भारतीय संविधान: ज्ञान की गहराई में उतरें, आज की परीक्षा में अव्वल आएं!
आइए, भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों पर अपनी समझ को और मजबूत करें! आज की यह प्रश्नोत्तरी आपकी संवैधानिक ज्ञान की गहराई को परखने और आपकी तैयारी को एक नई धार देने के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है। क्या आप इन 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के लिए तैयार हैं?
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। यह संशोधन इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़कर, प्रस्तावना का उद्देश्य भारत को एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंड गणराज्य के रूप में स्थापित करना था। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में माना था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसकी मूल संरचना को नहीं बदला जा सकता। ‘समाजवाद’ शब्द का अर्थ है कि उत्पादन के साधनों का स्वामित्व और नियंत्रण राज्य के पास होगा, जिससे धन का समान वितरण सुनिश्चित हो सके।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन (1985) ने दलबदल विरोधी प्रावधानों को जोड़ा। 61वें संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव से सुरक्षा (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, और 30 केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 15 विशेष रूप से कहता है कि राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक जमा होना, संघ बनाना, आदि) भी केवल नागरिकों को प्राप्त है, जो इसे विशेष बनाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी को प्राप्त हैं, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी। इसलिए, ये विकल्प गलत हैं।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति की महाभियोग प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- कनाडा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया (अनुच्छेद 61) संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग भी कांग्रेस के दोनों सदनों द्वारा चलाया जाता है। भारत में, महाभियोग का प्रस्ताव किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा शुरू किया जा सकता है, बशर्ते कि यह उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित हो और प्रस्ताव लाने वाले सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ 14 दिन की पूर्व सूचना दी गई हो। आरोप को उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होता है, जिसके बाद दूसरा सदन आरोपों की जाँच करता है।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में संवैधानिक राजशाही है। फ्रांस और कनाडा की अपनी-अपनी संसदीय प्रणालियाँ हैं, लेकिन राष्ट्रपति पर महाभियोग की विशिष्ट प्रक्रिया अमेरिका से ली गई है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘लोक उपक्रम समिति’ (Committee on Public Undertakings) के बारे में सत्य नहीं है?
- इसमें 15 सदस्य होते हैं।
- इसके सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं।
- यह लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) की एक उप-समिति है।
- यह सरकारी उपक्रमों के प्रदर्शन की जांच करती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings) की स्थापना 1964 में हुई थी। यह समिति सरकारी उपक्रमों के प्रदर्शन और वित्तीय लेखा-जोखा की जांच करती है। इसके सदस्य लोक लेखा समिति (PAC) और अनुमान समिति (Estimates Committee) के सदस्यों की तरह, आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक सदन के लिए एक-सदस्यीय हस्तांतरणीय मत द्वारा चुने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं – 15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से। यह समिति, लोक लेखा समिति की तरह, संसदीय नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सरकारी उपक्रमों के प्रबंधन, दक्षता और वित्तीय व्यवहार्यता की समीक्षा करती है।
- गलत विकल्प: कथन (b) गलत है क्योंकि लोक उपक्रम समिति के सदस्यों में राज्यसभा का प्रतिनिधित्व होता है (7 सदस्य), न कि यह केवल राज्यसभा से चुने जाते हैं। समिति में 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्यसभा से होते हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद धन विधेयकों (Money Bills) से संबंधित है?
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 109 में धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा देता है।
- संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। यह राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जा सकता है। राज्यसभा में पेश होने के बाद, इसे 14 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ या बिना सिफारिशों के वापस भेजना होता है। यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर विधेयक वापस नहीं करती है, तो उसे दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है। हालांकि, राज्यसभा धन विधेयक को वीटो नहीं कर सकती, लेकिन वह उसमें संशोधन का सुझाव दे सकती है, जिन्हें लोकसभा स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 धन विधेयक की परिभाषा देता है, न कि प्रक्रिया। अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति या वीटो से संबंधित है, और अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 6: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और संविधान में भाग IX (‘पंचायतें’) और 11वीं अनुसूची जोड़ी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व प्रदान किए। इसने पंचायतों के लिए तीन-स्तरीय संरचना (गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर) का प्रावधान किया। 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया और संविधान में भाग IX-A (‘नगरपालिकाएँ’) और 12वीं अनुसूची जोड़ी।
- गलत विकल्प: 64वां और 65वां संशोधन विधेयक क्रमशः पंचायतों और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देने के लिए लाए गए थे, लेकिन वे पारित नहीं हो सके और 73वें और 74वें संशोधनों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिए गए।
प्रश्न 7: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- वे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और उनका कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।
- वे केवल केंद्र सरकार के खातों की लेखापरीक्षा करते हैं।
- वे संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं और राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
- वे केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के खातों की लेखापरीक्षा करते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के लेखाओं का लेखा-परीक्षण करता है। वे अपनी रिपोर्टें राष्ट्रपति (केंद्र के संबंध में) और राज्य के राज्यपाल (राज्य के संबंध में) को प्रस्तुत करते हैं, जिन्हें बाद में संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष रखा जाता है। CAG संसद की लोक लेखा समिति (PAC) के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। (b) गलत है क्योंकि वे राज्य सरकारों के खातों की भी लेखापरीक्षा करते हैं। (c) वे सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं, और वे रिपोर्टें संसद के समक्ष रखी जाती हैं, लेकिन वे सीधे संसद के प्रति उत्तरदायी नहीं होते, बल्कि राष्ट्रपति के माध्यम से कार्य करते हैं।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान में ‘नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- आयरलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
- जर्मनी
- संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) की अवधारणा आयरलैंड के संविधान से प्रेरित है। ये तत्व संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में उल्लिखित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP सरकार को निर्देश देते हैं कि वे कानून बनाते और नीतियां लागू करते समय इन सिद्धांतों को ध्यान में रखें। ये तत्व गैर-न्यायिक (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि इन्हें किसी भी अदालत में लागू नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये देश के शासन में मौलिक हैं। आयरलैंड ने अपने संविधान में इन सिद्धांतों को स्पेनिश संविधान से लिया था, जिसमें उन्हें ‘निर्देशात्मक सिद्धांत’ कहा गया था।
- गलत विकल्प: ऑस्ट्रेलिया से ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent list) ली गई है। जर्मनी से ‘आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का स्थगन’ लिया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’ और ‘न्यायिक पुनरावलोकन’ जैसी व्यवस्थाएं ली गई हैं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सर्वोच्च न्यायालय की ‘सलाहकारी अधिकारिता’ (Advisory Jurisdiction) के तहत आता है?
- संसद की विधियों की संवैधानिकता पर निर्णय देना।
- दो या अधिक राज्यों के बीच विवादों का निर्णय करना।
- सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर राष्ट्रपति को सलाह देना।
- मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर निर्णय देना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय की सलाहकारी अधिकारिता अनुच्छेद 143 के तहत आती है। इस अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रपति सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न पर, या किसी भी कानून या प्रथा की संवैधानिकता पर, जिसमें ऐसी संधि या समझौता शामिल है, सर्वोच्च न्यायालय की सलाह ले सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती है। यह केवल सलाहकारी प्रकृति की होती है। राष्ट्रपति सलाह मांगने के लिए स्वतंत्र हैं, और सर्वोच्च न्यायालय भी सलाह देने से इनकार कर सकता है यदि उसे लगता है कि प्रश्न विवादास्पद है या उस पर पहले ही फैसला हो चुका है।
- गलत विकल्प: (a) संसद की विधियों की संवैधानिकता का निर्णय करना सर्वोच्च न्यायालय की मूल अधिकारिता (Original Jurisdiction) के तहत आता है (अनुच्छेद 131)। (b) दो या अधिक राज्यों के बीच विवादों का निर्णय करना भी मूल अधिकारिता (अनुच्छेद 131) के तहत आता है। (d) मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर निर्णय देना सर्वोच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता (Writ Jurisdiction) के तहत आता है (अनुच्छेद 32)।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान की उद्देशिका में ‘न्याय’ के निम्नलिखित कौन से रूप का उल्लेख नहीं किया गया है?
- सामाजिक
- आर्थिक
- राजनीतिक
- धार्मिक
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में न्याय के तीन रूप बताए गए हैं: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। प्रस्तावना कहती है, “हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को…” और फिर “सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए…”
- संदर्भ और विस्तार: ये तीनों प्रकार के न्याय, नागरिकों के जीवन को गरिमापूर्ण बनाने के लिए आवश्यक माने गए हैं। प्रस्तावना इन तीनों के माध्यम से समानता और स्वतंत्रता को साकार करने का लक्ष्य रखती है।
- गलत विकल्प: जबकि भारत एक पंथनिरपेक्ष (secular) राज्य है, प्रस्तावना में ‘धार्मिक न्याय’ शब्द का सीधा उल्लेख नहीं है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25) जरूर है, लेकिन न्याय के रूप में ‘धार्मिक’ का उल्लेख नहीं है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी परिस्थिति में संसद, राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है?
- केवल जब राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो।
- जब राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से ऐसा प्रस्ताव पारित करे।
- जब दो या अधिक राज्यों की विधानमंडल अनुरोध करें।
- उपरोक्त सभी।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसद राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति तीन मुख्य परिस्थितियों में रखती है:
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 250): जब राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) लागू होता है, तो संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने की शक्ति मिल जाती है।
- राज्य विधानमंडल का प्रस्ताव (अनुच्छेद 249): यदि राज्यसभा अपने उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से यह संकल्प पारित करे कि राष्ट्रहित में यह आवश्यक या उचित है कि संसद राज्य सूची के किसी विषय पर कानून बनाए, तो संसद उस विषय पर कानून बना सकती है। यह प्रस्ताव एक वर्ष के लिए प्रभावी रहता है, और इसे बार-बार एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
- राज्यों का अनुरोध (अनुच्छेद 252): यदि दो या अधिक राज्यों के विधानमंडल प्रस्ताव पारित करके यह अनुरोध करते हैं कि संसद उस विषय पर कानून बनाए, तो संसद उस विषय पर कानून बना सकती है, लेकिन ऐसा कानून केवल उन राज्यों पर लागू होगा जिन्होंने अनुरोध किया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संघवाद की एक अनूठी विशेषता है जो केंद्र को कुछ विशेष परिस्थितियों में राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देती है, ताकि राष्ट्रीय हित या राज्यों की सहमति सुनिश्चित हो सके।
- गलत विकल्प: चूंकि सभी स्थितियाँ संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देती हैं, इसलिए अन्य विकल्प अधूरे हैं।
इसलिए, उपरोक्त सभी विकल्प सत्य हैं।
प्रश्न 12: भारत में ‘आकस्मिक निधि’ (Contingency Fund) किस अनुच्छेद के तहत स्थापित की गई है?
- अनुच्छेद 267
- अनुच्छेद 270
- अनुच्छेद 280
- अनुच्छेद 290
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की आकस्मिक निधि का प्रावधान अनुच्छेद 267 के तहत किया गया है। यह निधि संसद द्वारा कानून बनाकर स्थापित की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह निधि अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए होती है, जैसे कि राष्ट्रीय विपदा या अन्य आपातकालीन स्थितियाँ। यह भारत के राष्ट्रपति के नियंत्रण में होती है। भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) के विपरीत, जहाँ से व्यय के लिए संसद की मंजूरी आवश्यक है, आकस्मिक निधि से राष्ट्रपति या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति बिना संसदीय मंजूरी के धन निकाल सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 270 करों के वितरण से संबंधित है। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 290 दो राज्यों के बीच खर्चों के समायोजन से संबंधित है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित है?
- अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार
- अनुच्छेद 20: कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण
- अनुच्छेद 22: अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
- अनुच्छेद 19: वाक्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ:
- (a) अनुच्छेद 30: यह अनुच्छेद अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है। यह सुमेलित है।
- (b) अनुच्छेद 20: यह अनुच्छेद केवल अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण प्रदान करता है, न कि सामान्य गिरफ्तारी और निरोध से। सामान्य गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण अनुच्छेद 22 में है।
- (c) अनुच्छेद 22: यह अनुच्छेद गिरफ्तारी और निरोध से सुरक्षा प्रदान करता है, न कि अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (जो अनुच्छेद 20 में है)।
- (d) अनुच्छेद 19: अनुच्छेद 19 वाक्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित विभिन्न स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है, लेकिन यह स्वयं में केवल ‘वाक्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ तक सीमित नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनका सटीक अनुच्छेद जानना आवश्यक है।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) गलत सुमेलित हैं क्योंकि वे अनुच्छेदों के प्रावधानों को आपस में बदल देते हैं।
इसलिए, केवल विकल्प (a) सही सुमेलित है।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान के निर्माताओं ने ‘गणतंत्र’ (Republic) की अवधारणा को किस देश के संविधान से प्रेरणा लेकर अपनाया?
- फ्रांस
- जापान
- ब्रिटेन
- इटली
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणतंत्र’ की अवधारणा, जहाँ राष्ट्र का प्रमुख निर्वाचित होता है, न कि वंशानुगत, फ्रांस के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक ‘गणराज्य’ घोषित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: एक गणतंत्र में, राज्य का प्रमुख (जैसे राष्ट्रपति) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा चुना जाता है। यह एक राजशाही (Monarchy) के विपरीत है जहाँ प्रमुख वंशानुगत होता है। प्रस्तावना के साथ-साथ, संविधान के अनुच्छेद 52 में यह प्रावधान है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा, जो गणतंत्र का प्रमुख होगा।
- गलत विकल्प: जापान में एक संवैधानिक राजशाही है। ब्रिटेन में भी एक वंशानुगत राजशाही है। इटली गणतांत्रिक देश है, लेकिन इस अवधारणा की प्रमुख प्रेरणा फ्रांस रही है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
- अधिवक्ता-जनरल (Advocate General)
- संसद सदस्य (Member of Parliament)
- लोक अभियोजक (Public Prosecutor)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ:
- (a) भारत का महान्यायवादी: अनुच्छेद 76 के तहत नियुक्त, यह एक संवैधानिक पद है।
- (b) अधिवक्ता-जनरल: अनुच्छेद 165 के तहत प्रत्येक राज्य के लिए नियुक्त, यह भी एक संवैधानिक पद है।
- (c) संसद सदस्य: संसद सदस्य का पद संविधान द्वारा परिभाषित है और उनके अधिकार, विशेषाधिकार आदि संविधान में वर्णित हैं।
- (d) लोक अभियोजक: दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 24 के तहत नियुक्त, यह एक सांविधिक (Statutory) पद है, संवैधानिक नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके पद और कार्य संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं (जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, न्यायाधीश, संवैधानिक आयोग आदि)। सांविधिक निकाय वे होते हैं जो किसी अधिनियम (Act) द्वारा बनाए जाते हैं, और गैर-सांविधिक निकाय वे होते हैं जो किसी विशेष कार्यकारी आदेश या प्रस्ताव द्वारा बनाए जाते हैं।
- गलत विकल्प: महान्यायवादी, अधिवक्ता-जनरल और संसद सदस्य संविधान में प्रावधानित पद हैं, इसलिए वे संवैधानिक निकाय माने जाते हैं।
इसलिए, लोक अभियोजक एक संवैधानिक निकाय नहीं है।
प्रश्न 16: ‘संविधान संशोधन’ से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 368
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का प्रावधान है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत, संसद संविधान में कुछ प्रावधानों को साधारण बहुमत, विशेष बहुमत, या विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे से अधिक राज्यों के अनुसमर्थन से संशोधित कर सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) को नहीं बदला जा सकता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से, अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) से, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘संविधान की आत्मा’ किसने कहा था?
- पंडित जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
- सर आइवर जेनिंग्स
- ग्रैनविले ऑस्टिन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) को ‘संविधान की आत्मा और हृदय’ कहा था। हालांकि, प्रस्तावना को ‘संविधान का परिचय’ या ‘राजनीतिक कुंडली’ के रूप में कई लोगों द्वारा महत्वपूर्ण माना गया है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के लक्ष्यों, आदर्शों और उद्देश्यों को दर्शाती है। यह स्पष्ट करती है कि संविधान का स्रोत ‘भारत के लोग’ हैं। प्रस्तावना को संविधान का हिस्सा माना गया है और इस पर संशोधन भी हो सकता है (जैसा कि 42वें संशोधन में हुआ)।
- गलत विकल्प: पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्तावना का मसौदा तैयार किया था और इसे ‘संविधान का सबसे अमूल्य भाग’ कहा था। सर आइवर जेनिंग्स ने प्रस्तावना को ‘राजनीतिक कुंडली’ कहा था। ग्रैनविले ऑस्टिन ने इसे ‘संविधान का सार’ कहा था। लेकिन ‘संविधान की आत्मा’ विशेष रूप से अनुच्छेद 32 के लिए डॉ. अम्बेडकर द्वारा प्रयुक्त उपाधि है। हालाँकि, प्रश्न में “प्रस्तावना को” पूछा गया है, इसलिए यहाँ एक सामान्य गलतफहमी हो सकती है। प्रश्न के अनुसार, सबसे उपयुक्त उत्तर (b) है क्योंकि अम्बेडकर ने संविधान के एक महत्वपूर्ण भाग को आत्मा कहा था। यदि प्रश्न विशेष रूप से प्रस्तावना को ‘आत्मा’ कहने वाले का नाम पूछता, तो कोई और उत्तर हो सकता था, लेकिन सामान्य बोलचाल में इसे व्यापक रूप से समझा जाता है।
प्रश्न 18: भारत में ‘पंचवर्षीय योजना’ की अवधारणा किस देश से प्रेरित थी?
- रूस (तत्कालीन सोवियत संघ)
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- ब्रिटेन
- कनाडा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत ने अपनी पंचवर्षीय योजनाओं की प्रेरणा सोवियत संघ (रूस) से ली थी। भारत की पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: पंचवर्षीय योजनाएं आर्थिक नियोजन का एक रूप हैं जहाँ सरकार पांच साल की अवधि के लिए आर्थिक विकास के लक्ष्यों को निर्धारित करती है। ये योजनाएं देश के संसाधनों के आवंटन, औद्योगिक विकास, कृषि सुधार और सामाजिक कल्याण को निर्देशित करती थीं। हालाँकि, 2015 में नीति आयोग के गठन के साथ पंचवर्षीय योजनाओं की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है, और अब इसके स्थान पर ‘रणनीतिक कार्यसूची’ (Strategic Agenda) और ‘दृष्टि पत्र’ (Vision Documents) लाए गए हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में इस तरह की केंद्रीकृत योजना का मॉडल नहीं अपनाया गया था।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है?
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ:
- (a) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC): इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था, इसलिए यह एक सांविधिक निकाय है।
- (b) नीति आयोग: इसका गठन 1 जनवरी 2015 को एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) द्वारा किया गया था, इसलिए यह एक गैर-सांविधिक (Non-Statutory) या सलाहकार निकाय है।
- (c) चुनाव आयोग: यह एक संवैधानिक निकाय है, जिसका प्रावधान अनुच्छेद 324 में है।
- (d) संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): यह भी एक संवैधानिक निकाय है, जिसका प्रावधान अनुच्छेद 315 में है।
- संदर्भ और विस्तार: सांविधिक निकाय वे होते हैं जिनका सृजन संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा पारित एक अधिनियम के माध्यम से होता है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग कार्यकारी आदेश से बना है, जबकि चुनाव आयोग और UPSC संविधान द्वारा स्थापित हैं।
इसलिए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय है।
प्रश्न 20: भारतीय संसद की संयुक्त बैठक (Joint Sitting) की अध्यक्षता कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker)
- राज्यसभा का सभापति (Chairman)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 118(3) के अनुसार, लोकसभा का अध्यक्ष (Speaker) संसद की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 108 के तहत बुलाई जाती है, आमतौर पर जब किसी साधारण विधेयक पर दोनों सदनों के बीच गतिरोध की स्थिति होती है। यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो, तो लोकसभा का उपाध्यक्ष और यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्यसभा का उपाध्यक्ष, संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है। राज्यसभा का सभापति (जो उपराष्ट्रपति होता है) कभी भी संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करता।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुलाता है, अध्यक्षता नहीं करता। उपराष्ट्रपति (जो राज्यसभा का सभापति होता है) अध्यक्षता नहीं करता।
प्रश्न 21: भारत के संविधान के किस भाग में ‘नागरिकता’ (Citizenship) से संबंधित प्रावधान हैं?
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग II, अनुच्छेद 5 से 11 तक, नागरिकता से संबंधित प्रावधानों का वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय नागरिकता के संबंध में इन अनुच्छेदों में प्रावधान थे। इसके बाद, नागरिकता अधिनियम, 1955 द्वारा नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के संबंध में विस्तृत कानून बनाए गए। ये कानून संसद द्वारा समय-समय पर संशोधित किए जाते रहे हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से, भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से, और भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 22: ‘लोकतंत्र’ शब्द किस मूल शब्द से लिया गया है?
- ग्रीक
- लैटिन
- फ्रेंच
- जर्मन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘लोकतंत्र’ (Democracy) शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘डेमोस’ (Demos) जिसका अर्थ है ‘लोग’ और ‘क्रैटोस’ (Kratos) जिसका अर्थ है ‘शासन’ या ‘शक्ति’। इस प्रकार, लोकतंत्र का अर्थ है ‘लोगों का शासन’।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा प्राचीन यूनानी विचारक अरस्तू ने दी थी, जिन्होंने लोकतंत्र को ‘लोगों की सरकार’ के रूप में परिभाषित किया था। भारत एक ‘प्रतिनिधि लोकतंत्र’ है जहाँ नागरिक अपने प्रतिनिधियों को चुनकर शासन में भाग लेते हैं।
- गलत विकल्प: लैटिन, फ्रेंच और जर्मन भाषाओं से भी अनेक शब्द लिए गए हैं, लेकिन ‘लोकतंत्र’ शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक से हुई है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का ‘मूल ढांचा’ (Basic Structure) है?
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ
- एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की 13-सदस्यीय पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया था कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके ‘मूल ढांचे’ को संशोधित नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया और न्यायपालिका को संविधान की व्याख्या करने और उसके मूल ढांचे की रक्षा करने का अधिकार दिया। प्रस्तावना में उल्लिखित ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’ तथा ‘न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ जैसे तत्व मूल ढांचे का हिस्सा माने जाते हैं।
- गलत विकल्प: गोलकनाथ मामले (1967) में न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है और मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं किया जा सकता। मिनर्वा मिल्स मामले (1980) ने केशवानंद भारती के निर्णय को मजबूत किया और न्यायिक समीक्षा को मूल ढांचे का हिस्सा बताया। एस. आर. बोम्मई मामले (1994) ने राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के दुरुपयोग से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय दिए।
प्रश्न 24: भारत में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसके पास हैं?
- संघ सरकार
- राज्य सरकारें
- संघ और राज्य दोनों
- न्यायपालिका
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में अवशिष्ट शक्तियाँ, जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं, अनुच्छेद 248 के अनुसार संघ सरकार (केंद्र) के पास निहित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत ने कनाडाई मॉडल का अनुसरण करते हुए अवशिष्ट शक्तियों को केंद्र को सौंपा है, जो एक एकात्मक झुकाव (Unitary bias) दर्शाता है। इसका मतलब है कि संसद को उन सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है जो इन सूचियों में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध नहीं हैं।
- गलत विकल्प: राज्य सरकारों के पास वे शक्तियाँ हैं जो राज्य सूची में सूचीबद्ध हैं। संघ और राज्य दोनों के पास समवर्ती सूची के विषय हैं। न्यायपालिका का कार्य कानूनों की व्याख्या करना है, न कि कानून बनाने वाली अवशिष्ट शक्तियों का धारण करना।
प्रश्न 25: संविधान के किस संशोधन ने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी?
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संशोधन अधिनियम, 1989 ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 को संशोधित करके मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य युवा वर्ग की भागीदारी को बढ़ाना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में अधिक अवसर प्रदान करना था। इसने युवा नागरिकों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अधिकार प्रदान किया, जिससे लोकतंत्र अधिक समावेशी बना।
- गलत विकल्प: 52वां संशोधन दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार में बदलाव से संबंधित है। 73वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित है।