मानव-नियंडरथल अंतःप्रजनन: 2 लाख वर्षों का DNA रहस्य | प्रिंसटन अध्ययन UPSC विश्लेषण

मानव-नियंडरथल अंतःप्रजनन: 2 लाख वर्षों का DNA रहस्य | प्रिंसटन अध्ययन UPSC विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में प्रिंसटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन ने मानव और नियंडरथल के बीच 200,000 वर्षों से अधिक के अंतःप्रजनन (interbreeding) की एक विस्तृत समय-रेखा का मानचित्रण किया है। यह विषय UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह GS पेपर I (कला और संस्कृति: प्राचीन इतिहास), GS पेपर I (भूगोल: मानव भूगोल, जनजातियाँ), और GS पेपर III (विज्ञान और प्रौद्योगिकी: जैव प्रौद्योगिकी, आनुवंशिकी, मानव जीनोम परियोजना) से संबंधित है। यह अध्ययन मानव विकास, प्रवास पैटर्न और हमारी आनुवंशिक विरासत की हमारी समझ को महत्वपूर्ण रूप से नया रूप देता है।


UPSC के लिए मानव-नियंडरथल अंतःप्रजनन का विस्तृत विश्लेषण

विषय का परिचय: हमारे प्राचीन चचेरे भाई और हम

मानव इतिहास का एक सबसे दिलचस्प और जटिल पहलू हमारी अपनी प्रजाति, होमो सेपियंस (Homo sapiens) का विकास और पृथ्वी पर इसका फैलाव रहा है। लाखों वर्षों के विकासवादी नाटक में, हमारी प्रजाति अकेले नहीं थी। हम प्लायोसिन और प्लेइस्टोसिन युगों के दौरान कई अन्य होमिनिन (hominin) प्रजातियों के साथ ग्रह साझा करते थे। इनमें से सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमय नियंडरथल (Neanderthals – वैज्ञानिक नाम: Homo neanderthalensis) थे।

नियंडरथल लगभग 400,000 साल पहले यूरोप और एशिया में विकसित हुए थे और लगभग 40,000 साल पहले विलुप्त हो गए। वे अपनी मजबूत शारीरिक बनावट, विशिष्ट भौंहों और सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए जाने जाते हैं, जिनमें उपकरणों का उपयोग, आग पर नियंत्रण और संभवतः मृतकों का अंतिम संस्कार भी शामिल था। लंबे समय तक, वैज्ञानिक समुदाय का मानना था कि होमो सेपियंस, जब अफ्रीका से बाहर निकले और यूरोप व एशिया में फैले, तो वे नियंडरथल सहित अन्य सभी होमिनिन प्रजातियों का स्थान ले गए। यह ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ (Out of Africa) सिद्धांत का एक सरलीकृत दृष्टिकोण था, जिसमें आधुनिक मानवों का अफ्रीका में उद्भव और फिर दुनिया भर में फैलाव शामिल था, जहां वे अन्य प्राचीन होमिनिन आबादी को विस्थापित करते रहे।

हालांकि, पिछले एक दशक में आनुवंशिक अध्ययनों में हुई अभूतपूर्व प्रगति, विशेष रूप से प्राचीन डीएनए (aDNA) के विश्लेषण से, इस कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। 2010 में, स्वान्ते पाबो (Svante Pääbo) के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि आधुनिक गैर-अफ्रीकी मनुष्यों के डीएनए में नियंडरथल डीएनए का एक छोटा लेकिन पहचानने योग्य प्रतिशत (लगभग 1-4%) मौजूद है। इस खोज ने इस बात का अकाट्य प्रमाण प्रदान किया कि होमो सेपियंस और नियंडरथल ने अतीत में अंतःप्रजनन किया था, यानी उन्होंने एक-दूसरे के साथ प्रजनन किया और संतान पैदा की, जिसके परिणामस्वरूप उनके आनुवंशिक निशान आज भी हम में से कई लोगों में मौजूद हैं। यह सिर्फ एक संयोग नहीं था; यह एक महत्वपूर्ण विकासवादी घटना थी जिसने मानव प्रवास, अनुकूलन और विविधता की हमारी समझ को बदल दिया।

नवीनतम प्रिंसटन अध्ययन इसी आनुवंशिक साक्ष्य पर आधारित है, जो अंतःप्रजनन की घटनाओं की विस्तृत समय-रेखा और भौगोलिक फैलाव को और अधिक स्पष्ट करता है, जो अब तक की सबसे लंबी अवधि, यानी 200,000 वर्षों तक फैली हुई है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारे और नियंडरथल के बीच बातचीत केवल एक बार की घटना नहीं थी, बल्कि यह विभिन्न समय-अंतरालों और भौगोलिक स्थानों पर बार-बार हुई थी।

प्रमुख प्रावधान / मुख्य बिंदु: प्रिंसटन अध्ययन की गहराई

प्रिंसटन विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह अध्ययन आनुवंशिक विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जो हमें मानव और नियंडरथल के बीच 200,000 वर्षों से अधिक के अंतःप्रजनन की एक अभूतपूर्व विस्तृत समय-रेखा और भौगोलिक फैलाव प्रदान करता है।

  • अध्ययन की पद्धति और उपकरण:
    • यह अध्ययन प्राचीन डीएनए (aDNA) के विश्लेषण और आधुनिक मानव जीनोम में नियंडरथल वंशावली के पैटर्न को समझने के लिए अत्याधुनिक कम्प्यूटेशनल विधियों का उपयोग करता है।
    • शोधकर्ताओं ने दुनिया भर से 2,500 से अधिक आधुनिक मानव जीनोम डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने विशेष रूप से ‘मशीन लर्निंग’ (Machine Learning) एल्गोरिदम और सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया, जिन्हें प्राचीन आबादी के बीच अंतःप्रजनन की घटनाओं का पता लगाने और उनकी समय-सीमा निर्धारित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
    • उन्होंने नियंडरथल डीएनए खंडों की लंबाई और आवृत्ति का अध्ययन किया। डीएनए खंड समय के साथ छोटे होते जाते हैं, इसलिए लंबे खंड हाल की अंतःप्रजनन घटनाओं का संकेत देते हैं, जबकि छोटे और अधिक खंड प्राचीन घटनाओं का संकेत देते हैं।
  • प्रमुख निष्कर्ष और समय-रेखा का विस्तार:
    • प्रारंभिक अंतःप्रजनन घटनाएँ: अध्ययन का सबसे चौंकाने वाला निष्कर्ष यह है कि मानव और नियंडरथल के बीच अंतःप्रजनन की सबसे प्रारंभिक घटनाएँ अनुमान से कहीं पहले हुई थीं – लगभग 200,000 से 250,000 साल पहले। यह पहले के अनुमानों (लगभग 50,000 से 60,000 साल पहले) से काफी अधिक है, जब होमो सेपियंस ने पहली बार अफ्रीका से बाहर एक बड़ी प्रवास लहर शुरू की थी।
    • अफ्रीका के बाहर की प्रारंभिक लहरें: यह निष्कर्ष बताता है कि होमो सेपियंस की प्रारंभिक, शायद अल्पकालिक, प्रवास लहरें अफ्रीका से 200,000 साल पहले ही शुरू हो गई थीं। इन शुरुआती समूहों का सामना मध्य पूर्व या अरब प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में नियंडरथल से हुआ होगा, जिसके परिणामस्वरूप आनुवंशिक मिश्रण हुआ। हालांकि, इन प्रारंभिक प्रवासों के निशान आधुनिक अफ्रीकी आबादी में नहीं पाए जाते हैं, जो बताता है कि ये शुरुआती होमो सेपियंस आबादी अफ्रीकी महाद्वीप में वापस नहीं लौटीं या उनकी वंशावली को व्यापक रूप से बदल दिया गया।
    • एकाधिक अंतःप्रजनन घटनाएँ: अध्ययन पुष्टि करता है कि अंतःप्रजनन केवल एक घटना नहीं थी, बल्कि विभिन्न भौगोलिक स्थानों और विभिन्न समय-अंतरालों में कई बार हुई थी। जैसे-जैसे होमो सेपियंस दुनिया भर में फैले, उन्हें विभिन्न नियंडरथल आबादी का सामना करना पड़ा और उनके साथ प्रजनन किया।
    • आनुवंशिक आदान-प्रदान की जटिलता: यह दिखाता है कि मानव और नियंडरथल के बीच आनुवंशिक मिश्रण एक जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रिया थी, न कि एक सीधी मुठभेड़। विभिन्न क्षेत्रों में फैले आधुनिक मानवों में नियंडरथल डीएनए के पैटर्न भिन्न होते हैं, जो विभिन्न संपर्क बिंदुओं और मिश्रण की डिग्री का सुझाव देते हैं।
  • आनुवंशिक और विकासवादी निहितार्थ:
    • अनुकूली अंतःप्रवेश (Adaptive Introgression): नियंडरथल डीएनए के कुछ खंड आधुनिक मानवों में बने रहे और यहां तक कि कुछ आबादी में उच्च आवृत्ति तक पहुंच गए। यह सुझाव देता है कि नियंडरथल से प्राप्त इन जीनों ने होमो सेपियंस को कुछ लाभ प्रदान किए होंगे। उदाहरण के लिए:
      • प्रतिरक्षा प्रणाली: नियंडरथल जीन ने आधुनिक मानवों को नए रोगजनकों के खिलाफ प्रतिरोध विकसित करने में मदद की हो सकती है, जिनका सामना उन्होंने अफ्रीका से बाहर निकलने पर किया था।
      • त्वचा और बाल: कुछ नियंडरथल जीन त्वचा के रंग, बालों के प्रकार और यहां तक कि ठंड के प्रति सहनशीलता से संबंधित हो सकते हैं, जिससे अफ्रीका के बाहर ठंडे वातावरण में अनुकूलन में मदद मिली होगी।
      • ऊंचाई: हाल के शोध से पता चला है कि नियंडरथल डीएनए ऊंचाई और हड्डियों के घनत्व जैसे लक्षणों को प्रभावित कर सकता है।

      यह प्रक्रिया, जहां एक प्रजाति से जीन दूसरी प्रजाति में स्थानांतरित होते हैं और अनुकूलन लाभ प्रदान करते हैं, ‘अनुकूली अंतःप्रवेश’ (adaptive introgression) कहलाती है।

    • ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत का परिष्करण: यह अध्ययन ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत को खारिज नहीं करता है, बल्कि इसे और अधिक परिष्कृत करता है। यह सुझाव देता है कि अफ्रीका से होमो सेपियंस का प्रवास एक ही बड़े पैमाने पर फैलाव के बजाय कई लहरों में हुआ था, जिसमें कुछ प्रारंभिक लहरें पहले की तुलना में अधिक दूर तक पहुंची थीं और नियंडरथल से मिली थीं।
    • मानव विविधता की समझ: यह आधुनिक मानव आबादी के बीच देखी गई आनुवंशिक विविधता के मूल को समझने में मदद करता है। नियंडरथल डीएनए की मात्रा और प्रकार विभिन्न गैर-अफ्रीकी आबादी में भिन्न होता है, जो उनके अद्वितीय इतिहास और अंतःप्रजनन घटनाओं को दर्शाता है।

पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons)

सकारात्मक पहलू (Positives)

प्रिंसटन अध्ययन जैसे अनुसंधान के कई सकारात्मक पहलू हैं, जो मानव विकास और आनुवंशिकी की हमारी समझ को गहरा करते हैं:

  • मानव इतिहास की जटिलता का अनावरण: यह अध्ययन मानव प्रवास और विकास की हमारी समझ को सरल ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ मॉडल से एक अधिक जटिल और गतिशील परिदृश्य में ले जाता है, जिसमें विभिन्न होमिनिन प्रजातियों के बीच बातचीत और आनुवंशिक मिश्रण शामिल है। यह दर्शाता है कि मानव वंशावली एक सीधी रेखा नहीं है, बल्कि एक जटिल जाली है।
  • मानवीय अनुकूलन की बेहतर समझ: नियंडरथल डीएनए के जो खंड आधुनिक मनुष्यों में बने रहे, वे हमें उन जीनों की पहचान करने में मदद करते हैं जिन्होंने नए वातावरण और रोगजनकों के प्रति अनुकूलन में भूमिका निभाई। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली, चयापचय और यहां तक कि कुछ शारीरिक लक्षणों के विकास पर प्रकाश डालता है।
  • प्राचीन डीएनए अनुसंधान में प्रगति: यह अध्ययन प्राचीन डीएनए विश्लेषण और कम्प्यूटेशनल जीनोमिक्स में हुई उल्लेखनीय प्रगति को प्रदर्शित करता है। यह दिखाता है कि कैसे अत्याधुनिक तकनीक हमें लाखों साल पहले की घटनाओं को फिर से बनाने में मदद कर सकती है।
  • अंतःविषय अनुसंधान को प्रोत्साहन: यह आनुवंशिकीविदों, जीवाश्म-मानवविदों (paleoanthropologists) और पुरातत्वविदों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर देता है, क्योंकि आनुवंशिक डेटा को भौतिक साक्ष्य के साथ जोड़ना मानव इतिहास की सबसे सटीक तस्वीर प्रदान करता है।
  • UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह छात्रों को प्राचीन इतिहास, मानव विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति को समझने के लिए एक ठोस उदाहरण प्रदान करता है, जो उन्हें बहुआयामी दृष्टिकोण से प्रश्नों का उत्तर देने में मदद करेगा।

नकारात्मक पहलू / चिंताएँ (Negatives / Concerns)

हालांकि ये अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, फिर भी कुछ नकारात्मक पहलू और चिंताएँ हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए:

  • आनुवंशिक डेटा की व्याख्या में जटिलताएँ: प्राचीन डीएनए अक्सर खंडित और दूषित होता है, जिससे विश्लेषण और व्याख्या चुनौतीपूर्ण हो जाती है। परिणाम अलग-अलग कम्प्यूटेशनल मॉडल या अपूर्ण डेटा के कारण भिन्न हो सकते हैं।
  • अति-सरलीकरण का जोखिम: जबकि आनुवंशिक प्रमाण अंतःप्रजनन की पुष्टि करते हैं, यह मानवीय बातचीत की पूरी कहानी नहीं बताते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि ये अंतःप्रजनन घटनाएँ कितनी आम थीं, किन सामाजिक संदर्भों में हुईं, या क्या वे हमेशा पारस्परिक थीं। सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को केवल आनुवंशिक डेटा से समझना मुश्किल है।
  • रूढ़ियों का संभावित जोखिम: नियंडरथल और अन्य प्राचीन होमिनिन के बारे में गलतफहमी या रूढ़ियों को संभावित रूप से बढ़ावा मिल सकता है, यदि निष्कर्षों को सावधानी से प्रस्तुत न किया जाए। उदाहरण के लिए, “नियंडरथल” शब्द का उपयोग अक्सर एक अपमानजनक तरीके से किया जाता है, और वैज्ञानिक निष्कर्षों को लोकप्रिय संस्कृति में सरलीकृत किया जा सकता है।
  • नैतिक विचार: प्राचीन मानव अवशेषों और उनके आनुवंशिक सामग्री के अध्ययन से जुड़े नैतिक प्रश्न हमेशा मौजूद रहते हैं, खासकर जब स्वदेशी समुदायों से संबंधित सामग्री का अध्ययन किया जा रहा हो। डीएनए विश्लेषण से प्राप्त जानकारी का उपयोग कैसे किया जाता है, इसके बारे में संवेदनशीलता और सम्मान की आवश्यकता है।
  • पुरातत्व और जीवाश्म अभिलेखों से अलगाव: केवल आनुवंशिक डेटा पर अत्यधिक निर्भरता से मानव इतिहास की एक अधूरी तस्वीर सामने आ सकती है। पुरातत्वविदों और जीवाश्म-मानवविदों द्वारा उजागर किए गए भौतिक साक्ष्य (उपकरण, कलाकृतियाँ, हड्डियाँ) को आनुवंशिक डेटा के साथ एकीकृत करना महत्वपूर्ण है।

चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward)

मानव-नियंडरथल अंतःप्रजनन जैसे जटिल विषयों पर शोध में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन भविष्य के लिए आशाजनक मार्ग भी हैं।

इस पहल/नीति/घटना के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि:

  • प्राचीन डीएनए की सीमाएँ: प्राचीन डीएनए अत्यंत नाजुक होता है और समय के साथ खराब हो जाता है। अच्छी तरह से संरक्षित नमूने दुर्लभ होते हैं, और यहां तक कि सबसे अच्छे नमूनों में भी जानकारी के अंतराल हो सकते हैं।
  • कम्प्यूटेशनल जटिलता: लाखों वर्षों के दौरान हुए अंतःप्रजनन की घटनाओं का मानचित्रण करने के लिए अत्यधिक परिष्कृत कम्प्यूटेशनल मॉडल और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम की आवश्यकता होती है, जो डेटा की व्याख्या में चुनौतियाँ पेश कर सकते हैं।
  • पुरातत्व और आनुवंशिक साक्ष्य का एकीकरण: आनुवंशिक निष्कर्षों को पुरातात्विक स्थलों और जीवाश्म अभिलेखों से प्राप्त भौतिक साक्ष्य के साथ पूरी तरह से एकीकृत करना एक चुनौती है। कभी-कभी, इन दोनों प्रकार के साक्ष्य पूरी तरह से संरेखित नहीं होते हैं, जिससे व्याख्यात्मक अंतराल पैदा होते हैं।
  • गैर-प्रजनन संपर्क का दस्तावेज़ीकरण: आनुवंशिक साक्ष्य केवल सफल अंतःप्रजनन को दर्शाता है। यह उन कई अन्य प्रकार की अंतःप्रजातीय बातचीत (व्यापार, प्रतियोगिता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान) को नहीं दर्शाता है जो मनुष्यों और नियंडरथल के बीच हुई होंगी।
  • वैज्ञानिक समझ का विकास: जैसे-जैसे नए डेटा और विश्लेषण उपकरण सामने आते हैं, पुरानी परिकल्पनाओं को संशोधित या खारिज करना पड़ सकता है, जिससे यह क्षेत्र लगातार प्रवाह में रहता है।

आगे की राह: इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:

  • अंतर-अनुशासनात्मक सहयोग: आनुवंशिकीविदों, पुरातत्वविदों, जीवाश्म-मानवविदों, भाषाविदों और जलवायु वैज्ञानिकों के बीच मजबूत सहयोग आवश्यक है ताकि मानव इतिहास की एक समग्र और बारीक तस्वीर बनाई जा सके।
  • उन्नत नमूनाकरण और संरक्षण तकनीकें: प्राचीन डीएनए के बेहतर नमूने प्राप्त करने और उन्हें संरक्षित करने के लिए नई तकनीकों का विकास, विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण वातावरण में।
  • कम्प्यूटेशनल मॉडल का परिष्करण: अंतःप्रजनन घटनाओं और उनके आनुवंशिक परिणामों का अनुकरण करने और पता लगाने के लिए अधिक शक्तिशाली और सटीक कम्प्यूटेशनल उपकरणों का विकास।
  • जन जागरूकता और शिक्षा: वैज्ञानिक निष्कर्षों को जनता तक स्पष्ट और जिम्मेदार तरीके से पहुंचाना, गलतफहमी को दूर करना और मानव विकास की जटिल कहानी के लिए प्रशंसा को बढ़ावा देना।
  • नैतिक दिशानिर्देशों का विकास: प्राचीन मानव अवशेषों के अध्ययन और उनसे प्राप्त आनुवंशिक डेटा के उपयोग के लिए मजबूत नैतिक दिशानिर्देशों को स्थापित करना और उनका पालन करना।
  • अज्ञात क्षेत्रों की खोज: अफ्रीकी आबादी पर अधिक ध्यान केंद्रित करना, जिनमें नियंडरथल डीएनए कम है, लेकिन जो मानव विकास की प्रारंभिक शाखाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, एशिया के कम शोधित क्षेत्रों में प्राचीन होमिनिन डीएनए की खोज करना।

यह अध्ययन न केवल हमारी आनुवंशिक जड़ों की हमारी समझ को बढ़ाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विज्ञान कैसे लगातार अपनी पुरानी मान्यताओं को चुनौती देता है और ब्रह्मांड में हमारी जगह के बारे में अधिक संपूर्ण और सत्य कहानी बनाने के लिए नए सबूतों को एकीकृत करता है। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, यह विषय न केवल ज्ञान का एक स्रोत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे विभिन्न विषयों का एकीकरण एक व्यापक समझ की ओर ले जाता है।


UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. हाल ही में प्रिंसटन अध्ययन के संदर्भ में, मानव और नियंडरथल के बीच अंतःप्रजनन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. अध्ययन में पाया गया कि अंतःप्रजनन की सबसे प्रारंभिक घटनाएँ लगभग 50,000-60,000 साल पहले हुईं।
    2. नियंडरथल डीएनए के कुछ खंड आधुनिक गैर-अफ्रीकी मनुष्यों में अनुकूली लाभ प्रदान कर सकते थे।
    3. अध्ययन ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत को पूरी तरह से खारिज करता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I
    • (b) केवल II
    • (c) I और III
    • (d) II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: कथन I गलत है क्योंकि अध्ययन में पाया गया कि सबसे प्रारंभिक अंतःप्रजनन घटनाएँ लगभग 200,000-250,000 साल पहले हुईं। कथन II सही है, क्योंकि नियंडरथल जीन ने प्रतिरक्षा और अनुकूलन जैसे क्षेत्रों में अनुकूली लाभ प्रदान किए हो सकते हैं (अनुकूली अंतःप्रवेश)। कथन III गलत है, अध्ययन ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत को खारिज नहीं करता बल्कि उसे परिष्कृत करता है, यह सुझाव देता है कि अफ्रीका से प्रवास कई लहरों में हुआ था।

  2. निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘अनुकूली अंतःप्रवेश’ (Adaptive Introgression) की सबसे अच्छी परिभाषा देता है?

    • (a) यह एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में जीन का स्थानांतरण है जिसके परिणामस्वरूप नकारात्मक फिटनेस परिणाम होते हैं।
    • (b) यह एक प्रक्रिया है जहां आनुवंशिक सामग्री एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में स्थानांतरित होती है, और यह स्थानांतरित सामग्री दूसरी प्रजाति को अनुकूलन लाभ प्रदान करती है।
    • (c) यह केवल वायरस द्वारा जीन स्थानांतरण की प्रक्रिया है।
    • (d) यह पर्यावरण में परिवर्तन के कारण एक प्रजाति के भीतर आनुवंशिक विविधता का नुकसान है।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: अनुकूली अंतःप्रवेश वह प्रक्रिया है जहां अंतःप्रजनन के माध्यम से एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में स्थानांतरित जीन, प्राप्तकर्ता प्रजाति को अपने नए वातावरण के अनुकूल होने में मदद करते हैं, इस प्रकार उन्हें एक विकासवादी लाभ प्रदान करते हैं।

  3. प्राचीन डीएनए (aDNA) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह जीवित जीवों से प्राप्त डीएनए है।
    2. यह अक्सर खंडित और दूषित होता है, जिससे इसका विश्लेषण चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
    3. स्वन्ते पाबो को प्राचीन डीएनए अनुसंधान में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I और II
    • (b) केवल II और III
    • (c) केवल I और III
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: कथन I गलत है। प्राचीन डीएनए (aDNA) प्राचीन नमूनों (जैसे जीवाश्म, कंकाल) से निकाला गया डीएनए है, न कि जीवित जीवों से। कथन II और III दोनों सही हैं, aDNA की प्रकृति और स्वन्ते पाबो के कार्य को देखते हुए।

  4. नियंडरथल (Homo neanderthalensis) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. वे मुख्य रूप से अफ्रीका में पाए जाते थे।
    2. उनके पास आधुनिक मानवों की तुलना में अधिक मजबूत शारीरिक बनावट थी।
    3. उनके सांस्कृतिक प्रथाओं में उपकरणों का उपयोग और संभवतः मृतकों का अंतिम संस्कार शामिल था।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I और II
    • (b) केवल II और III
    • (c) केवल I और III
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: कथन I गलत है। नियंडरथल मुख्य रूप से यूरोप और एशिया में पाए जाते थे, न कि अफ्रीका में। कथन II और III दोनों सही हैं, उनकी शारीरिक विशेषताओं और सांस्कृतिक क्षमताओं के लिए।

  5. हाल के अध्ययनों के अनुसार, आधुनिक गैर-अफ्रीकी मनुष्यों में नियंडरथल डीएनए का अनुमानित प्रतिशत क्या है?

    • (a) 5-10%
    • (b) 10-15%
    • (c) 1-4%
    • (d) 0.1-0.5%

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: अधिकांश अध्ययनों में अनुमान है कि आधुनिक गैर-अफ्रीकी मनुष्यों में लगभग 1-4% नियंडरथल डीएनए होता है।

  6. ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत किससे संबंधित है?

    • (a) प्राचीन होमिनिन का विकास।
    • (b) आधुनिक मानवों का अफ्रीका में उद्भव और फिर दुनिया भर में फैलाव।
    • (c) नियंडरथल का यूरोप से विलुप्त होना।
    • (d) अफ्रीका में कृषि का विकास।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत आधुनिक मानवों (होमो सेपियंस) के अफ्रीका में उद्भव और फिर लगभग 60,000 से 70,000 साल पहले वहां से निकलकर दुनिया के बाकी हिस्सों में फैलने के प्रवास पैटर्न का वर्णन करता है।

  7. मानव और नियंडरथल के बीच अंतःप्रजनन के कारण, आधुनिक मनुष्यों में निम्नलिखित में से कौन से अनुकूली लक्षण देखे जा सकते हैं?

    1. बढ़ी हुई प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएँ।
    2. त्वचा और बालों का रंग।
    3. उच्चतर बुद्धि।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I और II
    • (b) केवल II और III
    • (c) केवल I
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (a)

    व्याख्या: शोध से पता चला है कि नियंडरथल डीएनए ने आधुनिक मनुष्यों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं, त्वचा और बालों के रंग से संबंधित कुछ अनुकूली लक्षणों में योगदान दिया हो सकता है। बुद्धि पर प्रत्यक्ष प्रभाव अभी भी बहस का विषय है और इसे सीधे नियंडरथल डीएनए से जोड़ा नहीं गया है।

  8. प्रिंसटन अध्ययन में मानव और नियंडरथल के बीच अंतःप्रजनन की घटनाओं का मानचित्रण करने के लिए किस प्रकार की उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया था?

    • (a) कार्बन डेटिंग।
    • (b) पॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR)।
    • (c) मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और सांख्यिकीय मॉडल।
    • (d) रेडियोमेट्रिक डेटिंग।

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: प्रिंसटन अध्ययन ने प्राचीन डीएनए से अंतःप्रजनन घटनाओं का पता लगाने और उनकी समय-सीमा निर्धारित करने के लिए विशेष रूप से मशीन लर्निंग एल्गोरिदम और उन्नत सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया।

  9. वैज्ञानिक नाम Homo sapiens निम्नलिखित में से किस प्रजाति का है?

    • (a) नियंडरथल
    • (b) डेनिसोवन्स
    • (c) आधुनिक मानव
    • (d) Homo erectus

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: Homo sapiens आधुनिक मानवों का वैज्ञानिक नाम है।

  10. प्राचीन डीएनए अनुसंधान के संदर्भ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक स्वन्ते पाबो (Svante Pääbo) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से संबंधित हैं?

    • (a) भौतिकी
    • (b) रसायन विज्ञान
    • (c) फिजियोलॉजी या मेडिसिन
    • (d) साहित्य

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: स्वन्ते पाबो को 2022 में ‘विलुप्त होमिनिन के जीनोम और मानव विकास से संबंधित उनकी खोजों’ के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसमें नियंडरथल जीनोम पर उनका अग्रणी कार्य शामिल है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. हाल ही में प्रिंसटन विश्वविद्यालय के अध्ययन जैसे आनुवंशिक अध्ययनों ने मानव प्रवास पैटर्न और विकास की हमारी समझ को कैसे फिर से परिभाषित किया है? चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)
  2. ‘आउट ऑफ अफ्रीका’ सिद्धांत के संदर्भ में, मानव और नियंडरथल के बीच अंतःप्रजनन के नवीनतम प्रमाण इस सिद्धांत को कैसे परिष्कृत करते हैं? इसके आनुवंशिक और विकासवादी निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। (15 अंक, 250 शब्द)
  3. प्राचीन डीएनए (aDNA) अनुसंधान में हुई प्रगति ने मानव इतिहास और आनुवंशिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, इसके भविष्य की संभावनाओं और अंतर-अनुशासनात्मक सहयोग के महत्व की व्याख्या करें। (10 अंक, 150 शब्द)

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