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मुंबई का जलमग्न होना और उड़ानों का गो-अराउंड: मानसून की मार या शहरी अवसंरचना की लाचारी?

मुंबई का जलमग्न होना और उड़ानों का गो-अराउंड: मानसून की मार या शहरी अवसंरचना की लाचारी?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, मुंबई में हुई मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर शहर को घुटनों पर ला दिया। इस बार की बारिश ने न केवल सड़कों को नदी में तब्दील कर दिया, बल्कि हवाई यातायात को भी बुरी तरह प्रभावित किया। छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नौ उड़ानें खराब दृश्यता और भारी हवाओं के कारण निर्धारित लैंडिंग करने में असमर्थ रहीं और उन्हें ‘गो-अराउंड’ (Go-around) करना पड़ा, जिसका अर्थ है कि विमानों ने लैंडिंग का प्रयास छोड़ दिया और फिर से हवा में चक्कर लगाया। यह घटना मुंबई जैसे महानगर में मानसून से होने वाली तबाही और उससे निपटने की हमारी तैयारी पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े करती है। इसके साथ ही, शहर के विभिन्न हिस्सों में जलभराव ने आम जनजीवन, खासकर रेलवे सेवाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

यह स्थिति केवल एक मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि भारत के प्रमुख शहरी केंद्रों में जलवायु परिवर्तन, अनियोजित शहरीकरण और अपर्याप्त अवसंरचना के अंतर्संबंध को दर्शाती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह विषय शासन, पर्यावरण, शहरी नियोजन, आपदा प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन और आर्थिक प्रभाव जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करता है। आइए इस घटना का गहराई से विश्लेषण करें और इसके विभिन्न आयामों को समझें।

मुंबई में बारिश का कहर: एक विस्तृत विश्लेषण (Mumbai’s Rain Fury: A Detailed Analysis)

मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति और सघन आबादी के कारण मानसून के दौरान विशेष रूप से संवेदनशील हो जाती है। हर साल, बारिश का मौसम शहर के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करता है, लेकिन हाल की घटनाओं ने इस चुनौती की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।

1. हवाई यातायात पर प्रभाव: ‘गो-अराउंड’ की वास्तविकता (Impact on Air Traffic: The Reality of ‘Go-around’)

जब भारी बारिश और खराब दृश्यता होती है, तो हवाई यातायात का प्रभावित होना कोई असामान्य बात नहीं है। हालांकि, नौ उड़ानों का एक साथ ‘गो-अराउंड’ करना गंभीर स्थिति का संकेत देता है।

  • गो-अराउंड क्या है? (What is a Go-around?): यह विमानन में एक मानक प्रक्रिया है। जब पायलट को लगता है कि लैंडिंग सुरक्षित रूप से पूरी नहीं की जा सकती है – चाहे वह खराब मौसम, रनवे पर बाधा, या किसी अन्य अप्रत्याशित कारण से हो – तो वह लैंडिंग को रद्द कर देता है और हवाई जहाज को सुरक्षित ऊंचाई पर ले जाकर फिर से लैंडिंग के लिए आने की कोशिश करता है।
  • कारण:
    • खराब दृश्यता (Low Visibility): भारी बारिश और कोहरे से दृश्यता अत्यधिक कम हो जाती है, जिससे पायलट के लिए रनवे को देखना मुश्किल हो जाता है।
    • तेज हवाएं (Strong Winds): अनियंत्रित या अत्यधिक तेज हवाएं विमान को अस्थिर कर सकती हैं, जिससे लैंडिंग खतरनाक हो जाती है।
    • रनवे पर जलभराव (Runway Waterlogging): यदि रनवे पर पानी जमा हो जाता है, तो विमान के ब्रेक लगाने की क्षमता (ब्रेकिंग एक्शन) कम हो जाती है, जो लैंडिंग के लिए एक बड़ा जोखिम है।
  • सुरक्षा पहलू: हालांकि ‘गो-अराउंड’ एक सुरक्षात्मक उपाय है, लेकिन एक ही समय में बड़ी संख्या में उड़ानों का ‘गो-अराउंड’ होना हवाई यातायात नियंत्रण (Air Traffic Control – ATC) और हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिए एक चुनौती पेश करता है। यह हवाई अड्डे पर भीड़, देरी और अंततः यात्री असुविधा को बढ़ाता है।

2. शहरी जलभराव: एक बार फिर मुंबई की परीक्षा (Urban Waterlogging: Mumbai Tested Once Again)

मुंबई की सड़कें और रेलवे ट्रैक जलमग्न हो गए, जिससे दैनिक जीवन ठप्प हो गया।

  • मुख्य कारण:
    • अत्यधिक वर्षा (Excessive Rainfall): अल्पकालिक अवधि में अत्यधिक वर्षा की मात्रा।
    • खराब जल निकासी व्यवस्था (Poor Drainage Systems): शहर की जल निकासी प्रणाली पुरानी है और बढ़ती शहरी आबादी और कंक्रीट के जंगल के अनुरूप नहीं है। कई नाले अतिक्रमण का शिकार हैं या गाद से भरे हुए हैं।
    • अनियोजित शहरीकरण (Unplanned Urbanization): आर्द्रभूमि (wetlands), लैगून और प्राकृतिक जल निकासी चैनलों को पाटकर निर्माण कार्य किया गया है, जिससे बारिश के पानी को सोखने या बहने की क्षमता कम हो गई है।
    • कंक्रीटीकरण (Concretization): सतह के पानी को रिसने से रोकने वाली कंक्रीट की सतहों का बढ़ना।
    • जलवायु परिवर्तन (Climate Change): जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाएं (जैसे भारी बारिश) अधिक बार और अधिक तीव्र हो रही हैं।
  • प्रभाव:
    • परिवहन व्यवधान (Transportation Disruptions): सड़कों पर पानी भरने से यातायात जाम, सार्वजनिक परिवहन (बसें, टैक्सी) का बंद होना और लोकल ट्रेनों का प्रभावित होना।
    • आर्थिक नुकसान (Economic Losses): व्यापारिक गतिविधियों में बाधा, उद्योगों का बंद होना, और संपत्ति का नुकसान।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health): जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाना, मच्छरों के पनपने से बीमारियों का प्रसार।
    • सामुदायिक विस्थापन (Community Displacement): निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना पड़ सकता है।

3. रेलवे सेवाओं पर प्रभाव (Impact on Railway Services)

मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनें भी भारी बारिश से अछूती नहीं रहीं। कई इलाकों में रेलवे ट्रैक जलमग्न हो गए, जिससे ट्रेनों का संचालन या तो बंद करना पड़ा या उनमें अत्यधिक देरी हुई। यह लाखों दैनिक यात्रियों के लिए एक बड़ी समस्या थी, जो काम पर जाने या घर लौटने के लिए इन ट्रेनों पर निर्भर रहते हैं।

“मुंबई में बारिश सिर्फ पानी गिरना नहीं है, यह एक जटिल शहरी अवसंरचना और पारिस्थितिकी तंत्र का परीक्षण है। जब जल निकासी व्यवस्थाएं पुराने हो जाती हैं और प्राकृतिक जल चैनलों को भर दिया जाता है, तो ऐसे दृश्य अनपेक्षित नहीं रह जाते।”

UPSC के लिए प्रासंगिक मुद्दे (Issues Relevant for UPSC)

यह घटना UPSC परीक्षा के विभिन्न वर्गों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है, जिनमें शामिल हैं:

A. भारतीय भूगोल और पर्यावरण (Indian Geography and Environment)

  • जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव: भारत, विशेष रूप से तटीय शहरों पर जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव। चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि।
  • प्राकृतिक आपदा प्रबंधन: बाढ़, भूस्खलन, और तटीय कटाव जैसी आपदाओं से निपटना।
  • शहरी पर्यावरण: कंक्रीटीकरण, आर्द्रभूमि का संरक्षण, शहरी जल निकासी प्रणालियों का महत्व।
  • पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं: प्राकृतिक जल निकायों और आर्द्रभूमि द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं, जैसे जल अवशोषण।

B. शासन और सार्वजनिक नीति (Governance and Public Policy)

  • शहरी नियोजन और विकास: अनियोजित विकास, अतिक्रमण, और टिकाऊ शहरी नियोजन की आवश्यकता। मास्टर प्लान का कार्यान्वयन।
  • अवसंरचना विकास: परिवहन (हवाई, सड़क, रेल) और जल निकासी अवसंरचना का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण।
  • आपदा प्रतिक्रिया और प्रबंधन: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन की भूमिका। प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): अवसंरचना सुधार में PPP की भूमिका।
  • नीति निर्माण और कार्यान्वयन: प्रभावी नीतियों का निर्माण और जमीनी स्तर पर उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।

C. सामाजिक मुद्दे (Social Issues)

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य: जलजनित और वेक्टर-जनित बीमारियों का प्रबंधन।
  • आजीविका पर प्रभाव: खासकर गरीब और कमजोर वर्गों की आजीविका पर विनाशकारी घटनाओं का प्रभाव।
  • जनसांख्यिकी और शहरीकरण: बढ़ती शहरी आबादी के साथ अवसंरचना पर बढ़ता दबाव।

D. अर्थव्यवस्था (Economy)

  • आर्थिक नुकसान: प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान का आकलन।
  • परिवहन और लॉजिस्टिक्स: आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रभाव।
  • बंदरगाह और तटीय अर्थव्यवस्था: मुंबई जैसे तटीय शहरों की आर्थिक भेद्यता।

क्यों मुंबई इतना असुरक्षित है? (Why is Mumbai so Vulnerable?)

मुंबई की भेद्यता कई अंतर्संबंधित कारकों का परिणाम है:

  1. भौगोलिक स्थिति: मुंबई एक लैगून के पास स्थित एक तटीय शहर है, जो इसे तूफानों और उच्च ज्वार से प्रभावित होने के लिए प्रवण बनाता है। इसके अलावा, यह सात द्वीपों पर बसा है, जिनकी अपनी प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियां थीं, जो अब शहरीकरण के कारण बाधित हो गई हैं।
  2. अति-सघनता: दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक होने के नाते, मुंबई में अवसंरचना पर भारी दबाव है। हर थोड़ी सी बारिश शहर को ठप्प कर देती है।
  3. पर्यावरणीय क्षरण: आर्द्रभूमि (जैसे मडफ्लैट्स) को पाटकर और मैंग्रोव जंगलों को नष्ट करके किए गए निर्माण ने शहर की प्राकृतिक जल-अवशोषण क्षमता को कम कर दिया है। ये आर्द्रभूमि और मैंग्रोव भारी बारिश और बाढ़ के दौरान बफर जोन के रूप में कार्य करते थे।
  4. पुरानी अवसंरचना: जल निकासी प्रणालियां, सीवर लाइनें और अन्य महत्वपूर्ण अवसंरचनाएं अक्सर अपने डिजाइन जीवनकाल से आगे काम कर रही हैं और वर्तमान आबादी की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हैं।
  5. भ्रष्टाचार और कुशासन: जल निकासी लाइनों के रखरखाव में भ्रष्टाचार, अवैध निर्माण, और योजना के क्रियान्वयन में शिथिलता समस्याओं को बढ़ाती है।

आगे की राह: समाधान और सुझाव (The Way Forward: Solutions and Suggestions)

मुंबई को इस वार्षिक संकट से निपटने के लिए एक बहुआयामी और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  • अवसंरचना का आधुनिकीकरण:
    • जल निकासी व्यवस्था: मौजूदा जल निकासी लाइनों की सफाई, चौड़ीकरण और आधुनिकीकरण। नई, अधिक कुशल प्रणालियों का निर्माण।
    • पंपिंग स्टेशन: भारी वर्षा के दौरान पानी को बाहर निकालने के लिए अधिक और उन्नत पंपिंग स्टेशनों की स्थापना।
    • भूकंप प्रतिरोधी और जल-प्रतिरोधी निर्माण: नई इमारतों और अवसंरचना परियोजनाओं के लिए सख्त मानक।
  • शहरी नियोजन और विकास:
    • ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर: पार्कों, झीलों और शहरी जंगलों को बढ़ाना ताकि वे बारिश के पानी को सोख सकें। पारगम्य फुटपाथ (permeable pavements) का उपयोग।
    • आर्द्रभूमि और मैंग्रोव संरक्षण: आर्द्रभूमि और मैंग्रोव को संरक्षित और पुनर्स्थापित करना, क्योंकि वे बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • भवन उपनियमों का सख्ती से पालन: अनधिकृत निर्माणों पर रोक और मौजूदा अवैध निर्माणों को नियमित करना या हटाना।
  • आपदा प्रबंधन क्षमताएं:
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: मौसम विभाग के साथ मिलकर बेहतर और अधिक सटीक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना।
    • प्रतिक्रिया तंत्र: बचाव और राहत कार्यों के लिए प्रतिक्रिया समय को कम करना। NDRF/SDRF की क्षमता बढ़ाना।
    • जन जागरूकता और प्रशिक्षण: नागरिकों को आपदाओं के दौरान क्या करना चाहिए, इस बारे में शिक्षित करना।
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन:
    • टिकाऊ विकास: शहर के विकास को इस तरह से निर्देशित करना जो जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीला हो।
    • नवीकरणीय ऊर्जा: कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना।
  • प्रशासनिक सुधार:
    • समन्वय: विभिन्न सरकारी एजेंसियों (BMC, रेलवे, हवाई अड्डा प्राधिकरण, यातायात पुलिस) के बीच बेहतर समन्वय।
    • जवाबदेही: रखरखाव और कार्यान्वयन में देरी या खामियों के लिए जवाबदेही तय करना।

“मुंबई जैसे शहर की भेद्यता केवल प्रकृति के प्रकोप का परिणाम नहीं है, बल्कि यह मानव निर्मित कमजोरियों का भी प्रतिबिंब है, जो अनियोजित विकास और उपेक्षित अवसंरचना से पैदा होती हैं।”

निष्कर्ष (Conclusion)

मुंबई में बारिश का यह हालिया कहर एक चेतावनी है। यह दर्शाता है कि शहरीकरण की वर्तमान गति और हमारे अवसंरचनात्मक प्रतिक्रियाओं के बीच एक बड़ा अंतर है। हमें यह समझना होगा कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक और वर्तमान खतरा है, और हमारे शहर को इसके प्रभावों के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिए तत्काल, सुविचारित और टिकाऊ कदम उठाने होंगे। हवाई अड्डों पर उड़ानों के ‘गो-अराउंड’ से लेकर सड़कों पर घुटनों तक भरे पानी तक, ये घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि हमें अपनी तैयारी को बेहतर बनाना होगा, अपनी अवसंरचना का आधुनिकीकरण करना होगा, और एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ना होगा जहां शहर अपनी प्रकृति से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हो। यह केवल मुंबई का मुद्दा नहीं है, बल्कि भारत के कई अन्य तटीय और नदी तटीय शहरों के लिए एक व्यापक सबक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल की घटनाओं के संदर्भ में, विमानन में ‘गो-अराउंड’ (Go-around) शब्द का क्या अर्थ है?
(a) विमान का बिना लैंडिंग के ही प्रस्थान कर जाना।
(b) खराब मौसम या अन्य जोखिमों के कारण लैंडिंग को रद्द कर पुनः प्रयास के लिए चक्कर लगाना।
(c) विमान का आपातकालीन लैंडिंग करना।
(d) विमान का अपने गंतव्य से पहले ही उतरना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘गो-अराउंड’ एक मानक विमानन प्रक्रिया है जहाँ पायलट लैंडिंग को सुरक्षित न मानते हुए, लैंडिंग का प्रयास छोड़ देता है और विमान को सुरक्षित ऊंचाई पर ले जाकर पुनः लैंडिंग के लिए आने की कोशिश करता है।

2. मुंबई जैसे तटीय शहरों में भारी बारिश के दौरान जलभराव के निम्नलिखित में से कौन से प्रमुख कारण हैं?
1. अत्यधिक वर्षा की तीव्रता
2. पुरानी और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था
3. आर्द्रभूमि और मैंग्रोव क्षेत्रों का अतिक्रमण
4. अत्यधिक कंक्रीटीकरण
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: सभी सूचीबद्ध कारक मुंबई जैसे तटीय शहरों में जलभराव के प्रमुख कारण हैं।

3. निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी भारत में राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
(a) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
(c) भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
(d) भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
उत्तर: (b)
व्याख्या: NDRF राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन, बचाव और राहत कार्यों के लिए एक विशेषीकृत बल है। IMD मौसम संबंधी पूर्वानुमान जारी करता है, लेकिन प्रतिक्रिया NDRF द्वारा की जाती है।

4. जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘चरम मौसम की घटनाएं’ (Extreme Weather Events) को सबसे अच्छी तरह परिभाषित करता है?
(a) ऐसी मौसम की घटनाएं जो औसत से काफी भिन्न होती हैं और खतरनाक हो सकती हैं।
(b) केवल भारी वर्षा या बर्फबारी।
(c) सामान्य तापमान भिन्नताएं।
(d) हवा की सामान्य गति।
उत्तर: (a)
व्याख्या: चरम मौसम की घटनाएं वे हैं जो ऐतिहासिक औसत से काफी विचलित होती हैं और मानव जीवन, संपत्ति और पर्यावरण के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं, जैसे अत्यधिक वर्षा, सूखा, गर्मी की लहरें, आदि।

5. मुंबई के जलभराव की समस्या को कम करने के लिए ‘ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर’ (Green Infrastructure) के संदर्भ में क्या उपयुक्त है?
(a) ऊंची इमारतें बनाना
(b) पार्कों और शहरी झीलों का विकास तथा पारगम्य फुटपाथों का उपयोग
(c) नई सड़कों का निर्माण
(d) जल निकासी पाइपों का व्यास बढ़ाना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर का उद्देश्य प्राकृतिक प्रणालियों का उपयोग करके शहरी जल प्रबंधन में सुधार करना है, जैसे कि पार्कों और झीलों द्वारा पानी को सोखना और पारगम्य फुटपाथों से पानी को जमीन में रिसने देना।

6. मुंबई के संदर्भ में, ‘आर्द्रभूमि’ (Wetlands) निम्नलिखित में से कौन सी महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय सेवा प्रदान करती हैं?
(a) केवल मछली पकड़ने का स्थान
(b) केवल पर्यटन स्थल
(c) बाढ़ नियंत्रण और जल निस्पंदन
(d) औद्योगिक अपशिष्ट का निपटान
उत्तर: (c)
व्याख्या: आर्द्रभूमि प्राकृतिक स्पंज की तरह काम करती हैं, अतिरिक्त पानी को अवशोषित करके बाढ़ को नियंत्रित करती हैं और पानी को फिल्टर करके उसकी गुणवत्ता सुधारती हैं।

7. हाल की बारिश के कारण हवाई यातायात में ‘गो-अराउंड’ की घटनाओं में वृद्धि का प्राथमिक कारण क्या था?
(a) हवाई यातायात नियंत्रकों की गलती
(b) विमानों में तकनीकी खराबी
(c) खराब दृश्यता और तेज हवाएँ
(d) हवाई अड्डे पर भीड़
उत्तर: (c)
व्याख्या: खराब दृश्यता और तेज हवाओं जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थितियां लैंडिंग को असुरक्षित बनाती हैं, जिससे ‘गो-अराउंड’ की आवश्यकता पड़ती है।

8. शहरीकरण के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों में से एक क्या है?
(a) हरित आवरण में वृद्धि
(b) जैव विविधता में वृद्धि
(c) कंक्रीटीकरण और जल-धारण क्षमता में कमी
(d) वायु गुणवत्ता में सुधार
उत्तर: (c)
व्याख्या: अनियंत्रित शहरीकरण अक्सर कंक्रीटीकरण को बढ़ावा देता है, जिससे मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता कम हो जाती है और जलभराव का खतरा बढ़ जाता है।

9. भारतीय संविधान के तहत, ‘शहरी नियोजन’ (Urban Planning) और ‘जल निकासी’ (Drainage) किस सूची के अंतर्गत आते हैं?
(a) संघ सूची (Union List)
(b) राज्य सूची (State List)
(c) समवर्ती सूची (Concurrent List)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
व्याख्या: स्थानीय शासन, जिसमें शहरी नियोजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य/स्वच्छता (जिसमें जल निकासी शामिल है) जैसे मामले आते हैं, मुख्य रूप से राज्य सूची के तहत आते हैं, हालांकि संसद भी कानून बना सकती है (समवर्ती सूची)।

10. मुंबई जैसे शहरों में सार्वजनिक परिवहन का एक महत्वपूर्ण घटक कौन सा है, जो अक्सर बारिश से भी प्रभावित होता है?
(a) मेट्रो रेल
(b) मोनोरेल
(c) लोकल ट्रेनें (रेलवे)
(d) बसें
उत्तर: (c)
व्याख्या: मुंबई की लोकल ट्रेनें लाखों लोगों के लिए जीवनरेखा हैं और बारिश के दौरान ट्रैक पर जलभराव से गंभीर रूप से प्रभावित होती हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. मुंबई में हाल की भारी बारिश के कारण हुई घटनाओं का विश्लेषण करें, जिसमें हवाई यातायात पर प्रभाव और शहरी जलभराव शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन, अनियोजित शहरीकरण और अपर्याप्त अवसंरचना की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, इस समस्या को कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले उपायों पर चर्चा करें।
2. “शहरी बाढ़ न केवल एक जल-विज्ञान की समस्या है, बल्कि शासन, योजना और पर्यावरण प्रबंधन की विफलता का भी प्रतीक है।” इस कथन के आलोक में, भारत के प्रमुख शहरी केंद्रों में बाढ़ के बढ़ते जोखिमों और उनसे निपटने के लिए एकीकृत शहरी बाढ़ प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
3. मुंबई जैसे तटीय महानगरों के लिए जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (climate change adaptation) को एक अनिवार्य आवश्यकता के रूप में देखें। शहर की भेद्यता को कम करने और भविष्य की आपदाओं के लिए उसकी लचीलापन (resilience) बढ़ाने के लिए अपनाए जाने वाले नीतिगत और अवसंरचनात्मक हस्तक्षेपों का विस्तार से वर्णन करें।
4. भारी बारिश के दौरान मुंबई में हवाई अड्डों और रेलवे नेटवर्कों पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख करें। इन महत्वपूर्ण परिवहन अवसंरचनाओं को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने और उनके संचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

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