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भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध: राहुल गांधी का पीएम मोदी पर तीखा सवाल, टैरिफ पर क्यों चुप्पी?

भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध: राहुल गांधी का पीएम मोदी पर तीखा सवाल, टैरिफ पर क्यों चुप्पी?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया है, तो प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं और देश को जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं। राहुल गांधी के इस बयान ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों, टैरिफ के आर्थिक प्रभाव, और भारत की विदेश नीति पर एक नई बहस छेड़ दी है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

यह मुद्दा केवल एक राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, भू-राजनीति, आर्थिक सिद्धांत, और कूटनीति जैसे UPSC के पाठ्यक्रम के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है। आइए, इस पूरी स्थिति का गहराई से विश्लेषण करें, समझें कि अमेरिका द्वारा टैरिफ क्यों लगाए जाते हैं, उनका भारत पर क्या प्रभाव पड़ता है, और इस पर सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही है।

समझें टैरिफ: एक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का हथियार (Understanding Tariffs: A Tool of International Trade)

सबसे पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि ‘टैरिफ’ क्या होता है। सरल शब्दों में, टैरिफ एक प्रकार का कर (tax) होता है जो कोई देश किसी दूसरे देश से आयात (import) की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर लगाता है। इसे ‘कस्टम ड्यूटी’ (Customs Duty) या ‘आयात शुल्क’ के नाम से भी जाना जाता है।

टैरिफ क्यों लगाए जाते हैं?
सरकारें विभिन्न कारणों से टैरिफ का उपयोग कर सकती हैं:

  • घरेलू उद्योगों की रक्षा (Protecting Domestic Industries): सबसे आम कारण है अपने देश के उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना। जब किसी विदेशी उत्पाद की कीमत कम होती है, तो वह घरेलू बाजार में अधिक आकर्षक हो सकता है। टैरिफ लगाकर, विदेशी उत्पाद महंगे कर दिए जाते हैं, जिससे घरेलू उत्पादों को बढ़ावा मिलता है।
  • राजस्व बढ़ाना (Increasing Revenue): टैरिफ लगाने से सरकार के राजस्व में वृद्धि होती है, जो सार्वजनिक सेवाओं या अन्य सरकारी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): कुछ विशेष वस्तुएं, जैसे कि हथियार या महत्वपूर्ण तकनीक, यदि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भर हों, तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। ऐसे मामलों में, आयात पर टैरिफ लगाकर या उन्हें प्रतिबंधित करके आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जाता है।
  • व्यापार असंतुलन को ठीक करना (Correcting Trade Imbalances): यदि कोई देश दूसरे देश से बहुत अधिक आयात करता है और निर्यात कम करता है (यानी, व्यापार घाटा), तो टैरिफ का उपयोग आयात को हतोत्साहित करने और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है।
  • राजनीतिक दबाव (Political Leverage): टैरिफ का उपयोग अक्सर द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं में एक दबाव उपकरण के रूप में किया जाता है। एक देश दूसरे पर टैरिफ लगाकर उसे अपनी नीतियों में बदलाव के लिए मजबूर कर सकता है।

एक उपमा: सोचिए कि एक स्थानीय दुकान है जो अच्छी गुणवत्ता वाली सब्जियां बेचती है, लेकिन एक बड़ा सुपरमार्केट बहुत सस्ती सब्जियां बेच रहा है। यदि स्थानीय दुकानदार अपनी सब्जियों को बेचने में असमर्थ हो जाता है, तो सरकार उस सुपरमार्केट पर ‘अतिरिक्त शुल्क’ (टैरिफ की तरह) लगा सकती है ताकि उसकी सब्जियां थोड़ी महंगी हो जाएं और स्थानीय दुकानदार को प्रतिस्पर्धा का मौका मिले।

ट्रंप प्रशासन और टैरिफ की नीति (The Trump Administration and Tariffs Policy)

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति रहते हुए, अमेरिका ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति के तहत कई देशों पर टैरिफ लगाए। चीन, यूरोपीय संघ के सदस्य देश, कनाडा, मेक्सिको और भारत जैसे देशों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

मुख्य लक्ष्य:
* चीन के साथ बड़े व्यापार घाटे को कम करना।
* अमेरिकी विनिर्माण (manufacturing) को बढ़ावा देना।
* अन्य देशों को अनुचित व्यापार प्रथाओं (unfair trade practices) से रोकना।

उदाहरण: ट्रम्प प्रशासन ने स्टील और एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क लगाया, जिसमें भारत भी प्रभावित हुआ। इसके अलावा, कुछ चीनी उत्पादों पर भी उच्च टैरिफ लगाए गए, जिसे “ट्रेड वॉर” (Trade War) का नाम दिया गया।

भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव (Impact of US Tariffs on India)

अमेरिकी टैरिफ के भारत पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के प्रभाव पड़े हैं:

  1. निर्यात पर असर:
    • स्टील और एल्यूमीनियम: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों को मुश्किल में डाला। इससे भारतीय कंपनियों की लाभप्रदता (profitability) कम हुई और कुछ मामलों में निर्यात रोकना पड़ा।
    • अन्य उत्पाद: अन्य क्षेत्रों में भी, यदि अमेरिकी टैरिफ के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (global supply chain) बाधित होती है, तो अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकते हैं।
  2. व्यापार घाटा/अधिशेष:
    * भारत का अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन (trade balance) परंपरागत रूप से भारत के पक्ष में रहा है (यानी, भारत अमेरिका को निर्यात अधिक करता है और आयात कम)। अमेरिका का लक्ष्य अपने व्यापार घाटे को कम करना था।
    * जब अमेरिका ने भारत से कुछ वस्तुओं पर टैरिफ लगाए, तो भारत ने भी जवाबी कार्रवाई के तौर पर अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए (जैसे कि दालें, मोटर वाहन, कुछ फल)।
  3. आर्थिक संबंध में तनाव: इस तरह के टैरिफ की नीतियां दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में तनाव पैदा करती हैं, जिससे भविष्य की व्यापार वार्ताओं और निवेश पर असर पड़ सकता है।
  4. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: जब प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं व्यापार प्रतिबंध लगाती हैं, तो यह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता को बढ़ाता है, जिससे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं।

“जब अमेरिका हम पर टैरिफ लगाता है, तो यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के खिलाफ जाता है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और हमारे उद्योगों को नुकसान पहुंचाता है। प्रधानमंत्री मोदी को इस बारे में देश को जवाब देना चाहिए कि वे इस चुनौती का सामना कैसे कर रहे हैं।” – यह राहुल गांधी के बयान का सार है, जो उनकी चिंता को दर्शाता है।

राहुल गांधी का सवाल: ‘प्रधानमंत्री जवाब क्यों नहीं दे रहे?’ (Rahul Gandhi’s Question: ‘Why is the Prime Minister Not Responding?’)

राहुल गांधी का यह आरोप कि प्रधानमंत्री मोदी ‘जवाब क्यों नहीं दे रहे’, कई स्तरों पर महत्वपूर्ण है:

  1. पारदर्शिता और जवाबदेही (Transparency and Accountability): लोकतंत्र में, सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर देश को सूचित करे और अपनी नीतियों को स्पष्ट करे। जब किसी देश द्वारा ऐसे टैरिफ लगाए जाते हैं जो घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं, तो जनता को यह जानने का अधिकार है कि सरकार की प्रतिक्रिया क्या है और उसका आगे का कदम क्या होगा।
  2. रणनीतिक प्रतिक्रिया (Strategic Response): टैरिफ का सामना करने के लिए केवल जवाबी टैरिफ लगाना ही एकमात्र तरीका नहीं है। इसमें कूटनीतिक बातचीत, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाना, या घरेलू उद्योगों के लिए समर्थन बढ़ाना शामिल हो सकता है। राहुल गांधी शायद यह जानना चाहते हैं कि सरकार की समग्र रणनीति क्या है।
  3. घरेलू राजनीतिक पहलू (Domestic Political Aspect): विपक्ष के नेता के तौर पर, राहुल गांधी सरकार की आर्थिक नीतियों और विदेश नीति पर सवाल उठाना अपना कर्तव्य समझते हैं। यह सरकार पर दबाव बनाने और सार्वजनिक राय को प्रभावित करने का एक तरीका भी है।
  4. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ से जुड़ाव: राहुल गांधी इस मुद्दे को सरकार के अपने ही नारों ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ से जोड़ रहे हैं। उनका तर्क है कि जब बाहरी शक्तियां भारतीय उद्योगों पर बाधाएं लगा रही हैं, तो सरकार को इन पहलों को मजबूत करने के लिए स्पष्ट कदम उठाने चाहिए और उसके बारे में जनता को बताना चाहिए।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया और विदेश नीति (Indian Government’s Response and Foreign Policy)

यह कहना कि सरकार ‘जवाब नहीं दे रही’ शायद पूरी तरह सही न हो। भारत ने अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है:

  • जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariffs): जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाए। यह दर्शाता है कि भारत अपनी आर्थिक हितों की रक्षा के लिए तैयार है।
  • कूटनीतिक प्रयास (Diplomatic Efforts): भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से इन मुद्दों को हल करने का प्रयास किया है। कई दौर की बातचीत हुई है, जहां भारत ने अपने हितों को अमेरिका के सामने रखा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंच: विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे मंचों पर भी टैरिफ से संबंधित मुद्दों को उठाया जा सकता है, हालांकि यह प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है।
  • घरेलू उपाय: सरकार भारतीय उद्योगों को मजबूत करने और निर्यात को विविधतापूर्ण बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं भी चला रही है, जो अप्रत्यक्ष रूप से इस तरह के बाहरी दबावों का सामना करने में मदद करती हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:
यह स्थिति भारत की विदेश नीति के ‘सामरिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) के सिद्धांत को भी दर्शाती है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय लेता है, चाहे वह अमेरिका जैसा शक्तिशाली सहयोगी हो या कोई अन्य देश।

पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons of Tariffs)

टैरिफ के पक्ष में तर्क (Pros of Tariffs):

  • घरेलू उद्योगों को सुरक्षा और बढ़ावा।
  • राजस्व सृजन।
  • व्यापार असंतुलन को नियंत्रित करने में मदद।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वार्ताओं में मोलभाव की शक्ति।

टैरिफ के विपक्ष में तर्क (Cons of Tariffs):

  • उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं का महंगा होना।
  • विदेशी बाजारों में जवाबी टैरिफ की संभावना, जो निर्यातकों को नुकसान पहुंचाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तनाव और अस्थिरता।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का विखंडन।
  • आर्थिक दक्षता में कमी (क्योंकि यह बाजार को विकृत करता है)।

“एक टैरिफ लगाने का मतलब है कि आप उस देश के खिलाफ एक तरह की आर्थिक लड़ाई छेड़ रहे हैं। यदि वह देश जवाबी कार्रवाई करता है, तो यह एक ‘ट्रेड वॉर’ बन जाता है, जिससे दोनों देशों को नुकसान होता है।”

आगे की राह और UPSC के लिए निष्कर्ष (Way Forward and Conclusion for UPSC)

यह मुद्दा UPSC उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अर्थव्यवस्था, विदेश नीति, और राजव्यवस्था जैसे विषयों के अध्ययन के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रस्तुत करता है।

UPSC के दृष्टिकोण से मुख्य बातें:

  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धांत: टैरिफ, संरक्षणवाद (protectionism), मुक्त व्यापार (free trade), व्यापार संतुलन, शुल्क का अर्थशास्त्र।
  2. भारत-अमेरिका संबंध: दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, व्यापारिक मुद्दे, कूटनीतिक वार्ता की प्रक्रिया।
  3. भारतीय अर्थव्यवस्था: ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों पर बाहरी प्रभाव, निर्यात प्रोत्साहन, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर प्रभाव।
  4. विदेश नीति: राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा, बहुपक्षवाद (multilateralism) बनाम द्विपक्षीयता (bilateralism), कूटनीति का महत्व।
  5. राजनीति: विपक्ष की भूमिका, सरकार की जवाबदेही, जनमत निर्माण।

राहुल गांधी का प्रश्न एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक बहस को जन्म देता है। सरकार को न केवल इन टैरिफों का जवाब देना होगा, बल्कि एक ऐसी सुविचारित और प्रभावी रणनीति भी बनानी होगी जो भारत के दीर्घकालिक आर्थिक हितों की रक्षा करे और वैश्विक स्तर पर देश की स्थिति को मजबूत करे। टैरिफ जैसे मुद्दे दर्शाते हैं कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय घटनाएं घरेलू राजनीति और आर्थिक नीतियों को गहराई से प्रभावित करती हैं, और कैसे एक सूचित और रणनीतिक प्रतिक्रिया भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

परीक्षा में, उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी ऐसे मुद्दे का विश्लेषण करते समय तटस्थ रहें, सभी पक्षों पर विचार करें, और प्रासंगिक आर्थिक व कूटनीतिक सिद्धांतों का उपयोग करके एक संतुलित उत्तर प्रस्तुत करें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘टैरिफ’ (Tariff) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) विदेशी सहायता बढ़ाना
(b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना
(c) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा विनिमय दर को स्थिर करना
(d) पर्यटन को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
व्याख्या: टैरिफ का मुख्य उद्देश्य आयातित वस्तुओं पर कर लगाकर उन्हें महंगा करना है, ताकि घरेलू उत्पादकों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सके और उनके उद्योगों की रक्षा हो सके।

2. प्रश्न: ‘मेक इन इंडिया’ पहल का मुख्य लक्ष्य क्या है?
(a) भारत से निर्यात को दोगुना करना
(b) भारत में विनिर्माण (manufacturing) को बढ़ावा देना और निवेश आकर्षित करना
(c) भारतीय रुपये का अवमूल्यन करना
(d) सेवा क्षेत्र का विस्तार करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘मेक इन इंडिया’ पहल का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है, जिससे उत्पादन को बढ़ावा मिले और रोजगार सृजित हों।

3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी वस्तु पर अमेरिका द्वारा भारत के संबंध में टैरिफ लगाए जाने की संभावना रही है?
(a) सॉफ्टवेयर सेवाएं
(b) स्टील और एल्यूमीनियम
(c) फार्मास्यूटिकल्स
(d) सूचना प्रौद्योगिकी (IT) हार्डवेयर
उत्तर: (b)
व्याख्या: ट्रम्प प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए, विश्व स्तर पर स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ लगाए थे, जिससे भारत जैसे कई देश प्रभावित हुए थे।

4. प्रश्न: ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का संबंध किससे है?
(a) केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
(b) विदेशी सहायता पर पूर्ण निर्भरता
(c) घरेलू उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
(d) सेवा क्षेत्र में विशेषज्ञता बढ़ाना
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का व्यापक उद्देश्य सभी क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन, क्षमताओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत कर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।

5. प्रश्न: भारत ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में अक्सर क्या कदम उठाया है?
(a) अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाना
(b) अमेरिकी कंपनियों में निवेश बढ़ाना
(c) सभी द्विपक्षीय व्यापार निलंबित करना
(d) विश्व व्यापार संगठन (WTO) से शिकायत वापस लेना
उत्तर: (a)
व्याख्या: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में, जब एक देश दूसरे देश के उत्पादों पर टैरिफ लगाता है, तो दूसरा देश अक्सर अपने हितों की रक्षा के लिए जवाबी टैरिफ लगाता है।

6. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कारक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘व्यापार असंतुलन’ (Trade Imbalance) को इंगित करता है?
(a) आयात की तुलना में निर्यात का अधिक होना
(b) निर्यात की तुलना में आयात का अधिक होना
(c) सेवाओं का व्यापार अधिशेष
(d) विदेशी निवेश का कम होना
उत्तर: (b)
व्याख्या: व्यापार असंतुलन तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है, जिससे व्यापार घाटा (trade deficit) होता है।

7. प्रश्न: राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दे के संदर्भ में, ‘प्रधानमंत्री से जवाब मांगना’ किस लोकतांत्रिक सिद्धांत से जुड़ा है?
(a) तानाशाही
(b) पारदर्शिता और जवाबदेही
(c) एकाधिकार
(d) राष्ट्रवाद
उत्तर: (b)
व्याख्या: एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह जनता को महत्वपूर्ण निर्णयों और नीतियों के बारे में सूचित करे, जिसे पारदर्शिता और जवाबदेही कहते हैं।

8. प्रश्न: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति को किस अमेरिकी राष्ट्रपति ने बढ़ावा दिया?
(a) बराक ओबामा
(b) डोनाल्ड ट्रम्प
(c) जो बाइडेन
(d) बिल क्लिंटन
उत्तर: (b)
व्याख्या: डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत कई संरक्षणवादी व्यापारिक फैसले लिए थे।

9. प्रश्न: विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्राथमिक कार्य क्या है?
(a) सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार नियमों को लागू करना
(b) केवल विकसित देशों के व्यापार को विनियमित करना
(c) राष्ट्रों के बीच सीधे द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को लागू करना
(d) किसी भी देश पर व्यापार प्रतिबंध लगाना
उत्तर: (a)
व्याख्या: WTO एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक व्यापार को सुचारू, अनुमानित और मुक्त बनाने में मदद करता है।

10. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा टैरिफ लगाने का एक संभावित ‘नकारात्मक’ परिणाम है?
(a) घरेलू उद्योगों का मजबूत होना
(b) उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि
(c) विदेशी निवेश को प्रोत्साहन
(d) निर्यात में वृद्धि
उत्तर: (b)
व्याख्या: टैरिफ आयातित वस्तुओं को महंगा बनाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है और उनकी क्रय शक्ति कम हो सकती है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए टैरिफ के पीछे की प्रमुख आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रेरणाओं का विश्लेषण करें। भारत पर इसके क्या प्रभाव पड़े हैं और भारत ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए क्या रणनीतियाँ अपनाई हैं? (लगभग 250 शब्द)
* संकेत: ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति, व्यापार घाटा, संरक्षणवाद, घरेलू उद्योगों की सुरक्षा, भारत पर निर्यात, जवाबी टैरिफ, कूटनीतिक वार्ता, WTO।

2. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद (Protectionism) के पक्ष और विपक्ष में तर्कों का मूल्यांकन करें। टैरिफ और अन्य संरक्षणवादी उपायों का वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से विकासशील देशों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? (लगभग 250 शब्द)
* संकेत: घरेलू उद्योगों की सुरक्षा, रोजगार, राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम उपभोक्ता मूल्य, व्यापार युद्ध, आर्थिक अक्षमता, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, विकासशील देशों पर प्रभाव।

3. प्रश्न: भारत की विदेश नीति में ‘सामरिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) के सिद्धांत की चर्चा करें। यह सिद्धांत कैसे तब प्रासंगिक हो जाता है जब भारत को अमेरिका जैसे प्रमुख वैश्विक शक्ति के टैरिफ का सामना करना पड़ता है? (लगभग 150 शब्द)
* संकेत: राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता, स्वतंत्र निर्णय लेना, किसी भी गुट के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता का अभाव, कूटनीतिक लचीलापन, द्विपक्षीय वार्ता।

4. प्रश्न: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के संदर्भ में, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बाधाओं (जैसे टैरिफ) का भारतीय विनिर्माण क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है? सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या नीतिगत उपाय कर सकती है? (लगभग 150 शब्द)
* संकेत: प्रतिस्पर्धात्मकता, आयात निर्भरता, निर्यात प्रोत्साहन, नवाचार, आपूर्ति श्रृंखला सुदृढ़ीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण, निवेश को बढ़ावा।

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