैसे मजबूत कर सकता है?
प्रश्न 3: वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की उभरती भूमिका को देखते हुए, पीएम मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की दोहरी कूटनीति भारत के ‘बहु-संरेखण’ दृष्टिकोण को कैसे दर्शाती है? इस प्रकार की कूटनीति के दीर्घकालिक निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए।