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भारत-पाकिस्तान तनाव: अमेरिका का अलर्ट और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चौंकाने वाली सच्चाई!

भारत-पाकिस्तान तनाव: अमेरिका का अलर्ट और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चौंकाने वाली सच्चाई!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस के दौरान, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक चौंकाने वाले खुलासे से देश को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान द्वारा एक बड़े आतंकी हमले की चेतावनी दी थी। यह बयान न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों की जटिलता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में अमेरिका की भूमिका और भारत की सुरक्षा चिंताओं पर भी प्रकाश डालता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे गोपनीय सैन्य अभियानों की चर्चा और ऐसे संवेदनशील खुलासे, UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा और समसामयिक मामलों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना की गहराई में उतरेगी, इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेगी, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके निहितार्थों को उजागर करेगी। हम समझेंगे कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या हो सकता है, अमेरिका की चेतावनी का क्या मतलब है, और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके क्या मायने हैं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’: एक गहन विश्लेषण

लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस का संदर्भ महत्वपूर्ण है। हालांकि इस ऑपरेशन का विस्तृत विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन जिस तरह से इसका उल्लेख किया गया, उससे यह स्पष्ट है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण या संवेदनशील अभियान रहा होगा। अक्सर, ऐसे अभियानों के नाम सांकेतिक होते हैं और उनका सीधा संबंध ऑपरेशन के उद्देश्य या उसके प्रभाव से हो सकता है। ‘सिंदूर’ शब्द का प्रयोग, जो भारतीय संस्कृति में शुभता और विवाहित महिलाओं से जुड़ा है, किसी विशेष क्षेत्र, समुदाय या किसी बड़े राष्ट्रव्यापी प्रभाव वाले ऑपरेशन का प्रतीक हो सकता है।

संभावित परिदृश्य (Possible Scenarios):**

  • आतंकवाद विरोधी अभियान: यह सबसे संभावित परिदृश्य है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किसी ऐसे बड़े आतंकी हमले को रोकने या उसका जवाब देने के लिए चलाया गया हो सकता है, जिसकी योजना पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा बनाई जा रही थी।
  • खुफिया जानकारी जुटाना: यह सीमा पार से महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी एकत्र करने से संबंधित हो सकता है, खासकर पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों या आतंकी ढांचों के बारे में।
  • प्रतीकात्मक कार्रवाई: कभी-कभी, ऐसे अभियानों का उद्देश्य केवल एक मजबूत संदेश देना होता है, जैसे कि सीमा पार उकसावे का जवाब देना या किसी विशेष घटना का बदला लेना।

अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस द्वारा दी गई चेतावनी, जो भारत के प्रधानमंत्री को संबोधित थी, इस बात का प्रमाण है कि यह खतरा कितना गंभीर माना जा रहा था। यह दर्शाता है कि अमेरिका को भी पाकिस्तान की ओर से भारतीय हितों के खिलाफ किसी बड़े एक्शन की भनक थी, और उन्होंने इस जानकारी को सीधे शीर्ष नेतृत्व के साथ साझा करना उचित समझा।

अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस की चेतावनी: भू-राजनीतिक पैंतरेबाज़ी या वास्तविक चिंता?

अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस का बयान, और इसका लोकसभा में उल्लेख, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में कई सवाल खड़े करता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि अमेरिका, विशेष रूप से उसके सीनेटर, भारत के प्रधान मंत्री को सीधे ऐसे अलर्ट क्यों देते हैं, और इसके पीछे उनके क्या हित हो सकते हैं?

अमेरिका के हित (US Interests):**

  • क्षेत्रीय स्थिरता: अमेरिका एक ऐसे क्षेत्र में स्थिरता चाहता है जहां उसके महत्वपूर्ण आर्थिक और सामरिक हित हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच बड़े पैमाने पर संघर्ष से इस क्षेत्र की स्थिरता भंग हो सकती है, जिससे अमेरिका के हितों को भी नुकसान पहुँच सकता है।
  • आतंकवाद का मुकाबला: अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार मानता है। पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा उत्पन्न खतरे को कम करना अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  • परमाणु अप्रसार: भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। उनके बीच किसी भी बड़े सैन्य टकराव की स्थिति में परमाणु हथियारों के उपयोग का जोखिम भी बढ़ जाता है, जिसे अमेरिका किसी भी कीमत पर टालना चाहेगा।
  • रणनीतिक साझेदारी: हाल के वर्षों में, अमेरिका ने भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए। ऐसी साझेदारी में, एक-दूसरे को महत्वपूर्ण सुरक्षा जानकारी साझा करना स्वाभाविक है।

सावधानी का पहलू (The Aspect of Caution):**
जेडी वेंस जैसे वरिष्ठ सीनेटर द्वारा दी गई चेतावनी को केवल एक रूटीन सूचना नहीं माना जा सकता। यह एक गंभीर खुफिया इनपुट का संकेत देता है, जिसे अमेरिकी खुफिया तंत्र ने सत्यापित किया होगा। इसका मतलब है कि पाकिस्तान द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का पैमाना इतना बड़ा हो सकता था कि यह केवल एक सीमा पार घुसपैठ या छोटे-मोटे हमले तक सीमित न रहता, बल्कि एक बड़े सैन्य या आतंकवादी टकराव का रूप ले सकता था।

क्या यह अमेरिका की ‘सलाह’ थी? (Was it America’s ‘Advice’?):**
यह संभावना है कि यह एक सूचना साझाकरण से अधिक था। यह एक प्रकार की ‘सलाह’ या ‘चेतावनी’ भी हो सकती थी कि यदि पाकिस्तान ऐसी कोई कार्रवाई करता है, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे, जिसमें अमेरिका की प्रतिक्रिया भी शामिल हो सकती है। यह पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाने का एक तरीका भी हो सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता

विदेश मंत्री जयशंकर के बयान से यह स्पष्ट है कि भारत को इस चेतावनी पर संज्ञान लेना पड़ा और उसके अनुसार कार्रवाई करनी पड़ी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख उसी प्रतिक्रिया के संदर्भ में हुआ होगा। यदि यह ऑपरेशन पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित बड़े हमले को रोकने में सफल रहा, तो यह भारत की खुफिया और सैन्य तैयारियों की एक बड़ी सफलता मानी जाएगी।

खुफिया तंत्र की भूमिका (Role of Intelligence Agencies):**
इस पूरे प्रकरण में भारत की खुफिया एजेंसियों (जैसे RAW और IB) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही होगी। उन्होंने न केवल अमेरिकी इनपुट का विश्लेषण किया होगा, बल्कि सीमा पार से किसी भी संभावित खतरे का पता लगाने के लिए अपनी निगरानी और परिचालन को भी तेज किया होगा।

सैन्य तैयारी (Military Preparedness):**
ऐसी चेतावनियों के जवाब में, भारतीय सशस्त्र बलों को उच्च सतर्कता पर रखा गया होगा। वायु सेना, थल सेना और नौसेना ने अपनी रणनीतिक और सामरिक तैयारियों को मजबूत किया होगा ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके।

कूटनीतिक प्रतिक्रिया (Diplomatic Response):**
हालांकि सार्वजनिक रूप से शायद ज्यादा खुलासा न हुआ हो, लेकिन इस चेतावनी के बाद भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी कई कदम उठाए होंगे। इसमें अमेरिका के साथ समन्वय, और संभवतः पाकिस्तान को भी अपनी कार्रवाई को नियंत्रित करने के लिए परोक्ष या अपरोक्ष संदेश देना शामिल हो सकता है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का महत्व (Significance of ‘Operation Sindoor’):**
यदि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने वास्तव में एक बड़े हमले को रोका, तो इसका महत्व केवल सैन्य सफलता तक सीमित नहीं है। यह भारत की निवारक क्षमता (deterrence capability) को भी मजबूत करता है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल संभावित खतरों की पहचान कर सकता है, बल्कि उन्हें प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी भी कर सकता है।

भारत-पाकिस्तान संबंध: अनवरत तनाव का एक और अध्याय

यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों में व्याप्त गहरे अविश्वास और सतत तनाव को एक बार फिर रेखांकित करती है। यह दिखाता है कि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता कितनी नाजुक है, और बाहरी ताकतों (जैसे अमेरिका) को भी इस समीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ती है।

पाकिस्तान की भूमिका (Pakistan’s Role):**
पाकिस्तान की विदेश नीति का एक बड़ा हिस्सा भारत-विरोधी गतिविधियों, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहा है। ऐसे में, यह संभव है कि पाकिस्तान ने भारत पर दबाव बनाने या किसी विशेष एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर आतंकी हमले की योजना बनाई हो।

भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति और निवारक क्षमता (India’s ‘No First Use’ Policy and Deterrence):**
भारत की परमाणु नीति ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले उपयोग नहीं) की है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत हमले का इंतजार करेगा। भारत की निवारक क्षमता को इतना मजबूत माना जाता है कि कोई भी हमलावर देश अपने हमले के परिणामों पर गंभीरता से विचार करे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अमेरिकी चेतावनी, भारत की निवारक क्षमता की प्रभावशीलता का एक अप्रत्यक्ष प्रमाण हो सकती है।

“हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। हम किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, चाहे वह सीमा पार से हो या किसी अन्य माध्यम से।” – एक वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)

भू-राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Geopolitics and International Relations):**

  • भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन।
  • पाकिस्तान की विदेश नीति और उसका आतंकवाद से संबंध।
  • परमाणु अप्रसार और निवारक सिद्धांत।

राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security):**

  • खुफिया एजेंसियों की भूमिका और कार्यप्रणाली।
  • आतंकवाद विरोधी रणनीतियाँ और अभियान।
  • सैन्य तैयारी और रक्षा कूटनीति।

समसामयिक मामले (Current Affairs):**

  • अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं पर भारत की प्रतिक्रिया।
  • लोकसभा में महत्वपूर्ण बहसें और उनके निहितार्थ।

मुख्य परीक्षा (Mains)

पेपर I (भारतीय समाज और इतिहास):**

इस संदर्भ में सीधी प्रासंगिकता कम है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से, यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के महत्व को रेखांकित करता है, जो भारतीय समाज के लिए मौलिक हैं।

पेपर II (शासन, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:**

  • भारत-अमेरिका संबंधों का विश्लेषण, विशेष रूप से सुरक्षा सहयोग के संदर्भ में।
  • दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन और भारत की स्थिति।
  • अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की जवाबदेही।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की कूटनीति।

राष्ट्रीय सुरक्षा:**

  • भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ, जिसमें सीमा पार आतंकवाद प्रमुख है।
  • भारत की निवारक क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति।
  • खुफिया जानकारी का महत्व और सूचना का प्रभावी उपयोग।
  • रक्षा क्षेत्र में आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता।

शासन (Governance):**

  • राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णयों में प्रधानमंत्री और कैबिनेट की भूमिका।
  • संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और जवाबदेही।

पेपर III (आर्थिक विकास, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन)

विज्ञान और प्रौद्योगिकी:**

  • खुफिया जानकारी जुटाने में आधुनिक तकनीक का उपयोग।
  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की भूमिका।

आपदा प्रबंधन:**

  • बड़े पैमाने पर आतंकी हमले को एक संभावित आपदा के रूप में देखना और उससे निपटने की तैयारी।

पेपर IV (नीतिशास्त्र और सत्यनिष्ठा)

नैतिक दुविधाएं (Ethical Dilemmas):**

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गुप्त अभियानों की आवश्यकता और उनकी पारदर्शिता।
  • जनता के हितों की रक्षा में सरकार की जवाबदेही।
  • खुफिया जानकारी का नैतिक उपयोग।

आगे की राह (Way Forward)

यह घटना भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश देती है: राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और इसके लिए निरंतर सतर्कता, मजबूत खुफिया तंत्र और प्रभावी कूटनीति की आवश्यकता है।

  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: भारत को अपनी खुफिया एजेंसियों को अत्याधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित कर्मियों से लैस करना जारी रखना चाहिए।
  • रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना: अमेरिका और अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए सहयोग बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
  • निवारक क्षमता का विस्तार: भारत को अपनी रक्षा तैयारियों को इतना मजबूत रखना चाहिए कि कोई भी दुश्मन हमला करने से पहले दस बार सोचे।
  • कूटनीतिक सक्रियता: पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाए रखना और उसे अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकी समूहों को नियंत्रित करने के लिए मजबूर करना आवश्यक है।
  • जन जागरूकता: ऐसी घटनाओं के बारे में पारदर्शी जानकारी (जहां राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा न हो) जन जागरूकता बढ़ाती है और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करती है।

अंत में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अमेरिकी सीनेटर की चेतावनी, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है कि एक जटिल और अप्रत्याशित पड़ोस में, शांति बनाए रखने और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए निरंतर प्रयास और सुदृढ़ तैयारी की आवश्यकता होती है। UPSC उम्मीदवार के रूप में, आपको इन बहुआयामी मुद्दों को समझना चाहिए और उनका विश्लेषण करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल ही में लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस के संदर्भ में, भारत के प्रधानमंत्री को पाकिस्तान द्वारा बड़े हमले की चेतावनी किस अमेरिकी सीनेटर ने दी थी?
(a) टेड क्रूज़
(b) जेडी वेंस
(c) जॉन कॉर्निन
(d) मिच मैककोनेल
उत्तर: (b) जेडी वेंस
व्याख्या: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि अमेरिकी सीनेटर जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान द्वारा एक बड़े आतंकी हमले की चेतावनी दी थी।

2. भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव का मुख्य कारण क्या रहा है, जैसा कि अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा चर्चाओं में सामने आता है?
(a) जल विवाद
(b) सीमा पार आतंकवाद
(c) सांस्कृतिक मतभेद
(d) आर्थिक प्रतिस्पर्धा
उत्तर: (b) सीमा पार आतंकवाद
व्याख्या: पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना लंबे समय से भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव का एक प्रमुख कारण रहा है।

3. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य अभियानों का प्राथमिक उद्देश्य क्या हो सकता है?
(a) केवल सीमा पर गश्त बढ़ाना
(b) बड़े आतंकी हमलों को रोकना या उनका जवाब देना
(c) सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना
(d) आर्थिक संबंध मजबूत करना
उत्तर: (b) बड़े आतंकी हमलों को रोकना या उनका जवाब देना
व्याख्या: ऐसे अभियानों के नाम अक्सर सांकेतिक होते हैं और उनका संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से, विशेषकर आतंकवाद विरोधी गतिविधियों से होता है।

4. अमेरिका द्वारा भारत को इस प्रकार की महत्वपूर्ण सुरक्षा चेतावनी देने के पीछे अमेरिका के संभावित हित क्या हो सकते हैं?
(a) भारत को अकेला छोड़ देना
(b) क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और अपने सामरिक हितों की रक्षा करना
(c) पाकिस्तान का पक्ष लेना
(d) भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना
उत्तर: (b) क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना और अपने सामरिक हितों की रक्षा करना
व्याख्या: अमेरिका किसी भी बड़े संघर्ष से बचना चाहता है जो उसके आर्थिक और सामरिक हितों को प्रभावित करे, और वह क्षेत्र में स्थिरता चाहता है।

5. निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय खुफिया एजेंसी देश की आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)
(b) इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
(c) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
(d) प्रवर्तन निदेशालय (ED)
उत्तर: (b) इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
व्याख्या: इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) भारत की आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी गतिविधियों और देश के भीतर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए जिम्मेदार है। RAW विदेशी खुफिया जानकारी के लिए है।

6. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में, ‘निवारक क्षमता’ (Deterrence Capability) का अर्थ है:
(a) केवल आत्मरक्षा के लिए तैयार रहना
(b) किसी भी संभावित हमलावर को उसकी कार्रवाई के गंभीर परिणाम का एहसास कराना ताकि वह हमला न करे
(c) केवल कूटनीतिक तरीकों से दुश्मनों को रोकना
(d) केवल सैन्य अभ्यास करना
उत्तर: (b) किसी भी संभावित हमलावर को उसकी कार्रवाई के गंभीर परिणाम का एहसास कराना ताकि वह हमला न करे
व्याख्या: निवारक क्षमता का अर्थ है कि देश अपनी ताकत के प्रदर्शन से विरोधी को हमला करने से हतोत्साहित करता है।

7. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों के संदर्भ में, लोकसभा में चर्चा का क्या महत्व है?
(a) जनता का ध्यान भटकाना
(b) राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना
(c) केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन
(d) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को कमजोर करना
उत्तर: (b) राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना
व्याख्या: संसद में ऐसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाती है।

8. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका की बढ़ती रणनीतिक रुचि का एक मुख्य कारण क्या है?
(a) चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना
(b) भारत के साथ व्यापार बढ़ाना
(c) क्षेत्र में स्थिरता स्थापित करना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: अमेरिका इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित करने के लिए भारत जैसे भागीदारों के साथ जुड़ाव बढ़ा रहा है।

9. भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ (No First Use) परमाणु नीति का क्या अर्थ है?
(a) भारत पहले परमाणु हथियार का प्रयोग नहीं करेगा
(b) भारत किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा
(c) भारत केवल आत्मरक्षा में ही परमाणु हथियारों का प्रयोग करेगा
(d) भारत परमाणु हथियारों का प्रयोग कभी नहीं करेगा
उत्तर: (b) भारत किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा
व्याख्या: ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति का अर्थ है कि भारत किसी भी देश के खिलाफ पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा, लेकिन यदि उस पर रासायनिक या जैविक हमला होता है, तो वह परमाणु प्रतिक्रिया का अधिकार सुरक्षित रखता है।

10. हालिया घटनाक्रम के आलोक में, भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग को किस रूप में देखा जा सकता है?
(a) सामरिक साझेदारी का विस्तार
(b) केवल सूचना साझाकरण
(c) क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति संयुक्त प्रतिबद्धता
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग में सामरिक साझेदारी, खुफिया जानकारी साझा करना और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का मिलकर सामना करना शामिल है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस और अमेरिकी सीनेटर की चेतावनी के आलोक में, भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की वर्तमान गतिशीलता और भविष्य की दिशा का विश्लेषण करें, विशेष रूप से सुरक्षा और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान के संदर्भ में। (लगभग 250 शब्द)
  2. भारत को सीमा पार आतंकवाद से निपटने में किन प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों और बाहरी सुरक्षा इनपुट की भूमिका पर चर्चा करते हुए, भारत की निवारक क्षमता को मजबूत करने के उपायों का सुझाव दें। (लगभग 250 शब्द)
  3. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सूचना का आदान-प्रदान एक महत्वपूर्ण उपकरण है। हालिया घटनाक्रम के आधार पर, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय खुफिया जानकारी के महत्व का मूल्यांकन करें और इन सूचनाओं के प्रभावी उपयोग में आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डालें। (लगभग 150 शब्द)
  4. भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव का एक प्रमुख कारण सीमा पार आतंकवाद रहा है। इस संदर्भ में, भारत की कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियों की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें और शांति की दिशा में संभावित समाधान सुझाएं। (लगभग 150 शब्द)

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