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भारतीय राजव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत करें!

भारतीय राजव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत करें!

नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! आज भारतीय संविधान और राजव्यवस्था के विशाल सागर में गोता लगाने का दिन है। अपने ज्ञान की गहराई को परखें और अवधारणाओं की स्पष्टता को निखारें। यह 25 प्रश्नों का अभ्यास सेट आपकी तैयारी को एक नई दिशा देगा। आइए, लोकतंत्र के इन आधार स्तंभों पर अपनी पकड़ को और मजबूत करें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (अब ‘धर्मनिरपेक्ष’ के रूप में अधिक प्रयोग होता है) और ‘अखंडता’ शब्दों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। यह भारतीय संविधान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण संशोधन था, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य को सामाजिक, धर्मनिरपेक्ष और एकीकृत चरित्र प्रदान करना था, हालांकि संविधान का मूल ढाँचा इन मूल्यों को पहले से ही विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से अंतर्निहित करता था। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में हुआ था।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वां संशोधन अधिनियम, 1985 ने दसवीं अनुसूची जोड़ी (दल-बदल विरोधी कानून)। 61वां संशोधन अधिनियम, 1989 ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ‘जीवन के अधिकार’ में शामिल है?

  1. काम का अधिकार
  2. निजता का अधिकार
  3. शिक्षा का अधिकार
  4. ये सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का प्रावधान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में इस अधिकार का दायरा विस्तृत किया है। ‘निजता का अधिकार’ (Aadhaar case, Puttaswamy judgement), ‘काम का अधिकार’ (Workmen of Bangalore Water Supply and Sewerage Board v. D.T.K. Services) और ‘शिक्षा का अधिकार’ (Mohini Jain v. State of Karnataka) सभी को अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग माना गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने व्याख्या की है कि ‘जीवन’ का अर्थ केवल ‘पशुवत अस्तित्व’ नहीं है, बल्कि इसमें मानव गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी अधिकार शामिल हैं। इसमें स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार, आजीविका का अधिकार, चिकित्सा सहायता का अधिकार, नींद का अधिकार आदि भी शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: चूँकि उपरोक्त सभी अधिकार (काम का अधिकार, निजता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार) अनुच्छेद 21 के अंतर्गत माने गए हैं, इसलिए ‘ये सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता है?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
  3. दिल्ली और पुडुचेरी विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य
  4. विधान परिषदों के सदस्य

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 54 के अनुसार होता है। इस चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। दिल्ली और पुडुचेरी (अब पांडिचेरी) विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भी 70वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल किए गए।
  • संदर्भ और विस्तार: विधान परिषदों के सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है क्योंकि वे अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं और वे राज्य की विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि सीधे लोगों का।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (c) सभी राष्ट्रपति के चुनाव मंडल का हिस्सा हैं, इसलिए वे गलत हैं। विधान परिषदों के सदस्य (विकल्प d) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित गलत है?

  1. राष्ट्रपति केवल तभी अध्यादेश जारी कर सकता है जब संसद का कोई भी एक सदन सत्र में न हो।
  2. अध्यादेश का वही प्रभाव और बल होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है।
  3. राष्ट्रपति, लोक महत्व के मामलों में, सलाह के लिए सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श कर सकता है।
  4. संसद के पुनः अधिवेशन में आने के छह सप्ताह के भीतर अध्यादेश को दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 123 में निहित है। इस अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रपति केवल तभी अध्यादेश जारी कर सकता है जब संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) सत्र में न हों, या केवल एक सदन सत्र में हो। यदि दोनों सदन सत्र में हैं, तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी नहीं कर सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: अध्यादेश की अधिकतम अवधि 6 महीने + 6 सप्ताह होती है (संसद के पुनः अधिवेशन के 6 सप्ताह के भीतर अनुमोदन आवश्यक)। यदि संसद इसे अनुमोदित नहीं करती है, तो यह सत्र शुरू होने के 6 सप्ताह बाद समाप्त हो जाता है। राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है।
  • गलत विकल्प: कथन (a) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति अध्यादेश तब जारी करता है जब ‘संसद का कोई भी एक सदन सत्र में न हो’ या ‘दोनों सदन सत्र में न हों’। यह कहना गलत है कि ‘केवल तभी जब संसद का कोई भी एक सदन सत्र में न हो’, क्योंकि स्थिति ऐसी भी हो सकती है कि दोनों सदन सत्र में न हों। अन्य सभी कथन सही हैं।

प्रश्न 5: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
  4. 81वां संशोधन अधिनियम, 2000

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा गया और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इसने संविधान में 11वीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषय सूचीबद्ध हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्ति, स्वायत्तता और कार्यक्षमता प्रदान करना था ताकि वे स्थानीय स्वशासन के सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें। यह बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों से प्रेरित था।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 65वां संशोधन अधिनियम, 1990 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना से संबंधित था (बाद में 89वें संशोधन द्वारा इसे दो आयोगों में विभाजित किया गया)। 81वां संशोधन अधिनियम, 2000 पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधानों को शिथिल करने से संबंधित था।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान में ‘संघीय प्रणाली’ की अवधारणा किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. यूनाइटेड किंगडम

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत में ‘संघीय प्रणाली’ (Federal System), विशेष रूप से ‘मजबूत केंद्र वाले संघ’ की अवधारणा कनाडा के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान ‘एकल नागरिकता’ और ‘अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास’ जैसी विशेषताओं को भी कनाडा से लेता है, जो एक मजबूत संघीय व्यवस्था का संकेत है।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि भारत की संघीय व्यवस्था की कई विशेषताएँ संयुक्त राज्य अमेरिका से ली गई हैं, जैसे कि स्वतंत्रता का अधिकार, शक्ति पृथक्करण, लेकिन कनाडा का मॉडल भारत के लिए अधिक प्रासंगिक है क्योंकि इसमें केंद्र को अधिक अधिकार प्राप्त हैं, जैसा कि भारतीय संविधान में है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘न्यायिक समीक्षा’, ‘मौलिक अधिकार’, ‘राष्ट्रपति का पद’ आदि लिए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से ‘समवर्ती सूची’ और ‘संसदीय विशेषाधिकार’ लिए गए हैं। यूनाइटेड किंगडम से ‘संसदीय शासन प्रणाली’, ‘कानून का शासन’, ‘एकल नागरिकता’ (कुछ हद तक) और ‘मंत्रिमंडलीय प्रणाली’ ली गई है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा भारत का ‘सार्वजनिक व्यय का प्रहरी’ (Watchdog of Public Expenditure) कहा जाता है?

  1. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG)
  3. वित्त आयोग (Finance Commission)
  4. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को ‘सार्वजनिक व्यय का प्रहरी’ कहा जाता है। CAG के पद का प्रावधान अनुच्छेद 148 में है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों का ऑडिट करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल को सौंपता है, जो उन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष रखते हैं। CAG का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक धन का व्यय वैध, कुशल और मितव्ययी तरीके से हुआ है या नहीं।
  • गलत विकल्प: महान्यायवादी सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। वित्त आयोग वित्तीय मामलों पर केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के वितरण की सिफारिश करता है। प्रवर्तन निदेशालय आर्थिक कानूनों के प्रवर्तन से संबंधित है।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान में ‘कल्याणकारी राज्य’ की अवधारणा किस भाग में निहित है?

  1. मौलिक अधिकार (Part III)
  2. राज्य के नीति निदेशक तत्व (Part IV)
  3. मौलिक कर्तव्य (Part IV-A)
  4. प्रस्तावना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) का वर्णन है। अनुच्छेद 38 स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना और लोक कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन के सभी क्षेत्रों में व्याप्त हो। यह कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को दर्शाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP प्रत्यक्ष रूप से न्यायोचित (enforceable) नहीं हैं, लेकिन ये देश के शासन के लिए मूलभूत सिद्धांत हैं और कानून बनाने में राज्य का कर्तव्य है कि वह इन सिद्धांतों को लागू करे। ये राज्य को सामाजिक और आर्थिक लोकतन्त्र स्थापित करने का निर्देश देते हैं।
  • गलत विकल्प: मौलिक अधिकार नागरिकों को प्राप्त कुछ मूल अधिकार हैं जो न्यायोचित हैं। मौलिक कर्तव्य नागरिकों के नैतिक कर्तव्य हैं। प्रस्तावना संविधान के आदर्शों और लक्ष्यों को बताती है, लेकिन कल्याणकारी राज्य की ‘नीति’ का विस्तृत वर्णन भाग IV में है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) का प्रतिपादन किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
  4. एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की अब तक की सबसे बड़ी (13 न्यायाधीशों की) संवैधानिक पीठ ने ‘मूल संरचना सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार, संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित कर सकती है, लेकिन वह संविधान की ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती।
  • संदर्भ और विस्तार: इस ऐतिहासिक निर्णय ने संसद की संविधान संशोधन शक्ति पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाया और यह सुनिश्चित किया कि संविधान के आवश्यक तत्व और विशेषताएँ बनी रहें। मूल संरचना के तत्वों में संविधान की सर्वोच्चता, गणतंत्रात्मक और लोकतांत्रिक स्वरूप, धर्मनिरपेक्ष चरित्र, शक्तियों का पृथक्करण, संघीय ढाँचा आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: गोलकनाथ मामले (1967) में, न्यायालय ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 का दायरा बढ़ाया। एस.आर. बोम्मई मामले (1994) में, न्यायालय ने राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के प्रयोग की शर्तों पर महत्वपूर्ण निर्णय दिए।

प्रश्न 10: भारत में, ‘संसदीय विशेषाधिकार’ का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?

  1. अनुच्छेद 105
  2. अनुच्छेद 118
  3. अनुच्छेद 122
  4. अनुच्छेद 194

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद के सदस्यों और सदनों को प्राप्त विशेषाधिकारों से संबंधित है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 194 राज्य विधानमंडलों के सदस्यों और विधानमंडलों को प्राप्त विशेषाधिकारों से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन विशेषाधिकारों में भाषण की स्वतंत्रता (सदन में या समिति में दिए गए किसी भी बयान या वोट के संबंध में) और सदन के भीतर या समितियों में कार्रवाई के संबंध में पूर्ण स्वतंत्रता शामिल है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सदस्य बिना किसी डर या पक्षपात के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 118 प्रक्रिया के नियमों से संबंधित है। अनुच्छेद 122 कहता है कि संसद की कार्यवाही की जांच किसी न्यायालय द्वारा नहीं की जा सकती। अनुच्छेद 194 राज्य विधानमंडलों के विशेषाधिकारों से संबंधित है, न कि केवल केंद्र के।

प्रश्न 11: भारत में, ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ (National Human Rights Commission) की संरचना में अध्यक्ष के अतिरिक्त कितने सदस्य होते हैं?

  1. दो पूर्णकालिक सदस्य
  2. तीन पूर्णकालिक सदस्य
  3. चार पूर्णकालिक सदस्य
  4. दो पदेन सदस्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। इसके अध्यक्ष के अलावा, इसमें एक सदस्य (न्यायिक सदस्य) और तीन पूर्णकालिक सदस्य होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश होता है। पूर्णकालिक सदस्यों में एक व्यक्ति जो सर्वोच्च न्यायालय का वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश हो, और दो व्यक्ति जो किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश हो, या भारत के नागरिकों में से ऐसे व्यक्ति जिन्हें मानव अधिकारों से संबंधित मामलों का ज्ञान या अनुभव हो।
  • गलत विकल्प: NHRC में अध्यक्ष के अलावा दो पूर्णकालिक सदस्य (एक न्यायिक, एक गैर-न्यायिक) और तीन पदेन सदस्य (राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष) होते हैं। हालाँकि, प्रश्न में ‘पूर्णकालिक सदस्य’ पूछा गया है, आयोग में कुल सदस्यों की संख्या (अध्यक्ष सहित) 5 होती है, जिनमें 2 पूर्णकालिक सदस्य (एक न्यायिक और एक अन्य) होते हैं, और 3 पदेन सदस्य होते हैं। लेकिन प्रश्न की भाषा को देखते हुए, और आयोग की संरचना के सामान्य संदर्भ में, यदि हम केवल विशुद्ध रूप से सदस्यों की बात करें (अध्यक्ष को छोड़कर), तो संरचना को समझना महत्वपूर्ण है। NHRC अधिनियम के अनुसार, अध्यक्ष के अतिरिक्त, आयोग में सात सदस्य होते हैं: एक सदस्य (न्यायिक), तीन पूर्णकालिक सदस्य, और राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष (SC, ST, महिला, बाल, अल्पसंख्‍यक, मूक-बधिर) पदेन सदस्य होते हैं। **यहां प्रश्न में कुछ अस्पष्टता है, लेकिन यदि आयोग के अधिनियम का अनुसरण करें तो अध्यक्ष के अतिरिक्त 7 सदस्य (1 न्यायिक, 3 पूर्णकालिक, 3 पदेन) होते हैं। यदि “पूर्णकालिक सदस्य” का अर्थ केवल गैर-पदेन और गैर-न्यायिक सदस्यों से है, तो यह 3 है। ** **सुधार:** NHRC अधिनियम, 2006 के संशोधन के बाद, आयोग में अध्यक्ष के अलावा एक न्यायिक सदस्य और तीन अन्य पूर्णकालिक सदस्य होते हैं, जो मानव अधिकारों के क्षेत्र में अनुभव रखते हैं। ये कुल 4 सदस्य (1 अध्यक्ष + 4 सदस्य) मिलकर काम करते हैं, और इसके साथ ही राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष पदेन सदस्य के रूप में भाग लेते हैं। इसलिए, तीन पूर्णकालिक सदस्य (गैर-न्यायिक) होते हैं।

प्रश्न 12: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) संविधान की किस अनुसूची में शामिल हैं?

  1. दूसरी अनुसूची
  2. तीसरी अनुसूची
  3. चौथी अनुसूची
  4. किसी अनुसूची में नहीं

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं। वे किसी अनुसूची में सूचीबद्ध नहीं हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुसूचियाँ आमतौर पर विशिष्ट प्रकार की जानकारी को व्यवस्थित करने के लिए उपयोग की जाती हैं, जैसे कि क्षेत्रों की सूची, आधिकारिक भाषाएँ, शपथ या प्रतिज्ञान के प्रारूप, या सीटों का आवंटन। DPSP, जो शासन के लिए मूलभूत सिद्धांत हैं, संविधान के मुख्य भाग में ही दिए गए हैं।
  • गलत विकल्प: दूसरी अनुसूची राष्ट्रपति, राज्यपालों, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन से संबंधित है। तीसरी अनुसूची शपथ और प्रतिज्ञान के प्रारूपों से संबंधित है। चौथी अनुसूची राज्यसभा में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सीटों के आवंटन से संबंधित है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘सार्वजनिक उपक्रमों के लिए आरक्षण’ से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 16(4)
  2. अनुच्छेद 16(4A)
  3. अनुच्छेद 16(4B)
  4. अनुच्छेद 15(4)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 16(4) यह प्रावधान करता है कि राज्य पिछड़े हुए नागरिकों के किसी भी वर्ग के पक्ष में, जिनकी सेवाओं में प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए प्रावधान कर सकता है। इसे ‘सार्वजनिक उपक्रमों’ सहित राज्य के नियंत्रण वाले किसी भी प्राधिकरण में लागू किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 16(4) को भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था का आधार माना जाता है। बाद के संशोधनों (16(4A) और 16(4B)) ने अनुसूचत जातियों और अनुसूचत जनजातियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण और बैकलॉग को भरने के लिए प्रावधान किए।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 16(4A) पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 16(4B) बैकलॉग और कैरी-फॉरवर्ड को सक्षम बनाता है। अनुच्छेद 15(4) सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करने की राज्य की शक्ति से संबंधित है, न कि केवल सार्वजनिक सेवाओं में।

प्रश्न 14: भारत के संविधान का कौन सा भाग ‘संघ और राज्यों के बीच विधायी संबंध’ से संबंधित है?

  1. भाग IX
  2. भाग X
  3. भाग XI
  4. भाग XII

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI (अनुच्छेद 245 से 293) संघ और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों का वर्णन करता है। विशेष रूप से, अध्याय I (अनुच्छेद 245-255) संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भाग उन क्षेत्रों को परिभाषित करता है जिन पर संसद और राज्य विधानमंडल कानून बना सकते हैं, और उन परिस्थितियों को भी बताता है जब केंद्र राज्य सूची के मामलों पर कानून बना सकता है (जैसे अनुच्छेद 249, 250, 253)।
  • गलत विकल्प: भाग IX पंचायती राज से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद से संबंधित है।

प्रश्न 15: भारत में, ‘अंतर-राज्य परिषद’ (Inter-State Council) की स्थापना का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 262
  2. अनुच्छेद 263
  3. अनुच्छेद 280
  4. अनुच्छेद 307

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 263 राष्ट्रपति को अंतर-राज्य परिषद की स्थापना करने की शक्ति प्रदान करता है। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना और विवादों का समाधान करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति ने 1990 में सरकारी आयोग की सिफारिशों के आधार पर अंतर-राज्य परिषद की स्थापना की। यह परिषद राज्यों के बीच सामान्य हित के विषयों पर सिफारिशें करती है और नीति के बेहतर समन्वय के लिए सलाह देती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 262 अंतर-राज्य नदी जल विवादों के न्यायनिर्णयन से संबंधित है। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 307 संसद को यह उपबंध करने की शक्ति देता है कि वह यह अवधारित करे कि किस माल या व्यक्तियों के, या दोनों के, अंतर-राज्यीय व्यापार या वाणिज्‍य के माध्यम से ले जाए जाने पर क्या कर या शुल्क लगाए जा सकते हैं।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?

  1. अनुच्छेद 324 : मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति
  2. अनुच्छेद 280 : वित्त आयोग का गठन
  3. अनुच्छेद 315 : संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग
  4. अनुच्छेद 320 : लोक सेवा आयोगों के कार्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: अनुच्छेद 324 भारत में निर्वाचन आयोग की स्थापना और उसके सदस्यों की नियुक्ति और शक्ति आदि का प्रावधान करता है। हालांकि, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति का प्रावधान तो इसमें है, लेकिन यह **सही सुमेलित नहीं है** क्योंकि 2023 के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 के तहत नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव आया है, और यह सीधे तौर पर केवल अनुच्छेद 324 द्वारा पूरी तरह से परिभाषित नहीं होता, बल्कि यह अधिनियम भी महत्वपूर्ण है। **हालाँकि, यदि केवल संवैधानिक प्रावधान की बात करें, तो अनुच्छेद 324 ही इससे संबंधित है।** इस प्रश्न के विकल्पों को देखते हुए, और अन्य विकल्पों की पूर्ण सटीकता को देखते हुए, यह प्रश्न थोड़ा विवादास्पद हो सकता है। **मान लीजिए कि मूल संवैधानिक प्रावधान को पूछने का आशय है।**
  • अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
    • अनुच्छेद 280: वित्त आयोग का गठन – यह बिल्कुल सही है।
    • अनुच्छेद 315: संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोगों की स्थापना – यह बिल्कुल सही है।
    • अनुच्छेद 320: लोक सेवा आयोगों के कार्य – यह बिल्कुल सही है।

    **पुनर्मूल्यांकन:** प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा युग्म **सही सुमेलित नहीं है**। अनुच्छेद 324 स्पष्ट रूप से निर्वाचन आयोग की स्थापना और आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान करता है। यदि इसे ‘सही सुमेलित नहीं’ मानना है, तो इसके पीछे का कारण 2023 का अधिनियम हो सकता है, जो अनुच्छेद 324 की व्याख्या को थोड़ा संशोधित करता है। लेकिन विशुद्ध रूप से संवैधानिक अनुच्छेद के संदर्भ में, यह सही है। अन्य सभी अनुच्छेद अपने वर्णित विषय के लिए पूर्णतः सटीक हैं। प्रश्न की मंशा को समझते हुए, और यह मानते हुए कि वे मूल संवैधानिक प्रावधानों के बारे में पूछ रहे हैं, तो शायद प्रश्नकर्ता **अनुच्छेद 324** के साथ कुछ और जोड़ना चाह रहा था जो यहाँ नहीं है। लेकिन दिए गए विकल्पों में, सबसे कमजोर सुमेलित अनुच्छेद 324 ही हो सकता है क्योंकि वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया में अधिनियम की भूमिका बढ़ गई है।


प्रश्न 17: किसी राज्य में विधान परिषद की स्थापना या उसे समाप्त करने का अधिकार किसको है?

  1. भारत की संसद
  2. राज्य का राज्यपाल
  3. राज्य का विधानमंडल
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 169 संसद को यह शक्ति देता है कि वह विधान परिषद की स्थापना या उसे समाप्त कर सकती है। इसके लिए संबंधित राज्य के विधानमंडल द्वारा यह संकल्प पारित किया जाना आवश्यक है कि ऐसा किया जाए।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 169 के अनुसार, संसद ऐसे कानून द्वारा विधान परिषद की स्थापना या समाप्ति कर सकती है, जिसमें उस राज्य की विधान सभा द्वारा ऐसे संकल्प के पारित किए जाने का उपबंध हो। यह संसद के पास एक विशेष अधिकार है।
  • गलत विकल्प: राज्यपाल विधान परिषद के गठन में भाग लेता है (मनोनीत करता है), लेकिन स्थापना या समाप्ति नहीं कर सकता। राज्य का विधानमंडल संकल्प पारित करता है, लेकिन अंतिम अधिकार संसद के पास है। सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा कर सकता है, लेकिन स्थापना या समाप्ति का प्रत्यक्ष अधिकार नहीं है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘दल-बदल’ (Defection) के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता के संबंध में सही है?

  1. यह दसवीं अनुसूची में प्रावधानित है।
  2. अयोग्यता का निर्णय उस सदन के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
  3. अध्यक्ष का निर्णय न्यायिक पुनर्विलोकन के अधीन है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: दल-बदल के आधार पर अयोग्यता के संबंध में सभी कथन सही हैं। दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) संविधान की दसवीं अनुसूची में प्रावधानित है, जिसे 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: दसवीं अनुसूची के पैरा 6 के अनुसार, दल-बदल के आधार पर किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित प्रश्न पर सदन के अध्यक्ष (लोकसभा में अध्यक्ष, विधानमंडल में अध्यक्ष/सभापति) का निर्णय अंतिम होता है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने किहोतो होलोहन मामले (1992) में यह स्पष्ट किया कि अध्यक्ष का निर्णय न्यायिक पुनर्विलोकन (judicial review) के अधीन है, लेकिन यह पुनर्विलोकन केवल ‘दुरुपयोग, मनमानी या कुप्रशासन’ (malafide, mala fide, or arbitrary) के मामलों में ही किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: चूंकि सभी कथन सही हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ (Justice) के किन-किन रूपों का उल्लेख है?

  1. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  2. सामाजिक और राजनीतिक
  3. आर्थिक और राजनीतिक
  4. केवल सामाजिक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ के तीन रूप बताए गए हैं: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। यह भारत को एक ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ बनाने के लक्ष्यों में से एक है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, रंग, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और संपत्ति का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, जैसे कि वोट देने का अधिकार और सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार, प्राप्त हो।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में तीनों प्रकार के न्याय का स्पष्ट रूप से उल्लेख है, इसलिए अन्य विकल्प अपूर्ण हैं।

प्रश्न 20: ‘संसद की सबसे महत्वपूर्ण कार्यपालिका शक्ति’ किसे माना जाता है?

  1. अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion)
  2. मंत्रियों से प्रश्न पूछना
  3. संसदीय समितियाँ
  4. अनुमोदन और जांच

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: संसदीय कार्यपालिका पर नियंत्रण की सबसे महत्वपूर्ण शक्ति ‘अनुमोदन और जांच’ (Consideration and Scrutiny) है। संसद के दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) सरकारी कार्यों, नीतियों और व्यय की विस्तार से जांच करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें बजट का अनुमोदन, मंत्रियों से प्रश्न पूछना, कटौती प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, विशेषाधिकार प्रस्ताव, तथा विभिन्न संसदीय समितियाँ (जैसे प्राक्कलन समिति, लोक लेखा समिति) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन सभी का अंतिम उद्देश्य कार्यपालिका को जवाबदेह बनाना है। ‘अनुमोदन और जांच’ एक व्यापक शब्द है जिसमें उपरोक्त सभी विधियाँ शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: अविश्वास प्रस्ताव, मंत्रियों से प्रश्न पूछना, और संसदीय समितियाँ कार्यपालिका पर नियंत्रण के महत्वपूर्ण साधन हैं, लेकिन ‘अनुमोदन और जांच’ इन सभी को समाहित करने वाली एक व्यापक शक्ति है, जो संसद की सबसे महत्वपूर्ण कार्यपालिका शक्ति मानी जाती है।

प्रश्न 21: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘अधिकार’ होते हुए भी ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ नहीं हैं?

  1. काम का अधिकार
  2. पर्याप्त आजीविका का अधिकार
  3. राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की रक्षा
  4. भारतीय संविधान के प्रति निष्ठावान रहना और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: विकल्प (d) ‘भारतीय संविधान के प्रति निष्ठावान रहना और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना’ मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) हैं, जो संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) में वर्णित हैं। मौलिक कर्तव्य नागरिकों पर लागू होते हैं, जबकि नीति निदेशक तत्व राज्य पर लागू होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: काम का अधिकार (अनुच्छेद 41), पर्याप्त आजीविका का अधिकार (अनुच्छेद 41), और राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की रक्षा (अनुच्छेद 49) सभी राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं। ये राज्य को निर्देशित करते हैं कि वह अपने शासन में इन सिद्धांतों का पालन करे।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं। विकल्प (d) मौलिक कर्तव्य है, जो राज्य के नीति निदेशक तत्व नहीं हैं।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित है?

  1. अनुच्छेद 50 : कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण
  2. अनुच्छेद 40 : ग्राम पंचायतों का संगठन
  3. अनुच्छेद 44 : समान नागरिक संहिता
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्वों के तहत, अनुच्छेद 50 राज्य को कार्यपालिका से न्यायपालिका को पृथक करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देता है। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के संगठन को बढ़ावा देने की राज्य की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए राज्य का प्रयास करने का प्रावधान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तीनों ही राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं और संविधान के महत्वपूर्ण प्रावधानों में से हैं। ये भारत को एक कल्याणकारी राज्य बनाने के उद्देश्य को पूरा करने में मदद करते हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि अनुच्छेद 50, 40 और 44 तीनों अपने वर्णित विषयों के लिए सही सुमेलित हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 23: भारत के संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रभावित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. ऑस्ट्रेलिया
  3. जर्मनी
  4. फ्रांस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: भारत में आपातकालीन प्रावधान, विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य में आपातकाल (राष्ट्रपति शासन, अनुच्छेद 356) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360), मुख्य रूप से ‘वायमर गणराज्य’ (Weimar Republic) यानी जर्मनी के संविधान से प्रेरित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जर्मनी का संविधान, जिसे ‘गवर्नमेंट ऑफ द रीच’ भी कहा जाता है, आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों के निलंबन का प्रावधान करता है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 (आपातकाल की घोषणा) और 359 (आपातकाल के दौरान भाग III द्वारा प्रदत्त अधिकारों को लागू करने का स्थगन) में परिलक्षित होता है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार और राष्ट्रपति का पद लिया गया है, लेकिन आपातकालीन शक्तियों को वहां से नहीं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची ली गई है। फ्रांस से गणतंत्रात्मक व्यवस्था और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व के आदर्श लिए गए हैं।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. चुनाव आयोग (Election Commission)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
  3. राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women)
  4. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना महिला अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1990 के तहत की गई थी। यह भारतीय संविधान में सीधे तौर पर वर्णित कोई निकाय नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में होता है और जिनके गठन, शक्तियों और कार्यों का वर्णन संविधान में किया गया है। चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी संवैधानिक निकाय हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संवैधानिक निकाय हैं, इसलिए वे गलत उत्तर हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग एक सांविधिक निकाय है, इसलिए वह सही उत्तर है।

प्रश्न 25: भारत में, ‘लोकसभा के अध्यक्ष’ के पद के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा द्वारा अपने सदस्यों में से किया जाता है।
  2. अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर, उपाध्यक्ष उसका कार्यभार संभालता है।
  3. अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को संबोधित करता है।
  4. अध्यक्ष को उसके पद से केवल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: लोकसभा के अध्यक्ष को उसके पद से हटाने के लिए महाभियोग (Impeachment) प्रक्रिया का प्रावधान नहीं है। अध्यक्ष को उसके पद से केवल लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा हटाया जा सकता है, बशर्ते कि ऐसे संकल्प के लिए कम से कम 14 दिन पूर्व की लिखित सूचना दी गई हो (अनुच्छेद 94)।
  • संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के प्रथम अधिवेशन में, उसके सदस्यों में से ही किया जाता है (अनुच्छेद 93)। उपाध्यक्ष का कार्यभार अध्यक्ष के पद रिक्त होने पर उपाध्यक्ष संभालता है (अनुच्छेद 95)। अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को संबोधित करता है (अनुच्छेद 94)।
  • गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (c) सही हैं। कथन (d) सही नहीं है क्योंकि अध्यक्ष को महाभियोग द्वारा नहीं, बल्कि एक विशेष बहुमत वाले संकल्प द्वारा हटाया जाता है।

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