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भारतीय राजव्यवस्था का रण: आज परखें अपना ज्ञान

भारतीय राजव्यवस्था का रण: आज परखें अपना ज्ञान

आइए, भारतीय लोकतंत्र की मजबूत नींव और शासन प्रणाली की गहराई में गोता लगाएं! यह दैनिक प्रश्नोत्तरी आपकी संवैधानिक अवधारणाओं की स्पष्टता को परखने और आगामी परीक्षाओं के लिए आपकी तैयारी को धार देने का एक अनूठा अवसर है। हर प्रश्न के साथ अपने ज्ञान की सीमाओं को विस्तार दें और खुद को सर्वोत्तम के लिए तैयार करें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. किसी भी उपाधि के अंत का प्रवर्तन (अनुच्छेद 18)
  4. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार देता है, भारत के साथ-साथ विदेशियों को भी प्राप्त है। अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28 केवल नागरिकों को प्राप्त हैं। इसलिए, दिए गए विकल्पों में से, केवल अनुच्छेद 21 का अधिकार विदेशियों को भी प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मौलिक अधिकार संविधान का भाग III है। अनुच्छेद 15, 17, 23, 24, 25, 26, 27, 28 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के विरुद्ध हैं या धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं, और ये सभी भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों को भी प्राप्त हैं। अन्य विकल्प (a), (b), (c) केवल नागरिकों के लिए हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) भारतीय नागरिकों को प्राप्त विशेष अधिकार हैं। अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि) जैसे कुछ अधिकार विदेशियों को प्राप्त नहीं हैं।

प्रश्न 2: ‘संविधान की आत्मा’ के रूप में किसे जाना जाता है?

  1. प्रस्तावना
  2. मौलिक अधिकार
  3. राज्य के नीति निदेशक तत्व
  4. संघ की कार्यपालिका

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना को ‘संविधान की आत्मा’ कहा जाता है। हालांकि, केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, बशर्ते कि मूल ढांचा (basic structure) प्रभावित न हो। इसी मामले में न्यायमूर्ति हिदायतुल्ला ने प्रस्तावना को ‘संविधान की आत्मा’ कहा था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना भारतीय संविधान के उद्देश्यों, आदर्शों और दर्शन को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है। यह बताती है कि संविधान का स्रोत क्या है (हम, भारत के लोग), और भारत की प्रकृति क्या है (संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य)।
  • गलत विकल्प: मौलिक अधिकार (भाग III) नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की गारंटी देते हैं, लेकिन वे प्रस्तावना की तरह समग्र रूप से संविधान के ‘आत्मा’ का प्रतिनिधित्व नहीं करते। राज्य के नीति निदेशक तत्व (भाग IV) सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन प्रस्तावना उनका आधार है। संघ की कार्यपालिका (भाग V) सरकार का एक अंग है।

प्रश्न 3: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा मौलिक कर्तव्यों को भारतीय संविधान में शामिल किया गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-क के तहत अनुच्छेद 51-क में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया। यह सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के प्रति सम्मान, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा आदि से संबंधित हैं।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी प्रावधानों को शामिल किया। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

प्रश्न 4: भारत के राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 56
  2. अनुच्छेद 61
  3. अनुच्छेद 62
  4. अनुच्छेद 74

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 61 भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का प्रावधान करता है। यह एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति को ‘कर्तव्य निर्वहन में संविधान का अतिक्रमण’ के आधार पर महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित सूचना के बाद लाया जा सकता है। इसे उसी सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। दूसरे सदन द्वारा इसकी जांच की जाती है, और यदि वह भी दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि (पद ग्रहण से 5 वर्ष) और पुनर्निवचन की पात्रता का उल्लेख करता है। अनुच्छेद 62 राष्ट्रपति पद में रिक्ति को भरने के लिए चुनाव कराने का समय बताता है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद का प्रावधान करता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

  1. राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसका विघटन नहीं होता।
  2. लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं।
  3. राष्ट्रपति, आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत कर सकता है।
  4. उपराष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: कथन (c) सत्य नहीं है। 104वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए लोकसभा में मनोनयन का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। पहले यह अनुच्छेद 334 के तहत था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन है (अनुच्छेद 83), यह स्थायी है और इसका विघटन नहीं होता। लोकसभा जनता का सदन है और इसके सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने जाते हैं (अनुच्छेद 81)। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है (अनुच्छेद 64)।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) भारतीय संविधान के अनुसार सत्य हैं। राज्यसभा की स्थायी प्रकृति, लोकसभा के प्रत्यक्ष निर्वाचन और उपराष्ट्रपति की राज्यसभा के सभापति के रूप में भूमिका संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित है।

प्रश्न 6: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  3. भारत के राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से
  4. भारत के राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और संबंधित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह से

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से की जाती है। वर्तमान में, कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेते हैं। (अनुच्छेद 124(2))
  • संदर्भ एवं विस्तार: कॉलेजियम प्रणाली की उत्पत्ति ‘द्वितीय न्यायाधीश मामले’ (1993) में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से हुई, जिसमें यह स्थापित किया गया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश की ‘सहमति’ (concurrence) आवश्यक है। प्रथम न्यायाधीश मामले (1981) में राष्ट्रपति को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश की ‘सलाह’ (advice) लेने का निर्देश था।
  • गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश स्वयं नियुक्ति नहीं करते, वे प्रक्रिया का हिस्सा हैं। विकल्प (d) में राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और संबंधित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह का उल्लेख है, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में पूरी तरह सही नहीं है; उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में यह प्रक्रिया अधिक लागू होती है।

प्रश्न 7: भारत में ‘अवशिष्ट विधायी शक्तियाँ’ (Residuary Legislative Powers) किसे प्राप्त हैं?

  1. केंद्र सरकार
  2. राज्य सरकारें
  3. केंद्र और राज्य सरकारें दोनों
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 248 के अनुसार, उन सभी विषयों पर विधि बनाने की अनन्य शक्ति जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं (अवशिष्ट विषय), संसद को प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संविधान में शक्तियों का विभाजन सातवीं अनुसूची की संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है। यदि कोई विषय इन सूचियों में शामिल नहीं है, तो वह अवशिष्ट विषय कहलाता है और उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद का है। यह एक एकात्मक विशेषता है।
  • गलत विकल्प: राज्य सरकारों को केवल राज्य सूची के विषयों पर विधि बनाने का अधिकार है। केंद्र और राज्य दोनों को संयुक्त रूप से अवशिष्ट विषयों पर कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।

प्रश्न 8: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT) की स्थापना किस अधिनियम के तहत की गई है?

  1. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
  2. जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974
  3. वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
  4. राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत की गई थी, लेकिन इसकी स्थापना के लिए विशेष कानून ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010’ लाया गया, जिसके तहत 18 अक्टूबर 2010 को NGT की स्थापना हुई।
  • संदर्भ एवं विस्तार: NGT पर्यावरण संबंधी मामलों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के निपटान के लिए एक विशेष निकाय है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण से संबंधित मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाना है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प पर्यावरण संरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण अधिनियम हैं, लेकिन NGT की स्थापना का प्रत्यक्ष आधार नहीं हैं। NGT अधिनियम 2010, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 में कुछ विशिष्ट प्रावधानों के साथ मिलकर काम करता है।

प्रश्न 9: भारत में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
  4. 81वां संशोधन अधिनियम, 2000

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा दिया गया। इसके साथ ही ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को त्रि-स्तरीय (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) बनाकर स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाना था।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) से संबंधित है। 65वां और 81वां संशोधन पंचायती राज या शहरी स्थानीय निकायों से सीधे संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 10: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर लगाया जा सकता है।
  2. इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  3. इसकी अवधि एक वर्ष है, जिसके बाद पुनः अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती।
  4. इसे राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल को राष्ट्रपति किसी भी समय वापस ले सकते हैं। इसके लिए किसी संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा के लिए 44वें संशोधन (1978) द्वारा यह व्यवस्था की गई कि इसे लागू रहने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा एक माह के भीतर सामान्य बहुमत से अनुमोदित होना आवश्यक है। यदि यह एक बार अनुमोदित हो जाए, तो यह 6 महीने तक लागू रहता है, और इसे आगे जारी रखने के लिए पुनः अनुमोदन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय आपातकाल के आधारों में ‘युद्ध’, ‘बाहरी आक्रमण’ और ‘सशस्त्र विद्रोह’ शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि ‘सशस्त्र विद्रोह’ भी एक आधार है। (b) गलत है क्योंकि अनुमोदन की अवधि एक माह है, और यह सामान्य बहुमत से होता है, न कि दो-तिहाई से। (c) गलत है क्योंकि 6 महीने बाद इसे जारी रखने के लिए पुनः अनुमोदन आवश्यक है।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संवैधानिक संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन, 1976
  2. 44वां संशोधन, 1978
  3. 59वां संशोधन, 1988
  4. 61वां संशोधन, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्षता’ (सेक्युलर) और ‘अखंडता’ (इंटीग्रिटी) शब्द जोड़े गए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन ने प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़कर भारत को एक ‘संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ बनाने का उद्घोष किया और नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व आदि के आदर्शों को बल दिया।
  • गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों का प्रस्तावना में इन शब्दों को जोड़ने से कोई संबंध नहीं है। 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार से संबंधित था, 59वां संशोधन पंजाब में राष्ट्रपति शासन से, और 61वां संशोधन मतदान की आयु से संबंधित था।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य नीति निदेशक तत्व (DPSP) ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने’ से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 51
  2. अनुच्छेद 48
  3. अनुच्छेद 43-क
  4. अनुच्छेद 40

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 51 राज्य के नीति निदेशक तत्वों का हिस्सा है और यह अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने, राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानजनक संबंधों को बनाए रखने, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संधियों के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करने तथा मध्यस्थता द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विवादों के निपटारे को बढ़ावा देने का निर्देश देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये तत्व संविधान के भाग IV में वर्णित हैं और सरकार को देश के शासन के लिए मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन के संगठन से संबंधित है। अनुच्छेद 43-क श्रमिकों की भागीदारी से संबंधित है। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के गठन से संबंधित है।

प्रश्न 13: अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन किस भाग में है?

  1. भाग XV
  2. भाग XX
  3. भाग XXI
  4. भाग XXII

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XX विशेष रूप से ‘संविधान का संशोधन’ (Amendment of the Constitution) से संबंधित है, जिसमें अनुच्छेद 368 शामिल है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 368 संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है और इसके लिए तीन प्रकार की प्रक्रियाएं निर्धारित करता है: साधारण बहुमत द्वारा, विशेष बहुमत द्वारा, और विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन द्वारा।
  • गलत विकल्प: भाग XV चुनाव से, भाग XXI अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंधों से, और भाग XXII संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, प्राधिकार और निरसन से संबंधित है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय नहीं है?

  1. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  3. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)
  4. लोक सेवा आयोग (UPSC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ, जिससे यह संवैधानिक निकाय बना। इससे पहले यह एक सांविधिक निकाय था। लेकिन प्रश्न में ‘नहीं है’ पूछा गया है, और यह 2018 से है, इसलिए यह भी संवैधानिक हो गया है। आइए विकल्पों को फिर से देखें। भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), CAG (अनुच्छेद 148) और UPSC (अनुच्छेद 315) स्पष्ट रूप से संवैधानिक निकाय हैं। प्रश्न में संभावित त्रुटि या प्रश्न पूछने का तरीका यह हो सकता है कि कौन सा *पहले से* संवैधानिक निकाय नहीं था। यदि हम ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो NCBC पहले सांविधिक था। लेकिन वर्तमान के अनुसार सभी दिए गए विकल्प संवैधानिक हैं। प्रश्न को पुनः बनाते हैं ताकि विकल्प स्पष्ट हो।

प्रश्न 14 (संशोधित): निम्नलिखित में से कौन सा निकाय मूल संविधान में एक संवैधानिक निकाय के रूप में शामिल नहीं था, लेकिन बाद में इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया?

  1. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  3. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)
  4. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण (संशोधित):

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा संविधान के अनुच्छेद 338-B के तहत एक संवैधानिक निकाय के रूप में शामिल किया गया। मूल संविधान में यह एक संवैधानिक निकाय नहीं था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत का महान्यायवादी (अनुच्छेद 76), भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (अनुच्छेद 148), और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) मूल संविधान में ही संवैधानिक निकायों के रूप में स्थापित थे।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) भारतीय संविधान के लागू होने के समय से ही संवैधानिक निकायों के रूप में स्थापित हैं।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का एक साधन नहीं है?

  1. अनुदान की मांग (Demands for Grants)
  2. अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion)
  3. निलंबन का प्रस्ताव (Adjournment Motion)
  4. लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अविश्वास प्रस्ताव (Adjournment Motion) सीधे तौर पर सार्वजनिक व्यय पर संसदीय नियंत्रण का साधन नहीं है। इसका उद्देश्य किसी महत्वपूर्ण सार्वजनिक मामले पर तत्काल चर्चा करना और सरकार की आलोचना करना होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संसदीय नियंत्रण के अन्य साधन जैसे अनुदान की मांग (अनुच्छेद 113) पर चर्चा और मतदान, लोक लेखा समिति (PAC) की रिपोर्ट, और अविश्वास प्रस्ताव (Article 194-198, Rules of Procedure) सरकार के कामकाज की जांच करते हैं। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव सीधे तौर पर व्यय के अनुमोदन से संबंधित नहीं है, बल्कि सरकार की नीतियों या कार्यप्रणाली पर अविश्वास व्यक्त करता है।
  • गलत विकल्प: अनुदान की मांग (Demands for Grants) संसद द्वारा सरकारी व्यय को अधिकृत करने का प्राथमिक तरीका है। लोक लेखा समिति (PAC) सरकारी व्यय की जांच करती है। निलंबन का प्रस्ताव (Adjournment Motion) भी व्यय से संबंधित हो सकता है यदि कोई महत्वपूर्ण सार्वजनिक महत्व का मामला हो, हालांकि इसका प्राथमिक उद्देश्य तात्कालिक मामले पर चर्चा है।

प्रश्न 16: भारत के संविधान की प्रस्तावना को किस देश के संविधान से प्रेरित होकर अपनाया गया?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. कनाडा
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना का विचार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है, जिसकी प्रस्तावना “We the People…” से शुरू होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अमेरिका की प्रस्तावना की तरह, भारत की प्रस्तावना भी ‘हम, भारत के लोग’ से शुरू होती है, जो भारत की संप्रभुता को जनता में निहित करती है। शब्दों के क्रम और भाषा में भिन्नता हो सकती है, लेकिन मूल अवधारणा समान है।
  • गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम से हमने संसदीय प्रणाली, कानून का शासन आदि लिया है। कनाडा से हमने संघात्मक व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत लिया है। ऑस्ट्रेलिया से हमने समवर्ती सूची का प्रावधान लिया है।

प्रश्न 17: संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से कब हटाया गया?

  1. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
  2. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
  3. 73वें संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 74वें संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) की सूची से हटाकर संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300-A के तहत एक कानूनी अधिकार (legal right) बना दिया गया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इससे पहले, संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार था, जिसे ‘आपातकाल’ के दौरान समाप्त किया जा सकता था। इसे कानूनी अधिकार बनाकर, इसे सामान्य परिस्थितियों में सरकार द्वारा अधिग्रहण से अधिक सुरक्षा मिली, लेकिन यह पूर्ण अधिकार नहीं रहा।
  • गलत विकल्प: 42वां संशोधन मौलिक कर्तव्यों और प्रस्तावना में शब्दों को जोड़ने से संबंधित था। 73वां और 74वां संशोधन पंचायती राज और नगरपालिका से संबंधित थे।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय न्यायपालिका के संबंध में गलत है?

  1. सर्वोच्च न्यायालय को मूल, अपीलीय और सलाहकार क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
  2. उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
  3. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का सिद्धांत भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
  4. सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का सिद्धांत भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है, बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न मामलों (जैसे शंकरी प्रसाद, सज्जन सिंह, गोलकनाथ, केशवानंद भारती) में अपनी व्याख्याओं से विकसित हुआ है। हालांकि, अनुच्छेद 13, 32, 226, 145 आदि न्यायिक समीक्षा की शक्ति का आधार माने जाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय के पास मूल (original), अपीलीय (appellate) और सलाहकार (advisory) क्षेत्राधिकार हैं (अनुच्छेद 131, 132, 133, 134, 143)। उच्च न्यायालयों को भी रिट जारी करने की शक्ति अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है, जो सर्वोच्च न्यायालय की अनुच्छेद 32 की शक्ति से कुछ व्यापक है। अनुच्छेद 141 के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित विधि भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) भारतीय न्यायपालिका के संबंध में सही कथन हैं।

प्रश्न 19: राज्य के विधानमंडल के सत्र को आहोत (prorogue) करने की शक्ति किसके पास है?

  1. मुख्यमंत्री
  2. विधानसभा अध्यक्ष
  3. राज्यपाल
  4. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के विधानमंडल के सत्र को आहोत (prorogue) करने की शक्ति राज्यपाल के पास है। यह कार्य राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करता है। (अनुच्छेद 174(1))
  • संदर्भ एवं विस्तार: आहोत करने का अर्थ है सत्र को समाप्त करना। राज्यपाल समय-समय पर विधानमंडल के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर आहूत करेगा जो वह ठीक समझे, लेकिन एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच छह महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए। राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह से, सदन को आहोत कर सकता है और कभी-कभी सत्र समाप्त (prorogue) भी कर सकता है।
  • गलत विकल्प: मुख्यमंत्री सलाह देता है, लेकिन अंतिम निर्णय और घोषणा राज्यपाल करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष सदन के कामकाज का संचालन करते हैं, न कि सत्र को समाप्त करने का। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का इस कार्य से कोई लेना-देना नहीं है।

प्रश्न 20: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का उल्लंघन करने पर किस प्रकार की कार्रवाई की जा सकती है?

  1. सदस्य की सदस्यता रद्द की जा सकती है।
  2. सदस्य को सदन से निष्कासित किया जा सकता है।
  3. सदस्य को दंडित किया जा सकता है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकारों के उल्लंघन पर सदन, संबंधित सदस्य के विरुद्ध कार्रवाई कर सकता है, जिसमें उसकी सदस्यता रद्द करना (अनुच्छेद 101, 102), सदन से निष्कासित करना या दंडित करना (सदन के सभापति/अध्यक्ष के विशेषाधिकार के तहत) शामिल हो सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संसदीय विशेषाधिकारों में संसद सदस्यों को कुछ अधिकार और छूटें मिलती हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्वतंत्र रूप से कर सकें। यदि कोई सदस्य इन विशेषाधिकारों का उल्लंघन करता है, तो सदन उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प उन अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सदन अपने सदस्यों पर कर सकता है यदि वे विशेषाधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

प्रश्न 21: भारत में ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग’ (Central Vigilance Commission – CVC) की स्थिति क्या है?

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. यह एक वैधानिक निकाय है।
  3. यह केवल एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित निकाय है।
  4. यह उपरोक्त में से कोई नहीं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना मूल रूप से 1964 में भारत सरकार के एक संकल्प (executive order) द्वारा की गई थी। बाद में, 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 पारित किया गया, जिसने इसे सांविधिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CVC भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने और केंद्र सरकार के संगठनों में सतर्कता को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। यह संसद को रिपोर्ट करता है, लेकिन इसके गठन का आधार संसद का कोई विशिष्ट कानून है, न कि संविधान।
  • गलत विकल्प: यह संवैधानिक नहीं है क्योंकि इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। यह केवल एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित निकाय नहीं रहा, क्योंकि अब इसके लिए एक विशिष्ट अधिनियम है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद उच्च न्यायालयों के लिए ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 226
  2. अनुच्छेद 13
  3. अनुच्छेद 227
  4. अनुच्छेद 14

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण (quo warranto) जैसे रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति उन्हें मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों को लागू करने की भी अनुमति देती है, जो न्यायिक पुनर्विलोकन का एक महत्वपूर्ण अंग है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है कि न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय, विधायिका द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका द्वारा की गई कार्रवाइयों की संवैधानिकता की जांच कर सकते हैं और यदि वे संविधान के विरुद्ध पाए जाते हैं तो उन्हें अमान्य घोषित कर सकते हैं। जबकि अनुच्छेद 13 सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों दोनों को कानून को शून्य घोषित करने की शक्ति देता है, अनुच्छेद 226 विशेष रूप से उच्च न्यायालयों की रिट जारी करने की शक्ति का वर्णन करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 सभी कानूनों को शून्य घोषित करने की शक्ति देता है जो मौलिक अधिकारों से असंगत हैं। अनुच्छेद 227 उच्च न्यायालयों को सभी अधीनस्थ न्यायालयों पर अधीक्षण की शक्ति देता है। अनुच्छेद 14 समानता के अधिकार से संबंधित है।

प्रश्न 23: भारत में ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार’ का सिद्धांत किस अनुच्छेद में निहित है?

  1. अनुच्छेद 326
  2. अनुच्छेद 14
  3. अनुच्छेद 325
  4. अनुच्छेद 15

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 326 भारत के लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव, वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे, यह निर्धारित करता है। इसका अर्थ है सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि भारत का प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है (जैसा कि 61वें संशोधन, 1989 द्वारा निर्धारित किया गया), धर्म, जाति, लिंग, नस्ल आदि के आधार पर बिना किसी भेदभाव के मतदान कर सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण देता है। अनुच्छेद 325 किसी भी व्यक्ति को धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर निर्वाचक नामावली में शामिल किए जाने के लिए अयोग्य न ठहराए जाने और किसी विशेष निर्वाचक सूची में शामिल किए जाने का दावा न करने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र नहीं है?

  1. भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
  2. भारत के सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
  3. किसी राज्य के सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  4. मानव अधिकार क्षेत्र में विशेष ज्ञान और अनुभव वाला व्यक्ति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र व्यक्ति भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, या सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं। किसी राज्य के सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी अध्यक्ष हो सकते हैं, लेकिन यह एक मुख्य योग्यता नहीं है। मानव अधिकार क्षेत्र में विशेष ज्ञान और अनुभव वाले व्यक्ति को भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। NHRC अधिनियम, 1993 के तहत, अध्यक्ष “भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश” होना चाहिए। यदि मुख्य न्यायाधीश उपलब्ध नहीं हैं, तो राष्ट्रपति किसी अन्य सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं। (NHRC Act, 1993, Section 2(1)(d))

प्रश्न 24 (संशोधित): निम्नलिखित में से कौन सा ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’ (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के लिए मूल योग्यता है?

  1. भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
  2. किसी राज्य के सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  3. भारत के प्रशासनिक सेवा (IAS) के सेवानिवृत्त अधिकारी
  4. मानव अधिकार से संबंधित किसी गैर-सरकारी संगठन (NGO) के प्रमुख

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण (संशोधित):

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अधिनियम, 1993 की धारा 2(1)(d) के अनुसार, अध्यक्ष वह व्यक्ति होता है जो “भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश” रहा हो। यदि मुख्य न्यायाधीश उपलब्ध नहीं है, तो राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: NHRC मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक स्वतंत्र प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या IAS अधिकारी या NGO प्रमुख, अध्यक्ष की मूल योग्यता नहीं हैं, हालांकि आयोग के सदस्यों में कुछ विशिष्ट अनुभव वाले व्यक्ति शामिल हो सकते हैं।

प्रश्न 25: ‘धन विधेयक’ (Money Bill) की परिभाषा भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में दी गई है?

  1. अनुच्छेद 109
  2. अनुच्छेद 110
  3. अनुच्छेद 112
  4. अनुच्छेद 117

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 धन विधेयक की परिभाषा देता है। यह बताता है कि कौन से विधेयक धन विधेयक माने जाएंगे।
  • संदर्भ एवं विस्तार: धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रियाएं हैं, जैसे कि यह केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है (अनुच्छेद 109(1)), और इसे प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार लोकसभा अध्यक्ष का होता है। राज्यसभा इसे अस्वीकृत या संशोधित नहीं कर सकती, केवल सुझाव दे सकती है (अनुच्छेद 109(2), (3), (4))। अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का वर्णन करता है, जबकि अनुच्छेद 110 उनकी परिभाषा देता है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है, और अनुच्छेद 117 वित्तीय विधेयकों (financial bills) से संबंधित है, जो धन विधेयक से अलग हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का वर्णन करता है। अनुच्छेद 112 बजट से संबंधित है। अनुच्छेद 117 वित्तीय विधेयकों से संबंधित है, जिनमें कुछ ऐसे भी शामिल हैं जो धन विधेयक नहीं हैं।

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