भारत के तीन राज्यों में विनाशकारी बारिश: क्या तैयार है हमारा आपदा प्रबंधन?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राजस्थान के 8 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है, जिसके चलते स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया है। वहीं, बिहार की राजधानी पटना जंक्शन पर रेलवे ट्रैक पानी में डूब जाने से ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया है और कई ट्रेनें फंसी हुई हैं। दूसरी ओर, ओडिशा के तटीय गांवों में भी जलभराव की गंभीर स्थिति देखी जा रही है, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति देश की आपदा प्रबंधन क्षमता और जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी तैयारियों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।
यह कोई नई घटना नहीं है। हर साल मानसून के दौरान, भारत के विभिन्न हिस्से भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होते हैं। ये घटनाएँ न केवल जान-माल का भारी नुकसान करती हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था, कृषि और बुनियादी ढाँचे पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं। इस बार राजस्थान, बिहार और ओडिशा में जो हुआ, वह इस समस्या की भयावहता को और उजागर करता है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मुद्दा? (Why is this Issue Important?):
यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे तौर पर कई विषयों को छूता है, जिनमें शामिल हैं:
- भूगोल (Geography): मानसून का पैटर्न, भारत में वर्षा का वितरण, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, नदियों की भूमिका।
- पर्यावरण (Environment): जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग और चरम मौसमी घटनाओं के बीच संबंध, शहरीकरण और जलभराव।
- शासन (Governance): आपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राहत और पुनर्वास कार्य, पूर्व चेतावनी प्रणाली।
- सामाजिक मुद्दे (Social Issues): विस्थापन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा पर प्रभाव, कमजोर वर्गों पर प्रभाव।
- अर्थव्यवस्था (Economy): कृषि पर प्रभाव, बुनियादी ढाँचे का नुकसान, परिवहन में बाधा, आर्थिक मंदी।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology): मौसम पूर्वानुमान, उपग्रह निगरानी, बाढ़ नियंत्रण तकनीकें।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये घटनाएँ केवल स्थानीयकृत समस्याएँ नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और सामाजिक कल्याण के लिए एक बड़ा खतरा पेश करती हैं।
वर्तमान स्थिति का विश्लेषण (Analysis of the Current Situation):
राजस्थान: रेड अलर्ट और स्कूलों की छुट्टी
राजस्थान में भारी बारिश का “रेड अलर्ट” एक गंभीर चेतावनी है। रेड अलर्ट का अर्थ है कि भारी से अति-भारी वर्षा होने की प्रबल संभावना है, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और सामान्य जनजीवन में व्यापक व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। 8 जिलों में स्कूलों की छुट्टी का निर्णय बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम है।
“रेड अलर्ट केवल एक चेतावनी नहीं है, बल्कि एक आह्वान है कि हम अपनी सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करें। बच्चों का सुरक्षित रहना सर्वोपरि है।”
इस स्थिति में, स्थानीय प्रशासन पर कई जिम्मेदारियाँ आ जाती हैं:
- तत्काल राहत: फंसे हुए लोगों को निकालना, सुरक्षित आश्रय प्रदान करना, भोजन और पानी की व्यवस्था करना।
- संचार: लोगों तक सही जानकारी पहुँचाना, अफवाहों को रोकना।
- बुनियादी ढाँचा: बिजली, पानी और सड़क संपर्क बहाल करना।
- स्वास्थ्य: जलजनित रोगों के प्रकोप को रोकना।
पटना जंक्शन: ट्रैक का डूबना और ट्रेनों का फँसना
पटना जंक्शन जैसे प्रमुख रेलवे हब का ट्रैक पानी में डूब जाना, भारतीय रेलवे के लिए एक गंभीर चुनौती है। यह न केवल यात्रियों को प्रभावित करता है, बल्कि माल ढुलाई और देश भर में आपूर्ति श्रृंखला को भी बाधित करता है।
इसके कारण हो सकते हैं:
- अनुपयुक्त जल निकासी व्यवस्था: शहरी क्षेत्रों में, विशेष रूप से रेलवे स्टेशनों के पास, जल निकासी प्रणालियाँ अक्सर अत्यधिक वर्षा का सामना करने के लिए अपर्याप्त होती हैं।
- शहरीकरण का दबाव: अनियोजित शहरीकरण और कंक्रीट के बढ़ते उपयोग से प्राकृतिक जल अवशोषण क्षेत्र कम हो जाते हैं, जिससे सतही अपवाह बढ़ जाता है।
- नदी का जलस्तर बढ़ना: यदि पटना गंगा नदी के किनारे स्थित है, तो नदी का जलस्तर बढ़ने से भी आसपास के क्षेत्रों में जलभराव हो सकता है।
प्रभाव:
- यात्री असुविधा: हजारों यात्री प्रभावित होते हैं, जिन्हें घंटों या दिनों तक इंतजार करना पड़ सकता है।
- आर्थिक हानि: ट्रेनों के रुकने से माल ढुलाई बाधित होती है, जिससे विभिन्न उद्योगों को नुकसान होता है।
- संसाधनों का दुरुपयोग: फंसे हुए यात्रियों और माल के प्रबंधन में सरकार के संसाधनों का उपयोग होता है।
ओडिशा: गांवों में पानी भरना
ओडिशा, जो अक्सर चक्रवातों और बाढ़ से प्रभावित रहता है, में गांवों का पानी से भरना एक चिंताजनक संकेत है। यह दर्शाता है कि निचले इलाकों और तटीय क्षेत्रों को भारी बारिश और जल जमाव से बचाने के लिए हमारी संरचनात्मक कमजोरियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
संभावित कारण:
- नदी तटबंधों का टूटना: यदि नदियाँ उफान पर हैं और तटबंध कमजोर हैं, तो पानी गांवों में घुस सकता है।
- खराब जल निकासी: नहरों और नालों की उचित सफाई न होने से पानी का निकास बाधित हो सकता है।
- उच्च ज्वार और बारिश का संयोजन: यदि तटीय क्षेत्रों में उच्च ज्वार के साथ भारी बारिश होती है, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
सामुदायिक प्रभाव:
- विस्थापन: लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ता है, जिससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित होता है।
- कृषि को नुकसान: फसलें जलमग्न हो जाती हैं, जिससे किसानों की आजीविका प्रभावित होती है।
- बीमारियों का प्रसार: रुके हुए पानी में मच्छर पनपते हैं, जिससे मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियाँ फैल सकती हैं।
जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव (The Growing Impact of Climate Change):
वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण वायुमंडल में अधिक नमी धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे भारी बारिश की संभावना अधिक हो जाती है। इसके अतिरिक्त, अनियमित मानसून पैटर्न और बदलते मौसम के मिजाज भी इन आपदाओं को बढ़ा रहे हैं।
“जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर का खतरा नहीं है; यह हमारे सामने है, और इसके परिणाम हमें सीधे तौर पर प्रभावित कर रहे हैं।”
भारत, अपनी विशाल आबादी और भौगोलिक विविधता के साथ, जलवायु परिवर्तन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है। मानसून पर हमारी निर्भरता, लंबी तटरेखा और हिमालयी क्षेत्र, सभी हमें इन चरम घटनाओं के प्रति अधिक असुरक्षित बनाते हैं।
आपदा प्रबंधन: एक व्यापक दृष्टिकोण (Disaster Management: A Comprehensive Approach):
भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय नीति है, जो तैयारियों, प्रतिक्रिया और पुनर्वास के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करती है। लेकिन, राजस्थान, बिहार और ओडिशा की वर्तमान स्थिति दर्शाती है कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
1. तैयारी (Preparedness):
आपदा प्रबंधन का सबसे महत्वपूर्ण चरण तैयारी है। इसमें शामिल हैं:
- जोखिम मूल्यांकन: यह पहचानना कि कौन से क्षेत्र किन आपदाओं के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
- पूर्व चेतावनी प्रणाली: मौसम विभाग (IMD) जैसी एजेंसियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन चेतावनियों को स्थानीय स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचाना आवश्यक है।
- बुनियादी ढाँचा: बाढ़-सुरक्षित भवनों का निर्माण, नदियों के तटबंधों को मजबूत करना, शहरों में प्रभावी जल निकासी प्रणालियों का विकास।
- जन जागरूकता और प्रशिक्षण: लोगों को आपदाओं के दौरान क्या करना चाहिए, इसका प्रशिक्षण देना। इसमें स्कूल के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करना भी शामिल है।
- नियमित अभ्यास (Mock Drills): NDRF और SDRF के साथ-साथ स्थानीय निकायों और नागरिकों को भी शामिल करते हुए नियमित अभ्यास।
2. प्रतिक्रिया (Response):
जब आपदा आती है, तो प्रभावी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होती है:
- समन्वय: विभिन्न एजेंसियों (NDRF, SDRF, सेना, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन) के बीच बेहतर समन्वय।
- त्वरित बचाव और राहत: फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालना, चिकित्सा सहायता प्रदान करना, आश्रय और भोजन की व्यवस्था करना।
- संचार: सभी स्तरों पर निर्बाध संचार बनाए रखना।
- अनुसंधान और बचाव: प्रशिक्षित टीमों द्वारा खोए हुए लोगों की तलाश।
3. पुनर्वास और पुनर्निर्माण (Rehabilitation and Reconstruction):
आपदा के बाद, सामान्य स्थिति बहाल करना एक लंबी प्रक्रिया है:
- क्षति का आकलन: नुकसान का विस्तृत आकलन करना।
- वित्तीय सहायता: प्रभावितों को मुआवजा और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- पुनर्निर्माण: घरों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य बुनियादी ढाँचे का पुनर्निर्माण करना, इस बार भविष्य की आपदाओं का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से।
- मनोवैज्ञानिक सहायता: पीड़ितों को मानसिक आघात से उबरने में मदद करना।
UPSC के लिए प्रासंगिक सरकारी पहलें (Government Initiatives Relevant for UPSC):
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF): यह विशिष्ट बचाव कार्यों के लिए प्रशिक्षित एक विशेष बल है।
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय अभियान (National Campaign for Disaster Risk Reduction): जागरूकता और क्षमता निर्माण पर केंद्रित।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: यह अधिनियम भारत में आपदा प्रबंधन के लिए कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- स्मार्ट सिटी मिशन (Smart Cities Mission): इस मिशन के तहत, शहरी नियोजन में आपदा प्रबंधन और लचीलापन (resilience) जैसे पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए।
- राष्ट्रीय शहरी नीति (National Urban Policy): इसमें जल प्रबंधन और शहरी बाढ़ के मुद्दे भी शामिल हैं।
चुनौतियाँ (Challenges):
भारत के आपदा प्रबंधन में कई चुनौतियाँ हैं:
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कई क्षेत्रों में जल निकासी व्यवस्था, तटबंध और चेतावनी प्रणालियाँ अभी भी अपर्याप्त हैं।
- धन की कमी: प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए पर्याप्त धन का आवंटन एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
- अंतः-एजेंसी समन्वय: विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय की कमी।
- जन जागरूकता का अभाव: विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में, लोगों को अभी भी आपदाओं के लिए तैयार रहने के महत्व के बारे में पूरी तरह से जागरूक नहीं किया गया है।
- अनियोजित शहरीकरण: तेजी से और अनियोजित शहरीकरण प्राकृतिक जल स्रोतों पर दबाव डालता है और बाढ़ की संभावना को बढ़ाता है।
- अनुपालन की कमी: अक्सर, बिल्डिंग कोड और पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया जाता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
- डेटा का अभाव: जोखिम मूल्यांकन और योजना के लिए विश्वसनीय और अद्यतन डेटा की आवश्यकता होती है, जो हमेशा उपलब्ध नहीं होता।
भविष्य की राह (The Way Forward):
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, हमें एक बहुआयामी और सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है:
- जलवायु-अनुकूल शहरी नियोजन: शहरों को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि वे भारी बारिश और बाढ़ का सामना कर सकें। इसमें हरित बुनियादी ढाँचा (जैसे पारगम्य फुटपाथ, शहरी जंगल) और बेहतर जल निकासी प्रणालियाँ शामिल हैं।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: मौसम पूर्वानुमान, उपग्रह इमेजरी और मोबाइल ऐप के माध्यम से पूर्व-चेतावनी प्रणालियों को और बेहतर बनाया जाना चाहिए। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग बाढ़ की भविष्यवाणी और जोखिम मानचित्रण के लिए किया जा सकता है।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन योजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल करना, क्योंकि वे जमीनी हकीकत को सबसे अच्छी तरह समझते हैं।
- नीति कार्यान्वयन: मौजूदा नीतियों और अधिनियमों का कड़ाई से कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- अंतर-राज्यीय सहयोग: यदि बाढ़ का संबंध नदियों से है, तो विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है।
- हरित पहलों में निवेश: वनों की कटाई को रोकना, वनीकरण को बढ़ावा देना, क्योंकि वन मिट्टी के कटाव को रोकने और जल अवशोषण में मदद करते हैं।
- स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाना: पंचायतों और नगर पालिकाओं को आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारियों के लिए अधिक संसाधन और अधिकार देना।
राजस्थान, बिहार और ओडिशा में हाल की बारिश की घटनाएँ एक वेक-अप कॉल हैं। हमें अपनी तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्निर्माण की क्षमताओं को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, और एक मजबूत, लचीला और उत्तरदायी आपदा प्रबंधन ढाँचा बनाना भारत के लिए एक प्राथमिकता होनी चाहिए। यह न केवल भविष्य में होने वाले नुकसान को कम करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि हमारा देश “सबका साथ, सबका विकास” के सिद्धांत पर आगे बढ़ सके, भले ही प्रकृति का प्रकोप कितना भी क्यों न हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: भारत में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आपदा प्रबंधन के लिए सर्वोच्च वैधानिक निकाय है।
कथन 2: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) विशेष बचाव कार्यों के लिए एक अर्धसैनिक बल है।
कथन 3: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, राज्य सरकारों को अपने स्वयं के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित करने की अनुमति देता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही कथन चुनें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन सही हैं। NDMA सर्वोच्च निकाय है, NDRF बचाव कार्यों के लिए प्रशिक्षित है, और अधिनियम राज्यों को अपने प्राधिकरण स्थापित करने की अनुमति देता है।
2. भारी बारिश से संबंधित “रेड अलर्ट” का क्या अर्थ है?
(a) सामान्य वर्षा की उम्मीद है
(b) मध्यम वर्षा की उम्मीद है
(c) भारी से अति-भारी वर्षा और संबंधित खतरों की प्रबल संभावना
(d) गंभीर सूखे की उम्मीद है
उत्तर: (c)
व्याख्या: मौसम अलर्ट में, रेड अलर्ट सबसे गंभीर चेतावनी होती है, जो अत्यधिक वर्षा और संबंधित खतरों का संकेत देती है।
3. निम्नलिखित में से कौन सा संगठन भारत में बाढ़ के पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के लिए जिम्मेदार है?
(a) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
(b) भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
(c) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(d) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI)
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मौसम संबंधी घटनाओं, जिनमें बारिश और बाढ़ शामिल हैं, के पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी के लिए प्राथमिक एजेंसी है। ISRO उपग्रह डेटा प्रदान करता है, GSI भूवैज्ञानिक खतरों से संबंधित है, और NDMA समन्वय करता है।
4. शहरी बाढ़ के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख कारण है?
(a) वनों की कटाई
(b) अनियोजित शहरीकरण और अपर्याप्त जल निकासी
(c) अत्यधिक भूजल निकासी
(d) तटबंधों का निर्माण
उत्तर: (b)
व्याख्या: अनियोजित शहरीकरण से कंक्रीट का क्षेत्र बढ़ता है, जिससे जल अवशोषण कम होता है, और खराब जल निकासी प्रणालियाँ सतही जल जमाव का कारण बनती हैं।
5. जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि का क्या कारण है?
(a) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन
(b) सौर विकिरण में वृद्धि
(c) वायुमंडल द्वारा अधिक नमी धारण करने की क्षमता
(d) महासागरों के तापमान में कमी
उत्तर: (c)
व्याख्या: ग्लोबल वार्मिंग के कारण वायुमंडल अधिक गर्म होता है, जिससे यह अधिक नमी धारण कर सकता है, जो भारी वर्षा की घटनाओं को जन्म दे सकता है।
6. आपदा प्रबंधन के “तैयारी” चरण में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल नहीं है?
(a) जोखिम मूल्यांकन
(b) पूर्व चेतावनी प्रणाली
(c) बचाव अभियान चलाना
(d) जन जागरूकता अभियान
उत्तर: (c)
व्याख्या: बचाव अभियान चलाना “प्रतिक्रिया” चरण का हिस्सा है, जबकि तैयारी में जोखिम का आकलन, चेतावनी जारी करना और जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
7. “स्मार्ट सिटी मिशन” का उद्देश्य शहरों को अधिक टिकाऊ और लचीला बनाना है। निम्नलिखित में से कौन सा पहलू स्मार्ट सिटी मिशन में आपदा प्रबंधन और लचीलेपन से संबंधित है?
(a) केवल सौंदर्यशास्त्र में सुधार
(b) केवल कुशल परिवहन
(c) सुरक्षित और टिकाऊ बुनियादी ढाँचे का निर्माण
(d) केवल उच्च-तकनीकी गैजेट्स का उपयोग
उत्तर: (c)
व्याख्या: स्मार्ट सिटी मिशन का एक प्रमुख पहलू यह सुनिश्चित करना है कि शहर आपदाओं, जैसे बाढ़, का सामना करने के लिए तैयार हों, जिसके लिए सुरक्षित और टिकाऊ बुनियादी ढाँचे के निर्माण की आवश्यकता होती है।
8. ओडिशा जैसे तटीय राज्यों में बाढ़ का खतरा बढ़ने में निम्नलिखित में से किसका योगदान हो सकता है?
(a) उच्च ज्वार के साथ भारी बारिश का संयोजन
(b) नदियों के मुहानों पर मैंग्रोव वनों का विस्तार
(c) तटबंधों का मजबूत निर्माण
(d) तटीय क्षेत्रों में कम जनसंख्या घनत्व
उत्तर: (a)
व्याख्या: उच्च ज्वार और भारी बारिश का संयोजन तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति को बदतर बना सकता है, जिससे जल निकासी बाधित होती है। मैंग्रोव रक्षा करते हैं, मजबूत तटबंध मदद करते हैं, और उच्च जनसंख्या घनत्व जोखिम बढ़ाता है।
9. पटना जैसे प्रमुख रेलवे जंक्शनों पर ट्रैक का डूबना निम्नलिखित में से किस समस्या का संकेत हो सकता है?
(a) रेलवे पटरियों की अपर्याप्त रखरखाव
(b) जंक्शन के आसपास जल निकासी व्यवस्था का कुप्रबंधन
(c) ट्रैक के नीचे भूमिगत जल का अत्यधिक दबाव
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: अपर्याप्त रखरखाव, खराब जल निकासी और भूमिगत जल का दबाव, सभी मिलकर ऐसे जलभराव की समस्या पैदा कर सकते हैं।
10. **निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन में NDRF की सहायक के रूप में कार्य करती है?**
(a) राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF)
(b) जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)
(c) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(d) भारतीय सेना
उत्तर: (a)
व्याख्या: राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) राज्य स्तर पर NDRF की तरह ही कार्य करता है और राज्य की आपदा प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। DDMA जिला स्तर पर कार्य करता है, NDMA राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय करता है, और भारतीय सेना आवश्यकता पड़ने पर सहायता करती है।
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मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “भारत में मानसून की परिवर्तनशीलता और चरम मौसमी घटनाओं (जैसे भारी वर्षा और बाढ़) में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। इस संदर्भ में, भारत की आपदा प्रबंधन क्षमता को मजबूत करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर विस्तार से चर्चा करें।”
(विश्लेषण करें कि कैसे जलवायु परिवर्तन भारत में चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ा रहा है, और मौजूदा आपदा प्रबंधन प्रणाली की खूबियों और खामियों का उल्लेख करते हुए, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्वास के क्षेत्रों में सुधार के लिए ठोस सुझाव दें।)
2. “शहरी बाढ़ भारत के कई शहरों के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जैसा कि हाल ही में पटना में देखा गया। शहरी बाढ़ के कारणों का विश्लेषण करें और इसके प्रबंधन के लिए ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ और ‘राष्ट्रीय शहरी नीति’ जैसी पहलों के तहत किए जाने वाले व्यावहारिक उपायों पर प्रकाश डालें।”
(शहरीकरण, जल निकासी, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करते हुए शहरी बाढ़ के कारणों की पहचान करें। फिर, शहरी नियोजन, हरित बुनियादी ढाँचे, और प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से समाधान सुझाएं।)
3. “आपदाओं से प्रभावित समुदायों के लचीलेपन (resilience) को बढ़ाना, विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए, प्रभावी आपदा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हाल की बारिश की घटनाओं के आलोक में, इस कथन की प्रासंगिकता पर चर्चा करें और सामुदायिक-आधारित आपदा प्रबंधन रणनीतियों के महत्व को स्पष्ट करें।”
(प्रारंभिक चेतावनी, स्थानीय ज्ञान के एकीकरण, सामुदायिक प्रशिक्षण, और पुनर्वास में सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर चर्चा करें, साथ ही कमजोर समूहों (जैसे महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग, विकलांग व्यक्ति) पर विशेष ध्यान दें।)
4. “भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक बहु-एजेंसी दृष्टिकोण अपनाया जाता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की व्याख्या करें। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के साथ उनके समन्वय तंत्र पर भी प्रकाश डालें।”
(NDMA और NDRF के जनादेश, संरचना और कार्यों को स्पष्ट करें। फिर, राज्य और जिला स्तर की एजेंसियों के साथ उनके समन्वय की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें और सुधार के लिए सुझाव दें।)