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भारत-चीन सीमा विवाद: SC का राहुल गांधी से सवाल और सच्चाई का सच

भारत-चीन सीमा विवाद: SC का राहुल गांधी से सवाल और सच्चाई का सच

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है, जिसने देश भर में राजनीतिक और सार्वजनिक चर्चा को हवा दी है। यह सवाल भारत-चीन सीमा पर चीनी सेना द्वारा कथित तौर पर भारतीय भूमि पर कब्जा करने के राहुल गांधी के दावों से संबंधित है। न्यायालय ने पूछा है कि श्री गांधी को इस बात की कैसे जानकारी है कि चीन ने जमीन हड़प ली है, और उनके दावों के पीछे क्या “पुख्ता जानकारी” (credible information) है। यह मामला न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सूचना की विश्वसनीयता, और सार्वजनिक बयानों के महत्व जैसे गंभीर मुद्दों को भी उठाता है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।

विषय का विस्तार से विश्लेषण (Detailed Analysis of the Topic):

यह पूरा मामला एक ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु पर खड़ा है जहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक बयानबाजी और न्यायिक जांच एक साथ मिल रही हैं। राहुल गांधी द्वारा चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जा करने के लगातार दावों के जवाब में, सर्वोच्च न्यायालय का यह प्रश्न यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है कि सार्वजनिक मंचों पर ऐसे गंभीर आरोप लगाने के लिए पर्याप्त आधार हो।

1. पृष्ठभूमि: भारत-चीन सीमा पर तनाव (Background: Tensions on the India-China Border)

भारत और चीन के बीच एक लंबी और जटिल सीमा है, जिसका एक बड़ा हिस्सा विवादित है। पिछले कुछ वर्षों में, खासकर 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC) पर तनाव काफी बढ़ गया है। विभिन्न रिपोर्टों और कांग्रेस पार्टी के आरोपों के अनुसार, चीनी सेना ने LAC के पार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है और कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। इन दावों को अक्सर उपग्रह इमेजरी, स्थानीय निवासियों और पूर्व सैनिकों की गवाही और विपक्षी दलों के विश्लेषणों के आधार पर किया जाता है।

गलवान घाटी संघर्ष (Galwan Valley Clash) 2020:

* यह संघर्ष 15 जून 2020 को गलवान घाटी में हुआ था, जिसमें भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी। यह दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकराव था।
* इस घटना के बाद, LAC पर सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी गई और कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हुईं, लेकिन सीमा विवाद पूरी तरह से हल नहीं हुआ है।
* घटना के बाद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जे को लेकर चुप्पी साधने का आरोप लगाया।

2. राहुल गांधी के दावे और सुप्रीम कोर्ट का प्रश्न (Rahul Gandhi’s Claims and the Supreme Court’s Question)

राहुल गांधी ने कई सार्वजनिक बयानों में दावा किया है कि चीन ने भारतीय जमीन हड़प ली है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर चुप हैं। उन्होंने भारत-चीन सीमा की वर्तमान स्थिति पर सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

SC का मुख्य तर्क:

* **पुख्ता जानकारी का अभाव:** सर्वोच्च न्यायालय ने श्री गांधी से पूछा है कि उनके पास इस बात का क्या “पुख्ता सबूत” है कि चीन ने वास्तव में जमीन पर कब्जा किया है। यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे गंभीर आरोप सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं और जनता में अनावश्यक भय या भ्रम पैदा कर सकते हैं यदि वे तथ्यात्मक रूप से समर्थित न हों।
* **”सच्चे भारतीय” वाला बयान:** न्यायालय ने श्री गांधी के एक ऐसे बयान का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि “यदि वे सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते” (यदि भारतीय होते तो भारत माता को नहीं मारते)। इस संदर्भ में, न्यायालय ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या श्री गांधी के पास कोई ऐसी विशेष जानकारी है जो आम जनता या यहां तक कि सरकार के पास भी नहीं है, और क्या उनके बयान ऐसे गंभीर आरोपों के साथ तथ्यात्मक सटीकता का पालन करते हैं।
* **न्यायिक प्रक्रिया और जवाबदेही:** यह न्यायिक हस्तक्षेप इस बात पर प्रकाश डालता है कि सार्वजनिक मंचों पर, विशेषकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों पर, जिम्मेदार और तथ्यात्मक रूप से सटीक बयान देना कितना महत्वपूर्ण है। न्यायालय यह सुनिश्चित करना चाहता है कि ऐसे आरोप मनमाने न हों।

3. राष्ट्रीय सुरक्षा और सूचना की प्रामाणिकता (National Security and Authenticity of Information)

यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ या कब्जे के आरोप सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को प्रभावित करते हैं।

* **खुफिया जानकारी का महत्व:** राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी अक्सर अत्यधिक संवेदनशील और वर्गीकृत होती है। ऐसी जानकारी आम तौर पर सरकार, सैन्य प्रतिष्ठानों और विशिष्ट एजेंसियों तक ही सीमित रहती है।
* **सार्वजनिक बनाम गोपनीय जानकारी:** राहुल गांधी जैसे सार्वजनिक हस्तियों द्वारा इस तरह के दावों को करने के लिए, यह आवश्यक है कि वे या तो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध विश्वसनीय स्रोतों (जैसे उपग्रह डेटा, स्वतंत्र रिपोर्ट) का हवाला दें, या उनके पास ऐसी गोपनीय जानकारी हो जिसे वे कानूनी और जिम्मेदार तरीके से प्रकट कर सकें।
* **गलत सूचना का खतरा:** यदि ऐसे दावे बिना पुख्ता सबूतों के किए जाते हैं, तो यह देश के भीतर चिंता पैदा कर सकता है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को कमजोर कर सकता है, और चीन को अपने एजेंडे को बढ़ावा देने का अवसर दे सकता है।

4. राजनीतिक बयानबाजी और नागरिक दायित्व (Political Rhetoric and Citizen’s Responsibility)

लोकतांत्रिक व्यवस्था में, विपक्ष की भूमिका सरकार की जवाबदेही तय करना और जनता के हितों की रक्षा करना है। हालांकि, इस भूमिका को निभाते समय, जिम्मेदारी और तथ्यात्मक सटीकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

* **आरोप और खंडन:** राजनीतिक दलों के लिए सरकार की नीतियों या कार्यों पर सवाल उठाना सामान्य बात है। लेकिन जब ये सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हों, तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरोप तथ्यात्मक रूप से सही हों या कम से कम विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित हों।
* **”राष्ट्र हित” की परिभाषा:** “सच्चा भारतीय” होने या “भारत माता को मारना” जैसे बयान भावनात्मक होते हैं, लेकिन ऐसे संवेदनशील समय में, राष्ट्र हित का अर्थ अक्सर देश की सुरक्षा और संप्रभुता को बनाए रखना होता है, और इसके लिए तथ्यात्मक सटीकता और जिम्मेदारी से कार्य करना आवश्यक है।

5. न्यायिक भूमिका: एक अवलोकन (Judicial Role: An Overview)

सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका अक्सर संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करना और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है। इस मामले में, न्यायालय का प्रश्न यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सार्वजनिक मंचों पर गंभीर आरोप लगाते समय उचित प्रक्रिया और जवाबदेही का पालन किया जाए।

* **अवमानना का प्रश्न:** यदि ऐसे आरोप निराधार साबित होते हैं या जानबूझकर गलत सूचना फैलाने के उद्देश्य से किए जाते हैं, तो यह न्यायपालिका या देश की प्रतिष्ठा के अवमानना का मामला बन सकता है, खासकर यदि न्यायालय द्वारा स्पष्टीकरण मांगने पर भी संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है।
* **संवैधानिक दायित्व:** अनुच्छेद 51A (e) के तहत, प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखे और उसकी रक्षा करे। सार्वजनिक हस्तियों पर यह दायित्व और भी अधिक होता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC):

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा है, विशेष रूप से सामान्य अध्ययन पेपर-II (शासन, संविधान, राजनीति, सामाजिक न्याय) और सामान्य अध्ययन पेपर-III (सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे)।

I. शासन और राजनीति (Governance and Politics)

* **लोकतांत्रिक जवाबदेही:** सरकार और सार्वजनिक हस्तियों की जवाबदेही तय करने में संसद, मीडिया और न्यायपालिका की भूमिका।
* **राजनीतिक बयानबाजी की सीमाएं:** राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित के मामलों में राजनीतिक नेताओं के बयानों की सीमाएं क्या होनी चाहिए?
* **जनता का विश्वास:** राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास बनाए रखने का महत्व।

II. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security)

* **सीमा प्रबंधन:** भारत-चीन सीमा की वर्तमान स्थिति, सीमा विवाद के ऐतिहासिक कारण और समाधान के प्रयास।
* **खुफिया तंत्र:** खुफिया जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और उसका उपयोग करने में सरकार की भूमिका।
* **सैन्य कूटनीति:** सीमा विवादों को हल करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक बातचीत का महत्व।
* **साइबर सुरक्षा और सूचना युद्ध:** गलत सूचना और दुष्प्रचार का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव।

III. संविधान और कानून (Constitution and Law)

* **अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19):** अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं और “युक्तियुक्त प्रतिबंध”।
* **न्यायपालिका की भूमिका:** राष्ट्रीय महत्व के मामलों में न्यायिक सक्रियता और हस्तक्षेप।
* **नागरिकों के कर्तव्य (अनुच्छेद 51A):** राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने का कर्तव्य।

आगे की राह: निष्कर्ष और विश्लेषण (Way Forward: Conclusion and Analysis)

सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न एक अनुस्मारक है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर सार्वजनिक विमर्श जिम्मेदार और तथ्यात्मक होना चाहिए। यह केवल एक राजनीतिक दल या व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय हित, जनता के विश्वास और सूचना की अखंडता से जुड़ा है।

* **तथ्यों पर आधारित विमर्श:** यह आवश्यक है कि भारत-चीन सीमा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा तथ्यों, विश्वसनीय स्रोतों और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखकर की जाए।
* **सरकार की पारदर्शिता:** वहीं, सरकार की भी यह जिम्मेदारी है कि वह जनता को सीमा की वास्तविक स्थिति के बारे में, जहां तक राष्ट्रीय सुरक्षा की अनुमति हो, पारदर्शी और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करे।
* **विपक्ष की रचनात्मक भूमिका:** विपक्ष को सरकार की नीतियों की आलोचना करने के साथ-साथ, राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने वाले बयानों से बचना चाहिए और सरकार के साथ मिलकर देश के हितों की रक्षा करने में सहयोग करना चाहिए।

यह मामला UPSC उम्मीदवारों के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी है कि कैसे समसामयिक मामले विभिन्न संवैधानिक, राजनीतिक और सुरक्षा पहलुओं से जुड़े होते हैं। इस तरह के मुद्दों का विश्लेषण करते समय, सभी पक्षों को समझना, तर्कों के पीछे की बारीकियों को पकड़ना और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. **प्रश्न:** निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारतीय संविधान के तहत नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है, जो देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने का उल्लेख करता है?
(a) अनुच्छेद 51
(b) अनुच्छेद 51A
(c) अनुच्छेद 51C
(d) अनुच्छेद 52
उत्तर: (b)**
व्याख्या: अनुच्छेद 51A (c) में कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखे और उसकी रक्षा करे।

2. **प्रश्न:** “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) निम्नलिखित में से किन दो देशों के बीच की सीमा को संदर्भित करती है?
(a) भारत और पाकिस्तान
(b) भारत और चीन
(c) भारत और नेपाल
(d) भारत और बांग्लादेश
उत्तर: (b)**
व्याख्या: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और चीन के बीच की विवादित सीमा है।

3. **प्रश्न:** 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुए सैन्य टकराव के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
1. इस टकराव में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे।
2. यह दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकराव था।
3. इस घटना के बाद, LAC पर सैन्य उपस्थिति बढ़ाई गई।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर: (c)**
व्याख्या: तीनों कथन गलवान घाटी संघर्ष के संबंध में सत्य हैं।

4. **प्रश्न:** भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, जिस पर “युक्तियुक्त प्रतिबंध” लगाए जा सकते हैं?
(a) अनुच्छेद 19
(b) अनुच्छेद 21
(c) अनुच्छेद 14
(d) अनुच्छेद 20
उत्तर: (a)**
व्याख्या: अनुच्छेद 19(1)(a) अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, आदि जैसे आधारों पर इस पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।

5. **प्रश्न:** किसी सार्वजनिक व्यक्ति द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर बयान देते समय निम्नलिखित में से किस पहलू का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है?
1. बयानों की तथ्यात्मक सटीकता।
2. राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना।
3. खुफिया जानकारी को सार्वजनिक करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर: (b)**
व्याख्या: बयानों की तथ्यात्मक सटीकता और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। वर्गीकृत या संवेदनशील खुफिया जानकारी को सार्वजनिक करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकता है।

6. **प्रश्न:** भारत-चीन सीमा विवाद के संदर्भ में, “प्रभावी नियंत्रण” (Effective Control) शब्द का क्या महत्व है?
(a) इसका अर्थ है कि उस क्षेत्र पर किसी भी देश का कोई दावा नहीं है।
(b) यह उस क्षेत्र पर किसी विशेष देश द्वारा शारीरिक रूप से स्थापित और बनाए रखे गए नियंत्रण को संदर्भित करता है।
(c) यह केवल ऐतिहासिक दावों पर आधारित होता है।
(d) इसका संबंध केवल कूटनीतिक समझौतों से है।
उत्तर: (b)**
व्याख्या: प्रभावी नियंत्रण एक महत्वपूर्ण कानूनी और भू-राजनीतिक अवधारणा है जो किसी क्षेत्र पर वास्तविक, निरंतर और प्रभावी उपस्थिति और अधिकार को दर्शाती है।

7. **प्रश्न:** भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर गलत सूचना फैलाता है जिससे सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होने की संभावना हो, तो उसे किन धाराओं के तहत दंडित किया जा सकता है?
(a) धारा 153A
(b) धारा 505
(c) धारा 124A
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)**
व्याख्या: धारा 153A (समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), धारा 505 (सार्वजनिक उपद्रव या गलत सूचना फैलाना) और धारा 124A (राजद्रोह) ऐसी स्थितियाँ हैं जहाँ गलत सूचना या बयानों को दंडित किया जा सकता है, खासकर यदि वे सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हों।

8. **प्रश्न:** “लोकतांत्रिक जवाबदेही” (Democratic Accountability) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी संस्था सरकार को जवाबदेह ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
1. संसद
2. न्यायपालिका
3. मीडिया
4. सशस्त्र बल
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 3 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a)**
व्याख्या: संसद (विधायी निरीक्षण), न्यायपालिका (कानूनी व्याख्या और अधिकार संरक्षण) और मीडिया (सूचना का प्रसार और जनमत निर्माण) सरकार को जवाबदेह ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सशस्त्र बल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जवाबदेह होते हैं, लेकिन सीधे तौर पर सरकार की जवाबदेही तय करने वाली संस्था नहीं।

9. **प्रश्न:** भारत-चीन सीमा पर तनाव के कारण निम्नलिखित में से किस प्रकार की कूटनीतिक वार्ताएं (Diplomatic Engagements) हाल के वर्षों में अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं?
(a) केवल आर्थिक सहयोग की बैठकें
(b) केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान
(c) सैन्य कमांडर स्तर की वार्ताएं और कूटनीतिक स्तर की बातचीत
(d) केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठकें
उत्तर: (c)**
व्याख्या: सीमा पर तनाव को कम करने और समाधान खोजने के लिए सैन्य कमांडर स्तर की वार्ताएं और कूटनीतिक स्तर की बातचीत (जैसे विदेश मंत्रियों की बैठकें) अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई हैं।

10. **प्रश्न:** यदि सर्वोच्च न्यायालय किसी सार्वजनिक व्यक्ति से किसी आरोप के समर्थन में “पुख्ता जानकारी” (Credible Information) मांगता है, तो इसका क्या अर्थ हो सकता है?
(a) केवल व्यक्तिगत राय या धारणा।
(b) तथ्यात्मक रूप से सत्यापित या विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी।
(c) किसी भी तरह की अनुमानित जानकारी।
(d) केवल सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली अफवाहें।
उत्तर: (b)**
व्याख्या: “पुख्ता जानकारी” का अर्थ है ऐसी जानकारी जो विश्वसनीय, सत्य और तथ्यात्मक रूप से सत्यापित हो, या जिसे ऐसे स्रोतों से प्राप्त किया गया हो जिस पर भरोसा किया जा सके।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. **प्रश्न:** भारत-चीन सीमा विवाद के संबंध में राहुल गांधी के बयानों और सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्नों के आलोक में, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीतिक नेताओं द्वारा सार्वजनिक बयानों की जिम्मेदारी और सटीकता के महत्व का विश्लेषण कीजिए। क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है? चर्चा कीजिए। (लगभग 250 शब्द)
2. **प्रश्न:** “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) पर बढ़ते तनाव के संदर्भ में, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने के लिए खुफिया सूचनाओं की सटीकता, त्वरित विश्लेषण और प्रभावी कार्रवाई के महत्व पर प्रकाश डालिए। सरकार और विपक्ष के बीच पारदर्शिता और सहयोग की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। (लगभग 250 शब्द)
3. **प्रश्न:** भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, नागरिक के मौलिक कर्तव्यों (विशेषकर संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बीच एक नाजुक संतुलन की आवश्यकता है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए प्रश्न इस संतुलन को कैसे प्रभावित करते हैं? विस्तार से समझाइए। (लगभग 250 शब्द)
4. **प्रश्न:** भारत-चीन सीमा पर हाल की घटनाओं और सार्वजनिक विमर्श के संदर्भ में, कूटनीतिक वार्ता, सैन्य अभ्यास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा कैसे कर सकता है? (लगभग 250 शब्द)

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