भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव: नामांकन से मतदान तक, एक संपूर्ण गाइड
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया है। हाल ही में, भारत के चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया निर्धारित करती है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। यह घटना न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है, बल्कि UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह लेख आपको उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित हर पहलू, प्रक्रिया, संवैधानिक प्रावधानों, और इससे जुड़े संभावित प्रश्नों पर एक विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
भारत का उपराष्ट्रपति, देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में भी कार्य करते हैं। यह पद गरिमापूर्ण होने के साथ-साथ देश की संसदीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, अर्थात इसमें जनता सीधे भाग नहीं लेती, बल्कि एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) अपने मत का प्रयोग करता है।
उपराष्ट्रपति का पद: संवैधानिक आधार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में यह प्रावधान है कि “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।” यह पद अमेरिका के उपराष्ट्रपति के पद के समान है। उपराष्ट्रपति का पद गरिमा और प्रतिनिधित्व का प्रतीक है, और यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी संवैधानिक या राजनीतिक संकट की स्थिति में देश का नेतृत्व उपलब्ध रहे।
अनुच्छेद 64: यह बताता है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होंगे और किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं रहेंगे।
अनुच्छेद 65: यह राष्ट्रपति के पद के रिक्त होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने या राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने की व्यवस्था करता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया: चरण-दर-चरण
चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के साथ ही उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसमें कई महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं:
- अधिसूचना जारी करना: चुनाव आयोग एक अधिसूचना जारी करता है जिसमें चुनाव की तिथियों, नामांकन की अंतिम तिथि, नाम वापसी की अंतिम तिथि और मतदान की तिथि का उल्लेख होता है।
- नामांकन: इच्छुक उम्मीदवार निर्धारित प्रपत्र में अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ शर्तों को पूरा करना होता है, जैसे कि निर्वाचक मंडल के कम से कम 20 सदस्यों द्वारा प्रस्तावक और 20 सदस्यों द्वारा अनुमोदक होना।
- नामांकन पत्रों की जांच: चुनाव आयोग नामांकन पत्रों की जांच करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी नियमों और विनियमों का पालन करते हैं।
- नाम वापसी: यदि कोई उम्मीदवार अपने नामांकन को वापस लेना चाहता है, तो वह निर्धारित समय सीमा तक ऐसा कर सकता है।
- मतदान: यदि दो या दो से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में रहते हैं, तो मतदान होता है। मतदान गुप्त मतपत्र (Secret Ballot) द्वारा होता है।
- परिणामों की घोषणा: मतगणना के बाद, चुनाव आयोग विजयी उम्मीदवार के नाम की घोषणा करता है।
UPPSC के लिए महत्वपूर्ण: हर चरण के लिए निर्धारित समय-सीमा और नियमों को समझना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, नामांकन के लिए प्रस्तावक और अनुमोदक कौन हो सकते हैं, यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
निर्वाचक मंडल (Electoral College)
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सभी सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत) द्वारा एक एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) प्रणाली के अनुसार किया जाता है।
निर्वाचक मंडल में शामिल हैं:
- लोकसभा के सदस्य
- राज्यसभा के सदस्य
महत्वपूर्ण बिंदु:
- इसमें संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं, जो राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते।
- दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभाओं के सदस्य निर्वाचक मंडल का हिस्सा नहीं होते, जैसा कि राष्ट्रपति चुनाव में होता है।
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली: इस प्रणाली में, मतदाता अपनी वरीयता के अनुसार उम्मीदवारों को क्रमबद्ध करते हैं। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए एक निश्चित न्यूनतम कोटा प्राप्त करना होता है। यदि किसी उम्मीदवार को पहली वरीयता में पर्याप्त मत नहीं मिलते, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाता है, और उसके मतों को दूसरी वरीयता के अनुसार वितरित किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पूरा नहीं कर लेता।
उदाहरण: मान लीजिए कि 700 सदस्य मतदान कर रहे हैं और 5 उम्मीदवार हैं। जीतने के लिए आवश्यक कोटा होगा: (कुल वैध मत / (उम्मीदवारों की संख्या + 1)) + 1। यदि कुल वैध मत 700 हैं, तो कोटा (700 / (5 + 1)) + 1 = 116.67 + 1 = 117.67, यानी 118 होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए योग्यताएं
उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताओं को पूरा करना आवश्यक है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 66 में बताया गया है:
- भारत का नागरिक हो: उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
- आयु: उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो चुकी हो।
- लाभ का पद धारण न करे: वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन या उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में कोई लाभ का पद धारण नहीं करता हो। (कुछ अपवाद हैं, जैसे राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या सभापति होना)।
- मानसिक रूप से स्वस्थ और दिवालिया न हो: उसे किसी सक्षम न्यायालय द्वारा विकृत-मस्तिष्क या दिवालिया घोषित न किया गया हो।
- राज्यसभा के सदस्य के रूप में योग्यता: उसे राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने की योग्यता रखनी चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण शर्त है, क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
UPSC के लिए अंतर: राष्ट्रपति चुनाव के लिए योग्यताएं राष्ट्रपति पद के लिए होती हैं, जबकि उपराष्ट्रपति के लिए वे राज्यसभा की सदस्यता के लिए योग्यताएं रखते हैं। यह एक सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण अंतर है।
उपराष्ट्रपति की भूमिका और शक्तियाँ
उपराष्ट्रपति की भूमिका दोहरी होती है:
- राज्यसभा के सभापति के रूप में: यह उनकी प्राथमिक भूमिका है। वे राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हैं, सदन के नियमों और प्रक्रियाओं को बनाए रखते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि चर्चा व्यवस्थित और गरिमापूर्ण तरीके से हो। वे सदन के फैसलों में निष्पक्षता बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में: जब राष्ट्रपति का पद आकस्मिक रिक्ति (जैसे मृत्यु, त्यागपत्र, या पद से हटाए जाने) के कारण रिक्त होता है, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालते हैं। इस अवधि में, वे राष्ट्रपति के सभी अधिकारों और कर्तव्यों का प्रयोग करते हैं।
शक्तियां:
- राज्यसभा में: सभापति के रूप में, वे विधायी बहसों को नियंत्रित करते हैं, प्रस्तावों पर मतदान कराते हैं, और किसी भी सदस्य को निलंबित करने या निष्कासित करने का अधिकार रखते हैं यदि वे सदन की अवमानना करते हैं।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में: इस स्थिति में, वे राष्ट्रपति की सभी कार्यकारी, विधायी, वित्तीय और न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करते हैं।
UPSC मेन्स के लिए: उपराष्ट्रपति की भूमिका के महत्व और राष्ट्रपति के अभाव में उनकी कार्यवाहक भूमिका के निहितार्थों पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में चुनौतियाँ और विवाद
उपराष्ट्रपति का चुनाव, हालांकि राष्ट्रपति चुनाव जितना नाटकीय नहीं होता, फिर भी इसमें कुछ चुनौतियाँ और संभावित विवाद हो सकते हैं:
- मनोनीत सदस्यों की भूमिका: मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार देना कुछ लोगों के लिए विवादास्पद हो सकता है, क्योंकि वे सीधे जनता द्वारा निर्वाचित नहीं होते।
- दलगत राजनीति का प्रभाव: हालांकि उपराष्ट्रपति को निष्पक्ष रहना होता है, चुनाव प्रक्रिया अक्सर राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित उम्मीदवारों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।
- मतदान की गोपनीयता: हालांकि मतदान गुप्त होता है, दल व्हिप जारी कर सकते हैं या अपने सदस्यों को विशेष रूप से वोट देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से दलगत दबाव को दर्शाता है।
- अल्पमत की स्थिति: यदि सत्ताधारी दल या गठबंधन के पास संसद में स्पष्ट बहुमत नहीं है, तो चुनाव अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकता है और परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।
“उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक स्थिरता और संसदीय व्यवस्था में निरंतरता सुनिश्चित करता है।”
पिछला उपराष्ट्रपति चुनाव: एक संदर्भ
पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में, जगदीप धनखड़ ने मार्ग्रेट अलवा को हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में सत्ताधारी NDA गठबंधन के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को विपक्षी दलों के उम्मीदवार मार्ग्रेट अलवा की तुलना में अधिक मत मिले थे। यह चुनाव भी राजनीतिक दलों के समर्थन और रणनीतियों का एक उदाहरण था।
UPSC परीक्षा के लिए कैसे करें तैयारी?
UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए उपराष्ट्रपति चुनाव एक महत्वपूर्ण विषय है। यहाँ कुछ प्रमुख क्षेत्र दिए गए हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:
- संवैधानिक प्रावधान: संविधान के भाग V (संघ) के तहत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से संबंधित सभी अनुच्छेदों को गहराई से समझना।
- चुनाव प्रक्रिया: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों की तुलना करना, विशेष रूप से निर्वाचक मंडल, मतदान प्रणाली (एकल संक्रमणीय मत) और योग्यताएं।
- भूमिका और कार्य: राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य, और कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उनकी भूमिका।
- ऐतिहासिक संदर्भ: पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों और उनमें भाग लेने वाले प्रमुख उम्मीदवारों के बारे में जानना।
- समसामयिक घटनाक्रम: वर्तमान उपराष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी खबरों, उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि और राजनीतिक माहौल पर नज़र रखना।
रणनीति:
- नोट्स बनाएं: संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों और चुनाव प्रक्रिया के मुख्य बिंदुओं के नोट्स तैयार करें।
- तुलनात्मक अध्ययन: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों के बीच समानताएं और अंतर लिखें।
- अभ्यास प्रश्न हल करें: पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों से संबंधित प्रश्नों को हल करें।
भविष्य की राह
जैसे-जैसे भारत का लोकतंत्र विकसित हो रहा है, उपराष्ट्रपति का पद भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखेगा। यह पद न केवल संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, बल्कि देश की संसदीय परंपराओं को भी मजबूत करता है। भविष्य में, उपराष्ट्रपति की भूमिका और जिम्मेदारियों पर और अधिक विचार-विमर्श हो सकता है, खासकर जब देश विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा हो।
यह चुनाव न केवल एक व्यक्ति का चयन है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और निष्पक्षता का भी परीक्षण है। चुनाव आयोग की अधिसूचना के साथ, देश अगले उपराष्ट्रपति की ओर बढ़ रहा है, जो संसद की कार्यवाही और संवैधानिक ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद कहता है कि “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा”?
(a) अनुच्छेद 61
(b) अनुच्छेद 63
(c) अनुच्छेद 66
(d) अनुच्छेद 74
उत्तर: (b) अनुच्छेद 63
व्याख्या: अनुच्छेद 63 स्पष्ट रूप से उपबंधित करता है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। - प्रश्न 2: उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में निम्नलिखित में से कौन शामिल होते हैं?
1. लोकसभा के सभी सदस्य
2. राज्यसभा के सभी सदस्य
3. राज्य विधानसभाओं के सदस्य
4. केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुडुचेरी) की विधानसभाओं के सदस्य
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a) केवल 1 और 2
व्याख्या: उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं। राज्य विधानसभाओं या केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य इसमें शामिल नहीं होते। - प्रश्न 3: एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह प्रणाली अनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर आधारित है।
2. इसमें मतदाता अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को वरीयता क्रम देते हैं।
3. इस प्रणाली में, सबसे कम वरीयता प्राप्त उम्मीदवार को प्रतियोगिता से हटा दिया जाता है।
उपर्युक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: एकल संक्रमणीय मत प्रणाली अनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है, जहां मतदाता वरीयता क्रम देते हैं और अंतिम वरीयता वाले उम्मीदवार को हटाकर मतों का हस्तांतरण किया जाता है। - प्रश्न 4: उपराष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित में से कौन सी योग्यता आवश्यक नहीं है?
(a) भारत का नागरिक होना
(b) 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
(c) लोकसभा का सदस्य होने के योग्य हो
(d) लाभ का पद धारण न करता हो
उत्तर: (c) लोकसभा का सदस्य होने के योग्य हो
व्याख्या: उपराष्ट्रपति के लिए राज्यसभा का सदस्य होने के योग्य होना आवश्यक है, न कि लोकसभा का। - प्रश्न 5: उपराष्ट्रपति की निम्नलिखित में से कौन सी भूमिका संसद के संदर्भ में महत्वपूर्ण है?
(a) लोकसभा के सभापति के रूप में कार्य करना
(b) राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना
(c) किसी भी सदन में विधेयक पेश करने का अधिकार
(d) सदन के कामकाज का बहिष्कार करना
उत्तर: (b) राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना
व्याख्या: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं। - प्रश्न 6: उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कब कार्य कर सकता है?
(a) जब राष्ट्रपति विदेश यात्रा पर हों
(b) जब राष्ट्रपति का पद त्यागपत्र के कारण रिक्त हो
(c) जब राष्ट्रपति किसी भी कारण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हों
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (d) उपर्युक्त सभी
व्याख्या: अनुच्छेद 65 के अनुसार, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने (मृत्यु, त्यागपत्र, या पद से हटाए जाने) या राष्ट्रपति द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थता की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। - प्रश्न 7: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने हेतु कितने प्रस्तावक और अनुमोदक आवश्यक हैं?
(a) 10 प्रस्तावक और 10 अनुमोदक
(b) 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक
(c) 15 प्रस्तावक और 15 अनुमोदक
(d) 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक
उत्तर: (b) 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक
व्याख्या: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन के लिए निर्वाचक मंडल के कम से कम 20 सदस्यों द्वारा प्रस्तावक और 20 सदस्यों द्वारा अनुमोदक होना आवश्यक है। - प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन उपराष्ट्रपति के संबंध में सत्य है?
(a) वह केवल राज्यसभा में मतदान कर सकते हैं।
(b) वह किसी भी सदन में चर्चा का विषय बना सकते हैं।
(c) वह किसी भी सदन में विधेयक पेश करने का अधिकार रखते हैं।
(d) वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में निर्णायक मत (Casting Vote) का प्रयोग कर सकते हैं।
उत्तर: (d) वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में निर्णायक मत (Casting Vote) का प्रयोग कर सकते हैं।
व्याख्या: राज्यसभा के सभापति के रूप में, उपराष्ट्रपति टाई की स्थिति में निर्णायक मत दे सकते हैं, लेकिन सामान्य स्थिति में उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता। - प्रश्न 9: उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना कौन जारी करता है?
(a) भारत के राष्ट्रपति
(b) भारत के उपराष्ट्रपति
(c) भारत का चुनाव आयोग
(d) लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (c) भारत का चुनाव आयोग
व्याख्या: उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना जारी करने का कार्य भारत के चुनाव आयोग का है। - प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस संवैधानिक संशोधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए?
(a) 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
(b) 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
(c) 70वां संशोधन अधिनियम, 1992
(d) 77वां संशोधन अधिनियम, 1995
उत्तर: (c) 70वां संशोधन अधिनियम, 1992
व्याख्या: 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में दिल्ली और पुडुचेरी के निर्वाचित सदस्यों को निर्वाचक मंडल में शामिल करने का प्रावधान किया था। (हालाँकि, यह उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नहीं, राष्ट्रपति चुनाव के लिए है। उपराष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनके निर्वाचक मंडल में केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल नहीं होते, जो इसे राष्ट्रपति चुनाव से अलग करता है)।
सुधार: उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए, 70वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992, दिल्ली और पुडुचेरी के निर्वाचित सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में शामिल करने के संबंध में है। उपराष्ट्रपति चुनाव में उनकी भागीदारी का प्रावधान नहीं है। इसलिए, यह प्रश्न उपराष्ट्रपति चुनाव के संबंध में विशिष्ट बदलावों पर केंद्रित होना चाहिए।
सही प्रश्न: उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में, कौन सा कथन सत्य है?
(a) मनोनीत सदस्य वोट नहीं देते।
(b) दिल्ली और पुडुचेरी के निर्वाचित सदस्य वोट देते हैं।
(c) मनोनीत सदस्य वोट देते हैं।
(d) राज्य विधानसभाओं के सदस्य वोट देते हैं।
सही उत्तर: (c) मनोनीत सदस्य वोट देते हैं।
व्याख्या: उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारतीय संविधान के तहत उपराष्ट्रपति के पद की भूमिका और महत्व का वर्णन करें। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति द्वारा निभाई जाने वाली कार्यवाहक भूमिका के संवैधानिक निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
- प्रश्न 2: उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया की व्याख्या करें, जिसमें निर्वाचक मंडल, मतदान प्रणाली (एकल संक्रमणीय मत), और नामांकन की शर्तों पर विशेष ध्यान दें। राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालें। (200 शब्द)
- प्रश्न 3: उपराष्ट्रपति का पद, कार्यपालिका और विधायिका के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। इस कथन का विश्लेषण करें और राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति की शक्तियों और जिम्मेदारियों की चर्चा करें। (150 शब्द)
- प्रश्न 4: क्या उपराष्ट्रपति का चुनाव, राष्ट्रपति के चुनाव की तरह, निष्पक्ष और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होता है? उपराष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी संभावित चुनौतियों और विवादों पर चर्चा करें। (200 शब्द)