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भारत की नई सैन्य रणनीतियाँ: पाकिस्तान और चीन के मोर्चों पर बढ़ी ताकत, नए ब्रिगेड का दबदबा

भारत की नई सैन्य रणनीतियाँ: पाकिस्तान और चीन के मोर्चों पर बढ़ी ताकत, नए ब्रिगेड का दबदबा

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में भारतीय सेना ने अपनी भविष्य की तैयारी को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों से उत्पन्न होने वाली भू-राजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए, भारतीय सेना अपनी युद्धक क्षमता में वृद्धि कर रही है। इसके तहत, देश के उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर तैनात सैनिकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ नए सैन्य ब्रिगेड का गठन किया जा रहा है। यह कदम न केवल भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भारतीय सेना किसी भी संभावित संघर्ष के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहे। इस लेख में, हम इस रणनीतिक पुनर्गठन के विभिन्न पहलुओं, इसके निहितार्थों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व पर गहराई से विचार करेंगे।

भविष्य के लिए तैयार: सेना का रणनीतिक पुनर्गठन (Future-ready: Army’s Strategic Reorganisation)

राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में निरंतर परिवर्तन हो रहा है। भारत, दो विशाल और महत्वाकांक्षी पड़ोसियों – पाकिस्तान और चीन – से घिरा हुआ है, जिनके साथ उसकी सीमाएँ तनाव का एक प्रमुख स्रोत रही हैं। इन बदलती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारतीय सेना को अपनी क्षमताओं को लगातार अद्यतन और विस्तारित करना होगा। इसी संदर्भ में, सेना के हालिया निर्णय – जिसमें पाकिस्तान और चीन सीमाओं पर अधिक ‘मांसपेशी’ (Muscles) जोड़ना और नए ब्रिगेड को शामिल करना शामिल है – एक दूरदर्शी और आवश्यक कदम है।

यह पुनर्गठन केवल सैनिकों की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सेना की युद्धक संरचना, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और परिचालन रणनीतियों में एक समग्र बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। इसका उद्देश्य भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों के लिए ‘भविष्य-तैयार’ (Future-ready) बनाना है, जो तेजी से बदलती तकनीकों, हाइब्रिड युद्ध (Hybrid Warfare) और बहु-आयामी खतरों से चिह्नित होते हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम? (Why is This Step Significant?):

इस रणनीतिक बदलाव के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  • बढ़ता क्षेत्रीय तनाव: पाकिस्तान के साथ लगातार सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ की घटनाएं, और चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में मौजूदा गतिरोध, भारतीय सेना पर निरंतर सतर्कता और मजबूत उपस्थिति बनाए रखने का दबाव डालते हैं।
  • आधुनिक युद्ध की प्रकृति: भविष्य के युद्धों में पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ साइबर युद्ध, सूचना युद्ध (Information Warfare), ड्रोन और स्वायत्त प्रणालियों (Autonomous Systems) का प्रयोग भी शामिल होगा। सेना को इन नई वास्तविकताओं के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
  • चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति: पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का आधुनिकीकरण और विस्तार, विशेष रूप से तिब्बत पठार और हिंद महासागर क्षेत्र में, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चुनौती पेश करता है।
  • एकीकृत युद्धक क्षमता: नए ब्रिगेड का गठन, सेना की विभिन्न शाखाओं (जैसे पैदल सेना, तोपखाना, बख्तरबंद) के बीच बेहतर समन्वय और एकीकृत युद्धक क्षमता सुनिश्चित करेगा।

नए ब्रिगेड का ‘अतिरिक्त पंच’ (The ‘Extra Punch’ of New Brigades):

नए ब्रिगेड का जोड़ भारतीय सेना के लिए ‘अतिरिक्त पंच’ (Extra Punch) का अर्थ रखता है। ये ब्रिगेड विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों की अनूठी परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए जाएंगे।

नए ब्रिगेड की विशेषताएं (Characteristics of New Brigades):

  • गतिशीलता और मारक क्षमता: ये ब्रिगेड तेजी से किसी भी क्षेत्र में तैनात होने और उच्च मारक क्षमता (Firepower) प्रदान करने में सक्षम होंगे। इसमें आधुनिक बख्तरबंद वाहन, उन्नत तोपखाने और अन्य समर्थन हथियार शामिल हो सकते हैं।
  • लचीलापन (Flexibility): उन्हें विभिन्न प्रकार के भू-भागों (जैसे पहाड़ी, रेगिस्तानी) और परिचालन वातावरणों में कार्य करने के लिए अनुकूलित किया जाएगा।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: ये ब्रिगेड आधुनिक संचार प्रणालियों, निगरानी उपकरणों (Surveillance Equipment) और संभवतः मानव रहित प्रणालियों (Unmanned Systems) से सुसज्जित होंगे।
  • संयुक्त संचालन (Joint Operations): ये ब्रिगेड वायु सेना और नौसेना के साथ मिलकर संयुक्त अभियान चलाने की क्षमता को भी बढ़ाएंगे।

उदाहरण के लिए, एक नए एकीकृत युद्धक ब्रिगेड (Integrated Battle Group – IBG) को युद्ध की स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया देने और दुश्मन के ठिकानों पर सटीक प्रहार करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है। इसमें पैदल सेना, टैंक, तोपखाना और वायु रक्षा क्षमताएं एक साथ काम करेंगी, जिससे इसे एक ‘पंच’ मिलेगा जो अकेले किसी एक यूनिट के पास नहीं हो सकता।

पाकिस्तान मोर्चा: एक सतत चुनौती (Pakistan Front: A Persistent Challenge):

पाकिस्तान के साथ भारत की सीमा, विशेष रूप से नियंत्रण रेखा (Line of Control – LoC) के पार, लगातार अस्थिरता का एक स्रोत रही है। आतंकवाद को राज्य-प्रायोजित समर्थन, सीमा पार घुसपैठ और हाल के वर्षों में सीमा पर युद्धविराम उल्लंघनों ने भारतीय सेना को एक अनवरत सतर्कता की स्थिति में रखा है।

रणनीतिक आवश्यकताएँ (Strategic Necessities):

  • घुसपैठ का मुकाबला: नए ब्रिगेड, अधिक बेहतर निगरानी क्षमताओं और त्वरित प्रतिक्रिया टीमों के साथ, घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
  • प्रतिक्रिया समय में कमी: सीमा के करीब मजबूत सैन्य उपस्थिति, किसी भी आक्रामक कार्रवाई की स्थिति में प्रतिक्रिया समय को कम करती है।
  • समन्वित प्रतिक्रिया: नए ब्रिगेड, सीमा पर भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाते हुए, पाकिस्तान के किसी भी सैन्य दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए एक अधिक समन्वित और शक्तिशाली प्रतिक्रिया प्रदान करेंगे।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष केवल पारंपरिक युद्ध तक सीमित नहीं है। इसमें ‘प्रॉक्सी’ युद्ध (Proxy Warfare) और हाइब्रिड युद्ध के तत्व भी शामिल हैं। इसलिए, सेना को इन सभी आयामों से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करना होगा।

चीन मोर्चा: एक रणनीतिक प्रतिक्रिया (China Front: A Strategic Response):

चीन के साथ सीमा, विशेष रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC) के पार, हाल के वर्षों में काफी तनावपूर्ण रही है। 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद, चीन ने LAC के साथ अपनी सैन्य तैनाती और बुनियादी ढांचे का विस्तार किया है।

क्यों बढ़ाया जा रहा है सैनिकों का बल? (Why is Troop Strength Being Increased?):

  • LAC पर पैंतरेबाज़ी: चीन की PLA अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने और LAC के साथ अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए लगातार पैंतरेबाज़ी कर रही है।
  • लॉन्ग-स्टेंडिंग डिस्प्यूट्स: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का कोई अंतिम समाधान नहीं है, और कुछ क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संप्रभुता को लेकर मतभेद हैं।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, रेलवे और हवाई अड्डों का तेजी से विकास किया है, जिससे उसकी सेना को तेजी से तैनात करने की क्षमता बढ़ी है।

भारतीय सेना द्वारा अपने बल को बढ़ाना और नए ब्रिगेड का गठन करना, चीन के इस सैन्य निर्माण के प्रति एक सीधी और आवश्यक प्रतिक्रिया है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत LAC पर अपनी संप्रभुता की रक्षा करने और किसी भी आक्रामक कार्रवाई का दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए पर्याप्त रूप से सुसज्जित हो।

“किसी भी देश की सुरक्षा केवल उसकी सैन्य शक्ति पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसकी सामरिक सूझबूझ, कूटनीति और आधुनिकीकरण की क्षमता पर भी निर्भर करती है।”

ब्रिगेडों का पुनर्गठन: एक गहराई से विश्लेषण (Reorganisation of Brigades: An In-depth Analysis):

भारतीय सेना ने हाल के वर्षों में अपने संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से परिचालन क्षमता में सुधार करने के प्रयास किए हैं। ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप’ (IBG) की अवधारणा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) क्या है? (What is an Integrated Battle Group?):

IBG, पारंपरिक डिवीजन-आधारित संरचना से हटकर, एक अधिक केंद्रित और स्व-पर्याप्त (Self-sufficient) युद्धक इकाई है। इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • विविध समर्थन: एक IBG में न केवल पैदल सेना, बल्कि बख्तरबंद, तोपखाना, इंजीनियर, वायु रक्षा और अन्य समर्थन इकाइयाँ भी शामिल होंगी।
  • गतिशीलता: IBG को कम समय में लंबी दूरी तय करने और विभिन्न प्रकार के युद्धों में लड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • लचीलापन: प्रत्येक IBG को विशिष्ट परिचालन वातावरण (जैसे पहाड़ी, रेगिस्तानी, शहरी) के अनुरूप ढाला जा सकता है।
  • निर्णय लेने की गति: IBG की संरचना निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज करती है, जिससे युद्धक्षेत्र में अधिक प्रभावी प्रतिक्रिया संभव होती है।

यह पुनर्गठन सेना को ‘नेट-सेंट्रिक वॉरफेयर’ (Net-Centric Warfare) के युग के लिए तैयार करने का प्रयास है, जहाँ सूचना का प्रवाह और विभिन्न इकाइयों के बीच समन्वय सर्वोपरि होता है।

सेना के आधुनिकीकरण के अन्य पहलू (Other Aspects of Army Modernisation):

केवल नए ब्रिगेड जोड़ना ही पर्याप्त नहीं है। भारतीय सेना का आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें शामिल हैं:

  • हथियारों का उन्नयन: आधुनिक तोपखाने, टैंक, हेलीकॉप्टर और मिसाइल प्रणालियों का अधिग्रहण।
  • प्रौद्योगिकी का एकीकरण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ड्रोन, साइबर सुरक्षा, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare) क्षमताओं में निवेश।
  • मानव संसाधन विकास: सैनिकों के प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करना, विशेष रूप से भविष्य के युद्धों की मांगों को पूरा करने के लिए।
  • लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला: दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए एक मजबूत लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण।

केस स्टडी: इजरायल की सेना, अपनी छोटी भौगोलिक सीमा और लगातार सुरक्षा खतरों के बावजूद, प्रौद्योगिकी और लचीले युद्धक समूहों के एकीकरण के माध्यम से अपनी युद्धक क्षमता बनाए रखती है। भारत अपनी रणनीतियों को विकसित करते समय ऐसे मॉडलों से प्रेरणा ले सकता है।

चुनौतियाँ और विचार (Challenges and Considerations):

इस रणनीतिक पुनर्गठन के साथ कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं:

  • वित्तपोषण: नए ब्रिगेडों का गठन, आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिए भारी वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी। रक्षा बजट का कुशल आवंटन एक प्रमुख चिंता का विषय है।
  • प्रौद्योगिकी अधिग्रहण: अत्याधुनिक हथियारों और प्रौद्योगिकियों का अधिग्रहण एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया हो सकती है, जिसमें विभिन्न देशों पर निर्भरता भी एक कारक हो सकती है।
  • मानव संसाधन और प्रशिक्षण: नए ब्रिगेडों के लिए कुशल कर्मियों को तैयार करना और उन्हें आधुनिक युद्ध तकनीकों में प्रशिक्षित करना एक बड़ी चुनौती होगी।
  • अंतर-सेवा समन्वय: थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच बेहतर और निर्बाध समन्वय (Inter-Service Coordination) सुनिश्चित करना, विशेष रूप से संयुक्त अभियानों में, अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • भू-राजनीतिक प्रभाव: इन सैन्य सुधारों का क्षेत्रीय भू-राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी एक विचारणीय पहलू है।

उपमा: कल्पना कीजिए कि आप एक इमारत बना रहे हैं। केवल ईंटें और सीमेंट (सैनिक) पर्याप्त नहीं हैं; आपको एक मजबूत नींव (प्रशिक्षण), कुशल कारीगर (अधिकारी), आधुनिक उपकरण (हथियार) और एक स्पष्ट योजना (रणनीति) की आवश्यकता होती है।

भविष्य की राह: एक एकीकृत दृष्टिकोण (The Way Forward: An Integrated Approach):

भारतीय सेना का भविष्य-तैयार होना एक सतत प्रक्रिया है। नए ब्रिगेडों का गठन एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह पूरी तस्वीर का केवल एक हिस्सा है। भविष्य में, भारत को एक ऐसे रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना होगा जो:

  • आत्मनिर्भर हो: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के माध्यम से रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना।
  • प्रौद्योगिकी-संचालित हो: AI, साइबर सुरक्षा, ड्रोन और अंतरिक्ष-आधारित परिसंपत्तियों (Space-based Assets) जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों में निवेश करना।
  • लचीला और अनुकूली हो: बदलती युद्ध की प्रकृति और भू-राजनीतिक परिदृश्यों के अनुसार अपनी रणनीतियों और संरचनाओं को लगातार अनुकूलित करना।
  • बहु-आयामी हो: पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ हाइब्रिड युद्ध, साइबर युद्ध और सूचना युद्ध जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में सक्षम हो।

यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ये सैन्य सुधार केवल प्रतिक्रियात्मक न हों, बल्कि एक सक्रिय और दूरदर्शी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा हों।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: भारतीय सेना के हालिया पुनर्गठन के संदर्भ में, ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप’ (IBG) की निम्नलिखित में से कौन सी मुख्य विशेषता है?

    (a) यह केवल पैदल सेना की इकाइयों पर केंद्रित है।
    (b) इसमें विभिन्न युद्धक भूमिकाओं वाली कई इकाइयों का एकीकरण शामिल है।
    (c) यह केवल रक्षात्मक अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    (d) इसका मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना है।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: IBG का मुख्य उद्देश्य विभिन्न युद्धक तत्वों (जैसे पैदल सेना, बख्तरबंद, तोपखाना) को एक साथ एकीकृत करना है ताकि एक स्व-पर्याप्त और लचीली युद्धक इकाई बनाई जा सके।

  2. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारतीय सेना के लिए दो प्रमुख रणनीतिक चिंताएँ प्रस्तुत करता है, जिनके मोर्चों पर ताकत बढ़ाई जा रही है?

    (a) म्यांमार और बांग्लादेश
    (b) पाकिस्तान और चीन
    (c) नेपाल और भूटान
    (d) श्रीलंका और मालदीव

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: समाचार के अनुसार, भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर अपनी ताकत बढ़ा रही है।

  3. प्रश्न: ‘भविष्य-तैयार’ (Future-ready) सेना की अवधारणा में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व सबसे कम प्रासंगिक है?

    (a) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का एकीकरण
    (b) पारंपरिक हथियारों का पूर्ण बहिष्कार
    (c) हाइब्रिड युद्ध से निपटने की क्षमता
    (d) सूचना युद्ध (Information Warfare) के लिए तैयारी

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: भविष्य के युद्धों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के युद्ध शामिल होंगे। पारंपरिक हथियारों का पूर्ण बहिष्कार भविष्य-तैयार होने का संकेत नहीं है, बल्कि उनका आधुनिकीकरण और अन्य तकनीकों के साथ एकीकरण महत्वपूर्ण है।

  4. प्रश्न: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) किस देश के साथ भारत की सीमा का प्रतिनिधित्व करती है?

    (a) पाकिस्तान
    (b) नेपाल
    (c) चीन
    (d) बांग्लादेश

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और चीन के बीच सीमा को संदर्भित करती है।

  5. प्रश्न: ‘नेट-सेंट्रिक वॉरफेयर’ (Net-Centric Warfare) में सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?

    (a) सैनिकों की संख्या
    (b) सूचना का प्रवाह और अंतर-इकाई समन्वय
    (c) केवल पारंपरिक हथियारों का उपयोग
    (d) भौगोलिक लाभ

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: नेट-सेंट्रिक वॉरफेयर का मूल सिद्धांत सूचना का निर्बाध प्रवाह और विभिन्न प्लेटफार्मों और इकाइयों के बीच प्रभावी समन्वय है।

  6. प्रश्न: नियंत्रण रेखा (LoC) भारत की किस सीमा का प्रतिनिधित्व करती है?

    (a) चीन के साथ
    (b) पाकिस्तान के साथ
    (c) बांग्लादेश के साथ
    (d) म्यांमार के साथ

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: नियंत्रण रेखा (LoC) भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम रेखा है।

  7. प्रश्न: भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के संदर्भ में, ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का क्या महत्व है?

    (a) रक्षा उपकरणों का आयात बढ़ाना
    (b) रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना
    (c) सैन्य प्रशिक्षण को कम करना
    (d) केवल कूटनीतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है।

  8. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘हाइब्रिड युद्ध’ (Hybrid Warfare) का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

    (a) केवल पारंपरिक सैन्य बल का उपयोग
    (b) पारंपरिक सैन्य साधनों के साथ-साथ गैर-पारंपरिक साधनों (जैसे साइबर, सूचना, आर्थिक) का मिश्रण
    (c) केवल परमाणु हथियारों का उपयोग
    (d) कूटनीतिक वार्ताओं पर पूर्ण निर्भरता

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: हाइब्रिड युद्ध पारंपरिक सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ प्रचार, साइबर हमले, आर्थिक दबाव और अन्य गैर-सैन्य साधनों का एक जटिल मिश्रण है।

  9. प्रश्न: भारतीय सेना के लिए एक ‘अतिरिक्त पंच’ (Extra Punch) का अर्थ क्या है?

    (a) केवल सैनिकों की संख्या बढ़ाना
    (b) परिचालन क्षमता और मारक क्षमता में वृद्धि
    (c) केवल रक्षात्मक तैनाती
    (d) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सीमित करना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: ‘अतिरिक्त पंच’ का अर्थ है सेना की समग्र मारक क्षमता, गतिशीलता और युद्ध लड़ने की क्षमता में वृद्धि।

  10. प्रश्न: भारत के रक्षा आधुनिकीकरण के लिए कौन सी विदेशी तकनीकें अक्सर महत्वपूर्ण होती हैं?

    (a) केवल स्थानीय प्रौद्योगिकी
    (b) उन्नत देशों से आयातित तकनीकें
    (c) केवल ऐतिहासिक युद्ध तकनीकें
    (d) प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: कई उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए, भारत अक्सर इज़राइल, अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों जैसे देशों पर निर्भर रहता है, हालांकि स्वदेशीकरण पर जोर बढ़ रहा है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और चीन सीमाओं पर नए ब्रिगेडों को शामिल करने और सैन्य क्षमता बढ़ाने के निर्णय के पीछे के भू-राजनीतिक और सामरिक कारणों का विश्लेषण करें। वर्तमान क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के आलोक में इसके महत्व पर चर्चा करें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न: ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप’ (IBG) की अवधारणा को समझाएं और भारतीय सेना की भविष्य की युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने में इसके संभावित योगदान पर प्रकाश डालें। इसमें शामिल प्रमुख चुनौतियों का भी उल्लेख करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न: भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए किस हद तक रक्षा आधुनिकीकरण और ‘भविष्य-तैयार’ रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए? ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों की भूमिका पर चर्चा करें। (150 शब्द)
  4. प्रश्न: भारतीय सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में स्वदेशीकरण (Indigenisation) और प्रौद्योगिकी अधिग्रहण (Technology Acquisition) के बीच संतुलन बनाने की क्या आवश्यकता है? इस संबंध में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? (150 शब्द)

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