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मणिपुर का दर्द: 2 साल बाद PM का दौरा, शांति की पुकार और गहरी होती चुनौतियाँ

मणिपुर का दर्द: 2 साल बाद PM का दौरा, शांति की पुकार और गहरी होती चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल से अधिक समय से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर का दौरा किया। यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब राज्य में शांति की अपीलें तेज़ हो रही थीं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की जा रही थी। इंफाल और चुराचांदपुर में उनके भाषणों ने न केवल तात्कालिक स्थिति पर प्रकाश डाला, बल्कि भविष्य के लिए एक दिशा-निर्देश भी देने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री का यह दौरा मणिपुर के बहुआयामी संकट की ओर एक बार फिर से देश और दुनिया का ध्यान आकर्षित करता है, जिसने दो वर्षों में लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

मणिपुर हिंसा: दो वर्षों की लंबी और दर्दनाक गाथा (The Long and Painful Saga of Manipur Violence: Two Years)

मणिपुर, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता था, आज हिंसा, अविश्वास और विस्थापन का पर्याय बन गया है। मई 2023 में मेइती और कुकी समुदायों के बीच भड़की हिंसा, जो एक अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मांग से शुरू हुई थी, तेजी से एक सामुदायिक संघर्ष में बदल गई। इस संघर्ष ने न केवल जान-माल का भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि राज्य की सामाजिक ताने-बाने को भी गहरी चोट पहुंचाई है। लगभग दो वर्षों की इस अवधि में, राज्य के कई हिस्से अभी भी सामान्य जीवन से कोसों दूर हैं, और हज़ारों लोग विस्थापित होकर राहत शिविरों में जीवन गुज़ार रहे हैं।

इस हिंसा की जड़ें बहुत गहरी हैं और यह कई दशकों से पनप रही विभिन्न जातीय, राजनीतिक और आर्थिक चिंताओं का परिणाम है। म्यांमार से अवैध प्रवासन, भूमि उपयोग को लेकर विवाद, और जातीय पहचान की सुरक्षा को लेकर चिंताएं, ये सभी कारक एक विस्फोटक मिश्रण तैयार करते रहे हैं।

प्रधानमंत्री का दौरा: एक उम्मीद की किरण या महज एक औपचारिकता? (PM’s Visit: A Ray of Hope or Mere Formality?)

प्रधानमंत्री का दो साल बाद मणिपुर का दौरा, निश्चित रूप से, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इंफाल में उनके भाषण में “किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण” कहने के शब्द, और चुराचांदपुर में “शांति का रास्ता चुनें” की अपील, राज्य के नेतृत्व और लोगों के लिए एक स्पष्ट संदेश था।

“किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है। हम मणिपुर के लोगों से अपील करते हैं कि वे शांति और सद्भाव का मार्ग चुनें।” – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (आभासी रूप से)

इंफाल में, जहाँ कुकी समुदाय की बहुसंख्यक आबादी नहीं है, उनका यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से हिंसा को समाप्त करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है। वहीं, चुराचांदपुर, जो कुकी बहुल क्षेत्र है, में शांति का आह्वान, विशेष रूप से उस समुदाय के लिए एक संकेत हो सकता है, जो इस हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।

यात्रा का महत्व (Significance of the Visit)

  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ध्यान: इस दौरे ने एक बार फिर मणिपुर की विकट स्थिति पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ध्यान आकर्षित किया है।
  • शांति की अपील: प्रधानमंत्री की अपील, विशेषकर चुराचांदपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, सभी समुदायों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक कदम हो सकती है।
  • राहत और पुनर्वास का संकेत: दौरे का उद्देश्य प्रभावितों को राहत और पुनर्वास के प्रयासों को गति देने का भी हो सकता है।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन: यह दौरा सरकार की ओर से समस्या के समाधान के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करता है।

मणिपुर की जटिलता: क्यों भड़की हिंसा? (The Complexity of Manipur: Why Did the Violence Erupt?)

मणिपुर में हिंसा की जड़ें केवल एक घटना तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह दशकों के जातीय तनाव, भूमि विवाद, अवैध प्रवासन, और राजनीतिक उपेक्षा का परिणाम है। इस जटिलता को समझना, किसी भी समाधान के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रमुख कारण (Key Reasons)

  1. अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जा की मांग: मेइती समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 53% है और मुख्य रूप से घाटी क्षेत्र में रहता है, ने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांगा। मेइती समुदाय का तर्क है कि वे भी बाहरी लोगों से मुकाबला करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें अपनी संस्कृति और पहचान की सुरक्षा के लिए ST दर्जे की आवश्यकता है।
  2. कुकी समुदाय की चिंताएँ: दूसरी ओर, कुकी समुदाय, जो मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहता है और पहले से ही ST सूची में है, इस मांग का कड़ा विरोध कर रहा है। उनका मानना है कि मेइती समुदाय को ST दर्जा मिलने से उनकी ज़मीनी हक़दारी कम हो जाएगी और उनका सामाजिक-आर्थिक आधार कमजोर होगा। वे यह भी आरोप लगाते हैं कि मेइती समुदाय जंगल भूमि से अवैध कब्ज़े को हटाने के बहाने उन्हें उनके पारंपरिक आवासों से विस्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
  3. अवैध प्रवासन: सीमावर्ती राज्य होने के नाते, म्यांमार से अवैध प्रवासियों का मणिपुर में प्रवेश एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। कुकी समुदाय, जो म्यांमार के चिन राज्य के साथ जातीय समानता रखता है, पर अक्सर अवैध प्रवासियों को पनाह देने का आरोप लगाया जाता है, जबकि मेइती समुदाय का तर्क है कि यह राज्य की जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ रहा है।
  4. भूमि उपयोग को लेकर विवाद: राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 90% पहाड़ी है, जबकि केवल 10% घाटी है। मणिपुर का संविधान पहाड़ी क्षेत्रों में गैर-जनजातियों को भूमि खरीदने या रखने की अनुमति नहीं देता है, जबकि घाटी के लोगों की यह शिकायत है कि वे अपनी आबादी के अनुपात में ज़मीन का उपयोग नहीं कर पाते।
  5. नशीली दवाओं का व्यापार और उग्रवाद: मणिपुर, दक्षिण पूर्व एशिया के ‘गोल्डन ट्राएंगल’ के निकट स्थित होने के कारण, नशीली दवाओं के व्यापार और उग्रवाद से भी प्रभावित रहा है। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस हिंसा के पीछे ऐसे तत्व भी सक्रिय हो सकते हैं जो राज्य में अस्थिरता बनाए रखना चाहते हैं।
  6. प्रशासनिक विफलताएँ: राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने और समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने में विफल रहने के आरोप भी लगे हैं।

प्रधानमंत्री के भाषणों का विश्लेषण (Analysis of the Prime Minister’s Speeches)

प्रधानमंत्री के इंफाल और चुराचांदपुर के भाषणों में सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण संदेश छिपे थे।

इंफाल में: “किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण” (In Imphal: “Any Kind of Violence is Unfortunate”)

  • यह बयान व्यापक रूप से सभी समुदायों को संबोधित करता है, लेकिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए एक संदेश है जो हिंसा को किसी भी रूप में उचित ठहराते हैं।
  • यह राज्य सरकार और सुरक्षा बलों पर भी ज़िम्मेदारी डालता है कि वे हिंसा पर अंकुश लगाएं।
  • यह शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर ज़ोर देता है, जो कि राज्य के विकास के लिए सर्वोपरि है।

चुराचांदपुर में: “शांति का रास्ता चुनें” (In Churachandpur: “Choose the Path of Peace”)

  • यह बयान सीधे तौर पर कुकी समुदाय को संबोधित करता है, जो हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है और जिसमें सरकार के प्रति अविश्वास की भावना गहरी है।
  • “शांति का रास्ता” चुनने का आग्रह, हिंसा को छोड़कर बातचीत और सुलह की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए एक निमंत्रण है।
  • यह चुराचांदपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में जाकर, वहां के लोगों की भावनाओं को समझने और उन्हें आश्वस्त करने का एक प्रयास भी था।

चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and The Way Forward)

मणिपुर में शांति की बहाली एक बहुआयामी और जटिल प्रक्रिया है। प्रधानमंत्री के दौरे से एक नई ऊर्जा तो मिल सकती है, लेकिन वास्तविक समाधान के लिए कई बड़ी चुनौतियों से पार पाना होगा।

प्रमुख चुनौतियाँ (Major Challenges)

  • गहराता अविश्वास: दो वर्षों की हिंसा ने समुदायों के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है। इसे पाटना सबसे बड़ी चुनौती है।
  • हथियारों का प्रसार: हिंसा के दौरान भारी मात्रा में हथियार जमा हुए हैं। इन हथियारों को एकत्र करना और प्रसार रोकना एक बड़ी सुरक्षा चुनौती है।
  • विस्थापितों की वापसी: हज़ारों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। उनकी सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित करना एक मानवीय और प्रशासनिक चुनौती है।
  • राजनीतिक समाधान: जातीय पहचान, ज़मीन हक़दारी और स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर एक सर्वमान्य राजनीतिक समाधान खोजना आसान नहीं है।
  • पुनर्वास और आजीविका: हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास और आजीविका के अवसर पैदा करना, ताकि वे एक सामान्य जीवन जी सकें।
  • अवैध प्रवासन का मुद्दा: म्यांमार से अवैध प्रवासियों के मुद्दे को सुलझाना, राज्य की जनसांख्यिकी और सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • न्याय और जवाबदेही: हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाना और अपराधियों को जवाबदेह ठहराना, विश्वास बहाली के लिए आवश्यक है।

आगे की राह (The Way Forward)

  • सर्वसमावेशी संवाद: सभी समुदायों, नागरिक समाज संगठनों, और राज्य के नेताओं के साथ एक सर्वसमावेशी संवाद प्रक्रिया शुरू करना।
  • सुरक्षा बलों की भूमिका: निष्पक्ष और प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना, ताकि सभी समुदायों को सुरक्षित महसूस हो।
  • आर्थिक विकास: मणिपुर के आर्थिक विकास को गति देना, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में, जिससे रोज़गार के अवसर पैदा हों और क्षेत्रीय असंतुलन कम हो।
  • संविधानिक समाधान: उन मुद्दों का संवैधानिक और कानूनी समाधान खोजना जो जातीय तनाव का कारण बन रहे हैं, जैसे भूमि हक़दारी और स्वायत्तता।
  • अवैध प्रवासन पर नियंत्रण: सीमा प्रबंधन को मजबूत करना और अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वसन के लिए एक स्पष्ट नीति बनाना।
  • मीडिया की भूमिका: मीडिया को ज़िम्मेदारी से काम करना चाहिए और अफवाहों को फैलने से रोकना चाहिए, ताकि शांति बहाली में मदद मिले।
  • विश्वास बहाली के उपाय: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संयुक्त परियोजनाएं, और पीड़ित परिवारों के लिए सहायता जैसे विश्वास बहाली के उपाय लागू करना।

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण संकेत है, लेकिन यह समस्या का अंत नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में एक कदम है। “शांति का रास्ता” चुनना केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए धैर्य, समझ, और सभी हितधारकों के ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी। मणिपुर का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी प्रभावी ढंग से पिछले दो वर्षों के घावों को भरते हैं, अविश्वास की खाई को पाटते हैं, और एक ऐसे समावेशी समाज का निर्माण करते हैं जहाँ सभी समुदाय सुरक्षित, सम्मानित और समान रूप से विकसित हो सकें। यह केवल एक राज्य का मामला नहीं, बल्कि भारत की संघीय भावना और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मूल मंत्र की परीक्षा है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: हाल ही में प्रधानमंत्री के मणिपुर दौरे के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह दौरा मणिपुर में दो साल से अधिक समय से जारी हिंसा के बाद हुआ।
    2. प्रधानमंत्री ने इंफाल में “शांति का रास्ता चुनें” का नारा दिया।
    3. प्रधानमंत्री ने चुराचांदपुर में “किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण” कहा।

    उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?

    1. केवल a
    2. a और b
    3. b और c
    4. a, b और c

    उत्तर: A
    व्याख्या: प्रधानमंत्री ने इंफाल में “किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण” कहा और चुराचांदपुर में “शांति का रास्ता चुनें” का नारा दिया। इसलिए, कथन b और c गलत हैं।

  2. प्रश्न 2: मणिपुर में हालिया हिंसा के प्रमुख कारणों में से एक निम्नलिखित में से कौन सा है?
    1. म्यांमार से अवैध प्रवासन।
    2. नशीली दवाओं के व्यापार को लेकर संघर्ष।
    3. मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांगने पर विवाद।
    4. उपरोक्त सभी।

    उत्तर: D
    व्याख्या: मणिपुर में हिंसा के कई जटिल कारण हैं, जिनमें अवैध प्रवासन, नशीली दवाओं का व्यापार और ST दर्जे को लेकर समुदायों के बीच मतभेद शामिल हैं।

  3. प्रश्न 3: मणिपुर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. राज्य के लगभग 90% भौगोलिक क्षेत्र पहाड़ी है।
    2. मणिपुर का संविधान घाटी क्षेत्रों में गैर-जनजातियों को भूमि खरीदने की अनुमति देता है।

    उपरोक्त में से कौन सा कथन सत्य है?

    1. केवल a
    2. केवल b
    3. a और b दोनों
    4. न तो a और न ही b

    उत्तर: A
    व्याख्या: मणिपुर का लगभग 90% क्षेत्र पहाड़ी है। मणिपुर का संविधान पहाड़ी क्षेत्रों में गैर-जनजातियों को भूमि खरीदने या रखने की अनुमति नहीं देता है।

  4. प्रश्न 4: मणिपुर में हिंसा के संदर्भ में, कुकी समुदाय के बारे में निम्नलिखित में से क्या सत्य है?
    1. वे मुख्य रूप से घाटी क्षेत्र में रहते हैं।
    2. उनका मानना ​​है कि मेइती समुदाय को ST दर्जा मिलने से उनकी ज़मीनी हक़दारी कम हो जाएगी।
    3. वे म्यांमार के चिन राज्य के साथ जातीय समानता रखते हैं।

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    1. केवल a
    2. b और c
    3. a और c
    4. a, b और c

    उत्तर: B
    व्याख्या: कुकी समुदाय मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहता है, न कि घाटी में। वे म्यांमार के चिन राज्य के साथ जातीय समानता रखते हैं और मेइती समुदाय को ST दर्जा मिलने पर चिंता व्यक्त करते हैं।

  5. प्रश्न 5: ‘गोल्डन ट्राएंगल’ का संबंध निम्नलिखित में से किससे है?
    1. भारत और उसके पड़ोसियों के बीच व्यापार मार्ग।
    2. दक्षिण पूर्व एशिया में अफीम उत्पादन और नशीली दवाओं का व्यापार।
    3. हिमालयी क्षेत्र में पर्यटन।
    4. क्षेत्रीय शांति वार्ता।

    उत्तर: B
    व्याख्या: ‘गोल्डन ट्राएंगल’ दक्षिण पूर्व एशिया में एक क्षेत्र है जो अफीम उत्पादन और नशीली दवाओं के अवैध व्यापार के लिए जाना जाता है, और मणिपुर इसके निकट स्थित है।

  6. प्रश्न 6: मणिपुर की हिंसा के दीर्घकालिक समाधान के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक आवश्यक कदम नहीं है?
    1. सभी समुदायों के बीच सर्वसमावेशी संवाद।
    2. निष्पक्ष और प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था।
    3. अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वसन।
    4. हिंसा को भड़काने वाले तत्वों को छूट देना।

    उत्तर: D
    व्याख्या: हिंसा को भड़काने वाले तत्वों को छूट देना समाधान के बजाय समस्या को और बढ़ाएगा। अन्य सभी कदम शांति बहाली के लिए आवश्यक हैं।

  7. प्रश्न 7: “संविधान का अनुच्छेद 371C” (Article 371C of the Constitution) विशेष रूप से किस भारतीय राज्य से संबंधित है, और यह किस प्रकार की व्यवस्थाएँ प्रदान करता है?
    1. नागालैंड – जनजातीय विकास के लिए।
    2. मणिपुर – पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए।
    3. असम – जनजातीय परिषदों के लिए।
    4. मेघालय – स्वायत्त जिला परिषदों के लिए।

    उत्तर: B
    व्याख्या: संविधान का अनुच्छेद 371C मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में विशेष प्रावधान करता है।

  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्य सरकार के विश्वास बहाली के प्रयासों के संदर्भ में सत्य हो सकता है?
    1. विस्थापितों को सुरक्षित वापस लाना और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना।
    2. पीड़ित परिवारों को तत्काल राहत और मुआवजा प्रदान करना।
    3. सांस्कृतिक और सामुदायिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
    4. उपरोक्त सभी।

    उत्तर: D
    व्याख्या: ये सभी उपाय समुदायों के बीच विश्वास को फिर से स्थापित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद कर सकते हैं।

  9. प्रश्न 9: मणिपुर में महिलाओं की भूमिका के बारे में निम्नलिखित में से क्या सत्य है, खासकर सामाजिक आंदोलनों और शांति प्रयासों में?
    1. मणिपुर में महिलाओं ने ऐतिहासिक रूप से विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई है।
    2. ‘इमा कशाई’ (Imagi Ningols) या ‘मदर मार्केट’ की महिलाएँ सार्वजनिक जीवन में अपनी मुखरता के लिए जानी जाती हैं।
    3. शांति और सुलह के प्रयासों में भी महिलाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
    4. उपरोक्त सभी।

    उत्तर: D
    व्याख्या: मणिपुर की महिलाओं ने हमेशा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चाहे वह ‘मदर मार्केट’ के माध्यम से हो या शांति आंदोलनों के माध्यम से।

  10. प्रश्न 10: मणिपुर की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘हार्डवेयर’ (Hardware) समाधान है, न कि ‘सॉफ्टवेयर’ (Software) समाधान?
    1. सामुदायिक संवाद मंच स्थापित करना।
    2. सुरक्षा बलों की तैनाती और हथियारों को जब्त करना।
    3. पुनर्वास कार्यक्रमों को लागू करना।
    4. न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करना।

    उत्तर: B
    व्याख्या: सुरक्षा बलों की तैनाती और हथियारों को जब्त करना भौतिक या ‘हार्डवेयर’ समाधान हैं, जबकि संवाद, पुनर्वास और न्याय ‘सॉफ्टवेयर’ समाधान हैं जो प्रक्रिया और नीतियों पर केंद्रित होते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: मणिपुर में दो वर्षों से अधिक समय से जारी हिंसा की प्रकृति, कारणों और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। प्रधानमंत्री के हालिया दौरे के महत्व और आगे की राह में आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डालें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: मणिपुर में जातीय तनाव, विशेष रूप से मेइती और कुकी समुदायों के बीच, केवल ST दर्जे की मांग तक सीमित नहीं है। भूमि हक़दारी, सांस्कृतिक पहचान और अवैध प्रवासन जैसे अंतर्निहित मुद्दों का विश्लेषण करें। इन जटिलताओं को दूर करने के लिए दीर्घकालिक समाधानों पर चर्चा करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: मणिपुर जैसे राज्य में शांति और विश्वास की बहाली में राज्य सरकार, राष्ट्रीय नेतृत्व और नागरिक समाज की भूमिका की विवेचना करें। प्रधानमंत्री के हालिया दौरे को इन प्रयासों में एक उत्प्रेरक के रूप में कैसे देखा जा सकता है? (150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: “मणिपुर की समस्या को केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से हल नहीं किया जा सकता; इसके लिए एक समावेशी राजनीतिक और विकासात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।” इस कथन के आलोक में, मणिपुर में स्थायी शांति के लिए आवश्यक विभिन्न हितधारकों की जिम्मेदारियों का विश्लेषण करें। (150 शब्द)

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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