भारत पर 50% टैरिफ: अमेरिका के कदम से व्यापार युद्ध का खतरा, जानें पूरा माजरा!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लगाया है, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुँच गया है। इस कदम ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। भारत सरकार ने इसे ‘अन्यायपूर्ण’ बताते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह घटनाक्रम वैश्विक व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है, जिसके कारण यह UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है।
अमेरिकी टैरिफ नीति: एक विस्तृत विश्लेषण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा लगाए गए ये टैरिफ, भारत के निर्यातकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये टैरिफ क्यों लगाए गए हैं, इनका प्रभाव क्या होगा, और भारत की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है।
1. टैरिफ क्या है और यह कैसे काम करता है?
सरल शब्दों में, टैरिफ किसी देश में आयात (दूसरे देश से माल लाना) या निर्यात (दूसरे देश को माल भेजना) किए जाने वाले सामान पर लगाया जाने वाला कर या शुल्क है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना, सरकारी राजस्व बढ़ाना या कुछ देशों को दंडित करना हो सकता है।
- आयात टैरिफ: जब कोई देश किसी दूसरे देश से सामान खरीदता है, तो उस पर जो शुल्क लगता है। यह आयातित माल को महंगा बनाता है, जिससे घरेलू स्तर पर उत्पादित वस्तुएं अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाती हैं।
- निर्यात टैरिफ: जब कोई देश अपने देश से सामान बाहर भेजता है, तो उस पर जो शुल्क लगता है। यह निर्यात को हतोत्साहित कर सकता है।
इस मामले में, अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कुछ विशिष्ट सामानों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे पहले से मौजूद टैरिफ के साथ कुल टैरिफ 50% हो गया है।
2. टैरिफ लगाने के अमेरिकी कारण (संभावित)
अमेरिकी प्रशासन द्वारा टैरिफ लगाने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जो अक्सर ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति से प्रेरित होते हैं:
- व्यापार घाटा (Trade Deficit): अमेरिका अक्सर उन देशों के साथ अपने व्यापार घाटे को लेकर चिंतित रहता है जहां वह आयात अधिक करता है और निर्यात कम। यदि अमेरिका भारत से अधिक आयात करता है, तो वह इस घाटे को कम करने के लिए टैरिफ लगा सकता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): कुछ मामलों में, विशेषकर प्रौद्योगिकी या महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर, राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाए जा सकते हैं।
- अनुचित व्यापार प्रथाएं (Unfair Trade Practices): अमेरिका उन देशों पर आरोप लगा सकता है कि वे अपनी वस्तुओं को अनुचित तरीके से सस्ता बेच रहे हैं (जैसे सब्सिडी देना) या अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार में बाधाएं खड़ी कर रहे हैं।
- प्रतिशोध (Retaliation): कभी-कभी, एक देश द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में दूसरा देश भी टैरिफ लगाता है, जिसे प्रतिशोध कहा जाता है।
- वार्ता की रणनीति (Negotiation Tactic): टैरिफ को अक्सर व्यापार वार्ताओं में एक मजबूत स्थिति बनाने या दूसरे देश को रियायतें देने के लिए मजबूर करने की रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
उपमा: सोचिए एक दुकानदार है जो कहता है, “मेरे पड़ोस के दुकानदार मुझसे सस्ते सामान बेच रहे हैं, जिससे मेरा व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। इसलिए, मैं उन दुकानदारों के सामान पर ज़्यादा टैक्स लगाऊंगा जो मेरी दुकान से खरीदते हैं, ताकि मेरे अपने ग्राहक मेरे पास आएं।”
3. भारत पर 50% टैरिफ का प्रभाव
यह 50% टैरिफ कई स्तरों पर प्रभाव डाल सकता है:
- भारतीय निर्यातकों पर:
- लागत में वृद्धि: अमेरिकी ग्राहकों के लिए भारतीय उत्पादों की लागत बढ़ जाएगी।
- मांग में कमी: बढ़ी हुई लागत के कारण अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग घट सकती है।
- प्रतिस्पर्धात्मकता का नुकसान: अन्य देश जो समान वस्तुएं बेचते हैं, लेकिन उन पर कम टैरिफ है, वे अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
- मुनाफे में कमी: निर्यातकों को या तो अपने लाभ मार्जिन को कम करना पड़ सकता है या कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं।
- अमेरिकी उपभोक्ताओं पर:
- महंगी वस्तुएं: उन्हें भारतीय सामान खरीदने के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा।
- विकल्पों का सीमित होना: यदि वे भारतीय उत्पादों के विकल्प नहीं ढूंढ पाते हैं, तो उन्हें या तो अधिक भुगतान करना पड़ेगा या उन वस्तुओं को छोड़ना पड़ सकता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर:
- निर्यात आय में कमी: कुल निर्यात में कमी से विदेशी मुद्रा आय प्रभावित हो सकती है।
- रोजगार पर असर: जिन उद्योगों का निर्यात अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर करता है, वहां रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं।
- निवेश पर असर: अनिश्चितता और घटते निर्यात के कारण विदेशी और घरेलू निवेश प्रभावित हो सकता है।
- द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर:
- तनाव में वृद्धि: इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक और आर्थिक तनाव बढ़ सकता है।
- व्यापार युद्ध (Trade War): यदि भारत जवाबी कार्रवाई करता है, तो यह एक पूर्ण विकसित व्यापार युद्ध का रूप ले सकता है, जहाँ दोनों देश एक-दूसरे पर टैरिफ लगाते हैं।
उदाहरण: मान लीजिए भारत अमेरिका को विशेष प्रकार के चमड़े के जूते निर्यात करता है। यदि अमेरिका 50% टैरिफ लगाता है, तो वे जूते अमेरिका में $100 के बजाय $150 में बिकेंगे। इससे अमेरिकी खरीदार या तो कम जूते खरीदेंगे, या सस्ते चीनी या वियतनामी जूतों की ओर बढ़ेंगे। इससे भारतीय जूता निर्माताओं के ऑर्डर कम हो जाएंगे।
भारत की प्रतिक्रिया: ‘अन्यायपूर्ण’ और ‘आवश्यक कदम’
भारत सरकार की प्रतिक्रिया अक्सर संतुलित और रणनीतिक होती है। इस मामले में, भारत ने टैरिफ को “अन्यायपूर्ण” करार दिया है, जिसका अर्थ है कि भारत का मानना है कि ये टैरिफ अनुचित या पक्षपातपूर्ण हैं।
1. भारत की ‘अन्यायपूर्ण’ कहने की पृष्ठभूमि
भारत शायद यह महसूस करता है कि अमेरिकी दावों के विपरीत, वह कोई अनुचित व्यापार प्रथाएं नहीं कर रहा है, या अमेरिका के टैरिफ का आधार कमजोर है। यह संभव है कि अमेरिका ने भारत की कुछ नीतियों को गलत समझा हो या उन पर अनुचित रूप से प्रतिक्रिया दी हो।
2. ‘आवश्यक कदम उठाने’ का क्या मतलब है?
जब कोई देश कहता है कि वह ‘आवश्यक कदम उठाएगा’, तो इसका आमतौर पर मतलब होता है:
- जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariffs): भारत भी अमेरिका से आयात होने वाले कुछ सामानों पर टैरिफ लगा सकता है। यह एक आम रणनीति है जहां एक देश दूसरे के टैरिफ का जवाब उसी तरह देता है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत: यदि भारत को लगता है कि अमेरिकी कदम WTO के नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो वह WTO में शिकायत दर्ज करा सकता है।
- वार्ता के माध्यम से समाधान: भारत अमेरिका के साथ बातचीत करने का प्रयास कर सकता है ताकि मुद्दे को सुलझाया जा सके और टैरिफ को हटाया जा सके।
- घरेलू उद्योगों को सहायता: सरकार उन भारतीय उद्योगों को सहायता प्रदान कर सकती है जो अमेरिकी टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
सरल उदाहरण: यदि कोई आपसे बिना किसी कारण के आपके हिस्से का केक छीन लेता है, तो आप कहेंगे कि यह ‘अन्यायपूर्ण’ है। और बदले में, आप भी उसके हिस्से का कुछ ले सकते हैं या शिकायत कर सकते हैं – ये ‘आवश्यक कदम’ होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और टैरिफ: व्यापक परिप्रेक्ष्य
यह घटनाक्रम केवल भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार व्यवस्था को भी प्रभावित करता है।
1. संरक्षणवाद (Protectionism) का बढ़ता चलन
पिछले कुछ वर्षों में, दुनिया भर में संरक्षणवाद का चलन बढ़ा है। कई देश अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए टैरिफ और अन्य बाधाओं का उपयोग कर रहे हैं। यह वैश्विक व्यापार के उदारीकरण के सिद्धांतों के विपरीत है।
2. विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका
WTO एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को सुनिश्चित करता है। यह देशों को व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। टैरिफ जैसे मुद्दे WTO के नियमों के तहत आते हैं। यदि अमेरिका या भारत WTO के नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो यह वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए एक चुनौती पेश करता है।
3. व्यापार युद्ध के परिणाम
एक पूर्ण विकसित व्यापार युद्ध के गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- वैश्विक आर्थिक मंदी: देशों के बीच बढ़ता व्यापार तनाव वैश्विक आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है।
- महंगाई: टैरिफ के कारण आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ सकती है।
- आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाय चेन) को बदलने के लिए मजबूर हो सकती हैं, जिससे लागत और जटिलता बढ़ सकती है।
- भू-राजनीतिक तनाव: आर्थिक विवाद अक्सर भू-राजनीतिक तनावों को बढ़ा देते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अध्ययन बिंदु
इस समाचार को UPSC के दृष्टिकोण से समझने के लिए, निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade):
- व्यापार की शर्तें (Terms of Trade)
- व्यापार संतुलन (Balance of Trade) और व्यापार घाटा (Trade Deficit)
- मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements) और संरक्षणवाद
- निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं (Export Promotion Schemes)
- भुगतान संतुलन (Balance of Payments)
2. भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy):
- निर्यात-उन्मुख उद्योग (Export-Oriented Industries)
- विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector)
- रोजगार सृजन (Employment Generation)
- विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves)
- आर्थिक विकास पर बाहरी झटके (External Shocks on Economic Growth)
3. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):
- द्विपक्षीय व्यापार संबंध (Bilateral Trade Relations)
- बहुपक्षीय व्यापार निकाय (Multilateral Trade Bodies) जैसे WTO
- भू-अर्थशास्त्र (Geoeconomics)
- व्यापार कूटनीति (Trade Diplomacy)
4. अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organizations):
- विश्व व्यापार संगठन (WTO): इसके सिद्धांत, विवाद समाधान तंत्र (Dispute Settlement Mechanism)
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) की भूमिका (अप्रत्यक्ष रूप से, वैश्विक व्यापार पर प्रभाव के संदर्भ में)
5. समसामयिक मामले (Current Affairs):
- हालिया व्यापारिक नीतियां और समझौते
- प्रमुख देशों के बीच व्यापारिक विवाद
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध: एक संक्षिप्त अवलोकन
भारत और अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और उनके बीच व्यापारिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। अमेरिका भारत के लिए एक प्रमुख निर्यात बाजार है, और भारत अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। हालाँकि, हमेशा कुछ मुद्दों पर मतभेद रहे हैं, जैसे कि:
- डेटा स्थानीयकरण (Data Localization) की मांग: भारत की कुछ कंपनियों के लिए डेटा को देश में ही रखने की नीति।
- बाजार पहुंच (Market Access): अमेरिकी कंपनियों की भारतीय बाजार तक आसान पहुंच की मांग।
- बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR): दवाओं और अन्य उत्पादों पर।
यह नया टैरिफ विवाद इन मौजूदा मुद्दों में एक और आयाम जोड़ता है।
भविष्य की राह: क्या हो सकता है?
इस स्थिति के कई संभावित परिणाम हो सकते हैं:
- सौहार्दपूर्ण समाधान: दोनों देश बातचीत के माध्यम से एक समझौते पर पहुंच सकते हैं, जिसमें टैरिफ को कम या समाप्त किया जा सकता है।
- जवाबी कार्रवाई और तनाव वृद्धि: यदि भारत जवाबी टैरिफ लगाता है, तो स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो सकते हैं।
- WTO का हस्तक्षेप: यदि विवाद WTO तक पहुंचता है, तो WTO अपने नियमों के अनुसार निर्णय ले सकता है, हालांकि यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है।
- बाजारों का विविधीकरण: भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार पर अपनी निर्भरता कम करने और अन्य बाजारों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
“अंतर्राष्ट्रीय व्यापार युद्ध, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, अंततः सभी शामिल पक्षों के लिए महंगा साबित होता है।” – एक अज्ञात अर्थशास्त्री
UPSC उम्मीदवारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस घटना को केवल एक समाचार के रूप में न देखें, बल्कि इसके पीछे के आर्थिक, राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के पहलुओं को समझें। इससे आपको न केवल परीक्षा में बल्कि एक सूचित नागरिक के रूप में भी मदद मिलेगी।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा टैरिफ का प्राथमिक उद्देश्य नहीं है?
(a) घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना
(b) सरकारी राजस्व बढ़ाना
(c) विदेशी मुद्रा भंडार को कम करना
(d) अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना
उत्तर: (c)
व्याख्या: टैरिफ का उद्देश्य आमतौर पर आयात को महंगा बनाकर घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना, राजस्व बढ़ाना और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना होता है। विदेशी मुद्रा भंडार को कम करना इसका प्राथमिक उद्देश्य नहीं है, बल्कि यह अप्रत्यक्ष रूप से भुगतान संतुलन को प्रभावित कर सकता है। - प्रश्न: ‘व्यापार घाटा’ (Trade Deficit) का क्या अर्थ है?
(a) किसी देश द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य, आयात की जाने वाली वस्तुओं के मूल्य से अधिक होना।
(b) किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य, निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के मूल्य से अधिक होना।
(c) किसी देश द्वारा अन्य देशों को दिए जाने वाले ऋणों की कुल राशि।
(d) किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर।
उत्तर: (b)
व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब एक देश आयात पर अधिक खर्च करता है जितना वह निर्यात से कमाता है। - प्रश्न: विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह वस्तुओं, सेवाओं और बौद्धिक संपदा के व्यापार को नियंत्रित करता है।
2. इसके निर्णय सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी होते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: WTO वस्तुओं (GATT), सेवाओं (GATS) और बौद्धिक संपदा (TRIPS) के व्यापार को नियंत्रित करता है। इसके नियम और निर्णय (विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से) सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी होते हैं। - प्रश्न: ‘संरक्षणवाद’ (Protectionism) से क्या तात्पर्य है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करना।
(b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर प्रतिबंध लगाना।
(c) मुक्त व्यापार समझौतों को बढ़ावा देना।
(d) विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: संरक्षणवाद वह आर्थिक नीति है जो घरेलू उद्योगों को टैरिफ, सब्सिडी और अन्य सरकारी विनियमों के माध्यम से विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाती है। - प्रश्न: यदि अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है, तो इसका भारत के निर्यात पर क्या प्रभाव पड़ने की सबसे अधिक संभावना है?
(a) भारतीय निर्यात सस्ते हो जाएंगे और मांग बढ़ेगी।
(b) भारतीय निर्यात महंगे हो जाएंगे और मांग घटेगी।
(c) भारतीय निर्यातकों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
(d) अमेरिकी उपभोक्ता अधिक लाभान्वित होंगे।
उत्तर: (b)
व्याख्या: टैरिफ लगाने से आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे उनकी मांग घट जाती है। - प्रश्न: ‘प्रतिशोध’ (Retaliation) की व्यापार नीति का क्या अर्थ है?
(a) किसी देश द्वारा दूसरे देश के उत्पादों पर टैरिफ लगाना।
(b) एक देश द्वारा दूसरे देश के टैरिफ के जवाब में समान या समकक्ष टैरिफ लगाना।
(c) किसी देश द्वारा व्यापार घाटे को कम करने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करना।
(d) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों का पालन करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: प्रतिशोध तब होता है जब एक देश दूसरे देश के व्यापारिक प्रतिबंधों या टैरिफ का जवाब उसी तरह के उपायों से देता है। - प्रश्न: ‘अमेरिकी फर्स्ट’ (America First) नीति का झुकाव किस ओर अधिक है?
(a) वैश्विक सहयोग और मुक्त व्यापार
(b) संरक्षणवाद और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता
(c) अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को मजबूत करना
(d) विकासशील देशों को सहायता देना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का मुख्य जोर अमेरिका के आर्थिक और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने पर है, जिसमें अक्सर संरक्षणवादी व्यापारिक नीतियां शामिल होती हैं। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र भारतीय निर्यात के लिए अमेरिका की एक प्रमुख बाजार है?
(a) पेट्रोलियम उत्पाद
(b) सॉफ्टवेयर सेवाएं और फार्मास्यूटिकल्स
(c) कपड़ा
(d) कृषि उत्पाद
उत्तर: (b)
व्याख्या: जबकि अन्य क्षेत्रों का भी निर्यात होता है, अमेरिका भारत के लिए सॉफ्टवेयर सेवाओं और फार्मास्यूटिकल्स का एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण बाजार है। - प्रश्न: टैरिफ के कारण उत्पन्न होने वाले संभावित ‘व्यापार युद्ध’ (Trade War) का एक प्रमुख नकारात्मक परिणाम क्या हो सकता है?
(a) वैश्विक आर्थिक वृद्धि में तेजी
(b) उपभोक्ताओं के लिए कम कीमतें
(c) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान और अनिश्चितता
(d) देशों के बीच बेहतर राजनयिक संबंध
उत्तर: (c)
व्याख्या: व्यापार युद्धों से व्यापारिक बाधाएं बढ़ती हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होती हैं, अनिश्चितता बढ़ती है, और वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा पैदा होता है। - प्रश्न: भारत द्वारा अमेरिका के टैरिफ को ‘अन्यायपूर्ण’ बताने का क्या अर्थ हो सकता है?
(a) भारत मानता है कि अमेरिका के कार्य WTO नियमों के अनुरूप नहीं हैं।
(b) भारत का मानना है कि ये टैरिफ केवल प्रतीकात्मक हैं।
(c) भारत को इन टैरिफ से कोई नुकसान नहीं हो रहा है।
(d) भारत इन टैरिफ को पूरी तरह से स्वीकार करता है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: जब कोई देश किसी देश के टैरिफ को ‘अन्यायपूर्ण’ बताता है, तो उसका तात्पर्य यह होता है कि ये टैरिफ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों (जैसे WTO नियमों) का उल्लंघन करते हैं या अनुचित हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: हालिया अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के आलोक में, भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर इसके संभावित प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति के संदर्भ में इस घटना का विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संरक्षणवादी नीतियों और व्यापार युद्धों के व्यापक परिणामों पर चर्चा करें। भारत को ऐसे परिदृश्यों का सामना करने के लिए क्या रणनीतिक कदम उठाने चाहिए? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न: विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में स्थिरता बनाए रखने में कितनी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जब सदस्य देश एकतरफा टैरिफ लगाते हैं? भारत के परिप्रेक्ष्य से WTO की प्रासंगिकता का आकलन करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: एक राष्ट्र की आर्थिक संप्रभुता को बनाए रखने के लिए “आयात प्रतिस्थापन” (Import Substitution) और “निर्यात संवर्धन” (Export Promotion) रणनीतियों के बीच संतुलन कैसे आवश्यक है? अमेरिकी टैरिफ नीति के संदर्भ में इस पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)