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भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध: 25% टैरिफ पर नया मोड़, जानें आगे क्या?

भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध: 25% टैरिफ पर नया मोड़, जानें आगे क्या?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित कुछ वस्तुओं पर 25% तक का अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा की है। इस कदम पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने कड़ी आपत्ति जताई है, इसे ‘अनुचित’ बताते हुए कहा है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। यह घटनाक्रम दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण व्यापारिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ता है, जिस पर UPSC उम्मीदवारों के लिए गहन विश्लेषण आवश्यक है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस मुद्दे की गहराई में जाकर, इसके ऐतिहासिक संदर्भ, भारत और अमेरिका पर इसके संभावित प्रभाव, वैश्विक व्यापार पर इसके निहितार्थ और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व को समझाएगा।

पृष्ठभूमि: व्यापारिक संबंधों में उतार-चढ़ाव (The Background: Fluctuations in Trade Relations)

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध दशकों से विकसित हो रहे हैं। दोनों देश एक-दूसरे के लिए बड़े व्यापारिक भागीदार हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में, विशेष रूप से ट्रंप प्रशासन के आने के बाद से, इन संबंधों में एक नई गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हुई है। अमेरिका ने लगातार भारत के व्यापार अधिशेष (trade surplus) पर चिंता व्यक्त की है और भारतीय बाजारों तक पहुंच में कथित बाधाओं का उल्लेख किया है।

प्रमुख मुद्दे जिन पर अमेरिका ने चिंता जताई है:

  • व्यापार घाटा (Trade Deficit): अमेरिका का मानना ​​है कि भारत के साथ उसका व्यापार घाटा काफी बड़ा है, यानी भारत अमेरिका को जितना निर्यात करता है, उससे कहीं अधिक आयात करता है।
  • बाजार पहुंच (Market Access): अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजारों में प्रवेश करने में आने वाली बाधाओं, जैसे उच्च आयात शुल्क, नियामक आवश्यकताएं और स्थानीय सामग्री की आवश्यकताएं, पर अमेरिका ने चिंता जताई है।
  • आर्थिक और वाणिज्यिक नीति (Economic and Commercial Policy): अमेरिका ने भारत की कुछ नीतियों, जैसे डिजिटल सेवाओं पर कर (Digital Services Tax) और कुछ औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क, को अनुचित माना है।

वहीं, भारत का तर्क रहा है कि उसके अपने विकास संबंधी एजेंडे हैं और वह अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था तथा उद्योगों की सुरक्षा के लिए कुछ नीतियां अपनाता है। भारत का कहना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ एकतरफा और संरक्षणवादी (protectionist) हैं, जो विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुरूप नहीं हैं।

25% अतिरिक्त टैरिफ: यह क्या है और क्यों? (The 25% Additional Tariff: What and Why?)

अमेरिकी प्रशासन द्वारा घोषित 25% का अतिरिक्त टैरिफ, उन विशिष्ट भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया है जिन्हें अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई के रूप में लक्षित किया है। यह कदम संभवतः तब उठाया गया जब भारत ने अमेरिका से आने वाली कुछ वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाए थे, जो अमेरिकी टैरिफ के प्रत्युत्तर में थे।

इस टैरिफ के पीछे संभावित कारण (Potential Reasons Behind This Tariff):

  • व्यापार घाटे को कम करना (Reducing Trade Deficit): ट्रंप प्रशासन का मुख्य लक्ष्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है। उनका मानना ​​है कि उच्च टैरिफ आयात को हतोत्साहित करेगा और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा, जिससे व्यापार घाटा कम होगा।
  • जवाबी कार्रवाई (Retaliation): यह टैरिफ भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों के जवाब में हो सकता है। अमेरिका अक्सर इसे ‘रुपयों की वसूली’ (reciprocity) के तौर पर देखता है।
  • बातचीत में दबाव बनाना (Creating Leverage in Negotiations): टैरिफ लगाना अक्सर व्यापार वार्ता में दूसरे पक्ष पर दबाव बनाने का एक तरीका होता है। अमेरिका इसका उपयोग भारत को अपनी मांगों को मानने के लिए मजबूर करने के लिए कर सकता है।
  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा (America First Agenda): यह कदम ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का एक हिस्सा है, जिसके तहत अमेरिकी हितों को वैश्विक व्यापार से ऊपर रखा जाता है।

क्या भारत पर ये टैरिफ पहले भी लगे हैं?

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया है। इससे पहले भी, स्टील और एल्युमिनियम जैसे उत्पादों पर अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए गए थे, जिस पर भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की थी। यह एक ‘ट्रेड वॉर’ (Trade War) की स्थिति को दर्शाता है, जहां दोनों देश एक-दूसरे पर टैरिफ लगाते हैं, जिससे व्यापार बाधित होता है।

भारत की प्रतिक्रिया: ‘अनुचित’ और ‘आवश्यक कदम’ (‘Unfair’ and ‘Necessary Steps’)

भारत के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया इस टैरिफ को ‘अनुचित’ करार देती है। इसके पीछे कई कारण हैं:

क्यों ‘अनुचित’? (Why ‘Unfair’?):

  • एकतरफा कार्रवाई (Unilateral Action): भारत का मानना ​​है कि अमेरिका एकतरफा कार्रवाई कर रहा है, जो वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन है।
  • WTO का उल्लंघन (Violation of WTO Norms): विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम सदस्य देशों को इस तरह के एकतरफा टैरिफ लगाने से रोकते हैं, खासकर जब तक कि किसी विशेष सुरक्षा उपाय (safeguard measures) या विवाद समाधान प्रक्रिया का पालन न किया जाए।
  • विकासशील देशों को नुकसान (Harm to Developing Countries): भारत एक विकासशील देश है और उसे अपनी उभरती हुई अर्थव्यवस्था को संरक्षण देने की आवश्यकता है। इस तरह के टैरिफ उसके विकास को बाधित कर सकते हैं।
  • अप्रत्यक्ष प्रभाव (Indirect Impact): भले ही टैरिफ कुछ वस्तुओं पर लगे हों, लेकिन इसका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी अनिश्चितता बढ़ती है।

‘आवश्यक कदम’ उठाने का क्या मतलब है? (What does ‘Necessary Steps’ Mean?):

यह बयान स्पष्ट रूप से बताता है कि भारत चुपचाप इस कदम को स्वीकार नहीं करेगा। ‘आवश्यक कदम’ उठाने का मतलब हो सकता है:

  • जवाबी शुल्क लगाना (Imposing Counter-Tariffs): भारत भी अमेरिका से आने वाली कुछ वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगा सकता है।
  • WTO में शिकायत (Complaint in WTO): भारत इस मामले को WTO के विवाद समाधान तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) के तहत ले जा सकता है।
  • कूटनीतिक प्रयास (Diplomatic Efforts): दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से समाधान खोजने का प्रयास किया जा सकता है।
  • व्यापार समायोजन (Trade Adjustments): भारत अपने व्यापार को अन्य देशों की ओर मोड़ने का प्रयास कर सकता है ताकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके।

भारत-अमेरिका व्यापार पर प्रभाव (Impact on India-US Trade)

इस तरह के टैरिफ का दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है:

भारत पर प्रभाव (Impact on India):

  • निर्यातकों को नुकसान (Loss for Exporters): जिन भारतीय कंपनियों के उत्पादों पर यह टैरिफ लगेगा, उनकी अमेरिका में प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी। इससे निर्यात में गिरावट आ सकती है और राजस्व का नुकसान हो सकता है।
  • निवेश पर अनिश्चितता (Uncertainty on Investment): व्यापारिक तनाव विदेशी निवेशकों के लिए अनिश्चितता पैदा कर सकता है, जिससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रभावित हो सकता है।
  • आर्थिक मंदी की आशंका (Risk of Economic Slowdown): यदि निर्यात और निवेश प्रभावित होते हैं, तो इसका समग्र आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • कच्चे माल की लागत (Cost of Raw Materials): यदि टैरिफ उन वस्तुओं पर लगे हैं जो भारत अपने उद्योगों के लिए आयात करता है, तो उत्पादन लागत बढ़ सकती है।

अमेरिका पर प्रभाव (Impact on US):

  • उपभोक्ताओं को नुकसान (Loss for Consumers): अमेरिकी उपभोक्ताओं को भारतीय उत्पादों के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है, या उन्हें कम विकल्प मिल सकते हैं।
  • आयातकों को नुकसान (Loss for Importers): अमेरिकी कंपनियां जिन्हें भारत से माल आयात करना पड़ता है, उन्हें बढ़ी हुई लागत का सामना करना पड़ेगा।
  • जवाबी कार्रवाई का खतरा (Risk of Retaliation): यदि भारत जवाबी शुल्क लगाता है, तो अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान हो सकता है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान (Disruption in Global Supply Chains): यह टैरिफ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे अन्य देशों के साथ भी तनाव बढ़ सकता है।

वैश्विक व्यापार और WTO पर निहितार्थ (Implications for Global Trade and WTO)

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव केवल द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है। यह वैश्विक व्यापार प्रणाली के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है:

  • संरक्षणवाद को बढ़ावा (Promotion of Protectionism): प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा इस तरह के एकतरफा टैरिफ संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं, जिससे मुक्त व्यापार के सिद्धांत को नुकसान पहुंचता है।
  • WTO की भूमिका पर सवाल (Questioning the Role of WTO): जब देश WTO के नियमों का पालन नहीं करते हैं या अपने तरीके से कार्य करते हैं, तो यह विश्व व्यापार संगठन की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग में कमी (Decline in International Cooperation): व्यापार युद्ध देशों के बीच सहयोग को कम करते हैं और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता को बढ़ाते हैं।
  • अन्य देशों पर प्रभाव (Impact on Other Countries): जिन देशों के साथ भारत और अमेरिका का व्यापार होता है, वे भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि व्यापार पैटर्न बदल सकते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए गहन विश्लेषण (In-depth Analysis for UPSC Exam)

यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से, अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations), भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy), और समसामयिक मामले (Current Affairs) जैसे विषयों के लिए इसका अध्ययन आवश्यक है।

क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is it Important?):

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR): यह भारत-अमेरिका संबंधों की गतिशीलता को समझने का एक प्रमुख बिंदु है, जिसमें कूटनीति, शक्ति संतुलन और राष्ट्रीय हित जैसे तत्व शामिल हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy): यह व्यापार नीतियों, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार, आयात-निर्यात, व्यापार घाटा, एफडीआई, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं जैसे आर्थिक सिद्धांतों के व्यावहारिक अनुप्रयोग को दर्शाता है।
  • वैश्विक शासन (Global Governance): यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका और प्रभावशीलता पर प्रकाश डालता है।

मुख्य परीक्षा के दृष्टिकोण से (From Mains Perspective):

मुख्य परीक्षा में, आपसे केवल तथ्यों का वर्णन करने के बजाय विश्लेषण, मूल्यांकन और समाधान सुझाने की उम्मीद की जाएगी। आपको निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

  1. कारण और प्रभाव का विश्लेषण (Analysis of Causes and Effects): अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने के पीछे के कारणों और भारत-अमेरिका व्यापार पर इसके संभावित प्रभावों का विस्तार से वर्णन करें।
  2. भारत की कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिक्रिया (India’s Diplomatic and Economic Response): भारत के ‘अनुचित’ कहने और ‘आवश्यक कदम’ उठाने के बयान के निहितार्थों का मूल्यांकन करें। भारत के पास क्या विकल्प हैं?
  3. संरक्षणवाद बनाम मुक्त व्यापार (Protectionism vs. Free Trade): इस मुद्दे को संरक्षणवाद और मुक्त व्यापार के व्यापक वैश्विक बहस के संदर्भ में रखें।
  4. WTO की भूमिका (Role of WTO): इस स्थिति में WTO की भूमिका और उसके नियमों के महत्व पर चर्चा करें।
  5. आगे की राह (Way Forward): भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव को कम करने और एक स्थायी समाधान खोजने के लिए संभावित उपायों का सुझाव दें।

प्रारंभिक परीक्षा के दृष्टिकोण से (From Prelims Perspective):

प्रारंभिक परीक्षा के लिए, आपको निम्नलिखित के बारे में स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए:

  • भारत-अमेरिका व्यापार के प्रमुख आँकड़े (Key Statistics of India-US Trade): द्विपक्षीय व्यापार का आकार, प्रमुख निर्यात/आयात वस्तुएं, व्यापार संतुलन।
  • WTO से संबंधित जानकारी (Information related to WTO): WTO के प्रमुख निकाय (जैसे विवाद समाधान निकाय), WTO के सिद्धांत, और भारत के WTO के प्रति क्या दायित्व हैं।
  • अमेरिका की व्यापारिक नीतियां (US Trade Policies): ‘अमेरिका फर्स्ट’, संरक्षणवादी नीतियां, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं।
  • भारत की व्यापारिक नीतियां (India’s Trade Policies): भारत की अपनी व्यापारिक नीतियां, शुल्क संरचना, और आयात-निर्यात से संबंधित नीतियां।

निष्कर्ष: संतुलन की आवश्यकता (Conclusion: The Need for Balance)

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। 25% अतिरिक्त टैरिफ का अमेरिकी कदम निश्चित रूप से भारत के लिए एक चुनौती है, लेकिन यह भारत को अपनी कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करता है।

भविष्य में, इन दोनों देशों को एक-दूसरे की चिंताओं को समझने और संवाद के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता होगी। संरक्षणवादी उपायों के बजाय, आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, जैसे कि सेवा क्षेत्र में व्यापार, निवेश को बढ़ावा देना और नवाचार में साझेदारी, दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह आवश्यक है कि वे इस तरह की घटनाओं को केवल समाचारों के रूप में न देखें, बल्कि उन्हें व्यापक वैश्विक और आर्थिक संदर्भों में विश्लेषित करें, ताकि वे परीक्षा में पूछे जाने वाले विश्लेषणात्मक प्रश्नों का प्रभावी ढंग से उत्तर दे सकें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह कदम संभवतः भारत के व्यापार अधिशेष को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
    2. यह एकतरफा कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुरूप मानी जा सकती है।
    3. यह टैरिफ भारत की निर्यात क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

    उत्तर: C (केवल 1 और 3)

    व्याख्या: अमेरिका का उद्देश्य व्यापार घाटा कम करना है, लेकिन एकतरफा टैरिफ WTO नियमों का उल्लंघन हो सकता है। यह निर्यातकों को प्रभावित करेगा।

  2. प्रश्न 2: भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी टैरिफ को ‘अनुचित’ क्यों बताया है?

    1. क्योंकि यह केवल अमेरिकी कंपनियों को लाभ पहुंचाता है।
    2. क्योंकि यह एकतरफा है और वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन कर सकता है।
    3. क्योंकि भारत को इससे कोई आर्थिक लाभ नहीं होता।
    4. क्योंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से अन्य देशों को लाभ पहुंचाता है।

    उत्तर: B (क्योंकि यह एकतरफा है और वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन कर सकता है।)

    व्याख्या: भारत का तर्क है कि यह कार्रवाई एकतरफा है और WTO के सिद्धांतों के खिलाफ जा सकती है।

  3. प्रश्न 3: ‘व्यापार घाटा’ (Trade Deficit) से आप क्या समझते हैं?

    1. निर्यात का आयात से अधिक होना।
    2. आयात का निर्यात से अधिक होना।
    3. सेवाओं के निर्यात का सेवाओं के आयात से अधिक होना।
    4. पूंजीगत वस्तुओं के आयात का उपभोक्ता वस्तुओं के आयात से अधिक होना।

    उत्तर: B (आयात का निर्यात से अधिक होना।)

    व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब एक देश अपने द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, अपने द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक भुगतान करता है।

  4. प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था वैश्विक व्यापार नियमों को विनियमित करती है?

    1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
    2. विश्व बैंक (World Bank)
    3. विश्व व्यापार संगठन (WTO)
    4. संयुक्त राष्ट्र (UN)

    उत्तर: C (विश्व व्यापार संगठन (WTO))

    व्याख्या: WTO वैश्विक व्यापार नियमों का प्रबंधन और सुविधा प्रदान करता है।

  5. प्रश्न 5: ‘संरक्षणवाद’ (Protectionism) से संबंधित कौन सा कथन सही है?

    1. यह घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आयात पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों की एक नीति है।
    2. यह देशों के बीच मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित करती है।
    3. यह टैरिफ और कोटा के उन्मूलन का समर्थन करती है।
    4. यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक कुशल बनाती है।

    उत्तर: A (यह घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आयात पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों की एक नीति है।)

    व्याख्या: संरक्षणवाद का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना है।

  6. प्रश्न 6: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध मुख्य रूप से किन क्षेत्रों पर केंद्रित हैं?

    1. सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सेवाएं
    2. कृषि उत्पाद
    3. रक्षा उपकरण
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: D (उपरोक्त सभी)

    व्याख्या: भारत और अमेरिका के बीच IT, सेवाएं, कृषि और रक्षा सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण व्यापार होता है।

  7. प्रश्न 7: ‘ट्रेड वॉर’ (Trade War) का क्या अर्थ है?

    1. दो या दो से अधिक देशों के बीच व्यापार के मामले में प्रतिबंधों का आदान-प्रदान।
    2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सभी प्रकार के करों का उन्मूलन।
    3. किसी भी देश के साथ व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध।
    4. केवल सेवाओं के व्यापार को विनियमित करना।

    उत्तर: A (दो या दो से अधिक देशों के बीच व्यापार के मामले में प्रतिबंधों का आदान-प्रदान।)

    व्याख्या: ट्रेड वॉर तब होता है जब देश एक-दूसरे पर टैरिफ या अन्य व्यापार बाधाओं से जवाबी कार्रवाई करते हैं।

  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा ‘गैर-टैरिफ बाधा’ (Non-Tariff Barrier) का उदाहरण है?

    1. आयात पर लगाया गया 10% शुल्क।
    2. किसी उत्पाद के आयात के लिए आवश्यक जटिल नियामक प्रक्रियाएं।
    3. घरेलू कर।
    4. निर्यात पर सब्सिडी।

    उत्तर: B (किसी उत्पाद के आयात के लिए आवश्यक जटिल नियामक प्रक्रियाएं।)

    व्याख्या: गैर-टैरिफ बाधाएं वे प्रतिबंध हैं जो शुल्क के अलावा आयात को सीमित करते हैं, जैसे कोटा, नियामक आवश्यकताएं, या गुणवत्ता मानक।

  9. प्रश्न 9: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर व्यापारिक तनाव का संभावित प्रभाव क्या हो सकता है?

    1. FDI में वृद्धि
    2. FDI में कमी
    3. FDI पर कोई प्रभाव नहीं
    4. केवल निर्यात पर प्रभाव

    उत्तर: B (FDI में कमी)

    व्याख्या: व्यापारिक अनिश्चितता निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ा सकती है, जिससे FDI में कमी आ सकती है।

  10. प्रश्न 10: WTO के ‘विवाद समाधान तंत्र’ (Dispute Settlement Mechanism) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. सभी देशों के लिए मुक्त व्यापार सुनिश्चित करना।
    2. सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का शांतिपूर्ण और समय पर समाधान करना।
    3. नए व्यापार समझौते बनाना।
    4. केवल विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

    उत्तर: B (सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का शांतिपूर्ण और समय पर समाधान करना।)

    व्याख्या: यह तंत्र WTO के सदस्य देशों के बीच व्यापार से संबंधित विवादों को हल करने के लिए एक प्रणाली प्रदान करता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ के प्रमुख कारणों का विश्लेषण करें। चर्चा करें कि यह कदम भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार और वैश्विक व्यापार व्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है। (लगभग 250 शब्द)

  2. प्रश्न 2: भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा अमेरिकी टैरिफ को ‘अनुचित’ बताने के संदर्भ में, भारत के पास उपलब्ध कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिक्रियाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। क्या भारत को WTO में शिकायत दर्ज करनी चाहिए? अपने उत्तर का समर्थन करें। (लगभग 250 शब्द)

  3. प्रश्न 3: हालिया व्यापारिक तनावों के आलोक में, संरक्षणवाद के बढ़ते चलन और वैश्विक व्यापार प्रणाली पर इसके निहितार्थों पर चर्चा करें। क्या संरक्षणवाद किसी देश के दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए एक स्थायी रणनीति है?

  4. प्रश्न 4: भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने और भविष्य में इस तरह के टैरिफ विवादों से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करें।

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