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भारतीय राजव्यवस्था का महा-अभ्यास: अपनी पकड़ मजबूत करें

भारतीय राजव्यवस्था का महा-अभ्यास: अपनी पकड़ मजबूत करें

नमस्कार, भावी सरकारी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को गहराई से समझना आपके हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्या आप अपनी संवैधानिक समझ को परखने और अवधारणाओं को और स्पष्ट करने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के 25 प्रश्नों के इस विशेष अभ्यास सत्र में उतरें और देखें कि आप राजव्यवस्था के कितने मर्मज्ञ हैं!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के संबंध में सही नहीं है?

  1. प्रस्तावना संविधान का एक भाग है।
  2. प्रस्तावना संविधान का स्रोत है।
  3. प्रस्तावना संशोधन योग्य है।
  4. प्रस्तावना न्यायोचित नहीं है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना को संविधान का एक भाग माना गया है (केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय)। इसे संशोधित भी किया जा सकता है (42वां संशोधन)। हालाँकि, यह न्यायोचित नहीं है, जिसका अर्थ है कि इसके प्रावधानों को लागू करवाने के लिए न्यायालय में नहीं जाया जा सकता। प्रस्तावना संविधान का स्रोत नहीं है, बल्कि संविधान का स्रोत जनता है, जैसा कि प्रस्तावना के आरंभ में ही कहा गया है (“हम, भारत के लोग”)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, लेकिन यह नहीं कहा कि यह संविधान का स्रोत है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना कि प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है, बशर्ते कि मूल संरचना (basic structure) को कोई क्षति न पहुँचे।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना संविधान का स्रोत नहीं है; जनता संविधान का स्रोत है। यह ‘हम, भारत के लोग’ वाक्यांश से स्पष्ट होता है।

प्रश्न 2: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को उसके द्वारा सुनाए गए किसी भी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 137
  2. अनुच्छेद 139
  3. अनुच्छेद 141
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह अपनी ही राय या निर्णय की समीक्षा कर सके। यह शक्ति ‘पुनरीक्षण’ (review) कहलाती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह शक्ति न्यायिक समीक्षा (judicial review) के सिद्धांत का एक हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका अपनी गलतियों को सुधार सके। यह शक्ति पूर्ण नहीं है और कुछ सीमाओं के अधीन है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 139 कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों द्वारा रिट जारी करने की शक्ति को बढ़ाने से संबंधित है। अनुच्छेद 141 यह बताता है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होगा। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी एक विशेषता भारतीय संघवाद (Federalism) की नहीं है?

  1. लिखित संविधान
  2. शक्तियों का विभाजन
  3. एकल नागरिकता
  4. स्वतंत्र न्यायपालिका

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: लिखित संविधान (अनुच्छेद 395), शक्तियों का स्पष्ट विभाजन (सातवीं अनुसूची) और स्वतंत्र न्यायपालिका भारतीय संघवाद की प्रमुख विशेषताएँ हैं। हालाँकि, एकल नागरिकता (Part II) एक एकात्मक (Unitary) विशेषता है, न कि संघीय।
  • संदर्भ एवं विस्तार: जहाँ संघवाद में दोहरी नागरिकता (जैसे अमेरिका में) आम है, वहीं भारत ने राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता देते हुए एकल नागरिकता अपनाई है, जो इसे ‘अर्ध-संघीय’ (Quasi-Federal) या ‘सहयोगी संघवाद’ (Cooperative Federalism) की श्रेणी में रखती है।
  • गलत विकल्प: एकल नागरिकता एक एकात्मक या केन्द्रीकृत विशेषता है, जो भारत के ‘संघ’ (Union) के स्वरूप को दर्शाती है, जो एक मजबूत केंद्र की ओर झुकाव का संकेत देता है।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने मौलिक अधिकारों से संपत्ति के अधिकार को हटा दिया। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300-A के तहत एक सामान्य कानूनी अधिकार के रूप में पुनः स्थापित किया गया। मूल रूप से, संपत्ति का अधिकार अनुच्छेद 31 में शामिल था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सरकारें जनहित में और विशेषकर भूमि सुधारों के लिए संपत्ति का अधिग्रहण कर सकें। यह मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार के दौरान किया गया था।
  • गलत विकल्प: 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) पेश किया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है, लेकिन यह विधायी शक्तियों के अधीन नहीं है?

  1. बेरुबारी संघ मामला (1960)
  2. केशवानंद भारती मामला (1973)
  3. एस. आर. बोम्मई मामला (1994)
  4. मेनका गांधी मामला (1978)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक बड़ी पीठ ने सर्वसम्मति से यह माना कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है। इसी मामले में न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ का सिद्धांत भी प्रतिपादित किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: बेरुबारी संघ मामले (1960) में, न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह विधायी शक्तियों के अधीन नहीं है, जिसका अर्थ है कि इसे लागू नहीं किया जा सकता। केशवानंद मामले ने इस स्थिति को पलट दिया कि यह एक ‘अभिन्न अंग’ है।
  • गलत विकल्प: एस. आर. बोम्मई मामला राज्यपाल की शक्तियों और अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग से संबंधित था। मेनका गांधी मामले ने अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) के दायरे का विस्तार किया।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उल्लेख है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये तत्व शासन के मूलभूत हैं और यह राज्य का कर्तव्य है कि वह कानून बनाते समय इन सिद्धांतों को ध्यान में रखे। ये अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन राष्ट्रीय जीवन के संचालन में मूलभूत हैं (अनुच्छेद 37)।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51-A) हैं। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।

प्रश्न 7: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेता है?

  1. केवल संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
  2. संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
  3. राज्य विधानमंडलों के दोनों सदनों के सदस्य
  4. राज्य विधानमंडलों के केवल निर्वाचित सदस्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 54 के अनुसार होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं (Assembly) के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: विधान परिषदों (Legislative Councils) के सदस्य और मनोनीत सदस्य (nominated members) राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते। विकल्प (c) गलत है क्योंकि राज्य विधानमंडल के केवल विधानसभा के सदस्य भाग लेते हैं, विधान परिषद के नहीं। विकल्प (d) भी गलत है क्योंकि इसमें विधान परिषद के निर्वाचित सदस्यों को शामिल किया गया है।

प्रश्न 8: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. उनके पास संसद में बोलने का अधिकार है।
  3. वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं। अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में, उनकी समितियों में और संसद के समक्ष किसी भी कार्यवाही में बोलने का अधिकार है, लेकिन वे मत देने का अधिकार नहीं रखते।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वे सरकार के खिलाफ कोई बचाव नहीं कर सकते, किसी व्यक्ति की सहायता नहीं कर सकते, किसी कंपनी या संघ के निदेशक नहीं हो सकते, या सरकार की अनुमति के बिना कोई पद धारण नहीं कर सकते।
  • गलत विकल्प: सभी दिए गए कथन सही हैं।

प्रश्न 9: लोकसभा में सरकारी पक्ष (Government side) द्वारा अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के लिए न्यूनतम कितने सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है?

  1. 30 सदस्य
  2. 50 सदस्य
  3. 100 सदस्य
  4. 55 सदस्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा के नियम 198(1) और 198(2) के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। एक बार प्रस्ताव स्वीकार हो जाने के बाद, अध्यक्ष एक निश्चित दिन उस पर चर्चा के लिए निर्धारित करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है। यदि यह पारित हो जाता है, तो पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
  • गलत विकल्प: 30, 100 या 55 सदस्यों का समर्थन अविश्वास प्रस्ताव के लिए प्रारंभिक आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय है?

  1. नीति आयोग
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
  3. वित्त आयोग
  4. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना अनुच्छेद 280 के तहत की गई है। यह केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक (सलाहकार) निकाय है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एक वैधानिक निकाय है (मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत)। सीबीआई एक पुलिस बल है, जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत स्थापित किया गया है, अतः यह भी एक वैधानिक निकाय है।
  • गलत विकल्प: नीति आयोग, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और सीबीआई संवैधानिक निकाय नहीं हैं।

प्रश्न 11: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति (Pardon) के संबंध में कौन सा कथन गलत है?

  1. यह अनुच्छेद 72 के तहत प्रदान की गई है।
  2. इसमें दंडादेश को पूर्णतः माफ करना शामिल है।
  3. यह न्यायिक पुनरीक्षण के अधीन है।
  4. यह केवल मृत्युदंड पर लागू होती है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत आती है। इसमें दंडादेश को पूरी तरह माफ करना (पार्डन), सज़ा की प्रकृति बदलना (कमुटेशन), सज़ा की मात्रा कम करना (रेमिशन), कुछ विशिष्ट मामलों में सज़ा को सज़ा के प्रकार में बदलना (रेस्पाइट), या सज़ा को निलंबित करना (रिप्राइव) शामिल है। यह शक्ति न्यायिक पुनरीक्षण के अधीन हो सकती है, यदि यह मनमाने ढंग से या बिना किसी कारण के प्रयोग की जाए (जैसे, सुखदेव सिंह बनाम दिल्ली प्रशासन मामला)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति मृत्युदंड के साथ-साथ सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सज़ा और सभी प्रकार के अपराधों पर लागू होती है।
  • गलत विकल्प: यह शक्ति केवल मृत्युदंड तक ही सीमित नहीं है।

प्रश्न 12: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा भारतीय संविधान में कहाँ से प्रेरित है?

  1. अमेरिका
  2. ब्रिटेन
  3. फ्रांस
  4. जापान

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘विधि का शासन’ की अवधारणा ब्रिटेन के संवैधानिक सिद्धांत से प्रेरित है। यह सिद्धांत संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है और इसे अनुच्छेद 14 में भी देखा जा सकता है, जो कानून के समक्ष समानता और कानूनों के समान संरक्षण की गारंटी देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: विधि के शासन का अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है, और सभी कानून के अधीन हैं।
  • गलत विकल्प: अमेरिका से ‘लिखित संविधान’, ‘मौलिक अधिकार’ (bill of rights) और ‘न्यायिक समीक्षा’ जैसी अवधारणाएँ ली गई हैं। फ्रांस से ‘गणतंत्र’ और ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ जैसे आदर्श लिए गए हैं। जापान से ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ ली गई है।

प्रश्न 13: भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची (Ninth Schedule) के बारे में कौन सा कथन सही है?

  1. इसमें ऐसे अधिनियम शामिल हैं जिन्हें न्यायिक समीक्षा से बाहर रखा गया है।
  2. इसमें पंचायती राज से संबंधित अधिनियम शामिल हैं।
  3. इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधान हैं।
  4. इसमें राज्यों के नाम और उनके भू-भाग शामिल हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: नौवीं अनुसूची को पहले संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा जोड़ा गया था। इसमें ऐसे केंद्रीय और राज्य कानूनों की सूची है जिन्हें न्यायिक समीक्षा से छूट दी गई है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि, केशवानंद भारती मामले (1973) के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि नौवीं अनुसूची में शामिल कानूनों की भी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, यदि वे संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करते हों।
  • गलत विकल्प: पंचायती राज 11वीं अनुसूची में है, दल-बदल 10वीं अनुसूची में है, और राज्यों के नाम पहली अनुसूची में हैं।

प्रश्न 14: भारत का संविधान भारत को कैसे वर्णित करता है?

  1. राज्यों का संघ
  2. एक परिसंघ
  3. एक एकात्मक राज्य
  4. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का एक संघ

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 1(1) भारतीय संविधान में कहता है कि “भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ (Union of States) होगा।”
  • संदर्भ एवं विस्तार: ‘राज्यों का संघ’ शब्द का प्रयोग यह दर्शाता है कि भारतीय संघ राज्यों के बीच किसी समझौते का परिणाम नहीं है, और किसी भी राज्य को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। यह अमेरिकी ‘परिसंघ’ (Federation) से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: भारत एक परिसंघ नहीं है, जहाँ राज्य अधिक संप्रभु होते हैं। यह पूरी तरह से एकात्मक राज्य भी नहीं है, क्योंकि शक्तियों का विभाजन है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का संघ कहना भी पूर्णतः सटीक नहीं है क्योंकि अनुच्छेद 1(1) सीधे तौर पर ‘राज्यों का संघ’ कहता है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन मत नहीं दे सकता?

  1. भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India)
  2. भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  3. मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner)
  4. संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष (Chairman of UPSC)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 88 के अनुसार, भारत के महान्यायवादी को संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने, बोलने और उसमें भाग लेने का अधिकार है, लेकिन वे किसी भी सदन में मतदान करने के हकदार नहीं हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अधिकार उन्हें सरकार का कानूनी प्रतिनिधित्व करने और सदन को कानूनी सलाह देने के लिए दिया गया है।
  • गलत विकल्प: CAG, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और UPSC के अध्यक्ष संसद की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकते, जब तक कि उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित न किया गया हो, और उनके पास निश्चित रूप से मतदान का अधिकार नहीं होता।

प्रश्न 16: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या अर्थ है?

  1. केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय
  2. केवल राजनीतिक न्याय
  3. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  4. सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक न्याय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है। यह भारतीय संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) और भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व) में प्रतिबिंबित होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, लिंग, धर्म आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होना।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में धार्मिक न्याय का उल्लेख सीधे तौर पर नहीं है, हालांकि यह सामाजिक न्याय का एक अंतर्निहित हिस्सा है। मौलिक अधिकारों में धर्म की स्वतंत्रता दी गई है।

प्रश्न 17: भारत के राष्ट्रपति का महाभियोग (Impeachment) किस आधार पर चलाया जा सकता है?

  1. संविधान का उल्लंघन
  2. गंभीर कदाचार
  3. अक्षमता
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 61 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति पर ‘संविधान का उल्लंघन’ (Violation of the Constitution) के आधार पर महाभियोग चलाया जा सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों द्वारा शुरू की जा सकती है। महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन द्वारा आरोप लगाए जाने वाले प्रस्ताव पर आधारित होती है, जिसे उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और उस सदन के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए।
  • गलत विकल्प: ‘गंभीर कदाचार’ या ‘अक्षमता’ जैसे शब्द महाभियोग के आधार के रूप में सीधे तौर पर संविधान में उल्लिखित नहीं हैं, यद्यपि ‘संविधान का उल्लंघन’ में ये शामिल हो सकते हैं। केवल ‘संविधान का उल्लंघन’ ही वह विशिष्ट आधार है जो अनुच्छेद 61 में दिया गया है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान की ‘राज्य की नीति के निदेशक तत्व’ (DPSP) की विशेषता नहीं है?

  1. ये अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
  2. ये शासन के लिए मूलभूत हैं।
  3. ये समाजवादी, गांधीवादी और उदार-तार्किक हैं।
  4. ये सकारात्मक हैं, जो राज्य को कुछ करने का निर्देश देते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 37 स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्य के नीति निदेशक तत्व किसी भी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे। हालाँकि, ये देश के शासन में मूलभूत हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: DPSP को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: समाजवादी, गांधीवादी और उदार-तार्किक। ये प्रकृति में सकारात्मक हैं, जो राज्य को कुछ सकारात्मक कदम उठाने के लिए निर्देशित करते हैं।
  • गलत विकल्प: DPSP अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, यही कारण है कि यह उनकी विशेषता नहीं है।

प्रश्न 19: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) किस अनुच्छेद के तहत घोषित किया जाता है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जा सकती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए। यह पहली बार 1962 में चीन के आक्रमण के समय, 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय और 1975 में आंतरिक आपातकाल के रूप में घोषित किया गया था।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 केंद्र के निर्देशों का पालन करने में विफलता से संबंधित है, जो अनुच्छेद 356 के लागू होने का कारण बन सकता है।

प्रश्न 20: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को भारतीय संविधान के भाग IX में एक नया भाग और अनुच्छेद 243 से 243-O तक जोड़ा, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा मिला। इसके साथ ही 11वीं अनुसूची जोड़ी गई, जिसमें 29 विषय शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को अधिक शक्तियां और स्वायत्तता प्रदान करना था ताकि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत किया जा सके।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वां और 65वां संशोधन पंचायती राज और नगर पालिकाओं से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हुए थे।

प्रश्न 21: भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ (Parliamentary System) किस देश के मॉडल पर आधारित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. ऑस्ट्रेलिया
  4. ग्रेट ब्रिटेन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत की संसदीय प्रणाली को ‘वेस्टमिंस्टर मॉडल’ के रूप में भी जाना जाता है, जो ग्रेट ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) के संसदीय शासन प्रणाली से प्रेरित है। हमारे संविधान में राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और मंत्रिपरिषद, जो लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है, वास्तविक कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस प्रणाली की मुख्य विशेषताएं हैं: राष्ट्रपति नाममात्र का कार्यकारी है, प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी है, मंत्रिपरिषद की प्रधानता, लोकसभा के प्रति मंत्रिपरिषद की जवाबदेही, और प्रधानमंत्री का नेतृत्व।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षात्मक प्रणाली (Presidential System) है, जहाँ राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रमुख होता है और विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी संसदीय प्रणाली है, लेकिन भारत की प्रणाली ब्रिटेन से अधिक प्रेरित है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय संविधान में केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. प्राण और दैहिक स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  4. सभी विदेशी नागरिकों को उपलब्ध मौलिक अधिकार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध), अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा, संघ, संचरण, निवास और वृत्ति का अधिकार), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों का अधिकार) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) को उपलब्ध हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) सभी व्यक्तियों के लिए हैं। विकल्प (d) सही प्रश्न का उत्तर नहीं है, बल्कि एक सामान्य कथन है।

प्रश्न 23: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक’ (Comptroller and Auditor General of India) के संबंध में कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।
  3. वे संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक होते हैं।
  4. वे केवल केंद्र सरकार के खातों की जांच करते हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो। CAG, लोक लेखा समिति के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक होते हैं, क्योंकि वे अपनी ऑडिट रिपोर्टें संसद में प्रस्तुत करते हैं, जिनकी जांच PAC करती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CAG केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों के खातों की ऑडिट करता है। वह भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) और राज्यों की संचित निधियों से निकाले गए सभी व्यय की ऑडिट करता है।
  • गलत विकल्प: CAG केवल केंद्र सरकार के खातों की ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों के खातों की भी जांच करते हैं।

प्रश्न 24: संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे की भावना
  2. सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार
  3. राज्य द्वारा सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना
  4. किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव न करना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द का अर्थ है लोगों के बीच भाईचारे और एकजुटता की भावना। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिक एक-दूसरे से जुड़े हुए महसूस करें।
  • संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना यह भी सुनिश्चित करती है कि बंधुत्व, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रति आश्वस्त करे। मौलिक अधिकार (जैसे समानता का अधिकार) और नीति निदेशक तत्व (जैसे समान कार्य के लिए समान वेतन) भी इस भावना को बढ़ावा देते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) क्रमशः राजनीतिक न्याय, सामाजिक-आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय के पहलुओं को दर्शाते हैं, जबकि बंधुत्व इन सबके ऊपर भाईचारे की भावना है।

प्रश्न 25: भारत में, किसी राज्य के राज्यपाल को निम्नलिखित में से कौन हटा सकता है?

  1. संबंधित राज्य की विधानमंडल
  2. भारत के राष्ट्रपति
  3. भारत के प्रधानमंत्री
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 156(1) के अनुसार, राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करेगा। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति किसी भी समय राज्यपाल को हटा सकते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि, यह नियुक्ति एक संवैधानिक पद पर है और राष्ट्रपति द्वारा हटाए जाने की शक्ति का प्रयोग आम तौर पर राष्ट्रपति के स्वविवेक (discretion) पर आधारित होता है, न कि मनमाने ढंग से। राष्ट्रपति आमतौर पर तब हटाते हैं जब राज्यपाल और केंद्र सरकार के बीच संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं या राज्यपाल अपने पद के लिए अयोग्य माने जाते हैं।
  • गलत विकल्प: राज्य का विधानमंडल या प्रधानमंत्री सीधे तौर पर राज्यपाल को नहीं हटा सकते। सर्वोच्च न्यायालय भी सीधे तौर पर राज्यपाल को हटाने की शक्ति नहीं रखता, हालांकि वह उनकी नियुक्ति या हटाने की प्रक्रिया की समीक्षा कर सकता है यदि यह कानून के अनुसार न हो।

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