भारतीय संविधान का महामंथन: अपनी राजव्यवस्था की पकड़ मजबूत करें!
भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझने और अपनी संवैधानिक जागरूकता को परखने का समय आ गया है! आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपकी भारतीय राजव्यवस्था की अवधारणाओं को स्पष्ट करने और आगामी परीक्षाओं के लिए आपकी तैयारी को नई धार देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आइए, मिलकर संविधान के गहन ज्ञान का मंथन करें और अपनी तैयारी को उत्कृष्टता की ओर ले जाएं!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के संविधान की प्रस्तावना के बारे में सत्य नहीं है?
- यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को दर्शाता है।
- यह संविधान का एक अभिन्न अंग है, लेकिन यह किसी भी न्यायालय में लागू करने योग्य नहीं है।
- यह संविधान का स्रोत बताता है कि शक्ति भारतीय जनता में निहित है।
- संविधान के प्रवर्तन की तिथि (26 जनवरी, 1950) का उल्लेख प्रस्तावना में किया गया है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों और उद्देश्यों का उल्लेख है। यह संविधान का स्रोत (भारतीय जनता), न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक), स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना), समानता (दर्जे और अवसर की) और बंधुत्व के आदर्शों को रेखांकित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का एक गैर-न्यायोचित (non-justiciable) हिस्सा है, जिसका अर्थ है कि इसके प्रावधानों को न्यायालय में लागू नहीं कराया जा सकता (जैसा कि केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है)। प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, जैसा कि 1973 के केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी। हालांकि, इसमें संविधान के लागू होने की तिथि का उल्लेख है, लेकिन यह ‘प्रवर्तन की तिथि’ के रूप में किया गया है, न कि ‘ग्रहण की तिथि’ के रूप में। सबसे महत्वपूर्ण, प्रस्तावना में संविधान के लागू होने की तिथि ’26 नवंबर, 1949′ का उल्लेख है (जिसे ‘अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया’) न कि 26 जनवरी, 1950 का।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) तीनों कथन सत्य हैं। प्रस्तावना इन सभी आदर्शों और तत्वों को समाहित करती है।
प्रश्न 2: भारत के संविधान के किस अनुच्छेद में राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का उल्लेख है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 161
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 के अनुसार, राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमादान, दंडादेश के प्रविलंबन, प्रवर्तन के प्रतिस्थगन या लघुकरण या दंडादेश के निलंबन या कम करने की शक्ति प्राप्त है। यह शक्ति उन्हें उन अपराधों के संबंध में है जो संघ के विधियों के विरुद्ध होते हैं, जो कोर्ट मार्शल द्वारा दिए गए दंड के संबंध में हैं, और वे सभी दंड या दंडादेश जो मृत्युदंड के रूप में हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की यह शक्ति न केवल क्षमा करने की बल्कि दंड को कम करने, प्रविलंबन (लटकाना) और लघुकरण (कम करना) की भी है। यह शक्ति राष्ट्रपति के विवेक पर आधारित नहीं है, बल्कि वे मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है, जिसमें वह मृत्युदंड को क्षमा नहीं कर सकता। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है, और अनुच्छेद 123 अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 112 बजट से संबंधित है, अनुच्छेद 123 अध्यादेश जारी करने की शक्ति से, और अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है, जो राष्ट्रपति की शक्ति से भिन्न है (विशेषकर मृत्युदंड के मामले में)।
प्रश्न 3: भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उनका चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव की तरह आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।
- उनके चुनाव के लिए केवल लोकसभा के सदस्य ही मतदान करते हैं।
- उनकी उम्मीदवारी के लिए कम से कम 50 निर्वाचकों का प्रस्तावक होना आवश्यक है।
- उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही विवादास्पद किया जा सकता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए, राष्ट्रपति के विपरीत, केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य ही निर्वाचक मंडल का हिस्सा होते हैं, लेकिन वे सीधे मत देते हैं, न कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा। हालांकि, उनकी उम्मीदवारी के लिए राष्ट्रपति की तरह ही कम से कम 20 निर्वाचकों (10 प्रस्तावक और 10 अनुमोदक) का होना आवश्यक है, न कि 50। (यहां प्रश्न में 50 का उल्लेख किया गया है, जिसे मानक 20 की तुलना में एक भिन्नता के रूप में देखा जाना चाहिए, हालांकि यह भी उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन 20 अधिक प्रासंगिक है)। यह प्रश्न एक संभावित भ्रम उत्पन्न कर सकता है। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 15 प्रस्तावक और 15 अनुमोदक की आवश्यकता होती है। (सुधार: प्रश्न में 50 प्रस्तावक का उल्लेख है, जो सही नहीं है। इसका सही उत्तर 15 प्रस्तावक और 15 अनुमोदक हैं। यदि विकल्प सही होते, तो हमें सबसे कम गलत विकल्प चुनना होता। चूंकि प्रश्न के विकल्प में 50 प्रस्तावक की बात है, यह गलत है। हालांकि, उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को देखते हुए, हम अन्य विकल्पों की जांच करेंगे।)
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का उपयोग होता है (अनुच्छेद 55)। उपराष्ट्रपति के चुनाव में, संसद के दोनों सदनों के सदस्य भाग लेते हैं, लेकिन वे सीधे मत देते हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवाद का निपटारा सीधे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है, जैसा कि अनुच्छेद 71 में उपबंधित है। उपराष्ट्रपति के पद के लिए, उम्मीदवारी प्रस्तावित करने वालों की संख्या 15 है और अनुमोदक की संख्या भी 15 है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का उपयोग नहीं होता। (b) गलत है क्योंकि लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा के सदस्य भी मतदान करते हैं। (c) में 50 प्रस्तावक की बात गलत है; यह 15 है। (d) सही है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी विवादों का निपटारा सीधे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है। (हालांकि, इस प्रश्न में विकल्पों की सत्यता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि हम मान लें कि प्रश्न का आशय नामांकन संबंधी प्रक्रिया से था, तो 50 प्रस्तावक गलत हैं।)
(पुनः समीक्षा: प्रश्न 3 में विकल्प (c) में ’50 निर्वाचकों का प्रस्तावक’ गलत है। सही संख्या 15 प्रस्तावक और 15 अनुमोदक है। इसलिए, इस प्रश्न में कोई भी विकल्प पूरी तरह से सत्य नहीं है, लेकिन यदि प्रश्न की संरचना को देखें तो सबसे कम गलत या सही प्रक्रिया को दर्शाने वाला विकल्प (c) को यदि 15 मान लें, तब भी वह गलत है। उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में, विकल्प (d) सबसे सटीक सत्य कथन है कि विवाद का निपटारा सर्वोच्च न्यायालय करता है। इसलिए, प्रश्न में त्रुटि है या विकल्प सही नहीं हैं। सामान्य ज्ञान के आधार पर, नामांकन के लिए प्रस्तावकों की संख्या एक महत्वपूर्ण बिंदु है, और 50 एक गलत संख्या है। आइए अन्य विकल्पों को फिर से देखें। (a) गलत है। (b) गलत है। (c) गलत है। (d) सही है। अतः, यदि प्रश्न में एक सही विकल्प चुनना हो, तो (d) ही एकमात्र सत्य कथन है।)
सुधारित उत्तर के साथ प्रश्न 3 को पुनः प्रस्तुत करना:
प्रश्न 3 (संशोधित): भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव की तरह आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है।
- उनके चुनाव में केवल लोकसभा के सदस्य मतदान करते हैं।
- उनकी उम्मीदवारी के लिए कम से कम 15 निर्वाचकों द्वारा प्रस्ताव और 15 निर्वाचकों द्वारा अनुमोदित होना आवश्यक है।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में उत्पन्न होने वाले सभी विवादों का निर्णय सीधे भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 71(1) में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव से संबंधित सभी विवादों का निपटारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: (a) गलत है क्योंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव साधारण बहुमत से होता है, न कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से। (b) गलत है क्योंकि संसद के दोनों सदनों के सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। (c) गलत है क्योंकि उम्मीदवारी के लिए 15 प्रस्तावक और 15 अनुमोदक की आवश्यकता होती है, 50 की नहीं। (d) सही है।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस भाग में मौलिक अधिकारों का वर्णन है?
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग III, अनुच्छेद 12 से 35 तक, मौलिक अधिकारों से संबंधित है। इन अधिकारों में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को राज्य की शक्ति के दुरुपयोग से सुरक्षा प्रदान करते हैं और देश में लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। भाग II नागरिकता (अनुच्छेद 5-11) से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों (अनुच्छेद 36-51) से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका (राष्ट्रपति, संसद, न्यायपालिका) से संबंधित है।
- गलत विकल्प: (a) नागरिकता, (c) राज्य के नीति निदेशक तत्व, और (d) संघ की कार्यपालिका से संबंधित हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘जिस अधिकार के तहत’ का अनुवाद करती है और इसे किसी व्यक्ति को पद धारण करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है?
- हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- क्यो वारंटो (Quo Warranto)
- प्रोहिबिशन (Prohibition)
- मेंडमस (Mandamus)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘क्यो वारंटो’ (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी लोक पद को अवैध रूप से धारण करने वाले व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है। यह अधिकार क्षेत्र का प्रश्न उठाता है। भारत में, सर्वोच्च न्यायालय इसे अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय इसे अनुच्छेद 226 के तहत जारी कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘हेबियस कॉर्पस’ का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, जिसका उपयोग अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने के लिए किया जाता है। ‘प्रोहिबिशन’ का अर्थ है ‘रोकना’, जो निचली अदालतों या न्यायाधिकरणों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है। ‘मेंडमस’ का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, जो किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका सार्वजनिक या कानूनी कर्तव्य करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है।
- गलत विकल्प: हेबियस कॉर्पस व्यक्तिगत स्वतंत्रता से, प्रोहिबिशन अधिकार क्षेत्र की सीमा से, और मेंडमस कर्तव्य निर्वहन से संबंधित हैं, न कि पद धारण करने के अधिकार से।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति किसी राज्य के विधानमंडल के सदनों द्वारा पारित विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रख सकता है?
- अनुच्छेद 200
- अनुच्छेद 201
- अनुच्छेद 213
- अनुच्छेद 214
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 200 के अनुसार, जब कोई विधेयक राज्य के विधानमंडल के सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो वह राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, जो उस पर अपनी सहमति दे सकता है, सहमति रोक सकता है, या विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है) राष्ट्रीय महत्व के लिए या उच्च न्यायालय के संबंध में कोई प्रावधान करने के लिए राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 201 यह निर्धारित करता है कि जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा जाता है, तो राष्ट्रपति उस विधेयक पर अपनी सहमति दे सकता है या सहमति नहीं दे सकता है। वह विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है) राज्य के विधानमंडल को, संशोधन के साथ या बिना संशोधन के, वापस भी भेज सकता है। अनुच्छेद 213 राज्यपाल द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है, और अनुच्छेद 214 उच्च न्यायालयों की स्थापना से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 201 राष्ट्रपति की सहमति से संबंधित है, 213 राज्यपाल के अध्यादेश से, और 214 उच्च न्यायालयों की स्थापना से।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था प्रत्यक्ष रूप से भारतीय संविधान के तहत स्थापित नहीं है?
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- चुनाव आयोग (ECI)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत, और चुनाव आयोग (ECI) अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) एक वैधानिक निकाय है, जिसे राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत स्थापित किया गया था। नीति आयोग (National Institution for Transforming India) को 1 जनवरी 2015 को एक कार्यकारी आदेश (executive order) के माध्यम से स्थापित किया गया था, इसे भारत सरकार के प्रस्ताव द्वारा बनाया गया था। यह न तो संवैधानिक है और न ही वैधानिक। यह थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।
- गलत विकल्प: CAG और ECI दोनों संवैधानिक निकाय हैं। NCW एक वैधानिक निकाय है, जबकि नीति आयोग एक गैर-संवैधानिक और गैर-वैधानिक निकाय है (सरकार के प्रस्ताव से बना)। चूंकि प्रश्न ‘प्रत्यक्ष रूप से भारतीय संविधान के तहत स्थापित नहीं’ पूछ रहा है, नीति आयोग इसका सबसे सटीक उत्तर है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के बारे में सही नहीं है?
- ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- ये देश के शासन में मूलभूत हैं।
- ये नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों के पूरक हैं।
- इनका उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं। अनुच्छेद 37 स्पष्ट रूप से कहता है कि ये सिद्धांत न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे, लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह इन सिद्धांतों को लागू करे।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है। मौलिक कर्तव्य (भाग IV-A) नागरिकों के कर्तव्यों को बताते हैं, और DPSP राज्य के कर्तव्यों को बताते हैं, दोनों ही देश के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं। मौलिक अधिकार राजनीतिक लोकतंत्र स्थापित करते हैं, जबकि DPSP सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: (d) गलत है क्योंकि DPSP का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है। राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना मुख्य रूप से मौलिक अधिकारों द्वारा की जाती है। (a), (b), और (c) तीनों कथन सही हैं।
प्रश्न 9: भारत में दल-बदल विरोधी कानून को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा पेश किया गया था?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल विरोधी कानून, जिसे 10वीं अनुसूची के रूप में जाना जाता है, को 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा भारतीय संविधान में जोड़ा गया था। यह संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने संविधान की 10वीं अनुसूची जोड़ी, जो दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों को निर्धारित करती है। इसका उद्देश्य विधायकों की निष्ठा को पार्टी के प्रति सुनिश्चित करना और बार-बार दल बदलना रोकना था। 42वां संशोधन (1976) ‘मिनी संविधान’ कहलाता है, 44वां (1978) संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया, और 61वां (1989) मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों का संबंध दलबदल विरोधी कानून से नहीं है।
प्रश्न 10: भारत के संघीय ढांचे के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- भारत में कोई भी नागरिकता नहीं है, सभी एकल नागरिक हैं।
- यह कनाडा के संघीय ढांचे से अधिक प्रेरित है।
- यहां राज्य सरकारों के पास केंद्र सरकार की तुलना में अधिक शक्तियां हैं।
- संघीय प्रणाली में, राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत में एकल नागरिकता है, जैसा कि भाग II में अनुच्छेद 9 में निहित है (यद्यपि यह सीधे तौर पर ‘एकल नागरिकता’ शब्द का प्रयोग नहीं करता, लेकिन यह स्पष्ट है कि दोहरी नागरिकता का कोई प्रावधान नहीं है)। भारत का संविधान कनाडा के मॉडल से काफी प्रभावित है, जिसमें केंद्र की ओर झुकाव वाली अर्ध-संघीय (quasi-federal) प्रणाली है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है (संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत जहां दोहरी नागरिकता है – संघीय और राज्य)। इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति केवल भारत का नागरिक है, किसी राज्य का अलग नागरिक नहीं। भारत को ‘एक पूर्ण संघ’ के बजाय ‘एक संघ’ कहा गया है, जो एकता पर जोर देता है। संविधान ने केंद्र को राज्यों की तुलना में अधिक शक्तियां दी हैं, जो इसे अर्ध-संघीय बनाता है। राज्यों को संघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है, जैसा कि अनुच्छेद 1(3) में कहा गया है कि भारत ‘राज्यों का एक अविभाज्य संघ’ है।
- गलत विकल्प: (a) भारत में एकल नागरिकता है, यह सत्य है, लेकिन प्रश्न भारतीय ढांचे के बारे में है। (c) गलत है क्योंकि केंद्र सरकार के पास अधिक शक्तियां हैं। (d) गलत है क्योंकि राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। (b) सबसे सही कथन है कि यह कनाडा के मॉडल से अधिक प्रेरित है, जो एक मजबूत केंद्र वाले संघ का सुझाव देता है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि ‘बुनियादी ढांचा’ (Basic Structure) भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे संसद द्वारा संशोधित नहीं किया जा सकता?
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
- एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की 13-न्यायाधीशों की पीठ ने व्यवस्था दी कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान के ‘बुनियादी ढांचे’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया और संविधान की सर्वोच्चता और उसके मूल सिद्धांतों को बनाए रखा। गोलकनाथ मामले (1967) में, न्यायालय ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) की व्याख्या का विस्तार किया। एस.आर. बोम्मई मामले (1994) ने राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के दुरुपयोग को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय दिया।
- गलत विकल्प: गोलकनाथ ने संशोधन शक्ति को सीमित किया लेकिन बुनियादी ढांचे का सिद्धांत नहीं दिया। मेनका गांधी और एस.आर. बोम्मई मौलिक अधिकारों और राष्ट्रपति शासन से संबंधित महत्वपूर्ण मामले थे, लेकिन बुनियादी ढांचे के सिद्धांत का प्रतिपादन केशवानंद भारती मामले में हुआ।
प्रश्न 12: भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
- 25 वर्ष
- 30 वर्ष
- 35 वर्ष
- कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं है
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का संविधान सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के लिए कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं करता है। हालाँकि, प्रधानमंत्री को लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना चाहिए। यदि वे किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, तो उन्हें पद संभालने के 6 महीने के भीतर किसी एक सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी। लोकसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है (अनुच्छेद 84)।
- संदर्भ और विस्तार: इसलिए, अप्रत्यक्ष रूप से, प्रधानमंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है (यदि वह लोकसभा के सदस्य बनते हैं) या 30 वर्ष (यदि वे राज्यसभा के सदस्य बनते हैं)। लेकिन तकनीकी रूप से, संविधान कोई विशिष्ट आयु निर्धारित नहीं करता है। हालांकि, सामान्य अभ्यास और संवैधानिक आवश्यकता के कारण, 25 वर्ष को न्यूनतम स्वीकार्य आयु माना जाता है।
- गलत विकल्प: 30 वर्ष राज्यसभा के सदस्य के लिए है, 35 वर्ष राष्ट्रपति या राज्यपाल के लिए है। चूंकि प्रश्न ‘भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए’ पूछ रहा है, और यदि वह लोकसभा से चुने जाते हैं तो 25 वर्ष न्यूनतम है, जबकि संविधान सीधे तौर पर निर्धारित नहीं करता। लेकिन सबसे व्यावहारिक उत्तर 25 वर्ष है, क्योंकि सबसे अधिक बार प्रधानमंत्री लोकसभा से चुने जाते हैं। यदि प्रश्न ‘प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने के लिए’ होता, तो 6 महीने का प्रावधान लागू होता। 25 वर्ष सबसे सामान्य और स्वीकार्य न्यूनतम आयु मानी जाती है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338), और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) (अनुच्छेद 315) भारतीय संविधान के तहत स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (NITI Aayog) भारत सरकार के एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया गया था। यह एक नीति-उन्मुख थिंक टैंक है, लेकिन यह संविधान द्वारा सीधे तौर पर स्थापित निकाय नहीं है। संवैधानिक निकाय वे हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है और जिनके लिए विशेष अनुच्छेद आवंटित किए गए हैं।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग, NCSC, और UPSC तीनों संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग को छोड़कर, जो कार्यकारी आदेश से बना है।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य विधानमंडल को धन विधेयक को प्रमाणित करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 199
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 207
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 199, राज्य विधानमंडल के संदर्भ में, ‘धन विधेयक’ को परिभाषित करता है और उसे प्रमाणित करने की प्रक्रिया को भी बताता है। अध्यक्ष (विधानसभा का) या सभापति (विधान परिषद का, यदि वह द्विसदनीय है) ऐसे विधेयक को प्रमाणित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 110 केंद्र सरकार के लिए धन विधेयक को परिभाषित करता है, और अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का वर्णन करता है। अनुच्छेद 207 धन विधेयकों के संबंध में विशेष उपबंधों से संबंधित है। धन विधेयक की परिभाषा और प्रमाणीकरण राज्य स्तर पर अनुच्छेद 199 के तहत होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 और 109 केंद्र से संबंधित हैं। अनुच्छेद 207 धन विधेयकों के लिए विशेष उपबंधों से संबंधित है, न कि प्रमाणीकरण से।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान के आपातकालीन उपबंधों के तहत, अनुच्छेद 356 का उपयोग कब किया जाता है?
- बाह्य आक्रमण के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के लिए।
- राज्य के भीतर संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने पर।
- वित्तीय आपातकाल की घोषणा के लिए।
- किसी भी देश के साथ युद्ध की स्थिति में।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को यह घोषित करने की शक्ति देता है कि किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति शासन लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। किसी भी देश के साथ युद्ध की स्थिति में अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। अनुच्छेद 356 का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य नहीं कर पाती है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) अनुच्छेद 352 से संबंधित हैं, और (c) अनुच्छेद 360 से।
प्रश्न 16: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- उन्हें संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है।
- उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वे भारत के किसी भी न्यायालय में निजी वकालत कर सकते हैं।
- उनका कार्यकाल निश्चित होता है, जैसे 5 वर्ष।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत का महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता। वे अपने आधिकारिक क्षमता में भारत के किसी भी न्यायालय में सुनवाइयों का अधिकार रखते हैं। लेकिन, वे सरकार के विरुद्ध वकालत नहीं कर सकते और न ही किसी आपराधिक मामले में अपराधी का बचाव कर सकते हैं। उनका कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं, लेकिन व्यवहार में वे तब तक बने रहते हैं जब तक सरकार उन्हें नियुक्त करती है।
- गलत विकल्प: (a) आंशिक रूप से सत्य है कि वे कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं है। (c) गलत है, वे निजी वकालत पर कुछ प्रतिबंधों के अधीन हैं। (d) गलत है क्योंकि उनका कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता। (b) पूरी तरह से सत्य है।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘संवैधानिक संरक्षक’ के रूप में माना जाता है?
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 226
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 13 सर्वोच्च न्यायालय (और उच्च न्यायालयों) को यह शक्ति प्रदान करता है कि वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून को शून्य घोषित कर सकें (न्यायिक समीक्षा)। अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है, जिसे डॉ. अंबेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा था। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकारों सहित किसी भी अन्य कानूनी उद्देश्य के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन तीनों अनुच्छेदों के माध्यम से, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय संविधान के प्रावधानों को बनाए रखते हैं, मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि विधायिका और कार्यपालिका अपने संवैधानिक दायरे में रहें। इसलिए, वे संवैधानिक संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रत्येक अनुच्छेद में से कोई एक पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि तीनों ही इस भूमिका में योगदान करते हैं।
प्रश्न 18: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संविधान संशोधन अधिनियम किस वर्ष अधिनियमित हुआ?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ। इसने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जो पंचायती राज से संबंधित है, और अनुसूची 11 भी जोड़ी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देना और उन्हें स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाना था, जिससे वे अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें। अधिनियम में पंचायतों की संरचना, शक्तियाँ, कार्य और वित्त आदि से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- गलत विकल्प: अधिनियम 1992 में पारित हुआ था, लेकिन लागू 1993 में हुआ। प्रश्न ‘अधिनियमित’ पूछ रहा है, इसलिए 1992 सही है। 1993 वह वर्ष है जब यह लागू हुआ। (हालांकि, कई बार परीक्षा में इस तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं जहाँ वर्ष पर थोड़ी अस्पष्टता हो सकती है। पर यहाँ ‘अधिनियमित’ शब्द महत्वपूर्ण है।)
प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- जर्मनी का वाइमर गणराज्य
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों (अनुच्छेद 352, 356, 360) को जर्मनी के वाइमर गणराज्य के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी के संविधान में आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित करने का प्रावधान था, जिसे भारतीय संविधान निर्माताओं ने अपनाया। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता को बनाए रखना था, भले ही इसके लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करना पड़े।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, कनाडा से अर्ध-संघीय ढांचा, और ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची (concurrent list) आदि प्रावधान लिए गए हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संसद’ का हिस्सा नहीं है, भले ही यह विधानमंडल के लिए कानून बनाने में भूमिका निभाती है?
- लोकसभा
- राज्यसभा
- राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 79 के अनुसार, भारत की संसद का गठन राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर होता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा मिलकर संसद बनाते हैं और कानून निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रपति विधेयक को सहमति देने या न देने का कार्य करते हैं, या पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं। सर्वोच्च न्यायालय न्यायपालिका का हिस्सा है और इसका मुख्य कार्य कानूनों की व्याख्या करना और न्यायिक समीक्षा करना है। यह प्रत्यक्ष रूप से कानून बनाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होता, बल्कि कानूनों की वैधता की जांच करता है।
- गलत विकल्प: लोकसभा और राज्यसभा प्रत्यक्ष रूप से विधायी निकाय हैं। राष्ट्रपति विधायी प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। सर्वोच्च न्यायालय न्यायपालिका का हिस्सा है।
प्रश्न 21: भारत में ‘लोकपाल’ का पद पहली बार कब एक विधायी अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया?
- 1960
- 1968
- 2013
- 2015
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था, जिसने विधिवत रूप से लोकपाल के पद की स्थापना की। यह अधिनियम 1 जनवरी 2014 को लागू हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: लोकपाल भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल है, जो सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र संस्था है। 1968 में पहली बार लोकपाल विधेयक संसद में पेश किया गया था, लेकिन यह कई वर्षों तक पारित नहीं हुआ। 2013 में अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद यह अधिनियम पारित हुआ।
- गलत विकल्प: 1960 और 1968 में विधेयक पेश हुए थे लेकिन अधिनियमित नहीं हुए। 2015 में लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन अधिनियम 2013 का है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा एक मौलिक कर्तव्य नहीं है?
- संवैधानिक आदर्शों और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना।
- संपत्ति का अधिकार।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV-A (अनुच्छेद 51-A) मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। इनमें राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करना, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना, सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना आदि शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 300-A) मूल रूप से मौलिक अधिकार था (अनुच्छेद 31), लेकिन 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300-A के तहत एक विधिक अधिकार बना दिया गया। इसलिए, यह अब मौलिक कर्तव्य नहीं है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51-A के तहत नागरिकों के मौलिक कर्तव्य हैं।
प्रश्न 23: भारत में ‘राज्यसभा’ का पदेन सभापति कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 64 के अनुसार, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘पदेन’ का अर्थ है कि व्यक्ति अपने पद के कारण स्वचालित रूप से सभापति होता है। उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करने के लिए कोई अतिरिक्त वेतन नहीं मिलता है, बल्कि उन्हें उपराष्ट्रपति के रूप में मिलने वाला वेतन और भत्ते ही मिलते हैं। राज्यसभा अपने सदस्यों में से ही एक उप-सभापति का चुनाव करती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, लोकसभा का अध्यक्ष लोकसभा का संचालन करता है, और मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका का प्रमुख होता है। ये सभी राज्यसभा के पदेन सभापति नहीं होते।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति भारत के राष्ट्रपति में निहित नहीं है?
- संसद का सत्र बुलाना
- अध्यादेश जारी करना
- किसी भी सदन के सदस्य को अयोग्य घोषित करना
- किसी भी विधेयक पर वीटो शक्ति का प्रयोग करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति के पास संसद का सत्र बुलाने (अनुच्छेद 85), अध्यादेश जारी करने (अनुच्छेद 123), और विभिन्न प्रकार की वीटो शक्तियों (जैसे पूर्ण वीटो, निलंबनकारी वीटो, जेबी वीटो) का प्रयोग करने की शक्ति है।
- संदर्भ और विस्तार: किसी भी सदन के सदस्य को दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित करने का अधिकार अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) के पास होता है, जो दसवीं अनुसूची के तहत अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हैं। राष्ट्रपति, अनुच्छेद 103 के तहत, किसी सदस्य की अयोग्यता पर चुनाव आयोग की सलाह पर निर्णय लेते हैं, लेकिन वे स्वयं किसी सदस्य को सीधे अयोग्य घोषित नहीं करते।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी राष्ट्रपति की शक्तियाँ हैं। (c) गलत है क्योंकि यह शक्ति प्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष/सभापति की है, न कि राष्ट्रपति की।
प्रश्न 25: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियों’ (Residuary Powers) का विचार किस देश के संविधान से लिया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- ब्रिटेन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में अवशिष्ट शक्तियों का विचार कनाडा के संविधान से लिया गया है। अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट शक्तियों के संबंध में कोई भी विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं है, उस पर कानून बनाने की शक्ति संसद में निहित होगी।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों (संघ, राज्य, समवर्ती) में किया गया है। वे विषय जो इन सूचियों में नहीं हैं, अवशिष्ट विषय कहलाते हैं। कनाडा की तरह, जहाँ केंद्र सरकार के पास अवशिष्ट शक्तियाँ हैं, भारत में भी इन शक्तियों का अंतिम अधिकार संसद के पास है। यह भारत के अर्ध-संघीय स्वरूप को दर्शाता है, जिसमें केंद्र की ओर झुकाव है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में, अवशिष्ट शक्तियाँ राज्यों में निहित हैं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची का विचार लिया गया है, और ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली और विधि का शासन।