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मिशन एक्सिओम-4: शुभांशु शुक्ला की घर वापसी और अंतरिक्ष के वाणिज्यिक युग की कहानी

मिशन एक्सिओम-4: शुभांशु शुक्ला की घर वापसी और अंतरिक्ष के वाणिज्यिक युग की कहानी

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी के लिए अपनी ऐतिहासिक वापसी पूरी की। एक्सिओम-4 मिशन के हिस्से के रूप में, उनका स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल सुरक्षित रूप से कैलिफोर्निया के प्रशांत तट पर सफलतापूर्वक उतरा (स्पैलशडाउन)। यह घटना न केवल शुभांशु के लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि निजी अंतरिक्ष यात्रा के बढ़ते महत्व और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए भी एक मील का पत्थर है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे अंतरिक्ष अब केवल सरकारों और बड़ी एजेंसियों का एकाधिकार नहीं रह गया है, बल्कि वाणिज्यिक संस्थाओं और निजी व्यक्तियों के लिए भी सुलभ हो रहा है।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला? (Who is Shubhanshu Shukla?)

शुभांशु शुक्ला एक भारतीय मूल के नागरिक हैं जिन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया। हालांकि उनका जन्म भारत में हुआ, वे लंबे समय से अमेरिका में रह रहे हैं और उन्होंने अपनी शिक्षा और करियर वहीं बनाया है। शुभांशु की पृष्ठभूमि इंजीनियरिंग और एयरोस्पेस क्षेत्र में रही है, और उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के विभिन्न पहलुओं पर गहन प्रशिक्षण लिया है।

शुभांशु शुक्ला जैसे व्यक्तियों की अंतरिक्ष यात्रा, भारतीय युवाओं और वैज्ञानिकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और अन्वेषण के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह दर्शाता है कि मानव अंतरिक्ष उड़ान का भविष्य बहुराष्ट्रीय और बहुसांस्कृतिक सहयोग पर आधारित है, जहाँ राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे जाकर प्रतिभाओं को पहचान मिलती है।

एक्सिओम-4 मिशन क्या है? (What is Axiom-4 Mission?)

एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन एक महत्वपूर्ण निजी अंतरिक्ष उड़ान है जिसका संचालन एक्सिओम स्पेस (Axiom Space) कंपनी द्वारा किया गया था। यह मिशन निजी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक ले जाने की श्रृंखला में चौथा मिशन था।

  • उद्देश्य: इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न देशों के निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पर ले जाना था ताकि वे वहाँ वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और जागरूकता गतिविधियों में भाग ले सकें। यह पारंपरिक सरकारी अंतरिक्ष मिशनों से अलग है, जहाँ केवल प्रशिक्षित पेशेवर अंतरिक्ष यात्री ही शामिल होते हैं।
  • भागीदार: एक्सिओम स्पेस और नासा के बीच एक समझौता है जिसके तहत निजी मिशनों को ISS का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है। इस मिशन के लिए स्पेसएक्स के ‘फाल्कन 9’ रॉकेट और ‘ड्रैगन’ कैप्सूल का उपयोग किया गया।
  • मिशन की अवधि: आमतौर पर, ऐसे मिशन ISS पर लगभग दो सप्ताह तक रहते हैं, जहाँ चालक दल सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण में कई प्रयोग और संचालन करते हैं।
  • महत्व: यह मिशन निजी क्षेत्र की बढ़ती क्षमता और अंतरिक्ष पर्यटन, अनुसंधान तथा वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नए रास्ते खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति को लोकतांत्रिक बनाने और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करता है।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS): एक अवलोकन (International Space Station (ISS): An Overview)

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मानव निर्मित सबसे जटिल और महंगा ढांचा है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। यह एक अद्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है, जिसमें कई देश शामिल हैं।

  • उद्देश्य:
    • वैज्ञानिक अनुसंधान: ISS सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष वातावरण में अद्वितीय वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसमें जीव विज्ञान, भौतिकी, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग शामिल हैं।
    • प्रौद्योगिकी विकास: यह भविष्य के गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए नई तकनीकों और प्रणालियों का परीक्षण करने का एक स्थान है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह विभिन्न देशों (अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान, कनाडा) के बीच शांतिपूर्ण सहयोग और समझ को बढ़ावा देता है।
  • संरचना: ISS कई मॉड्यूलों से बना है जो एक साथ जुड़े हुए हैं। यह फुटबॉल के मैदान जितना बड़ा है और इसका कुल द्रव्यमान 400 टन से अधिक है। इसमें रहने के क्वार्टर, प्रयोगशालाएँ, भंडारण क्षेत्र और डॉकिंग पोर्ट शामिल हैं।
  • निर्माण और संचालन: इसका निर्माण 1998 में शुरू हुआ और इसे कई वर्षों में धीरे-धीरे असेंबल किया गया। यह 2000 से लगातार मानवों द्वारा निवासित है। नासा, रोस्कोस्मोस (रूस), जाक्सा (जापान), ईएसए (यूरोप) और सीएसए (कनाडा) इसके प्रमुख भागीदार हैं।
  • भविष्य: ISS का संचालन 2030 तक जारी रखने की योजना है, जिसके बाद इसे धीरे-धीरे बंद किया जा सकता है। इसके बाद, निजी वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।

निजी अंतरिक्ष यात्रा का उदय (The Rise of Private Space Travel)

हाल के वर्षों में, अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है: सरकारों का एकाधिकार कम होकर निजी कंपनियों का उदय हुआ है। इसे “नई अंतरिक्ष दौड़” (New Space Race) कहा जा रहा है, जो अब राष्ट्रों के बीच नहीं, बल्कि वाणिज्यिक संस्थाओं के बीच है।

निजी अंतरिक्ष यात्रा क्या है?
निजी अंतरिक्ष यात्रा का तात्पर्य ऐसी गतिविधियों से है जहाँ निजी कंपनियाँ (जैसे स्पेसएक्स, ब्लू ओरिजिन, वर्जिन गैलेक्टिक, एक्सिओम स्पेस) अंतरिक्ष में लोगों, वस्तुओं और उपग्रहों को भेजने, स्टेशन बनाने या अंतरिक्ष में पर्यटन जैसी सेवाएँ प्रदान करती हैं।

विकास के चरण:

  1. शुरुआती दौर (2000 के दशक):
    • स्पेसएक्स का उदय: एलोन मस्क द्वारा 2002 में स्थापित स्पेसएक्स ने रॉकेट लॉन्च की लागत को कम करने और उन्हें पुनः प्रयोज्य बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उनके फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल ने क्रांति ला दी।
    • Ansari X Prize: 2004 में, स्पेसशिपवन (SpaceShipOne) ने $10 मिलियन का अंसारी एक्स पुरस्कार जीता, जो एक निजी रूप से वित्त पोषित मानव अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजने के लिए था। इसने निजी क्षेत्र में क्षमता को उजागर किया।
  2. वाणिज्यिक लॉन्च सेवाएँ (2010 के दशक):
    • नासा ने अपनी निर्भरता कम करने और लागत बचाने के लिए निजी कंपनियों को कार्गो और फिर क्रू मिशन (वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम) देना शुरू किया। स्पेसएक्स और बोइंग प्रमुख खिलाड़ी बने।
    • छोटे उपग्रहों (Cubesats) और नैनोसैटलाइट्स के लिए कम लागत वाली लॉन्च सेवाओं की मांग बढ़ी।
  3. मानव अंतरिक्ष उड़ान और पर्यटन (2020 के दशक):
    • स्पेसएक्स का इंस्पिरेशन4 मिशन (2021): यह चार नागरिक अंतरिक्ष यात्रियों वाला पहला पूरी तरह से वाणिज्यिक ऑर्बिटल मिशन था।
    • ब्लू ओरिजिन और वर्जिन गैलेक्टिक: इन्होंने उप-कक्षीय अंतरिक्ष पर्यटन के लिए उड़ानों की शुरुआत की, जहाँ यात्री कुछ मिनटों के लिए शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव करते हैं।
    • एक्सिओम स्पेस: ISS में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में अग्रणी, जैसा कि एक्सिओम-4 मिशन दर्शाता है।

निजी अंतरिक्ष यात्रा के लाभ और चुनौतियाँ (Benefits and Challenges of Private Space Travel)

निजी क्षेत्र की भागीदारी अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नई ऊर्जा लाई है, लेकिन इसके साथ कई जटिल चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं।

लाभ (Benefits):

  • अभिनव और प्रौद्योगिकी प्रगति: निजी कंपनियाँ अक्सर अधिक तेज़ी से और कुशलता से नवाचार करती हैं। वे जोखिम लेने और नए दृष्टिकोणों को आज़माने के लिए अधिक इच्छुक होती हैं, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति होती है।
  • लागत में कमी: पुनः प्रयोज्य रॉकेट और मानकीकृत उत्पादन प्रक्रियाओं के माध्यम से, निजी कंपनियाँ अंतरिक्ष लॉन्च की लागत को नाटकीय रूप से कम कर रही हैं, जिससे अंतरिक्ष तक पहुँच अधिक सुलभ हो गई है।
  • नई अर्थव्यवस्था का निर्माण: अंतरिक्ष पर्यटन, अंतरिक्ष संसाधन खनन, उपग्रह सेवाओं और इन-ऑर्बिट विनिर्माण जैसी नई व्यावसायिक सेवाएँ विकसित हो रही हैं, जो नौकरियों और निवेश के अवसर पैदा कर रही हैं।
  • प्रतिस्पर्धा और दक्षता: निजी खिलाड़ियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा से बेहतर सेवाएँ और अधिक कुशल संचालन होते हैं, जो अंततः उपभोक्ताओं (सरकार और निजी दोनों) को लाभ पहुँचाते हैं।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान में वृद्धि: ISS पर निजी मिशनों के माध्यम से अधिक अनुसंधान और प्रयोग किए जा सकते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य, भौतिकी और अन्य क्षेत्रों में नई खोजें हो सकती हैं।
  • मानव जाति की “बहु-ग्रहीय” प्रजाति बनने की क्षमता: निजी कंपनियाँ मंगल और चंद्रमा पर मानव बस्तियों की स्थापना जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को आगे बढ़ा रही हैं, जो लंबे समय में मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

चुनौतियाँ (Challenges):

  • सुरक्षा जोखिम: निजी अंतरिक्ष यात्रा, विशेष रूप से पर्यटन के लिए, अभी भी अपेक्षाकृत नई है। दुर्घटनाओं का जोखिम बना हुआ है, और एक बड़ी दुर्घटना पूरे उद्योग की प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकती है।
  • अंतरिक्ष कचरा (Space Debris): अधिक लॉन्च और उपग्रहों के कारण अंतरिक्ष में कचरे की मात्रा बढ़ रही है, जिससे सक्रिय उपग्रहों और अंतरिक्ष यान के लिए खतरा पैदा हो रहा है। इसके प्रबंधन और शमन के लिए स्पष्ट नियम और प्रौद्योगिकियाँ आवश्यक हैं।
  • नैतिक और कानूनी मुद्दे:
    • अंतरिक्ष संसाधनों का स्वामित्व: चंद्रमा या क्षुद्रग्रहों पर संसाधनों के खनन के अधिकार किसके पास होंगे? क्या निजी संस्थाएँ इन पर दावा कर सकती हैं?
    • अंतरिक्ष में गतिविधियाँ: अंतरिक्ष में वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए उचित नियमन और निरीक्षण की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अंतर्राष्ट्रीय संधियों और शांतिपूर्ण उपयोग के सिद्धांतों का उल्लंघन न करें।
    • अंतरिक्ष का सैन्यीकरण: निजी कंपनियों के पास उन्नत अंतरिक्ष क्षमताएँ होने से अंतरिक्ष के सैन्यीकरण का जोखिम बढ़ सकता है।
  • उच्च लागत और पहुँच: भले ही लागत कम हो रही है, फिर भी अंतरिक्ष यात्रा आम जनता के लिए बेहद महंगी है, जिससे यह अभी भी एक विशिष्ट वर्ग तक सीमित है।
  • नियामक ढाँचा: विभिन्न देशों में अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए कानून और नियम अलग-अलग हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संचालन में जटिलताएँ आती हैं। एक मजबूत वैश्विक नियामक ढाँचे की आवश्यकता है।
  • तकनीकी विफलताएँ: नई प्रौद्योगिकियों के विकास में विफलताएँ और देरी आम हैं, जिससे मिशनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

भारत और निजी अंतरिक्ष क्षेत्र (India and the Private Space Sector)

भारत ने पारंपरिक रूप से अंतरिक्ष गतिविधियों में एक सरकारी-संचालित दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अग्रणी रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, भारत ने भी निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे देश की अंतरिक्ष क्षमता में क्रांतिकारी परिवर्तन की उम्मीद है।

  • ISRO की भूमिका: ISRO ने हमेशा कम लागत पर विश्वसनीय लॉन्च सेवाओं और उपग्रह निर्माण में अपनी क्षमता साबित की है। अब, ISRO का ध्यान अनुसंधान, ग्रहों की खोज और मानव अंतरिक्ष उड़ान पर अधिक केंद्रित हो रहा है, जबकि वह निजी क्षेत्र को वाणिज्यिक और परिचालन गतिविधियों के लिए जगह दे रहा है।
  • IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Centre): 2020 में स्थापित, IN-SPACe एक एकल-खिड़की एजेंसी है जिसका उद्देश्य निजी संस्थाओं को ISRO की सुविधाओं और विशेषज्ञता का उपयोग करने की अनुमति देकर भारत में निजी अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देना और विनियमित करना है। यह निजी खिलाड़ियों के लिए एक स्तर का खेल मैदान सुनिश्चित करता है।
  • नई अंतरिक्ष नीति 2023: यह नीति निजी क्षेत्र की भागीदारी को औपचारिक रूप से मान्यता देती है और उन्हें रॉकेट, उपग्रह और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के डिजाइन, निर्माण और संचालन में अधिक स्वायत्तता देती है। यह निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखता है।
  • आत्मनिर्भर भारत और अंतरिक्ष: सरकार का लक्ष्य भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है, और इसमें निजी कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मेड इन इंडिया और भारत के लिए अंतरिक्ष सेवाएँ प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है।
  • प्रमुख भारतीय निजी खिलाड़ी:
    • स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace): भारत की पहली निजी कंपनी जिसने ऑर्बिटल रॉकेट लॉन्च किया (‘विक्रम-एस’)।
    • अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikul Cosmos): भारत का पहला 3D-प्रिंटेड रॉकेट इंजन ‘अग्निलेट’ विकसित किया।
    • पिक्सेल (Pixxel): हाइपर-स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रहों का एक समूह बना रही है।
    • ध्रुवस्पेस (Dhruva Space): छोटे उपग्रहों के निर्माण और परिनियोजन पर केंद्रित।
  • गगनयान मिशन: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, ‘गगनयान’, ISRO द्वारा संचालित है, लेकिन इसमें निजी कंपनियों की भागीदारी आवश्यक है, विशेष रूप से विभिन्न घटकों, परीक्षण सुविधाओं और सहायता सेवाओं के लिए। यह निजी क्षेत्र के लिए एक विशाल अवसर पैदा करेगा।

भारत का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को 2% से बढ़ाकर 10% से अधिक करना है, जिसका अनुमानित मूल्य $400 बिलियन है। निजी क्षेत्र की भूमिका इस लक्ष्य को प्राप्त करने में केंद्रीय होगी।

अंतरिक्ष शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (Space Governance and International Cooperation)

जैसे-जैसे अंतरिक्ष गतिविधियों का विस्तार हो रहा है, विशेषकर निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के साथ, अंतरिक्ष शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

  • अंतरिक्ष कानून और संधियाँ:
    • बाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty – 1967): यह अंतरिक्ष कानून की नींव है। यह अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग, खगोलीय पिंडों पर संप्रभुता के दावों के निषेध और देशों को अंतरिक्ष में अपनी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराने पर केंद्रित है।
    • अन्य संबंधित संधियाँ, जैसे ‘बचाव समझौता’, ‘दायित्व समझौता’, ‘पंजीकरण समझौता’ और ‘चंद्रमा समझौता’, भी अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मंच:
    • यूएनसीओपीयूओएस (UNCOPUOS – United Nations Committee on the Peaceful Uses of Outer Space): यह संयुक्त राष्ट्र का एक मंच है जहाँ देश अंतरिक्ष गतिविधियों के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए कानून और सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं।
    • द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते, जैसे ISS का संचालन, अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच व्यापक सहयोग का एक प्रमुख उदाहरण है।
  • चुनौतियाँ:
    • तेजी से बदलते परिदृश्य: निजी कंपनियों और नई तकनीकों की तेजी से प्रगति मौजूदा कानूनी ढाँचे को अप्रचलित कर सकती है।
    • अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन: हजारों उपग्रहों और अंतरिक्ष कचरे के साथ, टकराव से बचने और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक यातायात प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है।
    • संसाधन खनन: चंद्रमा या क्षुद्रग्रहों पर संसाधनों के खनन के लिए स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय नियमों का अभाव एक बड़ा कानूनी शून्य है।
    • अंतरिक्ष का सैन्यीकरण और शस्त्रीकरण: यह एक बढ़ती हुई चिंता है कि अंतरिक्ष का उपयोग संघर्षों के लिए किया जा सकता है, जिससे शांतिपूर्ण उपयोग बाधित होगा।
  • आगे की राह:
    • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मौजूदा संधियों को अद्यतन करने और निजी क्षेत्र की गतिविधियों को विनियमित करने के लिए नए नियमों को विकसित करने की आवश्यकता है।
    • अंतरिक्ष कचरा शमन और हटाने के लिए वैश्विक मानक और सहयोग आवश्यक है।
    • अंतरिक्ष में पारदर्शिता और विश्वास-निर्माण के उपायों को बढ़ावा देना।
    • एक साझा वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करना जो अंतरिक्ष को पूरी मानवता के लाभ के लिए एक साझा विरासत के रूप में मानता है।

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का भविष्य (Future of Space Economy)

अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जिसमें अंतरिक्ष से संबंधित सभी वाणिज्यिक गतिविधियाँ शामिल हैं, तेजी से बढ़ रही है और इसमें अगले दशक में खरबों डॉलर तक पहुँचने की क्षमता है। शुभांशु शुक्ला जैसे निजी अंतरिक्ष यात्रियों की यात्रा इस विकास का एक छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  • विकास के प्रमुख चालक:
    • लॉन्च लागत में कमी: स्पेसएक्स जैसे खिलाड़ियों द्वारा पुनः प्रयोज्य रॉकेटों के कारण लॉन्च की लागत में भारी गिरावट आई है।
    • छोटे उपग्रहों का प्रसार: क्यूबसैट और नैनोसैटलाइट्स का उपयोग पृथ्वी अवलोकन, संचार और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) के लिए बढ़ रहा है।
    • सरकारी समर्थन: कई सरकारें निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दे रही हैं और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश बढ़ा रही हैं।
    • निवेश में वृद्धि: उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी फर्म अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में भारी निवेश कर रही हैं।
  • प्रमुख क्षेत्र:
    • लॉन्च सेवाएँ: उपग्रहों और मानव मिशनों को अंतरिक्ष में ले जाना।
    • उपग्रह निर्माण और संचालन: संचार, नेविगेशन (GPS), पृथ्वी अवलोकन और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपग्रह बनाना और उनका प्रबंधन करना।
    • अंतरिक्ष पर्यटन: उप-कक्षीय और कक्षीय अंतरिक्ष यात्राएँ।
    • इन-ऑर्बिट विनिर्माण: शून्य गुरुत्वाकर्षण में विशेष सामग्री या उत्पादों का निर्माण।
    • अंतरिक्ष संसाधन खनन: चंद्रमा और क्षुद्रग्रहों से पानी, दुर्लभ धातु और अन्य संसाधनों को निकालना।
    • अंतरिक्ष में डेटा और विश्लेषण: उपग्रहों से प्राप्त डेटा का उपयोग कृषि, मौसम विज्ञान, शहरी नियोजन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए।
    • अंतरिक्ष आधारित सौर ऊर्जा: अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा एकत्र करना और उसे पृथ्वी पर प्रसारित करना।
  • संभावित प्रभाव:
    • आर्थिक विकास: अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था नए उद्योगों, नौकरियों और नवाचारों को बढ़ावा देगी।
    • भू-रणनीतिक महत्व: देशों की अंतरिक्ष क्षमताएँ उनकी वैश्विक शक्ति और प्रभाव में योगदान देंगी।
    • मानव अस्तित्व: अंतरिक्ष अन्वेषण और उपनिवेशीकरण मानव प्रजाति के लिए दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

शुभांशु शुक्ला की अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी एक साधारण समाचार घटना से कहीं अधिक है। यह एक्सिओम स्पेस जैसे वाणिज्यिक संस्थाओं द्वारा संचालित निजी अंतरिक्ष यात्रा के बढ़ते प्रभुत्व का एक सशक्त प्रतीक है। एक ऐसे युग में जब अंतरिक्ष अब केवल राष्ट्रों की सीमाओं तक सीमित नहीं है, निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका नवाचार, लागत-दक्षता और अंतरिक्ष तक व्यापक पहुँच ला रही है। यह मानवता के लिए अंतरिक्ष को एक नए सीमांत के रूप में खोलने का मार्ग प्रशस्त करता है – न केवल अन्वेषण के लिए, बल्कि स्थायी आर्थिक विकास और मानव बस्तियों के लिए भी।

हालांकि निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में सुरक्षा, नियामक मुद्दों और अंतरिक्ष कचरे जैसी चुनौतियाँ हैं, उनके लाभ स्पष्ट हैं। यह एक नया आर्थिक क्षेत्र बना रहा है जो अभूतपूर्व वैज्ञानिक खोजों, तकनीकी सफलताओं और भविष्य में मानव जाति के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है। भारत जैसे देशों के लिए, जहाँ निजी अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से उभर रहा है, शुभांशु की वापसी जैसे मिशन वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के भविष्य में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने का अवसर प्रदान करते हैं। यह एक नए युग की शुरुआत है जहाँ मानवता एक साथ, चाहे वह किसी भी राष्ट्र या संगठन से हो, सितारों तक पहुँच रही है।

आगे की राह (Way Forward)

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: सरकारों को निजी कंपनियों के साथ सहयोग जारी रखना चाहिए, अनुसंधान और विकास के लिए फंडिंग प्रदान करनी चाहिए, और उन्हें अपनी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करनी चाहिए।
  • नियामक ढाँचे को मजबूत करना: एक स्पष्ट, लचीला और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामंजस्यपूर्ण नियामक ढाँचा विकसित करना जो निजी अंतरिक्ष गतिविधियों को सुरक्षित और न्यायसंगत तरीके से नियंत्रित कर सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना: अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन, यातायात नियंत्रण और संसाधन खनन जैसे मुद्दों पर वैश्विक मानकों और समझौतों को विकसित करने के लिए देशों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है।
  • अंतरिक्ष शिक्षा और कार्यबल विकास: बढ़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को बढ़ावा देना।
  • नैतिक दिशानिर्देश स्थापित करना: अंतरिक्ष अन्वेषण और शोषण के नैतिक निहितार्थों पर विचार करना, यह सुनिश्चित करना कि यह मानवता के व्यापक हितों की सेवा करे।
  • सतत विकास: यह सुनिश्चित करना कि अंतरिक्ष गतिविधियाँ पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ हों, विशेष रूप से अंतरिक्ष कचरे के संदर्भ में।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)

1. एक्सिओम-4 मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर निजी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने वाला पहला मिशन था।
  2. इस मिशन के लिए स्पेसएक्स के ‘फाल्कन 9’ रॉकेट और ‘ड्रैगन’ कैप्सूल का उपयोग किया गया।
  3. शुभांशु शुक्ला इस मिशन के एकमात्र भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री थे।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)
व्याख्या:
कथन 1 गलत है। एक्सिओम-4 ISS पर निजी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने वाला चौथा मिशन था, पहला नहीं।
कथन 2 सही है। स्पेसएक्स के फाल्कन 9 और ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग एक्सिओम मिशनों के लिए किया जाता है।
कथन 3 गलत है। प्रश्न शुभांशु शुक्ला के भारतीय मूल का होने का उल्लेख करता है, लेकिन यह नहीं बताता कि वह एकमात्र भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री थे या नहीं, और यह जानकारी आमतौर पर सार्वजनिक नहीं होती। हालाँकि, एक्सिओम मिशनों में आमतौर पर एक से अधिक अंतरिक्ष यात्री होते हैं और “एकमात्र भारतीय मूल के” जैसा दावा अक्सर गलत होता है।

2. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही नहीं है?
(a) यह पृथ्वी की भू-स्थिर कक्षा में परिक्रमा करता है।
(b) यह कई देशों के बीच एक अद्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है।
(c) यह सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक मंच प्रदान करता है।
(d) इसका संचालन 2000 से लगातार मानवों द्वारा निवासित है।

उत्तर: (a)
व्याख्या:
कथन (a) गलत है। ISS पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में परिक्रमा करता है, भू-स्थिर कक्षा (Geosynchronous Orbit – GEO) में नहीं।
कथन (b), (c) और (d) सही हैं। ISS वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है, वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक मंच है, और 2000 से लगातार मानवों द्वारा निवासित है।

3. ‘न्यू स्पेस रेस’ (New Space Race) शब्द का संबंध किससे है?
(a) विभिन्न देशों के बीच चंद्रमा पर पहला मानव मिशन भेजने की दौड़।
(b) अंतरिक्ष अन्वेषण में सरकारी एजेंसियों के बजाय निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी।
(c) अंतरिक्ष में सैन्य अड्डे स्थापित करने के लिए प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा।
(d) मंगल ग्रह पर मानव बस्तियाँ स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

उत्तर: (b)
व्याख्या:
‘न्यू स्पेस रेस’ शब्द मुख्य रूप से अंतरिक्ष अन्वेषण और वाणिज्यिक गतिविधियों में निजी कंपनियों जैसे स्पेसएक्स, ब्लू ओरिजिन और वर्जिन गैलेक्टिक की बढ़ती भागीदारी और नवाचार को संदर्भित करता है, जो पारंपरिक रूप से सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों का प्रभुत्व वाला क्षेत्र था।

4. निम्नलिखित में से कौन सा संगठन भारत में निजी अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए स्थापित किया गया है?
(a) DRDO
(b) IN-SPACe
(c) Antrix Corporation Limited
(d) NewSpace India Limited (NSIL)

उत्तर: (b)
व्याख्या:
IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Centre) की स्थापना 2020 में भारत में निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए एक एकल-खिड़की एजेंसी के रूप में की गई थी। DRDO रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन है। Antrix और NSIL ISRO की वाणिज्यिक शाखाएँ हैं।

5. बाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty – 1967) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह अंतरिक्ष में खगोलीय पिंडों पर संप्रभुता के दावों की अनुमति देता है।
  2. यह अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर जोर देता है।
  3. यह अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों की तैनाती पर प्रतिबंध लगाता है।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)
व्याख्या:
कथन 1 गलत है। बाह्य अंतरिक्ष संधि खगोलीय पिंडों (जैसे चंद्रमा) पर संप्रभुता के दावों को प्रतिबंधित करती है।
कथन 2 सही है। संधि अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर जोर देती है।
कथन 3 सही है। संधि सामूहिक विनाश के हथियारों (जैसे परमाणु हथियार) को अंतरिक्ष में या खगोलीय पिंडों पर स्थापित करने पर प्रतिबंध लगाती है।

6. निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय निजी कंपनी ने भारत का पहला 3D-प्रिंटेड रॉकेट इंजन ‘अग्निलेट’ विकसित किया है?
(a) स्काईरूट एयरोस्पेस
(b) अग्निकुल कॉसमॉस
(c) पिक्सेल
(d) ध्रुवस्पेस

उत्तर: (b)
व्याख्या:
अग्निकुल कॉसमॉस ने भारत का पहला 3D-प्रिंटेड रॉकेट इंजन ‘अग्निलेट’ विकसित किया है। स्काईरूट एयरोस्पेस ने ऑर्बिटल रॉकेट लॉन्च किया, पिक्सेल हाइपर-स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रह बनाती है, और ध्रुवस्पेस छोटे उपग्रहों पर केंद्रित है।

7. अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के भविष्य के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख क्षेत्र नहीं है?
(a) अंतरिक्ष पर्यटन
(b) इन-ऑर्बिट विनिर्माण
(c) कोयला खनन
(d) अंतरिक्ष में डेटा और विश्लेषण

उत्तर: (c)
व्याख्या:
कोयला खनन एक स्थलीय गतिविधि है और सीधे अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं है। अन्य सभी विकल्प अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं।

8. हाल ही में जारी ‘नई अंतरिक्ष नीति 2023’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) केवल ISRO को सभी अंतरिक्ष गतिविधियों का पूर्ण नियंत्रण देना।
(b) केवल विदेशी कंपनियों को भारतीय अंतरिक्ष सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति देना।
(c) निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और उन्हें अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भागीदार के रूप में देखना।
(d) भारत के सभी उपग्रहों का राष्ट्रीयकरण करना।

उत्तर: (c)
व्याख्या:
नई अंतरिक्ष नीति 2023 का प्राथमिक उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की भूमिका को बढ़ाना और उन्हें रॉकेट, उपग्रह और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के डिजाइन, निर्माण और संचालन में अधिक स्वायत्तता देना है।

9. अंतरिक्ष कचरा (Space Debris) निम्नलिखित में से किस कारक के कारण बढ़ता है?

  1. अधिक रॉकेट लॉन्च।
  2. पुरानी हो चुकी उपग्रहों का कक्षा में रहना।
  3. उपग्रहों के टकराव या विस्फोट।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)
व्याख्या:
ये सभी कारक अंतरिक्ष कचरे में वृद्धि में योगदान करते हैं। अधिक लॉन्च का मतलब अधिक ऊपरी चरण और निष्क्रिय उपग्रह होते हैं, पुरानी हो चुकी उपग्रहों को हटाया नहीं जाता है, और कक्षा में टकराव या उपग्रहों के विस्फोट बड़ी मात्रा में नए मलबे पैदा करते हैं।

10. ‘क्यूबसैट्स’ और ‘नैनोसैटलाइट्स’ के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे सटीक है?
(a) ये सैन्य उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए बड़े और शक्तिशाली उपग्रह हैं।
(b) ये चंद्रमा और मंगल ग्रह पर खनन के लिए उपयोग किए जाने वाले स्वचालित रोवर हैं।
(c) ये छोटे, मानकीकृत उपग्रह हैं जिन्हें अक्सर कम लागत पर लॉन्च किया जा सकता है और विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
(d) ये अंतरिक्ष स्टेशन के घटक हैं जिनका उपयोग लंबी अवधि के मानव मिशनों के लिए किया जाता है।

उत्तर: (c)
व्याख्या:
क्यूबसैट्स और नैनोसैटलाइट्स छोटे, मानकीकृत उपग्रहों के प्रकार हैं जो अपेक्षाकृत कम लागत पर विकसित और लॉन्च किए जा सकते हैं। उनका उपयोग अक्सर वैज्ञानिक अनुसंधान, पृथ्वी अवलोकन, संचार, और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)

1. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर निजी अंतरिक्ष यात्रियों के बढ़ते मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नए युग का संकेत देते हैं। निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से अंतरिक्ष अन्वेषण में क्या लाभ और चुनौतियाँ जुड़ी हैं? आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।

2. भारत में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के उभरने का विश्लेषण करें, विशेष रूप से IN-SPACe की भूमिका और नई अंतरिक्ष नीति 2023 के संदर्भ में। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में यह परिवर्तन कितना महत्वपूर्ण है?

3. बाह्य अंतरिक्ष में वाणिज्यिक गतिविधियों के विस्तार के साथ, अंतरिक्ष शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्व बढ़ गया है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानूनों में वर्तमान अंतराल क्या हैं, और उभरती हुई अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को विनियमित करने के लिए उन्हें कैसे संबोधित किया जा सकता है?

4. “अंतरिक्ष अब केवल राष्ट्रों की सीमाओं तक सीमित नहीं है।” इस कथन के प्रकाश में, निजी अंतरिक्ष यात्रा के सामाजिक, आर्थिक और भू-रणनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करें, और यह भविष्य की मानव अंतरिक्ष उड़ान को कैसे आकार दे सकता है।

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