भारत-अमेरिका व्यापार जंग: 20-25% टैरिफ का खतरा? ट्रंप का बयान और इसके मायने
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे बयान से सुर्खियाँ बटोरीं, जिसने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में अनिश्चितता का एक नया अध्याय खोल दिया। जब पत्रकारों ने उनसे भारत पर संभावित टैरिफ लगाने के बारे में पूछा, तो उनका जवाब था, “मुझे ऐसा लगता है।” यह सीधा, लेकिन खतरनाक रूप से अस्पष्ट बयान, भारत पर 20-25% के बीच टैरिफ लगाने की अटकलों को हवा देता है, खासकर उन वस्तुओं पर जो भारत से अमेरिका को निर्यात की जाती हैं। यह अप्रत्याशित बयान न केवल व्यापारिक गलियारों में बल्कि नीति निर्माताओं और आम नागरिकों के बीच भी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इसके दूरगामी आर्थिक और भू-राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।
यह घटनाक्रम उस समय आया है जब दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार असंतुलन, बाजार पहुंच और अन्य टैरिफ-संबंधी मुद्दों को लेकर पहले से ही बातचीत कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और संरक्षणवादी दृष्टिकोण को देखते हुए, यह नया खतरा कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन इसकी भयावहता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का कारण बनती है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे, यह समझने की कोशिश करेंगे कि यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई, इसके संभावित निहितार्थ क्या हैं, और भारत के लिए इसके क्या मायने हैं। हम यह भी जानेंगे कि इस तरह के टैरिफ कैसे काम करते हैं, उनके फायदे और नुकसान क्या हैं, और भारत इस चुनौती का सामना कैसे कर सकता है।
पृष्ठभूमि: भारत-अमेरिका व्यापार संबंध की कहानी
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध दशकों से विकसित हो रहा है। हाल के वर्षों में, यह संबंध और भी मजबूत हुआ है, जिसमें दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अरबों डॉलर का रहा है। अमेरिका भारत के लिए एक प्रमुख निर्यात गंतव्य है, जबकि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है।
लेकिन, किसी भी बड़े व्यापारिक रिश्ते की तरह, भारत-अमेरिका संबंधों में भी कुछ घर्षण बिंदु रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- व्यापार असंतुलन: अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा है, जिसका अर्थ है कि वह भारत को जितना निर्यात करता है, उससे कहीं अधिक आयात करता है। ट्रंप प्रशासन ने इस पर विशेष रूप से जोर दिया है, इसे अनुचित व्यापार प्रथा का संकेत मानते हुए।
- बाजार पहुंच: अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें उच्च टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाएं (जैसे नियामक अनुपालन), और स्थानीयकरण की आवश्यकताएं शामिल हैं।
- डिजिटल व्यापार: डेटा स्थानीयकरण और ई-कॉमर्स पर नियम भी एक प्रमुख चिंता का विषय रहे हैं।
- विशिष्ट क्षेत्र: कुछ विशेष क्षेत्रों, जैसे कि डेयरी उत्पाद, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवाओं पर भी विवाद रहा है।
इन मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है। हालांकि, कभी-कभी प्रगति धीमी रही है, जिससे निराशा बढ़ी है।
ट्रंप का बयान: “मुझे ऐसा लगता है” का क्या मतलब है?
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान, “मुझे ऐसा लगता है,” कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- अस्पष्टता और अनिश्चितता: यह कोई ठोस नीतिगत घोषणा नहीं है, बल्कि एक संभावित कार्रवाई का संकेत है। यह अनिश्चितता पैदा करता है, जिससे व्यवसायों और निवेशकों के लिए योजना बनाना मुश्किल हो जाता है।
- सौदेबाजी का हथियार: ऐसे बयान अक्सर सौदेबाजी की रणनीति का हिस्सा होते हैं। ट्रंप भारत पर दबाव डालना चाहते हैं कि वह अमेरिकी मांगों को माने, और टैरिफ की धमकी इस दबाव को बढ़ाने का एक तरीका है।
- “अमेरिका फर्स्ट” की झलक: यह बयान ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे को दर्शाता है, जिसके तहत वह उन व्यापारिक नीतियों को प्राथमिकता देते हैं जो अमेरिकी नौकरियों और उद्योगों को लाभ पहुंचाती हैं, भले ही इसके लिए अन्य देशों पर शुल्क लगाना पड़े।
- व्यक्तिगत शैली: ट्रंप अपनी सीधी और कभी-कभी आक्रामक संवाद शैली के लिए जाने जाते हैं, और यह बयान उनकी व्यक्तिगत शैली का भी प्रतिबिंब है।
टैरिफ क्या हैं और वे कैसे काम करते हैं?
टैरिफ (Tariff) किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर या शुल्क है। यह सरकार के लिए राजस्व का एक स्रोत हो सकता है और इसका उपयोग घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए भी किया जाता है।
टैरिफ के प्रकार:
- विशिष्ट टैरिफ (Specific Tariff): यह आयातित वस्तु की मात्रा (जैसे प्रति किलोग्राम, प्रति यूनिट) के आधार पर एक निश्चित राशि होती है।
- मूल्याधारित टैरिफ (Ad Valorem Tariff): यह आयातित वस्तु के मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है। यह सबसे आम प्रकार है।
- मिश्रित टैरिफ (Compound Tariff): यह विशिष्ट और मूल्याधारित दोनों का मिश्रण हो सकता है।
टैरिफ के प्रभाव:
- आयात महंगा होता है: टैरिफ लगाने से आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे उपभोक्ता और व्यवसाय उन्हें खरीदने से हतोत्साहित होते हैं।
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा: इससे घरेलू उत्पादकों को लाभ हो सकता है, क्योंकि उनके उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते हो जाते हैं और उन्हें बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा मिलती है।
- उपभोक्ता मूल्य वृद्धि: हालांकि, इससे उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, खासकर यदि पर्याप्त घरेलू उत्पादन क्षमता न हो।
- निर्यात पर प्रभाव: यदि एक देश दूसरे देश पर टैरिफ लगाता है, तो दूसरा देश जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार कम हो सकता है।
- आर्थिक मंदी: अत्यधिक संरक्षणवाद और टैरिफ युद्ध वैश्विक व्यापार को धीमा कर सकते हैं और आर्थिक मंदी का कारण बन सकते हैं।
भारत पर 20-25% टैरिफ का संभावित प्रभाव
यदि अमेरिका वास्तव में भारत पर 20-25% का टैरिफ लगाता है, तो इसके प्रभाव बहुआयामी होंगे:
1. भारतीय निर्यात पर सीधा प्रभाव:
- निर्यात में गिरावट: अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे उनकी मांग कम हो जाएगी। इससे भारत के निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है।
- विनिर्माण क्षेत्र पर दबाव: भारत के विनिर्माण क्षेत्र, जो निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है (जैसे कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान), को गंभीर झटका लग सकता है।
- रोजगार का नुकसान: निर्यात-उन्मुख उद्योगों में उत्पादन कम होने से बड़े पैमाने पर रोजगार का नुकसान हो सकता है।
2. भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव:
- व्यापार घाटे में बदलाव: टैरिफ से अमेरिका का व्यापार घाटा कम हो सकता है, लेकिन भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
- राजस्व पर असर: टैरिफ से अमेरिकी सरकार को राजस्व मिल सकता है, लेकिन भारत को निर्यात से होने वाली आय में कमी का सामना करना पड़ेगा।
- निवेश पर प्रभाव: अनिश्चितता और बढ़ती व्यापार लागत विदेशी और घरेलू दोनों तरह के निवेश को हतोत्साहित कर सकती है।
- मुद्रास्फीष्टि का खतरा: यदि घरेलू उत्पादन की लागत बढ़ती है या कुछ आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, तो मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
3. विशिष्ट भारतीय निर्यात क्षेत्रों पर प्रभाव:
कुछ प्रमुख भारतीय निर्यात क्षेत्र जो अमेरिका को महत्वपूर्ण मात्रा में निर्यात करते हैं, विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं:
- ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स: भारत ऑटो पार्ट्स का एक महत्वपूर्ण निर्यातक है।
- कपड़ा और परिधान: यह क्षेत्र लाखों लोगों को रोजगार देता है और अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर है।
- रत्न और आभूषण: भारत हीरे और अन्य कीमती पत्थरों के प्रसंस्करण और निर्यात में विश्व में अग्रणी है।
- कृषि उत्पाद: कुछ विशेष कृषि उत्पाद भी प्रभावित हो सकते हैं।
- इंजीनियरिंग सामान: भारत इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात भी बढ़ा रहा है।
अमेरिका के लिए टैरिफ के संभावित लाभ (ट्रंप के दृष्टिकोण से):
ट्रंप प्रशासन और संरक्षणवादी नीतियों का समर्थन करने वाले लोग टैरिफ को निम्नलिखित कारणों से फायदेमंद मानते हैं:
- घरेलू उद्योगों का संरक्षण: टैरिफ अमेरिकी निर्माताओं को सस्ते विदेशी आयात से बचाते हैं, जिससे उन्हें बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने और विस्तार करने में मदद मिलती है।
- रोजगार सृजन: अमेरिकी व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाने और उत्पादन को देश के भीतर वापस लाने से अमेरिकी नौकरियों का सृजन और संरक्षण होता है।
- व्यापार घाटा कम करना: टैरिफ आयात को हतोत्साहित करते हैं और निर्यात को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे समग्र व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलती है।
- रणनीतिक उद्योगों का विकास: वे महत्वपूर्ण या रणनीतिक उद्योगों को विकसित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा या आर्थिक संप्रभुता के लिए आवश्यक माना जाता है।
- अन्य देशों पर दबाव: टैरिफ अन्य देशों पर अनुचित व्यापार प्रथाओं को बदलने या अमेरिकी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाने का एक तरीका हो सकता है।
भारत के लिए चुनौतियां और रणनीतियां
इस संभावित टैरिफ खतरे का सामना करने के लिए भारत को एक बहुआयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता होगी:
1. कूटनीतिक प्रयास:
- उच्च-स्तरीय बातचीत: भारत को अमेरिका के साथ उच्च-स्तरीय कूटनीतिक बातचीत जारी रखनी चाहिए ताकि टैरिफ लगाने के कारणों और संभावित परिणामों पर चर्चा की जा सके।
- समझौते की तलाश: दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन, बाजार पहुंच और अन्य मुद्दों पर आपसी समझौते की तलाश महत्वपूर्ण है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO): यदि आवश्यक हो, तो भारत विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत अपने हितों की रक्षा के लिए कदम उठा सकता है।
2. निर्यात विविधीकरण:
- नए बाजार खोजना: भारत को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अन्य देशों (जैसे यूरोप, एशिया, अफ्रीका) में नए निर्यात बाजार खोजने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- उत्पाद विविधीकरण: निर्यात उत्पादों की श्रृंखला का विस्तार करना और उन वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं, महत्वपूर्ण है।
3. घरेलू क्षमता निर्माण:
- ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा: घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों को और बढ़ावा देना चाहिए।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: लॉजिस्टिक्स, परिवहन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार से विनिर्माण लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
- अनुसंधान और विकास (R&D): नवाचार और प्रौद्योगिकी पर जोर देकर, भारत उच्च-मूल्य वाले उत्पादों का उत्पादन कर सकता है जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी हों।
4. जवाबी कार्रवाई की संभावना (सावधानी से):
- जवाबी टैरिफ: हालांकि यह एक जोखिम भरा कदम हो सकता है, भारत अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने पर विचार कर सकता है, लेकिन इसके आर्थिक परिणामों का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा।
- अन्य व्यापारिक उपकरण: टैरिफ के अलावा, भारत अन्य व्यापारिक उपकरणों का उपयोग कर सकता है, जैसे कि लाइसेंसिंग प्रतिबंध या गैर-टैरिफ बाधाएं, लेकिन यह अक्सर विवादों को बढ़ाता है।
भारत-अमेरिका संबंध पर बड़ा चित्र
यह व्यापारिक तनाव भारत-अमेरिका संबंधों के व्यापक संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। दोनों देश सामरिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदार हैं, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए। दोनों देशों के बीच रक्षा, आतंकवाद विरोधी और प्रौद्योगिकी सहयोग मजबूत है।
ऐसे में, व्यापारिक मुद्दे इन महत्वपूर्ण संबंधों को खराब न करें, यह सुनिश्चित करना दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। ट्रंप का बयान इस बात का संकेत है कि व्यापारिक मुद्दे, जिन्हें अक्सर “सॉफ्ट” मुद्दों के रूप में देखा जाता है, भी भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
“व्यापारिक संबंध किसी भी देश की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। जब ये संबंध तनावपूर्ण होते हैं, तो यह केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि रणनीतिक और भू-राजनीतिक आयामों को भी प्रभावित करते हैं।”
भविष्य की राह
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध एक नाजुक संतुलन में हैं। ट्रंप के बयान ने निश्चित रूप से अनिश्चितता का माहौल बनाया है, लेकिन यह भारत के लिए अपनी आर्थिक नीतियों और निर्यात रणनीतियों पर पुनर्विचार करने का एक अवसर भी है।
यह संभावना है कि दोनों देश बातचीत के माध्यम से किसी समाधान पर पहुंचने का प्रयास करेंगे, क्योंकि दोनों के लिए द्विपक्षीय व्यापार को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन के अप्रत्याशित स्वभाव को देखते हुए, भारत को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा।
भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह होगा कि वह अपनी घरेलू आर्थिक ताकत को मजबूत करे, अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाए और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करे। यह न केवल इस विशिष्ट टैरिफ खतरे से निपटने में मदद करेगा, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक समृद्धि और स्थिरता भी सुनिश्चित करेगा।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि व्यापारिक युद्ध किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं होते। अंतिम लक्ष्य एक ऐसा व्यापारिक वातावरण बनाना होना चाहिए जो निष्पक्ष, पारदर्शी और दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की संभावित चर्चा का मुख्य कारण निम्नलिखित में से कौन सा है?
(a) भारत का रक्षा खरीद में अमेरिकी हथियारों का बहिष्कार
(b) भारत-अमेरिका के बीच व्यापार असंतुलन और बाजार पहुंच के मुद्दे
(c) भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा अमेरिकी डेटा सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन
(d) भारत द्वारा ब्रिक्स देशों के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंध
उत्तर: (b)
व्याख्या: अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी अक्सर व्यापार असंतुलन (अमेरिका का भारत से अधिक आयात) और अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में पहुंच से जुड़ी बाधाओं को लेकर देता है। - प्रश्न 2: “टैरिफ” (Tariff) से क्या तात्पर्य है?
(a) किसी देश द्वारा अपने निर्यात पर लगाया जाने वाला कर
(b) किसी देश द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर
(c) वस्तुओं के उत्पादन पर लगने वाला उपभोग कर
(d) सेवाओं के प्रदान करने पर लगने वाला सेवा कर
उत्तर: (b)
व्याख्या: टैरिफ वह कर है जो एक देश आयातित वस्तुओं पर लगाता है। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना या सरकारी राजस्व बढ़ाना हो सकता है। - प्रश्न 3: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “मुझे ऐसा लगता है” जैसे बयान व्यापार नीति के संदर्भ में निम्नलिखित में से किस रूप में देखे जा सकते हैं?
(a) एक निश्चित नीतिगत प्रतिबद्धता
(b) बातचीत के लिए एक संभावित शुरुआती बिंदु या सौदेबाजी का हथियार
(c) एक औपचारिक अंतर्राष्ट्रीय समझौता
(d) घरेलू करों में वृद्धि का संकेत
उत्तर: (b)
व्याख्या: ट्रंप की संवाद शैली में, ऐसे बयान अक्सर अनिश्चितता पैदा करने और दूसरे पक्ष पर दबाव बनाने के लिए सौदेबाजी के हथियार के रूप में उपयोग किए जाते हैं, न कि निश्चित नीति के रूप में। - प्रश्न 4: यदि अमेरिका भारत से आयातित वस्तुओं पर 20-25% टैरिफ लगाता है, तो इसका निम्नलिखित में से कौन सा सबसे संभावित तत्काल प्रभाव होगा?
(a) अमेरिकी उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी
(b) अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश आसान हो जाएगा
(c) भारतीय निर्यातकों की अमेरिकी बाजार में लागत और कीमतें बढ़ जाएंगी
(d) भारत का व्यापार घाटा स्वतः ही समाप्त हो जाएगा
उत्तर: (c)
व्याख्या: टैरिफ से आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यातकों की लागत और कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी। - प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में से एक है जो अमेरिका को निर्यात करता है और टैरिफ से प्रभावित हो सकता है?
(a) सॉफ्टवेयर सेवाएँ
(b) कच्चा तेल
(c) कपड़ा और परिधान
(d) सूचना प्रौद्योगिकी (IT) परामर्श
उत्तर: (c)
व्याख्या: कपड़ा और परिधान भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में से हैं, जो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं और अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं। सॉफ्टवेयर सेवाएं, IT परामर्श आदि सेवा क्षेत्र हैं और अक्सर सेवा व्यापार समझौते अलग तरह से काम करते हैं। - प्रश्न 6: “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति के संदर्भ में, टैरिफ का उपयोग निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिए किया जाता है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना
(b) घरेलू उद्योगों और नौकरियों की रक्षा करना
(c) विकासशील देशों को आर्थिक सहायता देना
(d) वैश्विक व्यापार नियमों को सख्त करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत, टैरिफ का उपयोग अक्सर अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने और घरेलू नौकरियों को बढ़ावा देने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है। - प्रश्न 7: विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका निम्नलिखित में से किस संबंध में महत्वपूर्ण है?
(a) सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाना
(b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों को स्थापित करना और उनका पालन सुनिश्चित करना
(c) केवल विकसित देशों के लिए व्यापार नीतियां बनाना
(d) वैश्विक मुद्रा विनिमय दरों को नियंत्रित करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: WTO एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक व्यापार के नियमों को संचालित करता है, सदस्य देशों के बीच व्यापार संबंधी विवादों को सुलझाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि व्यापार निष्पक्ष और मुक्त हो। - प्रश्न 8: यदि भारत पर टैरिफ लगाए जाते हैं, तो भारत द्वारा अपनाई जा सकने वाली रणनीतियों में शामिल हो सकता है:
(a) अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाना
(b) नए निर्यात बाजारों की तलाश करना
(c) घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत अपनी निर्भरता कम करने, अपने निर्यात को बढ़ावा देने और अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उपरोक्त सभी रणनीतियों पर विचार कर सकता है। - प्रश्न 9: भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों का निम्नलिखित में से कौन सा आयाम टैरिफ जैसे व्यापारिक मुद्दों से अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकता है?
(a) रक्षा सहयोग
(b) सामरिक साझेदारी (जैसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में)
(c) सांस्कृतिक आदान-प्रदान
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: आर्थिक संबंध अक्सर व्यापक भू-राजनीतिक और सामरिक संबंधों से जुड़े होते हैं। व्यापारिक तनाव अन्य क्षेत्रों में सहयोग को भी प्रभावित कर सकता है। - प्रश्न 10: टैरिफ का उद्देश्य घरेलू उद्योगों के लिए निम्नलिखित में से क्या हो सकता है?
(a) आयातित वस्तुओं को सस्ता बनाना
(b) विदेशी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना
(c) घरेलू उत्पादन की लागत को कम करना
(d) घरेलू उत्पादों को अपेक्षाकृत अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना
उत्तर: (d)
व्याख्या: टैरिफ आयातित वस्तुओं को महंगा बनाकर घरेलू उत्पादों को विदेशी प्रतिस्पर्धा के मुकाबले अपेक्षाकृत सस्ता और अधिक आकर्षक बनाते हैं।मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में हाल के तनावों का विश्लेषण करें, विशेष रूप से अमेरिकी टैरिफ की संभावित धमकी के संदर्भ में। टैरिफ लगाने के आर्थिक तर्क और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर इसके व्यापक प्रभाव पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 2: “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत संरक्षणवादी व्यापार उपायों (जैसे टैरिफ) का उपयोग करने के पीछे अमेरिकी तर्क क्या हैं? ऐसे उपाय अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार पर क्या प्रभाव डालते हैं? (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 3: यदि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत पर 20-25% के बीच टैरिफ लगाता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों और रोजगार पर इसके क्या संभावित प्रभाव होंगे? इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत द्वारा अपनाई जाने वाली कूटनीतिक और आर्थिक रणनीतियों पर प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 4: भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक मुद्दे, दोनों देशों के बीच बढ़ते सामरिक महत्व को देखते हुए, एक जटिल परिदृश्य प्रस्तुत करते हैं। इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें और बताएं कि आर्थिक हितों और भू-राजनीतिक विचारों को कैसे संतुलित किया जा सकता है। (लगभग 150 शब्द)