Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

मानस सत्र ठप्प: संसद में क्यों छिड़ा हंगामा और CISF पर जंग? जानिए सब कुछ!

मानस सत्र ठप्प: संसद में क्यों छिड़ा हंगामा और CISF पर जंग? जानिए सब कुछ!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):
भारतीय संसद का मानसून सत्र, जो देश के विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, अभूतपूर्व व्यवधानों का सामना कर रहा है। लोकसभा में लगातार हंगामे और राज्यसभा में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती को लेकर उठे विवाद ने सत्र की कार्यवाही को पंगु बना दिया है। यह स्थिति न केवल विधायी प्रक्रिया को बाधित कर रही है, बल्कि सुशासन और लोकतांत्रिक संवाद की प्रकृति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम भारतीय राजव्यवस्था, संसदीय कार्यप्रणाली, और समसामयिक राष्ट्रीय मुद्दों को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है।

यह ब्लॉग पोस्ट मानसून सत्र में चल रहे गतिरोध का गहन विश्लेषण करेगा, इसके पीछे के कारणों, विभिन्न हितधारकों के तर्कों, और भारतीय संसद पर इसके व्यापक प्रभावों पर प्रकाश डालेगा। हम इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं को, UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, विस्तार से समझेंगे।

मानस सत्र: गतिरोध की जड़ें (Roots of the Monsoon Session Stalemate)

मानस सत्र, जो आमतौर पर जुलाई से शुरू होकर अगस्त तक चलता है, सरकार के लिए महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने और राष्ट्रीय एजेंडे पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण मंच होता है। हालांकि, इस सत्र में, एक के बाद एक मुद्दे उठे, जिन्होंने दोनों सदनों की कार्यवाही को बाधित किया।

  • लोकसभा में हंगामा: कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर बहस और पारित होने के बजाय, लोकसभा ने अधिकांशतः विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर हंगामे का गवाह बनी। ये मुद्दे महंगाई, बेरोजगारी, विशिष्ट सरकारी नीतियों की आलोचना, और विभिन्न राज्यों में हुई अप्रिय घटनाओं से संबंधित हो सकते हैं। हंगामे के कारण अक्सर स्थगन और कार्यवाही का बाधित होना देखा गया।
  • राज्यसभा में CISF पर जंग: राज्यसभा में, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की कुछ विशिष्ट स्थानों पर तैनाती को लेकर एक तीखी बहस छिड़ गई। यह मुद्दा केवल CISF की भूमिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने केंद्रीय नियंत्रण, राज्यों के अधिकारों, और सुरक्षा एजेंसियों के विवेकाधिकार जैसे व्यापक संवैधानिक और राजनीतिक प्रश्नों को जन्म दिया।

यह दोहरी मार, जहाँ एक सदन में सामान्य हंगामा और दूसरे में एक विशिष्ट, संवेदनशील मुद्दे पर विवाद, मानसून सत्र को अब तक का सबसे अधिक बाधित सत्रों में से एक बना रहा है।

यह गतिरोध क्यों मायने रखता है? (Why Does This Stalemate Matter?)

संसदीय सत्रों का बाधित होना केवल कुछ दिनों की कार्यवाही का नुकसान नहीं है; इसके दूरगामी परिणाम होते हैं:

  • विधायी एजेंडे में बाधा: महत्वपूर्ण विधेयकों, जिनमें जनहित से जुड़े कानून भी शामिल हो सकते हैं, को पारित होने में देरी होती है या वे पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चले जाते हैं।
  • वित्तीय नुकसान: संसद के प्रत्येक दिन के संचालन में सार्वजनिक धन खर्च होता है। कार्यवाही का बाधित होना उस धन का व्यय बिना किसी उत्पादक परिणाम के होता है।
  • लोकतांत्रिक संवाद में कमी: जब सदन में प्रभावी बहस और चर्चा नहीं हो पाती, तो यह लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को कम कर सकता है।
  • जवाबदेही का अभाव: महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगने का संसद का प्राथमिक कार्य बाधित हो जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय धारणा: एक ऐसे समय में जब भारत अपनी लोकतांत्रिक क्रेडिबिलिटी पर ज़ोर दे रहा है, संसदीय व्यवधान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक धारणा बना सकते हैं।

UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण: क्यों, क्या, कैसे? (Analysis from UPSC Perspective: Why, What, How?)

UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम भारतीय राजव्यवस्था और समसामयिक राष्ट्रीय मुद्दों का एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है। हमें इसे कई कोणों से देखना होगा:

1. क्यों? (Why the Stalemate Occurred?)

इस गतिरोध के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • विपक्षी रणनीति: राजनीतिक दल अक्सर संसद में सरकार को घेरने, अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और जनमत को प्रभावित करने के लिए व्यवधानों का सहारा लेते हैं। यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
  • विशिष्ट मुद्दों पर असहमति: विभिन्न दलों के बीच नीतियों, कानूनों, या विशिष्ट घटनाओं को लेकर गहरी वैचारिक या कार्यान्वयन संबंधी असहमति हो सकती है, जो हंगामे का रूप ले लेती है।
  • CISF की तैनाती का मुद्दा: राज्यसभा में CISF की तैनाती का मामला संभवतः सुरक्षा, स्वायत्तता, और केंद्र-राज्य संबंधों से जुड़ा हो सकता है। विपक्षी दल इसे संघीय ढांचे पर अतिक्रमण या राज्यों के अधिकारों के हनन के रूप में देख सकते हैं।
  • संसदीय शिष्टाचार का क्षरण: समय के साथ, संसदीय शिष्टाचार और नियमों के पालन में आई कमी भी ऐसे व्यवधानों को बढ़ावा दे सकती है।
  • मीडिया का प्रभाव: मीडिया कवरेज भी एजेंडे को प्रभावित कर सकता है, जिससे कुछ मुद्दे अधिक प्रमुखता प्राप्त करते हैं और हंगामे का कारण बनते हैं।

2. क्या? (What are the Key Issues Involved?)

गतिरोध के केंद्र में कुछ प्रमुख मुद्दे हैं:

  • संसदीय प्रक्रिया और कार्यप्रणाली: सदन के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम और प्रक्रियाएं क्या हैं? व्यवधान इन प्रक्रियाओं को कैसे प्रभावित करते हैं?
  • लोकतांत्रिक संवाद और विरोध: एक स्वस्थ लोकतंत्र में विरोध का अधिकार और सरकार के साथ संवाद का संतुलन क्या है?
  • संघवाद और केंद्र-राज्य संबंध: CISF जैसे केंद्रीय बलों की तैनाती राज्यों के अधिकारों और स्वायत्तता को कैसे प्रभावित करती है? यह संघीय ढांचे के सिद्धांतों के अनुरूप है या नहीं?
  • सुरक्षा एजेंसियां और उनकी भूमिका: CISF जैसी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका, तैनाती और उनके अधिकार क्षेत्र क्या हैं?
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: सरकार कैसे सुनिश्चित करती है कि संसदीय कार्यवाही के दौरान विभिन्न मुद्दों पर जवाबदेही बनी रहे?
  • जन प्रतिनिधित्व: संसद सदस्यों का प्राथमिक कर्तव्य अपने मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करना और उनके हितों की रक्षा करना है। जब कार्यवाही ठप्प हो जाती है, तो क्या वे इस कर्तव्य का निर्वहन कर पाते हैं?

3. कैसे? (How to Address/Analyze This?)

UPSC उम्मीदवारों को इस मुद्दे को कई स्तरों पर विश्लेषित करना चाहिए:

  • ऐतिहासिक संदर्भ: क्या संसद में व्यवधान एक नई घटना है, या इसका एक लंबा इतिहास रहा है? पिछले वर्षों में ऐसे कितने सत्र बाधित हुए हैं?
  • संवैधानिक ढांचा: भारतीय संविधान संसद की कार्यप्रणाली, सदस्यों के विशेषाधिकारों और केंद्र-राज्य संबंधों के बारे में क्या कहता है?
  • Parliamentary Rules and Procedures: Rules of Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha/Rajya Sabha, anti-defection law (Tenth Schedule), etc.
  • संसदीय समितियों की भूमिका: क्या संसदीय समितियां इन मुद्दों को हल करने में भूमिका निभा सकती हैं?
  • विभिन्न हितधारकों के दृष्टिकोण: सरकार, विपक्षी दल, नागरिक समाज, मीडिया – प्रत्येक का इस मुद्दे पर क्या दृष्टिकोण है?
  • अंतर्राष्ट्रीय तुलना: क्या अन्य देशों की संसदीय प्रणालियों में भी ऐसे व्यवधान देखे जाते हैं? वे उनसे कैसे निपटते हैं?

CISF की तैनाती: मामला क्या है? (CISF Deployment: What’s the Issue?)

राज्यसभा में CISF की तैनाती को लेकर उठा विवाद गहरा और बहुआयामी है।

CISF की भूमिका और शक्तियां (Role and Powers of CISF)

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। इसका प्राथमिक कार्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों, मेट्रो रेल, सरकारी भवनों और अन्य महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं को सुरक्षा प्रदान करना है। CISF के पास दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 41 के तहत गिरफ्तार करने की शक्ति है।

विवाद के संभावित कारण (Potential Causes of Controversy)

राज्यसभा में CISF की तैनाती पर बहस के कई कारण हो सकते हैं:

  • संघीय ढांचे का अतिक्रमण: विपक्षी दल यह तर्क दे सकते हैं कि विशिष्ट स्थानों पर CISF की तैनाती, विशेष रूप से जहाँ राज्य पुलिस की भूमिका प्रमुख है, राज्यों की शक्तियों और स्वायत्तता में केंद्र का हस्तक्षेप है। यह “केंद्र-राज्य संबंधों” के विषय के अंतर्गत आता है, जो UPSC के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है (GS-II)।
  • सुरक्षा व्यवस्था का अति-सैन्यीकरण: कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि कुछ स्थानों पर CISF की तैनाती नागरिक व्यवस्था और पुलिसिंग के अति-सैन्यीकरण को बढ़ावा दे सकती है।
  • तथ्यात्मक आधार का अभाव: यदि CISF की तैनाती किसी विशिष्ट घटना या खतरे के जवाब में की गई है, तो विपक्षी दल इस “आवश्यकता” पर सवाल उठा सकते हैं और तैनाती के तथ्यात्मक आधार की मांग कर सकते हैं।
  • राजनीतिक विरोध: सरकार की किसी भी कार्रवाई का विरोध करना विपक्षी दलों की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है, खासकर यदि उन्हें लगता है कि सरकार अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है।
  • पारदर्शिता की कमी: यदि तैनाती के संबंध में पर्याप्त पारदर्शिता नहीं बरती गई है, तो यह आलोचना का कारण बन सकता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC)

यह मुद्दा GS-II (शासन, राजव्यवस्था, संविधान) और GS-III (आंतरिक सुरक्षा) दोनों के लिए प्रासंगिक है।

  • GS-II: संघवाद, केंद्र-राज्य संबंध, शक्तियों का पृथक्करण, विधायी प्रक्रिया, संसदीय विशेषाधिकार।
  • GS-III: आंतरिक सुरक्षा, विभिन्न सुरक्षा बल, उनकी भूमिकाएं और चुनौतियाँ, महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं की सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, राज्य पुलिस की भूमिका।

संसदीय गतिरोध के अंतर्निहित कारण और सुधार के उपाय (Underlying Causes of Parliamentary Stalemate and Measures for Improvement)

यह समझना महत्वपूर्ण है कि संसदीय गतिरोध कोई नई घटना नहीं है, बल्कि यह अक्सर कई वर्षों से चली आ रही प्रवृत्तियों का परिणाम होता है।

अंतर्निहित कारण (Underlying Causes)

  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच गहरी वैचारिक खाई और अविश्वास।
  • “विजेता-सब-ले-जाता है” की मानसिकता: चुनावों में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली पार्टियों द्वारा विपक्षी आवाजों को हाशिए पर धकेलने की प्रवृत्ति।
  • संसदीय प्रक्रियाओं का कमजोर होना: संसदीय समितियों जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों का क्षरण, जहाँ गहन विचार-विमर्श हो सकता है।
  • मीडिया और सार्वजनिक बहस का प्रभाव: सनसनीखेज समाचारों पर अधिक ध्यान देना, जिससे सार्थक बहस कम हो जाती है।
  • दल-बदल विरोधी कानून की सीमाएं: कुछ मामलों में, दल-बदल विरोधी कानून भी पार्टी व्हिप को इतना मजबूत बना देते हैं कि व्यक्तिगत सदस्यों की आवाज दब जाती है।
  • आधुनिक सूचना युग का प्रभाव: सोशल मीडिया और 24×7 समाचार चक्र के कारण तत्काल प्रतिक्रियाओं पर जोर, जिससे परिपक्व विचार-विमर्श के लिए समय कम हो जाता है।

सुधार के उपाय (Measures for Improvement)

इस समस्या का समाधान केवल एक पक्ष की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है:

  • संवैधानिक संस्थानों को मजबूत करना: संसदीय समितियों को अधिक शक्तियां और संसाधन देना ताकि वे गहन विचार-विमर्श कर सकें।
  • संसदीय शिष्टाचार को बढ़ावा देना: सभी दलों को एक-दूसरे के प्रति सम्मान दिखाना और सदन के नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
  • सर्वदलीय बैठकें: सत्र शुरू होने से पहले या गतिरोध की स्थिति में सर्वदलीय बैठकें आयोजित करके मुद्दों पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  • सकारात्मक विपक्ष की भूमिका: विपक्ष को केवल व्यवधान पैदा करने के बजाय रचनात्मक आलोचना और सुझाव देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • मीडिया की जिम्मेदारी: मीडिया को भी सनसनीखेज खबरों से बचकर सार्थक बहस को बढ़ावा देना चाहिए।
  • स्पीकर/चेयरपर्सन की भूमिका: सदन के पीठासीन अधिकारी को प्रक्रिया का निर्वहन निष्पक्षता से करना चाहिए और व्यवधानों को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।
  • तकनीकी समाधान: कुछ मामलों में, राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर जनमत जानने के लिए डिजिटल मंचों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन विधायी प्रक्रिया का विकल्प नहीं।
  • संविधान का पुनरावलोकन: कुछ गंभीर मुद्दों पर, जैसे कि केंद्र-राज्य संबंध या संसदीय प्रक्रियाएं, संविधान में संशोधन या मौजूदा कानूनों में सुधार पर विचार किया जा सकता है।

UPSC परीक्षा के लिए केस स्टडी: CISF बनाम राज्य पुलिस (Case Study for UPSC Exam: CISF vs. State Police)

UPSC में अक्सर case studies के रूप में प्रश्न पूछे जाते हैं, जहाँ आपको किसी वास्तविक जीवन की स्थिति का विश्लेषण करना होता है। CISF तैनाती का मामला ऐसा ही एक उदाहरण है।

स्थिति:

हाल ही में, एक राज्य में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम (PSU) की सुरक्षा के लिए CISF की तैनाती को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच मतभेद उत्पन्न हुए। राज्य सरकार का मानना था कि राज्य पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन और क्षमताएं हैं, और CISF की तैनाती राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और PSU की सामरिक महत्वता का हवाला देते हुए CISF की तैनाती को आवश्यक बताया।

विश्लेषण के बिंदु (Points for Analysis):

  1. संघवाद के सिद्धांत: इस स्थिति में भारतीय संघवाद के कौन से सिद्धांत प्रभावित हो रहे हैं? (जैसे, अवशिष्ट शक्तियां, सहयोगात्मक संघवाद)।
  2. कानूनी आधार: CISF अधिनियम, 1968 और संविधान के अनुच्छेद 256, 257 (संघ द्वारा राज्यों को निर्देश) इस मामले में कैसे प्रासंगिक हैं?
  3. सुरक्षा बनाम स्वायत्तता: राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता और राज्यों की पुलिसिंग पर स्वायत्तता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए?
  4. वैकल्पिक समाधान: इस गतिरोध को दूर करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार क्या वैकल्पिक कदम उठा सकती थीं? (जैसे, संयुक्त सुरक्षा योजना, संयुक्त निगरानी)।
  5. UPSC के लिए सीख: ऐसे मुद्दों का विश्लेषण करते समय, आपको केवल तथ्यों को प्रस्तुत नहीं करना है, बल्कि उनकी व्याख्या करनी है, उनके संवैधानिक और प्रशासनिक निहितार्थों पर प्रकाश डालना है, और संभावित समाधान सुझाने हैं।

निष्कर्ष: संसदीय गरिमा की बहाली (Conclusion: Restoring Parliamentary Dignity)

मानसून सत्र में हुआ व्यवधान भारतीय संसदीय प्रणाली के लिए एक वेक-अप कॉल है। यह दर्शाता है कि राजनीतिक मतभेदों को किस प्रकार विधायी प्रक्रिया को पंगु बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। CISF की तैनाती जैसे मुद्दे, हालांकि विशिष्ट हैं, अंततः केंद्र-राज्य संबंधों, सुरक्षा, और शासन की प्रकृति से जुड़े गहरे सवालों को उठाते हैं।

UPSC उम्मीदवारों के लिए, इन घटनाओं का अध्ययन भारतीय राजव्यवस्था की कार्यप्रणाली, चुनौतियों और सुधार की संभावनाओं की गहरी समझ विकसित करने का अवसर है। एक जिम्मेदार नागरिक और भविष्य के प्रशासक के रूप में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे संवाद, सहयोग और स्थापित नियमों का पालन करके हम अपनी संसदीय संस्थाओं की गरिमा और प्रभावशीलता को बनाए रख सकते हैं। संसदीय गतिरोधों को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, आपसी सम्मान और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता आवश्यक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. **केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. CISF का प्राथमिक कार्य सार्वजनिक उपक्रमों, हवाई अड्डों और मेट्रो रेल को सुरक्षा प्रदान करना है।
2. CISF भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आता है।
3. CISF के पास दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत गिरफ्तार करने की शक्ति नहीं है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
**उत्तर: (a)**
**व्याख्या:** कथन 3 गलत है क्योंकि CISF के पास CrPC की धारा 41 के तहत गिरफ्तार करने की शक्ति है।

2. **भारतीय संसद के सत्रों में व्यवधानों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. संसदीय सत्रों में व्यवधान राष्ट्रीय विधायी एजेंडे को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
2. यह आमतौर पर वित्तीय रूप से महंगा होता है क्योंकि संसद के प्रत्येक दिन के संचालन में सार्वजनिक धन खर्च होता है।
3. विपक्षी दल अक्सर सरकार को घेरने के लिए व्यवधानों का सहारा लेते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
**उत्तर: (d)**
**व्याख्या:** सभी कथन संसदीय सत्रों में व्यवधानों के महत्व और कारणों को सही ढंग से दर्शाते हैं।

3. **संघवाद के संदर्भ में, CISF जैसी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की किसी राज्य में तैनाती के बारे में निम्नलिखित में से कौन सी चिंता व्यक्त की जा सकती है?**
(a) यह राज्य पुलिस के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान करता है।
(b) यह राज्यों की पुलिसिंग पर स्वायत्तता में केंद्र का हस्तक्षेप हो सकता है।
(c) यह राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है।
(d) यह सार्वजनिक उपक्रमों की दक्षता बढ़ाता है।
**उत्तर: (b)**
**व्याख्या:** CISF की तैनाती को अक्सर राज्यों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में केंद्र के हस्तक्षेप के रूप में देखा जाता है, जो संघवाद के सिद्धांतों से जुड़ा है।

4. **निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान में केंद्र-राज्य संबंधों को नियंत्रित करता है?**
(a) अनुच्छेद 245-255
(b) अनुच्छेद 256-263
(c) अनुच्छेद 279-285
(d) अनुच्छेद 301-307
**उत्तर: (b)**
**व्याख्या:** अनुच्छेद 256-263 प्रशासनिक संबंधों को कवर करते हैं, जिसमें राज्यों को निर्देश देने की केंद्र की शक्ति भी शामिल है।

5. **”लोकसभा में हंगामा” की स्थिति को कम करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी हो सकता है?**
(a) सभी विपक्षी सदस्यों को निलंबित करना।
(b) सत्र की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना।
(c) विपक्षी दलों के साथ सार्थक संवाद और मुद्दों पर चर्चा के लिए मंच प्रदान करना।
(d) मीडिया को हंगामे की रिपोर्टिंग करने से रोकना।
**उत्तर: (c)**
**व्याख्या:** संवाद और चर्चा किसी भी गतिरोध को हल करने के लिए सबसे रचनात्मक और प्रभावी तरीका है।

6. **राज्यसभा में CISF की तैनाती पर विवाद, भारतीय राजव्यवस्था के निम्नलिखित किस पहलू से सीधे तौर पर संबंधित है?**
(a) वित्तीय घाटा प्रबंधन
(b) संघवाद और केंद्र-राज्य संबंध
(c) कृषि सुधार
(d) विदेशी निवेश को आकर्षित करना
**उत्तर: (b)**
**व्याख्या:** CISF जैसी केंद्रीय एजेंसी की तैनाती का मुद्दा अक्सर राज्यों के अधिकार क्षेत्र और केंद्र के बढ़ते प्रभाव से जुड़ा होता है।

7. **संसदीय कार्यप्रणाली के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा “सत्र का स्थगन” (Adjournment of Session) का सबसे सटीक वर्णन करता है?**
(a) सदन को दिन के अंत में कार्यवाही समाप्त करने के लिए रोक देना।
(b) सदन को एक निश्चित अवधि के लिए, जैसे घंटे, दिन या सप्ताह के लिए निलंबित करना।
(c) सदन की वर्तमान बैठक को समाप्त कर देना, जो आमतौर पर सत्र के अंत में होता है।
(d) किसी विशेष मुद्दे पर बहस के लिए सदन को एक निश्चित समय के लिए रोकना।
**उत्तर: (c)**
**व्याख्या:** “सत्र का स्थगन” (Adjournment of Session) सत्र की समाप्ति को दर्शाता है, न कि केवल दिन की कार्यवाही को। “स्थगन” (Adjournment) वह है जो एक निश्चित अवधि के लिए होता है।

8. **भारतीय संविधान के अनुसार, संसद की कार्यवाही का संचालन और व्यवस्था बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी किसकी होती है?**
(a) प्रधानमंत्री
(b) अध्यक्ष (लोकसभा)/सभापति (राज्यसभा)
(c) नेता प्रतिपक्ष
(d) राष्ट्रपति
**उत्तर: (b)**
**व्याख्या:** अध्यक्ष (लोकसभा) और सभापति (राज्यसभा) सदन के पीठासीन अधिकारी होते हैं और कार्यवाही का संचालन तथा व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

9. **लोकसभा में हंगामे के कारण किसी भी महत्वपूर्ण विधायी कार्य को नहीं कर पाना, निम्नलिखित में से किस सिद्धांत को कमजोर करता है?**
(a) प्रत्यक्ष लोकतंत्र
(b) प्रतिनिधि लोकतंत्र में जवाबदेही
(c) एकल नागरिकता
(d) वित्तीय आपातकाल
**उत्तर: (b)**
**व्याख्या:** जब सदन काम नहीं कर पाता, तो जनता के प्रति सरकार और विधायिका की जवाबदेही कमजोर होती है, क्योंकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय नहीं हो पाते।

10. **CISF अधिनियम, 1968 के तहत, CISF को किन स्थानों की सुरक्षा का अधिकार है?**
1. औद्योगिक प्रतिष्ठान
2. हवाई अड्डे
3. मेट्रो रेल
4. सरकारी भवन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
**उत्तर: (d)**
**व्याख्या:** CISF का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक है और इसमें उपरोक्त सभी प्रकार के स्थान शामिल हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “संसदीय व्यवधान न केवल विधायी एजेंडे को प्रभावित करते हैं, बल्कि भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में राजनीतिक संवाद और जवाबदेही की प्रकृति पर भी गंभीर सवाल उठाते हैं। मानसून सत्र में हुए गतिरोध के आलोक में, इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।”
2. “केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की किसी राज्य में तैनाती का मुद्दा अक्सर संघवाद की कसौटी पर कसा जाता है। CISF की भूमिका, शक्तियां और तैनाती के संदर्भ में, केंद्र-राज्य संबंधों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें।”
3. “भारतीय संसद में व्यवधानों को रोकने और संसदीय कार्यवाही की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए उठाए जा सकने वाले विभिन्न उपायों पर चर्चा करें। इसमें राजनीतिक दलों, पीठासीन अधिकारियों और मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालें।”
4. “संघीय ढांचे के तहत, राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता और राज्यों की पुलिसिंग स्वायत्तता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जा सकता है? CISF की तैनाती के मामले का उदाहरण देते हुए, इस जटिल प्रश्न के संभावित समाधान सुझाएँ।”

Leave a Comment