मलेरिया वैक्सीन का भविष्य: भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारी और वैश्विक स्वास्थ्य पर प्रभाव
चर्चा में क्यों? (Why in News?)
हाल ही में, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन्नत मलेरिया वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए भारतीय निर्माताओं से आवेदन (Expression of Interest – EoI) आमंत्रित किए हैं। यह पहल भारत को वैश्विक मलेरिया उन्मूलन प्रयासों में एक अग्रणी भूमिका निभाने और लाखों जीवन बचाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही है। यह सिर्फ एक तकनीकी विकास नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति के लिए भी गहरे निहितार्थ रखता है।
मलेरिया: एक वैश्विक चुनौती
मलेरिया, प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है जो संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। सदियों से यह बीमारी मानव जाति के लिए एक बड़ी चुनौती रही है, विशेषकर उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में।
- वैश्विक बोझ: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2023 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में विश्व स्तर पर अनुमानित 249 मिलियन मलेरिया के मामले और 608,000 मौतें हुईं। इनमें से अधिकांश मौतें छोटे बच्चों में हुईं, खासकर अफ्रीका में।
- भारत की स्थिति: भारत ने पिछले कुछ दशकों में मलेरिया के मामलों और मौतों को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2000 से 2022 तक, मलेरिया के मामलों में 85% और मौतों में 80% की कमी आई है। हालांकि, देश के कुछ हिस्सों में अभी भी इसका स्थानिक प्रकोप जारी है, जिससे निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: मलेरिया न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह गरीबी, शिक्षा और आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है। यह उत्पादकता घटाता है, स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ डालता है और समुदायों को गरीबी के दुष्चक्र में धकेलता है।
- परजीवी के प्रकार: मनुष्यों में मलेरिया के पाँच परजीवी प्रकार पाए जाते हैं, जिनमें प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) और प्लास्मोडियम विवेक्स (Plasmodium vivax) सबसे आम और खतरनाक हैं। प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम सबसे गंभीर बीमारी और मौत का कारण बनता है।
वैक्सीन की आवश्यकता क्यों?
मलेरिया नियंत्रण के लिए दशकों से मच्छरदानी, कीटनाशक छिड़काव और एंटी-मलेरियल दवाओं का उपयोग किया जा रहा है। इन तरीकों ने निश्चित रूप से प्रभाव दिखाया है, लेकिन इनकी अपनी सीमाएँ हैं:
- दवा प्रतिरोध: मलेरिया परजीवी कई एंटी-मलेरियल दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं, जिससे उपचार कठिन और महंगा हो गया है।
- कीटनाशक प्रतिरोध: मच्छर भी कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं, जिससे मच्छर नियंत्रण कार्यक्रम कम प्रभावी हो रहे हैं।
- लॉजिस्टिक्स और पहुंच: दूरदराज के क्षेत्रों में मच्छरदानी और दवाओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- व्यवहारिक बाधाएँ: लोग नियमित रूप से मच्छरदानी का उपयोग नहीं करते या दवाएँ पूरी खुराक में नहीं लेते, जिससे नियंत्रण प्रयासों में बाधा आती है।
- एक स्थायी समाधान: एक प्रभावी और व्यापक रूप से उपलब्ध वैक्सीन रोग को फैलने से रोकने के लिए एक स्थायी, अग्रगामी और लागत-प्रभावी समाधान प्रदान कर सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ अन्य हस्तक्षेप मुश्किल हैं। वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रणाली को परजीवी के खिलाफ तैयार करती है, जिससे संक्रमण या गंभीर बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
“मलेरिया एक अदृश्य दुश्मन है जो अर्थव्यवस्थाओं को अपंग बनाता है और सबसे कमजोर लोगों को मारता है। एक वैक्सीन केवल एक दवा नहीं, बल्कि एक सुरक्षा कवच है जो लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।”
कौन सी वैक्सीन? भारत किसकी तैयारी कर रहा है?
दुनिया में अब तक मलेरिया की दो वैक्सीनों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है, जो मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक नए युग की शुरुआत करती हैं:
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RTS,S/AS01 (Mosquirix):
- यह दुनिया की पहली और एकमात्र WHO-अनुमोदित मलेरिया वैक्सीन है, जिसे ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) द्वारा विकसित किया गया है।
- यह प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी को लक्षित करती है, जो अफ्रीका में सबसे घातक है।
- इसका उपयोग पहली बार घाना, केन्या और मलावी में पायलट परियोजनाओं के तहत किया गया, जहाँ इसने बच्चों में गंभीर मलेरिया के मामलों और मौतों को काफी हद तक कम किया।
- इसकी प्रभावकारिता मध्यम (लगभग 30-40% गंभीर मलेरिया के मामलों में कमी) है और इसे चार खुराक में दिया जाता है।
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R21/Matrix-M:
- यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा विकसित दूसरी WHO-अनुमोदित मलेरिया वैक्सीन है।
- इसे 2023 में WHO द्वारा अनुमोदित किया गया, और यह RTS,S की तुलना में उच्च प्रभावकारिता (लगभग 75% तक) दिखाती है।
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि SII की विशाल विनिर्माण क्षमता के कारण, यह वैक्सीन RTS,S की तुलना में बहुत कम लागत पर बड़े पैमाने पर उत्पादित की जा सकती है, जिससे इसे व्यापक रूप से उपलब्ध कराना संभव होगा।
- यह भी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी को लक्षित करती है।
- भारत में व्यावसायिक उत्पादन के लिए ICMR का आह्वान मुख्य रूप से R21/Matrix-M वैक्सीन के लिए है, क्योंकि इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की भागीदारी है, जो दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादकों में से एक है। SII की क्षमता इसे विश्व स्तर पर मलेरिया वैक्सीन की भारी मांग को पूरा करने में सक्षम बनाएगी।
टीकाकरण का तंत्र: ये वैक्सीन परजीवी के ‘स्पोरोजोइट’ चरण (जो मच्छर से मानव में फैलता है) में पाए जाने वाले ‘सर्कमस्पोरोजोइट प्रोटीन’ (Circumsporozoite Protein – CSP) को लक्षित करती हैं। यह प्रोटीन परजीवी को यकृत कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है। वैक्सीन इस प्रोटीन के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करती है, जिससे परजीवी यकृत कोशिकाओं में प्रवेश करने से पहले ही बेअसर हो जाते हैं।
उत्पादन प्रक्रिया और ICMR की भूमिका
ICMR का “अभिव्यक्ति की रुचि” (Expression of Interest – EoI) आमंत्रण एक बहु-आयामी प्रक्रिया का हिस्सा है जिसका उद्देश्य उन्नत मलेरिया वैक्सीन के वाणिज्यिक उत्पादन को गति देना है:
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तकनीकी हस्तांतरण और लाइसेंसिंग: ICMR उन भारतीय विनिर्माताओं की तलाश कर रहा है जिनके पास वैक्सीन उत्पादन के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा, विशेषज्ञता और नियामक अनुपालन क्षमताएँ हैं। इसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय/सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण शामिल होगा, जिसमें वैक्सीन के निर्माण की प्रक्रिया, फॉर्मूलेशन और गुणवत्ता नियंत्रण प्रोटोकॉल शामिल हैं।
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विनिर्माण क्षमता का विस्तार: भारत, विशेष रूप से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जैसे दिग्गज, अपनी विशाल वैक्सीन उत्पादन क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं। ICMR का लक्ष्य इस क्षमता का लाभ उठाना है ताकि मलेरिया वैक्सीन का उत्पादन तीव्र गति से और बड़े पैमाने पर किया जा सके, जिससे घरेलू और वैश्विक मांग दोनों को पूरा किया जा सके।
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सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): यह पहल सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ सरकारी अनुसंधान निकाय (ICMR) निजी विनिर्माताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है। यह मॉडल अनुसंधान और विकास (R&D) में सरकार के निवेश को विनिर्माण में निजी क्षेत्र की दक्षता और गति के साथ जोड़ता है।
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गुणवत्ता नियंत्रण और नियामक अनुमोदन: उत्पादन प्रक्रिया में कड़े गुणवत्ता नियंत्रण मानक और भारतीय तथा अंतर्राष्ट्रीय नियामक निकायों (जैसे DCGI, WHO prequalification) से अनुमोदन प्राप्त करना शामिल होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है।
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लागत प्रभावी उत्पादन: भारत को अक्सर “दुनिया की फार्मेसी” कहा जाता है, खासकर जेनेरिक दवाओं और टीकों के लागत प्रभावी उत्पादन के लिए। मलेरिया वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन से इसकी लागत कम होगी, जिससे यह कम आय वाले देशों के लिए भी सुलभ हो सकेगी।
भारत के लिए रणनीतिक महत्व
यह पहल भारत के लिए केवल एक स्वास्थ्य उपलब्धि से कहीं अधिक है; इसके गहरे रणनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक निहितार्थ हैं:
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सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार:
- रोग भार में कमी: मलेरिया वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण देश में मलेरिया के मामलों और मौतों को नाटकीय रूप से कम कर सकता है, विशेषकर बच्चों में।
- स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम: कम मामलों का मतलब है अस्पतालों पर कम दबाव, स्वास्थ्यकर्मियों पर कम बोझ और स्वास्थ्य देखभाल खर्च में कमी।
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आर्थिक लाभ:
- उत्पादकता में वृद्धि: स्वस्थ कार्यबल अधिक उत्पादक होता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
- पर्यटन को बढ़ावा: मलेरिया का खतरा कम होने से पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है।
- विनिर्माण और रोजगार: वैक्सीन उत्पादन से संबंधित उद्योगों में निवेश और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- निर्यात से राजस्व: वैक्सीन के वैश्विक निर्यात से भारत के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित होगी।
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वैश्विक नेतृत्व और सॉफ्ट पावर:
- “विश्व की फार्मेसी” का सुदृढीकरण: भारत पहले से ही दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है। मलेरिया वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन इस स्थिति को और मजबूत करेगा, जिससे भारत वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में एक अनिवार्य खिलाड़ी बन जाएगा।
- वैक्सीन कूटनीति: कम आय वाले देशों को सस्ती और सुलभ वैक्सीन प्रदान करके, भारत अपनी “वैक्सीन कूटनीति” को और मजबूत कर सकता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और प्रभाव में वृद्धि होगी। यह “वसुधैव कुटुंबकम्” के सिद्धांत को दर्शाता है।
- SDG 3 में योगदान: यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत मलेरिया को समाप्त करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।
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‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’:
- यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों के अनुरूप है, जो महत्वपूर्ण उत्पादों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और बाहरी निर्भरता को कम करने पर जोर देते हैं।
- यह भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का प्रमाण भी है।
“भारत में मलेरिया वैक्सीन का उत्पादन केवल एक स्वास्थ्य हस्तक्षेप नहीं है; यह एक रणनीतिक निवेश है जो भारत की आर्थिक शक्ति, वैज्ञानिक क्षमता और वैश्विक नेतृत्व को दर्शाता है।”
वैश्विक मलेरिया उन्मूलन पर प्रभाव
भारत में मलेरिया वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन का वैश्विक मलेरिया उन्मूलन प्रयासों पर गहरा और परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा:
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बढ़ी हुई उपलब्धता और पहुंच: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जैसे निर्माताओं की क्षमता से वैक्सीन की भारी मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे यह दुनिया के सबसे गरीब और सबसे अधिक प्रभावित देशों तक भी पहुंच सकेगी, जहाँ अब तक वैक्सीन की सीमित आपूर्ति एक बड़ी बाधा थी।
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लागत-प्रभावशीलता: भारत के लागत-प्रभावी विनिर्माण मॉडल से वैक्सीन की कीमत कम होगी, जिससे यह उन देशों के लिए सस्ती हो जाएगी जिनके स्वास्थ्य बजट सीमित हैं। यह वैश्विक इक्विटी और पहुंच को बढ़ावा देगा।
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टीकाकरण कार्यक्रमों में तेजी: पर्याप्त और सस्ती आपूर्ति के साथ, देश अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में मलेरिया वैक्सीन को तेजी से शामिल कर पाएंगे, जिससे बड़े पैमाने पर जनसंख्या को कवर किया जा सकेगा।
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सामूहिक प्रतिरक्षा (Herd Immunity): व्यापक टीकाकरण कवरेज से सामूहिक प्रतिरक्षा का निर्माण हो सकता है, जिससे रोग संचरण की श्रृंखला टूट जाएगी और अंततः मलेरिया के उन्मूलन की दिशा में मदद मिलेगी।
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अन्य हस्तक्षेपों का पूरक: वैक्सीन मलेरिया नियंत्रण के लिए एक अतिरिक्त शक्तिशाली उपकरण के रूप में काम करेगी, जो मच्छरदानी, कीटनाशक छिड़काव, शीघ्र निदान और उपचार जैसे मौजूदा हस्तक्षेपों का पूरक होगी। यह एक बहु-आयामी रणनीति का हिस्सा होगी।
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अनुसंधान और विकास को बढ़ावा: बड़े पैमाने पर उत्पादन और वैश्विक मांग से मलेरिया परजीवी जीव विज्ञान, वैक्सीन विज्ञान और वितरण रणनीतियों में आगे के अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे भविष्य में और भी प्रभावी समाधान सामने आ सकते हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि मलेरिया वैक्सीन उत्पादन की यह पहल बेहद आशाजनक है, लेकिन इसके पूर्ण लाभों को प्राप्त करने के लिए कई चुनौतियों का समाधान करना होगा:
चुनौतियाँ (Challenges):
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उत्पादन का पैमाना (Scalability): इतनी बड़ी आबादी के लिए लाखों खुराक का उत्पादन करना एक जटिल कार्य है, जिसके लिए कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति, कुशल श्रमशक्ति और उन्नत विनिर्माण सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
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वितरण और लॉजिस्टिक्स: वैक्सीन को दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर खराब बुनियादी ढाँचे वाले देशों में, उचित कोल्ड चेन (तापमान नियंत्रित भंडारण और परिवहन) बनाए रखते हुए वितरित करना एक बड़ी चुनौती है।
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लागत और सामर्थ्य: यद्यपि भारतीय उत्पादन से लागत कम होगी, फिर भी गरीब देशों के लिए बड़े पैमाने पर खरीद और वितरण के लिए फंडिंग की आवश्यकता होगी। अंतर्राष्ट्रीय सहायता और अभिनव वित्तपोषण मॉडल महत्वपूर्ण होंगे।
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टीकाकरण हेजिटेंसी और स्वीकृति: कुछ समुदायों में टीकों के प्रति संशय या गलत सूचना के कारण वैक्सीन स्वीकृति में बाधा आ सकती है। प्रभावी संचार और सामुदायिक जुड़ाव महत्वपूर्ण होगा।
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प्रभावकारिता और स्थानीय विविधताएँ: वैक्सीन की प्रभावकारिता भौगोलिक क्षेत्रों और परजीवी के विभिन्न उपभेदों में भिन्न हो सकती है। विभिन्न क्षेत्रों में इसकी प्रभावकारिता की निगरानी और अनुकूलन आवश्यक होगा।
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नियामक बाधाएँ: विभिन्न देशों में वैक्सीन को अनुमोदन प्राप्त करने में समय लग सकता है, जिससे तैनाती में देरी हो सकती है।
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परजीवी का विकास: मलेरिया परजीवी तेजी से विकसित हो सकता है, जिससे वैक्सीन-प्रतिरोधी उपभेदों के उभरने का खतरा होता है, जैसा कि हमने दवाओं के मामले में देखा है। निरंतर अनुसंधान और अगली पीढ़ी की वैक्सीनों का विकास आवश्यक होगा।
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सतत वित्तपोषण: दीर्घकालिक मलेरिया नियंत्रण और उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए सतत और अनुमानित वित्तपोषण सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
आगे की राह (Way Forward):
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मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी: ICMR, निर्माता, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और परोपकारी संस्थाओं के बीच मजबूत और पारदर्शी साझेदारी को बढ़ावा देना।
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बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण: वैक्सीन भंडारण, परिवहन और वितरण के लिए कोल्ड चेन और स्वास्थ्य प्रणाली के बुनियादी ढाँचे में निवेश करना।
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अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: वैश्विक कोष, गावी (Gavi, the Vaccine Alliance) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करना ताकि वैक्सीन की खरीद और तैनाती के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित किया जा सके।
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समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण: सामुदायिक नेताओं को शामिल करके और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से वैक्सीन के बारे में जागरूकता बढ़ाना और गलत सूचनाओं का खंडन करना।
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एकीकृत नियंत्रण कार्यक्रम: वैक्सीन को अकेले समाधान के रूप में नहीं, बल्कि मच्छर नियंत्रण, निदान, उपचार और निगरानी सहित एक व्यापक मलेरिया नियंत्रण रणनीति के हिस्से के रूप में देखना।
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निरंतर अनुसंधान और विकास: अगली पीढ़ी की वैक्सीनों के विकास में निवेश करना जो विभिन्न परजीवी उपभेदों के खिलाफ अधिक प्रभावी हों और जिन्हें एकल खुराक या लंबी अवधि की सुरक्षा प्रदान करने के लिए अनुकूलित किया जा सके।
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डेटा-संचालित निर्णय: वैक्सीन की प्रभावकारिता, सुरक्षा और प्रभाव की निगरानी के लिए मजबूत निगरानी प्रणालियों का विकास करना ताकि तैनाती रणनीतियों को अनुकूलित किया जा सके।
निष्कर्ष
ICMR द्वारा मलेरिया वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए आवेदन आमंत्रित करना, भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, न केवल अपने नागरिकों को एक विनाशकारी बीमारी से बचाने के लिए, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य में एक जिम्मेदार और अग्रणी खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भी। यह कदम भारत की वैज्ञानिक क्षमता, विनिर्माण कौशल और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हालांकि चुनौतियाँ हैं, एक समन्वित वैश्विक प्रयास और रणनीतिक निवेश के साथ, मलेरिया मुक्त भविष्य का सपना अब पहले से कहीं अधिक करीब लगता है। यह एक ऐसी पहल है जो लाखों जीवन बचाएगी और दुनिया भर में स्वास्थ्य इक्विटी को बढ़ावा देगी।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(उत्तर और व्याख्या नीचे दिए गए हैं)
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मलेरिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है।
- यह संक्रमित नर एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है।
- प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मनुष्यों में मलेरिया का सबसे घातक रूप है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a और b
(B) केवल b और c
(C) केवल a और c
(D) a, b और c -
निम्नलिखित में से कौन सी मलेरिया वैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुमोदित की गई है/हैं?
- RTS,S/AS01 (Mosquirix)
- R21/Matrix-M
- mRNA-1273
सही विकल्प चुनें:
(A) केवल a
(B) केवल b
(C) a और b दोनों
(D) a, b और c -
R21/Matrix-M मलेरिया वैक्सीन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित की गई है।
- यह RTS,S/AS01 की तुलना में उच्च प्रभावकारिता दर्शाती है।
- यह मुख्य रूप से प्लास्मोडियम विवेक्स परजीवी को लक्षित करती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a
(B) केवल a और b
(C) केवल b और c
(D) a, b और c -
भारत में मलेरिया वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की पहल के संभावित लाभ क्या हो सकते हैं?
- घरेलू मलेरिया के मामलों में कमी।
- भारत की “विश्व की फार्मेसी” की स्थिति का सुदृढ़ीकरण।
- वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में भारत की भूमिका में वृद्धि।
- आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि।
सही विकल्प चुनें:
(A) केवल a, b और c
(B) केवल b, c और d
(C) केवल a, c और d
(D) a, b, c और d -
‘सर्कमस्पोरोजोइट प्रोटीन’ (CSP) का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?
(A) डेंगू वैक्सीन का विकास
(B) मलेरिया परजीवी का एक महत्वपूर्ण एंटीजन
(C) क्षय रोग (टीबी) का निदान
(D) पोलियो वायरस की रोकथाम -
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2023 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में मलेरिया के अधिकांश मामले और मौतें किस क्षेत्र में दर्ज की गईं?
(A) दक्षिण-पूर्व एशिया
(B) लैटिन अमेरिका
(C) उप-सहारा अफ्रीका
(D) ओशिनिया -
भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों के संदर्भ में, मलेरिया वैक्सीन का घरेलू उत्पादन कैसे योगदान दे सकता है?
- यह स्वास्थ्य सेवा में आयात पर निर्भरता कम करेगा।
- यह घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देगा।
- यह विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करेगा।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a
(B) केवल a और b
(C) केवल b और c
(D) a, b और c -
मलेरिया नियंत्रण में वर्तमान चुनौतियों में शामिल हैं:
- मलेरिया परजीवी द्वारा एंटी-मलेरियल दवाओं के प्रति प्रतिरोध।
- मच्छरों द्वारा कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोध।
- दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं तक सीमित पहुंच।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(A) केवल a और b
(B) केवल b और c
(C) केवल a और c
(D) a, b और c -
Gavi, The Vaccine Alliance (गावी, वैक्सीन गठबंधन) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(A) विकासशील देशों को कृषि सब्सिडी प्रदान करना।
(B) विकासशील देशों में टीकाकरण कवरेज में सुधार करना।
(C) वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान का वित्तपोषण करना।
(D) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों को सुविधाजनक बनाना। -
सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3 का संबंध मुख्य रूप से किससे है?
(A) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
(B) अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण
(C) लैंगिक समानता
(D) स्वच्छ जल और स्वच्छता
MCQ उत्तर और व्याख्या:
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उत्तर: (C) केवल a और c
व्याख्या: कथन (a) सही है; मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है। कथन (b) गलत है; यह संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है, नर मच्छर नहीं काटते। कथन (c) सही है; प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मनुष्यों में मलेरिया का सबसे गंभीर और घातक रूप है। -
उत्तर: (C) a और b दोनों
व्याख्या: RTS,S/AS01 (Mosquirix) और R21/Matrix-M दोनों ही WHO द्वारा अनुमोदित मलेरिया वैक्सीन हैं। mRNA-1273 COVID-19 वैक्सीन है। -
उत्तर: (B) केवल a और b
व्याख्या: कथन (a) सही है; R21/Matrix-M को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। कथन (b) सही है; R21/Matrix-M ने RTS,S/AS01 की तुलना में उच्च प्रभावकारिता दर्शाई है। कथन (c) गलत है; R21/Matrix-M मुख्य रूप से प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी को लक्षित करती है, जो अफ्रीका में सबसे घातक है। -
उत्तर: (D) a, b, c और d
व्याख्या: मलेरिया वैक्सीन के घरेलू उत्पादन से उपरोक्त सभी लाभ प्राप्त होंगे: घरेलू मलेरिया के मामलों में कमी, भारत की “विश्व की फार्मेसी” की स्थिति का सुदृढ़ीकरण, वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में भारत की भूमिका में वृद्धि, और आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि। -
उत्तर: (B) मलेरिया परजीवी का एक महत्वपूर्ण एंटीजन
व्याख्या: सर्कमस्पोरोजोइट प्रोटीन (CSP) मलेरिया परजीवी के स्पोरोजोइट चरण में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है, जिसे मलेरिया वैक्सीनों द्वारा लक्षित किया जाता है ताकि परजीवी को यकृत कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोका जा सके। -
उत्तर: (C) उप-सहारा अफ्रीका
व्याख्या: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्टों के अनुसार, मलेरिया का सबसे अधिक बोझ उप-सहारा अफ्रीका में है, जहाँ 2022 में वैश्विक मामलों और मौतों का अधिकांश हिस्सा दर्ज किया गया। -
उत्तर: (D) a, b और c
व्याख्या: मलेरिया वैक्सीन का घरेलू उत्पादन ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्यों के अनुरूप है क्योंकि यह स्वास्थ्य सेवा में आयात पर निर्भरता कम करता है, घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देता है, और वैक्सीन निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकता है। -
उत्तर: (D) a, b और c
व्याख्या: वर्तमान में मलेरिया नियंत्रण में दवा प्रतिरोध, कीटनाशक प्रतिरोध और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की चुनौतियाँ सभी शामिल हैं, जो नियंत्रण प्रयासों को जटिल बनाती हैं। -
उत्तर: (B) विकासशील देशों में टीकाकरण कवरेज में सुधार करना।
व्याख्या: Gavi, The Vaccine Alliance एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में बच्चों के लिए नए और कम उपयोग वाले टीकों तक पहुंच बढ़ाना है। -
उत्तर: (B) अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण
व्याख्या: सतत विकास लक्ष्य (SDG) 3 का लक्ष्य सभी उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और कल्याण को बढ़ावा देना है, जिसमें मलेरिया जैसे रोगों का उन्मूलन भी शामिल है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- भारत में मलेरिया वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन की तैयारी को “वैश्विक स्वास्थ्य में एक गेम-चेंजर” क्यों माना जा सकता है? इस पहल से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों और आगे की संभावित राह पर चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में भारत की भूमिका के संदर्भ में, मलेरिया वैक्सीन का घरेलू उत्पादन किस प्रकार देश की रणनीतिक स्वायत्तता और सॉफ्ट पावर को मजबूत करता है? उदाहरणों सहित समझाइए। (15 अंक, 250 शब्द)
- मलेरिया उन्मूलन के लिए वैक्सीन को एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, केवल वैक्सीन पर निर्भरता पर्याप्त नहीं है। इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण करते हुए, मलेरिया नियंत्रण के लिए एक व्यापक, बहु-आयामी रणनीति के तत्वों पर प्रकाश डालिए। (15 अंक, 250 शब्द)